RPSC (Rajasthan Public Service Commission) Junior Legal Officer 2023 Application Form exam can be filled till 09th August 2023. Apply Online for This Exam and the Admit Card is Released soon. Eligibility Criteria for this exam is that the candidate must be a citizen of India. The candidate’s age should be at least 21 years and maximum 40 years. and above. Government Jobs Seekers, who Looking for Govt Jobs 2023 in India to get Latest Government Jobs Recruitment / Vacancies completely published in this portal.
Name of the Organization | Rajasthan Public Service Commission (RPSC) |
Name of the Post | Junior Legal Officer |
Total Post | 140 (Non TSP 134+TSP 06) |
Registration Dates | 10th July to 09th August 2023 |
Location | Rajasthan |
Official website | rpsc.rajasthan.gov.in |
Offical Notification | Click Here |
Junior Legal Officer Vacancy 2023: Important Dates
Events | Dates |
RPSC JLO Notification Released Date | 5th July 2023 |
Application Start Date | 10th July 2023 |
Last Date to Apply | 09th August 2023 |
Exam Date | October 2023 |
Education Qualification :
1. Candidates have Bachelor Degree in Law from any Recognized University.
2. Hindi Working Knowledge and Rajasthani Culture Knowledge.
Age Limit :
1. Min. Age : 21 Yrs.
2. Max. Age : 40 Yrs.
Application Fee :
Mode of Payment Online
Salary :9300 to 34900 per month
Selection Process :
1. Written Examination
2. Interview
3. Viva Voce
How to Apply RPSC Jobs 2023 Online
1. Firstly, visit the official website. https://rpsc.rajasthan.gov.in/
2. Now, select the desired Recruitment notification.
3. Read the detailed notification and applying instructions carefully.
4. After that click on the apply online link and open application form.
5. Fill personal and academic details in the online application form.
6. Upload the original photograph and signature in the specified format.
7. Fill the basic details & Pay the fee with bank challan.
8. Take the print of the application form.
RPSC Junior Legal Officer Admit Card 2023 : Notified Soon
Instructions for Downloading the RPSC JLO Admit Card 2023
1. In order to download their RPSC JLO Admit Card candidates need to go to the important link section provided below.
2. After getting the link candidates need to click it for downloading their RPSC JLO Admit Card.
3. Candidates will be redirected to the Login page, here they are required to provide their following details-:
Registration No./Roll No./
DOB/Password
Captcha Code(if specified)
Click on the’ Submit’ Icon
4. After providing their details appropriately candidates will be able to download their RPSC JLO Admit Card.
5. Candidates can also download their RPSC JLO Admit Card from official site of the RPSC.
RPSC Junior Legal Officer Result 2023 : Notified Soon
उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना होता है उप+सर्ग। उप का अर्थ होता है समीप और सर्ग का अर्थ होता है सृष्टि करना। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओँ में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते है। अथार्त शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं या फिर उसमें विशेषता लाते हैं उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। शब्दांश होने के कारण इनका कोई स्वतंत्र रूप से कोई महत्व नहीं माना जाता है।
उदाहरण:- हार एक शब्द है जिसका अर्थ होता है पराजय। लेकिन इसके आगे आ शब्द लगने से नया शब्द बनेगा जैसे आहार जिसका मतलब होता है भोजन।
1. संस्कृत के उपसर्ग
2. हिंदी के उपसर्ग
3. अरबी-फारसी के उपसर्ग
4. अंग्रेजी के उपसर्ग
5. उर्दू के उपसर्ग
6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
1.अति – ( अधिक ,परे , ऊपर , उस पार ,) –
अत्यधिक , अतिशय , अत्यंत , अतिरिक्त , अत्यल्प , अतिक्रमण , अतिवृष्टि , अतिशीघ्र , अत्याचार , अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक आदि।
2. अप – ( बुरा , अभाव , विपरीत , हीनता , छोटा ) –
अपयश , अपमान , अपशब्द , अपराध , अपकार , अपकीर्ति , अपभ्रश , अपव्यय , अपवाद , अपकर्ष , अपहरण , अपप्रयोग , अपशकुन , अपेक्षा आदि।
3. अ – (अभाव , अन , निषेध , नहीं , विपरीत ) –
अधर , अपलक , अटल , अमर , अचल , अनाथ , अविश्वास , अधर्म, अचेतन , अज्ञान , अलग , अनजान , अनमोल , अनेक , अनिष्ट , अथाह , अनाचार , अलौकिक , अस्वीकार , अन्याय , अशोक , अहिंसा , अवगुण , अर्जित आदि।
4. अनु – (पीछे , समान , क्रम , पश्चात ) –
अनुक्रमांक , अनुकंपा , अनुज , अनुरूप , अनुपात , अनुचर , अनुकरण , अनुसार , अनुशासन , अनुराग , अनुग्रह , अनुवाद , अनुस्वार , अनुशीलन , अनुकूल , अनुक्रम , अनुभव , अनुशंसा , अन्वय , अन्वीक्षण , अन्वेषण , अनुच्छेद , अनूदित आदि।
5. आ – (ओर , सीमा , तक , से , समेत , कमी , विपरीत , उल्टा , अभाव , नहीं ) –
आगमन , आजीवन , आमरण , आचरण ,आलेख , आहार , आकर्षण , आकर , आकार , आभार , आशंका , आवेश , आरक्त , आदान , आक्रमण , आकलन , आकाश , आरम्भ , आमुख , आरोहण , आजन्म , आयात , आतप , आगार , आगम , आमोद , आरक्षण , आकर्षण , आबालवृद्ध , आघात आदि।
6. अधि – (श्रेष्ठ , प्रधान , ऊपर , सामीप्य ) –
अधिकार , अधिसूचना , अधिपति , अधिकरण , अधिनायक , अधिमान , अधिपाठक , अधिग्रहण , अधिवक्ता , आधिक्य , अध्धयन , अध्यापन , अधिराज , अध्यात्म , अध्यक्ष , अधिनियम , अधिमास , अधिकृत , अधिक्षण , अध्यादेश , अधीन , अधीक्षक आदि।
7.अभि – ( सामने , पास , ओर , इच्छा प्रकट करना , चारों ओर ) –
अभ्यास , अभ्युदय , अभिमान , अभिषेक ,अभिनय , अभिनव , अभिवादन , अभिभाषण , अभियोग , अभिभूत , अभिभावक , अभ्यर्थी , अभीष्ट , अभ्यंतर , अभीप्सा , अभिनन्दन , अभिलाप , अभीमुख , अभ्युत्थान ,अभियान , अभिसार , अभ्यागत , अभ्यास , अभिशाप ,अभिज्ञान आदि।
8. उप – ( निकट , छोटा , सहायक , सद्र्श , गौण , हीनता ) –
उपकार , उपग्रह , उपमंत्री , उपहार , उपदेश , उपवन , उपनाम , उपचार , उपसर्ग , उपयोग , उपभोग , उपभेद , उपयुक्त , उपेक्षा , उपाधि , उपाध्यक्ष ,उपकूल , उपनिवेश , उपस्थिति , उपासना , उपदिशा , उपवेद , उपनेत्र , उपरांत , उपसंहार , उपकरण , उपकार आदि।
9. प्र – ( आगे , अधिक , ऊपर , यश ) –
प्रमाण , प्रयोग , प्रताप , प्रबल , प्रस्थान , प्रकृति , प्रमुख ,प्रदान , प्रचार , प्रसार , प्रहार , प्रयत्न , प्रभंजन , प्रपौत्र , प्रारम्भ , प्रोज्जवल , प्रेत , प्राचार्य , प्रयोजक , प्रार्थी , प्रक्रिया , प्रवाह , प्रख्यात , प्रकाश , प्रकट , प्रगति , प्रपंच , प्रलाप , प्रभुता , प्रपिता , प्रकोप , प्रभु , प्रयास आदि।
10. वि – ( विशिष्ट , भिन्न , हीनता ,असमानता , अभाव ) –
विरोध , विपक्ष , विदेश , विकल , वियोग , विनाश , विराम ,विजय , विज्ञान , विलय , विहार , विख्यात , विधान , व्यवहार , व्यर्थ , व्यायाम , व्यंजन , व्याधि , व्यसन , व्यूह , विकास , विधवा , विवाद , विशेष , विस्मरण , विभाग , विकार , विमुख , विनय , विनंती , विफल , विसंगति , विवाह , विभिन्न ,विश्राम आदि।
11. उत – ( श्रेष्ठ , ऊपर , ऊँचा ) –
उल्लास , उज्ज्वल , उत्थान , उन्नति , उदघाटन , उत्तम , उत्पन्न , उत्पत्ति , उत्पीडन , उत्कंडा, उत्तम , उत्कृष्ट , उदय , उद्गम , उत्कर्ष , उत्पल , उल्लेख , उत्साह , उत्पात , उतीर्ण , उभ्दिज्ज आदि।
12. प्रति – ( विरुद्ध , प्रत्येक , सामने , बराबरी , उल्टा , हर एक ) –
प्रत्याशा , प्रतिकूल , प्रतिकार , प्रतिष्ठा , प्रत्येक , प्रतिहिंसा , प्रतिरूप , प्रतिध्वनी , प्रतिनिधि , प्रतीक्षा , प्रत्युत्तर , प्रतीत , प्रतिक्षण , प्रतिदान , प्रत्यक्ष ,प्रतिवर्ष , प्रत्यपर्ण , प्रतिद्वंदी , प्रतिशोध , प्रतिरोधक , प्रतिघात , प्रतिध्वनी आदि।
13. सु – ( अच्छा , सरल , सुखी , सहज ,सुंदर , अधिक ) –
सुशील , स्वागत , स्वल्प , सुगम , सुबोध , सुपुत्र ,सुधार , सुगंध , सुगति , सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन , सुलभ , सुअवसर, सूक्ति ,सुदूर , सुजन , सुशिक्षित , सुपात्र , सुगठित , सुहाग , सुकर्म , सुकृत , सुभाषित , सुकवि , सुरभि आदि।
14. सम – ( अच्छा , पूर्णता , संयोग , उत्तम , साथ ) –
संताप , संभावना , संयोग , संशोधन , सम्मान , सम्मेलन ,संकल्प, संचय, सन्तोष, संगठन, संचार , संलग्न , संहार, संशय, संरक्षा ,संकल्प, संग्रह, संन्यास, संस्कार, संरक्षण, संहार , सम्मुख, संग्राम , संभव , संतुष्ट , संचालन , संजय आदि।
15. सह – ( साथ ) –
सहोदर , सहपाठी , सहगान , सहचर , सहमती , सहयोग , सहमत आदि।
16. पर – ( अन्य ) –
परदेश , परलोक , पराधीन आदि।
17. कु – ( बुरा ,हीनता ) –
कुपुत्र , कुरूम , कुकर्म , कुमति ,कुयोग , कुकृत्य ,कुख्यात , कुखेत , कुपात्र , कुकाठ , कपूत , कुढंग आदि।
18. परि – ( चारों ओर , पास , आसपास ) –
परिवार , परिणाम , पर्यावरण , परिजन , परिक्रम , परिक्रमा , परिपूर्ण, परिमार्जन,परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान,परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा,पर्याप्त, पर्यटन , पर्यन्त ,परिमित , परिपूर्ण , परिपाक, परिधि आदि।
19. अव – ( हीन , बुरा ,अनादर , पतन ) –
अवशेष , अवगुण , अवकाश , अवसर , अवनति , अवज्ञा , अवधारण, अवगति, अवतार, अवलोकन, अवतरण , अवगत , अवस्था , अवनत , अवसान , अवरोहन , अवगणना , अवकृपा आदि।
20. निर – ( निषेध ,रहित , बिना , बाहर ) –
निर्बल , निर्मल , निर्माण , निर्जन , निरकार , निरपराध, निराहार, निरक्षर, निरादर, निरहंकार, निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण , निरंजन , निराषा , निर्गुण , निर्भय , निर्वास , निराकरण , निर्वाह , निदोष , निर्जीव , निर्मूल आदि।
21. पूरा – ( पुराना , पहला ) –
पुरातत्व , पुरातन , पुरावरित्त आदि।
22. सत – (अच्छा ) –
सदाचार , सत्पुरुष , सत्कर्म , सत्संग , सद्भावना आदि।
23. दुर – ( कठिन , बुरा , विपरीत ,दुष्ट , हीन )-
दुराशा, दुराग्रह, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग, दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुर्दशा , दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह ,दुरुक्ति , दुर्जन , दुर्गम , दुर्बल , दुर्लभ , दुखद , दुरावस्था , दुर्दमनीय , दुर्भाग्य आदि।
24. दुस – ( बुरा , विपरीत , कठिन , दुष्ट , हीन )-
दुश्चिन्त, दुश्शासन, दुष्कर, दुष्कर्म, दुस्साहस, दुस्साध्य,दुष्कृत्य , दुष्प्राप्य , दु:सह आदि।
25. नि – ( बिना , विशेष , निषेध , अभाव , भीतर , नीचे , अतिरिक्त )-
निडर, निगम, निवास, निदान, निहत्थ, निबन्ध, निदेशक, निकर, निवारण, न्यून, न्याय, न्यास, निषेध, निषिद्ध ,नियुक्त , निपात , नियोग , निपात , निरूपा , निदर्शन , निवास , निरूपण , निम्न , निरोध , निकामी , निजोर आदि।
26. निस – ( बिना ,आहार , बाहर , निषेध , रहित )-
निश्चय, निश्छल, निष्काम, निष्कर्म , निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह , निस्तार , निस्सार , निश्चल , निश्चित ,निष्फल , नि:शेष आदि।
27. परा – ( विपरीत , पीछे , अधिक , अनादर , नाश )-
पराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, परावर्तन, पराविद्या, पराकाष्ठा , पराभूत , पराधीन आदि।
28. अन – ( नहीं , बुरा , अभाव , निषेध )-
अनन्त, अनादि, अनेक, अनाहूत, अनुपयोगी, अनागत, अनिष्ट, अनीह , अनुपयुक्त, अनुपम, अनुचित, अनन्य , अनजान , अनमोल , अपढ़ , अनजान , अन्थाह आदि।
29. अध् – (आधे ) –
अधमरा , अधजला , अधपका , अधखिला , अध्सेरा , अधजल , अधस्थल , अधोगति आदि।
30. उन – ( एक कम ) –
उन्नीस , उनतीस , उन्चास , उनसठ , उनहत्तर आदि।
31. औ – ( हीनता , निषेध ) –
औगुन , औघट , औसर , औढर आदि।
32. दु – ( बुरा , हीन ) –
दुकाल , दुबला आदि।
33. बिन – ( निषेध ) –
बिनजाना , बिनब्याहा , बिनबोया , बिनदेखा , बिनखाया , बिनचखा , बिनकाम आदि।
34. भर – ( पूरा , ठीक ) –
भरपेट , भरसक , भरपूर , भरदिन आदि।
35. चिर – ( बहुत , आनन्द ) –
चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी आदि।
36. तत – ( समान ) –
तत्काल , तत्सम , तत्पर आदि।
37. स्व – ( अपना ) –
स्वरोजगार , स्वतंत्र , स्वभाव आदि।
38. अपि – (आवरण )-
अपिधान आदि।
1. अन – (अभाव , निषेध , नहीं ) –
अनजान , अनकहा , अनदेखा , अनमोल , अनबन , अनपढ़ , अनहोनी , अछूत , अचेत , अनचाहा , अनसुना , अलग , अनदेखी आदि।
2. अध् – ( आधा ) –
अधपका , अधमरा , अधक्च्चा , अधकचरा , अधजला , अधखिला , अधगला , अधनंगा आदि।
3. उन – ( एक कम ) –
उनतीस , उनचास , उनसठ , उनहत्तर , उनतालीस , उन्नीस , उन्नासी आदि।
4. दु – (बुरा , हीन , दो , विशेष , कम ) –
दुबला , दुर्जन , दुर्बल , दुलारा , दुधारू , दुसाध्य , दुरंगा , दुलत्ती , दुनाली , दुराहा , दुपहरी , दुगुना , दुकाल आदि।
5. नि – ( रहित , अभाव , विशेष , कमी ) –
निडर , निक्कमा , निगोड़ा , निहत्था , निहाल आदि।
6. अ -( अभाव , निषेध ) –
अछुता , अथाह , अटल , अचेत आदि।
7. कु – ( बुरा , हिन् ) –
कुचाल , कुचैला , कुचक्र , कपूत , कुढंग , कुसंगति , कुकर्म , कुरूप , कुपुत्र , कुमार्ग , कुरीति , कुख्यात , कुमति आदि।
8. औ – (हीन , अब , निषेध ) –
औगुन , औघर , औसर ,औसान , औघट , औतार , औगढ़ , औढर आदि।
9. भर – ( पूरा , ठीक ) –
भरपेट , भरपूर , भरसक , भरमार , भरकम , भरपाई , भरदिन आदि।
10. सु – ( सुंदर , अच्छा ) –
सुडौल , सुजान , सुघड़ , सुफल , सुनामी , सुकाल , सपूत आदि।
11. पर – ( दूसरी पीढ़ी , दूसरा , बाद का ) –
परलोक , परोपकार , परसर्ग , परहित , परदादा , परपोता , परनाना , परदेशी , परजीवी , परकोटा , परलोक , परकाज आदि।
12. बिन – ( बिना , निषेध ) –
बिनब्याहा , बिनबादल , बिनपाए , बिनजाने , बिनखाये , बिनचाहा , बिनखाया , बिनबोया , बिनामांगा , बिनजाया , बिनदेखा , बिनमंगे आदि।
13. चौ – (चार ) –
चौपाई , चौपाया , चौराहा , चौकन्ना , चौमासा , चौरंगा , चौमुखा , चौपाल आदि।
14. उ – ( अभाव , हीनता ) –
उचक्का , उजड़ना , उछलना , उखाड़ना , उतावला , उदर , उजड़ा , उधर आदि।
15. पच – (पांच ) –
पचरंगा , पचमेल , पचकूटा , पचमढ़ी आदि।
16. ति – ( तीन ) –
तिरंगा , तिराहा , तिपाई , तिकोन , तिमाही आदि।
17 . का – ( बुरा ) –
कायर , कापुरुष , काजल आदि।
18. स – ( सहित ) –
सपूत , सफल , सबल , सगुण , सजीव ,सावधान , सकर्मक आदि।
19. चिर – (सदैव ) –
चिरकाल , चिरायु , चिरयौवन , चिरपरिचित , चिरस्थायी , चिरस्मरणीय , चिरप्रतीक्षित आदि।
20. न – (नहीं ) –
नकुल , नास्तिक , नग , नपुंसक , नगण्य , नेति आदि।
21. बहु – (ज्यादा ) –
बहुमूल्य , बहुवचन , बहुमत , बहुभुज , बहुविवाह , बहुसंख्यक , बहुपयोगी आदि।
22. आप – (स्वंय ) –
आपकाज , आपबीती , आपकही , आपसुनी आदि।
23. नाना – (विविध ) –
नानाप्रकार , नानारूप , नानाजाति , नानाविकार आदि।
24. क – (बुरा , हीन ) –
कपूत , कलंक , कठोर , कचोट आदि।
25. सम – ( समान ) –
समतल , समदर्शी , समकोण , समकक्ष आदि।
26. अव – (हीन , निषेध ) –
औगुन , औघर , औसर , औसान आदि।
3. अरबी -फारसी के उपसर्ग :-
1.दर – (में , मध्य में ) –
दरकिनार , दरमियान , दरअसल , दरकार , दरगुजर , दरहकीकत आदि।
2. कम – ( थोडा , हीन , अल्प ) –
कमजोर , कमबख्त , कमउम्र , कमअक्ल , कमसमझ , कमसिन आदि।
3. ला – (नहीं , रहित ) –
लाइलाज , लाजवाब, लापरवाह , लापता ,लावारिस , लाचार , लामानी , लाजवाल आदि।
4. ब – (के साथ , और , अनुसार ) –
बखूबी , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बनाम , बमुश्किल आदि।
5. बे – (बिना ) –
बेनाम , बेपरवाह , बेईमान , बेरहम , बेहोश , बैचैन , बेइज्जत , बेचारा , बेवकूफ , बेबुनियाद ,बेवक्त , बेतरह , बेअक्ल , बेकसूर , बेनामी , बेशक आदि।
6. बा – ( साथ से , सहित ) –
बाकायदा , बादत , बावजूद , बाहरो , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बाइंसाफ , बामुलाहिजा आदि।
7. बद – (बुरा , हीनता ) –
बदनाम , बदमाश , बदतमीज , बदबू , बदसूरत , बदकिस्मत , बदहजमी , बददिमाग , बदमजा , बदहवास , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।
8. ना – (अभाव ) –
नालायक , नाकारा , नाराज , नासमझ , नाबालिक , नाचीज , नापसंद , नामुमकिन , नामुराद , नाकामयाब , नाकाम , नापाक आदि।
9. गैर – (भिन्न , निषेध ) –
गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजिम्मेदार , गैरमुल्क , गैरवाजिब , गैरमुमकिन , गैरमुनासिब आदि।
10. हम – ( आपस में , समान , साथ वाला ) –
हमराज , हमदर्द , हमजोली , हमनाम , हमउम्र , हमदम , हमदर्दी , हमराह , हमसफर आदि।
11. हर – ( सब , प्रत्येक ) –
हरलाल , हरसाल , हरवक्त ,हररोज , हरघडी , हरएक , हरदिन , हरबार आदि।
12. खुश – (अच्छा ) –
खुसबू , खुशनसीब , खुशमिजाज , खुशदिल , खुशहाल , खुशखबरी , खुशकिस्मत आदि।
13. सर – ( मुख्य ) –
सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।
14. अल – ( अलमस्त , निश्चित , अंतिम ) –
अलबत्ता , अलबेला , अलविदा आदि।
1. हाफ – ( आधा ) –
हाफ पेंट , हाफ बाड़ी , हाफटिकट , हाफरेट , हाफकमीज आदि।
2. सब – ( अधीन , नीचे ) –
सब पोस्टर , सब इंस्पेक्टर , सबजज , सबकमेटी , सबरजिस्टर आदि।
3. चीफ – (प्रमुख ) –
चीफ मिनिस्टर , चीफ इंजीनियर , चीफ सेक्रेटरी आदि।
4. जनरल – (प्रधान , सामान्य ) –
जनरल मैनेजर , जनरल सेक्रेटरी , जनरल इंश्योरेंस आदि।
5. हैड – ( मुख्य ) –
हैड मुंशी , हैड पंडित , हेडमास्टर , हेड क्लर्क , हेड ऑफिस , हेड कांस्टेबल आदि।
6. डिप्टी – ( सहायक ) –
डिप्टी कलेक्टर , डिप्टी रजिस्टर , डिप्टी मिनिस्टर आदि।
7. वाइस – ( सहायक , उप ) –
वाइसराय , वाइस चांसलर , वाइस प्रेजिडेंट , वाइस प्रिंसिपल आदि।
8. एक्स – ( मुक्त ) –
एक्सप्रेस , एक्स कमिश्नर , एक्स स्टूडेंट , एक्स प्रिंसिपल आदि।
1. अल – (निश्चित ) –
अलगरज , अलबत्ता आदि।
2. कम – ( थोडा , हीन ) –
कमजोर , कमउम्र , कमबख्त , कमसिन , कमख्याल , कमदिमाग , कमजात आदि।
3. खुश – (अच्छा ) –
खुशनसीब , खुशहाल , खुशकिस्मत , खुशदिल , खुशनुमा , खुशगवार , खुशमिजाज , खुसबू आदि।
4. गैर – (निषेध , के बिना ) –
गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजरूरी , गैरकौम , गैरहाजिब , गैरमुनासिब आदि।
5. दर – ( में ) –
दरकार , दरबार , दरमियान , दरअसल , दरहकीकत आदि।
6. ना – ( अभाव , निषेध ) –
नालायक , नासमझ , नाबालिक , नाराज , नामुमकिन , नादान , नापसंद , नामुराद , नाकामयाब , नाचीज , नापाक , नाकाम आदि।
7. बद – ( बुरा ) –
बदतर , बदनाम , बदकिस्मत , बदसूरत , बदमाश , बददिमाग , बदचलन , बदहजमी , बदमजा , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।
8. बर – (बाहर , ऊपर ) –
बरखास्त , बरदास्त , बरबाद , बरवक्त , बरकरार , बरअक्स , बरजमा आदि।
9. बे – ( बिना ) –
बेवक्त , बेझिझक , बेवकूफ , बेइज्जत , बेकाम , बेअसर , बेरहम , बेईमान , बेचारा , बेअक्ल , बेबुनियाद , बेतरह , बेमानी , बेशक आदि।
10. ला – ( बिना , रहित ) –
लाजवाब , लापता , लाचार , लावारिस , लापरवाह , लाइलाज , लामानी , लाइल्म आदि।
11. हर – ( प्रत्येक , प्रति ) –
हरदम , हरवक्त , हरपल , हरदिन , हरसाल , हरएक , हरबार आदि।
12. हम – ( समान , बराबर ) –
हमसफर , हमदर्द , हमशक्ल , हमउम्र , हमदर्दी , हमपेशा , हमराज , हमदम आदि।
13. बिल – ( के साथ , बिना ) –
बिलआखिर , बिलकुल , बिलवजह , बिलावजह , बिलाशक , बिलालिहज , बिलानागा आदि।
14. फिल /फी – ( में प्रति ) –
फ़िलहाल , फिआदमी , फीसदी आदि।
15. ब – ( और , अनुसार ) –
बनाम , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बमुश्किल आदि।
16. बा – ( सहित , अनुसार ) –
बाकायदा , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बामुलाहिजा आदि।
17. सर – ( मुख्य ) –
सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।
1. का – ( निषेध ) –कापुरुष आदि।
2. कु – ( हीन ) –कुपुत्र आदि।
3. चिर – ( बहुत देर ) –
चिरकाल , चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी , चिरकुमार आदि।
4. अ – ( निषेध , अभाव ) –
अधर्म , अनीति , अनन्त , अज्ञान , अभाव , अचेत , अशोक , अकाल आदि।
5. अन – ( निषेध ) –
अनीति , अनन्त , अनागत , अनर्थ , अनादि आदि।
6. अंतर – ( भीतर ) –
अन्तर्नाद , अन्तर्ध्यान , अंतरात्मा , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर्जातीय आदि।
7. स – ( सहित ) –
सजल , सकल , सहर्ष आदि।
8. अध्: – ( नीचे ) –
अध्:पतन , अधोगति , अधोमुख , अधोलिखित आदि।
9. पुरस – ( आगे ) –
पुरस्कार , पुरस्कृत आदि।
10. पुनः – ( फिर ) –
पुनर्गमन , पुनर्जन्म , पुनर्मिलन , पुनर्लेखन , पुनर्जीवन आदि।
11. पुरा – ( पुराना ) –
पुरातत्व , पुरातन , पुरावृत आदि।
12. तिरस – ( बुरा , हीन ) –
तिरस्कार , तिरोभाव आदि।
13. सत – ( श्रेष्ठ , सच्चा ) –
सत्कार , सज्जन , सत्कार्य , सदाचार , सत्कर्म आदि।
14. अंत: – (भीतरी ) –
अंत:करण , अंत:पुर , अंतर्मन , अंतर्देशीय आदि।
15. बहिर – ( बाहर ) –
बहिर्गमन , बहिष्कार आदि।
16. सम – ( समान ) –
समकालीन , समदर्शी , समकोण ,समकालिक आदि।
17. सह – ( साथ ) –
सहकार , सहपाठी , सहयोग , सहचर आदि।
1. अ+नि+यंत्रित = अनियंत्रित
2. प्रति+उप+कार = प्रतुप्कार
3. परी+आ+वरण = पर्यावरण
4. अति+आ+चार = अत्याचार
5. सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान
6. अन+आ+गत = अनागत
7. वि+आ+करण = व्याकरण
8. अ+परा+जय = अपराजय
9. सत+आ+चार = सदाचार
10. निर+अभि+मान = निरभिमान
11. सु+आ+गत = स्वागत
12. अन+आ+चार = अनाचार आदि।
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय। प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘।अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
जैसे:-
(क) संस्कृत के प्रत्यय
(ख) हिंदी के प्रत्यय
(ग) विदेशी भाषा के प्रत्यय
(क) संस्कृत के प्रत्यय क्या होते हैं :-संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे:– त – आगत , विगत , कृत ।
संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-
1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
1. कृत प्रत्यय क्या होते हैं :–वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।
जैसे:– लिख +अक = लेखक
धातु + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल+ अक =लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।
(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष+ अन =पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।
(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।
(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु+ अनिय =माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।
(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल+आ =सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।
(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन+ आई =लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।
(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ+आन =उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।
(viii) हर, गिर, दशरथ, माला+ इ =हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।
(ix) छल, जड़, बढ़, घट+ इया =छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।
(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प+इत =पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।
(xi) चर्, पो, खन्+ इत्र =चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।
(xii) अड़, मर, सड़+ इयल =अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।
(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार+ ई =हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।
(xiv) इच्छ्, भिक्ष्+ उक =इच्छुक, भिक्षुक आदि ।
(xv) कृ, वच्+ तव्य =कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।
(xvi) आ, जा, बह, मर, गा+ ता =आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।
(xvii) अ, प्री, शक्, भज+ ति =अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।
(xviii) जा, खा+ ते =जाते, खाते आदि ।
(xix) अन्य, सर्व, अस्+ त्र =अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।
(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़+ न =क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।
(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा+ ना =पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।
(xxii) दा, धा+ म =दाम, धाम आदि ।
(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज+ य =गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।
(xxiv) मृग, विद्+ या =मृगया, विद्या आदि ।
(xxv) गे+रु =गेरू आदि ।
(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना+ वाला =देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।
(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव+ ऐया \ वैया =बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।
(xxviii) होना, रखना, खेवना+ हार =होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।
1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
3. भाववाचक कृत प्रत्यय
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
5. करणवाचक कृत प्रत्यय
6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय
1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
2. विशेषण वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय के क्रियापदों से विशेषण शब्द की रचना होती है उसे विशेषण वाचक कृत प्रत्यय कहते है ।
जैसे:-
3. भाववाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं ।
जैसे:-
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
5. करणवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
6. क्रिया वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :– जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
ता =डूबता , बहता , चलता
या =खोया , बोया
आ =सुखा , भूला , बैठा
ना =दौड़ना , सोना
कर =जाकर , देखकर
1. विकारी कृत प्रत्यय
2. अविकारी कृत प्रत्यय
1. विकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-विकारी कृत प्रत्यय में शुद्ध संज्ञा तथा विशेषण बने होते हैं इसलिए इसे विकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।
विकारी कृत प्रत्यय के भेद :-
1. क्रियार्थक संज्ञा
2. कृतवाचक संज्ञा
3. वर्तमान कालिक कृदंत
4. भूतकालिक कृदंत
1. क्रियार्थक संज्ञा क्या होती है :-वह संज्ञा जो क्रिया के मूल रूप में होती है और क्रिया का अर्थ देती है अथार्त को का अर्थ बताने वाला वह शब्द जो क्रिया के रूप में उपस्थित होते हुए भी संज्ञा का अर्थ देता है वह क्रियाथक संज्ञा कहलाती है ।
2. कृतवाचक संज्ञा क्या होती है :-वे प्रत्यय जिनके जुड़ने पर कार्य करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक संज्ञा कहते हैं ।
3. वर्तमान कालिक कृदंत क्या होती है :-जब हम एक काम को करते हुए दूसरे काम को साथ में करते हैं तो पहले वाली की गई क्रिया को वर्तमान कालिक कृदंत कहते हैं ।
4. भूतकालिक कृदंत क्या होता है :-जब सामान्य भूतकालिक क्रिया को हुआ , हुए , हुई आदि को जोड़ने से भूतकालिक कृदंत बनता है ।
2. अविकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-ऐसे कृत प्रत्यय जिनकी वजह से क्रियामूलक विशेषण और अव्यय बनते है उन्हें अविकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।
2. तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जब संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं तद्धित प्रत्यय से मिलाकर जो शब्द बनते हैं उन्हें तद्धितांत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:– सेठ+आनी = सेठानी ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पछताना, जगना , पंडित , चतुर , ठाकुर+ आइ =पछताई ,जगाई ,पण्डिताई ,चतुराई , ठकुराई आदि ।
(ii) पण्डित, ठाकुर+ आइन =पण्डिताइन, ठकुराइन आदि ।
(iii) पण्डित, ठाकुर, लड़, चतुर, चौड़ा ,अच्छा+ आई =पण्डिताई, ठकुराई, लड़ाई, चतुराई, चौड़ाई , अच्छाई आदि ।
(iv) सेठ, नौकर+ आनी =सेठ, नौकर आदि ।
(v) बहुत, पंच, अपना+आयत =बहुतायत, पंचायत, अपनायत आदि ।
(vi) लोहा, सोना, दूध, गाँव+ आर \आरा =लोहार, सुनार, दूधार, गँवार आदि ।
(vii) चिकना, घबरा, चिल्ल, कड़वा+ आहट =चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट, कड़वाहट आदि ।
(viii) फेन, कूट, तन्द्र, जटा, पंक, स्वप्न, धूम+ इल =फेनिल, कुटिल, तन्द्रिल, जटिल, पंकिल, स्वप्निल, धूमिल आदि ।
(ix) कन्, वर्, गुरु, बल+ इष्ठ =कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ आदि ।
(x) सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात+ ई =सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात आदि ।
(xi) ग्राम, कुल+ ईन =ग्रामीण, कुलीन आदि ।
(xii)भवत्, भारत, पाणिनी, राष्ट्र+ ईय =भवदीय, भारतीय, पाणिनीय, राष्ट्रीय आदि ।
(xiii) बच्चा, लेखा, लड़का+ ए =बच्चे, लेखे, लड़के आदि ।
(xiv) अतिथि, अत्रि, कुंती, पुरुष, राधा+ एय =आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय आदि ।
(xv) फुल, नाक+एल =फुलेल, नकेल आदि ।
(xvi) डाका, लाठी+ ऐत =डकैत, लठैत आदि ।
(xvii) अंध, साँप, बहुत, मामा, काँसा, लुट, सेवा+ एरा/ऐरा =अँधेरा, सँपेरा, बहुतेरा, ममेरा, कसेरा, लुटेरा , सवेरा आदि ।
(xviii) खाट, पाट, साँप+ ओला =खटोला, पटोला, सँपोला आदि ।
(xix) बाप, ठाकुर, मान+ औती =बपौती, ठकरौती, मनौती आदि ।
(xx) बिल्ला, काजर+ औटा =बिलौटा, कजरौटा आदि ।
(xxi) धम, चम, बैठ, बाल, दर्श, ढोल , लल+ क =धमक, चमक, बैठक, बालक, दर्शक, ढोलक , ललक आदि ।
(xxii) विशेष, ख़ास+ कर =विशेषकर, ख़ासकर आदि ।
(xxiii) खट, झट+ का =खटका, झटका आदि ।
(xxiv) भ्राता, दो+ जा =भतीजा, दूजा आदि ।
(xxv) चाम, बाछा, पंख, टाँग+ डा/डी =चमड़ा, बछड़ा, पंखड़ी, टँगड़ी आदि ।
(xxvi) रंग, संग, खप+ त =रंगत, संगत, खपत आदि ।
(xxvii) अद्य+ तन =अद्यतन आदि ।
(xxviii) गुरु, श्रेष्ठ+ तर =गुरुतर, श्रेष्ठतर आदि ।
(xxix) अंश, स्व , आ+त: =अंशतः, स्वतः , अत: आदि ।
(xxx) कम, बढ़, चढ़+ ती =कमती, बढ़ती, चढ़ती आदि ।
(xxxi) ऐ , कै , वै+ सा =ऐसा , कैसा , वैसा आदि ।
(xxxii) लेश , रंच+ मात्र =लेशमात्र , रंचमात्र आदि ।
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
4. संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
10. गणनावाचक तद्धति प्रत्यय
11. स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा , सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सोना , लोहा , कह , चम+ आर =सुनार , लुहार , कहार , चमार आदि ।
(ii) जुआ+ आरी =जुआरी आदि ।
(iii) मजाक , रस , दुःख , आढत , मुख , रसोई+ इया =मजाकिया , रसिया , दुखिया , आढतिया , मुखिया , रसोईया आदि ।
(iv) सब्जी , टोपी , घर , गाड़ी , पान+ वाला =सब्जीवाला , टोपीवाला , घरवाला , गाड़ीवाला ,पानीवाला आदि ।
(v) पालन+ हार =पालनहार आदि ।
(vi) समझ , ईमान , दुकान , कर्ज+ दार =समझदार , ईमानदार , दुकानदार , कर्जदार आदि ।
(vii) तेल , भेद , रोग+ ई =तेली , भेदी , रोगी आदि ।
(viii) घास , कसा , ठठ , लुट+ एरा= घसेरा , कसेरा , ठठेरा , लुटेरा आदि ।
(ix) लकड , पानी , मनि+ हारा =लकडहारा , पनिहारा , मनिहारा आदि ।
(x) पाठ , लेख , लिपि+ क =पाठक , लेखक , लिपिक आदि ।
(xi) पत्र , कला , चित्र+ कार =पत्रकार , कलाकार , चित्रकार आदि ।
(xii) मछु , गेरू , ठलु+ आ =मछुआ , गेरुआ , ठलुआ आदि ।
(xiii) मशाल , खजान , मो+ ची =मशालची , खजानची , मोची आदि ।
(xiv) कारी , बाजी , जादू + कारीगर , बाजीगर , जादूगर आदि ।
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–इस प्रत्यय में भाव प्रकट होता है ।इसमें प्रत्यय लगने की वजह से कहीं कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाया करती है । जो प्रत्यय संज्ञा तथा विशेषण के साथ जुडकर भाववाचक संज्ञा को बनाते हैं उसे भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) देवता ,मनुष्य , पशु , महा , गुरु , लघु+ त्व =देवत्व , मनुष्यत्व , पशुत्व , महत्व , गुरुत्व , लघुत्व आदि ।
(ii) बच्चा , लडक , छुट , काला+ पन =बचपन , लडकपन , छुटपन , कालापन आदि ।
(iii) सज्जा+वट =सजावट आदि ।
(iv) चिकना+ हट =चिकनाहट आदि ।
(v) रंग+ त =रंगत आदि ।
(vi) मीठा+ आस =मिठास आदि ।
(vii) बुलाव , सराफ , चूर+ आ =बुलावा , सराफा , चूरा आदि ।
(viii) भला , बुरा , कठिन , चतुर , ऊँचा+ आई =भलाई , बुराई , कठिनाई , चतुराई , ऊँचाई आदि ।
(ix) बुढा , मोटा+ आपा =बुढ़ापा , मोटापा आदि ।
(x) खट , मीठा , भडा+ आस =खटास , मिठास , भडास आदि ।
(xi) कडवा , घबरा , झल्ला , चिकना+ आहट =कडवाहट , घबराहट , झल्लाहट , चिकनाहट आदि ।
(xii) लाली , महा , अरुण , गरी+ इमा =लालिमा , महिमा , अरुणिमा , गरिमा आदि ।
(xiii) गर्म , खेत , सर्द , गरीब+ ई =गर्मी , खेती , सर्दी , गरीबी आदि ।
(xiv) सुंदर , मूर्ख , मनुष्य , लघु , गुरु , सम , कवि , एक , बन्धु+ ता =सुन्दरता , मूर्खता , मनुष्यता , लघुता , गुरुता , समता , कविता , एकता , बन्धुता आदि ।
(xv) बाप , मान+ औती =बपौती , मनौती आदि ।
(xvi) लाघ , गौर , पाट+ अव =लाघव , गौरव , पाटव आदि ।
(xvii) पंडित , धैर , चतुर , मधु+ य =पांडित्य , धैर्य , चातुर्य , माधुर्य आदि ।
(xviii) चौड़ा+आन =चौडान आदि ।
(xix) अपना+ आयत =अपनायत आदि ।
(xx) छूट+ आरा =छुटकारा आदि ।
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय शब्दों से लघुता , प्रियता , हीनता का पता चलता हो उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) ढोल+ क =ढोलक आदि ।
(ii) छाता+ री =छतरी आदि ।
(iii) बूढी , लोटा , डिबा , खाट+ इया =बुढिया , लुटिया , डिबिया , खटिया आदि ।
(iv) टोप , कोठर , टोकन , ढोलक , मण्डल , टोकरा , पहाड़ , घन+ ई =टोपी , कोठरी , टोकनी , ढोलकी , मण्डली , टोकरी , पहाड़ी , घण्टी आदि ।
(v) छोटा , कन+ की =छोटकी , कनकी आदि ।
(vi) चोरी , कालू+ टा =चोट्टा , कलूटा आदि ।
(vii) दुःख , बछ+ डा =दुखड़ा , बछड़ा आदि ।
(viii) पाग , टूक , टांग+ डी =पगड़ी , टुकड़ी , टंगड़ी आदि ।
(ix) खाट+ ली =खटोली आदि ।
(x) बच्चा+ वा =बचवा आदि ।
(xi) लँगोट , कचौट , बहु+ टी =लंगोटी , कछौटी , बहूटी आदि ।
(xii) खाट , साँप+ ओला =खटोला , संपोला आदि ।
(xiii) ठाकुर+आ =ठकुरा आदि ।
(xiv) टीका+ ली =टिकली आदि ।
(xv) मरा+ सा =मरासा आदि ।
4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के लगने से संबंध का पता लगता है उसे संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं इसमें कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) नाना+ हाल =ननिहाल आदि ।
(ii) नाक+ एल =नकेल आदि ।
(iii) ससुर+ आल =ससुराल आदि ।
(iv) बाप+ औती =बपौती आदि ।
(v) लखनऊ , पंजाब , गुजरात , बंगाल , सिंधु+ ई =लखनवी , पंजाबी , गुजराती , बंगाली , सिंधी आदि ।
(vi) फूफा , मामा , चाचा+ ऐरा =फुफेरा , ममेरा , चचेरा आदि ।
(vii) भाई , बहन+ जा =भतीजा , भानजा आदि ।
(viii) पटना , कलकता , जबलपुर , अमृतसर+ इया =पटनिया , कलकतिया , जबलपुरिया , अमृतसरिया आदि ।
(ix) शरीर , नीति , धर्म , अर्थ , लोक , वर्ष , एतिहास+ इक =शारीरिक , नैतिक , धार्मिक , आर्थिक , लौकिक , वार्षिक , ऐतिहासिक आदि ।
(x) दया , श्रद्धा+ आलु =दयालु , श्रद्धालु आदि ।
(xi) फल , पीड़ा , प्रचल , दुःख , मोह+ इत =फलित , पीड़ित , प्रचलित , दुखित , मोहित आदि ।
(xii) रस , रंग , जहर+ ईला =रसीला , रंगीला , जहरीला आदि ।
(xiii) भारत , प्रान्त , नाटक , भवद+ ईय =भारतीय , प्रांतीय , नाटकीय , भवदीय आदि ।
(xiv) विष+ ऐला =विषैला आदि ।
(xv) कठिन+ तर =कठिनतर आदि ।
(xvi) बुद्धि+ मान =बुद्धिमान आदि ।
(xvii) पुत्र , मातृ+ वत =पुत्रवत , मातृवत आदि ।
(xviii) इक+ हरा =इकहरा आदि ।
(xix) नन्द+ ओई =ननदोई आदि ।
(xx) ग्राम , काम , हास् , भव+ य =ग्राम्य , काम्य , हास्य , भव्य आदि ।
(xxi) जट , फेन , बोझ , पंक+ इल =जटिल , फेनिल , बोझिल , पंकिल आदि ।
(xxii) स्वर्ण , अंत , रक्ति+ इम =स्वर्णिम , अंतिम , रक्तिम आदि ।
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द के आंतरिक रूप में परिवर्तन हो जाता है और शब्द का अर्थ अपत्य हो जाता है । इनसे संतान या वंश में पैदा हुए व्यक्ति का बोध होता है उसे अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।इस प्रत्यय में कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार से हैं :-
(i) वसुदेव , मनु , कुरु , रघु , यदु , विष्णु , कुन्ती +अ =वासुदेव , मानव , कौरव , राघव , यादव , वैष्णव , कौन्तेय आदि ।
(ii) नर+ आयन =नारायण आदि ।
(iii) राधा , गंगा , भागिन+ एय =राधेय , गांगेय , भागिनेय आदि ।
(iv) दिति , आदित+ य =दैत्य , आदित्य आदि ।
(v) दशरथ , वाल्मिक , सौमित्र , जनक , द्रोपद , गांधार+ ई =दाशरथि , वाल्मिकी , सौमित्री , जानकी , द्रोपदी , गांधारी आदि ।
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से पदार्थ के गुणों का बोध होता है उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं । इस प्रत्यय से संज्ञा शब्द गुन्वाची हो जाता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) भूख , प्यास , ठंड , मीठ+ आ =भूखा , प्यासा , ठंडा , मीठा आदि ।
(ii) निशा+ अ =नैश आदि ।
(iii) शरीर , नगर , इतिहास+ इक =शारीरिक , नागरिक , ऐतिहासिक आदि ।
(iv) पक्ष , धन , लोभ , क्रोध , गुण , विद्याथ , सुख , ज्ञान , जंगल+ ई =पक्षी , धनी , लोभी , क्रोधी , गुणी , विद्यार्थी , सुखी , ज्ञानी , जंगली आदि ।
(v) बुद्ध+ ऊ =बुद्धू आदि ।
(vi) छूत+ हा =छुतहर आदि ।
(vii) गांजा+ एडी =गंजेड़ी आदि ।
(viii) शाप , पुष्प , आनन्द , क्रोध+ इत =शापित , पुष्पित , आनन्दित , क्रोधित आदि ।
(ix) लाल+ इमा =लालिमा आदि ।
(x) वर+ इष्ठ =वरिष्ठ आदि ।
(xi) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।
(xii) मधु+ र =मधुर आदि ।
(xiii) वत्स+ ल =वत्सल आदि ।
(xiv) माया+ वी =मायावी आदि ।
(xv) कर्क+ श =कर्कश आदि ।
(xvi) चमक , भडक , रंग , सज+ ईला =चमकीला , भडकीला , रंगीला , सजीला आदि ।
(xvii) वांछन , अनुकरण , भारत , रमण+ ईय =वांछनीय , अनुकरणीय , भारतीय , रमणीय आदि ।
(xviii) कृपा , दया , शंका+ लू =कृपालु , दयालु , शंकालु आदि ।
(xix) विष , कस+ ऐला =विषैला , कसैला आदि ।
(xx) दया , कुल+ वंत =दयावन्त , कुलवंत आदि ।
(xxi) गुण , रूप , बल , विद+ वान =गुणवान , रूपवान , बलवान , विद्वान् आदि ।
(xxii) बुद्धि , शक्ति , गति , आयुष+ मान =बुद्धिमान , शक्तिमान , गतिमान , आयुष्मान आदि ।
(xxiii) पश्चात् , पौर्वा , दक्षिण+ त्य =पश्चात्य , पौर्वात्य , दक्षिणात्य आदि ।
(xxiv) सुन+ हरा =सुनहरा आदि ।
(xxv) रूप+ हला =रुपहला आदि ।
7. स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्थान का पता चलता है वहाँ पर स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय होता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) गुजरात , पंजाब , बंगाल , जर्मन+ ई =गुजरती , पंजाबी , बंगाली , जर्मनी आदि ।
(ii) पटना , मुम्बई , नागपुर , जयपुर+ इया =पटनिया , मुम्बईया , नागपुरिया , जयपुरिया आदि ।
(iii) चारा+ गाह =चारागाह आदि ।
(iv) आगा+ आड़ी =अगाड़ी आदि ।
(v) सर्व , यद , तद+ त्र =सर्वत्र , यत्र , तत्र आदि ।
(vi) डेरे , दिल्ली , बनारस , सुरत , चाय+ वाला =डेरेवाला , दिल्लीवाला , बनारसवाला , सुरतवाला , चायवाला आदि ।
(vii) कलक , तिरहु+ तिया =कलकतिया , तिरहुतिया आदि ।
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण आदि पदों के अंत में आँ, अ ओं , तना , भर आदि बहुत से प्रत्यय जोडकर अव्यय वाचक तद्धित प्रत्यय बनाए जाते हैं ।
पद + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सर्व+ दा =सर्वदा आदि ।
(ii) एक+ त्र =एकत्र आदि ।
(iii) कोस+ ओं =कोसों आदि ।
(iv) आप+ स =आपस आदि ।
(v) यह+ आँ =यहाँ आदि ।
(vi) दिन+ भर =दिनभर आदि ।
(vii) धीर+ ए =धीरे आदि ।
(viii) तड़का+ ए =तडके आदि ।
(ix) पीछा+ ए =पीछे आदि ।
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सुन , रूप+ हरा =सुनहरा , रूपहरा आदि ।
(ii) पीला , नीला , काला+ सा =पीला सा , नीला सा , काला सा आदि ।
10. गणना वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से शब्दों में संख्या का पता चले उसे गणना वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पह+ ला =पहला आदि ।
(ii) दुस , तीन+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।
(iii) इक , दु , ति+ हरा =इकहरा , दुहरा , तिहरा आदि ।
(iv) पांच , सात , दस+ वाँ =पांचवां , सातवाँ , दसवां आदि ।
(v) चौ+था =चौथा आदि ।
(vi) दो +गुना =दोगुना आदि ।
11. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्यय की वजह से संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण के साथ लगकर उनके स्त्रीलिंग होने का भेद उत्पन्न हो उन्हें स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जिन प्रत्ययों को लगाने से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) देवा , जेठ , नौकर+ आनी =देवरानी , जेठानी , नौकरानी आदि ।
(ii) रूद्र , इंद्र+ आणी =रुद्राणी , इन्द्राणी आदि ।
(iii) देव , लड़का+ ई =देवी , लडकी आदि ।
(iv) सुत , प्रिय ,छात्र , अनुज+ आ =सुता , प्रिया , छात्रा , अनुजा आदि ।
(v) धोबी , बाघ , माली+ इन =धोबिन , बाघिन , मालिन आदि ।
(vi) ठाकुर , मुंशी+ आइन =ठकुराइन , मुंशियाइन आदि ।
(vii) शेर , मोर+ नी =शेरनी , मोरनी आदि ।
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-दो या ज्यादा वस्तुओं में श्रेष्ठता बताने के लिए तारतम्य वाचक तद्धित प्रत्यय प्रयोग किया जाता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) अधिक , गुरु , लघु+ तर =अधिकतर , गुरुतर , लघुतर आदि ।
(ii) सुंदर , अधिक , लघु+ तम =सुन्दरतम , अधिकतम , लघुतम आदि ।
(iii) गर , वर+ ईय =गरिय , वरीय आदि ।
(iv) गर , वर , कन+ इष्ठ =गरिष्ठ , वरिष्ठ , कनिष्ठ आदि ।
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को लगाने से शब्द में संख्या की पूर्णता का बोध होता है उसे ही पूर्णता वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) प्रथ , पंच , सप्त , नव , दश+ म =प्रथम , पंचम , सप्तम , नवम , दशम आदि ।
(ii) चतुर +थ =चतुर्थ आदि ।
(iii) पष+ ठ =पष्ठ आदि ।
(iv) द्वि , तृ+ तीय =द्वितीय , तृतीय आदि ।
हिंदी के प्रत्ययों को भी संस्कृत के प्रत्ययों की तरह ही जोड़ा जाता है लेकिन इन दोनों में इतना अंतर होता है की संस्कृत में कृत और तद्धित प्रत्यय होते हैं लेकिन हिंदी में तद्भव और देशज प्रत्यय होते हैं । हिंदी के भी अनेक प्रत्ययों को प्रयोग किया जाता है ।इतिहास के अनुसार हिंदी के प्रत्ययों को चार भागों में बांटा गया है ।
हिंदी के भाग :-
1. तत्सम प्रत्यय
2. तद्भव प्रत्यय
3. देशज प्रत्यय
4. विदेशज प्रत्यय
1. तत्सम प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आ– ( स्त्री प्रत्यय , भाववाचक प्रत्यय ) – आदरनीया , प्रिया , माननीया , सुता , इच्छा , पूजा आदि ।
(ii)आनी– ( स्त्री प्रत्यय ) – देवरानी , सेठानी , नौकरानी , भवानी , मेहतरानी आदि ।
(iii)आलु– ( विशेषण प्रत्यय , वाला ) – कृपालु , दयालु , निद्रालु , श्रद्धालु आदि ।
(iv)इत– ( विशेषण प्रत्यय , युक्त ) – पल्लवित , पुष्पित , फलित , हर्षित , निर्मित आदि ।
(v)इमा– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गरिमा , मधुरिमा , लालिमा , महिमा , नीलिमा आदि ।
(vi)इक– ( विशेषण प्रत्यय , संज्ञा प्रत्यय ) – दैनिक , वैज्ञानिक , वैदिक , लौकिक , भौतिक आदि ।
(vii)क– (स्वार्थ , समूह ) – घटक , ठंडक , भटक , शतक , सप्तक आदि ।
(viii)कार– (लिखने वाला , बनाने वाला , वाला ) – पत्रकार , जानकार शिल्पकार आदि ।
(ix)ज– ( जन्मा हुआ ) – अंडज , पिंडज , जलज , पंकज , देशज , विदेशज आदि ।
(x)जीवी– ( जीनेवाला ) – परजीवी , बुद्धजीवी , लघुजीवी , दीर्घजीवी आदि ।
(xi)ज्ञ– ( जाननेवाला ) – अज्ञ , निर्वज्ञ , सर्वज्ञ , विज्ञ , मर्मज्ञ आदि ।
(xii)त: – ( क्रिया विशेषण प्रत्यय ) – लघुतया , विशेषतया , मुख्यतया , सामान्यतया आदि ।
(xiii)तर– ( तुलना बोधक प्रत्यय ) – उच्चतर , अधिकतर , निम्नतर , सुन्द्रतर , श्रेष्ठतर आदि ।
(xiv)तम– ( सर्वधिकता बोधक प्रत्यय ) – उच्चतम , लघुतम , अधिकतम , महत्तम , निकृष्टतम आदि ।
(xv)ता– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – सुन्दरता , नवीनता , मधुरता , अधिकता आदि ।
(xvi)त्व– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – कृतित्व , ममत्व , महत्व , सतीत्व , जनित्व , आदि ।
(xvii)मान– ( विशेषण वाचक प्रत्यय ) – स्वाभिमान , मेहमान , निर्मान आदि ।
(xviii)वान– ( वाला ) – गुणवान , धनवान , बलवान , रूपवान आदि ।
2. तद्भव प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)अंगड– ( वाला ) – बतंगड , कटंगड आदि ।
(ii)अंतू– ( वाला ) – रटंतू , घुमंतू , जीवंतू आदि ।
(iii)अत– ( संज्ञा प्रत्यय ) – खपत , लिखत , रंगत ,चढत , पढ्त आदि ।
(iv)आँध– ( संज्ञा प्रत्यय ) – विषांध , सरांध आदि ।
(v)आ– ( भाववाचक प्रत्यय ) – जोड़ा , फोड़ा , रगडा , झगड़ा , तगड़ा आदि ।
(vi)आई– ( भाववाचक प्रत्यय ) – कठिनाई , बुराई , सफाई , लिखाई , छपाई , जमाई आदि ।
(vii)आऊ– ( वाला ) – खाऊ , टिकाऊ , बिकाऊ , पण्डिताऊ , जडाऊ आदि ।
(viii)आप/आपा – ( भाववाचक प्रत्यय ) – मिलाप , अपनापा , पुजापा , बुढ़ापा आदि ।
(ix)आर– ( करनेवाला ) – कुम्हार , लुहार , चम्हार , त्यौहार आदि ।
(x)आरा– ( करनेवाला ) – घसियारा , हथियारा आदि ।
(xi)आरी– ( करनेवाला ) – पुजारी , भिखारी , जुआरी आदि ।
(xii)आलू– ( करनेवाला ) – कृपालु , झगड़ालू , दयालु आदि ।
(xiii)आवट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – लिखावट , सजावट , बनावट , कसावट , बिनावट आदि ।
(xiv)आस– ( इच्छावाचक प्रत्यय ) – छपास , लिखास , निकास , प्यास , खास आसी ।
(xv)आहत– ( भाववाचक प्रत्यय ) – भलमनसाहत आदि ।
(xvi)आहट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गडगडाहट , घबराहट , चिल्लाहट आदि ।
(xvii)इन– ( स्त्री प्रत्यय ) – जुलाहिन , ठकुराइन , तेलिन , पुजारिन , सेठाइन आदि ।
(xviii)इया– ( वाला , लघुत्व , बोधक , स्त्री प्रत्यय ) – चुटिया , घटिया , चुहिया , डिबिया , भोजपुरिया , जयपुरिया , नागपुरिया , कनौजिया आदि ।
(xix)इला– ( वाला ) – चमकीला , भडकीला , पथरीला , शर्मिला , उर्मिला आदि ।
(xx)एरा– ( वाला ) – चचेरा , ममेरा , बहुतेरा , फुफेरा आदि ।
(xxi)औडा / औडी– ( लिंगवाचक प्रत्यय ) – सेवड़ा , रेवड़ी , पकौड़ा आदि ।
(xxii)त– ( भाववाचक प्रत्यय ) – चाहत , मिल्लत , मोहित , लिखित आदि ।
(xxiii)ता– ( कर्मवाचक प्रत्यय ) – आता , सोता , खाता , पिता , पीता , जगता , जाता आदि ।
(xxiv)पन– ( भाववाचक प्रत्यय ) – बचपन , पागलपन , बड़प्पन , लडकपन , छुटपन आदि ।
(xxv)वाला– ( कृतवाचक प्रत्यय , विशेषण प्रत्यय ) – अपनेवाला , ऊपरवाला , खानेवाला, जानेवाला , लालवाला , लिखनेवाला , छापनेवाला आदि ।
3. देशज प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)अक्कड़– ( वाला ) – घुमक्कड़ ,पियक्कड़ , भुलक्कड़ आदि ।
(ii)अड़– ( स्वार्थिक ) – अंधड़ , भुक्खड़ आदि ।
(iii)आक– ( भाववाचक प्रत्यय ) – खर्राटा , फर्राटा , सर्राटा आदि ।
(iv)इयल– ( वाला ) – अडियल , दढ़ियल , सडियल आदि ।
4. विदेशज प्रत्यय :-विदेशज प्रत्यय को दो भागों में बाँटा जाता है ।
विदेशज के भाग :-
1. अरबी फारसी प्रत्यय
2. अंगेजी प्रत्यय
1. अरबी फारसी प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आ-( भाववाचक प्रत्यय ) – सफेदा , खराबा आदि ।
(ii)आना– ( भाववाचक , विशेषण वाचक प्रत्यय ) – जुर्माना , दस्ताना , मर्दाना ,मस्ताना , दस्ताना आदि ।
(iii)आनी– ( संबंधवाचक प्रत्यय ) – जिस्मानी , मर्दानी , बर्फानी , रूहानी आदि ।
(iv)कार– ( करनेवाला ) – काश्तकार , शिल्पकार , दस्तकार , पेशकार , सलाहकार आदि ।
(v)खोर– ( खाने वाला ) – गमखोर , घूसखोर , रिश्वतखोर , हरामखोर आदि ।
(vi)गार– ( करनेवाला ) – परहेजगार , मददगार , यादगार , रोजगार , बेरोजगार आदि ।
(vii)गी– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – जिन्दगी , गंदगी , बन्दगी आदि ।
(viii)चा– ( वाला ) – देगचा , बगीचा आदि ।
(ix)ची– ( वाला ) – बगीची , इलायची , डोलची , संदुकची आदि ।
(x)दान– ( स्थिति वाचक ) – इत्रदान , कलमदान , पीकदान आदि ।
(xi)दार– ( वाला ) – ईमानदार , कर्जदार दुकानदार , मालदार आदि ।
(xii)नाक– ( वाला ) – खतरनाक , खौफनाक , दर्दनाक ,शर्मनाक आदि ।
(xiii)बान– ( वाला ) – दरबान , बागबान , मेजबान आदि ।
(xiv)मंद– (वाला ) – अक्लमंद , जरुरतमन्द आदि ।
2. अंग्रेजी प्रत्यय :-
(i)इज्म– ( वाद , मत ) – कम्युनिज्म , बुद्धिज्म , सोशिलिज्म आदि ।
(ii)इस्ट– ( वादी , व्यक्ति ) – कम्युनिष्ट , बुद्धिस्ट , सोशलिष्ट आदि ।
1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय
2. भाववाचक प्रत्यय
3. संबंध वाचक प्रत्यय
4. लघुतावाचक प्रत्यय
5. गणना वाचक प्रत्यय
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय
7. गुणवाचक प्रत्यय
8. स्थान वाचक प्रत्यय
1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से कार्य करने वाले का पता चले उसे कर्त्तृवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सोना , लोहा , चम , कुम्ह+ आर =सुनार , लोहार , चमार , कुम्हार आदि ।
(ii) चट ,खद , नद+ ओरा =चटोरा , खदोरा , नदोरा आदि ।
(iii) दुःख , सुख , रस+ इया =दुखिया , सुखिया , रसिया आदि ।
(iv) मर , सड , दढ़+ इयल =मरियल , सडियल , दढ़ियल आदि ।
(v) साँप , लुट , कस , लखे+ एरा =सपेरा, लुटेरा, कसेरा, लखेरा आदि ।
(vi) घर , तांगा , झाड़ू , मोटर , रख , लिखना+ वाला =घरवाला, ताँगेवाला, झाड़ूवाला, मोटरवाला , रखवाला , लिखनेवाला आदि ।
(vii) गा , रख , खी+ वैया =गवैया, नचैया, रखवैया, खिवैया आदि ।
(viii) लकड़ी , पानी+ हारा =लकड़हारा, पनिहारा आदि ।
(ix) राख , चाख+ हार =राखनहार, चाखनहार आदि ।
(x) भूल , घूम , पिय+ अक्कड़ =भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़ आदि ।
(xi) लड़+ आकू =लड़ाकू आदि ।
(xii) खेल+ आड़ी =खिलाडी आदि ।
(xiii) भाग+ओडा =भगोड़ा आदि ।
2. भाववाचक प्रत्यय क्या होता है :- जिन प्रत्ययोंके प्रयोग से भाव का पता चलता है उसे भाववाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) प्यास , सुख , रुख , लेख , भूख+ आ =प्यासा , सूखा , रुखा , लेखा , भूखा आदि ।
(ii) मीठा , रंग , सिल , भला+ आई =मिठाई, रंगाई, सिलाई, भलाई आदि ।
(iii) धम , धड , भड+ आका =धमाका, धड़ाका, भड़ाका आदि ।
(iv) मोटा , बुढा , रंड+ आपा =मुटापा, बुढ़ापा, रण्डापा आदि ।
(v) चिकना , कडवा , घबडा , गरमा , घबरा+ आहट =चिकनाहट, कड़वाहट, घबड़ाहट, गरमाहट , घबराहट आदि ।
(vi) मीठा , खट , भड+ आस= मिठास, खटास, भड़ास आदि ।
3. संबंध वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से संबंध का पता चलता है उसे संबंध वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) बहन , नन्द , रस+ ओई =बहनोई, ननदोई, रसोई आदि ।
(ii) खेल , पह , अन+ आड़ी =खिलाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी आदि ।
(iii) चाचा , मामा , मौसा , फूफा+ एरा =चचेरा, ममेरा, मौसेरा, फुफेरा आदि ।
(iv) लोहा , सोना , मनी+ आरी =लुहारी, सुनारी, मनिहारी आदि ।
(v) नानी , ससुर+ आल =ननिहाल, ससुराल आदि ।
4. लघुता वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से लघुता या न्यूनता का बोध होता है उसे लघुता वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) रस्सा , कटोरा , टोकरा , ढोलक , लिखना + ई = रस्सी, कटोरी, टोकरी, ढोलकी , लिखाई आदि ।
(ii) टांग , टुक , पग , बछ + डी = टंगड़ी , टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी आदि ।
(iii) खाट , लोटा , चोटी , डीबी , पुड़ी + इया = खटिया, लुटिया, चुटिया, डिबिया, पुड़िया आदि ।
(iv) मुख , दुःख , चम + डा = मुखड़ा, दुखड़ा, चमड़ा आदि ।
(v) खाट , मध , साँप + ओला = खटोला, मझोला, सँपोला आदि ।
5. गणना वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से गणना वाचक संख्या का पता चले उसे गणना वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) चौ+ था =चौथा आदि ।
(ii)दुस , तिस+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।
(iii) पह+ ला =पहला आदि ।
(iv) पाँच , दस , सात , आठ+ वाँ =पाँचवाँ , दसवाँ , सातवाँ , आठवाँ आदि ।
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों के बीच समानता का पता चले उसे सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) मुझ , तुझ , नीला , चाँद , गुलाब , कमल + सा = मुझ–सा, तुझ–सा, नीला–सा, चाँद–सा, गुलाब–सा ,कमल सा आदि ।
(ii) दु , ति , चौ + हरा = दुहरा, तिहरा, चौहरा आदि ।
(iii) सुन , रूप + हला = सुनहला , रुपहला आदि ।
7. गुणवाचक प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्ययों को प्रयोग करने से गुण का पता चले उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार है :-
(i) मीठ , ठंड , प्यास , भूख , प्यार+ आ =मीठा, ठंडा, प्यासा, भूखा, प्यारा आदि ।
(ii) लच , गँठ , सज , रंग , चमक , रस+ ईला =लचीला, गँठीला, सजीला, रंगीला, चमकीला, रसीला आदि ।
(iii) मटम , कष , विष+ ऐला =मटमैला, कषैला, विषैला आदि ।
(iv) बट , पंडित , नामधार , खट+ आऊ =बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ आदि ।
(v) कला , कुल , दया+ वन्त =कलावन्त, कुलवन्त, दयावन्त आदि ।
(vi) मूर्ख , लघु , कठोर , मृदु+ ता =मूर्खता, लघुता, कठोरता, मृदुता आदि ।
8. स्थान वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से किसी स्थान का पता चले उसे स्थान वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पंजाब , गुजरात , मराठ , अजमेर , बीकानेर , बनारस , जयपुर+ ई =पंजाबी, गुजराती, मराठी, अजमेरी, बीकानेरी, बनारसी, जयपुरी आदि ।
(ii) अमृतसर , भोजपुर , जयपुर , जमिलपुर+ इया =अमृतसरिया, भोजपुरिया, जयपुरिया, जालिमपुरिया आदि ।
(iii) हरी , राजपूत , तेलंगा+ आना =हरियाना, राजपूताना, तेलंगाना आदि ।
(iv) हरियाणा , देहल+ वी =हरियाणवी, देहलवी आदि ।
1.अ– शैव, वैष्णव, तैल, पार्थिव, मानव, पाण्डव, वासुदेव, लूट, मार, तोल, लेख, पार्थ, दानव, यादव, भार्गव, माधव, जय, लाभ, विचार, चाल, लाघव, शाक्त, मेल, बौद्ध।
2.अक– चालक, पावक, पाठक, लेखक, पालक, विचारक, खटक, धावक, गायक, नायक, दायक।
3.अक्कड़– भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़, रुअक्कड़, फक्कड़, लक्कड़।
4.अंत– गढ़ंत, लड़ंत, भिड़ंत, रटंत, लिपटंत, कृदन्त, फलंत।
5.अन्तर– रुपान्तर, मतान्तर, मध्यान्तर, समानान्तर, देशांतर, भाषांतर।
6.अतीत– कालातीत, आशातीत, गुणातीत, स्मरणातीत।
7.अंदाज– तीरंदाज, गोलंदाज, बर्कंदाज, बेअंदाज।
8.अंध– सड़ांध, मदांध, धर्माँध, जन्मांध, दोषांध।
9.अधीन– कर्माधीन, स्वाधीन, पराधीन, देवाधीन, विचाराधीन, कृपाधीन, निर्णयाधीन, लेखकाधीन, प्रकाशकाधीन।
10.अन– लेखन, पठन, वादन, गायन, हवन, गमन, झाड़न, जूठन, ऐँठन, चुभन, मंथन, वंदन, मनन, चिँतन, ढ़क्कन, मरण, चलन, जीवन।
11.अना– भावना, कामना, प्रार्थना।
12.अनीय– तुलनीय, पठनीय, दर्शनीय।
13.अन्वित– क्रोधान्वित, दोषान्वित, लाभान्वित, भयान्वित, क्रियान्वित, गुणान्वित।
14.अन्वय– पदान्वय, खंडान्वय।
15.अयन– रामायण, नारायण, अन्वयन।
16.आ– प्यासा, लेखा, फेरा, जोड़ा, प्रिया, मेला, ठंडा, भूखा, छाता, छत्रा, हर्जा, खर्चा, पीड़ा, रक्षा, झगड़ा, सूखा, रुखा, अटका, भटका, मटका, भूला, बैठा, जागा, पढ़ा, भागा, नाचा, पूजा, मैला, प्यारा, घना, झूला, ठेला, घेरा, मीठा।
17.आइन– ठकुराइन, पंडिताइन, मुंशियाइन।
18.आई– लड़ाई, चढ़ाई, भिड़ाई, लिखाई, पिसाई, दिखाई, पंडिताई, भलाई, बुराई, अच्छाई, बुनाई, कढ़ाई, सिँचाई, पढ़ाई, उतराई।
19.आऊ– दिखाऊ, टिकाऊ, बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ, चलाऊ, उपजाऊ, बिकाऊ, खाऊ, जलाऊ, कमाऊ, टरकाऊ, उठाऊ।
20.आक– लड़ाक, तैराक, चालाक, खटाक, सटाक, तड़ाक, चटाक।
21.आका– धमाका, धड़ाका, भड़ाका, लड़ाका, फटाका, चटाका, खटाका, तड़ाका, इलाका।
22.आकू– लड़ाकू, पढ़ाकू, उड़ाकू, चाकू।
23.आकुल– भयाकुल, व्याकुल।
24.आटा– सन्नाटा, खर्राटा, फर्राटा, घर्राटा, झपाटा, थर्राटा।
25.आड़ी– कबाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी, पिछाड़ी।
26.आढ्य– धनाढ्य, गुणाढ्य।
27.आतुर– प्रेमातुर, रोगातुर, कामातुर, चिँतातुर, भयातुर।
28.आन– उड़ान, पठान, चढ़ान, नीचान, उठान, लदान, मिलान, थकान, मुस्कान।
29.आना– नजराना, हर्जाना, घराना, तेलंगाना, राजपूताना, मर्दाना, जुर्माना, मेहनताना, रोजाना, सालाना।
30.आनी– देवरानी, जेठानी, सेठानी, गुरुआनी, इंद्राणी, नौकरानी, रूहानी, मेहतरानी, पंडितानी।
31.आप– मिलाप, विलाप, जलाप, संताप।
32.आपा– बुढ़ापा, मुटापा, रण्डापा, बहिनापा, जलापा, पुजापा, अपनापा।
33.आब– गुलाब, शराब, शबाब, कबाब, नवाब, जवाब, जनाब, हिसाब, किताब।
34.आबाद– नाबाद, हैदराबाद, अहमदाबाद, इलाहाबाद, शाहजहाँनाबाद।
35.आमह– पितामह, मातामह।
36.आयत– त्रिगुणायत, पंचायत, बहुतायत, अपनायत, लोकायत, टीकायत, किफायत, रियायत।
37.आयन– दांड्यायन, कात्यायन, वात्स्यायन, सांस्कृत्यायन।
38.आर– कुम्हार, सुनार, लुहार, चमार, सुथार, कहार, गँवार, नश्वार।
39.आरा– बनजारा, निबटारा, छुटकारा, हत्यारा, घसियारा, भटियारा।
40.आरी– पुजारी, सुनारी, लुहारी, मनिहारी, कोठारी, बुहारी, भिखारी, जुआरी।
41.आरु– दुधारु, गँवारु, बाजारु।
42.आल– ससुराल, ननिहाल, घड़ियाल, कंगाल, बंगाल, टकसाल।
43.आला– शिवाला, पनाला, परनाला, दिवाला, उजाला, रसाला, मसाला।
44.आलु– ईर्ष्यालु, कृपालु, दयालु।
45.आलू– झगड़ालू, लजालू, रतालू, सियालू।
46.आव– घेराव, बहाव, लगाव, दुराव, छिपाव, सुझाव, जमाव, ठहराव, घुमाव, पड़ाव, बिलाव।
47.आवर– दिलावर, दस्तावर, बख्तावर, जोरावर, जिनावर।
48.आवट– लिखावट, थकावट, रुकावट, बनावट, तरावट, दिखावट, सजावट, घिसावट।
49.आवना– सुहावना, लुभावना, डरावना, भावना।
50.आवा– भुलावा, बुलावा, चढ़ावा, छलावा, पछतावा, दिखावा, बहकावा, पहनावा।
51.आहट– कड़वाहट, चिकनाहट, घबराहट, सरसराहट, गरमाहट, टकराहट, थरथराहट, जगमगाहट, चिरपिराहट, बिलबिलाहट, गुर्राहट, तड़फड़ाहट।
52.आस– खटास, मिठास, प्यास, बिँदास, भड़ास, रुआँस, निकास, हास, नीचास, पलास।
53.आसा– कुहासा, मुँहासा, पुंडासा, पासा, दिलासा।
54.आस्पद– घृणास्पद, विवादास्पद, संदेहास्पद, उपहासास्पद, हास्यास्पद।
55.ओई– बहनोई, ननदोई, रसोई, कन्दोई।
56.ओड़ा– भगोड़ा, हँसोड़ा, थोड़ा।
57.ओरा– चटोरा, कटोरा, खदोरा, नदोरा, ढिँढोरा।
58.ओला– खटोला, मँझोला, बतोला, बिचोला, फफोला, सँपोला, पिछोला।
59.औटा– बिलौटा, हिरनौटा, पहिलौटा, बिनौटा।
60.औता– फिरौता, समझौता, कठौता।
61.औती– चुनौती, बपौती, फिरौती, कटौती, कठौती, मनौती।
62.औना– घिनौना, खिलौना, बिछौना, सलौना, डिठौना।
63.औनी– घिनौनी, बिछौनी, सलौनी।
64.इंदा– परिँदा, चुनिँदा, शर्मिँदा, बाशिँदा, जिन्दा।
65.इ– दाशरथि, मारुति, राघवि, वारि, सारथि, वाल्मीकि।
66.इक– मानसिक, मार्मिक, पारिश्रमिक, व्यावहारिक, ऐतिहासिक, पार्श्विक, सामाजिक, पारिवारिक, औपचारिक, भौतिक, लौकिक, नैतिक, वैदिक, प्रायोगिक, वार्षिक, मासिक, दैनिक, धार्मिक, दैहिक, प्रासंगिक, नागरिक, दैविक, भौगोलिक।
67.इका– नायिका, पत्रिका, निहारिका, लतिका, बालिका, कलिका, लेखिका, सेविका, प्रेमिका।
68.इकी– वानिकी, मानविकी, यांत्रिकी, सांख्यिकी, भौतिकी, उद्यानिकी।
69.इत– लिखित, कथित, चिँतित, याचित, खंडित, पोषित, फलित, द्रवित, कलंकित, हर्षित, अंकित, शोभित, पीड़ित, कटंकित, रचित, चलित, तड़ित, उदित, गलित, ललित, वर्जित, पठित, बाधित, रहित, सहित।
70.इतर– आयोजनेतर, अध्ययनेतर, सचिवालयेतर।
71.इत्य– लालित्य, आदित्य, पांडित्य, साहित्य, नित्य।
72.इन– मालिन, कठिन, बाघिन, मालकिन, मलिन, अधीन, सुनारिन, चमारिन, पुजारिन, कहारिन।
73.इनी– भुजंगिनी, यक्षिणी, सरोजिनी, वाहिनी, हथिनी, मतवालिनी।
74.इम– अग्रिम, रक्तिम, पश्चिम, अंतिम, स्वर्णिम।
75.इमा– लालिमा, गरिमा, लघिमा, पूर्णिमा, हरितिमा, मधुरिमा, अणिमा, नीलिमा, महिमा।
76.इयत– इंसानियत, कैफियत, माहियत, हैवानित, खासियत, खैरियत।
77.इयल– मरियल, दढ़ियल, चुटियल, सड़ियल, अड़ियल।
78.इया– लठिया, बिटिया, चुटिया, डिबिया, खटिया, लुटिया, मुखिया, चुहिया, बंदरिया, कुतिया, दुखिया, सुखिया, आढ़तिया, रसोइया, रसिया, पटिया, चिड़िया, बुढ़िया, अमिया, गडरिया, मटकिया, लकुटिया, घटिया, रेशमिया, मजाकिया, सुरतिया।
79.इल– पंकिल, रोमिल, कुटिल, जटिल, धूमिल, तुंडिल, फेनिल, बोझिल, तमिल, कातिल।
80.इश– मालिश, फरमाइश, पैदाइश, पैमाइश, आजमाइश, परवरिश, कोशिश, रंजिश, साजिश, नालिश, कशिश, तफ्तिश, समझाइश।
81.इस्तान– कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, नखलिस्तान, कजाकिस्तान।
82.इष्णु– सहिष्णु, वर्घिष्णु, प्रभाविष्णु।
83.इष्ट– विशिष्ट, स्वादिष्ट, प्रविष्ट।
84.इष्ठ– घनिष्ठ, बलिष्ठ, गरिष्ठ, वरिष्ठ।
85.ई– गगरी, खुशी, दुःखी, भेदी, दोस्ती, चोरी, सर्दी, गर्मी, पार्वती, नरमी, टोकरी, झंडी, ढोलकी, लंगोटी, भारी, गुलाबी, हरी, सुखी, बिक्री, मंडली, द्रोपदी, वैदेही, बोली, हँसी, रेती, खेती, बुहारी, धमकी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, जयपुरी, मद्रासी, पहाड़ी, देशी, सुन्दरी, ब्राह्मणी, गुणी, विद्यार्थी, क्रोधी, लालची, लोभी, पाखण्डी, विदुषी, विदेशी, अकेली, सखी, साखी, अलबेली, सरकारी, तन्दुरी, सिन्दुरी, किशोरी, हेराफेरी, कामचोरी।
86.ईचा– बगीचा, गलीचा, सईचा।
87.ईन– प्रवीण, शौकीन, प्राचीन, कुलीन, शालीन, नमकीन, रंगीन, ग्रामीण, नवीन, संगीन, बीन, तारपीन, गमगीन, दूरबीन, मशीन, जमीन।
88.ईना– कमीना, महीना, पश्मीना, नगीना, मतिहीना, मदीना, जरीना।
89.ईय– भारतीय, जातीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, भवदीय, पठनीय, पाणिनीय, शास्त्रीय, वायवीय, पूजनीय, वंदनीय, करणीय, राजकीय, देशीय।
90.ईला– रसीला, जहरीला, पथरीला, कंकरीला, हठीला, रंगीला, गँठीला, शर्मीला, सुरीला, नुकीला, बर्फीला, भड़कीला, नशीला, लचीला, सजीला, फुर्तीला।
91.ईश– नदीश, कपीश, कवीश, गिरीश, महीश, हरीश, सतीश।
92.उ– सिँधु, लघु, भानु, गुरु, अनु, भिक्षु, शिशु, , वधु, तनु, पितु, बुद्धु, शत्रु, आयु।
93.उक– भावुक, कामुक, भिक्षुक, नाजुक।
94.उवा/उआ – मछुआ, कछुआ, बबुआ, मनुआ, कलुआ, गेरुआ।
95.उल– मातुल, पातुल।
96.ऊ– झाडू, बाजारू, घरू, झेँपू, पेटू, भोँपू, गँवारू, ढालू।
97.ऊटा– कलूटा।
98.ए– चले, पले, फले, ढले, गले, मिले, खड़े, पड़े, डरे, मरे, हँसे, फँसे, जले, किले, काले, ठहरे, पहरे, रोये, चने, पहने, गहने, मेरे, तेरे, तुम्हारे, हमारे, सितारे, उनके, उसके, जिसके, बकरे, कचरे, लुटेरे, सुहावने, डरावने, झूले, प्यारे, घने, सूखे, मैले, थैले, बेटे, लेटे, आए, गए, छोटे, बड़े, फेरे, दूसरे।
99.एड़ी– नशेड़ी, भँगेड़ी, गँजेड़ी।
100.एय– गांगेय, आग्नेय, आंजनेय, पाथेय, कौँतेय, वार्ष्णेय, मार्कँडेय, कार्तिकेय, राधेय।
101.एरा– लुटेरा, सपेरा, मौसेरा, चचेरा, ममेरा, फुफेरा, चितेरा, ठठेरा, कसेरा, लखेरा, भतेरा, कमेरा, बसेरा, सवेरा, अन्धेरा, बघेरा।
102.एल– फुलेल, नकेल, ढकेल, गाँवड़ेल।
103.एला– बघेला, अकेला, सौतेला, करेला, मेला, तबेला, ठेला, रेला।
104.एत– साकेत, संकेत, अचेत, सचेत, पठेत।
105.ऐत– लठैत, डकैत, लड़ैत, टिकैत, फिकैत।
106.ऐया– गवैया, बजैया, रचैया, खिवैया, रखैया, कन्हैया, लगैया।
107.ऐल– गुस्सैल, रखैल, खपरैल, मुँछैल, दँतैल, बिगड़ैल।
108.ऐला– विषैला, कसैला, वनैला, मटैला, थनैला, मटमैला।
109.क– बालक, सप्तक, दशक, अष्टक, अनुवादक, लिपिक, चालक, शतक, दीपक, पटक, झटक, लटक, खटक।
110.कर– दिनकर, दिवाकर, रुचिकर, हितकर, प्रभाकर, सुखकर, प्रलंयकर, भयंकर, पढ़कर, लिखकर, चलकर, सुनकर, पीकर, खाकर, उठकर, सोकर, धोकर, जाकर, आकर, रहकर, सहकर, गाकर, छानकर, समझकर, उलझकर, नाचकर, बजाकर, भूलकर, तड़पकर, सुनाकर, चलाकर, जलाकर, आनकर, गरजकर, लपककर, भरकर, डरकर।
111.करण– सरलीकरण, स्पष्टीकरण, गैसीकरण, द्रवीकरण, पंजीकरण, ध्रुवीकरण।
112.कल्प– कुमारकल्प, कविकल्प, भृतकल्प, विद्वतकल्प, कायाकल्प, संकल्प, विकल्प।
113.कार– साहित्यकार, पत्रकार, चित्रकार, संगीतकार, काश्तकार, शिल्पकार, ग्रंथकार, कलाकार, चर्मकार, स्वर्णकार, गीतकार, बलकार, बलात्कार, फनकार, फुँफकार, हुँकार, छायाकार, कहानीकार, अंधकार, सरकार।
114.का– गुटका, मटका, छिलका, टपका, छुटका, बड़का, कालका।
115.की– बड़की, छुटकी, मटकी, टपकी, अटकी, पटकी।
116.कीय– स्वकीय, परकीय, राजकीय, नाभिकीय, भौतिकीय, नारकीय, शासकीय।
117.कोट– नगरकोट, पठानकोट, राजकोट, धूलकोट, अंदरकोट।
118.कोटा– परकोटा।
119.खाना– दवाखाना, तोपखाना, कारखाना, दौलतखाना, कैदखाना, मयखाना, छापाखाना, डाकखाना, कटखाना।
120.खोर– मुफ्तखोर, आदमखोर, सूदखोर, जमाखोर, हरामखोर, चुगलखोर।
121.ग– उरग, विहग, तुरग, खड़ग।
122.गढ़– जयगढ़, देवगढ़, रामगढ़, चित्तौड़गढ़, कुशलगढ़, कुम्भलगढ़, हनुमानगढ़, लक्ष्मणगढ़, डूँगरगढ़, राजगढ़, सुजानगढ़, किशनगढ़।
123.गर– जादूगर, नीलगर, कारीगर, बाजीगर, सौदागर, कामगर, शोरगर, उजागर।
124.गाँव– चिरगाँव, गोरेगाँव, गुड़गाँव, जलगाँव।
125.गा– तमगा, दुर्गा।
126.गार– कामगार, यादगार, रोजगार, मददगार, खिदमतगार।
127.गाह– ईदगाह, दरगाह, चरागाह, बंदरगाह, शिकारगाह।
128.गी– मर्दानगी, जिँदगी, सादगी, एकबारगी, बानगी, दीवानगी, ताजगी।
129.गीर– राहगीर, उठाईगीर, जहाँगीर।
130.गीरी– कुलीगीरी, मुँशीगीरी, दादागीरी।
131.गुना– दुगुना, तिगुना, चौगुना, पाँचगुना, सौगुना।
132.ग्रस्त– रोगग्रस्त, तनावग्रस्त, चिन्ताग्रस्त, विवादग्रस्त, व्याधिग्रस्त, भयग्रस्त।
133.घ्न– कृतघ्न, पापघ्न, मातृघ्न, वातघ्न।
134.चर– जलचर, नभचर, निशाचर, थलचर, उभयचर, गोचर, खेचर।
135.चा– देगचा, चमचा, खोमचा, पोमचा।
136.चित्– कदाचित्, किँचित्, कश्चित्, प्रायश्चित्।
137.ची– अफीमची, तोपची, बावरची, नकलची, खजांची, तबलची।
138.ज– अंबुज, पयोज, जलच, वारिज, नीरज, अग्रज, अनुज, पंकज, आत्मज, सरोज, उरोज, धीरज, मनोज।
139.जा– आत्मजा, गिरिजा, शैलजा, अर्कजा, भानजा, भतीजा, भूमिजा।
140.जात– नवजात, जलजात, जन्मजात।
141.जादा– शहजादा, रईसजादा, हरामजादा, नवाबजादा।
142.ज्ञ– विशेषज्ञ, नीतिज्ञ, मर्मज्ञ, सर्वज्ञ, धर्मज्ञ, शास्त्रज्ञ।
143.ठ– कर्मठ, जरठ, षष्ठ।
144.ड़ा– दुःखड़ा, मुखड़ा, पिछड़ा, टुकड़ा, बछड़ा, हिँजड़ा, कपड़ा, चमड़ा, लँगड़ा।
145.ड़ी– टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी, चमड़ी, दमड़ी, पंखुड़ी, अँतड़ी, टंगड़ी, लँगड़ी।
146.त– आगत, विगत, विश्रुत, रंगत, संगत, चाहत, कृत, मिल्लत, गत, हत, व्यक्त, बचत, खपत, लिखत, पढ़त, बढ़त, घटत, आकृष्ट, तुष्ट, संतुष्ट (सम्+तुष्+त)।
147.तन– अधुनातन, नूतन, पुरातन, सनातन।
148.तर– अधिकतर, कमतर, कठिनतर, गुरुतर, ज्यादातर, दृढ़तर, लघुतर, वृहत्तर, उच्चतर, कुटिलतर, दृढ़तर, निम्नतर, निकटतर, महत्तर।
149.तम– प्राचीनतम, नवीनतम, तीव्रतम, उच्चतम, श्रेष्ठतम, महत्तम, विशिष्टतम, अधिकतम, गुरुतम, दीर्घतम, निकटतम, न्यूनतम, लघुतम, वृहत्तम, सुंदरतम, उत्कृष्टतम।
150.ता– श्रोता, वक्ता, दाता, ज्ञाता, सुंदरता, मधुरता, मानवता, महत्ता, बंधुता, दासता, खाता, पीता, डूबता, खेलता, महानता, रमता, चलता, प्रभुता, लघुता, गुरुता, समता, कविता, मनुष्यता, कर्त्ता, नेता, भ्राता, पिता, विधाता, मूर्खता, विद्वता, कठोरता, मृदुता, वीरता, उदारता।
151.ति– गति, मति, पति, रति, शक्ति, भक्ति, कृति।
152.ती– ज्यादती, कृती, ढ़लती, कमती, चलती, पढ़ती, फिरती, खाती, पीती, धरती, भरती, जागती, भागती, सोती, धोती, सती।
153.तः– सामान्यतः, विशेषतः, मूलतः, अंशतः, अंततः, स्वतः, प्रातः, अतः।
154.त्र– एकत्र, सर्वत्र, अन्यत्र, नेत्र, पात्र, अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र, चरित्र, क्षेत्र, पत्र, सत्र।
155.त्व– महत्त्व, लघुत्व, स्त्रीत्व, नेतृत्व, बंधुत्व, व्यक्तित्व, पुरुषत्व, सतीत्व, राजत्व, देवत्व, अपनत्व, नारीत्व, पत्नीत्व, स्वामित्व, निजत्व।
156.थ– चतुर्थ, पृष्ठ (पृष्+थ), षष्ठ (षष्+थ)।
157.था– सर्वथा, अन्यथा, चौथा, प्रथा, पृथा, वृथा, कथा, व्यथा।
158.थी– सारथी, परमार्थी, विद्यार्थी।
159.द– जलद, नीरद, अंबुद, पयोद, वारिद, दुःखद, सुखद, अंगद, मकरंद।
160.दा– सर्वदा, सदा, यदा, कदा, परदा, यशोदा, नर्मदा।
161.दान– पानदान, कद्रदान, रोशनदान, कलमदान, इत्रदान, पीकदान, खानदान, दीपदान, धूपदान, पायदान, कन्यादान, शीशदान, भूदान, गोदान, अन्नदान, वरदान, वाग्दान, अभयदान, क्षमादान, जीवनदान।
162.दानी– मच्छरदानी, चूहेदानी, नादानी, वरदानी, खानदानी।
163.दायक– आनन्ददायक, सुखदायक, कष्टदायक, पीड़ादायक, आरामदायक, फलदायक।
164.दायी– आनन्ददायी, सुखदायी, उत्तरदायी, कष्टदायी, फलदायी।
165.दार– मालदार, हिस्सेदार, दुकानदार, हवलदार, थानेदार, जमीँदार, फौजदार, कर्जदार, जोरदार, ईमानदार, लेनदार, देनदार, खरीददार, जालीदार, गोटेदार, लहरदार, धारदार, धारीदार, सरदार, पहरेदार, बूँटीदार, समझदार, हवादार, ठिकानेदार, ठेकेदार, परतदार, शानदार, फलीदार, नोकदार।
166.दारी– समझदारी, खरीददारी, ईमानदारी, ठेकेदारी, पहरेदारी, लेनदारी, देनदारी।
167.दी– वरदी, सरदी, दर्दी।
168.धर– चक्रधर, हलधर, गिरिधर, महीधर, विद्याधर, गंगाधर, फणधर, भूधर, शशिधर, विषधर, धरणीधर, मुरलीधर, जलधर, जालन्धर, शृंगधर, अधर, किधर, उधर, जिधर, नामधर।
169.धा– बहुधा, अभिधा, समिधा, विविधा, वसुधा, नवधा।
170.धि– पयोधि, वारिधि, जलधि, उदधि, संधि, विधि, निधि, अवधि।
171.न– नमन, गमन, बेलन, चलन, फटकन, झाड़न, धड़कन, लगन, मिलन, साजन, जलन, फिसलन, ऐँठन, उलझन, लटकन, फलन, राजन, मोहन, सौतन, भवन, रोहन, जीवन, प्रण, प्राण, प्रमाण, पुराण, ऋण, परिमाण, तृण, हरण, भरण, मरण।
172.नगर– गंगानगर, श्रीनगर, रामनगर, संजयनगर, जयनगर, चित्रनगर।
173.नवीस– फड़नवीस, खबरनवीस, नक्शानवीश, चिटनवीस, अर्जीनवीस।
174.नशीन– पर्दानशीन, गद्दीनशीन, तख्तनशीन, जाँनशीन।
175 .ना– नाचना, गाना, कूदना, टहलना, मारना, पढ़ना, माँगना, दौड़ना, भागना, तैरना, भावना, कामना, कमीना, महीना, नगीना, मिलना, चलना, खाना, पीना, हँसना, जाना, रोना, तृष्णा।
176.नाक– दर्दनाक, शर्मनाक, खतरनाक, खौफनाक।
177.नाम– अनाम, गुमनाम, सतनाम, सरनाम, हरिनाम, प्रणाम, परिणाम।
178.नामा– अकबरनामा, राजीनामा, मुख्तारनामा, सुलहनामा, हुमायूँनामा, अर्जीनामा, रोजनामा, पंचनामा, हलफनामा।
179.निष्ठ– कर्मनिष्ठ, योगनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, राजनिष्ठ, ब्रह्मनिष्ठ।
180.नी –मिलनी, सूँघनी, कतरनी, ओढ़नी, चलनी, लेखनी, मोरनी, चोरनी, चाँदनी, छलनी, धौँकनी, मथनी, कहानी, करनी, जीवनी, छँटनी, नटनी, चटनी, शेरनी, सिँहनी, कथनी, जननी, तरणी, तरुणी, भरणी, तरनी, मँगनी, सारणी।
181.नीय– आदरणीय, करणीय, शोचनीय, सहनीय, दर्शनीय, नमनीय।
182.नु– शान्तनु, अनु, तनु, भानु, समनु।
183.प– महीप, मधुप, जाप, समताप, मिलाप, आलाप।
184.पन– लड़कपन, पागलपन, छुटपन, बचपन, बाँझपन, भोलापन, बड़प्पन, पीलापन, अपनापन, गँवारपन, आलसीपन, अलसायापन, वीरप्पन, दीवानापन।
185.पाल– द्वारपाल, प्रतिपाल, महीपाल, गोपाल, राज्यपाल, राजपाल, नागपाल, वीरपाल, सत्यपाल, भोपाल, भूपाल, कृपाल, नृपाल।
186.पाली– आम्रपाली, भोपाली, रुपाली।
187.पुर– अन्तःपुर, सीतापुर, रामपुर, भरतपुर, धौलपुर, गोरखपुर, फिरोजपुर, फतेहपुर, जयपुर।
188.पुरा– जोधपुरा, हरिपुरा, श्यामपुरा, जालिमपुरा, नरसिँहपुरा।
189.पूर्वक– विधिपूर्वक, दृढ़तापूर्वक, निश्चयपूर्वक, सम्मानपूर्वक, श्रद्धापूर्वक, बलपूर्वक, प्रयासपूर्वक, ध्यानपूर्वक।
190.पोश– मेजपोश, नकाबपोश, सफेदपोश, पलंगपोश, जीनपोश, चिलमपोश।
191.प्रद– लाभप्रद, हानिप्रद, कष्टप्रद, संतोषप्रद, उत्साहप्रद, हास्यप्रद।
192.बंद– कमरबंद, बिस्तरबंद, बाजूबंद, हथियारबंद, कलमबंद, मोहरबंद, बख्तरबंद, नजरबंद।
193.बंदी– चकबंदी, घेराबंदी, हदबंदी, मेड़बंदी, नाकाबंदी।
194.बाज– नशेबाज, दगाबाज, चालबाज, धोखेबाज, पतंगबाज, खेलबाज।
195.बान– मेजबान, गिरहबान, दरबान, मेहरबान।
196.बीन– तमाशबीन, दूरबीन, खुर्दबीन।
197.भू– प्रभु (प्र+भू), स्वयंभू।
198.मंद– दौलतमंद, फायदेमंद, अक्लमंद, जरूरतमंद, गरजमंद, मतिमंद, भरोसेमंद।
199.म– हराम, जानम, कर्म (कृ+म), धर्म, मर्म, जन्म, मध्यम, सप्तम, छद्म, चर्म, रहम, वहम, प्रीतम, कलम, हरम, श्रम, परम।
200.मत्– श्रीमत्।
201.मत– जनमत, सलामत, रहमत, बहुमत, कयामत।
202.मती– श्रीमती, बुद्धिमती, ज्ञानमती, वीरमती, रूपमती।
203मय– दयामय, जलमय, मनोमय, तेजोमय, विष्णुमय, अन्नमय, तन्मय, चिन्मय, वाङ्मय, अम्मय, भक्तिमय।
204.मात्र– नाममात्र, लेशमात्र, क्षणमात्र, पलमात्र, किँचित्मात्र।
205.मान– बुद्धिमान, मूर्तिमान, शक्तिमान, शोभायमान, चलायमान, गुंजायमान, हनुमान, श्रीमान, कीर्तिमान, सम्मान, सन्मान, मेहमान।
206.य– दृश्य, सादृश्य, लावण्य, वात्सल्य, सामान्य, दांपत्य, सानिध्य, तारुण्य, पाशचात्य, वैधव्य, नैवेद्य, धैर्य, गार्हस्थ्य, सौभाग्य, सौजन्य, औचित्य, कौमार्य, शौर्य, ऐश्वर्य, साम्य, प्राच्य, पार्थक्य, पाण्डित्य, सौन्दर्य, माधुर्य, स्तुत्य, वन्द्य, खाद्य, पूज्य, नृत्य।
207.या– शय्या, विद्य, चर्या, मृगया, समस्या, क्रिया, खोया, गया, आया, खाया, गाया, कमाया, जगाया, हँसाया, सताया, पढ़ाया, भगाया, हराया, खिलाया, पिलाया।
208.र– नम्र, शुभ्र, क्षुद्र, मधुर, नगर, मुखर, पाण्डुर, कुंजर, प्रखर, विधुर, भ्रमर, कसर, कमर, खँजर, कहार, बहार, सुनार।
209.रा– दूसरा, तीसरा, आसरा, कमरा, नवरात्रा, पिटारा, निबटारा, सहारा।
210.री– बाँसुरी, गठरी, छतरी, चकरी, चाकरी, तीसरी, दूसरी, भोजपुरी, नागरी, जोधपुरी, बीकानेरी, बकरी, वल्लरी।
211.रू– दारू, चारू, शुरू, घुंघरू, झूमरू, डमरू।
212.ल– मंजुल, शीतल, पीतल, ऊर्मिल, घायल, पायल, वत्सल, श्यामल, सजल, कमल, कायल, काजल, सवाल, कमाल।
213.ला– अगला, पिछला, मँझला, धुँधला, लाड़ला, श्यामला, कमला, पहला, नहला, दहला।
214.ली– सूतली, खुजली, ढपली, घंटाली, सूपली, टीकली, पहली, जाली, खाली, सवाली।
215.वंत– बलवंत, दयावंत, भगवंत, कुलवंत, जामवंत, कलावंत।
216. व – केशव, राजीव, विषुव, अर्णव, सजीव, रव, शव।
217.वत्– पुत्रवत्, विधिवत्, मातृवत्, पितृवत्, आत्मवत्, यथावत्।
218.वर– प्रियवर, स्थावर, ताकतवर, ईश्वर, नश्वर, जानवर, नामवर, हिम्मतवर, मान्यवर, वीरवर, स्वयंवर, नटवर, कमलेश्वर, परमेश्वर, महेश्वर।
219.वाँ– पाँचवाँ, सातवाँ, दसवाँ, पिटवाँ, चुनवाँ, ढलवाँ, कारवाँ, आठवाँ।
220.वा– बचवा, पुरवा, बछवा, मनवा।
221.वाई– बनवाई, सुनवाई, तुलवाई, लदवाई, पिछवाई, हलवाई, पुरवाई।
222.वाड़ा– रजवाड़ा, हटवाड़ा, जटवाड़ा, पखवाड़ा, बाँसवाड़ा, भीलवाड़ा, दंतेवाड़ा।
223.वाड़ी– फुलवाड़ी, बँसवाड़ी।
224.वान्– रूपवान्, भाग्यवान्, धनवान्, दयावान्, बलवान्।
225.वान– गुणवान, कोचवान, गाड़ीवान, प्रतिभावान, बागवान, धनवान, पहलवान।
226.वार– उम्मीदवार, माहवार, तारीखवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, कदवार, पतवार, वंदनवार।
227.वाल– कोतवाल, पल्लीवाल, पालीवाल, धारीवाल।
228.वाला– पानवाला, लिखनेवाला, दूधवाला, पढ़नेवाला, रखवाला, हिम्मतवाला, दिलवाला, फलवाला, रिक्शेवाला, ठेलेवाला, घरवाला, ताँगेवाला।
229.वाली– घरवाली, बाहरवाली, मतवाली, ताँगेवाली, नखरावाली, कोतवाली।
230.वास– रनिवास, वनवास।
231.वी– तेजस्वी, तपस्वी, मेधावी, मायावी, ओजस्वी, मनस्वी, जाह्नवी, लुधियानवी।
232.वैया– गवैया, खिवैया, रचैया, लगैया, बजैया।
233.व्य– तालव्य, मंतव्य, कर्तव्य, ज्ञातव्य, ध्यातव्य, श्रव्य, वक्तव्य, दृष्टव्य।
234.श– कर्कश, रोमश, लोमश, बंदिश।
235.शः– क्रमशः, कोटिशः, शतशः, अक्षरशः।
236.शाली– प्रतिभाशाली, गौरवशाली, शक्तिशाली, भाग्यशाली, बलशाली।
237.शील– धर्मशील, सहनशील, पुण्यशील, दानशील, विचारशील, कर्मशील।
238.शाही– लोकशाही, तानाशाही, इमामशाही, कुतुबशाही, नौकरशाही, बादशाही, झाड़शाही, अमरशाही, विजयशाही।
239.सा– मुझ-सा, तुझ-सा, नीला-सा, मीठा-सा, चिकीर्षा, पिपासा, जिज्ञासा, लालसा, चिकित्सा, मीमांसा, चाँद-सा, गुलाब-सा, प्यारा-सा, छोटा-सा, पीला-सा, आप-सा।
240.साज– जालसाज, जीनसाज, घड़ीसाज, जिल्दसाज।
241.सात्– आत्मसात्, भस्मसात्, जलसात्, अग्निसात्, भूमिसात्।
242.सार– मिलनसार, एकसार, शर्मसार, खाकसार।
243.स्थ– तटस्थ, मार्गस्थ, उदरस्थ, हृदयस्थ, कंठस्थ, मध्यस्थ, गृहस्थ, दूरस्थ, अन्तःस्थ।
244.हर– मनोहर, खंडहर, दुःखहर, विघ्नहर, नहर, पीहर, कष्टहर, नोहर, मुहर।
245.हरा– इकहरा, दुहरा, तिहरा, चौहरा, सुनहरा, रूपहरा, छरहरा।
246.हार– तारनहार, पालनहार, होनहार, सृजनहार, राखनहार, खेवनहार, खेलनहार, सेवनहार, नौसरहार, गलहार, कंठहार।
247.हारा– लकड़हारा, चूड़ीहारा, मनिहारा, पणिहारा, सर्वहारा, तारनहारा, मारनहारा, पालनहारा।
248.हीन– कर्महीन, बुद्धिहीन, कुलहीन, बलहीन, शक्तिहीन, मतिहीन, विद्याहीन, धनहीन, गुणहीन।
249.हुआ– चलता हुआ, सुनता हुआ, पढ़ता हुआ, करता हुआ, रोता हुआ, पीता हुआ, खाता हुआ, हँसता हुआ, भागता हुआ, दौड़ता हुआ, हाँफता हुआ, निकलता हुआ, गिरता हुआ, तैरता हुआ, सोचता हुआ, नाचता हुआ, गाता हुआ, बहता हुआ, बुझता हुआ, डूबता हुआ।
(ग) विदेशी प्रत्यय क्या होता है :-विदेशी प्रत्ययों को दो भागों में बाँटा गया है ।
विदेशी प्रत्यय के भाग :-उर्दू के कुछ प्रत्यय अरबी फारसी में भी प्रयोग किये जाते हैं ।
प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आबाद= अहमदाबाद, इलाहाबाद , हैदराबाद आदि ।
(ii)खाना= दवाखाना, छापाखाना आदि ।
(iii)गर= जादूगर, बाजीगर, शोरगर , सौदागर , कारीगर आदि ।
(iv)ईचा= बगीचा, गलीचा आदि ।
(v)ची= खजानची, मशालची, तोपची , बाबरची , तबलची , अफीमची आदि ।
(vi)दार= मालदार, दूकानदार, जमीँदार , हिस्सेदार , थानेदार आदि ।
(vii)दान= कलमदान, पीकदान, पायदान आदि ।
(viii)वान= कोचवान, बागवान आदि ।
(ix)बाज= नशेबाज, दगाबाज , चालबाज आदि ।
(x)मंद= अक्लमन्द, भरोसेमन्द , जरुरतमन्द , ऐहसानमंद आदि ।
(xi)नाक= दर्दनाक, शर्मनाक आदि ।
(xii)गीर= राहगीर, जहाँगीर आदि ।
(xiii)गी= दीवानगी, ताजगी , सादगी आदि ।
(xiv)गार= यादगार, रोजगार , मददगार , गुनहगार आदि ।
(xv)इन्दा= परिन्दा, बाशिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा आदि ।
(xvi)इश= फरमाइश, पैदाइश, रंजिश आदि ।
(xvii)इस्तान= कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान आदि ।
(xviii)खोर= हरामखोर, घूसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर आदि ।
(xix)गाह= ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह आदि ।
(xx)गिरी= कुलीगीरी, मुंशीगीरी आदि ।
(xxi)नवीस= नक्शानवीस, अर्जीनवीस आदि ।
(xxii)नामा= अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा आदि ।
(xxiii)बंद= हथियारबन्द, नजरबन्द, मोहरबन्द आदि ।
(xxiv)साज= जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज आदि ।
जातिवाचक से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संस्कृत की तत्सम जातिवाचक संज्ञाओं के पीछे तद्धित प्रत्यय लगाकर उसे भाववाचक संज्ञाएँ बना दी जाती है ।
संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) शत्रु , वीर+ ता =शत्रुता ,वीरता आदि ।
(ii) गुरु , मनुष्य+ त्व =गुरुत्व , मनुष्यत्व आदि ।
(iii) मुनि+ अ =मौन आदि ।
(iv) पंडित+ य =पांडित्य आदि ।
(v) रक्त+ इमा =रक्तिमा आदि ।
व्यक्तिवाचक से अपत्यवाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-जब किसी नाम के पीछे तद्धित प्रत्यय जोड़ते हैं तब जो संज्ञा बनती है उसे अपत्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।
व्यक्ति वाचक संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = अपत्यवाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) वसुदेव , मनु , कुरु , प्रथा , पांडू+ अ =वासुदेव , मानव , कौरव , पार्थ , पाण्डव आदि ।
(ii) दिति+ य =दैत्य आदि ।
(iii) बदर+ आयन =बादरायण आदि ।
(iv) राधा , कुन्ती+ एय =राधेय , कौन्तेय आदि ।
विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-विशेषण संज्ञा के पीछे संस्कृत के तद्धित प्रत्यय जोड़ने से जो संज्ञा बनती है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।
विशेषण संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) बुद्धिमान , मूर्ख , शिष्ट+ ता =बुद्धिमता , मूर्खता , शिष्टता आदि ।
(ii) रक्त , शुक्ल+ इमा =रक्तिमा , शुक्लिमा आदि ।
(iii) वीर , लघु+ त्व =वीरत्व , लघुत्व आदि ।
(iv) गुरु , लघु+ अ =गौरव , लाघव आदि ।
संज्ञा से विशेषण संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संज्ञा के अंत में संस्कृत के गुण , भाव तथा तद्धित प्रत्यय को जोडकर विशेषण संज्ञा बनती हैं ।
संज्ञा + प्रत्यय = विशेषण संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) निशा+ अ =नैश आदि ।
(ii) तालु , ग्राम+ य =तालव्य , ग्राम्य आदि ।
(iii) मुख , लोक+ इक =मौखिक , लौकिक आदि ।
(iv) आनन्द , फल+ इत =आनन्दित , फलित आदि ।
(v) बल+ इष्ठ =बलिष्ठ आदि ।
(vi) निष्ठ+ कर्म =कर्मनिष्ठ आदि ।
(vii) मुख , मधु+ र =मुखर , मधुर आदि ।
(viii) रक्त+ इम =रक्तिम आदि ।
(ix) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।
(x) मांस +ल= मांसल आदि ।
(xi) मेधा +वी= मेधावी आदि ।
(xii) तन्द्रा+ इल =तन्द्रिल आदि ।
(xiii) तन्द्रा+ लु =तंद्रालु आदि ।
वर्ण और ध्वनि के समूह को व्याकरण में शब्द कहा जाता है।
शब्द दो प्रकार के होते हैं
इतिहास या स्रोत के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है।
व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं।
संज्ञा नाम का पर्याय है | विश्व की मूर्त एवं अमूर्त सभी वस्तुओं का कोई न कोई नाम अवश्य होता है | यह नाम ही संज्ञा है | जैसे –मोहन ने दिल्ली में सुन्दर बिरला मंदिर देखा |यह वाक्य में दिल्ली स्थान का नाम है; मोहन एक व्यक्ति का नाम है, सुंदर एक गुण का नाम है तथा बिरला मदिर एक इमारत का नाम है | इस प्रकार ये क्रमश: स्थान, व्यक्ति, गुण तथा वस्तु का नाम है | अत: ये सभी संज्ञा कहलाएंगी | अत: कहा जा सकता है – “जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान प्राणी अथवा भाव का बोध होता है, उन्हेंसंज्ञाकहते है |
संज्ञा के भेद-
संज्ञा के मुख्य रूप से पांच भेद होते है –
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) –जिन संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, नदियों, शहरों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचार पत्रों, दिनों, महीनों आदि के नाम आते है |
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) –जिस संज्ञा शब्द से किस जाति से सम्पूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूलों, धातुओं, व्यवसाय-संबंधी व्यक्तियों, नगरों, गाँवों, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते है |
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) –जिन संज्ञा शब्दों में किसी पदार्थ या धातु का बोध होता है और जिनसे अनेक धातुएं बनती है उन्हेंद्रव्यवाचक संज्ञाकहा जाता है | जैसे – स्टील, लोहा, पीतल, दूध, घी, चांवल, गेहूं, प्लास्टिक, सोना-चांदी, लकड़ी, ऊन, पारा आदि |
समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun) –जो संज्ञा शब्द कसी समुदाय या समूह का बोध कराते हैसमूहवाचक संज्ञाकहलाते है | सभा, भीड़, परिवार, सेना, कक्ष, पुलिस, समिति आदि समूहवाचक संज्ञा शब्द है |
भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) –जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, अवस्था भाव आदि का बोध कराए उन्हेंभाववाचक संज्ञाकहते है | जैसे-सुन्दरता, लंबाई, भूख, प्यास, थकावट, चोरी, क्रोध, ममता आदि | भाववाचक संज्ञा शब्दों का संबंध हमारे भावों से होता है | इनका स्पर्श भी नहीं किया जा सकता | ये अमूर्त (केवल अनुभव किये जाने वाले) शब्द होते है |
व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाव वाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाए एसे व्यक्ति की और संकेत करती है जो समाज में दुर्लभ गुणों के कारण अलग पहचाने जाते है | जैसे- हरिश्चन्द्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (महात्मा), जयचंद (विस्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी) आदि | कभी-कभी इन गुणों की चर्चा ण करके उनके स्थान पर उन व्यक्तियों के नाम लिख दिए जाते है; जैसे – इस देश में जयचंदों की कमी नहीं है, यह जयचंद शब्द देश द्रोही के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है | जातिवाचक संज्ञा में समान प्रयोग होने के कारण व्यक्तिवाचक व्यक्तिवाचक शब्द बहुवचन में प्रयोग किये जाते है |
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –
कभी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ़ हो जाती है | तब केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लग जाती है जैसे-
पंडित जीहमारे देश के प्रथम प्रधान मंत्री थे | यहाँ पंडित जी जातिवाचक संज्ञा शब्द है किन्तु भूतपूर्व प्रधानमंत्री मंडित जवाहरलाल नेहरु अर्थात व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है | इस प्रकार यहाँ जातिवाचक संज्ञा काव्यक्तिवाचक संज्ञाके रूप में प्रयोग किया गया है |
भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –
जब भाववाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होती है तो वह जातिवाचक रूप धारण कर लेती है | यथा –
बुराई से बुराइयां – बुराइयों से बचो
दुरी से दूरियां – जाने कब हम दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई |
प्रार्थना से प्रार्थनाएं – सच्ची प्रार्थनाएं कभी व्यर्थ नहीं जाती है |
भाववाचक संज्ञाओं की रचना –
भाववाचक संज्ञाए रूढ़ भी होती है तथा निर्मित भी | निर्मित भाववाचक संज्ञाएँ पांच प्रकार के शब्दों से बनती है –
संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।
जैसे-प्राणियों के नाम-मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि।
वस्तुओ के नाम-अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि।
स्थानों के नाम-कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि
भावों के नाम-वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि
यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है।
साधारण अर्थ में ‘वस्तु’ का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।
संज्ञा के पाँच भेद होते है-
(1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
(2)जातिवाचक (Common noun)
(3)भाववाचक (Abstract noun)
(4)समूहवाचक (Collective noun)
(5)द्रव्यवाचक (Material noun)
(1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे-
व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।
वस्तु का नाम-कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।
स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।
दिशाओं के नाम-उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।
देशों के नाम-भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।
राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमेरिकी।
समुद्रों के नाम-काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।
नदियों के नाम-गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।
पर्वतों के नाम-हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।
नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।
पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।
ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।
दिनों, महीनों के नाम-मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।
त्योहारों, उत्सवों के नाम-होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।
(2) जातिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘जातिवाचक संज्ञा’ हैं।
जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।
‘लड़का’से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।
‘पशु-पक्षयों’से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।
‘वस्तु’से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।
‘नदी’से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।
‘मनुष्य’कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।
‘पहाड़’कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।
(3)भाववाचक संज्ञा:-थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘भाववाचक संज्ञाएँ’ हैं।
इस प्रकार-
जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में‘उत्साह’से मन का भाव है।‘ईमानदारी’से गुण का बोध होता है।‘बचपन’जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।
हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। ‘धर्म, गुण, अर्थ’ और ‘भाव’ प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञाा | जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञाा |
---|---|---|---|
स्त्री- | स्त्रीत्व | भाई- | भाईचारा |
मनुष्य- | मनुष्यता | पुरुष- | पुरुषत्व, पौरुष |
शास्त्र- | शास्त्रीयता | जाति- | जातीयता |
पशु- | पशुता | बच्चा- | बचपन |
दनुज- | दनुजता | नारी- | नारीत्व |
पात्र- | पात्रता | बूढा- | बुढ़ापा |
लड़का- | लड़कपन | मित्र- | मित्रता |
दास- | दासत्व | पण्डित- | पण्डिताई |
अध्यापक- | अध्यापन | सेवक- | सेवा |
(2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना
विशेषण | भाववाचक संज्ञा | विशेषण | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
लघु- | लघुता, लघुत्व, लाघव | वीर- | वीरता, वीरत्व |
एक- | एकता, एकत्व | चालाक- | चालाकी |
खट्टा- | खटाई | गरीब- | गरीबी |
गँवार- | गँवारपन | पागल- | पागलपन |
बूढा- | बुढ़ापा | मोटा- | मोटापा |
नवाब- | नवाबी | दीन- | दीनता, दैन्य |
बड़ा- | बड़ाई | सुंदर- | सौंदर्य, सुंदरता |
भला- | भलाई | बुरा- | बुराई |
ढीठ- | ढिठाई | चौड़ा- | चौड़ाई |
लाल- | लाली, लालिमा | बेईमान- | बेईमानी |
सरल- | सरलता, सारल्य | आवश्यकता- | आवश्यकता |
परिश्रमी- | परिश्रम | अच्छा- | अच्छाई |
गंभीर- | गंभीरता, गांभीर्य | सभ्य- | सभ्यता |
स्पष्ट- | स्पष्टता | भावुक- | भावुकता |
अधिक- | अधिकता, आधिक्य | गर्म- | गर्मी |
सर्द- | सर्दी | कठोर- | कठोरता |
मीठा- | मिठास | चतुर- | चतुराई |
सफेद- | सफेदी | श्रेष्ठ- | श्रेष्ठता |
मूर्ख- | मूर्खता | राष्ट्रीय | राष्ट्रीयता |
(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया | भाववाचक संज्ञा | क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
खोजना- | खोज | सीना- | सिलाई |
जीतना- | जीत | रोना- | रुलाई |
लड़ना- | लड़ाई | पढ़ना- | पढ़ाई |
चलना- | चाल, चलन | पीटना- | पिटाई |
देखना- | दिखावा, दिखावट | समझना- | समझ |
सींचना- | सिंचाई | पड़ना- | पड़ाव |
पहनना- | पहनावा | चमकना- | चमक |
लूटना- | लूट | जोड़ना- | जोड़ |
घटना- | घटाव | नाचना- | नाच |
बोलना- | बोल | पूजना- | पूजन |
झूलना- | झूला | जोतना- | जुताई |
कमाना- | कमाई | बचना- | बचाव |
रुकना- | रुकावट | बनना- | बनावट |
मिलना- | मिलावट | बुलाना- | बुलावा |
भूलना- | भूल | छापना- | छापा, छपाई |
बैठना- | बैठक, बैठकी | बढ़ना- | बाढ़ |
घेरना- | घेरा | छींकना- | छींक |
फिसलना- | फिसलन | खपना- | खपत |
रँगना- | रँगाई, रंगत | मुसकाना- | मुसकान |
उड़ना- | उड़ान | घबराना- | घबराहट |
मुड़ना- | मोड़ | सजाना- | सजावट |
चढ़ना- | चढाई | बहना- | बहाव |
मारना- | मार | दौड़ना- | दौड़ |
गिरना- | गिरावट | कूदना- | कूद |
(4) संज्ञा से विशेषण बनाना
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|---|
अंत- | अंतिम, अंत्य | अर्थ- | आर्थिक |
अवश्य- | आवश्यक | अंश- | आंशिक |
अभिमान- | अभिमानी | अनुभव- | अनुभवी |
इच्छा- | ऐच्छिक | इतिहास- | ऐतिहासिक |
ईश्र्वर- | ईश्र्वरीय | उपज- | उपजाऊ |
उन्नति- | उन्नत | कृपा- | कृपालु |
काम- | कामी, कामुक | काल- | कालीन |
कुल- | कुलीन | केंद्र- | केंद्रीय |
क्रम- | क्रमिक | कागज- | कागजी |
किताब- | किताबी | काँटा- | कँटीला |
कंकड़- | कंकड़ीला | कमाई- | कमाऊ |
क्रोध- | क्रोधी | आवास- | आवासीय |
आसमान- | आसमानी | आयु- | आयुष्मान |
आदि- | आदिम | अज्ञान- | अज्ञानी |
अपराध- | अपराधी | चाचा- | चचेरा |
जवाब- | जवाबी | जहर- | जहरीला |
जाति- | जातीय | जंगल- | जंगली |
झगड़ा- | झगड़ालू | तालु- | तालव्य |
तेल- | तेलहा | देश- | देशी |
दान- | दानी | दिन- | दैनिक |
दया- | दयालु | दर्द- | दर्दनाक |
दूध- | दुधिया, दुधार | धन- | धनी, धनवान |
धर्म- | धार्मिक | नीति- | नैतिक |
खपड़ा- | खपड़ैल | खेल- | खेलाड़ी |
खर्च- | खर्चीला | खून- | खूनी |
गाँव- | गँवारू, गँवार | गठन- | गठीला |
गुण- | गुणी, गुणवान | घर- | घरेलू |
घमंड- | घमंडी | घाव- | घायल |
चुनाव- | चुनिंदा, चुनावी | चार- | चौथा |
पश्र्चिम- | पश्र्चिमी | पूर्व- | पूर्वी |
पेट- | पेटू | प्यार- | प्यारा |
प्यास- | प्यासा | पशु- | पाशविक |
पुस्तक- | पुस्तकीय | पुराण- | पौराणिक |
प्रमाण- | प्रमाणिक | प्रकृति- | प्राकृतिक |
पिता- | पैतृक | प्रांत- | प्रांतीय |
बालक- | बालकीय | बर्फ- | बर्फीला |
भ्रम- | भ्रामक, भ्रांत | भोजन- | भोज्य |
भूगोल- | भौगोलिक | भारत- | भारतीय |
मन- | मानसिक | मास- | मासिक |
माह- | माहवारी | माता- | मातृक |
मुख- | मौखिक | नगर- | नागरिक |
नियम- | नियमित | नाम- | नामी, नामक |
निश्र्चय- | निश्र्चित | न्याय- | न्यायी |
नौ- | नाविक | नमक- | नमकीन |
पाठ- | पाठ्य | पूजा- | पूज्य, पूजित |
पीड़ा- | पीड़ित | पत्थर- | पथरीला |
पहाड़- | पहाड़ी | रोग- | रोगी |
राष्ट्र- | राष्ट्रीय | रस- | रसिक |
लोक- | लौकिक | लोभ- | लोभी |
वेद- | वैदिक | वर्ष- | वार्षिक |
व्यापर- | व्यापारिक | विष- | विषैला |
विस्तार- | विस्तृत | विवाह- | वैवाहिक |
विज्ञान- | वैज्ञानिक | विलास- | विलासी |
विष्णु- | वैष्णव | शरीर- | शारीरिक |
शास्त्र- | शास्त्रीय | साहित्य- | साहित्यिक |
समय- | सामयिक | स्वभाव- | स्वाभाविक |
सिद्धांत- | सैद्धांतिक | स्वार्थ- | स्वार्थी |
स्वास्थ्य- | स्वस्थ | स्वर्ण- | स्वर्णिम |
मामा- | ममेरा | मर्द- | मर्दाना |
मैल- | मैला | मधु- | मधुर |
रंग- | रंगीन, रँगीला | रोज- | रोजाना |
साल- | सालाना | सुख- | सुखी |
समाज- | सामाजिक | संसार- | सांसारिक |
स्वर्ग- | स्वर्गीय, स्वर्गिक | सप्ताह- | सप्ताहिक |
समुद्र- | सामुद्रिक, समुद्री | संक्षेप- | संक्षिप्त |
सुर- | सुरीला | सोना- | सुनहरा |
क्षण- | क्षणिक | हवा- | हवाई |
(5) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
---|---|---|---|
लड़ना- | लड़ाकू | भागना- | भगोड़ा |
अड़ना- | अड़ियल | देखना- | दिखाऊ |
लूटना- | लुटेरा | भूलना- | भुलक्कड़ |
पीना- | पियक्कड़ | तैरना- | तैराक |
जड़ना- | जड़ाऊ | गाना- | गवैया |
पालना- | पालतू | झगड़ना- | झगड़ालू |
टिकना- | टिकाऊ | चाटना- | चटोर |
बिकना- | बिकाऊ | पकना- | पका |
(6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा | सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
अपना- | अपनापन /अपनाव | मम- | ममता/ ममत्व |
निज- | निजत्व, निजता | पराया- | परायापन |
स्व- | स्वत्व | सर्व- | सर्वस्व |
अहं- | अहंकार | आप- | आपा |
(7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा
मन्द- मन्दी;
दूर- दूरी;
तीव्र- तीव्रता;
शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।
(8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा
परस्पर- पारस्पर्य;
समीप- सामीप्य;
निकट- नैकट्य;
शाबाश- शाबाशी;
वाहवाह- वाहवाही
धिक्- धिक्कार
शीघ्र- शीघ्रता
(4)समूहवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।
(5)द्रव्यवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।
संज्ञाओं के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-
(क) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक-कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में होता है। जैसे- ‘पुरी’ से जगत्राथपुरी का ‘देवी’ से दुर्गा का, ‘दाऊ’ से कृष्ण के भाई बलदेव का, ‘संवत्’ से विक्रमी संवत् का, ‘भारतेन्दु’ से बाबू हरिश्र्चन्द्र का और ‘गोस्वामी’ से तुलसीदासजी का बोध होता है। इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।
(ख) व्यक्तिवाचक : जातिवाचक-कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे- गाँधी अपने समय के कृष्ण थे; यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है; तुम कलियुग के भीम हो इत्यादि।
(ग) भाववाचक : जातिवाचक-कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है। उदाहरणार्थ- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है। यहाँ ‘पहरावा’ भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ। ‘पहरावे’ से ‘पहनने के वस्त्र’ का बोध होता है।
संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।
लिंग के अनुसार
नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।
इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।
वचन के अनुसार
लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।
कारक- चिह्नों के अनुसार
लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।
इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-
बिना कारक-चिह्न के-लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)
कारक-चिह्नों के साथ-लड़कों ने खाना खाया।
लड़कियों ने खाना खाया।
लड़कों से पूछो।
लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।
सरल शब्दों में-सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं।
सर्वनाम यानी सबके लिए नाम। इसका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है। आइए देखें, कैसे? राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है।
आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।
इस प्रकार,
संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि सर्वनाम शब्द हैं। अन्य सर्वनाम शब्द भी इन्हीं शब्दों से बने हैं, जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से अपना रूप बदलते हैं; जैसे-
राधा नृत्य करती है। राधा का गाना भी अच्छा होता है। राधा गरीबों की मदद करती है।
राधा नृत्य करती है। उसका गाना भी अच्छा होता है। वह गरीबों की मदद करती है।
आप- अपना, यह- इस, इसका, वह- उस, उसका।
अन्य उदाहरण
(1)’सुभाष’ एक विद्यार्थी है।
(2)वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।
उपयुक्त वाक्यों में‘सुभाष’शब्द संज्ञा है तथा इसके स्थान परवह, उसके, उसेशब्द संज्ञा (सुभाष) के स्थान पर प्रयोग किये गए है। इसलिए ये सर्वनाम है।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। ‘लड़का’ कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु ‘वह’ कहने से पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।
सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम(Personal pronoun)
(2)निश्चयवाचक सर्वनाम(Demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम(Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम(Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम(Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम(Reflexive Pronoun)
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
(i)उत्तम पुरुषवाचक(ii)मध्यम पुरुषवाचक(iii)अन्य पुरुषवाचक
(i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।
उदाहरण-मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
यह कविता मैंने लिखी है।
बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई।
मैंने उसे धोखा नहीं दिया।
(ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।
उदाहरण-तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
तुम सो जाओ।
तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ?
तू घर देर से क्यों पहुँचा ?
तुमसे कुछ काम है।
(iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।
उदाहरण-वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।
वह कल विद्यालय नहीं आया था।
उसे कुछ मत कहना।
उन्हें रोको मत, जाने दो।
इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम:-सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।
सरल शब्दों में-जो सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है।
किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम:-जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था।
पानी में कुछ गिर गया है।
यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
(4)संबंधवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम वाक्य में प्रयुक्त किसी अन्य सर्वनाम से सम्बंधित हों, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘वैसा’ का सम्बंध ‘जैसा’ के साथ तथा ‘उसकी’ का सम्बन्ध ‘जिसकी’ के साथ सदैव रहता है। अतः ये संबंधवाचक सर्वनाम है।
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम:-जो सर्वनाम शब्द सवाल पूछने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में-प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
टोकरी में क्या रखा है।
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो?
उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।
(6) निजवाचक सर्वनाम:-‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना।
इस प्रकार,
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।
‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है।
उदाहरण-
आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक)
आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय)
ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)
‘निजवाचक सर्वनाम’ का रूप ‘आप’ है। लेकिन पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले ‘आप’ से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ‘आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- आप मेरे सिर-आखों पर है; आप क्या राय देते है ? किन्तु, निजवाचक ‘आप’ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
निजवाचक सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थो में होता है-
(क) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्र्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं ‘आप’ वहीं से आया हूँ; मैं ‘आप’ वही कार्य कर रहा हूँ।
(ख) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और ‘आप’ चलते बने; वह औरों को नहीं, ‘अपने’ को सुधार रहा है।
(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आप’ भला तो जग भला; ‘अपने’ से बड़ों का आदर करना उचित है।
(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे- मैं ‘आप ही’ चला आता था; यह काम ‘आप ही’; मैं यह काम ‘आप ही’ कर लूँगा।
रूस के हिन्दी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे ‘संयुक्त सर्वनाम’ कहा है। उन्हीं के शब्दों में, ‘संयुक्त सर्वनाम’ पृथक श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भित्रता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतन्त्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।
इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।
सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपान्तर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।
संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
सर्वनाम में केवल सात कारक होते है। सम्बोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-
मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा;तुम-तुम्हें, तुम्हारा;हम-हमें, हमारा;वह-उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको;यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे;कौन-किसने, किसको, किसे।
संज्ञा शब्दों की भाँति ही सर्वनाम शब्दों की भी रूप-रचना होती। सर्वनाम शब्दों के प्रयोग के समय जब इनमें कारक चिह्नों का प्रयोग करते हैं, तो इनके रूप में परिवर्तन आ जाता है।
(‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | मैं, मैंने | हम, हमने |
कर्म | मुझे, मुझको | हमें, हमको |
करण | मुझसे | हमसे |
सम्प्रदान | मुझे, मेरे लिए | हमें, हमारे लिए |
अपादान | मुझसे | हमसे |
सम्बन्ध | मेरा, मेरे, मेरी | हमारा, हमारे, हमारी |
अधिकरण | मुझमें, मुझपर | हममें, हमपर |
(‘तू’, ‘तुम’ मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | तू, तूने | तुम, तुमने, तुमलोगों ने |
कर्म | तुझको, तुझे | तुम्हें, तुमलोगों को |
करण | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से |
सम्प्रदान | तुझको, तेरे लिए, तुझे | तुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए |
अपादान | तुझसे | तुमसे, तुमलोगों से |
सम्बन्ध | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा-री, तुमलोगों का-की |
अधिकरण | तुझमें, तुझपर | तुममें, तुमलोगों में-पर |
(‘वह’ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | वह, उसने | वे, उन्होंने |
कर्म | उसे, उसको | उन्हें, उनको |
करण | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा |
सम्प्रदान | उसको, उसे, उसके लिए | उनको, उन्हें, उनके लिए |
अपादान | उससे | उनसे |
सम्बन्ध | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके |
अधिकरण | उसमें, उसपर | उनमें, उनपर |
(‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | यह, इसने | ये, इन्होंने |
कर्म | इसको, इसे | ये, इनको, इन्हें |
करण | इससे | इनसे |
सम्प्रदान | इसे, इसको | इन्हें, इनको |
अपादान | इससे | इनसे |
सम्बन्ध | इसका, की, के | इनका, की, के |
अधिकरण | इसमें, इसपर | इनमें, इनपर |
(‘आप’ आदरसूचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | आपने | आपलोगों ने |
कर्म | आपको | आपलोगों को |
करण | आपसे | आपलोगों से |
सम्प्रदान | आपको, के लिए | आपलोगों को, के लिए |
अपादान | आपसे | आपलोगों से |
सम्बन्ध | आपका, की, के | आपलोगों का, की, के |
अधिकरण | आप में, पर | आपलोगों में, पर |
(‘कोई’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | कोई, किसने | किन्हीं ने |
कर्म | किसी को | किन्हीं को |
करण | किसी से | किन्हीं से |
सम्प्रदान | किसी को, किसी के लिए | किन्हीं को, किन्हीं के लिए |
अपादान | किसी से | किन्हीं से |
सम्बन्ध | किसी का, किसी की, किसी के | किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के |
अधिकरण | किसी में, किसी पर | किन्हीं में, किन्हीं पर |
(‘जो’ संबंधवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | जो, जिसने | जो, जिन्होंने |
कर्म | जिसे, जिसको | जिन्हें, जिनको |
करण | जिससे, जिसके द्वारा | जिनसे, जिनके द्वारा |
सम्प्रदान | जिसको, जिसके लिए | जिनको, जिनके लिए |
अपादान | जिससे (अलग होने) | जिनसे (अलग होने) |
संबंध | जिसका, जिसकी, जिसके | जिनका, जिनकी, जिनके |
अधिकरण | जिसपर, जिसमें | जिनपर, जिनमें |
(‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | कौन, किसने | कौन, किन्होंने |
कर्म | किसे, किसको, किसके | किन्हें, किनको, किनके |
करण | किससे, किसके द्वारा | किनसे, किनके द्वारा |
सम्प्रदान | किसके लिए, किसको | किनके लिए, किनको |
अपादान | किससे (अलग होने) | किनसे (अलग होने) |
संबंध | किसका, किसकी, किसके | किनका, किनकी, किनके |
अधिकरण | किसपर, किसमें | किनपर, किनमें |
सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका सम्बन्ध बताना पड़ता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।
इस वाक्य में, ‘वह’ और ‘अपना’ सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-
वह-पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘करता है’ क्रिया का कर्ता।
अपना-निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुंलिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, ‘काम’ संज्ञा का विशेषण।
परिभाषा :-सरल शब्दों मे समझें कि किसी भी व्यक्ति,वस्तु क़ो उसकीविशेष बात से दर्शानाया उसकी विशेषता बतानाविशेषण(Adjective)कहलाता है।
जैसे :-काला घोड़ा, हरा पैन,ईमानदार आदमी ,दो लीटर दूध
नोट :-विशेषणसंज्ञाकी व्याप्तिमर्यादितकरता है जैसेसफ़ेद कुत्ता
हम कुछउदाहरणसे विशेषण क़ो अच्छे से समझेंगे ।
(1) उसका मकान बहुत ऊँचा है।
व्याख्या :-यहां मकान की विशेषताऊँचाहोना है
(2) सुरेश की कमीज बहुत सुंदर है।
व्याख्या :-कमीज कीसुंदरताके बारे मे बता रहे है
(3) तीनों बालक आ रहे है।
व्याख्या :-यहातीनो बालककी विशेषता बता रहे है।
(4) सीता दो मीटर पैदल चली।
व्याख्या :-दो मीटरपैदल चलने की विशेषता बता रहे है
(5) ताजमहल बहुत सुंदर इमारत है।
व्याख्या :-यहां ताजमहल कीसुंदरताबता रहे है
विशेषण के भेद : विशेषण मूलतःचारप्रकार के होते है-
जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए,गुणवाचक विशेषणकहलाते हैं।
जिन शब्दों द्वारासंज्ञायासर्वनामकी संख्या संबंधी विशेषता बताई जाये, उन्हेंसंख्यावाचक विशेषण(Sankhya Vachak Visheshan)कहते है।
जैसे :
उक्त उदाहरणों में’पाँच’निश्चित संख्या तथा’कुछ’अनिश्चित संख्या का बोध कराते है।
अतः संख्यावाचक विशेषण केदोभेद होते है :
जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो।
जैसे : दसआदमी,पन्द्रहलङके,पचासरूपये आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भीचारप्रभेद होते हैं :
जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो।
जैसे :कुछ आदमी, बहुत लङके, थोङे से रूपये आदि।
अन्य उदाहरण :
अर्थातसंख्यावाचक विशेषणमें संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है
वे शब्द जो विशेष्यों की मात्रा (नाप, माप, तौल) का बोध कराते हैं,परिमाणवाचक विशेषणकहलाते है। ध्यान रखें किपरिमाणवाचक विशेषणमें माप तौल की इकाई जरुर दी होगी l इस विशेषण का एकमात्र विशेष्यद्रव्यवाचक संज्ञाहै।
जैसे :
उक्त वाक्यों मेंथोङा दूधअनिश्चयवाचक परिमाण तथादस क्विंटलनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं। इसी आधार पर परिमाणवाचक विशेषण के भीदोभेद होते हैं l जो निम्न है :
जो निश्चित मात्रा का बोध कराये।
जैसे :
जो निश्चित मात्रा का बोधनकराये।
जैसे :सारा कपङा, ज्यादा लीटर तेल, अधिक चावल आदि।
वे विशेषण शब्द जो संज्ञा शब्द की ओर संकेत के माध्यम से विशेषता प्रकट करते है,संकेतवाचक विशेषणकहलाता है। चूँकि ये सर्वनाम शब्द होते हैं जो विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं अतः इन्हेंसार्वनामिक विशेषणभी कहते है।
यदि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यहसार्वनामिक विशेषणकहलाते हैं और यदि ये अकेले अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हेा तोसर्वनामकहलाते हैं।
जैसे :
नोट :कुछ विद्वान विशेषण का एक भेद और स्वीकार करते हैं।
वे विशेषण, जोव्यक्तिवाचक संज्ञाओंसे बनकर अन्यसंज्ञायासर्वनामकी विशेषता बतलाते है उन्हेंव्यक्तिवाचक विशेषणकहते है।
जैसे :भारतीय सैनिक, जापानी खिलौने, जयपुरी रजाइयाँ, जोधपुरी जूती, बनारसी साङी, कश्मीरी सेब, बीकानेरी भुजिया आदि।
जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें‘तुलनाबोधक विशेषण’कहते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बताने वाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अंतर होता है।
तुलना के विचार से विशेषणों कीतीनविशेषताएँ होती है।
1.मूलावस्था:इसके अंतर्गत विशेषणों कामूल रूपआता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है।
जैसे -राम सुन्दर है।
2.उत्तरावस्थाःजब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण कीउत्तरावस्थाकहते हैं।
जैसे – राम श्याम से सुन्दर है।
3.उत्तमावस्था:यह विशेषण की सर्वाेत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तिओं या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण कीउत्तमावस्थाकहलाती है।
जैसे-राम सबसे सुन्दर है।
ऊपर बताये गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था मेंतरऔरतमलगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं-
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
कोमल | कोमलतर | कोमलतम |
निम्न | निम्नतर | निम्नतम |
सुन्दर | सुन्दरतर | सुन्दरतम |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
अधिक | अधिकतर | अधिकतम |
महत् | महत्तर | महत्तम |
योग्य | योग्यतर | योग्यतम |
सरल | सरलतर | सरलतम |
कठोर | कठोरतर | कठोरतम |
मधुर | मधुरतर | मधुरतम |
न्यून | न्यूनतर | न्यूनतम |
निकट | निकटतर | निकटतम |
कटु | कटुतर | कटुतम |
महान | महानतर | महानतम |
विशाल | विशालतर | विशालतम |
दृढ़ | दृढ़तर | दृढ़तम |
मृदु | मृदुतर | मृदुतम |
तीव्र | तीव्रतर | तीव्रतम |
तीक्ष्ण | तीक्ष्णतर | तीक्ष्णतम |
निर्बल | निर्बलतर | निर्बलतम |
बलिष्ठ | बलिष्ठतर | बलिष्ठतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है। आवश्यकतानुसारसंज्ञा से ही विशेषणोंको बनाया जाता है।
संज्ञा | विशेषण |
अंक | अंकित |
अलंकार | अलंकारिक |
अर्थ | आर्थिक |
अग्नि | आग्नेय |
अंचल | आंचलिक |
अपेक्षा | अपेक्षित |
अनुशासन | अनुशासित |
अपमान | अपमानित |
अंश | आंशिक |
अधिकार | अधिकारी |
अभ्यास | अभ्यस्त |
आदर | आदरणीय |
आदि | आदिम |
आधार | आधारित, आधृत |
आत्मा | आत्मिक |
इच्छा | ऐच्छिक |
इतिहास | ऐतिहासिक |
ईश्वर | ईश्वरीय/ऐश्वर्य |
उपेक्षा | उपेक्षित |
उत्कर्ष | उत्कृष्ट |
उद्योग | औद्योगिक |
उपनिषद् | औपनिषदिक |
उपन्यास | औपन्यासिक |
उपार्जन | उपार्जित |
उपदेश | उपदेशात्मक, उपदिष्ट |
उपनिवेश | औपनिवेशिक |
उन्नति | उन्नतिशील |
ऋण | ऋणी |
कल्पना | कल्पित |
काम | काम्य |
केन्द्र | केन्द्रीय |
कृपा | कृपालु |
कपट | कपटी |
कुल | कुलीन |
कुसुम | कुसुमि |
गंगा | गांगेय |
गुण | गुणवान |
ग्राम | ग्रामीण/ग्राम्य |
घर | घरेलू |
घृणा | घृणित |
चर्चा | चर्चित |
चरित्र | चारित्रिक |
चक्षु | चाक्षुष |
चाचा | चचेरा |
चमक | चमकीला |
चाय | चायवाला |
छल | छलिया |
जाति | जातीय |
तर्क | तार्किक |
तत्व | तात्विक |
तंत्र | तांत्रिक |
तिरस्कार | तिरस्कृत |
तरंग | तरंगिनी |
दर्शन | दर्शनीय |
दान | दानी |
देश | देशीय/देशी |
देव | दिव्य/दैविक |
देह | दैहिक |
दया | दयालु |
धर्म | धार्मिक |
धन | धनी |
ध्वनि | ध्वनित |
नगर | नागरिक |
निशा | नैश |
निषेध | निषिद्ध |
नरक | नारकीय |
न्याय | न्यायिक |
नमक | नमकीन |
नील | नीला |
पशु | पाश्विक |
परीक्षा | परीक्षित |
प्रमाण | प्रामाणिक |
पाप | पापी |
पिता | पैतृक |
परिचय | परिचित |
पल्लव | पल्लवित |
प्राची | प्राच्य |
प्रणाम | प्रणम्य |
संज्ञा | विशेषण |
पुष्टि | पौष्टिक |
पुराण | पौराणिक |
पक्ष | पाक्षिक |
पुष्प | पुष्पित |
पूजा | पूज्य |
पुत्र | पुत्रवती |
प्यास | प्यासा |
फेन | फेनिल |
बुद्ध | बौद्ध |
बल | बली |
भारत | भारतीय |
भाव | भावुक |
भोग | भोगी |
मन | मनस्वी |
भूगोल | भौगोलिक |
भोजन | भोज्य |
मानस | मानसिक |
माता | मातृक |
मंगल | मांगलिक |
मामा | ममेरा |
मेधा | मेधावी |
मर्म | मार्मिक |
मास | मासिक |
यश | यशस्वी |
योग | यौगिक |
राज | राजकीय |
रंग | रंगीन/रंगीला |
राष्ट्र | राष्ट्रीय |
रस | रसीला/रसिक |
रोम | रोमिल |
रूप | रूपवान/रूपवती |
रोग | रोगी |
लक्षण | लाक्षणिक |
लेख | लिखित |
वेद | वैदिक |
विशेष | विशिष्ट |
विकल्प | वैकल्पिक |
विवाह | वैवाहिक |
विज्ञान | वैज्ञानिक |
विश्वास | विश्वसनीय,विश्वस्त |
वर्ग | वर्गीय |
व्यक्ति | वैयक्तिक |
व्यापार | व्यापारिक |
विपति | विपन्न |
वाद | वादी |
समय | सामयिक |
साहित्य | साहित्यिक |
स्तुति | स्तुत्य |
समुदाय | सामुदायिक |
सिद्धान्त | सैद्धान्तिक |
स्त्री | स्त्रैण |
सुख | सुखी |
श्री | श्रीमान् |
संस्कृत | सांस्कृतिक |
सभा | सभ्य |
स्वर्ण | स्वर्णिम |
शक्ति | शाक्त |
शिक्षा | शैक्षिक |
शास्त्र | शास्त्रीय |
शंका | शंकित |
शिव | शैव |
शोषण | शोषित |
शासन | शासित |
हृदय | हार्दिक |
हवा | हवाई |
हँसी | हँसोङा |
हिंसा | हिंसक |
श्रद्धा | श्रद्धालु |
ज्ञान | ज्ञानी |
विरोध | विरोधी |
क्षेत्र | क्षेत्रीय |
क्षण | क्षणिक |
प्यार | प्यारा |
समाज | सामाजिक |
जयपुर | जयपुरी |
विष | विषैला |
बुद्धि | बुद्धिमान |
गुण | गुणवान |
दूर | दूरस्थ |
शहर | शहरी |
क्रोध | क्रोधी |
शरीर | शारीरिक |
शक्ति | शक्तिमान |
रूप | रूपवान |
सृजन | सृजनहार |
पालन | पालनहार |
रथ | रथवाला |
दूध | दूधवाला |
भूख | भूखा |
स्वर्ग | स्वर्गीय |
चमक | चमकीला |
नोक | नुकीला |
संज्ञा | विशेषण |
धन | धनहीन |
तेज | तेजहीन |
दया | दयाहीन |
मन | मानसिक |
अभिषेक | अभिषिक्त |
अनुराग | अनुरागी |
अन्याय | अन्यायी |
आश्रय | आश्रित |
अनुमोदन | अनुमोदित |
ईसा | ईस्वी |
उन्नति | उन्नत |
अनुभव | अनुभवी |
अन्तर | आन्तरिक |
अंकन | अंकित |
आसक्ति | आसक्त |
अणु | आणविक |
अपराध | अपराधी |
ईर्ष्या | ईर्ष्यालु |
उपयोग | उपयुक्त |
ऋषि | आर्ष |
ओष्ठ | ओष्ठ्य |
कांटा | कंटीला |
कागज | कागजी |
क्रम | क्रमिक |
कमाई | कमाऊ |
क्रय | क्रीत |
कलंक | कलंकित |
खून | खूनी |
खेल | खिलाङी |
खान | खनिज |
गर्व | गर्वीला |
घनिष्ठता | घनिष्ठ |
गुलाब | गुलाबी |
गर्मी | गर्म |
घाव | घायल |
जटा | जटिल |
चाचा | चचेरा |
जहर | जहरीला |
जागरण | जाग्रत |
जंगल | जंगली |
त्याग | त्याज्य |
तन्त्र | तान्त्रिक |
देश | देशी |
दम्पति | दाम्पत्य |
नाटक | नाटकीय |
निन्दा | निन्द्य/निन्दनीय |
दगा | दगाबाज |
धर्म | धार्मिक |
नाव | नाविक |
निषेध | निषिद्ध |
पुस्तक | पुस्तकीय |
पराजय | पराजित |
परिचय | परिचित |
पृथ्वी | पार्थिक |
कुटुम्ब | कौटुम्बिक |
किताब | किताबी |
काल | कालीन |
क्लेश | किलष्ट |
करुणा | करुण |
खर्च | खर्चीला |
खाना | खाऊ |
ख्याति | ख्यात |
गृहस्थ | गार्हस्थ्य |
गांव | गंवार |
संज्ञा | विशेषण |
गेरु | गेरुआ |
घमण्ड | घमण्डी |
घात | घातक |
चर्चा | चर्चित |
चिन्ता | चिन्त्य |
चरित्र | चारित्रिक |
जवाब | जवाबी |
जाति | जातीय |
ताप | तप्त |
दन्त | दन्त्य |
दिन | दैनिक |
नियम | नियमित |
पत्थर | पथरीला |
पुरुष | पौरुषेय |
प्रान्त | प्रान्तीय |
प्रदेश | प्रादेशिक |
पाठक | पाठकीय |
पश्चिम | पाश्चात्य |
प्रशंसा | प्रशंसनीय |
परिवार | पारिवारिक |
फल | फलित |
भूत | भौतिक |
भाषा | भाषिक |
भय | भयानक |
मोह | मोहक/मोहित |
मिथिला | मैथिल |
मथुरा | माथुर |
मुख | मौखिक |
मूल | मौलिक |
यज्ञ | याज्ञिक |
यदु | यादव |
रसीद | रसीदी |
राष्ट्र | राष्ट्रीय |
राह | राही |
लज्जा | लज्जित |
लोभ | लोभी |
विकार | विकृत |
वन्दना | वन्द्य/वन्दनीय |
वियोग | वियोगी |
संसार | सांसारिक |
स्वभाव | स्वाभाविक |
पानी | पानीय/पेय |
पुष्टि | पौष्टिक |
प्रसंग | प्रासंगिक |
बल | बलिष्ठ |
भ्रम | भ्रामक/भ्रमित |
भूषण | भूषित |
भूख | भूखा |
माधुर्य | मधुर |
मूर्च्छा | मूर्छित |
मनु | मानव |
मर्म | मार्मिक |
मांस | मांसल |
मृत्यु | मत्र्य |
योग | योगी |
यश | यशपाल |
रुद्र | रौद्र |
राक्षस | राक्षसी |
रोमांच | रोमांचित |
लाठी | लठैत |
लोहा | लौह |
विस्मय | विस्मित |
विपति | विपन्न |
व्यवसाय | व्यावसायिक |
विजय | विजयी |
विवेक | विवेकी |
विधान | वैधानिक |
वेतन | वैतनिक |
विषय | विषयी |
वास्तव | वास्तविक |
समाज | सामाजिक |
स्वप्न | स्वप्निल |
स्मृति | स्मार्त |
संकेत | सांकेतिक |
शिव | शैव |
शास्त्र | शास्त्रीय |
हिंसा | हिसंक |
सम्बन्ध | सम्बन्धी |
विदेश | विदेशी/वैदेशिक |
शरद् | शारदीय |
देहली | देहलवी |
बरेली | बरेलवी |
मुरादाबाद | मुरादाबादी |
सूर्य | सौर |
समास | सामासिक |
सन्देह | संदिग्ध |
सिन्धु | सैन्धव |
सोना | सुनहरा |
शौक | शौकीन |
शास्त्र | शास्त्रीय |
श्याम | श्यामल |
शृंगार | शृंगारिक |
क्षमा | क्षम्य |
विष्णु | वैष्णव |
स्तुति | स्तुत्य |
स्वदेश | स्वदेशी |
नीति | नैतिक |
संयोग | संयुक्त |
लखनऊ | लखनवी |
पहाङ | पहाङी |
1. विशेषण के भेदों का सही समूह है –
(अ) व्यक्तिवाचक, गुणवाचक, संबंधवाचक, सार्वनामिक
(ब) गुणवाचक, परिणामवाचक, संख्यावाचक, भाववाचक
(स) व्यक्तिवाचक, संबंधवाचक, निश्चयवाचक, निजवाचक
(द) गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक, सार्वनामिक✔️
2. ’उत्कर्ष’ से विशेषण क्या बनेगा ?
(अ) अपकर्ष (ब) अवकर्ष
(स) उत्कृष्ट ✔️ (द) अधोकृष्ट
3. अर्थ की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद माने गए हैं –
(अ) चार ✔️ (ब) तीन
(स) पाँच (द) छह
4. निम्नलिखित वाक्यों में से एक वाक्य में विशेषण सम्बन्धी अशुद्धि नहीं है, वह कौन-सा है?
(अ) उसमें एक गोपनीय रहस्य है।
(ब) आप जैसा अच्छा सज्जन कौन होगा।
(स) कहीं से खूब ठण्डा बर्फ लाओ।
(द) वहाँ ज्वर की सर्वोत्कृष्ट चिकित्सा होती है। ✔️
5. विशेष्य किसे कहते हैं –
(अ) जो विशेषता बताई जाए
(ब) जिसकी विशेषता बताई जाए ✔️
(स) जो विशेषता बताए
(द) इनमें से कोई नहीं
6. ’आलस्य’ संज्ञा का विशेषण रूप क्या है?
(अ) आलस (ब) अलसता
(स) आलसी ✔️ (द) आलसीपन
7. संज्ञा या सर्वनाम के गुण, आकार, रंग, दशा, काल और स्थान का बोध करानेवाले विशेषण हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक
8. ’शक्ति’ शब्द से बननेवाला विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) शक्तिशाली (ब) शाक्त
(स) शक्तिमान (द) शक्तियाँ ✔️
9. ’दानवीर कर्ण का सभी स्मरण करते हैं।’ वाक्य का ’दानवीर’ शब्द कौनसा विशेषण है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक
10. निम्नलिखित शब्दों में कौनसा शब्द विशेषण है?
(अ) सच्चा ✔️ (ब) शीतलता
(स) नम्रता (द) देवत्व
11. अच्छा-बुरा, सुगंधित, उत्तरी-पूर्वी, प्राचीन आदि विशेषण किस प्रकार के हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) स्थानवाचक
12. निम्नलिखित में से प्रविशेषण शब्द है –
(अ) गहरा कुआँ (ब) बहुत खर्च
(स) निपट अनाङी ✔️ (द) शांत लङका
13. ’संस्कृति’ संज्ञा किस विशेषण शब्द से बना है?
(अ) संस्कृत ✔️ (ब) सुकृति
(स) सांस्कृतिक (द) संस्कार
14. निम्नांकित में विशेषण है?
(अ) सुलेख (ब) आकर्षक ✔️
(स) हव्य (द) पौरुष
15. निम्नलिखित में से विशेषण शब्द है –
(अ) नारी (ब) सुबह
(स) पिता (द) पैतृक ✔️
16. ’मानव’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) मनुष्य (ब) मानवीकरण
(स) मानवता (द) मानवीय ✔️
17. ’आदर’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) आदरकारी (ब) आदरपूर्वक
(स) आदरणीय ✔️ (द) इनमें से कोई नहीं
18. ’पाणिनि’ का विशेषण क्या होगा?
(अ) पाणनीय (ब) पाणिनीय ✔️
(स) पाणीनी (द) पाणिनी
19. ’आतंकवाद से पीङित मानवता की पुकार अनसुनी नहीं की जा सकती है।’ वाक्य में ’पीङित’ शब्द है –
(अ) भाववाचक संज्ञा (ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण ✔️ (द) संख्यावाचक विशेषण
20. इनमें से गुणवाचक विशेषण कौन-सा है ?
(अ) चौगुना (ब) नया ✔️
(स) तीन (द) कुछ
21. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(ब) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
(स) अच्छा, तुम घर जाओ।
(द) अच्छा है, वह अभी आ जाए।
22. विशेषण किस शब्द की विशेषता बताते हैं ?
(अ) कारक की (ब) संज्ञा की
(स) सर्वनाम की (द) संज्ञा और सर्वनाम की ✔️
23. निम्नलिखित में से गुणवाचक विशेषण समूह है –
(अ) थोङा, कुछ, पाश्चात्य, गंभीर, ढेर सारा
(ब) एक दर्जन, वह, पतली, प्रत्येक, थोङा
(स) कठोर, खुरदरा, जापानी, स्वस्थ, कसैला ✔️
(द) थोङा, कुछ, खुरदरा, प्रत्येक, वह
24. विशेषण का प्रयोग होता है –
(अ) विशेष्य के पहले (ब) विशेष्य के बाद
(स) उपर्युक्त दोनों ✔️ (द) उपर्युक्त कोई नहीं
25. जयपुरी रजाइयाँ जयपुर का महत्त्वपूर्ण उत्पादन है। इस वाक्य में विशेषण है –
(अ) जयपुरी-उत्पादन (ब) महत्त्वपूर्ण-भारत
(स) महत्त्वपूर्ण-रजाइयाँ (द) जयपुरी-महत्त्वपूर्ण ✔️
26. निम्न में से कौनसा संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) समूहवाचक (ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक (द) उपर्युक्त सभी ✔️
27. ’आँखों की ज्योति के लिए हरा रंग अच्छा माना गया है’ वाक्य में विशेषण है –
(अ) रंग (ब) ज्योति
(स) हरा ✔️ (द) अच्छा
28. ’बहुत-कुछ’ शब्द किस संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक
(द) प्रत्येक बोधक
29. संज्ञा या सर्वनाम की माप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) परिमाणवाचक विशेषण ✔️
(ब) परिणामवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) संख्यावाचक विशेषण
30. प्रविशेषण किसे कहते हैं?
(अ) विधेय की विशेषता बतानेवाला शब्द
(ब) विशेष्य की विशेषता बतानेवाला शब्द
(स) विशेषण की विशेषता बतानेवाला शब्द ✔️
(द) विशेषण के पूर्व लगनेवाला विशेषण
31. परिमाणवाचक विशेषण कितने प्रकार के माने गए हैं-
(अ) दो ✔️ (ब) तीन
(स) चार (द) इनमें से कोई नहीं
32. सार्वनामिक विशेषण कहाँ आते हैं?
(अ) सर्वनाम के बाद (ब) संज्ञा के पहले ✔️
(स) संज्ञा के बाद (द) उपर्युक्त कोई नहीं
33. ’यह गाय प्रतिदिन पाँच लीटर दूध देती है।’ रेखांकित शब्द में विशेषण है –
(अ) अनिश्चित परिमाणवाचक
(ब) निश्चित परिमाणवाचक ✔️
(स) गुणवाचक
(द) संख्यावाचक
34. इन शब्दों में से कौनसा विशेषण अविकारी है?
(अ) बुरा (ब) पतला
(स) मधुर ✔️ (द) सीधा
35. जिन विशेषणों के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता, कहलाते हैं –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक
(ब) संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) सार्वनामिक
36. निम्न में से कौनसा तुलनात्मक विशेषण नहीं है?
(अ) सुन्दरतम (ब) सुन्दरतर
(स) सुन्दर ✔️ (द) से सुन्दर
37. ’वह ढेर सारे खिलौने लाया है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द है –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक सर्वनाम
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(द) निश्चित संख्यावाचक सर्वनाम ✔️
38. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण की दृष्टि से अशुद्ध कौनसा है?
(अ) मधु बहुत चंचला है।
(ब) कमरा खाली नहीं है।
(स) गुङिया कुरूप है।
(द) गुङिया बारीक नाचती है। ✔️
39. निम्नलिखित में से विशेषण है –
(अ) चिकना ✔️ (ब) आम
(स) ममता (द) हरियाली
40. ’यह’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) ऐसा ✔️ (ब) इसका
(स) ये (द) वैसा
41. विशेषण परिमाणवाचक है या संख्यावाचक इसकी पहचान होगी –
(अ) वस्तु गिनने योग्य है या मापने-तौलने योग्य ✔️
(ब) वस्तु की मात्रा के आधार पर
(स) वस्तु के वजन के आधार पर
(द) वस्तु की माप के आधार पर
42. विशेषण-विशेष्य का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) श्रेष्ठ व्यक्ति (ब) सुंदरी लङकी
(स) गोल प्रश्न ✔️ (द) दो किलो घी
43. ’वह पुस्तक अच्छी है’ में ’वह’ शब्द है –
(अ) सर्वनाम
(ब) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(स) निश्चित गुणवाचक विशेषण
(द) निश्चयवाचक सर्वनाम
44. संज्ञा से बने विशेषण का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) दिन-दैनिक (ब) सुख-सुखी
(स) धन-धनिक (द) कंगाल-कंगाली ✔️
45. विशेष्य से पूर्व प्रयुक्त होने वाले विशेषणों को कहते हैं –
(अ) उद्देश्य विशेषण ✔️ (ब) विधेय विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण (द) प्रविशेषण
46. विशेषण की अवस्थाओं को कहा जाता है –
(अ) मूल अवस्था (ब) उत्तरावस्था
(स) उत्तम अवस्था (द) उपर्युक्त तीनों ✔️
47. ’यदि व्यक्ति ईमानदार हो तो उसका सर्वत्र सम्मान होता है।’ वाक्य में ईमानदार शब्द के विशेषण रूप का चुनाव कीजिए –
(अ) उद्देश्य विशेषण
(ब) विधेय-विशेषण
(स) गुणवाचक विधेय विशेषण ✔️
(द) गुणवाचक उद्देश्य विशेषण
48. विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं?
(अ) तीन ✔️ (ब) चार
(स) पाँच (द) छह
49. विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) विकारी विशेषण (ब) अविकारी विशेषण
(स) प्रविशेषण ✔️ (द) क्रिया विशेषण
50. प्रयोग के आधार पर संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) छह (ब) सात ✔️
(स) आठ (द) पाँच
51. निम्नलिखित में से कौन-से अपूर्णांकबोधक संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण हैं?
(अ) एक, दो, तीन, दस, पचास, सौ
(ब) आधा, पाव, तिहाई, डेढ़, पौन ✔️
(स) पहला, दूसरा, पाँचवा, दसवाँ
(द) दुगुना, इकहरा, दसगुना
52. ’गीता सबसे कुरूप है’ वाक्य में विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) प्रथमावस्था (ब) उत्तमावस्था ✔️
(स) उत्तरावस्था (द) मूलावस्था
53. निम्नलिखित में से विशेषण चुनिए।
(अ) भलाई (ब) मिठास
(स) थोङा ✔️ (द) लालच
54. निम्नलिखित में कौन सी अवस्था विशेषण की नहीं है?
(अ) मूलावस्था (ब) उत्तमावस्था
(स) उत्तरावस्था (द) मध्यावस्था ✔️
55. निम्नलिखित वाक्य में ’कुछ’ शब्द विशेषण है, उसका भेद छाँटिए –
कुछ बच्चे कक्षा में शोर मचा रहे थे।
(अ) गुणवाचक विशेषण
(ब) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ✔️
56. ’मुझे थोङा घी चाहिए’ वाक्य में ’थोङा’ शब्द में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) निश्चित परिमाणवाचक
57. ’’बहुत तेज बारिश हो रही थी’’ वाक्य में प्रविशेषण क्या है?
(अ) बहुत ✔️ (ब) तेज
(स) बारिश (द) हो रही
58. ’’यह दृश्य अति सुन्दर है’’ वाक्य में ’अति’ क्या है?
(अ) क्रिया (ब) विशेषण
(स) संज्ञा (द) प्रविशेषण ✔️
59. ’’सब चूहे पकङ में आ गए’’ वाक्य में विशेषण कौनसा है?
(अ) गुणवाचक (ब) परिमाणबोधक
(स) स्थानवाचक (द) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
60. ’’बगीचे में सुंदर फूल खिले हैं’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक
61. ’’वह दसवीं कक्षा में पढ़ता है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) अनिश्चित संख्यावाचसक
(स) गुणवाचक
(द) परिमाणवाचक
62. ’’प्रधानमंत्री का आवास पाँचवें रास्ते पर है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक (ब) क्रमवाचक ✔️
(स) कालवाचक (द) स्थानवाचक
63. विशेष्य से पहले आनेवाले विशेष्य को क्या कहते हैं?
(अ) क्रिया विशेषण (ब) प्रविशेषण
(स) उद्देश्य विशेषण ✔️ (द) विधेय विशेषण
64. ’’कुछ लङकियाँ आ रहीं हैं’’ वाक्य में प्रयुक्त विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) परिणामवाचक
(स) गुणवाचक (द) अनिश्चय संख्यावाचक ✔️
65. किसी व्यक्ति के रूप-गुण आदि को व्यक्त करने वाले विशेषण को क्या कहा जाता है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण
(ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) व्यक्तिवाचक विशेषण
(द) गुणवाचक विशेषण ✔️
66. ’’गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधि है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) सार्वनामिक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) संख्यावाचक
67. संज्ञा-सर्वनाम की विशेषता सर्वनाम से प्रकट करने वाले विशेषण का क्या कहते हैं?
(अ) गुणवाचक (ब) सार्वनामिक ✔️
(स) व्यक्तिवाचक (द) परिमाणवाचक
68. ’’परिश्रमी छात्र सदा सफल होते हैं’’ वाक्य मंें प्रयुक्त विशेषण है –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) सार्वनामिक
69. ’’मै’ शब्द से कौनसा विशेषण बनता है?
(अ) मुझे (ब) मेरा ✔️
(स) मुझमें (द) मुझसे
70. ’’उस घर में कौन रहता है?’’ वाक्य में ’उस’ कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक विशेषण ✔️
71. ’शिक्षा’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) शिक्षक (ब) शिक्षित ✔️
(स) शिक्षिका (द) शिक्षालय
72. निम्न में से गुणवाचक विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) युवा (ब) पचास ✔️
(स) लम्बा (द) काला
73. ’विज्ञान’ शब्द का बना विशेषण क्या है?
(अ) वैज्ञानिक ✔️ (ब) विज्ञानी
(स) विज्ञानशाला (द) विज्ञानीय
74. निम्न में से कालबोधक विशेषण कौन सा है?
(अ) भला (ब) बुरा
(स) पुराना ✔️ (द) गीला
75. ’’वे पुस्तकें तुम्हारी हैं और ये मेरी।’’ इस वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) वे (ब) तुम्हारी
(स) मेरी (द) ये तीनों ✔️
76. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) अच्छा, तुम घर आओ।
(ब) अच्छा है, वह अभी घर आ जाए।
(स) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(द) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
77. ’मुझे’ हरा रंग पसन्द है? वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) गुणवाचक
78. ’पशु’ शब्द का विशेषण क्या है?
(अ) पशुता (ब) पशुपति
(स) पशुत्व (द) पाशविक ✔️
79. ’बुरा लङका’ शब्दों में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक
80. ’’लक्ष्मण एक कुशल कार्यकर्ता है’’ वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) कार्यकर्ता (ब) कुशल ✔️
(स) लक्ष्मण (द) एक
81. ’अर्थ’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) अनर्थ (ब) आर्थिक ✔️
(स) अर्थशास्त्र (द) अर्थवत्ता
82. ’’यही लङका गवैया है, वाक्य में यही कौनसा विशेषण है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(ब) संख्यावाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण
(द) परिमाणवाचक विशेषण
जिस शब्द से किसी काम काकरना या होनासमझा जाए, उसे’क्रिया’(Kriya)कहते है;
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूपलिंग,वचनऔर पुरुष के अनुसार बदलते है। यह हिंदी की अपनी विशेषता है।
रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते है?
रचना की दृष्टिसे क्रिया के सामान्यतःदो भेदहै(Kriya ke Prakar in Hindi)-
’सकर्मक क्रिया’उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथकर्म की संभावनाहो, अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो, पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थातकर्मपर पङे।
उदाहरणार्थ-श्याम आम खाता है। इस वाक्य में’श्याम’ कर्ता है, ’खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से संबंध है।
प्रश्न होता है, क्या खाता है ? उत्तर है,’आम’।
इस तरह ’आम’ का सीधा ’खाने’ से संबंध है। अतः ,’आम’कर्मकारक है। यहाँ श्याम के खाने का फल ’आम’ पर, अर्थात कर्म पर पङता है। इसलिए, ’खाना’ क्रिया सकर्मक है।
कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है; जैसे- वह गाता है, वह पढ़ता है। यहाँ ’गीत’ और ’पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।
जिनक्रियाओंका व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे’अकर्मक क्रिया’कहलाती हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पङकर कर्ता पर पङता है ।
उदाहरण के लिए-श्याम सोता है। इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पङता है। इसलिए, ’सोना’ क्रिया अकर्मक है।
सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान वाक्य में ’क्या’ किसे या ’किसको’ शब्द जोड़कर कर प्रश्न करने से होती है। यदि ऐसा करने से कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।
उदारहणार्थ, मारना, पढ़ना, खाना- इन क्रियाओं में ’क्या’ ’किसे’ लगाकर प्रश्न किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-
(इन सब उदाहरणों में क्रियाएँसकर्मकहै।)
कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं औरप्रसंग अथवा अर्थ के अनुसारइनके भेद का निर्णय किया जाता है।
जैसे-
अकर्मक | सकर्मक |
उसका सिर खुजलाता है। | वह अपना सिर खुजलाता है। |
बूँद-बूँद से घङा भरता है। | मैं घङा भरता हूँ। |
तुम्हारा जी ललचाता है। | ये चीजें तुम्हारा जी ललचाती है। |
जी घबराता है। | विपदा मुझे घबराती है। |
वह लजा रही है। | वह तुम्हें लजा रही है। |
ध्यान देवें –जिन धातुओं का प्रयोग अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है, उन्हेंउभयविध धातुकहते हैं।
क्रिया के अन्य भेद इस प्रकार है-
कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली और दो कर्मवाली होती है। जैसे-राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्म एक ही है- ’रोटी’ । किंतु , ’मैं लङके को वेद पढ़ाता हूँ’, में दो कर्म हैं- ’लङके को’ और ’वेद’।
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं –Sanyukt Kriya kise kahte hai
जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसेसंयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)कहते हैं।जैसे-घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया।इन वाक्यों में ’रो चुका’, ’रोने लगा’ और ’पहुँच गया’संयुक्त क्रियाएँहैं। विधि और आज्ञा को छोङकर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं , किंतु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ’हो’, ’रो’, ’सो’, ’खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ’होना’, ’आना’, ’जाना’, ’रहना’, ’रखना’, ’उठाना’, ’लेना’, ’पाना’,’पङना’, ’डालना’, ’सकना’, ’चुकना’, ’लगना’, ’करना’, ’भेजना’, ’चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती है।
इसके अतिरिक्त, सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
जैसे-
संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है।
जैसे- मैं पढ़ सकता हूँ। इसमें ’सकना’ क्रिया ’पढ़ना’ क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। हिंदी में संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग अधिक होता है।
अर्थ के अनुसार संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भेद हैं
1. आरंभबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से क्रिया के आरंभ होने का बोध होता है, उसे ’आरंभबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह पढ़ने लगा, पानी बरसने लगा, राम खेलने लगा।
2. समाप्तिबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया की पूर्णता, व्यापार की समाप्ति का बोध हो, वह ’समाप्तिबोधक संयुुक्त क्रिया’ है। जैसे- वह खा चुका है, वह पढ़ चुका है। धातु के आगे ’चुकना’ जोङने से समाप्तिबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
3. अवकाशबोधक-जिस क्रिया को निष्पन्न करने के लिए अवकाश का बोध हो, वह ’अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह मुश्किल से सो पाया, जाने न पाया।
4. अनुमतिबोधक-जिससे कार्य करने की अनुमति दिए जाने का बोध हो, वह ’अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- मुझे जाने दो; मुझे बोलने दो। यह क्रिया ’देना’ धातु के योग से बनती है।
5. नित्यताबोधक-जिससे कार्य की नित्यता, उसके बंद न होने का भाव प्रकट हो, वह ’नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- हवा चल रही है; पेङ बढ़ता गया, तोता पढ़ता रहा। मुख्य क्रिया के आगे ’जाना’ या ’रहना’ जोङने से नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है।
6. आवश्यकताबोधक-जिससे कार्य की आवश्यकता या कर्तव्य का बोध हो, वह ’आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- यह काम मुझे करना पङता है; तुम्हें यह काम करना चाहिए। साधारण क्रिया के साथ ’पङना’, ’होना’ या ’चाहिए’ क्रियाओं को जोङने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
7. निश्चयबोधक –जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया के व्यापार की निश्चयता का बोध हो, उसे ’निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह बीच ही में बोल उठा, उसने कहा – मैं मार बैठूँगा, वह गिर पङा, अब दे ही डालो। इस प्रकार की क्रियाओं में पूर्णता और नित्यता का भाव वर्तमान है।
8. इच्छाबोधक –इससे क्रिया के करने की इच्छा प्रकट होती है। जैसे – वह घर आना चाहता है, मैं खाना चाहता हूँ। क्रिया के साधारण रूप में ’चाहना’ क्रिया जोङने से ’इच्छाबोधक संयुक्त क्रियाएँ’ बनती हैं।
9. अभ्यासबोधक –इससे क्रिया के करने के अभ्यास का बोध होता है। सामान्य भूतकाल की क्रिया में ’करना’ क्रिया लगाने से अभ्यासबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती है। जैसे – यह पढ़ा करता है, तुम लिखा करते हो, मैं खेला करता हूँ।
10. शक्तिबोधक –इससे कार्य करने की शक्ति का बोध होता है। जैसे – मैं चल सकता हूँ, वह बोल सकता है। इसमें ’सकना’ क्रिया जोङी जाती है।
11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया –जब दो समानार्थक अथवा समान ध्वनि वाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें ’पुनरुक्त संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह पढ़ा-लिखा करता है, वह यहाँ प्रायः आया-जाया करता है, पङोसियों से बराबर मिलते-जुलते रहो।
सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती हैं। कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं।
हिंदी में इन क्रियाओं का व्यापक प्रयोग होता है। इसके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है।
जैसे –
इनमें खाना, पढ़ना, जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ है, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है। शेष क्रियाएँ, जैसे- है, था, हुए थे, रहे थे – सहायक क्रियाएँ है। ये मुख्य क्रियाओं के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती है।
संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जोङने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे’नामबोधक क्रिया’कहते हैं।
जैसे –
संज्ञा+क्रिया – भस्म करना, विशेषण+क्रिया – दुखी होना, निराश होना
नामबोधक क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ नहीं हैं। संयुक्त क्रियाएँ दो क्रियाओं के योग से बनती है और नामबोधक क्रियाएँ संज्ञा अथवा विशेषण के मेल से बनती हैं। दोनों में यही अंतर है।
परिभाषा –जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया’पूर्वकालिक’कहलाती है।
उदाहरण– उसने नहाकर भोजन किया।
इसमें ’नहाकर’’पूर्वकालिक’ क्रियाहै, क्योंकि इससे ’नहाने’ की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध होता है।
क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak kriya) क्या होती है ?
जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आए, तब वह’क्रियार्थक संज्ञा’कहलाती है।
उदाहरण– टहलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, देश के लिए मरना कहीं अच्छा है।
जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे’प्रेरणार्थक क्रियाएँ’कहलाती है; जैसे-काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- मोहन मुझसे किताब लिखाता है। इस वाक्य में मोहन (कर्ता) स्वयं किताब न लिखकर ’मुझे’ दूसरे व्यक्ति को लिखने की प्रेरणा देता है।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप हैं
जैसे- ’गिरना’ से ’गिराना’ और ’गिरवाना’।
दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में है। याद रखें, अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है
जैसे-
प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती है। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती है।
जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैने उससे किताब लिखवाई। पहले में कर्ता अन्य को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है।
इस प्रकार हिंदी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते है। प्रथम में ’ना’ का और द्वितीय में ’वाना’ का प्रयोग होता है-हँसना- हँसवाना।
मूल | द्वितीय | तृतीय (प्रेरणा) |
उठना | उठाना | उठवाना |
उङना | उङाना | उङवाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
जीना | जिलाना | जिलवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
जगना | जगाना | जगवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से जो क्रिया बनती है, उसे’यौगिक क्रिया’कहा जाता है। जैसे- चलना-चलाना, हँसना-हँसाना, चलना-चल देना।
नामधातु (Nam Dhatu Kriya)-जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे’नामधातु’क्रियाकहते हैं।
संज्ञा से –
विशेषण से –
अनुकरणात्मक क्रियाएँ –किसी वास्तविक या कल्पित ध्वनि के अनुकरण में हम क्रियाएं बना लेते हैं, जैसे – खटपट से खटखटाना, भनभन से भनभनाना, थरथर से थरथराना, सनसन से सनसनाना, थपथप से थपथपान, इत्यादि।
रंजक क्रियाएँ –रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेष रंगत लाती है, अर्थात् विशिष्ट अर्थ छवि देती है। ये आठ हैं-
1. आना | रो आना, कर आना, बन आना | अनायापता का भाव |
2. जाना | पी जाना, आ जाना, खा जाना | क्रिया पूर्णता का भाव |
3. उठना | रो उठना, गा उठना, चिल्ला उठना | आकस्मिकता का भाव |
4. बैठना | मार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठना | आकस्मिकता का भाव |
5. लेना | पी लेना, सो लेना, ले लेना | क्रियापूर्णता/विवशता |
6. देना | चल देना, रो देना, फेंक देना | क्रियापूर्णता/विवशता |
7. पङना | रो पङना, हँस पङना, चैंक पङना | स्वतः/शीघ्रता का भाव |
8. डालना | मार डालना, तोङ डालना, काट डालना | बलात् भाव |
क्रिया का मूल’धातु’है।’धातु’क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें’धातु’कहते है।
उदाहरणार्थ,’पढ़ना’क्रिया को लें। इसमें’ना’प्रत्यय है, जो मूल धातु’पढ़’में लगा है। इस प्रकार ’पढ़ना’ क्रिया की धातु’पढ़’है। इसी प्रकार, ’खाना’ क्रिया ’खा’ धातु में ’ना’ प्रत्यय लगाने से बनी है।
हिंदी में क्रिया का सामान्य रूप मूलधातु में ’ना’ जोङकर बनाया जाता है जैसे- चल+ना = चलना, देख+ना = देखना।
इन सामान्य रूपों में ’ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है। धातु की यह एक बड़ी पहचान है। हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावासंज्ञाऔरविशेषणसे भी बनती है
जैसे- काम+आना = कमाना, चिकना+आना= चिकनाना, दुहरा+ आना = दुहराना।
व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निर्माण की दृष्टि से धातु दो प्रकार की होती है-
1. मूल धातु
2. यौगिक धातु।
मूल धातु स्वतंत्र होती है। यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती; जैसे- खा, देख, पी इत्यादि।
जबकि यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है
जैसे- ’खाना’ से खिला, ’पढ़ना’ से पढ़ा। इस प्रकार धातुएँ अनंत हैं-कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती है।
यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-
(1) धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है
(2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है
(3) संज्ञा या विशेषण से नामधातु बनती है।
1. निम्न में से विकारी शब्द है –
(अ) क्रिया ® (ब) क्रिया विशेषण
(स) निपात (द) समुच्चय बोधक शब्द
2. निम्न में से अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है –
(अ) बनाना (ब) तैरना ®
(स) धोना (द) लेना
3. उसने रामू की पिटाई कर दी। इस वाक्य में क्रिया का कौनसा रूप है-
(अ) अकर्मक (ब) संयुक्त ®
(स) प्रेरणार्थक (द) पूर्वकालिक
4. मुझे उससे अपने मकान का नक्शा बनवाना हैै। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का कौनसा रूप है-
(अ) स्थित्यर्थक (ब) गत्यर्थक
(स) अपूर्ण अकर्मक ® (द) इनमें से कोई नही
5. निम्न में से किस वाक्य में क्रिया सकर्मक रूप में है-
(अ) वह नहाकर आया। (ब) मछली तैरती है।
(स) वह खाना खाता है। ® (द) वे डूब गए।
6. निम्न में से किस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है-
(अ) वह मार खाकर चुपचाप चला गया।
(ब) संसद ने खाद्य सुरक्षा कानून पर चर्चा की।(स) प्रधानमंत्री ने चौधरी अजित सिंह को मंत्री बनाया। ®
(द) सवेरा हो गया।
7. क्रिया वाक्य रचना में किस कथन में शामिल रहती है-
(अ) उद्देश्य कथन (ब) विधेय कथन ®
(स) किसी से भी (द) किसी में नहीं
8. ’’द्विकर्मक क्रिया में…………….रिक्त स्थान भरिए-
(अ) प्रथम कर्म अप्राणीवाचक होता है और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होता है।
(ब)प्रथम (गौण) कर्म प्राणीवाचक होता है और द्वितीय (मुख्य) कर्म अप्राणीवाचक होता है। ®
(स) प्रथम व द्वितीय कर्म अप्राणीवाचक होते है।
(द) प्रथम और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होते हैं।
10. ’’रमेश कल दिल्ली जाएगा’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) संज्ञा (ब) क्रिया विशेषण ®
(स) संज्ञा विशेषण (द) कर्म
11. नाम धातु नहीं बनती है-
(अ) संज्ञा से (ब) सर्वनाम से
(स) विशेषण से (द) क्रिया से ®
12. अकर्मक क्रिया है-
(अ) खाना (ब) उठना ®
(स) पीना (द) लिखना
13. ’’चिङिया आकाश में उङ रही है।’’ इस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) समापिका (द) असमापिका
14. द्विकर्मक क्रिया में कौनसा कर्म प्रधान होता है-
(अ) प्राणीवाचक (ब) पदार्थवाचक ®
(स) दोनों (द) कोई भी
15. उसने अपनी जेब टटोली, पैसे निकाले और टिकट लेकर बस में बैठ गया। इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया है-
(अ) टटोलना (ब) निकालना
(स) लेना ® (द) बैठना
16. मैं अभी सोकर उठा हूँ। इस वाक्य में सोकर है-
(अ) सकर्मक क्रिया (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) पूर्वकालिक क्रिया ® (द) नाम-धातु क्रिया
16. रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं?
(अ) 2®(ब) 3
(स) 4 (द) 5
17. निम्नलिखित क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया अनुकरणात्मक नहीं है?
(अ) फङफङाना (ब) मिमियाना
(स) झुठलाना ® (द) हिनहिनाना
18. काम का होना बताने वाले शब्द को क्या कहते हैं?
(अ) संज्ञा (ब) सर्वनाम
(स) क्रिया ® (द) क्रिया-विशेषण
19. ’वह जाता है’ वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) प्ररेणार्थक (द) द्विकर्मक
20. ’राम पुस्तक पढता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक ®
(स) द्विकर्मक (द) प्रेरणार्थक
21.प्ररेणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह खाता है (ब) मोहन घर गया
(स) गाय चरती है (द) अध्यापक छात्र से पाठ पढवाता है ®
22. ’सदा जागते रहना’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक
(स) संयुक्त क्रिया ® (द) प्ररेणार्थक
23. ’मनोरमा बहुत बतियाती है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) सकर्मक क्रिया (द) अकर्मक क्रिया
24. पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) का उदाहरण है-
(अ) वह खाना खाकर सो गया ® (ब) मैंने लेख लिखवाया
(स) दीपक पाठ पढता है (द) दीपा घर गई
25. ’अध्यापक ने छात्र से चाॅक मँगवाई’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) प्ररेणार्थक क्रिया ® (ब) अकर्मक
(स) द्विकर्मक (द) सकर्मक
26. रात में तारों का टिमटिमाना अच्छा लगता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) प्ररेणार्थक
(स) सकर्मक (द) पूर्वकालिक
27. सोनू गया और सोनू घर गया दोनों वाक्यों में क्रिया के प्रकार का युग्म है-
(अ) प्ररेणार्थक और सकर्मक (ब) अकर्मक और सकर्मक ®
(स) पूर्पकालिक और तात्कालिक (द) अकर्मक और द्विकर्मक
28. मोहन खाती से पेङ कटवाता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक ® (द) सकर्मक
29. वह गीत सुनता है-वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) सकर्मक ® (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक (द) अकर्मक
30. तूने मुझे पुस्तक दी और तूने पुस्तक दी वाक्यों में क्रियाओं का युग्म है-
(अ) द्विकर्मक और सकर्मक ® (ब) सकर्मक और प्रेरणार्थक
(स) प्रेरणार्थक और अकर्मक (द) अकर्मक और सकर्मक
31. प्रेरणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह सो गया (ब) अध्यापक ने पाठ पढाया
(स) परिश्रमी आगे बढा करते हैं ® (द) सरस्वती बहुत शर्मीली है
32. ’भोजन करते ही वह सो गया’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) पूर्वकालिक क्रिया (ब) तात्कालिक क्रिया ®
(स) अकर्मक (द) सकर्मक
33. ’बेटा पाठ पढकर खेलो’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक क्रिया (ब) सकर्मक क्रिया
(स) द्विकर्मक क्रिया (द) पूर्वकालिक क्रिया ®
34. नाम धातु क्रिया (Nam Dhatu Kriya)’ का वाक्य है-
(अ) गीता गीत गाती है (ब) अनुसूइया बहुत शर्माती है ®
(स) वह गया (द) उसने पानी पिया
35. मालिक नौकर से गड्ढ़ा खुदवाता है, वाक्य में क्रिया है-
(अ) संयुक्त क्रिया का (ब) प्रेरणार्थक क्रिया का ®
(स) अकर्मक क्रिया का (द) सकर्मक क्रिया का
36. संयुक्त क्रिया युक्त वाक्य है-
(अ) राम पाठ पढकर सो गया ® (ब) सोनू खेलता है
(स) छात्र पुस्तक पढता है (द) वह गीत गाती है
37. अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है-
(अ) महरी पानी भरती है (ब) सीता गाती है ®
(स) राम ने सीता को पुष्प दिए (द) यशोदा मोहन को सुलाती है
38. ’सुरेश सोता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) द्विकर्मक (ब) सकर्मक
(स) अकर्मक ® (द) पूर्वकालिक
39. किस वाक्य में क्रिया वर्तमान काल में है-
(अ) उसने फल खा लिए थे। (ब) मैं तुम्हारा पत्र पढ रहा हूँ। ®
(स) अचानक बिजली कौंध उठी। (द) कल वे आने वाले थे।
40. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा ऐसा वाक्य है, जिसकी क्रिया, कर्ता के लिंग के अनुसार ठीक नहीं है
(अ) राम आता है। (ब) घोङा दौङता है।
(स) हाथी सोती है। ® (द) लङकी जाती है।
⇒ अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है –जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसेअव्यय(Avyay)शब्द कहते हैं।अव्यय शब्दहर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों कोअविकारी शब्दभी कहा जाता है।
जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।
जिन शब्दों सेक्रियाकी विशेषता का पता चलता है उसेक्रिया -विशेषण(Kriya visheshan)कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ परक्रियाविशेषण अव्ययहोता है।
1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचकक्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण
आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है।
(ii) वे कब गए।
(iii) सीता कल जाएगी।
(iv) वह प्रतिदिन पढ़ता है।
(v) दिन भर वर्षा होती है।
(vi) कृष्ण कल जायेगा।
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने के स्थान का पता चले उन्हेंस्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
(iii) सुनील नीचे बैठा है।
(iv) इधर -उधर मत देखो।
(v) वह आगे चला गया।
(vi) उधर मत जाओ।
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसेपरिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।
जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।
जिनअव्ययशब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हेंरीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण
ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पररीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
जैसे :-
जिन अव्यय शब्दों के कारणसंज्ञाके बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों कोसंबंधबोधक शब्दकहते हैं। येशब्दसंज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।
जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ परसंबंधबोधक अव्ययहोता है।
प्रयोग की पुष्टि सेसंबंधबोधक अव्यय के भेद :-
जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा यासर्वनामके बाद लगते हैं उन्हेंसविभक्तिककहते हैं। जहाँ पर आगे , पीछे , समीप , दूर , ओर , पहले आते हैं वहाँ पर सविभक्तिक होता है।
जैसे :- (i) घर के आगे स्कूल है।
(ii) उत्तर की ओर पर्वत हैं।
(iii) लक्ष्मण ने पहले किसी से युद्ध नहीं किया था।
जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं उन्हेंनिर्विभक्तिककहते हैं। जहाँ पर भर , तक , समेत , पर्यन्त आते हैं वहाँ पर निर्विभक्तिक होता है।
जैसे :- (i) वह रात तक लौट आया।
(ii) वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा।
(iii) वह बाल बच्चों समेत यहाँ आया।
जो अव्यय शब्दविभक्तिरहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं उन्हेंउभय विभक्तिकहते हैं। जहाँ पर द्वारा , रहित , बिना , अनुसार आते हैं वहाँ पर उभय विभक्ति होता है।
जैसे :- (i) पत्रों के द्वारा संदेश भेजे जाते हैं।
(ii) रीति के अनुसार काम होना है।
जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हेंसमुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं। इन्हेंयोजकभी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।
जैसे :
और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ परसमुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जिन शब्दों से समान अधिकार के अंशों के जुड़ने का पता चलता है उन्हेंसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं।
जहाँ पर किन्तु , और , या , अथवा , तथा , परन्तु , व , लेकिन , इसलिए , अत: , एवं आते है वहाँ परसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जैसे :- (i) कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ते हैं।
(ii) मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे साथी सभी साथ थे।
जिन अव्यय शब्दों में एक शब्द को मुख्य माना जाता है और एक को गौण। गौण वाक्य मुख्य वाक्य को एक या अधिक उपवाक्यों को जोड़ने का काम करता है। जहाँ पर चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि , जिससे कि , ताकि , यदि , तो , यानि आते हैं वहाँ परव्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जैसे :- (i) मोहन बीमार है इसलिए वह आज नहीं आएगा।
(ii) यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ।
(iii) मैंने दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं।
जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हेंविस्मयादिबोधक अव्यय(Vismayadi bodhak avyay)कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।
भाव के आधारपरविस्मयादिबोधक अव्यय के भेद:-
(1) हर्षबोधक :-जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ परहर्षबोधकहोता है।
(2) शोकबोधक :-जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ परशोकबोधकआता है।
(3) विस्मयादिबोधक :-जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ परविस्मयादिबोधकहोता है।
(4) तिरस्कारबोधक :-जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ परतिरस्कारबोधकहोता है।
(5) स्वीकृतिबोधक :-जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ परस्वीकृतिबोधकहोता है।
(6) संबोधनबोधक :-जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ परसंबोधनबोधकहोता है।
(7) आशीर्वादबोधक :-जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ परआशिर्वादबोधकहोता है।
जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। इसेअवधारक शब्दभी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ परनिपात अव्ययहोता है।
जब अव्यय शब्दों का प्रयोगसंज्ञायासर्वनामके साथ किया जाता है तब येसंबंधबोधकहोते हैं और जब अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब येक्रिया -विशेषणहोते हैं।
जैसे :- (i) बाहर जाओ।
(ii) घर से बाहर जाओ।
(iii) उनके सामने बैठो।
(iv) मोहन भीतर है।
(v) घर के भीतर सुरेश है।
(vi) बाहर चले जाओ।
1. ’वह चुपके से चला’ पंक्ति में ’चुपके से’ है?
(अ) रीतिवाचक अव्यय (ब) दिशावाचक अव्यय
(स) स्थानवाचक अव्यय (द) परिमाणवाचक अव्यय
सही उत्तर-(अ)
2. किस वाक्य में क्रियाविशेषण का प्रयोग हुआ है?
(अ) उस पेङ पर पक्षी बैठा है।
(ब) सङक पर धीरे-धीरे चलना चाहिए।
(स) गिरधारी पुस्तक पढ़ता है।
(द) इधर कोई व्यक्ति नहीं है।
सही उत्तर-(ब)
3. व्याकरणिक कोटियों से अप्रभावित रहता है?
(अ) अव्यय (ब) संज्ञा
(स) सर्वनाम (द) क्रिया
सही उत्तर-(अ)
4. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है-
(अ) कपिल अच्छा खेलता है।
(ब) अच्छा कपिल खेलता है।
(स) खेलता है कपिल अच्छा
(द) उपर्युक्त सभी
सही उत्तर-(अ)
5. इन शब्दों में अव्यय शब्द है-
(अ) परन्तु (ब) दुधारू
(स) पंजाबी (द) चल
सही उत्तर-(अ)
6. अव्यय में रूपान्तरण नहीं होता-
(अ) लिंग का (ब) वचन का
(स) कारक का (द) उपर्युक्त सभी का
सही उत्तर-(द)
7. एक पद, वाक्यांश या उपवाक्य का सम्बन्ध दूसरे पद, वाक्यांश या उपवाक्य से जोङने वाले अव्यय को कहते हैं?
(अ) समुच्चयबोधक अव्यय
(ब) विस्मयादिबोधक अव्यय
(स) क्रिया विशेषण
(द) अप्रकट अव्यय
सही उत्तर-(अ)
8. ’जो अव्ययक्रियाकी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कहते हैं-
(अ) सम्बन्धबोधक (ब) समुच्चयबोधक
(स) भावादिबोधक (द) क्रियाविशेषण
सही उत्तर-(द)
9. ’हमें सफलता मिलने तक प्रयास करना चाहिए’ इस वाक्य में ’तक’ है?
(अ) समुच्चबोधक अव्यय
(ब) क्रिया विशेषण
(स) सम्बन्ध बोधक अव्यय
(द) विस्मयादिबोधक अव्यय
सही उत्तर-(स)
10. ’अनिल कल आएगा।’ वाक्य में क्रियाविशेषणका रूप है-
(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) रीतिवाचक (द) परिमाणवाचक
सही उत्तर-(ब)
11. ’वहाँ मोहन के…………….कोई नहीं था’ वाक्य में रिक्त स्थान पर प्रयुक्त होगा?
(अ) या (ब) और
(स) अलावा (द) अथवा
सही उत्तर-(स)
12. स्थानवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-
(अ) नमन नीचे खङा है।
(ब) महावीर आज आएगा।
(स) मैं अचानक आ गया हूँ।
(द) कोई गा रहा है।
सही उत्तर-(अ)
13. ’……………बोलो, कोई सुन लेगा’ वाक्य में रिक्त स्थान पर आएगा?
(अ) जो से (ब) गाकर
(स) चीखकर (द) धीरे
सही उत्तर-(द)
14. रीतिवाचक क्रियाविशेषण शब्द नहीं है-
(अ) अचानक (ब) अवश्य
(स) सचमुच (द) किंचित्
सही उत्तर-(द)
15. निम्नलिखित में कौन अविकारी है?
(अ) अव्यय (ब) क्रिया विशेषण
(स) विशेषण (द) अ व ब दोनों
सही उत्तर-(द)
16. ’उसने खूब मेहनत की है।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-
(अ) स्वीकारवाचक (ब) परिमाणवाचक
(स) रीतिवाचक (द) निषेधवाचक
सही उत्तर-(ब)
17. ’कछुआ धीरे-धीरे चलता है’ इस वाक्य में क्रिया विशेषण छाँटे?
(अ) धीरे-धीरे (ब) कछुआ
(स) चलता (द) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर-(अ)
18. ’स्वीकारवाचक क्रियाविशेषण’ का सही प्रयोग हुआ है-
(अ) वह निस्संदेह आएगा।
(ब) वह शायद ही आएगा।
(स) वह नहीं आएगा।
(द) वह नहीं आ सकता है।
सही उत्तर-(अ)
19. ’उसने आँख फाङकर देखा।’ इस वाक्य में ’फाङकर’ निम्नांकित में से क्या है?
(अ) विशेषण (ब) क्रिया विशेषण
(स) पूर्वकालिक क्रिया (द) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर-(ब)
20. ’आग के निकट मत जाओ।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-
(अ) परिमाणवाचक (ब) रीतिवाचक
(स) निषेधवाचक (द) स्वीकारवाचक
सही उत्तर-(स)
21. इनमें से किसमें एक क्रिया-विशेषण है?
(अ) वह धीरे चलता है (ब) वह कहता कुत्ता है
(स) रमेश तेज धावक है (द) सत्यावाणी सुन्दर होती है
सही उत्तर-(अ)
22. ’मेरी पुस्तक आकांक्षा के पास है।’ वाक्य में अव्यय है-
(अ) क्रियाविशेषण (ब) सम्बन्धबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(ब)
23. ’निश्चित’ शब्द क्रिया विशेषण के किस भेद के अन्तर्गत आता है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) प्रश्नवाचक
(स) हेतु बोधक (द) रीतिवाचक
सही उत्तर-(द)
24. संबंधबोधक अव्यय है-
(अ) सामने (ब) अरे!
(स) मत (द) धीरे-धीरे!
सही उत्तर-(अ)
25. ’ध्यानपूर्वक’ शब्द है?
(अ) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
(ब) कालवाचक क्रिया विशेषण
(स) स्थानवाचक क्रिया विशेषण
(द) रीतिवाचक क्रिया विशेषण
सही उत्तर-(द)
26. ’राम और लक्ष्मण भाई थे।’ वाक्य में अव्यय का रूप है-
(अ) संबंधबोधक (ब) विस्मयादिबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) क्रियाविशेषण
सही उत्तर-(स)
27. राम घर गया और श्याम बाजार गया। इस वाक्य में रेखांकित शब्द है?
(अ) विकल्प सूचक (ब) परिणाम दृर्शक
(स) संयोजक (द) कारणबोधक
सही उत्तर-(स)
28. समुच्चयबोधक सूचक अव्यय है-
(अ) किन्तु, परन्तु, तथा (ब) न, नहीं
(स) आगे, पीछे, मध्य (द) हे, ओ अरे!
सही उत्तर-(अ)
29. ’तिरस्कार सूचक’ अव्यय है?
(अ) आह! (ब) अरे!
(स) छिः! (द) उफ!
सही उत्तर-(स)
30. संबंधबोधक अव्यय का उदाहरण है-
(अ) अरे! यह क्या हो गया।
(ब) मेरा मकान पेङ के सामने हैं।
(स) सीता तथा रीता सगी बहने हैं।
(द) क्रिकेट मत खेलो।
सही उत्तर-(ब)
31. किस वाक्य में निपात का प्रयोग नहीं हुआ है?
(अ) बात अपने तक ही रखना
(ब) शीला तो बीमार है
(स) तुम भी चले जाओ
(द) मैं कल जयपुर गया था
सही उत्तर-(द)
32. विस्मयादिबोधक अव्यय है-
(अ) वाह (ब) परन्तु
(स) निकट (द) तेज
सही उत्तर-(अ)
33. विस्मय के भाव के लिए विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द है?
(अ) आह (ब) अरे
(स) उफ (द) हाय
सही उत्तर-(ब)
34. जिन अव्यय शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति होती है, वह है-
(अ) संबंधबोधक (ब) क्रियाविशेषण
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(द)
35. ’छिः धिक्कार है तुम्हे! इस वाक्य में ’छि’ है?
(अ) संबोधन (ब) संज्ञा
(स) अव्यय (द) क्रिया
सही उत्तर-(स)
36. रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-
(अ) उदयपुर लगभग 100 कि.मी. दूर है।
(ब) वह परसों आ जाएगा।
(स) हम सचमुच बच गए।
(द) मैं अवश्य जाऊँगा
सही उत्तर-(स)
37. निम्न में से अव्यय शब्द नहीं है-
(अ) अचानक (ब) प्रतिदिन
(स) चलना (द) जी हाँ।
सही उत्तर-(स)
38. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय है-
(अ) थोङा (ब) मानो
(स) अवश्य (द) हे!
सही उत्तर-(अ)
39. ’इधर आओ।’ वाक्य में अव्यय-रूप है-
(अ) क्रियाविशेषण (ब) संबंधबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(अ)
40. क्रिया के होने का समय-बोध किस क्रिया विशेषण में होता है?
(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) परिमाणवाचक (द) निषेधवाचक
सही उत्तर-(ब)
41. क्रियाविशेषण का उदाहरण नहीं है-
(अ) अनिल आज आएगा।
(ब) घोङा तेज दौङ रहा है।
(स) हम अवश्य आएँगे।
(द) सुख और दुःख शाश्वत है।
सही उत्तर-(द)
42. ’घोङा तेज दौङता है।’ वाक्य में अव्यय है-
(अ) घोङा (ब) तेज
(स) दौङता (द) है।
सही उत्तर-(ब)
43. अव्यय शब्द है-
(अ) विकारी (ब) अविकारी
(स) पदबंध (द) वाक्यांश
सही उत्तर-(ब)
’पर्याय’शब्द का अर्थ है-’समान’तथा’वाची’का अर्थ है- ’बोले जाने वाले’ अर्थात् जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, उन्हें हम’पर्यायवाची शब्द’(Paryayvachi shabd)कहते है।
पर्यायवाची शब्द अपने समान अर्थ के कारण दूसरे शब्द का स्थान ग्रहण कर लेते है अर्थात् एक समान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd) कहते है। हिन्दी ऐसी भाषा है कि जिसमें एक शब्द के अनेक समानार्थी शब्द होते है जो भिन्न अंचल विशेषों में प्रचलित होते है। यही कारण है कि अर्थ की लगभग समानता को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक समूह में डाल दिया जाता है जिन्हें समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द (Synonyms in Hindi) कह दिया जाता है।
पर्याय का अर्थ है-समकक्ष या समान अतःपर्यायवाची शब्दका आशय है समान अर्थ वाला शब्द। पर्यायवाची शब्द का यह तात्पर्य नहीं है कि वह पूर्णतः समान अर्थ वाला हो, कभी-कभी रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने के कारण वाक्य में प्रयोग करते समय एक ही पर्यायवाची शब्द युग्म के अलग-अलग अर्थ भी हो जाते है।
उदाहरण के लिए स्वर्ग शब्द को लें। स्वर्ग का एक पर्यायवाची ’नाक’ है। किन्तु वाक्य प्रयोग के कारण स्वर्ग के पर्यायवाची नाक के अर्थ में परिवर्तन के कारण समानता भंग हो जाती है।
“एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले ,अर्थ में समानता हो उन्हेंपर्यायवाचीशब्द ((paryayvachi shabd)ही कहते है”जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है,उन्हेंसमानार्थक, समानार्थी या पर्यायवाची शब्दकहते हैं .जैसे :आँख– लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि |
तोआँखके पर्यायवाचीलोचन ,नयन ,नेत्र ,चक्षु हुए ,जिनका सबका एक ही अर्थ होता है
ऊधम का पर्यायवाची–उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.
औरत का पर्यायवाची–स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.
paryayvachi shabd
न से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
फसे शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
भ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : (paryayvachi shabd in hindi)
य से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
ष से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
Ped –Taru, Drum,Vitap, Vriksh, Paadap, Ruksh, gaach, darkhat, shaakhi
पेड़ –वृक्ष, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम
1. ’कमल’ का पर्यायवाची शब्द बताइये ?
(अ) अरविन्द ✔️ (ब) मदन
(स) मयंक (द) अचल
2. निम्न में से कौन सा विकल्प- ’किरण’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
(अ) अंशु (ब) प्रकाश
(स) रश्मि (द) मयूर ✔️
3.”Allotment”का पारिभाषिक शब्द है:
(अ) देना (ब) आबंटन ✔️
(स) पाना (द) हिस्सा
4. निम्न में ’स्वर्ण’ का ’अपर्यायवाची’ इंगित करें-
(अ) कंचन (ब) कनक
(स) हेम (द) किंकिन ✔️
5. ’केदार’ निम्न में किसका पर्यायवाची है ?
(अ) ब्रह्मा (ब) विष्णु
(स) महेश ✔️ (द) इन्द्र
6. निम्न में ’मेघ’ का पर्यायवाची इंगित करे ?
(अ) जलज (ब) कोकनद
(स) पयोद ✔️ (द) उपर्युक्त सभी
7. निम्न में कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय है ?
(अ) नीरद (ब) कोकनद
(स) नीलनद (द) प्रमद
8. निम्न में से कौन-सा नाम ’कृष्ण’ का पर्याय नहींहै ?
(अ) जगन्नाथ (ब) केशव
(स) केटव ✔️ (द) माधव
9. निम्न में से कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय नहीं है ?
(अ) सरसिज (ब) अम्बुज
(स) पंकज (द) वारिद ✔️
10. निरंकुशता किसका पर्यायवाची है ?
(अ) स्वेच्छाचारिता ✔️ (ब) स्वतंत्रता
(स) आत्मनिर्भरता (द) वीरता
निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः
11. दामिनी
(अ) नवनीत (ब) चमक
(स) आत्मनिर्भर (द) बिजली ✔️
12. अरि
(अ) मित्र (ब) शत्रु ✔️
(स) अभद्र (द) कठोर
13. स्तन्य
(अ) खीर (ब) पेय
(स) कौंध (द) दूध ✔️
14. दर्प
(अ) तिरस्कार (ब) अहंकार ✔️
(स) स्वाभिमान (द) गर्व
15. ’घनश्याम’ का अर्थ है काला बादल, इसका दूसरा अर्थ है ?
(अ) विष्णु (ब) घने बादल
(स) कृष्ण ✔️ (द) घने बाल
16. ’अनिल’ का पर्याय है:
(अ) अनल (ब) पवन ✔️
(स) पावस (द) चक्रवात
17. ’मृगेन्द्र’ का पर्याय हैः
(अ) कुरंग (ब) अहि
(स) कुंजर (द) शार्दूल ✔️
18. ’प्रसून’ पर्यायवाची है:
(अ) वृक्ष का (ब) पुष्प का ✔️
(स) चन्द्रमा का (द) इनमें से कोई नहीं
19. निम्नलिखित में ’कबतूर’ का पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) पारावात ✔️ (ब) हारिल
(स) कोर (द) कुक्कुट
20. वर्तनी की शुद्धता को ध्यान रखते हुए ’आग’ शब्द के लिए प्रयुक्त शुद्ध हिन्दी शब्द कौन-सा है ?
(अ) अनिल (ब) अनल ✔️
(स) आनल (द) आनिल
21. रात्रि का पर्याय नहीं है:
(अ) यामिनी (ब) रजनी
(स) सजनी ✔️ (द) निशा
22. फूल का पर्याय नहीं है:
(अ) सुमन (ब) कुसुम
(स) पुष्प (द) तनुजा ✔️
23. सही पर्यायवाची शब्द चुनिए:
(अ) इन्दिरा ✔️ (ब) कामाक्षी
(स) दामिनी (द) कामिनी
24. ’केसरी’ शब्द के पर्यायवाची शब्द का चयन कीजिएः
(अ) सुन्दर (ब) हाथी
(स) सिंह (द) पक्षी
25. ’तुरंग’ का पर्यायवाची शब्द चुनिएः
(अ) गदहा (ब) घोङा ✔️
(स) सर्प (द) सिंह
26. ’सेना’ का पर्यायवाची है:
(अ) अनीक ✔️ (ब) सैनिक
(स) अरि (द) अतनु
27. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’होंठ’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
(अ) ओष्ठ (ब) रद-पट
(स) अष्ट ✔️ (द) अधर
28. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’अनुचर’ शब्द का पर्यायवाची नही है ?
(अ) भृत्य (ब) चाकर
(स) सेवक (द) निर्झर ✔️
29. ’वीणापाणि’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) रंभा (ब) सरस्वती ✔️
(स) लक्ष्मी (द) कमल
30. ’कंचन’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) हीरा (ब) कनक ✔️
(स) ताँबा (द) चाँदी
31. ’निशाचर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) नभचर (ब) रात्रिचर ✔️
(स) चंद्रमा (द) निरहंकार
32. ’कामदेव’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) केशव (ब) अनंग ✔️
(स) कौमुदी (द) भवानी
33. निम्नांकित में कौन-सा शब्द ’पृथ्वी’ का पर्यायवाची है ?
(अ) दामिनी (ब) मेदिनी ✔️
(स) यामिनी (द) तटिनी
34. निम्नांकित शब्दा में ’अग्नि’ शब्द का पर्यायवाची कौन-सा है ?
(अ) हुताशन (ब) पावक
(स) अनल (द) अनिल ✔️
35. ’सर’, जो कि सरोवर का पर्यायवाची है, यदि ’सर’ के प्रथम वर्ण ’स’ के स्थान पर ’श’ का प्रयोग किया जाए तो उसका क्या अर्थ होगा ?
(अ) सरोवण (ब) सत्त्व
(स) वाण ✔️ (द) शाखा
36. निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ’हवा’ का पर्यायवाची नहीं है ?
(अ) समीर (ब) अनिल
(स) अनल ✔️ (द) पवन
37. नीचे दिए गए विकल्पों में से ’नग’ शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द चुनिए।
(अ) पवर्त ✔️ (ब) तरी
(स) किंकर (द) स्तर
38. किस वर्ग में सभी शब्द अनेकार्थक है ?
(अ) अंक, मधु, वीचि
(ब) वर्ण, पद, करका
(स) अर्थ, हस्त, यूथप
(द) इनमें से कोई नहीं ✔️
निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः
39. चन्द्रमा
(अ) दिवाकर (ब) निशि
(स) मार्तण्ड (द) शशि ✔️
40. शतदल
(अ) समूह (ब) सेना
(स) दस्यु (द) सरसिज ✔️
41. अंजन
(अ) गुलाब (ब) पद्य
(स) ब्रह्मा (द) काजल ✔️
42. मृगांक
(अ) लोचन (ब) मृग
(स) सुधाकर ✔️ (द) कलोल
43. हरिण
(अ) विहग (ब) खग
(स) हंस (द) मृग ✔️
44. वायु
(अ) अनल (ब) अनिल ✔️
(स) अलिन्द (द) अलिनी
45. सेना
(अ) अनीक✔️ (ब) सैनिक
(स) अरि (द) अतनु
46. विनायक
(अ) सुर (ब) शत्रु
(स) पुत्र (द) गणेश ✔️
47. मछली
(अ) जलचर✔️ (ब) जलज
(स) मेष (द) पंकज
48. पृथ्वी
(अ) रत्नगर्भा ✔️ (ब) हिरण्यगर्भा
(स) वसुमती (द) स्वर्णमयी
49. धाता
(अ) विष्णु ✔️ (ब) धाय
(स) पक्ष (द) हार
50. रात्रि
(अ) क्षपा (ब) तमीचर
(स) अम्मा (द) विभावरी ✔️
51. तरणि
(अ) सूर्य (ब) नाव ✔️
(स) युवती (द) नदी
52. अम्ब
(अ) देवी (ब) जल
(स) माता ✔️ (द) द्वार
53. स्तन्य
(अ) खीर (ब) पेय
(स) कौंध (द) दूध ✔️
54. पावक
(अ) अंगरा (ब) हुताशन ✔️
(स) लपट (द) ज्वाला
55. धरती
(अ) चंचला (ब) विपुल ✔️
(स) सरसी (द) अचला
56. इन्द्र
(अ) राजीव (ब) कन्दर्प
(स) वक्र ✔️ (द) वल्लभ
57. अनन्त
(अ) निस्सीम✔️ (ब) भगवान
(स) शेषनाग (द) बन्धन
58. सारंग
(अ) नमक (ब) सारथी
(स) मोर ✔️ (द) घोङा
59. अतनु
(अ) ईश्वर (ब) कृष्ण
(स) कामदेव ✔️ (द) बसंत
60. घर
(अ) विहार (ब) इला
(स) निकेतन ✔️ (द) नग
निर्देशः निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में पर्यायवाची स्वरूप के आधार के चार/पाँच शब्द दिए गए है। इनमें से एक शब्द पर्याय नहीं है। उसको चिह्निन करें।
61. दाँत
(अ) दाङिम ✔️ (ब) दन्त
(स) दशन (द) रदन
62. चाँदी
(अ) रजत (ब) रूप्य
(स) जातम (द) हेम
63. सेना
(अ) अनि (ब) कटक
(स) चमू (द) हाटक ✔️
64. कुबेर
(अ) किन्नरेश (ब) कोविद ✔️
(स) धनाधिप (द) राजराज
65. कलाधर
(अ) सुधांशु (ब) कलाकार ✔️
(स) चन्द्रमा (द) निशापति
66. हाथी
(अ) द्विप (ब) द्विरद
(स) तरणि ✔️ (द) सिंधुर
67. कमल
(अ) नलिन (ब) रसाल ✔️
(स) उत्पल्ल (द) राजीव
68. ’असंदिग्ध’ शब्द के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पर्यायवाची शब्द कौन सा है ?
(अ) असंदेहास्पद (ब) निर्विवाद ✔️
(स) निष्पक्ष (द) निः सन्देह
69. ’शिव’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) पिनाकी ✔️ (ब) लम्बोदर
(स) पियासु (द) पिनाक
70. ’यति’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) ब्राह्मण (ब) सन्यासी ✔️
(स) सती (द) भिखारी
71. ’विभावरी’ का पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) रात्रि ✔️ (ब) तपसा
(स) क्षणदा (द) तरणी
72. ’कृष्ण’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) हषीकेश ✔️ (ब) महीपति
(स) किन्नर (द) चन्द्रशेखर
73. ’कौवा’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वयस् (ब) वारण
(स) मराल (द) वायस ✔️
74. ’उद्यान’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) उपवन✔️ (ब) निकेतन
(स) कानन (द) अरण्य
75. ’दूत’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) पायक (ब) अनुचर
(स) हरकारा✔️ (द) पदाति
76. ’तूणीर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) असंग (ब) उत्संग
(स) निषंग ✔️ (द) निःसंग
77. ’बाज’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) बाजि (ब) हय
(स) आशु (द) श्येन
78. ’मोती’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) मुकुर (ब) मुक्ता ✔️
(स) मरकत (द) मणि
79. ’सरस्वती’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वाग्देवी ✔️ (ब) वाचिका
(स) बदरिका (द) वाग्भिता
80. ’मोर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कपोत (ब) पिक
(स) केकी ✔️ (द) अम्बर
81. ’दामिनि’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वपा (ब) नीरद
(स) बादल (द) विद्युत ✔️
82. ’हंस’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कपोल (ब) सारंग
(स) विवेकी (द) मराल ✔️
83. ’पर्वत’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) आर्द्र (ब) अद्रि ✔️
(स) आद्र्रा (द) शंृग
84. ’निराकरण’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) स्पष्टीकरण (ब) समाधान ✔️
(स) विवेचन (द) संहार
85. ’हवा’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वायु-द्विज (ब) मारुत-शकुनत
(स) अनल-पवन (द) समीर-अनिल ✔️
86. ’घर’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) धाम-आलय ✔️ (ब) पंकज-भवन
(स) गृह-वाटिका (द) शान्ति-निकेतन
87. ’प्रकाश’ के पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) प्रस्तर-अचला (ब) ज्याति-दीप्ति ✔️
(स) छवि-प्रभाकर (द) दिनकर-ज्योति
88. ’मछली’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) भामा-मत्स्य (ब) जलनिमग्नि-मकर
(स) सफरी-धात्री (द) मीन-मत्स्य ✔️
89. ’नारी’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कान्ता-निशा (ब) रमणी-कालिन्दी
(स) कामिनी-दामिनी (द) त्रिया-भामिनी ✔️
90. ’मोर’ का पर्यायवाची इनमें से क्या है ?
(अ) कलापी ✔️ (ब) मङित
(स) विचिख (द) विचक्षण
91. ’दुहिता’ किस शब्द का पर्यायवाची है ?
(अ) पुत्र (ब) पुत्री ✔️
(स) स्त्री (द) पत्नी
92. ’निर्वाण’ का पर्यायवाची शब्द क्या है ?
(अ) निर्माण (ब) भवन
(स) मोक्ष ✔️ (द) मोती
93. इनमें से कौन सा शब्द विष्णु का पर्याय है ?
(अ) मुकुन्द ✔️ (ब) गिरिधर
(स) रघुनन्दन (द) विधि
94. इनमें से मछली का पर्यायवाची क्या है ?
(अ) झष ✔️ (ब) वारिद
(स) तङित (द) चचल
95. इनमें से कौन सा शब्द बिजली का पर्यायवाची है ?
(अ) सौदामिनी ✔️ (ब) कान्ति
(स) प्रभा (द) मेघ
96. महाश्वेता किसका पर्यायवाची है ?
(अ) लक्ष्मी (ब) सरस्वती ✔️
(स) पार्वती (द) सीता
97. केशरी किसका पर्यायवाची है ?
(अ) घोङा (ब) हाथी
(स) सियार (द) सिंह ✔️
98. कामदेव का पर्यायवाची शब्द होगा:
(अ) पुण्डरीक (ब) अतनु
(स) अंशु (द) राजराज
99. पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द होगाः
(अ) अश्म (ब) अचल ✔️
(स) बीजप्रस (द) महिधर
100. इनमें से कौनसा शब्द गंगा का पर्यायवाची है ?
(अ) देवापगा (ब) हंसला ✔️
(स) सुरसरिता (द) विष्णुपदी
हिंदी भाषा में भी दो विरोधी अर्थों और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए अलग -अलग शब्दों का अस्तित्व होता है।विपरीत भावोंकी अभिव्यक्ति के लिए विलोम शब्दों का ज्ञान होना आवश्यक है। इसलिए आज के आर्टिकल में हमविलोम शब्दोंको पढेंगे ।
विलोम का अर्थ होता है – उल्टा। निम्नलिखित शब्दविपरीतार्थकहै, क्योंकि ये अपने सामने वाले शब्द के सर्वदाविपरीत अर्थप्रकट करते हैं। तो सीधी सी बात है कि किसी भीशब्दका विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दविलोम शब्द (Vilom Shabd)कहलाते है। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विलोम शब्दों को अंग्रेजी मेंAntonymsकहते है। विलोम शब्द कई प्रकार से बनते है जैसे – उपसर्ग के द्वारा ,लिंग परिवर्तन के द्वारा।
उपसर्ग से– ज्ञान -अज्ञान ,अल्पायु – दीर्घायु , अंतरंग – बहिरंग, अवनत – उन्नत, लभ्य -अलभ्य।
लिंग परिवर्तन से– शेर – शेरनी, राजा-रानी, माता – पिता , लड़का-लड़का, नाना – नानी।
यहाँ ध्यान देने की बात यह हैकिसंज्ञा शब्द काविपरीतार्थकसंज्ञा होऔरविशेषण काविपरीतार्थकविशेषण।
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
अनाथ | सनाथ |
अवनति | उन्नति |
अंतरंग (अंत:+अंग ) | बहिरंग |
अल्पज्ञ | बहुज्ञ |
अल्पायु | दीर्घायु |
अवनत | उन्नत |
अंतद्वंद्व | बहिद्वंद्व |
अंतर्मुखी | बहिर्मुखी |
अल्प | बहु |
अपेक्षा | उपेक्षा |
अग्रज | अनुज |
अधम | उत्तम |
अज्ञ | विज्ञ, प्रज्ञ |
अगम | सुगम |
अमृत | विष |
अलभ्य | लभ्य |
अरुचि | रुचि |
अथ | इति |
अनुग्रह | विग्रह |
अंत | आदि |
अमावस्या | पूर्णिमा |
अस्त | उदय |
अनुलोम | प्रतिलोम |
अनुरक्ति | विरक्ति |
अमर | मर्त्य |
अग्नि | जल |
अपमान | सम्मान |
अति | अल्प |
अंधकार | प्रकाश |
अल्पसंख्यक | बहुसंख्यक |
आधुनिक | प्राचीन |
आविर्भाव (उदय होना) | तिरोभाव (लुप्त हो जाना) |
आगामी | विगत |
आचार | अनाचार |
आत्मा | परमात्मा |
आदान | प्रदान |
आयात | निर्यात |
आकाश | पाताल |
अतिवृष्टि | अनावृष्टि |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
अवनि(धरती) | अंबर(आकाश) |
अनुराग(प्रेम) | विराग |
अनुकूल | प्रतिकूल |
आर्द्र | शुष्क |
आशा | निराशा |
आस्तिक | नास्तिक |
आलोक | अंधकार |
आय | व्यय |
आग्रह | अनाग्रह |
आकीर्ण(विस्तार होना) | विकीर्ण |
आधार | आधेय, लंब |
आकर्षण | विकर्षण |
आद्य | अंत्य |
आसक्त | अनासक्त |
आजादी | गुलामी |
आभ्यंतर | बाह्य |
इहलोक | परलोक |
इष्ट | अनिष्ट |
ईश्वर | अनीश्वर |
उपसर्ग | प्रत्यय |
उन्मूलन(जड़ से समाप्त करना) | रोपण |
उदार | कृपण |
उत्कृष्ट | निकृष्ट |
उपयोग | दुरुपयोग |
उपयुक्त | अनुपयुक्त |
उच्च | निम्न |
उत्तीर्ण | अनुत्तीर्ण |
उदयाचल | अस्ताचल |
उत्तरायण | दक्षिणायन |
एकतंत्र | बहुतंत्र |
एङी | चोटी |
ऐतिहासिक | अनैतिहासिक |
इच्छा | अनिच्छा |
ईद | मुहर्रम |
उपकार | अपकार |
उत्कर्ष | अपकर्ष |
उदात्त(महान) | अनुदात्त |
उत्साह | निरुत्साह, अनुत्साह |
उत्तम | अधम |
उद्यमी | निरुद्यम |
उत्थान | पतन |
उधार | नकद |
उपरि | अधः |
उपयुक्त | अनुपयुक्त |
उग्र | सौम्य |
एकता | अनेकता |
एकत्र | विकीर्ण |
ऐश्वर्य | अनैश्वर्य |
एकेश्वरवाद | बहुदेववाद |
कीर्ति | अपकीर्ति |
कुरूप | सुरूप |
करुण | निष्ठुर |
क्रय | विक्रय |
कायर | निडर |
कटु | मधु |
क्रूर | अक्रूर |
कृत्रिम | प्रकृत |
कठोर, कर्कश | कोमल |
कृष्ण | श्वेत, शुक्ल |
कृतज्ञ | कृतघ्न |
कनिष्ठ | ज्येष्ठ |
कर्म | निष्कर्म, अकर्म |
कपटी | निष्कपट |
कुटिल | सरल |
क्रोध | क्षमा |
कर्मण्य | अकर्मण्य |
कोप | कृपा |
कृपण(कंजूस) | दाता |
कर्मठ | अकर्मण्य |
खेद | प्रसन्नता |
गणतंत्र | राजतंत्र |
गुरु | लघु |
गुप्त | प्रकट |
ग्रस्त | मुक्त |
ग्राह्य | त्याज्य |
गगन | पृथ्वी |
गरल | सुधा |
गीला | सूखा |
गौरव | लाघव |
गृहस्थ | संन्यासी |
गत | आगत |
गुण | दोष |
गमन | आगमन |
घात | प्रतिघात |
घरेलू | बाहरी, वन्य |
चाह | अनचाह |
चिरंतन | नश्वर |
छाँह | धूप |
चोर | साधु |
छली | निश्छल |
छूत | अछूत |
जन्म | मृत्यु, मरण |
ज्येष्ठ | कनिष्ठ |
जागरण | निद्रा |
जल | स्थल |
जीवित | मृत |
जातीय | विजातीय |
जटिल | सरल |
जय | पराजय |
जङ | चेतन |
ज्योति | तम |
जीवन | मरण |
जंगम | स्थावर |
ज्वार | भाटा |
जल्द | देर |
ताप | शीत |
तम | आलोक, ज्योति |
तीव्र | मंद |
तुच्छ | महान |
देव | दानव |
दृष्ट, दुर्जन | सज्जन |
देय | अदेय |
दीर्घकाय | कृशकाय |
धनी | निर्धन |
तिमिर | प्रकाश |
तामसिक | सात्त्विक |
तुकांत | अतुकांत |
तरल | ठोस |
दिवा | रात्रि |
दूषित | स्वच्छ |
दुर्बल, निर्बल | सबल |
दक्षिण | वाम, उत्तर |
ध्वंस | निर्माण |
नूतन | पुरातन |
न्यून | अधिक |
नश्वर | शाश्वत, अनश्वर |
निंदा | स्तुति |
नागरिक | ग्रामीण |
निर्मल | मलिन |
निरामिष | सामिष |
निर्लज्ज | सलज्ज |
निर्दोष | सदोष |
निर्माण | विनाश, ध्वंस |
नगर | ग्राम |
निर्दय | सदय |
नैसर्गिक | कृत्रिम, अनैसर्गिक |
निष्काम | सकाम |
निंद्य | वंद्य |
निरक्षर | साक्षर |
पंडित | मूर्ख |
पक्ष | विपक्ष |
प्रमुख | सामान्य, गौण |
प्रलय | सृष्टि |
प्रारंभिक | अंतिम |
पाश्चात्य | पौवार्त्य, पौरस्त्य |
प्रशंसा | निंदा |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
पाप | पुण्य |
परार्थ | स्वार्थ |
पुरस्कार | दंड, तिरस्कार |
पूर्ववर्ती | परवर्ती, उत्तरवर्ती |
परतंत्र | स्वतंत्र |
परमार्थ | स्वार्थ |
परुष | कोमल |
प्रधान | गौण |
प्रवृत्ति | निवृत्ति |
प्राचीन | नवीन, अर्वाचीन |
प्रत्यक्ष | परोक्ष |
प्राकृतिक | कृत्रिम, विकृत, अप्राकृतिक |
पुष्ट | क्षीण, अपुष्ट |
परिश्रम | विश्राम |
पूर्व | उत्तर, अपर, पश्चिम |
पूर्णता | अपूर्णता |
प्रयोग | अप्रयोग |
बंधन | मुक्ति, मोक्ष |
बाह्य | अभ्यंतर |
बाढ़ | सूखा |
भूत | भविष्य |
भोगी | योगी |
बहिरंग | अंतरंग |
बलवान | बलहीन |
बर्बर | सभ्य |
भौतिक | आध्यात्मिक |
भद्र | अभद्र |
मानव | दानव |
मूक | वाचाल, मुखर |
मृदुल | कठोर |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
मुख | पृष्ठ, प्रतिमुख |
महात्मा | दुरात्मा |
मिलन | विरह |
मृत | जीवित |
मुनाफा | नुकसान |
योग | वियोग |
योगी | भोगी |
रक्षक | भक्षक |
राजतंत्र | जनतंत्र |
रत | विरत |
रागी | विरागी |
रचना | ध्वंस |
रूपवान | कुरूप |
रिक्त, अपूर्ण | पूर्ण |
लघु | गुरु, दीर्घ, महत् |
लौकिक | अलौकिक |
लिप्त | निर्लिप्त, अलिप्त |
लुप्त | व्यक्त |
विवाद | निर्विवाद |
विशिष्ट | साधारण |
विजय | पराजय |
विस्तृत | संक्षिप्त |
विशेष | सामान्य |
वसंत | पतझङ |
बहिष्कार | स्वीकार, अंगीकार |
वृद्धि | ह्रास |
विधवा | सधवा |
विमुख | सम्मुख, उन्मुख |
वैतनिक | अवैतनिक |
विशालकाय | क्षीणकाय, लघुकाय |
वीर | कायर |
वृहत्, महत् | लघु, क्षुद्र |
व्यस्त | अकर्मण्य, अव्यस्त |
व्यावहारिक | अव्यावहारिक |
विपत्ति | संपत्ति |
वृष्टि | अनावृष्टि |
विपद् | संपद् |
वक्र | सरल, ऋजु |
विशिष्ट | सामान्य |
वियोग, विरह | मिलन |
सम | विषम |
सजीव | निर्जीव, अजीव |
सफल | विफल, असफल, निष्फल |
सरल | कुटिल, वक्र, कठिन |
सजल | निर्जल |
स्वजाति | विजाति |
सम्मुख | विमुख |
सार्थक | निरर्थक |
सकर्म | निष्कर्म |
सुकर्म | कुकर्म, दुष्कर्म |
सुलभ | दुर्लभ |
सुपथ | कुपथ |
स्तुति | निंदा |
स्मरण | विस्मरण |
सशंक | निश्शंक |
सगुण | निर्गुण |
सबल | दुर्बल, अबल |
सनाथ | अनाथ |
सहयोगी | प्रतियोगी |
स्वतंत्रता | परतंत्रता |
संयोग | वियोग |
सम्मान | अपमान |
सकाम | निष्काम |
साकार | निराकार |
सुगंध | दुर्गंध |
सुगम | दुर्गम |
सुशील | दु:शील |
स्थूल | सूक्ष्म |
संपद् | विपद् |
सुनाम | दुर्नाम |
संतोष | असंतोष |
सुधा | गरल, विष, हलाहल |
संकल्प | विकल्प |
संन्यासी | गृही, गृहस्थ |
स्वधर्म | विधर्म, परधर्म |
समष्टि | व्यष्टि |
संघटन | विघटन |
साक्षर | निरक्षर |
सद्वृत्त | दुर्वृत्त |
समूल | निर्मूल |
सत्कर्म | दुष्कर्म |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
सुमति | कुमति |
संकीर्ण | विस्तीर्ण |
सदाशय | दुराशय |
सुकृति | कुकृति, दुष्कृति |
समास | व्यास |
स्वल्पायु | चिरायु |
सुसंगति | कुसंगति |
सुपरिणाम | दुष्परिणाम |
सौभाग्य | दुर्भाग्य |
सखा | शत्रु |
सौम्य | उग्र, असौम्य |
स्वामी | सेवक |
सृष्टि | प्रलय, संहार |
संधि | विग्रह |
स्थिर | चंचल, अस्थिर |
सबाध | निर्बाध |
स्वार्थ | निः स्वार्थ, परमार्थ |
सत्कार | तिरस्कार |
सापेक्ष | निरपेक्ष |
सक्षम | अक्षम |
सादर | निरादर |
सलज्ज | निर्लज्ज |
सदय | निर्दय |
सुलभ | दुर्लभ |
स्वप्न | जागरण |
संकोच | असंकोच, प्रसार |
सभ्य | असभ्य, बर्बर |
सुदूर | सन्निकट, अदूर |
सभय | निर्भय, अभय |
सामान्य | विशिष्ट |
स्तुत्य | निंद्य |
सुकाल | अकाल, दुष्काल |
शकुन | अपशकुन |
शीत | उष्ण |
शुक्ल | कृष्ण |
श्वेत | श्याम |
शासक | शासित |
शयन | जागरण |
शृंखला | विशृंखला |
श्रव्य | दृश्य |
शोषक | पोषक |
श्लील | अश्लील |
शांति | क्रांति, अशांति |
शुष्क | सिक्त (सींचा हुआ) |
शत्रु | मित्र |
श्रीगणेश | इतिश्री |
श्रद्धा | घृणा, अश्रद्धा |
श्यामा | गौरी |
हास | रूदन |
ह्रस्व | दीर्घ |
हर्ष | विषाद, शोक |
हिंसा | अहिंसा |
क्षर | अक्षर |
क्षणिक | शाश्वत |
क्षम्य | अक्षम्य |
क्षुद्र | विराट्, विशाल, महान |
1. ’देव’ शब्द का विलोम है-
(अ) दुर्देव (ब) दुर्जन
(स) दुर्भाग्य (द) दानव✔️
2. ’कृत्रिम’ के लिए उचित विलोम शब्द लिखिए-
(अ) नकली (ब) नैसर्गिक✔️
(स) कठोर (द) बनावटी
3. ’जंगल’ का विलोम है-
(अ) अस्थिर✔️ (ब) अचर
(स) अस्थायी (द) स्थावर
4. निम्नलिखित में विलोम-युग्म नहीं है-
(अ) ग्राह्य-अग्राह्य (ब) क्षम्य-अक्षम्य
(स) श्रान्त-अश्रान्त (द) शुचि-पवित्र✔️
5. ’दुर्गम’ का विलोम है-
(अ) अगम (ब) सुगम✔️
(स) आगम (द) अलक्ष्य
6. ’अवतल’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द छाँटिए-
(अ) पाताल (ब) त्रिताल
(स) उत्तल✔️ (द) उत्ताल
7. ’उत्थान’ शब्द का विलोम है-
(अ) उन्नति (ब) अवनति
(स) पतन✔️ (द) उठना
8. निम्न में अशुद्ध विपरीतार्थी समूह है-
(अ) पक्ष-प्रतिपक्ष (ब) आस्तिक-नास्तिक
(स) स्वर्ग-नरक (द) सामिष-शाकाहारी✔️
9. ’निर्गुण’ शब्द का विलोम क्या है?
(अ) सगुण✔️ (ब) अवगुण
(स) गुण (द) दुर्गुण
10. कौनसा विकल्प विलोम शब्दों को नहीं दर्शाता है-
(अ) सम्मुख-विमुख (ब) गरिमा-लघिमा
(स) संयोग-सुयोग✔️ (द) राग-विराग
11. ’निराकार’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) प्रकार (ब) आकार
(स) उपकार (द) साकार✔️
12. निम्नलिखित में से सही विलोम शब्द-युग्म गलत है?
(अ) पाठ्य – सुपाठ्य (ब) नत – अवनत
(स) शिष्ट – विशिष्ट (द) संश्लिष्ट – विश्लिष्ट✔️
13. ’वियोग’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) अयोग (ब) संयोग✔️
(स) सुयोग (द) उपयोग
14. विपरीत युग्म शब्द कौन-सा है?
(अ) पतले-पतले (ब) दीन-दुःखी
(स) चाय-वाय (द) जङ-चेतन✔️
15. ’उन्मुख’ का विलोम है-
(अ) प्रमुख (ब) विमुख✔️
(स) सन्मुख (द) अधोमुख
16. ’गमन’ का विलोम शब्द क्या है?
(अ) गम (ब) अगम
(स) आगमन✔️ (द) नागम
17. ’उग्र’ का विलोम है-
(अ) सौम्य ✔️ (ब) विनीत
(स) मधुर (द) विनत
18. ’अल्पज्ञ’ का विलोम का क्रम है-
(अ) अवज्ञ (ब) सर्वज्ञ✔️
(स) अभिज्ञ (द) कृतज्ञ
19. ’उद्यम’ का विलोम है-
(अ) पश्चिम (ब) आलस्य ✔️
(स) अकर्मण्य (द) आजीवन
20. ’जरा’ का विलोम शब्द है-
(अ) थोङा (ब) यौवन✔️
(स) जला (द) अल्प
21. ’क्रान्ति’ का विलोम है-
(अ) उत्तेजना (ब) आन्दोलन
(स) शान्ति✔️ (द) हलचल
22. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) परोपकारी (ब) दानी✔️
(स) भिखारी (द) स्वार्थी
23. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) दाता✔️ (ब) याचक
(स) निर्दयी (द) उदार
24. ’उत्कर्ष’ का विलोम क्या होता है?
(अ) आकर्ष (ब) निष्कर्ष
(स) अपकर्ष✔️ (द) महथाकर्ष
25. ’गौरव’ का विलोम है-
(अ) निच्छता (ब) हीनता
(स) अपभाव (द) लघुता✔️
26. वह अपने विषय का पूर्ण अभिज्ञ है, रेखांकित शब्द का विलोम है-
(अ) सर्वज्ञ (ब) अल्पज्ञ
(स) अनभिज्ञ✔️ (द) विज्ञ
27. ’गणतन्त्र’ का विलोम है-
(अ) साम्यवाद (ब) प्रजातन्त्र
(स) राजतन्त्र✔️ (द) समाजवाद
28. ’तिमिर’ का विलोम शब्द है-
(अ) प्रकाश (ब) ज्योतिर्मय
(स) अलास (द) आलोक✔️
29. ’दुर्गति’ का विलोम है-
(अ) सुगति✔️ (ब) कुगति
(स) प्रगति (द) वीरगति
30. ’मूक’ का विलोम होगा-
(अ) हास (ब) शाप
(स) लोह (द) वाचाल✔️
31. ’दुर्लभ’ का विलोम है-
(अ) सुलभ✔️ (ब) दुष्कर
(स) प्राप्य (द) उपलब्ध
32. ’सूक्ष्म’ शब्द का विलोम शब्द है-
(अ) असूक्ष्म (ब) विशाल
(स) स्थूल✔️ (द) सुशीत
33. ’सार्थक’ का विलोम है-
(अ) आवश्यक (ब) अनिवार्य
(स) निरर्थक✔️ (द) व्यर्थ
34. ’निरपेक्ष’ का सही विलोम है-
(अ) प्रत्यक्ष (ब) परोक्ष
(स) सापेक्ष✔️ (द) प्रतिपक्ष
35. ’वियोग’ का विलोम है-
(अ) दुर्योग (ब) संयोग✔️
(स) विरह (द) मिलन
36. ’निराहार’ का सही विलोम है-
(अ) अनुहार (ब) आहार✔️
(स) विहार (द) संथार
37. ’विकास’ का विलोम है-
(अ) परिवर्तन (ब) ह्रास✔️
(स) न्यूनता (द) अधिकता
38. ’उपेक्षा’ का सही विलोम है-
(अ) सम्मान (ब) अपेक्षा✔️
(स) अपमान (द) तिरस्कार
39. ’अल्प संख्यक’ का विलोम है-
(अ) अतिसंख्यक (ब) बहुसंख्य✔️
(स) महासंख्यक (द) बाहुल्य
40. किस क्रम में ’आमिष’ का विलोम है?
(अ) सामिष (ब) निरामिष✔️
(स) अनामिष (द) परामिष
41. ’विस्तार’ का विलोम है-
(अ) लघु (ब) छोटा
(स) सूक्ष्म (द) संक्षेप✔️
42. ’पुरोगामी’ का विलोम है-
(अ) पश्चगामी✔️ (ब) उध्र्वगामी
(स) पतनगामी (द) अपूर्ण
43. ’अभिशाप’ का विलोम है-
(अ) प्रतिवाद (ब) प्रवाद
(स) आशीर्वाद (द) वरदान✔️
44. ’बर्बर’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) सभ्य✔️ (ब) बुरा
(स) दुष्ट (द) अत्याचारी
45. ’आकर्षण’ का विलोम है-
(अ) आकृष्ट (ब) विकर्षण
(स) अनाकर्षण✔️ (द) पराकर्षण
46. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) निंद्य – स्तुत्य (ब) पतिव्रता-कुलटा
(स) परितोष – संतोष✔️ (द) नत – उन्नत
47. ’मंद’ का विलोम है-
(अ) सुस्त (ब) द्रुत✔️
(स) शीघ्र (द) त्वरित
48. ’सृष्टि’ का विलोम है-
(अ) विनाश (ब) विध्वंस
(स) प्रलय✔️ (द) सृजन
49. ’हर्ष’ का विलोम है-
(अ) विषाद✔️ (ब) दुःख
(स) पीङा (द) कष्ट
50. ’अनुरक्त’ का विलोम शब्द है?
(अ) निरक्त (ब) आरक्त
(स) आसक्त (द) विरक्त✔️
51. ’सत्कार’ का विलोम है-
(अ) निरादर (ब) अपमान
(स) उपेक्षा (द) तिरस्कार✔️
52. ’प्रतिघात’ शब्द किसका विलोम शब्द है?
(अ) घात का (ब) आघात का✔️
(स) प्रत्याघात का (द) घातक का
53. ’साधारण’ का विलोम है-
(अ) अनोखा (ब) दुर्लभ
(स) विशेष✔️ (द) दुष्प्राय
54. ’सन्न्यासी’ का विलोम शब्द है-
(अ) राजा (ब) भोगी
(स) गृहस्थ✔️ (द) ब्रह्माचर्य
55. ’गौण’ का विलोम है-
(अ) महान् (ब) मुख्य✔️
(स) निष्कृष्ट (द) उत्कृष्ट
56. ’ध्वंस’ शब्द का विलोम बताइये-
(अ) विनाश (ब) निर्माण✔️
(स) विध्वंस (द) उत्कर्ष
57. ’सहयोगी’ का विलोम है-
(अ) वियोगी (ब) विरोधी✔️
(स) प्रतिद्वन्द्वी (द) प्रतियोगी
58. ’अज्ञ’ का विलोम है-
(अ) अल्पज्ञ (ब) बहुज्ञ
(स) सर्वज्ञ (द) भिज्ञ✔️
59. ’योगदान’ का विलोम है-
(अ) बाधा✔️ (ब) असहयोग
(स) निरुपाय (द) विरोध
60. कौन-सा शब्द ’आलोक’ का विलोम शब्द है?
(अ) अमा (ब) श्रेप्ती
(स) ज्योत्स्ना (द) तम✔️
61. ’संयोजित’ का विलोम है-
(अ) विस्थापति (ब) विभाजित✔️
(स) पराजित (द) एकत्रित
62. ’नीरूजता’ का विलोम शब्द है-
(अ) रूग्णता✔️ (ब) आतुरता
(स) स्वस्थता (द) स्वच्छता
63. ’अत्यधिक’ का विलोम है-
(अ) किंचित् (ब) तनिक
(स) न्यून (द) स्वल्प✔️
64. ’अनुज’ का सही विलोम है-
(अ) भ्राता (ब) ज्येष्ठ
(स) कनिष्ठ (द) अग्रज✔️
65. ’शोषक’ का विलोम है-
(अ) शोषित (ब) पोषक✔️
(स) शोषणीय (द) पालक
66. ’संकीर्ण’ का सही विलोम है-
(अ) संकुचित (ब) गहरा
(स) संकुचन (द) विस्तीर्ण✔️
67. ’अधिकार’ का विलोम है-
(अ) अनधिकार✔️ (ब) उद्यम
(स) कर्म (द) प्रयत्न
68. ’वक्र’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) ऋजु✔️ (ब) टेढ़ा
(स) तिरछा (द) क्षुद्र
69. ’आपत्ति’ का विलोम है-
(अ) समृद्धि (ब) सुख
(स) विपत्ति✔️ (द) सम्पत्ति
70. ’उत्तम’ का सही विलोम है-
(अ) अधम✔️ (ब) निकृष्ट
(स) उदार (द) उद्यमी
71. ’ओजस्वी’ का विलोम है-
(अ) यशस्वी (ब) निडर
(स) निरभिमानी (द) निस्तेज✔️
72. ’साकार’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) आकार (ब) विकार
(स) प्रकार (द) निराकार✔️
73. ’हास्य’ का विलोम है-
(अ) विषाद (ब) शोक
(स) परिहास (द) रुदन✔️
74. ’सबल’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) बलवान (ब) बलशाली
(स) निर्बल✔️ (द) बल
75. ’दाता’ का विलोम शब्द है-
(अ) उदार (ब) त्राता
(स) प्रज्ञ (द) सूम✔️
76. ’आस्था’ का विलोम शब्द है-
(अ) निराशा (ब) अविश्वास
(स) अनास्था✔️ (द) निरास्था
77. ’अति’ का विलोम शब्द है-
(अ) न्यून (ब) कम
(स) अल्प✔️ (द) नगण्य
78. ’क्षणिक’ का विलोम शब्द है-
(अ) शाश्वत✔️ (ब) स्थिर
(स) स्थावर (द) दीर्घ
79. ’नीरस’ का विलोम शब्द है-
(अ) रसीला (ब) सरस✔️
(स) विरस (द) अरान
80. ’स्थावर’ का विलोम शब्द है-
(अ) सचल (ब) चंचल
(स) चेतन (द) जंगम✔️
81. निम्नलिखित में से किस उपसर्ग के जुङने से ’जय’ शब्द का अर्थ-विपर्यय हो जाता है?
(अ) परा ✔️ (ब) वि
(स) सम् (द) अभि
82. ’सम्मुख’ का विलोम शब्द है-
(अ) उन्मुख (ब) विमुख✔️
(स) प्रमुख (द) अधिमुख
83. ’सरुजता’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) नीरुजता✔️ (ब) रुग्णता
(स) स्वच्छता (द) विमलता
84. ’चिरंतन’ का विलोम शब्द है-
(अ) अलौकिक (ब) लौकिक
(स) नश्वर✔️ (द) नैसर्गिक
85. ’अनुलोम’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) लोम (ब) अवलोम
(स) प्रतिलोम✔️ (द) अविलोम
86. ’ऋत’ का विलोम शब्द है-
(अ) अनृत✔️ (ब) ऋण
(स) एक (द) उष्ण
87. ’ईप्सित’ शब्द का विलोम क्या होगा?
(अ) कुत्सित (ब) अभीप्सित
(स) अधीप्सित (द) अनीप्सित✔️
88. ’तीक्ष्ण’ का विलोम शब्द है-
(अ) तीव्र (ब) तृष्णा
(स) त्यागी (द) कुंठित✔️
89. ’सत्कार’ का विलोम शब्द है-
(अ) अपमान (ब) तिरस्कार✔️
(स) निरादर (द) अनादर
90. ’मूक’ का विलोम शब्द है-
(अ) सबल (ब) गंभीर
(स) निर्बल (द) वाचाल✔️
91. इनमें से कौनसा विलोम-युग्म सही नहीं है-
(अ) सम्पत्ति-विपत्ति (ब) इष्ट-अनिष्ट
(स) उर्वर-ऊसर (द) अचल-अविचल✔️
92. ’कुटिल’ का विलोम शब्द है-
(अ) गरल (ब) सरल✔️
(स) विरल (द) विमल
93. इनमें से कौनसा विलोम युग्म सही है-
(अ) आशा-हताशा (ब) जय-अजय ✔️
(स) अंतरंग-बहिरंग (द) अज्ञ-अल्पज्ञ
94. ’वैमनस्य’ का विलोम शब्द है-
(अ) मनस्विता (ब) दौर्मनस्य
(स) सहृदयता (द) सौमनस्य ✔️
95. ’सदाचारी’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) दुराचारी✔️ (ब) पाखंडी
(स) दुष्ट (द) भ्रष्टाचारी
96. ’जागरण’ का विलोम शब्द है-
(अ) भ्रांति (ब) विश्रांति
(स) विलुप्ति (द) सुषुप्ति✔️
97. ’गणतंत्र’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) लोकतंत्र (ब) स्वतंत्र
(स) निजतंत्र (द) राजतंत्र✔️
98. ’उपकार’ का विलोम शब्द है-
(अ) विकार (ब) प्रकार
(स) अपकार✔️ (द) तिरस्कार
100. ’मूच्र्छा’ का विलोम शब्द है-
(अ) जङता (ब) चेतना✔️
(स) अवचेतना (द) अचेतना
101. ’विज्ञ’ का विलोम शब्द है-
(अ) अक्ष (ब) अग
(स) प्राज्ञ (द) अज्ञ✔️
102. ’स्तुति’ का विलोम शब्द है-
(अ) संस्तुति (ब) बुराई
(स) निन्दा✔️ (द) आलोचना
103. वह परीक्षा में पूर्ण सक्रिय रहता है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निष्क्रिय✔️ (ब) शांत
(स) स्थिर (द) जङ
104. यह आपकी समस्या है मुझे इससे क्या लेना देना? वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निदान (ब) उत्तर
(स) हल (द) समाधान✔️
105. वर्तमान में समष्टि की भावना से ही प्रगति संभव है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) व्यष्टि✔️ (ब) श्रेष्ठी
(स) सृष्टि (द) श्रेष्ठ
106. विवेक और सुमित अंतरंग मित्र है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) द्विरंग (ब) बहिरंग✔️
(स) अतिरंग (द) विरंग
107. अहंकार के कारण लोग अपनी गरिमा भूल जाते हैं। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) घृणा (ब) नीचता
(स) लघिमा✔️ (द) इज्जत
108. ’प्रवृति’ शब्द का विलोम है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) प्रवृत (ब) आवृति
(स) निवृति✔️ (द) विवृति
109. निम्न में से’पाश्चात्य’का सही विलोम कौनसा है?
(अ) उदीच्य (ब) पौर्वात्य ✔️
(स) उतरायण (द) पौर्वायण
110. किस युग्म में विलोम शब्द सही नहीं है-
(अ) शयन-जागरण (ब) विख्यात-कुख्यात
(स) लोभी-निर्लोभ (द) परवर्ती-अग्रवर्ती✔️
111. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) दुर्लभ-अलभ✔️ (ब) आवास-प्रवास
(स) अनुरक्त-विरक्त (द) अल्पप्राण-महाप्राण
112. निम्न में असंगत विलोम शब्द के युग्म का चयन कीजिए-
(अ) नख-शिख (ब) ज्योति-प्रकाश✔️
(स) दुर्लभ-सुलभ (द) तुच्छ-महान्
हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे ‘युग्म शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में-हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग
गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें ‘युग्म शब्द’ या ‘समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द’ कहते हैं।
हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।
अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
‘पार्वती’ शिव का ही दूसरा नाम है।
इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि ‘श्वजन’ का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में ‘श्वजन’ के स्थान पर ‘स्वजन’ होना चाहिए।
हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
यहाँ ऐसे युग्म शब्दों की सूची उनके अर्थो के साथ दी जा रही है-
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
अंस | कंधा | अंश | हिस्सा |
अँगना | घर का आँगन | अंगना | स्त्री |
अन्न | अनाज | अन्य | दूसरा |
अनिल | हवा | अनल | आग |
अम्बु | जल | अम्ब | माता, आम |
अथक | बिना थके हुए | अकथ | जो कहा न जाय |
अध्ययन | पढ़ना | अध्यापन | पढ़ाना |
अधम | नीच | अधर्म | पाप |
अली | सखी | अलि | भौंरा |
अन्त | समाप्ति | अन्त्य | नीच, अन्तिम |
अम्बुज | कमल | अम्बुधि | सागर |
असन | भोजन | आसन | बैठने की वस्तु |
अणु | कण | अनु | एक उपसर्ग, पीछे |
अभिराम | सुन्दर | अविराम | लगातार, निरन्तर |
अपेक्षा | इच्छा, आवश्यकता, तुलना में | उपेक्षा | निरादर |
अवलम्ब | सहारा | अविलम्ब | शीघ्र |
अतुल | जिसकी तुलना न हो सके | अतल | तलहीन |
अचर | न चलनेवाला | अनुचर | दास, नौकर |
अशक्त | असमर्थ, शक्तिहीन | असक्त | विरक्त |
अगम | दुर्लभ, अगम्य | आगम | प्राप्ति, शास्त्र |
अभय | निर्भय | उभय | दोनों |
अब्ज | कमल | अब्द | बादल, वर्ष |
अरि | शत्रु | अरी | सम्बोधन (स्त्री के लिए) |
अभिज्ञ | जाननेवाला | अनभिज्ञ | अनजान |
अक्ष | धुरी | यक्ष | एक देवयोनि |
अवधि | काल, समय | अवधी | अवध देश की भाषा |
अभिहित | कहा हुआ | अविहित | अनुचित |
अयश | अपकीर्त्ति | अयस | लोहा |
असित | काला | अशित | भोथा |
आकर | खान | आकार | रूप |
आस्तिक | ईश्वरवादी | आस्तीक | एक मुनि |
आर्ति | दुःख | आर्त्त | चीख |
अन्यान्य | दूसरा-दूसरा | अन्योन्य | परस्पर |
अभ्याश | पास | अभ्यास | रियाज/आदत |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
आवास | रहने का स्थान | आभास | झलक, संकेत |
आकर | खान | आकार | रूप, सूरत |
आदि | आरम्भ, इत्यादि | आदी | अभ्यस्त, अदरक |
आरति | विरक्ति, दुःख | आरती | धूप-दीप दिखाना |
आभरण | गहना | आमरण | मरण तक |
आयत | समकोण चतुर्भुज | आयात | बाहर से आना |
आर्त | दुःखी | आर्द्र | गीला |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
इत्र | सुगंध | इतर | दूसरा |
इति | समाप्ति | ईति | फसल की बाधा |
इन्दु | चन्द्रमा | इन्दुर | चूहा |
इड़ा | पृथ्वी/नाड़ी | ईड़ा | स्तुति |
उपकार | भलाई | अपकार | बुराई |
उद्धत | उद्दण्ड | उद्दत | तैयार |
उपरक्त | भोग विलास में लीन | उपरत | विरक्त |
उपाधि | पद/ख़िताब | उपाधी | उपद्रव |
उपयुक्त | ठीक | उपर्युक्त | ऊपर कहा हुआ |
ऋत | सत्य | ऋतु | मौसम |
एतवार | रविवार | ऐतवार | विश्वास |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
कुल | वंश, सब | कूल | किनारा |
कंगाल | भिखारी | कंकाल | ठठरी |
कर्म | काम | क्रम | सिलसिला |
कृपण | कंजूस | कृपाण | कटार |
कर | हाथ | कारा | जेल |
कपि | बंदर | कपी | घिरनी |
किला | गढ़ | कीला | खूँटा, गड़ा हुआ |
कृति | रचना | कृती | निपुण, पुण्यात्मा |
कृत्ति | मृगचर्म | कीर्ति | यश |
कृत | किया हुआ | क्रीत | खरीदा हुआ |
क्रान्ति | उलटफेर | क्लान्ति | थकावट |
कान्ति | चमक, चाँदनी | ||
कली | अधखिला फूल | कलि | कलियुग |
करण | एक कारक, इन्द्रियाँ | कर्ण | कान, एक नाम |
कुण्डल | कान का एक आभूषण | कुन्तल | सिर के बाल |
कपीश | हनुमान, सुग्रीव | कपिश | मटमैला |
कूट | पहाड़ की चोटी, दफ्ती | कुट | किला, घर |
करकट | कूड़ा | कर्कट | केंकड़ा |
कटिबद्ध | तैयार, कमर बाँधे | कटिबन्ध | कमरबन्द, करधनी |
कृशानु | आग | कृषाण | किसान |
कटीली | तीक्ष्ण, धारदार | कँटीली | काँटेदार |
कोष | खजाना | कोश | शब्द-संग्रह (डिक्शनरी) |
कदन | हिंसा | कदन्न | खराब अन्न |
कुच | स्तन | कूच | प्रस्थान |
काश | शायद/एक घास | कास | खाँसी |
कलिल | मिश्रित | क़लील | थोड़ा |
कीश | बन्दर | कीस | गर्भ का थैला |
कुटी | झोपड़ी | कूटी | दुती, जालसाज |
कोर | किनारा | कौर | ग्रास |
खड़ा | बैठा का विलोम | खरा | शुद्ध |
खादि | खाद्य, कवच | खादी | ख़द्दर, कटीला |
कांत | पति/चन्द्रमा | कांति | चमक |
करीश | गजराज | करीष | सूखा गोबर |
कृत्तिका | एक नक्षत्र | कृत्यका | भयंकर कार्य करनेवाली देवी |
कुजन | बुरा आदमी | कूजन | कलरव |
कुनबा | परिवार | कुनवा | खरीदनेवाला |
कोड़ा | चाबुक | कोरा | नया |
केशर | कुंकुम | केसर | सिंह की गर्दन के बाल |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
खोआ | दूध का बना ठोस पदार्थ | खोया | भूल गया, खो गया |
खल | दुष्ट | खलु | ही तो, निश्चय ही |
गण | समूह | गण्य | गिनने योग्य |
गुड़ | शक्कर | गुड़ | गम्भीर |
ग्रह | सूर्य, चन्द्र आदि | गृह | घर |
गिरी | गिरना | गिरि | पर्वत |
गज | हाथी | गज | मापक |
गिरीश | हिमालय | गिरिश | शिव |
ग्रंथ | पुस्तक | ग्रंथि | गाँठ |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
चिर | पुराना | चीर | कपड़ा |
चिता | लाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर | चीता | बाघ की एक जाति |
चूर | कण, चूर्ण | चूड़ | चोटी, सिर |
चतुष्पद | चौपाया, जानवर | चतुष्पथ | चौराहा |
चार | चार संख्या, जासूस | चारु | सुन्दर |
चर | नौकर, दूत, जासूस | ||
चूत | आम का पेड़ | च्युत | गिरा हुआ, पतित |
चक्रवात | बवण्डर | चक्रवाक | चकवा पक्षी |
चाष | नीलकंठ | चास | खेत की जुताई |
चरि | पशु | चरी | चरागाह |
चसक | चस्का/लत | चषक | प्याला |
चुकना | समाप्त होना | चूकना | समय पर न करना |
जिला | मंडल | जीला | चमक |
जवान | युवा | जव | वेग/जौ |
छत्र | छाता | क्षत्र | क्षत्रिय |
छात्र | विद्यार्थी | क्षात्र | क्षत्रिय-संबंधी |
छिपना | अप्रकट होना | छीपना | मछली फँसाकर निकालना |
जलज | कमल | जलद | बादल |
जघन्य | गर्हित, शूद्र | जघन | नितम्ब |
जगत | कुएँ का चौतरा | जगत् | संसार |
जानु | घुटना | जानू | जाँघ |
जूति | वेग | जूती | छोटा जूता |
जाया | व्यर्थ | जाया | पत्नी |
जोश | आवेश | जोष | आराम |
झल | जलन/आँच | झल्ल | सनक |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
टुक | थोड़ा | टूक | टुकड़ा |
टोटा | घाटा | टोंटा | बन्दूक का कारतूस |
डीठ | दृष्टि | ढीठ | निडर |
डोर | सूत | ढोर | मवेशी |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
तड़ाक | जल्दी | तड़ाग | तालाब |
तरणि | सूर्य | तरणी | नाव |
तरुणी | युवती | ||
तक्र | मटठा | तर्क | बहस |
तरी | गीलापन | तरि | नाव |
तरंग | लहर | तुरंग | घोड़ा |
तनी | थोड़ा | तनि | बंधन |
तब | उसके बाद | तव | तुम्हारा |
तुला | तराजू | तूला | कपास |
तप्त | गर्म | तृप्त | संतुष्ट |
तार | धातु तंतु/टेलिग्राम | ताड़ | एक पेड़ |
तोश | हिंसा | तोष | संतोष |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
दूत | सन्देशवाहक | द्यूत | जुआ |
दारु | लकड़ी | दारू | शराब |
द्विप | हाथी | द्वीप | टापू |
दमन | दबाना | दामन | आँचल, छोर |
दाँत | दशन | दात | दान, दाता |
दशन | दाँत | दंशन | दाँत से काटना |
दिवा | दिन | दीवा | दीया, दीपक |
दंश | डंक, काट | दश | दश अंक |
दार | पत्नी, भार्या | द्वार | दरवाजा |
दिन | दिवस | दीन | गरीब |
दायी | देनेवाला, जबाबदेह | दाई | नौकरानी |
देव | देवता | दैव | भाग्य |
द्रव | रस, पिघला हुआ | द्रव्य | पदार्थ |
दरद् | पर्वत/किनारा | दरद | पीड़ा/दर्द |
दीवा | दीपक | दिवा | दिन |
दौर | चक्कर | दौड़ | दौड़ना |
दाई | धात्री/दासी | दायी | देनेवाला |
दह | कुंड/तालाब | दाह | शोक/ज्वाला |
धराधर | शेषनाग | धड़ाधड़ | जल्दी से |
धारि | झुण्ड | धारी | धारण करनेवाला |
धूरा | धूल | धुरा | अक्ष |
धत | लत | धत् | दुत्कारना |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
निहत | मरा हुआ | निहित | छिपा हुआ, संलग्न |
नियत | निश्र्चित | नीयत | मंशा, इरादा |
निश्छल | छलरहित | निश्र्चल | अटल |
नान्दी | मंगलाचरण (नाटक का) | नंदी | शिव का बैल |
निमित्त | हेतु | नमित | झुका हुआ |
नीरज | कमल | नीरद | बादल |
निर्झर | झरना | निर्जर | देवता |
निशाकर | चन्द्रमा | निशाचर | राक्षस |
नाई | तरह, समान | नाई | हजाम |
नीड़ | घोंसला, खोंता | नीर | पानी |
नगर | शहर | नागर | चतुर व्यक्ति, शहरी |
नशा | बेहोशी, मद | निशा | रात |
नाहर | सिंह | नहर | सिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी |
नारी | स्त्री | नाड़ी | नब्ज |
निसान | झंडा | निशान | चिह्न |
निवृत्ति | लौटना | निवृति | मुक्ति/शांति |
नित | प्रतिदिन | नीत | लाया हुआ |
नियुत | लाख दस लाख | नियुक्त | बहाल किया गया |
निहार | देखकर | नीहार | ओस-कण |
नन्दी | शिव का बैल | नान्दी | मंगलाचरण |
निर्विवाद | विवाद-रहित | निर्वाद | निन्दा |
निष्कृष्ट | सारांश | निकृष्ट | निम्न स्तरीय |
नीवार | जंगली धान | निवार | रोकना |
नेती | मथानी की रस्सी | नेति | अनन्त |
नमित | झुका हुआ | निमित्त | हेतु |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
परुष | कठोर | पुरुष | मर्द, नर |
प्रदीप | दीपक | प्रतीप | उलटा, विशेष, काव्यालंकार |
प्रसाद | कृपा, भोग | प्रासाद | महल |
प्रणय | प्रेम | परिणय | विवाह |
प्रबल | शक्तिशाली | प्रवर | श्रेष्ठ, गोत्र |
परिणाम | नतीजा, फल | परिमाण | मात्रा |
पास | नजदीक | पाश | बन्धन |
पीक | पान आदि का थूक | पिक | कोयल |
प्राकार | घेरा, चहारदीवारी | प्रकार | किस्म, तरह |
परिताप | दुःख, सन्ताप | प्रताप | ऐश्र्वर्य, पराक्रम |
पति | स्वामी | पत | सम्मान, सतीत्व |
पांशु | धूलि, बाल | पशु | जानवर |
परीक्षा | इम्तहान | परिक्षा | कीचड़ |
प्रतिषेध | निषेध, मनाही | प्रतिशोध | बदला |
पूर | बाढ़, आधिक्य | पुर | नगर |
पार्श्र्व | बगल | पाश | बन्धन |
प्रहर | पहर (समय) | प्रहार | चोट, आघात |
परवाह | चिन्ता | प्रवाह | बहाव (नदी का) |
पट्ट | तख्ता, उल्टा | पट | कपड़ा |
पानी | जल | पाणि | हाथ |
प्रणाम | नमस्कार | प्रमाण | सबूत, नाप |
पवन | हवा | पावन | पवित्र |
पथ | रास्ता | पथ्य | आहार (रोगी के लिए) |
पौत्र | पोता | पोत | जहाज |
प्रण | प्रतिज्ञा | प्राण | जान |
पन | संकल्प | पन्न | पड़ा हुआ |
पर्यन्त | तक | पर्यंक | पलंग |
पराग | पुष्पराज | पारग | पूरा जानकार |
प्रकोट | परकोंटा | प्रकोष्ठ | कोठरी |
परभृत् | कौआ | परभृत | कोयल |
परिषद् | सभा | पार्षद | परिषद् के सदस्य |
प्रदेश | प्रान्त | प्रद्वेष | शत्रुता |
प्रस्तर | पत्थर | प्रस्तार | फैलाव |
प्रवृद्ध | परा बढ़ा हुआ | प्रबुद्ध | सचेत/बुद्धिमान् |
पत्ति | पैदल सिपाही | पत्ती | पत्ता |
परमित | चरमसीमा | परिमित | मान/मर्यादा/तौल |
प्रकृत | यथार्थ | प्राकृत | स्वाभाविक एक भाषा |
प्रवाल | मूँगा | प्रवार | वस्त्र |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
फुट | अकेला, इकहरा | फूट | खरबूजा-जाति का फल |
फण | साँप का फण | फन | कला, कारीगर |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
बलि | बलिदान | बली | वीर |
बास | महक, गन्ध | वास | निवास |
बहन | बहिन | वहन | ढोना |
बल | ताकत | वल | मेघ |
बन्दी | कैदी | वन्दी | भाट, चारण |
बात | वचन | वात | हवा |
बुरा | खराब | बूरा | शक्कर |
बन | बनना, मजदूरी | वन | जंगल |
बहु | बहुत | बहू | पुत्रवधू, ब्याही स्त्री |
बार | दफा | वार | चोट, दिन |
बान | आदत, चमक | बाण | तीर |
व्रण | घाव | वर्ण | रंग, अक्षर |
ब्राह्य | बाहरी | वाहृय | वहन के योग्य |
बगुला | एक पक्षी | बगूला | बवंडर |
बाट | रास्ता/बटखरा | वाट | हिस्सा |
बाजु | बिना | बाजू | बाँह |
बिना | अभाव | बीना | एक बाजा |
बसन | कपड़ा | व्यसन | लत/बुरी आदत |
बाई | वेश्या | बायीं | बायाँ का स्त्री रूप |
बाला | लड़की | वाला | एक प्रत्यय |
बदन | शरीर | वदन | मुख/चेहरा |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
भंगि | लहर, टेढ़ापन | भंगी | मेहतर, भंग करनेवाला |
भिड़ | बरें | भीड़ | जनसमूह |
भित्ति | दीवार, आधार | भीत | डरा हुआ |
भवन | महल | भुवन | संसार |
भारतीय | भारत का | भारती | सरस्वती |
भोर | सबेरा | विभोर | मग्न |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
मनुज | मनुष्य | मनोज | कामदेव |
मल | गन्दगी | मल्ल | पहलवान, योद्धा |
मेघ | बादल | मेध | यज्ञ |
मांस | गोश्त | मास | महीना |
मूल | जड़ | मूल्य | कीमत |
मद | आनंद | मद्य | शराब |
मणि | एक रत्न | मणी | साँप |
मरीचि | किरण | मरीची | सूर्य, चन्द्र |
मनुजात | मानव-उत्पन्न | मनुजाद | मानव-भक्षी |
मौलि | चोटी/मस्तक | मौली | जिसके सिर पर मुकुट हो |
मत | नहीं | मत्त | मस्त/धुत्त |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
रंक | गरीब | रंग | वर्ण |
रग | नस | राग | लय |
रत | लीन | रति | कामदेव की पत्नी, प्रेम |
रोचक | रुचनेवाला | रेचक | दस्तावर |
रद | दाँत | रद्द | खराब |
राज | राजा/प्रान्त | राज | रहस्य |
रार | झगड़ा | राँड़ | विधवा |
राइ | सरदार | राई | एक तिलहन |
रोशन | प्रकट/प्रदीप्त | रोषण | कसौटी/पारा |
लवण | नमक | लवन | खेती की कटाई |
लुटना | लूटा जाना, बरबाद होना | लूटना | लूट लेना |
लक्ष्य | उद्देश्य | लक्ष | लाख |
लाश | शव | लास्य | प्रेमभाव सूचक |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
वित्त | धन | वृत्त | गोलाकार, छन्द |
वाद | तर्क, विचार | वाद्य | बाजा |
वस्तु | चीज | वास्तु | मकान, इमारत |
व्यंग | विकलांग | व्यंग्य | ताना, उपालम्भ |
वसन | कपड़ा | व्यसन | बुरी आदत |
वासना | कामना | बासना | सुगंधित करना |
व्यंग | विकलांग | व्यंग्य | कटाक्ष/ताना |
वरद | वर देनेवाला | विरद | यश |
विधायक | रचनेवाला | विधेयक | विधान/कानून |
विभात | प्रभात | विभाति | शोभा/सुन्दरता |
विराट् | बहुत बड़ा | विराट | मत्स्य जनपद/एक छंद |
विस्मृत | भूला हुआ | विस्मित | आश्चर्य में पड़ा |
बिपिन | जंगल | विपन्न | विपत्तिग्रस्त |
विभीत | डरा हुआ | विभीति | डर |
विस्तर | विस्तृत | बिस्तर | बिछावन |
वरण | चुनना | वरन् | बल्कि |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
शुल्क | फीस, टैक्स | शुक्ल | उजला |
शूर | वीर | सुर | देवता, लय |
शम | संयम, इन्द्रियनिग्रह | सम | समान |
शर्व | शिव | सर्व | सब |
शप्त | शाप पाया हुआ | सप्त | सात |
शहर | नगर | सहर | सबेरा |
शाला | घर, मकान | साला | पति का भाई |
शीशा | काँच | सीसा | एक धातु |
श्याम | श्रीकृष्ण, काला | स्याम | एशिया का एक देश |
शती | सैकड़ा | सती | पतिव्रता स्त्री |
शय्या | बिछावन | सज्जा | सजावट |
शान | इज्जत, तड़क-भड़क | शाण | धार तेज करने का पत्थर |
शराव | मिट्टी का प्याला | शराब | मदिरा |
शब | रात | शव | लाश |
शूक | जौ | शुक | सुग्गा |
शिखर | चोटी | शेखर | सिर |
शास्त्र | सैद्धान्तिक विषय | शस्त्र | हथियार |
शर | बाण | सर | तालाब/महाशय |
शकल | टुकड़ा | शक्ल | चेहरा |
शकृत | मल | सकृत | एकबार |
शर्म | लाज | श्रम | मेहनत |
शान्त | शन्तियुक्त | सान्त | अन्तवाला |
शप्ति | शाप | सप्ति | घोड़ा |
श्व | कुत्ता | स्व | अपना |
शास | अनुशासन/स्तुति | सास | पति/पत्नी की माँ |
शंकर | शिव | संकर | दोगला/मिश्रित |
शारदा | सरस्वती | सारदा | सार देनेवाली |
शवल | चितकबरा | सबल | बलवान् |
श्वजन | कुत्ता | स्वजन | अपने लोग |
शशधर | चाँद | शशिधर | शिव |
शिवा | पार्वती/गीदड़ी | सिबा | अलावा |
शकट | बैलगाड़ी | शकठ | मचान |
श्वपच | चाण्डाल | स्वपच | स्वयं भोजन बनानेवाला |
शाली | एक प्रकार का धान | साली | पत्नी की बहन |
शित | तेज किया गया | शीत | ठंडा |
शुक्ति | सीप | सूक्ति | अच्छी उक्ति |
शूकर | सूअर | सुकर | सहज |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
सर | तालाब | शर | तीर |
सूर | अंधा, सूर्य | शूर | वीर |
सूत | धागा | सुत | बेटा |
सन् | साल | सन | पटुआ |
समान | तरह, बराबर | सामान | सामग्री |
स्वर | आवाज | स्वर्ण | सोना |
संकर | मिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकार | शंकर | महादेव |
सूचि | शूची | सूची | विषयक्रम |
सुमन | फूल | सुअन | पुत्र |
स्वर्ग | तीसरा लोक | सर्ग | अध्याय |
सुखी | आनन्दित | सखी | सहेली |
सागर | शराब का प्याला | सागर | समुद्र |
सुधी | विद्वान, बुद्धिमान | सुधि | स्मरण |
सिता | चीनी | सीता | जानकी |
साप | शाप का अपभ्रंश | साँप | एक विषैला जन्तु |
सास | पति या पत्नी की माँ | साँस | नाक या मुँह से हवा लेना |
श्र्वेत | उजला | स्वेद | पसीना |
संग | साथ | संघ | समिति |
सन्देह | शक | सदेह | देह के साथ |
स्वक्ष | सुन्दर आँख | स्वच्छ | साफ |
श्र्वजन | कुत्ते | स्वजन | अपना आदमी |
शूकर | सूअर | सुकर | सहज |
सखी | सहेली | साखी | साक्षी |
सत्र | वर्ष | शत्रु | दुश्मन |
स्याम | एक देश | श्याम | कृष्ण/काला |
सीकर | जलकण | सीकड़ | जंजीर |
सँवार | सजाना | संवार | आच्छादन |
सपत्नी | सौत | सपत्नीक | पत्नी सहित |
सवा | चौथाई | सबा | सुबह की हवा |
सास्त्र | अस्त्र के साथ | सास्र | आँसू के साथ |
समवेदना | साथ-साथ दुखी होना | संवेदना | अनुभूति |
समबल | तुल्य बलवाला | सम्बल | पाथेय |
सिर | मस्तक | सीर | हल |
स्वेद | पसीना | श्वेत | उजला |
सेव | बेसन का पकवान | सेब | एक फल |
संतति | संतान | सतत | सदा |
स्रवण | टपकना | श्रवण | सुनना/कान |
सुकृति | पुण्य | सुकृति | पुण्यवान |
संभावना | संदेह/आशा | समभावना | तुल्यता की भावना |
सन्मति | अच्छी बुद्धि | संमति | परामर्श |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
हुंकार | ललकार, गर्जन | हुंकार | पुकार |
हल् | शुद्ध व्यंजन | हल | खेत जोतने का औजार |
हरि | विष्णु | हरी | हरे रंग की |
हँसी | हँसना | हंसी | हंसनी |
हुति | हवन | हूति | बुलावा |
हूण | एक मंगल जाति | हुन | मोहर |
हुक | पीठ का दर्द | हूक | ह्रदय की पीड़ा |
हूठा | अँगूठा | हूँठा | साढ़े तीन का पहाड़ा |
हाड़ | हड्डी | हार | पराजय |
वाक्यांश के लिए एक शब्दसे सम्बंधित सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसीलिए, आज के इस लेख में हम आपको वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में बता रहे हैं। यहाँ इस लेख में हम400से भी अधिक वाक्यांश के लिए एक शब्दों के बारे में बता रहे हैं।
वाक्यांश के लिए एक शब्द, मुहावरे तथा लोकोक्तियां किसी भी भाषा को समृद्ध और प्रभावशाली बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। संस्कृत भाषा इस दृष्टि से बहुत समृद्ध है। हिंदी के अधिकांश वाक्यांश के लिए एक शब्द संस्कृत भाषा से ही आए हैं लेकिन समय के साथ बहुत से वाक्यांश के लिए एक शब्द हिंदी भाषा ने स्वयं भी विकसित किए हैं। इससे पहले की आप वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में जाने, हम आपको वाक्यांश के बारे में बता रहे हैं.
वाक्यांश की परिभाषा– शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसेवाक्यांशकहते हैं। वाक्यांश का अर्थ वाक्य का अंश होता है.
वाक्यऔर वाक्यांश में अर्थ के आधार पर तथा रूप के आधार पर बहुत अंतर होता है। यहाँ हम वाक्य और वाक्यांश में अंतर बता रहे हैं।
वाक्य | वाक्यांश |
शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्य कहते हैं। | शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्यांश कहते हैं। |
वाक्य शब्दों का सार्थक समूह होता है। | वाक्यांश शब्दों का समूह होता है। |
वाक्य एक पूर्ण विचार को व्यक्त करता है। | वाक्यांश एक या एक से अधिक भावनाओं को व्यक्त करता है। |
वाक्य मेंक्रियाहोती है। | वाक्यांश में क्रिया नहीं होती बल्कि ज़्यादातर वाक्यांश कृदन्त यासम्बन्धबोधक अव्ययहोते हैं। |
जब किसी वाक्य में प्रयुक्त या स्वतन्त्र किसी वाक्यांश के लिए किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो उस वाक्यांश के अर्थ को पूरी तरह सिद्ध करता हो तो उसे वाक्यांश के लिए एक शब्द (Vakyansh ke liye ek shabd)कहते हैं, अर्थात अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है.
उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना होता है उप+सर्ग। उप का अर्थ होता है समीप और सर्ग का अर्थ होता है सृष्टि करना। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओँ में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते है। अथार्त शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं या फिर उसमें विशेषता लाते हैं उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। शब्दांश होने के कारण इनका कोई स्वतंत्र रूप से कोई महत्व नहीं माना जाता है।
उदाहरण:- हार एक शब्द है जिसका अर्थ होता है पराजय। लेकिन इसके आगे आ शब्द लगने से नया शब्द बनेगा जैसे आहार जिसका मतलब होता है भोजन।
1. संस्कृत के उपसर्ग
2. हिंदी के उपसर्ग
3. अरबी-फारसी के उपसर्ग
4. अंग्रेजी के उपसर्ग
5. उर्दू के उपसर्ग
6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
1.अति – ( अधिक ,परे , ऊपर , उस पार ,) –
अत्यधिक , अतिशय , अत्यंत , अतिरिक्त , अत्यल्प , अतिक्रमण , अतिवृष्टि , अतिशीघ्र , अत्याचार , अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक आदि।
2. अप – ( बुरा , अभाव , विपरीत , हीनता , छोटा ) –
अपयश , अपमान , अपशब्द , अपराध , अपकार , अपकीर्ति , अपभ्रश , अपव्यय , अपवाद , अपकर्ष , अपहरण , अपप्रयोग , अपशकुन , अपेक्षा आदि।
3. अ – (अभाव , अन , निषेध , नहीं , विपरीत ) –
अधर , अपलक , अटल , अमर , अचल , अनाथ , अविश्वास , अधर्म, अचेतन , अज्ञान , अलग , अनजान , अनमोल , अनेक , अनिष्ट , अथाह , अनाचार , अलौकिक , अस्वीकार , अन्याय , अशोक , अहिंसा , अवगुण , अर्जित आदि।
4. अनु – (पीछे , समान , क्रम , पश्चात ) –
अनुक्रमांक , अनुकंपा , अनुज , अनुरूप , अनुपात , अनुचर , अनुकरण , अनुसार , अनुशासन , अनुराग , अनुग्रह , अनुवाद , अनुस्वार , अनुशीलन , अनुकूल , अनुक्रम , अनुभव , अनुशंसा , अन्वय , अन्वीक्षण , अन्वेषण , अनुच्छेद , अनूदित आदि।
5. आ – (ओर , सीमा , तक , से , समेत , कमी , विपरीत , उल्टा , अभाव , नहीं ) –
आगमन , आजीवन , आमरण , आचरण ,आलेख , आहार , आकर्षण , आकर , आकार , आभार , आशंका , आवेश , आरक्त , आदान , आक्रमण , आकलन , आकाश , आरम्भ , आमुख , आरोहण , आजन्म , आयात , आतप , आगार , आगम , आमोद , आरक्षण , आकर्षण , आबालवृद्ध , आघात आदि।
6. अधि – (श्रेष्ठ , प्रधान , ऊपर , सामीप्य ) –
अधिकार , अधिसूचना , अधिपति , अधिकरण , अधिनायक , अधिमान , अधिपाठक , अधिग्रहण , अधिवक्ता , आधिक्य , अध्धयन , अध्यापन , अधिराज , अध्यात्म , अध्यक्ष , अधिनियम , अधिमास , अधिकृत , अधिक्षण , अध्यादेश , अधीन , अधीक्षक आदि।
7.अभि – ( सामने , पास , ओर , इच्छा प्रकट करना , चारों ओर ) –
अभ्यास , अभ्युदय , अभिमान , अभिषेक ,अभिनय , अभिनव , अभिवादन , अभिभाषण , अभियोग , अभिभूत , अभिभावक , अभ्यर्थी , अभीष्ट , अभ्यंतर , अभीप्सा , अभिनन्दन , अभिलाप , अभीमुख , अभ्युत्थान ,अभियान , अभिसार , अभ्यागत , अभ्यास , अभिशाप ,अभिज्ञान आदि।
8. उप – ( निकट , छोटा , सहायक , सद्र्श , गौण , हीनता ) –
उपकार , उपग्रह , उपमंत्री , उपहार , उपदेश , उपवन , उपनाम , उपचार , उपसर्ग , उपयोग , उपभोग , उपभेद , उपयुक्त , उपेक्षा , उपाधि , उपाध्यक्ष ,उपकूल , उपनिवेश , उपस्थिति , उपासना , उपदिशा , उपवेद , उपनेत्र , उपरांत , उपसंहार , उपकरण , उपकार आदि।
9. प्र – ( आगे , अधिक , ऊपर , यश ) –
प्रमाण , प्रयोग , प्रताप , प्रबल , प्रस्थान , प्रकृति , प्रमुख ,प्रदान , प्रचार , प्रसार , प्रहार , प्रयत्न , प्रभंजन , प्रपौत्र , प्रारम्भ , प्रोज्जवल , प्रेत , प्राचार्य , प्रयोजक , प्रार्थी , प्रक्रिया , प्रवाह , प्रख्यात , प्रकाश , प्रकट , प्रगति , प्रपंच , प्रलाप , प्रभुता , प्रपिता , प्रकोप , प्रभु , प्रयास आदि।
10. वि – ( विशिष्ट , भिन्न , हीनता ,असमानता , अभाव ) –
विरोध , विपक्ष , विदेश , विकल , वियोग , विनाश , विराम ,विजय , विज्ञान , विलय , विहार , विख्यात , विधान , व्यवहार , व्यर्थ , व्यायाम , व्यंजन , व्याधि , व्यसन , व्यूह , विकास , विधवा , विवाद , विशेष , विस्मरण , विभाग , विकार , विमुख , विनय , विनंती , विफल , विसंगति , विवाह , विभिन्न ,विश्राम आदि।
11. उत – ( श्रेष्ठ , ऊपर , ऊँचा ) –
उल्लास , उज्ज्वल , उत्थान , उन्नति , उदघाटन , उत्तम , उत्पन्न , उत्पत्ति , उत्पीडन , उत्कंडा, उत्तम , उत्कृष्ट , उदय , उद्गम , उत्कर्ष , उत्पल , उल्लेख , उत्साह , उत्पात , उतीर्ण , उभ्दिज्ज आदि।
12. प्रति – ( विरुद्ध , प्रत्येक , सामने , बराबरी , उल्टा , हर एक ) –
प्रत्याशा , प्रतिकूल , प्रतिकार , प्रतिष्ठा , प्रत्येक , प्रतिहिंसा , प्रतिरूप , प्रतिध्वनी , प्रतिनिधि , प्रतीक्षा , प्रत्युत्तर , प्रतीत , प्रतिक्षण , प्रतिदान , प्रत्यक्ष ,प्रतिवर्ष , प्रत्यपर्ण , प्रतिद्वंदी , प्रतिशोध , प्रतिरोधक , प्रतिघात , प्रतिध्वनी आदि।
13. सु – ( अच्छा , सरल , सुखी , सहज ,सुंदर , अधिक ) –
सुशील , स्वागत , स्वल्प , सुगम , सुबोध , सुपुत्र ,सुधार , सुगंध , सुगति , सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन , सुलभ , सुअवसर, सूक्ति ,सुदूर , सुजन , सुशिक्षित , सुपात्र , सुगठित , सुहाग , सुकर्म , सुकृत , सुभाषित , सुकवि , सुरभि आदि।
14. सम – ( अच्छा , पूर्णता , संयोग , उत्तम , साथ ) –
संताप , संभावना , संयोग , संशोधन , सम्मान , सम्मेलन ,संकल्प, संचय, सन्तोष, संगठन, संचार , संलग्न , संहार, संशय, संरक्षा ,संकल्प, संग्रह, संन्यास, संस्कार, संरक्षण, संहार , सम्मुख, संग्राम , संभव , संतुष्ट , संचालन , संजय आदि।
15. सह – ( साथ ) –
सहोदर , सहपाठी , सहगान , सहचर , सहमती , सहयोग , सहमत आदि।
16. पर – ( अन्य ) –
परदेश , परलोक , पराधीन आदि।
17. कु – ( बुरा ,हीनता ) –
कुपुत्र , कुरूम , कुकर्म , कुमति ,कुयोग , कुकृत्य ,कुख्यात , कुखेत , कुपात्र , कुकाठ , कपूत , कुढंग आदि।
18. परि – ( चारों ओर , पास , आसपास ) –
परिवार , परिणाम , पर्यावरण , परिजन , परिक्रम , परिक्रमा , परिपूर्ण, परिमार्जन,परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान,परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा,पर्याप्त, पर्यटन , पर्यन्त ,परिमित , परिपूर्ण , परिपाक, परिधि आदि।
19. अव – ( हीन , बुरा ,अनादर , पतन ) –
अवशेष , अवगुण , अवकाश , अवसर , अवनति , अवज्ञा , अवधारण, अवगति, अवतार, अवलोकन, अवतरण , अवगत , अवस्था , अवनत , अवसान , अवरोहन , अवगणना , अवकृपा आदि।
20. निर – ( निषेध ,रहित , बिना , बाहर ) –
निर्बल , निर्मल , निर्माण , निर्जन , निरकार , निरपराध, निराहार, निरक्षर, निरादर, निरहंकार, निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण , निरंजन , निराषा , निर्गुण , निर्भय , निर्वास , निराकरण , निर्वाह , निदोष , निर्जीव , निर्मूल आदि।
21. पूरा – ( पुराना , पहला ) –
पुरातत्व , पुरातन , पुरावरित्त आदि।
22. सत – (अच्छा ) –
सदाचार , सत्पुरुष , सत्कर्म , सत्संग , सद्भावना आदि।
23. दुर – ( कठिन , बुरा , विपरीत ,दुष्ट , हीन )-
दुराशा, दुराग्रह, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग, दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुर्दशा , दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह ,दुरुक्ति , दुर्जन , दुर्गम , दुर्बल , दुर्लभ , दुखद , दुरावस्था , दुर्दमनीय , दुर्भाग्य आदि।
24. दुस – ( बुरा , विपरीत , कठिन , दुष्ट , हीन )-
दुश्चिन्त, दुश्शासन, दुष्कर, दुष्कर्म, दुस्साहस, दुस्साध्य,दुष्कृत्य , दुष्प्राप्य , दु:सह आदि।
25. नि – ( बिना , विशेष , निषेध , अभाव , भीतर , नीचे , अतिरिक्त )-
निडर, निगम, निवास, निदान, निहत्थ, निबन्ध, निदेशक, निकर, निवारण, न्यून, न्याय, न्यास, निषेध, निषिद्ध ,नियुक्त , निपात , नियोग , निपात , निरूपा , निदर्शन , निवास , निरूपण , निम्न , निरोध , निकामी , निजोर आदि।
26. निस – ( बिना ,आहार , बाहर , निषेध , रहित )-
निश्चय, निश्छल, निष्काम, निष्कर्म , निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह , निस्तार , निस्सार , निश्चल , निश्चित ,निष्फल , नि:शेष आदि।
27. परा – ( विपरीत , पीछे , अधिक , अनादर , नाश )-
पराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, परावर्तन, पराविद्या, पराकाष्ठा , पराभूत , पराधीन आदि।
28. अन – ( नहीं , बुरा , अभाव , निषेध )-
अनन्त, अनादि, अनेक, अनाहूत, अनुपयोगी, अनागत, अनिष्ट, अनीह , अनुपयुक्त, अनुपम, अनुचित, अनन्य , अनजान , अनमोल , अपढ़ , अनजान , अन्थाह आदि।
29. अध् – (आधे ) –
अधमरा , अधजला , अधपका , अधखिला , अध्सेरा , अधजल , अधस्थल , अधोगति आदि।
30. उन – ( एक कम ) –
उन्नीस , उनतीस , उन्चास , उनसठ , उनहत्तर आदि।
31. औ – ( हीनता , निषेध ) –
औगुन , औघट , औसर , औढर आदि।
32. दु – ( बुरा , हीन ) –
दुकाल , दुबला आदि।
33. बिन – ( निषेध ) –
बिनजाना , बिनब्याहा , बिनबोया , बिनदेखा , बिनखाया , बिनचखा , बिनकाम आदि।
34. भर – ( पूरा , ठीक ) –
भरपेट , भरसक , भरपूर , भरदिन आदि।
35. चिर – ( बहुत , आनन्द ) –
चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी आदि।
36. तत – ( समान ) –
तत्काल , तत्सम , तत्पर आदि।
37. स्व – ( अपना ) –
स्वरोजगार , स्वतंत्र , स्वभाव आदि।
38. अपि – (आवरण )-
अपिधान आदि।
1. अन – (अभाव , निषेध , नहीं ) –
अनजान , अनकहा , अनदेखा , अनमोल , अनबन , अनपढ़ , अनहोनी , अछूत , अचेत , अनचाहा , अनसुना , अलग , अनदेखी आदि।
2. अध् – ( आधा ) –
अधपका , अधमरा , अधक्च्चा , अधकचरा , अधजला , अधखिला , अधगला , अधनंगा आदि।
3. उन – ( एक कम ) –
उनतीस , उनचास , उनसठ , उनहत्तर , उनतालीस , उन्नीस , उन्नासी आदि।
4. दु – (बुरा , हीन , दो , विशेष , कम ) –
दुबला , दुर्जन , दुर्बल , दुलारा , दुधारू , दुसाध्य , दुरंगा , दुलत्ती , दुनाली , दुराहा , दुपहरी , दुगुना , दुकाल आदि।
5. नि – ( रहित , अभाव , विशेष , कमी ) –
निडर , निक्कमा , निगोड़ा , निहत्था , निहाल आदि।
6. अ -( अभाव , निषेध ) –
अछुता , अथाह , अटल , अचेत आदि।
7. कु – ( बुरा , हिन् ) –
कुचाल , कुचैला , कुचक्र , कपूत , कुढंग , कुसंगति , कुकर्म , कुरूप , कुपुत्र , कुमार्ग , कुरीति , कुख्यात , कुमति आदि।
8. औ – (हीन , अब , निषेध ) –
औगुन , औघर , औसर ,औसान , औघट , औतार , औगढ़ , औढर आदि।
9. भर – ( पूरा , ठीक ) –
भरपेट , भरपूर , भरसक , भरमार , भरकम , भरपाई , भरदिन आदि।
10. सु – ( सुंदर , अच्छा ) –
सुडौल , सुजान , सुघड़ , सुफल , सुनामी , सुकाल , सपूत आदि।
11. पर – ( दूसरी पीढ़ी , दूसरा , बाद का ) –
परलोक , परोपकार , परसर्ग , परहित , परदादा , परपोता , परनाना , परदेशी , परजीवी , परकोटा , परलोक , परकाज आदि।
12. बिन – ( बिना , निषेध ) –
बिनब्याहा , बिनबादल , बिनपाए , बिनजाने , बिनखाये , बिनचाहा , बिनखाया , बिनबोया , बिनामांगा , बिनजाया , बिनदेखा , बिनमंगे आदि।
13. चौ – (चार ) –
चौपाई , चौपाया , चौराहा , चौकन्ना , चौमासा , चौरंगा , चौमुखा , चौपाल आदि।
14. उ – ( अभाव , हीनता ) –
उचक्का , उजड़ना , उछलना , उखाड़ना , उतावला , उदर , उजड़ा , उधर आदि।
15. पच – (पांच ) –
पचरंगा , पचमेल , पचकूटा , पचमढ़ी आदि।
16. ति – ( तीन ) –
तिरंगा , तिराहा , तिपाई , तिकोन , तिमाही आदि।
17 . का – ( बुरा ) –
कायर , कापुरुष , काजल आदि।
18. स – ( सहित ) –
सपूत , सफल , सबल , सगुण , सजीव ,सावधान , सकर्मक आदि।
19. चिर – (सदैव ) –
चिरकाल , चिरायु , चिरयौवन , चिरपरिचित , चिरस्थायी , चिरस्मरणीय , चिरप्रतीक्षित आदि।
20. न – (नहीं ) –
नकुल , नास्तिक , नग , नपुंसक , नगण्य , नेति आदि।
21. बहु – (ज्यादा ) –
बहुमूल्य , बहुवचन , बहुमत , बहुभुज , बहुविवाह , बहुसंख्यक , बहुपयोगी आदि।
22. आप – (स्वंय ) –
आपकाज , आपबीती , आपकही , आपसुनी आदि।
23. नाना – (विविध ) –
नानाप्रकार , नानारूप , नानाजाति , नानाविकार आदि।
24. क – (बुरा , हीन ) –
कपूत , कलंक , कठोर , कचोट आदि।
25. सम – ( समान ) –
समतल , समदर्शी , समकोण , समकक्ष आदि।
26. अव – (हीन , निषेध ) –
औगुन , औघर , औसर , औसान आदि।
3. अरबी -फारसी के उपसर्ग :-
1.दर – (में , मध्य में ) –
दरकिनार , दरमियान , दरअसल , दरकार , दरगुजर , दरहकीकत आदि।
2. कम – ( थोडा , हीन , अल्प ) –
कमजोर , कमबख्त , कमउम्र , कमअक्ल , कमसमझ , कमसिन आदि।
3. ला – (नहीं , रहित ) –
लाइलाज , लाजवाब, लापरवाह , लापता ,लावारिस , लाचार , लामानी , लाजवाल आदि।
4. ब – (के साथ , और , अनुसार ) –
बखूबी , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बनाम , बमुश्किल आदि।
5. बे – (बिना ) –
बेनाम , बेपरवाह , बेईमान , बेरहम , बेहोश , बैचैन , बेइज्जत , बेचारा , बेवकूफ , बेबुनियाद ,बेवक्त , बेतरह , बेअक्ल , बेकसूर , बेनामी , बेशक आदि।
6. बा – ( साथ से , सहित ) –
बाकायदा , बादत , बावजूद , बाहरो , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बाइंसाफ , बामुलाहिजा आदि।
7. बद – (बुरा , हीनता ) –
बदनाम , बदमाश , बदतमीज , बदबू , बदसूरत , बदकिस्मत , बदहजमी , बददिमाग , बदमजा , बदहवास , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।
8. ना – (अभाव ) –
नालायक , नाकारा , नाराज , नासमझ , नाबालिक , नाचीज , नापसंद , नामुमकिन , नामुराद , नाकामयाब , नाकाम , नापाक आदि।
9. गैर – (भिन्न , निषेध ) –
गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजिम्मेदार , गैरमुल्क , गैरवाजिब , गैरमुमकिन , गैरमुनासिब आदि।
10. हम – ( आपस में , समान , साथ वाला ) –
हमराज , हमदर्द , हमजोली , हमनाम , हमउम्र , हमदम , हमदर्दी , हमराह , हमसफर आदि।
11. हर – ( सब , प्रत्येक ) –
हरलाल , हरसाल , हरवक्त ,हररोज , हरघडी , हरएक , हरदिन , हरबार आदि।
12. खुश – (अच्छा ) –
खुसबू , खुशनसीब , खुशमिजाज , खुशदिल , खुशहाल , खुशखबरी , खुशकिस्मत आदि।
13. सर – ( मुख्य ) –
सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।
14. अल – ( अलमस्त , निश्चित , अंतिम ) –
अलबत्ता , अलबेला , अलविदा आदि।
1. हाफ – ( आधा ) –
हाफ पेंट , हाफ बाड़ी , हाफटिकट , हाफरेट , हाफकमीज आदि।
2. सब – ( अधीन , नीचे ) –
सब पोस्टर , सब इंस्पेक्टर , सबजज , सबकमेटी , सबरजिस्टर आदि।
3. चीफ – (प्रमुख ) –
चीफ मिनिस्टर , चीफ इंजीनियर , चीफ सेक्रेटरी आदि।
4. जनरल – (प्रधान , सामान्य ) –
जनरल मैनेजर , जनरल सेक्रेटरी , जनरल इंश्योरेंस आदि।
5. हैड – ( मुख्य ) –
हैड मुंशी , हैड पंडित , हेडमास्टर , हेड क्लर्क , हेड ऑफिस , हेड कांस्टेबल आदि।
6. डिप्टी – ( सहायक ) –
डिप्टी कलेक्टर , डिप्टी रजिस्टर , डिप्टी मिनिस्टर आदि।
7. वाइस – ( सहायक , उप ) –
वाइसराय , वाइस चांसलर , वाइस प्रेजिडेंट , वाइस प्रिंसिपल आदि।
8. एक्स – ( मुक्त ) –
एक्सप्रेस , एक्स कमिश्नर , एक्स स्टूडेंट , एक्स प्रिंसिपल आदि।
1. अल – (निश्चित ) –
अलगरज , अलबत्ता आदि।
2. कम – ( थोडा , हीन ) –
कमजोर , कमउम्र , कमबख्त , कमसिन , कमख्याल , कमदिमाग , कमजात आदि।
3. खुश – (अच्छा ) –
खुशनसीब , खुशहाल , खुशकिस्मत , खुशदिल , खुशनुमा , खुशगवार , खुशमिजाज , खुसबू आदि।
4. गैर – (निषेध , के बिना ) –
गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजरूरी , गैरकौम , गैरहाजिब , गैरमुनासिब आदि।
5. दर – ( में ) –
दरकार , दरबार , दरमियान , दरअसल , दरहकीकत आदि।
6. ना – ( अभाव , निषेध ) –
नालायक , नासमझ , नाबालिक , नाराज , नामुमकिन , नादान , नापसंद , नामुराद , नाकामयाब , नाचीज , नापाक , नाकाम आदि।
7. बद – ( बुरा ) –
बदतर , बदनाम , बदकिस्मत , बदसूरत , बदमाश , बददिमाग , बदचलन , बदहजमी , बदमजा , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।
8. बर – (बाहर , ऊपर ) –
बरखास्त , बरदास्त , बरबाद , बरवक्त , बरकरार , बरअक्स , बरजमा आदि।
9. बे – ( बिना ) –
बेवक्त , बेझिझक , बेवकूफ , बेइज्जत , बेकाम , बेअसर , बेरहम , बेईमान , बेचारा , बेअक्ल , बेबुनियाद , बेतरह , बेमानी , बेशक आदि।
10. ला – ( बिना , रहित ) –
लाजवाब , लापता , लाचार , लावारिस , लापरवाह , लाइलाज , लामानी , लाइल्म आदि।
11. हर – ( प्रत्येक , प्रति ) –
हरदम , हरवक्त , हरपल , हरदिन , हरसाल , हरएक , हरबार आदि।
12. हम – ( समान , बराबर ) –
हमसफर , हमदर्द , हमशक्ल , हमउम्र , हमदर्दी , हमपेशा , हमराज , हमदम आदि।
13. बिल – ( के साथ , बिना ) –
बिलआखिर , बिलकुल , बिलवजह , बिलावजह , बिलाशक , बिलालिहज , बिलानागा आदि।
14. फिल /फी – ( में प्रति ) –
फ़िलहाल , फिआदमी , फीसदी आदि।
15. ब – ( और , अनुसार ) –
बनाम , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बमुश्किल आदि।
16. बा – ( सहित , अनुसार ) –
बाकायदा , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बामुलाहिजा आदि।
17. सर – ( मुख्य ) –
सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।
1. का – ( निषेध ) –कापुरुष आदि।
2. कु – ( हीन ) –कुपुत्र आदि।
3. चिर – ( बहुत देर ) –
चिरकाल , चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी , चिरकुमार आदि।
4. अ – ( निषेध , अभाव ) –
अधर्म , अनीति , अनन्त , अज्ञान , अभाव , अचेत , अशोक , अकाल आदि।
5. अन – ( निषेध ) –
अनीति , अनन्त , अनागत , अनर्थ , अनादि आदि।
6. अंतर – ( भीतर ) –
अन्तर्नाद , अन्तर्ध्यान , अंतरात्मा , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर्जातीय आदि।
7. स – ( सहित ) –
सजल , सकल , सहर्ष आदि।
8. अध्: – ( नीचे ) –
अध्:पतन , अधोगति , अधोमुख , अधोलिखित आदि।
9. पुरस – ( आगे ) –
पुरस्कार , पुरस्कृत आदि।
10. पुनः – ( फिर ) –
पुनर्गमन , पुनर्जन्म , पुनर्मिलन , पुनर्लेखन , पुनर्जीवन आदि।
11. पुरा – ( पुराना ) –
पुरातत्व , पुरातन , पुरावृत आदि।
12. तिरस – ( बुरा , हीन ) –
तिरस्कार , तिरोभाव आदि।
13. सत – ( श्रेष्ठ , सच्चा ) –
सत्कार , सज्जन , सत्कार्य , सदाचार , सत्कर्म आदि।
14. अंत: – (भीतरी ) –
अंत:करण , अंत:पुर , अंतर्मन , अंतर्देशीय आदि।
15. बहिर – ( बाहर ) –
बहिर्गमन , बहिष्कार आदि।
16. सम – ( समान ) –
समकालीन , समदर्शी , समकोण ,समकालिक आदि।
17. सह – ( साथ ) –
सहकार , सहपाठी , सहयोग , सहचर आदि।
1. अ+नि+यंत्रित = अनियंत्रित
2. प्रति+उप+कार = प्रतुप्कार
3. परी+आ+वरण = पर्यावरण
4. अति+आ+चार = अत्याचार
5. सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान
6. अन+आ+गत = अनागत
7. वि+आ+करण = व्याकरण
8. अ+परा+जय = अपराजय
9. सत+आ+चार = सदाचार
10. निर+अभि+मान = निरभिमान
11. सु+आ+गत = स्वागत
12. अन+आ+चार = अनाचार आदि।
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय। प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘।अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
जैसे:-
(क) संस्कृत के प्रत्यय
(ख) हिंदी के प्रत्यय
(ग) विदेशी भाषा के प्रत्यय
(क) संस्कृत के प्रत्यय क्या होते हैं :-संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे:– त – आगत , विगत , कृत ।
संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-
1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
1. कृत प्रत्यय क्या होते हैं :–वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।
जैसे:– लिख +अक = लेखक
धातु + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल+ अक =लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।
(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष+ अन =पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।
(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।
(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु+ अनिय =माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।
(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल+आ =सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।
(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन+ आई =लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।
(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ+आन =उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।
(viii) हर, गिर, दशरथ, माला+ इ =हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।
(ix) छल, जड़, बढ़, घट+ इया =छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।
(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प+इत =पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।
(xi) चर्, पो, खन्+ इत्र =चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।
(xii) अड़, मर, सड़+ इयल =अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।
(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार+ ई =हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।
(xiv) इच्छ्, भिक्ष्+ उक =इच्छुक, भिक्षुक आदि ।
(xv) कृ, वच्+ तव्य =कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।
(xvi) आ, जा, बह, मर, गा+ ता =आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।
(xvii) अ, प्री, शक्, भज+ ति =अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।
(xviii) जा, खा+ ते =जाते, खाते आदि ।
(xix) अन्य, सर्व, अस्+ त्र =अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।
(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़+ न =क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।
(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा+ ना =पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।
(xxii) दा, धा+ म =दाम, धाम आदि ।
(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज+ य =गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।
(xxiv) मृग, विद्+ या =मृगया, विद्या आदि ।
(xxv) गे+रु =गेरू आदि ।
(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना+ वाला =देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।
(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव+ ऐया \ वैया =बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।
(xxviii) होना, रखना, खेवना+ हार =होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।
1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
3. भाववाचक कृत प्रत्यय
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
5. करणवाचक कृत प्रत्यय
6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय
1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
2. विशेषण वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय के क्रियापदों से विशेषण शब्द की रचना होती है उसे विशेषण वाचक कृत प्रत्यय कहते है ।
जैसे:-
3. भाववाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं ।
जैसे:-
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
5. करणवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
6. क्रिया वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :– जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:-
ता =डूबता , बहता , चलता
या =खोया , बोया
आ =सुखा , भूला , बैठा
ना =दौड़ना , सोना
कर =जाकर , देखकर
1. विकारी कृत प्रत्यय
2. अविकारी कृत प्रत्यय
1. विकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-विकारी कृत प्रत्यय में शुद्ध संज्ञा तथा विशेषण बने होते हैं इसलिए इसे विकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।
विकारी कृत प्रत्यय के भेद :-
1. क्रियार्थक संज्ञा
2. कृतवाचक संज्ञा
3. वर्तमान कालिक कृदंत
4. भूतकालिक कृदंत
1. क्रियार्थक संज्ञा क्या होती है :-वह संज्ञा जो क्रिया के मूल रूप में होती है और क्रिया का अर्थ देती है अथार्त को का अर्थ बताने वाला वह शब्द जो क्रिया के रूप में उपस्थित होते हुए भी संज्ञा का अर्थ देता है वह क्रियाथक संज्ञा कहलाती है ।
2. कृतवाचक संज्ञा क्या होती है :-वे प्रत्यय जिनके जुड़ने पर कार्य करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक संज्ञा कहते हैं ।
3. वर्तमान कालिक कृदंत क्या होती है :-जब हम एक काम को करते हुए दूसरे काम को साथ में करते हैं तो पहले वाली की गई क्रिया को वर्तमान कालिक कृदंत कहते हैं ।
4. भूतकालिक कृदंत क्या होता है :-जब सामान्य भूतकालिक क्रिया को हुआ , हुए , हुई आदि को जोड़ने से भूतकालिक कृदंत बनता है ।
2. अविकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-ऐसे कृत प्रत्यय जिनकी वजह से क्रियामूलक विशेषण और अव्यय बनते है उन्हें अविकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।
2. तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जब संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं तद्धित प्रत्यय से मिलाकर जो शब्द बनते हैं उन्हें तद्धितांत प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे:– सेठ+आनी = सेठानी ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पछताना, जगना , पंडित , चतुर , ठाकुर+ आइ =पछताई ,जगाई ,पण्डिताई ,चतुराई , ठकुराई आदि ।
(ii) पण्डित, ठाकुर+ आइन =पण्डिताइन, ठकुराइन आदि ।
(iii) पण्डित, ठाकुर, लड़, चतुर, चौड़ा ,अच्छा+ आई =पण्डिताई, ठकुराई, लड़ाई, चतुराई, चौड़ाई , अच्छाई आदि ।
(iv) सेठ, नौकर+ आनी =सेठ, नौकर आदि ।
(v) बहुत, पंच, अपना+आयत =बहुतायत, पंचायत, अपनायत आदि ।
(vi) लोहा, सोना, दूध, गाँव+ आर \आरा =लोहार, सुनार, दूधार, गँवार आदि ।
(vii) चिकना, घबरा, चिल्ल, कड़वा+ आहट =चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट, कड़वाहट आदि ।
(viii) फेन, कूट, तन्द्र, जटा, पंक, स्वप्न, धूम+ इल =फेनिल, कुटिल, तन्द्रिल, जटिल, पंकिल, स्वप्निल, धूमिल आदि ।
(ix) कन्, वर्, गुरु, बल+ इष्ठ =कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ आदि ।
(x) सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात+ ई =सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात आदि ।
(xi) ग्राम, कुल+ ईन =ग्रामीण, कुलीन आदि ।
(xii)भवत्, भारत, पाणिनी, राष्ट्र+ ईय =भवदीय, भारतीय, पाणिनीय, राष्ट्रीय आदि ।
(xiii) बच्चा, लेखा, लड़का+ ए =बच्चे, लेखे, लड़के आदि ।
(xiv) अतिथि, अत्रि, कुंती, पुरुष, राधा+ एय =आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय आदि ।
(xv) फुल, नाक+एल =फुलेल, नकेल आदि ।
(xvi) डाका, लाठी+ ऐत =डकैत, लठैत आदि ।
(xvii) अंध, साँप, बहुत, मामा, काँसा, लुट, सेवा+ एरा/ऐरा =अँधेरा, सँपेरा, बहुतेरा, ममेरा, कसेरा, लुटेरा , सवेरा आदि ।
(xviii) खाट, पाट, साँप+ ओला =खटोला, पटोला, सँपोला आदि ।
(xix) बाप, ठाकुर, मान+ औती =बपौती, ठकरौती, मनौती आदि ।
(xx) बिल्ला, काजर+ औटा =बिलौटा, कजरौटा आदि ।
(xxi) धम, चम, बैठ, बाल, दर्श, ढोल , लल+ क =धमक, चमक, बैठक, बालक, दर्शक, ढोलक , ललक आदि ।
(xxii) विशेष, ख़ास+ कर =विशेषकर, ख़ासकर आदि ।
(xxiii) खट, झट+ का =खटका, झटका आदि ।
(xxiv) भ्राता, दो+ जा =भतीजा, दूजा आदि ।
(xxv) चाम, बाछा, पंख, टाँग+ डा/डी =चमड़ा, बछड़ा, पंखड़ी, टँगड़ी आदि ।
(xxvi) रंग, संग, खप+ त =रंगत, संगत, खपत आदि ।
(xxvii) अद्य+ तन =अद्यतन आदि ।
(xxviii) गुरु, श्रेष्ठ+ तर =गुरुतर, श्रेष्ठतर आदि ।
(xxix) अंश, स्व , आ+त: =अंशतः, स्वतः , अत: आदि ।
(xxx) कम, बढ़, चढ़+ ती =कमती, बढ़ती, चढ़ती आदि ।
(xxxi) ऐ , कै , वै+ सा =ऐसा , कैसा , वैसा आदि ।
(xxxii) लेश , रंच+ मात्र =लेशमात्र , रंचमात्र आदि ।
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
4. संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
10. गणनावाचक तद्धति प्रत्यय
11. स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा , सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सोना , लोहा , कह , चम+ आर =सुनार , लुहार , कहार , चमार आदि ।
(ii) जुआ+ आरी =जुआरी आदि ।
(iii) मजाक , रस , दुःख , आढत , मुख , रसोई+ इया =मजाकिया , रसिया , दुखिया , आढतिया , मुखिया , रसोईया आदि ।
(iv) सब्जी , टोपी , घर , गाड़ी , पान+ वाला =सब्जीवाला , टोपीवाला , घरवाला , गाड़ीवाला ,पानीवाला आदि ।
(v) पालन+ हार =पालनहार आदि ।
(vi) समझ , ईमान , दुकान , कर्ज+ दार =समझदार , ईमानदार , दुकानदार , कर्जदार आदि ।
(vii) तेल , भेद , रोग+ ई =तेली , भेदी , रोगी आदि ।
(viii) घास , कसा , ठठ , लुट+ एरा= घसेरा , कसेरा , ठठेरा , लुटेरा आदि ।
(ix) लकड , पानी , मनि+ हारा =लकडहारा , पनिहारा , मनिहारा आदि ।
(x) पाठ , लेख , लिपि+ क =पाठक , लेखक , लिपिक आदि ।
(xi) पत्र , कला , चित्र+ कार =पत्रकार , कलाकार , चित्रकार आदि ।
(xii) मछु , गेरू , ठलु+ आ =मछुआ , गेरुआ , ठलुआ आदि ।
(xiii) मशाल , खजान , मो+ ची =मशालची , खजानची , मोची आदि ।
(xiv) कारी , बाजी , जादू + कारीगर , बाजीगर , जादूगर आदि ।
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–इस प्रत्यय में भाव प्रकट होता है ।इसमें प्रत्यय लगने की वजह से कहीं कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाया करती है । जो प्रत्यय संज्ञा तथा विशेषण के साथ जुडकर भाववाचक संज्ञा को बनाते हैं उसे भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) देवता ,मनुष्य , पशु , महा , गुरु , लघु+ त्व =देवत्व , मनुष्यत्व , पशुत्व , महत्व , गुरुत्व , लघुत्व आदि ।
(ii) बच्चा , लडक , छुट , काला+ पन =बचपन , लडकपन , छुटपन , कालापन आदि ।
(iii) सज्जा+वट =सजावट आदि ।
(iv) चिकना+ हट =चिकनाहट आदि ।
(v) रंग+ त =रंगत आदि ।
(vi) मीठा+ आस =मिठास आदि ।
(vii) बुलाव , सराफ , चूर+ आ =बुलावा , सराफा , चूरा आदि ।
(viii) भला , बुरा , कठिन , चतुर , ऊँचा+ आई =भलाई , बुराई , कठिनाई , चतुराई , ऊँचाई आदि ।
(ix) बुढा , मोटा+ आपा =बुढ़ापा , मोटापा आदि ।
(x) खट , मीठा , भडा+ आस =खटास , मिठास , भडास आदि ।
(xi) कडवा , घबरा , झल्ला , चिकना+ आहट =कडवाहट , घबराहट , झल्लाहट , चिकनाहट आदि ।
(xii) लाली , महा , अरुण , गरी+ इमा =लालिमा , महिमा , अरुणिमा , गरिमा आदि ।
(xiii) गर्म , खेत , सर्द , गरीब+ ई =गर्मी , खेती , सर्दी , गरीबी आदि ।
(xiv) सुंदर , मूर्ख , मनुष्य , लघु , गुरु , सम , कवि , एक , बन्धु+ ता =सुन्दरता , मूर्खता , मनुष्यता , लघुता , गुरुता , समता , कविता , एकता , बन्धुता आदि ।
(xv) बाप , मान+ औती =बपौती , मनौती आदि ।
(xvi) लाघ , गौर , पाट+ अव =लाघव , गौरव , पाटव आदि ।
(xvii) पंडित , धैर , चतुर , मधु+ य =पांडित्य , धैर्य , चातुर्य , माधुर्य आदि ।
(xviii) चौड़ा+आन =चौडान आदि ।
(xix) अपना+ आयत =अपनायत आदि ।
(xx) छूट+ आरा =छुटकारा आदि ।
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय शब्दों से लघुता , प्रियता , हीनता का पता चलता हो उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) ढोल+ क =ढोलक आदि ।
(ii) छाता+ री =छतरी आदि ।
(iii) बूढी , लोटा , डिबा , खाट+ इया =बुढिया , लुटिया , डिबिया , खटिया आदि ।
(iv) टोप , कोठर , टोकन , ढोलक , मण्डल , टोकरा , पहाड़ , घन+ ई =टोपी , कोठरी , टोकनी , ढोलकी , मण्डली , टोकरी , पहाड़ी , घण्टी आदि ।
(v) छोटा , कन+ की =छोटकी , कनकी आदि ।
(vi) चोरी , कालू+ टा =चोट्टा , कलूटा आदि ।
(vii) दुःख , बछ+ डा =दुखड़ा , बछड़ा आदि ।
(viii) पाग , टूक , टांग+ डी =पगड़ी , टुकड़ी , टंगड़ी आदि ।
(ix) खाट+ ली =खटोली आदि ।
(x) बच्चा+ वा =बचवा आदि ।
(xi) लँगोट , कचौट , बहु+ टी =लंगोटी , कछौटी , बहूटी आदि ।
(xii) खाट , साँप+ ओला =खटोला , संपोला आदि ।
(xiii) ठाकुर+आ =ठकुरा आदि ।
(xiv) टीका+ ली =टिकली आदि ।
(xv) मरा+ सा =मरासा आदि ।
4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के लगने से संबंध का पता लगता है उसे संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं इसमें कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) नाना+ हाल =ननिहाल आदि ।
(ii) नाक+ एल =नकेल आदि ।
(iii) ससुर+ आल =ससुराल आदि ।
(iv) बाप+ औती =बपौती आदि ।
(v) लखनऊ , पंजाब , गुजरात , बंगाल , सिंधु+ ई =लखनवी , पंजाबी , गुजराती , बंगाली , सिंधी आदि ।
(vi) फूफा , मामा , चाचा+ ऐरा =फुफेरा , ममेरा , चचेरा आदि ।
(vii) भाई , बहन+ जा =भतीजा , भानजा आदि ।
(viii) पटना , कलकता , जबलपुर , अमृतसर+ इया =पटनिया , कलकतिया , जबलपुरिया , अमृतसरिया आदि ।
(ix) शरीर , नीति , धर्म , अर्थ , लोक , वर्ष , एतिहास+ इक =शारीरिक , नैतिक , धार्मिक , आर्थिक , लौकिक , वार्षिक , ऐतिहासिक आदि ।
(x) दया , श्रद्धा+ आलु =दयालु , श्रद्धालु आदि ।
(xi) फल , पीड़ा , प्रचल , दुःख , मोह+ इत =फलित , पीड़ित , प्रचलित , दुखित , मोहित आदि ।
(xii) रस , रंग , जहर+ ईला =रसीला , रंगीला , जहरीला आदि ।
(xiii) भारत , प्रान्त , नाटक , भवद+ ईय =भारतीय , प्रांतीय , नाटकीय , भवदीय आदि ।
(xiv) विष+ ऐला =विषैला आदि ।
(xv) कठिन+ तर =कठिनतर आदि ।
(xvi) बुद्धि+ मान =बुद्धिमान आदि ।
(xvii) पुत्र , मातृ+ वत =पुत्रवत , मातृवत आदि ।
(xviii) इक+ हरा =इकहरा आदि ।
(xix) नन्द+ ओई =ननदोई आदि ।
(xx) ग्राम , काम , हास् , भव+ य =ग्राम्य , काम्य , हास्य , भव्य आदि ।
(xxi) जट , फेन , बोझ , पंक+ इल =जटिल , फेनिल , बोझिल , पंकिल आदि ।
(xxii) स्वर्ण , अंत , रक्ति+ इम =स्वर्णिम , अंतिम , रक्तिम आदि ।
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द के आंतरिक रूप में परिवर्तन हो जाता है और शब्द का अर्थ अपत्य हो जाता है । इनसे संतान या वंश में पैदा हुए व्यक्ति का बोध होता है उसे अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।इस प्रत्यय में कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार से हैं :-
(i) वसुदेव , मनु , कुरु , रघु , यदु , विष्णु , कुन्ती +अ =वासुदेव , मानव , कौरव , राघव , यादव , वैष्णव , कौन्तेय आदि ।
(ii) नर+ आयन =नारायण आदि ।
(iii) राधा , गंगा , भागिन+ एय =राधेय , गांगेय , भागिनेय आदि ।
(iv) दिति , आदित+ य =दैत्य , आदित्य आदि ।
(v) दशरथ , वाल्मिक , सौमित्र , जनक , द्रोपद , गांधार+ ई =दाशरथि , वाल्मिकी , सौमित्री , जानकी , द्रोपदी , गांधारी आदि ।
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से पदार्थ के गुणों का बोध होता है उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं । इस प्रत्यय से संज्ञा शब्द गुन्वाची हो जाता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) भूख , प्यास , ठंड , मीठ+ आ =भूखा , प्यासा , ठंडा , मीठा आदि ।
(ii) निशा+ अ =नैश आदि ।
(iii) शरीर , नगर , इतिहास+ इक =शारीरिक , नागरिक , ऐतिहासिक आदि ।
(iv) पक्ष , धन , लोभ , क्रोध , गुण , विद्याथ , सुख , ज्ञान , जंगल+ ई =पक्षी , धनी , लोभी , क्रोधी , गुणी , विद्यार्थी , सुखी , ज्ञानी , जंगली आदि ।
(v) बुद्ध+ ऊ =बुद्धू आदि ।
(vi) छूत+ हा =छुतहर आदि ।
(vii) गांजा+ एडी =गंजेड़ी आदि ।
(viii) शाप , पुष्प , आनन्द , क्रोध+ इत =शापित , पुष्पित , आनन्दित , क्रोधित आदि ।
(ix) लाल+ इमा =लालिमा आदि ।
(x) वर+ इष्ठ =वरिष्ठ आदि ।
(xi) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।
(xii) मधु+ र =मधुर आदि ।
(xiii) वत्स+ ल =वत्सल आदि ।
(xiv) माया+ वी =मायावी आदि ।
(xv) कर्क+ श =कर्कश आदि ।
(xvi) चमक , भडक , रंग , सज+ ईला =चमकीला , भडकीला , रंगीला , सजीला आदि ।
(xvii) वांछन , अनुकरण , भारत , रमण+ ईय =वांछनीय , अनुकरणीय , भारतीय , रमणीय आदि ।
(xviii) कृपा , दया , शंका+ लू =कृपालु , दयालु , शंकालु आदि ।
(xix) विष , कस+ ऐला =विषैला , कसैला आदि ।
(xx) दया , कुल+ वंत =दयावन्त , कुलवंत आदि ।
(xxi) गुण , रूप , बल , विद+ वान =गुणवान , रूपवान , बलवान , विद्वान् आदि ।
(xxii) बुद्धि , शक्ति , गति , आयुष+ मान =बुद्धिमान , शक्तिमान , गतिमान , आयुष्मान आदि ।
(xxiii) पश्चात् , पौर्वा , दक्षिण+ त्य =पश्चात्य , पौर्वात्य , दक्षिणात्य आदि ।
(xxiv) सुन+ हरा =सुनहरा आदि ।
(xxv) रूप+ हला =रुपहला आदि ।
7. स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्थान का पता चलता है वहाँ पर स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय होता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) गुजरात , पंजाब , बंगाल , जर्मन+ ई =गुजरती , पंजाबी , बंगाली , जर्मनी आदि ।
(ii) पटना , मुम्बई , नागपुर , जयपुर+ इया =पटनिया , मुम्बईया , नागपुरिया , जयपुरिया आदि ।
(iii) चारा+ गाह =चारागाह आदि ।
(iv) आगा+ आड़ी =अगाड़ी आदि ।
(v) सर्व , यद , तद+ त्र =सर्वत्र , यत्र , तत्र आदि ।
(vi) डेरे , दिल्ली , बनारस , सुरत , चाय+ वाला =डेरेवाला , दिल्लीवाला , बनारसवाला , सुरतवाला , चायवाला आदि ।
(vii) कलक , तिरहु+ तिया =कलकतिया , तिरहुतिया आदि ।
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण आदि पदों के अंत में आँ, अ ओं , तना , भर आदि बहुत से प्रत्यय जोडकर अव्यय वाचक तद्धित प्रत्यय बनाए जाते हैं ।
पद + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सर्व+ दा =सर्वदा आदि ।
(ii) एक+ त्र =एकत्र आदि ।
(iii) कोस+ ओं =कोसों आदि ।
(iv) आप+ स =आपस आदि ।
(v) यह+ आँ =यहाँ आदि ।
(vi) दिन+ भर =दिनभर आदि ।
(vii) धीर+ ए =धीरे आदि ।
(viii) तड़का+ ए =तडके आदि ।
(ix) पीछा+ ए =पीछे आदि ।
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सुन , रूप+ हरा =सुनहरा , रूपहरा आदि ।
(ii) पीला , नीला , काला+ सा =पीला सा , नीला सा , काला सा आदि ।
10. गणना वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से शब्दों में संख्या का पता चले उसे गणना वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पह+ ला =पहला आदि ।
(ii) दुस , तीन+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।
(iii) इक , दु , ति+ हरा =इकहरा , दुहरा , तिहरा आदि ।
(iv) पांच , सात , दस+ वाँ =पांचवां , सातवाँ , दसवां आदि ।
(v) चौ+था =चौथा आदि ।
(vi) दो +गुना =दोगुना आदि ।
11. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्यय की वजह से संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण के साथ लगकर उनके स्त्रीलिंग होने का भेद उत्पन्न हो उन्हें स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जिन प्रत्ययों को लगाने से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) देवा , जेठ , नौकर+ आनी =देवरानी , जेठानी , नौकरानी आदि ।
(ii) रूद्र , इंद्र+ आणी =रुद्राणी , इन्द्राणी आदि ।
(iii) देव , लड़का+ ई =देवी , लडकी आदि ।
(iv) सुत , प्रिय ,छात्र , अनुज+ आ =सुता , प्रिया , छात्रा , अनुजा आदि ।
(v) धोबी , बाघ , माली+ इन =धोबिन , बाघिन , मालिन आदि ।
(vi) ठाकुर , मुंशी+ आइन =ठकुराइन , मुंशियाइन आदि ।
(vii) शेर , मोर+ नी =शेरनी , मोरनी आदि ।
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-दो या ज्यादा वस्तुओं में श्रेष्ठता बताने के लिए तारतम्य वाचक तद्धित प्रत्यय प्रयोग किया जाता है ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) अधिक , गुरु , लघु+ तर =अधिकतर , गुरुतर , लघुतर आदि ।
(ii) सुंदर , अधिक , लघु+ तम =सुन्दरतम , अधिकतम , लघुतम आदि ।
(iii) गर , वर+ ईय =गरिय , वरीय आदि ।
(iv) गर , वर , कन+ इष्ठ =गरिष्ठ , वरिष्ठ , कनिष्ठ आदि ।
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को लगाने से शब्द में संख्या की पूर्णता का बोध होता है उसे ही पूर्णता वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) प्रथ , पंच , सप्त , नव , दश+ म =प्रथम , पंचम , सप्तम , नवम , दशम आदि ।
(ii) चतुर +थ =चतुर्थ आदि ।
(iii) पष+ ठ =पष्ठ आदि ।
(iv) द्वि , तृ+ तीय =द्वितीय , तृतीय आदि ।
हिंदी के प्रत्ययों को भी संस्कृत के प्रत्ययों की तरह ही जोड़ा जाता है लेकिन इन दोनों में इतना अंतर होता है की संस्कृत में कृत और तद्धित प्रत्यय होते हैं लेकिन हिंदी में तद्भव और देशज प्रत्यय होते हैं । हिंदी के भी अनेक प्रत्ययों को प्रयोग किया जाता है ।इतिहास के अनुसार हिंदी के प्रत्ययों को चार भागों में बांटा गया है ।
हिंदी के भाग :-
1. तत्सम प्रत्यय
2. तद्भव प्रत्यय
3. देशज प्रत्यय
4. विदेशज प्रत्यय
1. तत्सम प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आ– ( स्त्री प्रत्यय , भाववाचक प्रत्यय ) – आदरनीया , प्रिया , माननीया , सुता , इच्छा , पूजा आदि ।
(ii)आनी– ( स्त्री प्रत्यय ) – देवरानी , सेठानी , नौकरानी , भवानी , मेहतरानी आदि ।
(iii)आलु– ( विशेषण प्रत्यय , वाला ) – कृपालु , दयालु , निद्रालु , श्रद्धालु आदि ।
(iv)इत– ( विशेषण प्रत्यय , युक्त ) – पल्लवित , पुष्पित , फलित , हर्षित , निर्मित आदि ।
(v)इमा– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गरिमा , मधुरिमा , लालिमा , महिमा , नीलिमा आदि ।
(vi)इक– ( विशेषण प्रत्यय , संज्ञा प्रत्यय ) – दैनिक , वैज्ञानिक , वैदिक , लौकिक , भौतिक आदि ।
(vii)क– (स्वार्थ , समूह ) – घटक , ठंडक , भटक , शतक , सप्तक आदि ।
(viii)कार– (लिखने वाला , बनाने वाला , वाला ) – पत्रकार , जानकार शिल्पकार आदि ।
(ix)ज– ( जन्मा हुआ ) – अंडज , पिंडज , जलज , पंकज , देशज , विदेशज आदि ।
(x)जीवी– ( जीनेवाला ) – परजीवी , बुद्धजीवी , लघुजीवी , दीर्घजीवी आदि ।
(xi)ज्ञ– ( जाननेवाला ) – अज्ञ , निर्वज्ञ , सर्वज्ञ , विज्ञ , मर्मज्ञ आदि ।
(xii)त: – ( क्रिया विशेषण प्रत्यय ) – लघुतया , विशेषतया , मुख्यतया , सामान्यतया आदि ।
(xiii)तर– ( तुलना बोधक प्रत्यय ) – उच्चतर , अधिकतर , निम्नतर , सुन्द्रतर , श्रेष्ठतर आदि ।
(xiv)तम– ( सर्वधिकता बोधक प्रत्यय ) – उच्चतम , लघुतम , अधिकतम , महत्तम , निकृष्टतम आदि ।
(xv)ता– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – सुन्दरता , नवीनता , मधुरता , अधिकता आदि ।
(xvi)त्व– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – कृतित्व , ममत्व , महत्व , सतीत्व , जनित्व , आदि ।
(xvii)मान– ( विशेषण वाचक प्रत्यय ) – स्वाभिमान , मेहमान , निर्मान आदि ।
(xviii)वान– ( वाला ) – गुणवान , धनवान , बलवान , रूपवान आदि ।
2. तद्भव प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)अंगड– ( वाला ) – बतंगड , कटंगड आदि ।
(ii)अंतू– ( वाला ) – रटंतू , घुमंतू , जीवंतू आदि ।
(iii)अत– ( संज्ञा प्रत्यय ) – खपत , लिखत , रंगत ,चढत , पढ्त आदि ।
(iv)आँध– ( संज्ञा प्रत्यय ) – विषांध , सरांध आदि ।
(v)आ– ( भाववाचक प्रत्यय ) – जोड़ा , फोड़ा , रगडा , झगड़ा , तगड़ा आदि ।
(vi)आई– ( भाववाचक प्रत्यय ) – कठिनाई , बुराई , सफाई , लिखाई , छपाई , जमाई आदि ।
(vii)आऊ– ( वाला ) – खाऊ , टिकाऊ , बिकाऊ , पण्डिताऊ , जडाऊ आदि ।
(viii)आप/आपा – ( भाववाचक प्रत्यय ) – मिलाप , अपनापा , पुजापा , बुढ़ापा आदि ।
(ix)आर– ( करनेवाला ) – कुम्हार , लुहार , चम्हार , त्यौहार आदि ।
(x)आरा– ( करनेवाला ) – घसियारा , हथियारा आदि ।
(xi)आरी– ( करनेवाला ) – पुजारी , भिखारी , जुआरी आदि ।
(xii)आलू– ( करनेवाला ) – कृपालु , झगड़ालू , दयालु आदि ।
(xiii)आवट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – लिखावट , सजावट , बनावट , कसावट , बिनावट आदि ।
(xiv)आस– ( इच्छावाचक प्रत्यय ) – छपास , लिखास , निकास , प्यास , खास आसी ।
(xv)आहत– ( भाववाचक प्रत्यय ) – भलमनसाहत आदि ।
(xvi)आहट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गडगडाहट , घबराहट , चिल्लाहट आदि ।
(xvii)इन– ( स्त्री प्रत्यय ) – जुलाहिन , ठकुराइन , तेलिन , पुजारिन , सेठाइन आदि ।
(xviii)इया– ( वाला , लघुत्व , बोधक , स्त्री प्रत्यय ) – चुटिया , घटिया , चुहिया , डिबिया , भोजपुरिया , जयपुरिया , नागपुरिया , कनौजिया आदि ।
(xix)इला– ( वाला ) – चमकीला , भडकीला , पथरीला , शर्मिला , उर्मिला आदि ।
(xx)एरा– ( वाला ) – चचेरा , ममेरा , बहुतेरा , फुफेरा आदि ।
(xxi)औडा / औडी– ( लिंगवाचक प्रत्यय ) – सेवड़ा , रेवड़ी , पकौड़ा आदि ।
(xxii)त– ( भाववाचक प्रत्यय ) – चाहत , मिल्लत , मोहित , लिखित आदि ।
(xxiii)ता– ( कर्मवाचक प्रत्यय ) – आता , सोता , खाता , पिता , पीता , जगता , जाता आदि ।
(xxiv)पन– ( भाववाचक प्रत्यय ) – बचपन , पागलपन , बड़प्पन , लडकपन , छुटपन आदि ।
(xxv)वाला– ( कृतवाचक प्रत्यय , विशेषण प्रत्यय ) – अपनेवाला , ऊपरवाला , खानेवाला, जानेवाला , लालवाला , लिखनेवाला , छापनेवाला आदि ।
3. देशज प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)अक्कड़– ( वाला ) – घुमक्कड़ ,पियक्कड़ , भुलक्कड़ आदि ।
(ii)अड़– ( स्वार्थिक ) – अंधड़ , भुक्खड़ आदि ।
(iii)आक– ( भाववाचक प्रत्यय ) – खर्राटा , फर्राटा , सर्राटा आदि ।
(iv)इयल– ( वाला ) – अडियल , दढ़ियल , सडियल आदि ।
4. विदेशज प्रत्यय :-विदेशज प्रत्यय को दो भागों में बाँटा जाता है ।
विदेशज के भाग :-
1. अरबी फारसी प्रत्यय
2. अंगेजी प्रत्यय
1. अरबी फारसी प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आ-( भाववाचक प्रत्यय ) – सफेदा , खराबा आदि ।
(ii)आना– ( भाववाचक , विशेषण वाचक प्रत्यय ) – जुर्माना , दस्ताना , मर्दाना ,मस्ताना , दस्ताना आदि ।
(iii)आनी– ( संबंधवाचक प्रत्यय ) – जिस्मानी , मर्दानी , बर्फानी , रूहानी आदि ।
(iv)कार– ( करनेवाला ) – काश्तकार , शिल्पकार , दस्तकार , पेशकार , सलाहकार आदि ।
(v)खोर– ( खाने वाला ) – गमखोर , घूसखोर , रिश्वतखोर , हरामखोर आदि ।
(vi)गार– ( करनेवाला ) – परहेजगार , मददगार , यादगार , रोजगार , बेरोजगार आदि ।
(vii)गी– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – जिन्दगी , गंदगी , बन्दगी आदि ।
(viii)चा– ( वाला ) – देगचा , बगीचा आदि ।
(ix)ची– ( वाला ) – बगीची , इलायची , डोलची , संदुकची आदि ।
(x)दान– ( स्थिति वाचक ) – इत्रदान , कलमदान , पीकदान आदि ।
(xi)दार– ( वाला ) – ईमानदार , कर्जदार दुकानदार , मालदार आदि ।
(xii)नाक– ( वाला ) – खतरनाक , खौफनाक , दर्दनाक ,शर्मनाक आदि ।
(xiii)बान– ( वाला ) – दरबान , बागबान , मेजबान आदि ।
(xiv)मंद– (वाला ) – अक्लमंद , जरुरतमन्द आदि ।
2. अंग्रेजी प्रत्यय :-
(i)इज्म– ( वाद , मत ) – कम्युनिज्म , बुद्धिज्म , सोशिलिज्म आदि ।
(ii)इस्ट– ( वादी , व्यक्ति ) – कम्युनिष्ट , बुद्धिस्ट , सोशलिष्ट आदि ।
1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय
2. भाववाचक प्रत्यय
3. संबंध वाचक प्रत्यय
4. लघुतावाचक प्रत्यय
5. गणना वाचक प्रत्यय
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय
7. गुणवाचक प्रत्यय
8. स्थान वाचक प्रत्यय
1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से कार्य करने वाले का पता चले उसे कर्त्तृवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) सोना , लोहा , चम , कुम्ह+ आर =सुनार , लोहार , चमार , कुम्हार आदि ।
(ii) चट ,खद , नद+ ओरा =चटोरा , खदोरा , नदोरा आदि ।
(iii) दुःख , सुख , रस+ इया =दुखिया , सुखिया , रसिया आदि ।
(iv) मर , सड , दढ़+ इयल =मरियल , सडियल , दढ़ियल आदि ।
(v) साँप , लुट , कस , लखे+ एरा =सपेरा, लुटेरा, कसेरा, लखेरा आदि ।
(vi) घर , तांगा , झाड़ू , मोटर , रख , लिखना+ वाला =घरवाला, ताँगेवाला, झाड़ूवाला, मोटरवाला , रखवाला , लिखनेवाला आदि ।
(vii) गा , रख , खी+ वैया =गवैया, नचैया, रखवैया, खिवैया आदि ।
(viii) लकड़ी , पानी+ हारा =लकड़हारा, पनिहारा आदि ।
(ix) राख , चाख+ हार =राखनहार, चाखनहार आदि ।
(x) भूल , घूम , पिय+ अक्कड़ =भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़ आदि ।
(xi) लड़+ आकू =लड़ाकू आदि ।
(xii) खेल+ आड़ी =खिलाडी आदि ।
(xiii) भाग+ओडा =भगोड़ा आदि ।
2. भाववाचक प्रत्यय क्या होता है :- जिन प्रत्ययोंके प्रयोग से भाव का पता चलता है उसे भाववाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) प्यास , सुख , रुख , लेख , भूख+ आ =प्यासा , सूखा , रुखा , लेखा , भूखा आदि ।
(ii) मीठा , रंग , सिल , भला+ आई =मिठाई, रंगाई, सिलाई, भलाई आदि ।
(iii) धम , धड , भड+ आका =धमाका, धड़ाका, भड़ाका आदि ।
(iv) मोटा , बुढा , रंड+ आपा =मुटापा, बुढ़ापा, रण्डापा आदि ।
(v) चिकना , कडवा , घबडा , गरमा , घबरा+ आहट =चिकनाहट, कड़वाहट, घबड़ाहट, गरमाहट , घबराहट आदि ।
(vi) मीठा , खट , भड+ आस= मिठास, खटास, भड़ास आदि ।
3. संबंध वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से संबंध का पता चलता है उसे संबंध वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) बहन , नन्द , रस+ ओई =बहनोई, ननदोई, रसोई आदि ।
(ii) खेल , पह , अन+ आड़ी =खिलाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी आदि ।
(iii) चाचा , मामा , मौसा , फूफा+ एरा =चचेरा, ममेरा, मौसेरा, फुफेरा आदि ।
(iv) लोहा , सोना , मनी+ आरी =लुहारी, सुनारी, मनिहारी आदि ।
(v) नानी , ससुर+ आल =ननिहाल, ससुराल आदि ।
4. लघुता वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से लघुता या न्यूनता का बोध होता है उसे लघुता वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) रस्सा , कटोरा , टोकरा , ढोलक , लिखना + ई = रस्सी, कटोरी, टोकरी, ढोलकी , लिखाई आदि ।
(ii) टांग , टुक , पग , बछ + डी = टंगड़ी , टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी आदि ।
(iii) खाट , लोटा , चोटी , डीबी , पुड़ी + इया = खटिया, लुटिया, चुटिया, डिबिया, पुड़िया आदि ।
(iv) मुख , दुःख , चम + डा = मुखड़ा, दुखड़ा, चमड़ा आदि ।
(v) खाट , मध , साँप + ओला = खटोला, मझोला, सँपोला आदि ।
5. गणना वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से गणना वाचक संख्या का पता चले उसे गणना वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) चौ+ था =चौथा आदि ।
(ii)दुस , तिस+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।
(iii) पह+ ला =पहला आदि ।
(iv) पाँच , दस , सात , आठ+ वाँ =पाँचवाँ , दसवाँ , सातवाँ , आठवाँ आदि ।
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों के बीच समानता का पता चले उसे सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) मुझ , तुझ , नीला , चाँद , गुलाब , कमल + सा = मुझ–सा, तुझ–सा, नीला–सा, चाँद–सा, गुलाब–सा ,कमल सा आदि ।
(ii) दु , ति , चौ + हरा = दुहरा, तिहरा, चौहरा आदि ।
(iii) सुन , रूप + हला = सुनहला , रुपहला आदि ।
7. गुणवाचक प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्ययों को प्रयोग करने से गुण का पता चले उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार है :-
(i) मीठ , ठंड , प्यास , भूख , प्यार+ आ =मीठा, ठंडा, प्यासा, भूखा, प्यारा आदि ।
(ii) लच , गँठ , सज , रंग , चमक , रस+ ईला =लचीला, गँठीला, सजीला, रंगीला, चमकीला, रसीला आदि ।
(iii) मटम , कष , विष+ ऐला =मटमैला, कषैला, विषैला आदि ।
(iv) बट , पंडित , नामधार , खट+ आऊ =बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ आदि ।
(v) कला , कुल , दया+ वन्त =कलावन्त, कुलवन्त, दयावन्त आदि ।
(vi) मूर्ख , लघु , कठोर , मृदु+ ता =मूर्खता, लघुता, कठोरता, मृदुता आदि ।
8. स्थान वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से किसी स्थान का पता चले उसे स्थान वाचक प्रत्यय कहते हैं ।
शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पंजाब , गुजरात , मराठ , अजमेर , बीकानेर , बनारस , जयपुर+ ई =पंजाबी, गुजराती, मराठी, अजमेरी, बीकानेरी, बनारसी, जयपुरी आदि ।
(ii) अमृतसर , भोजपुर , जयपुर , जमिलपुर+ इया =अमृतसरिया, भोजपुरिया, जयपुरिया, जालिमपुरिया आदि ।
(iii) हरी , राजपूत , तेलंगा+ आना =हरियाना, राजपूताना, तेलंगाना आदि ।
(iv) हरियाणा , देहल+ वी =हरियाणवी, देहलवी आदि ।
1.अ– शैव, वैष्णव, तैल, पार्थिव, मानव, पाण्डव, वासुदेव, लूट, मार, तोल, लेख, पार्थ, दानव, यादव, भार्गव, माधव, जय, लाभ, विचार, चाल, लाघव, शाक्त, मेल, बौद्ध।
2.अक– चालक, पावक, पाठक, लेखक, पालक, विचारक, खटक, धावक, गायक, नायक, दायक।
3.अक्कड़– भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़, रुअक्कड़, फक्कड़, लक्कड़।
4.अंत– गढ़ंत, लड़ंत, भिड़ंत, रटंत, लिपटंत, कृदन्त, फलंत।
5.अन्तर– रुपान्तर, मतान्तर, मध्यान्तर, समानान्तर, देशांतर, भाषांतर।
6.अतीत– कालातीत, आशातीत, गुणातीत, स्मरणातीत।
7.अंदाज– तीरंदाज, गोलंदाज, बर्कंदाज, बेअंदाज।
8.अंध– सड़ांध, मदांध, धर्माँध, जन्मांध, दोषांध।
9.अधीन– कर्माधीन, स्वाधीन, पराधीन, देवाधीन, विचाराधीन, कृपाधीन, निर्णयाधीन, लेखकाधीन, प्रकाशकाधीन।
10.अन– लेखन, पठन, वादन, गायन, हवन, गमन, झाड़न, जूठन, ऐँठन, चुभन, मंथन, वंदन, मनन, चिँतन, ढ़क्कन, मरण, चलन, जीवन।
11.अना– भावना, कामना, प्रार्थना।
12.अनीय– तुलनीय, पठनीय, दर्शनीय।
13.अन्वित– क्रोधान्वित, दोषान्वित, लाभान्वित, भयान्वित, क्रियान्वित, गुणान्वित।
14.अन्वय– पदान्वय, खंडान्वय।
15.अयन– रामायण, नारायण, अन्वयन।
16.आ– प्यासा, लेखा, फेरा, जोड़ा, प्रिया, मेला, ठंडा, भूखा, छाता, छत्रा, हर्जा, खर्चा, पीड़ा, रक्षा, झगड़ा, सूखा, रुखा, अटका, भटका, मटका, भूला, बैठा, जागा, पढ़ा, भागा, नाचा, पूजा, मैला, प्यारा, घना, झूला, ठेला, घेरा, मीठा।
17.आइन– ठकुराइन, पंडिताइन, मुंशियाइन।
18.आई– लड़ाई, चढ़ाई, भिड़ाई, लिखाई, पिसाई, दिखाई, पंडिताई, भलाई, बुराई, अच्छाई, बुनाई, कढ़ाई, सिँचाई, पढ़ाई, उतराई।
19.आऊ– दिखाऊ, टिकाऊ, बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ, चलाऊ, उपजाऊ, बिकाऊ, खाऊ, जलाऊ, कमाऊ, टरकाऊ, उठाऊ।
20.आक– लड़ाक, तैराक, चालाक, खटाक, सटाक, तड़ाक, चटाक।
21.आका– धमाका, धड़ाका, भड़ाका, लड़ाका, फटाका, चटाका, खटाका, तड़ाका, इलाका।
22.आकू– लड़ाकू, पढ़ाकू, उड़ाकू, चाकू।
23.आकुल– भयाकुल, व्याकुल।
24.आटा– सन्नाटा, खर्राटा, फर्राटा, घर्राटा, झपाटा, थर्राटा।
25.आड़ी– कबाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी, पिछाड़ी।
26.आढ्य– धनाढ्य, गुणाढ्य।
27.आतुर– प्रेमातुर, रोगातुर, कामातुर, चिँतातुर, भयातुर।
28.आन– उड़ान, पठान, चढ़ान, नीचान, उठान, लदान, मिलान, थकान, मुस्कान।
29.आना– नजराना, हर्जाना, घराना, तेलंगाना, राजपूताना, मर्दाना, जुर्माना, मेहनताना, रोजाना, सालाना।
30.आनी– देवरानी, जेठानी, सेठानी, गुरुआनी, इंद्राणी, नौकरानी, रूहानी, मेहतरानी, पंडितानी।
31.आप– मिलाप, विलाप, जलाप, संताप।
32.आपा– बुढ़ापा, मुटापा, रण्डापा, बहिनापा, जलापा, पुजापा, अपनापा।
33.आब– गुलाब, शराब, शबाब, कबाब, नवाब, जवाब, जनाब, हिसाब, किताब।
34.आबाद– नाबाद, हैदराबाद, अहमदाबाद, इलाहाबाद, शाहजहाँनाबाद।
35.आमह– पितामह, मातामह।
36.आयत– त्रिगुणायत, पंचायत, बहुतायत, अपनायत, लोकायत, टीकायत, किफायत, रियायत।
37.आयन– दांड्यायन, कात्यायन, वात्स्यायन, सांस्कृत्यायन।
38.आर– कुम्हार, सुनार, लुहार, चमार, सुथार, कहार, गँवार, नश्वार।
39.आरा– बनजारा, निबटारा, छुटकारा, हत्यारा, घसियारा, भटियारा।
40.आरी– पुजारी, सुनारी, लुहारी, मनिहारी, कोठारी, बुहारी, भिखारी, जुआरी।
41.आरु– दुधारु, गँवारु, बाजारु।
42.आल– ससुराल, ननिहाल, घड़ियाल, कंगाल, बंगाल, टकसाल।
43.आला– शिवाला, पनाला, परनाला, दिवाला, उजाला, रसाला, मसाला।
44.आलु– ईर्ष्यालु, कृपालु, दयालु।
45.आलू– झगड़ालू, लजालू, रतालू, सियालू।
46.आव– घेराव, बहाव, लगाव, दुराव, छिपाव, सुझाव, जमाव, ठहराव, घुमाव, पड़ाव, बिलाव।
47.आवर– दिलावर, दस्तावर, बख्तावर, जोरावर, जिनावर।
48.आवट– लिखावट, थकावट, रुकावट, बनावट, तरावट, दिखावट, सजावट, घिसावट।
49.आवना– सुहावना, लुभावना, डरावना, भावना।
50.आवा– भुलावा, बुलावा, चढ़ावा, छलावा, पछतावा, दिखावा, बहकावा, पहनावा।
51.आहट– कड़वाहट, चिकनाहट, घबराहट, सरसराहट, गरमाहट, टकराहट, थरथराहट, जगमगाहट, चिरपिराहट, बिलबिलाहट, गुर्राहट, तड़फड़ाहट।
52.आस– खटास, मिठास, प्यास, बिँदास, भड़ास, रुआँस, निकास, हास, नीचास, पलास।
53.आसा– कुहासा, मुँहासा, पुंडासा, पासा, दिलासा।
54.आस्पद– घृणास्पद, विवादास्पद, संदेहास्पद, उपहासास्पद, हास्यास्पद।
55.ओई– बहनोई, ननदोई, रसोई, कन्दोई।
56.ओड़ा– भगोड़ा, हँसोड़ा, थोड़ा।
57.ओरा– चटोरा, कटोरा, खदोरा, नदोरा, ढिँढोरा।
58.ओला– खटोला, मँझोला, बतोला, बिचोला, फफोला, सँपोला, पिछोला।
59.औटा– बिलौटा, हिरनौटा, पहिलौटा, बिनौटा।
60.औता– फिरौता, समझौता, कठौता।
61.औती– चुनौती, बपौती, फिरौती, कटौती, कठौती, मनौती।
62.औना– घिनौना, खिलौना, बिछौना, सलौना, डिठौना।
63.औनी– घिनौनी, बिछौनी, सलौनी।
64.इंदा– परिँदा, चुनिँदा, शर्मिँदा, बाशिँदा, जिन्दा।
65.इ– दाशरथि, मारुति, राघवि, वारि, सारथि, वाल्मीकि।
66.इक– मानसिक, मार्मिक, पारिश्रमिक, व्यावहारिक, ऐतिहासिक, पार्श्विक, सामाजिक, पारिवारिक, औपचारिक, भौतिक, लौकिक, नैतिक, वैदिक, प्रायोगिक, वार्षिक, मासिक, दैनिक, धार्मिक, दैहिक, प्रासंगिक, नागरिक, दैविक, भौगोलिक।
67.इका– नायिका, पत्रिका, निहारिका, लतिका, बालिका, कलिका, लेखिका, सेविका, प्रेमिका।
68.इकी– वानिकी, मानविकी, यांत्रिकी, सांख्यिकी, भौतिकी, उद्यानिकी।
69.इत– लिखित, कथित, चिँतित, याचित, खंडित, पोषित, फलित, द्रवित, कलंकित, हर्षित, अंकित, शोभित, पीड़ित, कटंकित, रचित, चलित, तड़ित, उदित, गलित, ललित, वर्जित, पठित, बाधित, रहित, सहित।
70.इतर– आयोजनेतर, अध्ययनेतर, सचिवालयेतर।
71.इत्य– लालित्य, आदित्य, पांडित्य, साहित्य, नित्य।
72.इन– मालिन, कठिन, बाघिन, मालकिन, मलिन, अधीन, सुनारिन, चमारिन, पुजारिन, कहारिन।
73.इनी– भुजंगिनी, यक्षिणी, सरोजिनी, वाहिनी, हथिनी, मतवालिनी।
74.इम– अग्रिम, रक्तिम, पश्चिम, अंतिम, स्वर्णिम।
75.इमा– लालिमा, गरिमा, लघिमा, पूर्णिमा, हरितिमा, मधुरिमा, अणिमा, नीलिमा, महिमा।
76.इयत– इंसानियत, कैफियत, माहियत, हैवानित, खासियत, खैरियत।
77.इयल– मरियल, दढ़ियल, चुटियल, सड़ियल, अड़ियल।
78.इया– लठिया, बिटिया, चुटिया, डिबिया, खटिया, लुटिया, मुखिया, चुहिया, बंदरिया, कुतिया, दुखिया, सुखिया, आढ़तिया, रसोइया, रसिया, पटिया, चिड़िया, बुढ़िया, अमिया, गडरिया, मटकिया, लकुटिया, घटिया, रेशमिया, मजाकिया, सुरतिया।
79.इल– पंकिल, रोमिल, कुटिल, जटिल, धूमिल, तुंडिल, फेनिल, बोझिल, तमिल, कातिल।
80.इश– मालिश, फरमाइश, पैदाइश, पैमाइश, आजमाइश, परवरिश, कोशिश, रंजिश, साजिश, नालिश, कशिश, तफ्तिश, समझाइश।
81.इस्तान– कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, नखलिस्तान, कजाकिस्तान।
82.इष्णु– सहिष्णु, वर्घिष्णु, प्रभाविष्णु।
83.इष्ट– विशिष्ट, स्वादिष्ट, प्रविष्ट।
84.इष्ठ– घनिष्ठ, बलिष्ठ, गरिष्ठ, वरिष्ठ।
85.ई– गगरी, खुशी, दुःखी, भेदी, दोस्ती, चोरी, सर्दी, गर्मी, पार्वती, नरमी, टोकरी, झंडी, ढोलकी, लंगोटी, भारी, गुलाबी, हरी, सुखी, बिक्री, मंडली, द्रोपदी, वैदेही, बोली, हँसी, रेती, खेती, बुहारी, धमकी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, जयपुरी, मद्रासी, पहाड़ी, देशी, सुन्दरी, ब्राह्मणी, गुणी, विद्यार्थी, क्रोधी, लालची, लोभी, पाखण्डी, विदुषी, विदेशी, अकेली, सखी, साखी, अलबेली, सरकारी, तन्दुरी, सिन्दुरी, किशोरी, हेराफेरी, कामचोरी।
86.ईचा– बगीचा, गलीचा, सईचा।
87.ईन– प्रवीण, शौकीन, प्राचीन, कुलीन, शालीन, नमकीन, रंगीन, ग्रामीण, नवीन, संगीन, बीन, तारपीन, गमगीन, दूरबीन, मशीन, जमीन।
88.ईना– कमीना, महीना, पश्मीना, नगीना, मतिहीना, मदीना, जरीना।
89.ईय– भारतीय, जातीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, भवदीय, पठनीय, पाणिनीय, शास्त्रीय, वायवीय, पूजनीय, वंदनीय, करणीय, राजकीय, देशीय।
90.ईला– रसीला, जहरीला, पथरीला, कंकरीला, हठीला, रंगीला, गँठीला, शर्मीला, सुरीला, नुकीला, बर्फीला, भड़कीला, नशीला, लचीला, सजीला, फुर्तीला।
91.ईश– नदीश, कपीश, कवीश, गिरीश, महीश, हरीश, सतीश।
92.उ– सिँधु, लघु, भानु, गुरु, अनु, भिक्षु, शिशु, , वधु, तनु, पितु, बुद्धु, शत्रु, आयु।
93.उक– भावुक, कामुक, भिक्षुक, नाजुक।
94.उवा/उआ – मछुआ, कछुआ, बबुआ, मनुआ, कलुआ, गेरुआ।
95.उल– मातुल, पातुल।
96.ऊ– झाडू, बाजारू, घरू, झेँपू, पेटू, भोँपू, गँवारू, ढालू।
97.ऊटा– कलूटा।
98.ए– चले, पले, फले, ढले, गले, मिले, खड़े, पड़े, डरे, मरे, हँसे, फँसे, जले, किले, काले, ठहरे, पहरे, रोये, चने, पहने, गहने, मेरे, तेरे, तुम्हारे, हमारे, सितारे, उनके, उसके, जिसके, बकरे, कचरे, लुटेरे, सुहावने, डरावने, झूले, प्यारे, घने, सूखे, मैले, थैले, बेटे, लेटे, आए, गए, छोटे, बड़े, फेरे, दूसरे।
99.एड़ी– नशेड़ी, भँगेड़ी, गँजेड़ी।
100.एय– गांगेय, आग्नेय, आंजनेय, पाथेय, कौँतेय, वार्ष्णेय, मार्कँडेय, कार्तिकेय, राधेय।
101.एरा– लुटेरा, सपेरा, मौसेरा, चचेरा, ममेरा, फुफेरा, चितेरा, ठठेरा, कसेरा, लखेरा, भतेरा, कमेरा, बसेरा, सवेरा, अन्धेरा, बघेरा।
102.एल– फुलेल, नकेल, ढकेल, गाँवड़ेल।
103.एला– बघेला, अकेला, सौतेला, करेला, मेला, तबेला, ठेला, रेला।
104.एत– साकेत, संकेत, अचेत, सचेत, पठेत।
105.ऐत– लठैत, डकैत, लड़ैत, टिकैत, फिकैत।
106.ऐया– गवैया, बजैया, रचैया, खिवैया, रखैया, कन्हैया, लगैया।
107.ऐल– गुस्सैल, रखैल, खपरैल, मुँछैल, दँतैल, बिगड़ैल।
108.ऐला– विषैला, कसैला, वनैला, मटैला, थनैला, मटमैला।
109.क– बालक, सप्तक, दशक, अष्टक, अनुवादक, लिपिक, चालक, शतक, दीपक, पटक, झटक, लटक, खटक।
110.कर– दिनकर, दिवाकर, रुचिकर, हितकर, प्रभाकर, सुखकर, प्रलंयकर, भयंकर, पढ़कर, लिखकर, चलकर, सुनकर, पीकर, खाकर, उठकर, सोकर, धोकर, जाकर, आकर, रहकर, सहकर, गाकर, छानकर, समझकर, उलझकर, नाचकर, बजाकर, भूलकर, तड़पकर, सुनाकर, चलाकर, जलाकर, आनकर, गरजकर, लपककर, भरकर, डरकर।
111.करण– सरलीकरण, स्पष्टीकरण, गैसीकरण, द्रवीकरण, पंजीकरण, ध्रुवीकरण।
112.कल्प– कुमारकल्प, कविकल्प, भृतकल्प, विद्वतकल्प, कायाकल्प, संकल्प, विकल्प।
113.कार– साहित्यकार, पत्रकार, चित्रकार, संगीतकार, काश्तकार, शिल्पकार, ग्रंथकार, कलाकार, चर्मकार, स्वर्णकार, गीतकार, बलकार, बलात्कार, फनकार, फुँफकार, हुँकार, छायाकार, कहानीकार, अंधकार, सरकार।
114.का– गुटका, मटका, छिलका, टपका, छुटका, बड़का, कालका।
115.की– बड़की, छुटकी, मटकी, टपकी, अटकी, पटकी।
116.कीय– स्वकीय, परकीय, राजकीय, नाभिकीय, भौतिकीय, नारकीय, शासकीय।
117.कोट– नगरकोट, पठानकोट, राजकोट, धूलकोट, अंदरकोट।
118.कोटा– परकोटा।
119.खाना– दवाखाना, तोपखाना, कारखाना, दौलतखाना, कैदखाना, मयखाना, छापाखाना, डाकखाना, कटखाना।
120.खोर– मुफ्तखोर, आदमखोर, सूदखोर, जमाखोर, हरामखोर, चुगलखोर।
121.ग– उरग, विहग, तुरग, खड़ग।
122.गढ़– जयगढ़, देवगढ़, रामगढ़, चित्तौड़गढ़, कुशलगढ़, कुम्भलगढ़, हनुमानगढ़, लक्ष्मणगढ़, डूँगरगढ़, राजगढ़, सुजानगढ़, किशनगढ़।
123.गर– जादूगर, नीलगर, कारीगर, बाजीगर, सौदागर, कामगर, शोरगर, उजागर।
124.गाँव– चिरगाँव, गोरेगाँव, गुड़गाँव, जलगाँव।
125.गा– तमगा, दुर्गा।
126.गार– कामगार, यादगार, रोजगार, मददगार, खिदमतगार।
127.गाह– ईदगाह, दरगाह, चरागाह, बंदरगाह, शिकारगाह।
128.गी– मर्दानगी, जिँदगी, सादगी, एकबारगी, बानगी, दीवानगी, ताजगी।
129.गीर– राहगीर, उठाईगीर, जहाँगीर।
130.गीरी– कुलीगीरी, मुँशीगीरी, दादागीरी।
131.गुना– दुगुना, तिगुना, चौगुना, पाँचगुना, सौगुना।
132.ग्रस्त– रोगग्रस्त, तनावग्रस्त, चिन्ताग्रस्त, विवादग्रस्त, व्याधिग्रस्त, भयग्रस्त।
133.घ्न– कृतघ्न, पापघ्न, मातृघ्न, वातघ्न।
134.चर– जलचर, नभचर, निशाचर, थलचर, उभयचर, गोचर, खेचर।
135.चा– देगचा, चमचा, खोमचा, पोमचा।
136.चित्– कदाचित्, किँचित्, कश्चित्, प्रायश्चित्।
137.ची– अफीमची, तोपची, बावरची, नकलची, खजांची, तबलची।
138.ज– अंबुज, पयोज, जलच, वारिज, नीरज, अग्रज, अनुज, पंकज, आत्मज, सरोज, उरोज, धीरज, मनोज।
139.जा– आत्मजा, गिरिजा, शैलजा, अर्कजा, भानजा, भतीजा, भूमिजा।
140.जात– नवजात, जलजात, जन्मजात।
141.जादा– शहजादा, रईसजादा, हरामजादा, नवाबजादा।
142.ज्ञ– विशेषज्ञ, नीतिज्ञ, मर्मज्ञ, सर्वज्ञ, धर्मज्ञ, शास्त्रज्ञ।
143.ठ– कर्मठ, जरठ, षष्ठ।
144.ड़ा– दुःखड़ा, मुखड़ा, पिछड़ा, टुकड़ा, बछड़ा, हिँजड़ा, कपड़ा, चमड़ा, लँगड़ा।
145.ड़ी– टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी, चमड़ी, दमड़ी, पंखुड़ी, अँतड़ी, टंगड़ी, लँगड़ी।
146.त– आगत, विगत, विश्रुत, रंगत, संगत, चाहत, कृत, मिल्लत, गत, हत, व्यक्त, बचत, खपत, लिखत, पढ़त, बढ़त, घटत, आकृष्ट, तुष्ट, संतुष्ट (सम्+तुष्+त)।
147.तन– अधुनातन, नूतन, पुरातन, सनातन।
148.तर– अधिकतर, कमतर, कठिनतर, गुरुतर, ज्यादातर, दृढ़तर, लघुतर, वृहत्तर, उच्चतर, कुटिलतर, दृढ़तर, निम्नतर, निकटतर, महत्तर।
149.तम– प्राचीनतम, नवीनतम, तीव्रतम, उच्चतम, श्रेष्ठतम, महत्तम, विशिष्टतम, अधिकतम, गुरुतम, दीर्घतम, निकटतम, न्यूनतम, लघुतम, वृहत्तम, सुंदरतम, उत्कृष्टतम।
150.ता– श्रोता, वक्ता, दाता, ज्ञाता, सुंदरता, मधुरता, मानवता, महत्ता, बंधुता, दासता, खाता, पीता, डूबता, खेलता, महानता, रमता, चलता, प्रभुता, लघुता, गुरुता, समता, कविता, मनुष्यता, कर्त्ता, नेता, भ्राता, पिता, विधाता, मूर्खता, विद्वता, कठोरता, मृदुता, वीरता, उदारता।
151.ति– गति, मति, पति, रति, शक्ति, भक्ति, कृति।
152.ती– ज्यादती, कृती, ढ़लती, कमती, चलती, पढ़ती, फिरती, खाती, पीती, धरती, भरती, जागती, भागती, सोती, धोती, सती।
153.तः– सामान्यतः, विशेषतः, मूलतः, अंशतः, अंततः, स्वतः, प्रातः, अतः।
154.त्र– एकत्र, सर्वत्र, अन्यत्र, नेत्र, पात्र, अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र, चरित्र, क्षेत्र, पत्र, सत्र।
155.त्व– महत्त्व, लघुत्व, स्त्रीत्व, नेतृत्व, बंधुत्व, व्यक्तित्व, पुरुषत्व, सतीत्व, राजत्व, देवत्व, अपनत्व, नारीत्व, पत्नीत्व, स्वामित्व, निजत्व।
156.थ– चतुर्थ, पृष्ठ (पृष्+थ), षष्ठ (षष्+थ)।
157.था– सर्वथा, अन्यथा, चौथा, प्रथा, पृथा, वृथा, कथा, व्यथा।
158.थी– सारथी, परमार्थी, विद्यार्थी।
159.द– जलद, नीरद, अंबुद, पयोद, वारिद, दुःखद, सुखद, अंगद, मकरंद।
160.दा– सर्वदा, सदा, यदा, कदा, परदा, यशोदा, नर्मदा।
161.दान– पानदान, कद्रदान, रोशनदान, कलमदान, इत्रदान, पीकदान, खानदान, दीपदान, धूपदान, पायदान, कन्यादान, शीशदान, भूदान, गोदान, अन्नदान, वरदान, वाग्दान, अभयदान, क्षमादान, जीवनदान।
162.दानी– मच्छरदानी, चूहेदानी, नादानी, वरदानी, खानदानी।
163.दायक– आनन्ददायक, सुखदायक, कष्टदायक, पीड़ादायक, आरामदायक, फलदायक।
164.दायी– आनन्ददायी, सुखदायी, उत्तरदायी, कष्टदायी, फलदायी।
165.दार– मालदार, हिस्सेदार, दुकानदार, हवलदार, थानेदार, जमीँदार, फौजदार, कर्जदार, जोरदार, ईमानदार, लेनदार, देनदार, खरीददार, जालीदार, गोटेदार, लहरदार, धारदार, धारीदार, सरदार, पहरेदार, बूँटीदार, समझदार, हवादार, ठिकानेदार, ठेकेदार, परतदार, शानदार, फलीदार, नोकदार।
166.दारी– समझदारी, खरीददारी, ईमानदारी, ठेकेदारी, पहरेदारी, लेनदारी, देनदारी।
167.दी– वरदी, सरदी, दर्दी।
168.धर– चक्रधर, हलधर, गिरिधर, महीधर, विद्याधर, गंगाधर, फणधर, भूधर, शशिधर, विषधर, धरणीधर, मुरलीधर, जलधर, जालन्धर, शृंगधर, अधर, किधर, उधर, जिधर, नामधर।
169.धा– बहुधा, अभिधा, समिधा, विविधा, वसुधा, नवधा।
170.धि– पयोधि, वारिधि, जलधि, उदधि, संधि, विधि, निधि, अवधि।
171.न– नमन, गमन, बेलन, चलन, फटकन, झाड़न, धड़कन, लगन, मिलन, साजन, जलन, फिसलन, ऐँठन, उलझन, लटकन, फलन, राजन, मोहन, सौतन, भवन, रोहन, जीवन, प्रण, प्राण, प्रमाण, पुराण, ऋण, परिमाण, तृण, हरण, भरण, मरण।
172.नगर– गंगानगर, श्रीनगर, रामनगर, संजयनगर, जयनगर, चित्रनगर।
173.नवीस– फड़नवीस, खबरनवीस, नक्शानवीश, चिटनवीस, अर्जीनवीस।
174.नशीन– पर्दानशीन, गद्दीनशीन, तख्तनशीन, जाँनशीन।
175 .ना– नाचना, गाना, कूदना, टहलना, मारना, पढ़ना, माँगना, दौड़ना, भागना, तैरना, भावना, कामना, कमीना, महीना, नगीना, मिलना, चलना, खाना, पीना, हँसना, जाना, रोना, तृष्णा।
176.नाक– दर्दनाक, शर्मनाक, खतरनाक, खौफनाक।
177.नाम– अनाम, गुमनाम, सतनाम, सरनाम, हरिनाम, प्रणाम, परिणाम।
178.नामा– अकबरनामा, राजीनामा, मुख्तारनामा, सुलहनामा, हुमायूँनामा, अर्जीनामा, रोजनामा, पंचनामा, हलफनामा।
179.निष्ठ– कर्मनिष्ठ, योगनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, राजनिष्ठ, ब्रह्मनिष्ठ।
180.नी –मिलनी, सूँघनी, कतरनी, ओढ़नी, चलनी, लेखनी, मोरनी, चोरनी, चाँदनी, छलनी, धौँकनी, मथनी, कहानी, करनी, जीवनी, छँटनी, नटनी, चटनी, शेरनी, सिँहनी, कथनी, जननी, तरणी, तरुणी, भरणी, तरनी, मँगनी, सारणी।
181.नीय– आदरणीय, करणीय, शोचनीय, सहनीय, दर्शनीय, नमनीय।
182.नु– शान्तनु, अनु, तनु, भानु, समनु।
183.प– महीप, मधुप, जाप, समताप, मिलाप, आलाप।
184.पन– लड़कपन, पागलपन, छुटपन, बचपन, बाँझपन, भोलापन, बड़प्पन, पीलापन, अपनापन, गँवारपन, आलसीपन, अलसायापन, वीरप्पन, दीवानापन।
185.पाल– द्वारपाल, प्रतिपाल, महीपाल, गोपाल, राज्यपाल, राजपाल, नागपाल, वीरपाल, सत्यपाल, भोपाल, भूपाल, कृपाल, नृपाल।
186.पाली– आम्रपाली, भोपाली, रुपाली।
187.पुर– अन्तःपुर, सीतापुर, रामपुर, भरतपुर, धौलपुर, गोरखपुर, फिरोजपुर, फतेहपुर, जयपुर।
188.पुरा– जोधपुरा, हरिपुरा, श्यामपुरा, जालिमपुरा, नरसिँहपुरा।
189.पूर्वक– विधिपूर्वक, दृढ़तापूर्वक, निश्चयपूर्वक, सम्मानपूर्वक, श्रद्धापूर्वक, बलपूर्वक, प्रयासपूर्वक, ध्यानपूर्वक।
190.पोश– मेजपोश, नकाबपोश, सफेदपोश, पलंगपोश, जीनपोश, चिलमपोश।
191.प्रद– लाभप्रद, हानिप्रद, कष्टप्रद, संतोषप्रद, उत्साहप्रद, हास्यप्रद।
192.बंद– कमरबंद, बिस्तरबंद, बाजूबंद, हथियारबंद, कलमबंद, मोहरबंद, बख्तरबंद, नजरबंद।
193.बंदी– चकबंदी, घेराबंदी, हदबंदी, मेड़बंदी, नाकाबंदी।
194.बाज– नशेबाज, दगाबाज, चालबाज, धोखेबाज, पतंगबाज, खेलबाज।
195.बान– मेजबान, गिरहबान, दरबान, मेहरबान।
196.बीन– तमाशबीन, दूरबीन, खुर्दबीन।
197.भू– प्रभु (प्र+भू), स्वयंभू।
198.मंद– दौलतमंद, फायदेमंद, अक्लमंद, जरूरतमंद, गरजमंद, मतिमंद, भरोसेमंद।
199.म– हराम, जानम, कर्म (कृ+म), धर्म, मर्म, जन्म, मध्यम, सप्तम, छद्म, चर्म, रहम, वहम, प्रीतम, कलम, हरम, श्रम, परम।
200.मत्– श्रीमत्।
201.मत– जनमत, सलामत, रहमत, बहुमत, कयामत।
202.मती– श्रीमती, बुद्धिमती, ज्ञानमती, वीरमती, रूपमती।
203मय– दयामय, जलमय, मनोमय, तेजोमय, विष्णुमय, अन्नमय, तन्मय, चिन्मय, वाङ्मय, अम्मय, भक्तिमय।
204.मात्र– नाममात्र, लेशमात्र, क्षणमात्र, पलमात्र, किँचित्मात्र।
205.मान– बुद्धिमान, मूर्तिमान, शक्तिमान, शोभायमान, चलायमान, गुंजायमान, हनुमान, श्रीमान, कीर्तिमान, सम्मान, सन्मान, मेहमान।
206.य– दृश्य, सादृश्य, लावण्य, वात्सल्य, सामान्य, दांपत्य, सानिध्य, तारुण्य, पाशचात्य, वैधव्य, नैवेद्य, धैर्य, गार्हस्थ्य, सौभाग्य, सौजन्य, औचित्य, कौमार्य, शौर्य, ऐश्वर्य, साम्य, प्राच्य, पार्थक्य, पाण्डित्य, सौन्दर्य, माधुर्य, स्तुत्य, वन्द्य, खाद्य, पूज्य, नृत्य।
207.या– शय्या, विद्य, चर्या, मृगया, समस्या, क्रिया, खोया, गया, आया, खाया, गाया, कमाया, जगाया, हँसाया, सताया, पढ़ाया, भगाया, हराया, खिलाया, पिलाया।
208.र– नम्र, शुभ्र, क्षुद्र, मधुर, नगर, मुखर, पाण्डुर, कुंजर, प्रखर, विधुर, भ्रमर, कसर, कमर, खँजर, कहार, बहार, सुनार।
209.रा– दूसरा, तीसरा, आसरा, कमरा, नवरात्रा, पिटारा, निबटारा, सहारा।
210.री– बाँसुरी, गठरी, छतरी, चकरी, चाकरी, तीसरी, दूसरी, भोजपुरी, नागरी, जोधपुरी, बीकानेरी, बकरी, वल्लरी।
211.रू– दारू, चारू, शुरू, घुंघरू, झूमरू, डमरू।
212.ल– मंजुल, शीतल, पीतल, ऊर्मिल, घायल, पायल, वत्सल, श्यामल, सजल, कमल, कायल, काजल, सवाल, कमाल।
213.ला– अगला, पिछला, मँझला, धुँधला, लाड़ला, श्यामला, कमला, पहला, नहला, दहला।
214.ली– सूतली, खुजली, ढपली, घंटाली, सूपली, टीकली, पहली, जाली, खाली, सवाली।
215.वंत– बलवंत, दयावंत, भगवंत, कुलवंत, जामवंत, कलावंत।
216. व – केशव, राजीव, विषुव, अर्णव, सजीव, रव, शव।
217.वत्– पुत्रवत्, विधिवत्, मातृवत्, पितृवत्, आत्मवत्, यथावत्।
218.वर– प्रियवर, स्थावर, ताकतवर, ईश्वर, नश्वर, जानवर, नामवर, हिम्मतवर, मान्यवर, वीरवर, स्वयंवर, नटवर, कमलेश्वर, परमेश्वर, महेश्वर।
219.वाँ– पाँचवाँ, सातवाँ, दसवाँ, पिटवाँ, चुनवाँ, ढलवाँ, कारवाँ, आठवाँ।
220.वा– बचवा, पुरवा, बछवा, मनवा।
221.वाई– बनवाई, सुनवाई, तुलवाई, लदवाई, पिछवाई, हलवाई, पुरवाई।
222.वाड़ा– रजवाड़ा, हटवाड़ा, जटवाड़ा, पखवाड़ा, बाँसवाड़ा, भीलवाड़ा, दंतेवाड़ा।
223.वाड़ी– फुलवाड़ी, बँसवाड़ी।
224.वान्– रूपवान्, भाग्यवान्, धनवान्, दयावान्, बलवान्।
225.वान– गुणवान, कोचवान, गाड़ीवान, प्रतिभावान, बागवान, धनवान, पहलवान।
226.वार– उम्मीदवार, माहवार, तारीखवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, कदवार, पतवार, वंदनवार।
227.वाल– कोतवाल, पल्लीवाल, पालीवाल, धारीवाल।
228.वाला– पानवाला, लिखनेवाला, दूधवाला, पढ़नेवाला, रखवाला, हिम्मतवाला, दिलवाला, फलवाला, रिक्शेवाला, ठेलेवाला, घरवाला, ताँगेवाला।
229.वाली– घरवाली, बाहरवाली, मतवाली, ताँगेवाली, नखरावाली, कोतवाली।
230.वास– रनिवास, वनवास।
231.वी– तेजस्वी, तपस्वी, मेधावी, मायावी, ओजस्वी, मनस्वी, जाह्नवी, लुधियानवी।
232.वैया– गवैया, खिवैया, रचैया, लगैया, बजैया।
233.व्य– तालव्य, मंतव्य, कर्तव्य, ज्ञातव्य, ध्यातव्य, श्रव्य, वक्तव्य, दृष्टव्य।
234.श– कर्कश, रोमश, लोमश, बंदिश।
235.शः– क्रमशः, कोटिशः, शतशः, अक्षरशः।
236.शाली– प्रतिभाशाली, गौरवशाली, शक्तिशाली, भाग्यशाली, बलशाली।
237.शील– धर्मशील, सहनशील, पुण्यशील, दानशील, विचारशील, कर्मशील।
238.शाही– लोकशाही, तानाशाही, इमामशाही, कुतुबशाही, नौकरशाही, बादशाही, झाड़शाही, अमरशाही, विजयशाही।
239.सा– मुझ-सा, तुझ-सा, नीला-सा, मीठा-सा, चिकीर्षा, पिपासा, जिज्ञासा, लालसा, चिकित्सा, मीमांसा, चाँद-सा, गुलाब-सा, प्यारा-सा, छोटा-सा, पीला-सा, आप-सा।
240.साज– जालसाज, जीनसाज, घड़ीसाज, जिल्दसाज।
241.सात्– आत्मसात्, भस्मसात्, जलसात्, अग्निसात्, भूमिसात्।
242.सार– मिलनसार, एकसार, शर्मसार, खाकसार।
243.स्थ– तटस्थ, मार्गस्थ, उदरस्थ, हृदयस्थ, कंठस्थ, मध्यस्थ, गृहस्थ, दूरस्थ, अन्तःस्थ।
244.हर– मनोहर, खंडहर, दुःखहर, विघ्नहर, नहर, पीहर, कष्टहर, नोहर, मुहर।
245.हरा– इकहरा, दुहरा, तिहरा, चौहरा, सुनहरा, रूपहरा, छरहरा।
246.हार– तारनहार, पालनहार, होनहार, सृजनहार, राखनहार, खेवनहार, खेलनहार, सेवनहार, नौसरहार, गलहार, कंठहार।
247.हारा– लकड़हारा, चूड़ीहारा, मनिहारा, पणिहारा, सर्वहारा, तारनहारा, मारनहारा, पालनहारा।
248.हीन– कर्महीन, बुद्धिहीन, कुलहीन, बलहीन, शक्तिहीन, मतिहीन, विद्याहीन, धनहीन, गुणहीन।
249.हुआ– चलता हुआ, सुनता हुआ, पढ़ता हुआ, करता हुआ, रोता हुआ, पीता हुआ, खाता हुआ, हँसता हुआ, भागता हुआ, दौड़ता हुआ, हाँफता हुआ, निकलता हुआ, गिरता हुआ, तैरता हुआ, सोचता हुआ, नाचता हुआ, गाता हुआ, बहता हुआ, बुझता हुआ, डूबता हुआ।
(ग) विदेशी प्रत्यय क्या होता है :-विदेशी प्रत्ययों को दो भागों में बाँटा गया है ।
विदेशी प्रत्यय के भाग :-उर्दू के कुछ प्रत्यय अरबी फारसी में भी प्रयोग किये जाते हैं ।
प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i)आबाद= अहमदाबाद, इलाहाबाद , हैदराबाद आदि ।
(ii)खाना= दवाखाना, छापाखाना आदि ।
(iii)गर= जादूगर, बाजीगर, शोरगर , सौदागर , कारीगर आदि ।
(iv)ईचा= बगीचा, गलीचा आदि ।
(v)ची= खजानची, मशालची, तोपची , बाबरची , तबलची , अफीमची आदि ।
(vi)दार= मालदार, दूकानदार, जमीँदार , हिस्सेदार , थानेदार आदि ।
(vii)दान= कलमदान, पीकदान, पायदान आदि ।
(viii)वान= कोचवान, बागवान आदि ।
(ix)बाज= नशेबाज, दगाबाज , चालबाज आदि ।
(x)मंद= अक्लमन्द, भरोसेमन्द , जरुरतमन्द , ऐहसानमंद आदि ।
(xi)नाक= दर्दनाक, शर्मनाक आदि ।
(xii)गीर= राहगीर, जहाँगीर आदि ।
(xiii)गी= दीवानगी, ताजगी , सादगी आदि ।
(xiv)गार= यादगार, रोजगार , मददगार , गुनहगार आदि ।
(xv)इन्दा= परिन्दा, बाशिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा आदि ।
(xvi)इश= फरमाइश, पैदाइश, रंजिश आदि ।
(xvii)इस्तान= कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान आदि ।
(xviii)खोर= हरामखोर, घूसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर आदि ।
(xix)गाह= ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह आदि ।
(xx)गिरी= कुलीगीरी, मुंशीगीरी आदि ।
(xxi)नवीस= नक्शानवीस, अर्जीनवीस आदि ।
(xxii)नामा= अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा आदि ।
(xxiii)बंद= हथियारबन्द, नजरबन्द, मोहरबन्द आदि ।
(xxiv)साज= जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज आदि ।
जातिवाचक से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संस्कृत की तत्सम जातिवाचक संज्ञाओं के पीछे तद्धित प्रत्यय लगाकर उसे भाववाचक संज्ञाएँ बना दी जाती है ।
संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) शत्रु , वीर+ ता =शत्रुता ,वीरता आदि ।
(ii) गुरु , मनुष्य+ त्व =गुरुत्व , मनुष्यत्व आदि ।
(iii) मुनि+ अ =मौन आदि ।
(iv) पंडित+ य =पांडित्य आदि ।
(v) रक्त+ इमा =रक्तिमा आदि ।
व्यक्तिवाचक से अपत्यवाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-जब किसी नाम के पीछे तद्धित प्रत्यय जोड़ते हैं तब जो संज्ञा बनती है उसे अपत्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।
व्यक्ति वाचक संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = अपत्यवाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) वसुदेव , मनु , कुरु , प्रथा , पांडू+ अ =वासुदेव , मानव , कौरव , पार्थ , पाण्डव आदि ।
(ii) दिति+ य =दैत्य आदि ।
(iii) बदर+ आयन =बादरायण आदि ।
(iv) राधा , कुन्ती+ एय =राधेय , कौन्तेय आदि ।
विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-विशेषण संज्ञा के पीछे संस्कृत के तद्धित प्रत्यय जोड़ने से जो संज्ञा बनती है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।
विशेषण संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) बुद्धिमान , मूर्ख , शिष्ट+ ता =बुद्धिमता , मूर्खता , शिष्टता आदि ।
(ii) रक्त , शुक्ल+ इमा =रक्तिमा , शुक्लिमा आदि ।
(iii) वीर , लघु+ त्व =वीरत्व , लघुत्व आदि ।
(iv) गुरु , लघु+ अ =गौरव , लाघव आदि ।
संज्ञा से विशेषण संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संज्ञा के अंत में संस्कृत के गुण , भाव तथा तद्धित प्रत्यय को जोडकर विशेषण संज्ञा बनती हैं ।
संज्ञा + प्रत्यय = विशेषण संज्ञा इस प्रकार हैं :-
(i) निशा+ अ =नैश आदि ।
(ii) तालु , ग्राम+ य =तालव्य , ग्राम्य आदि ।
(iii) मुख , लोक+ इक =मौखिक , लौकिक आदि ।
(iv) आनन्द , फल+ इत =आनन्दित , फलित आदि ।
(v) बल+ इष्ठ =बलिष्ठ आदि ।
(vi) निष्ठ+ कर्म =कर्मनिष्ठ आदि ।
(vii) मुख , मधु+ र =मुखर , मधुर आदि ।
(viii) रक्त+ इम =रक्तिम आदि ।
(ix) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।
(x) मांस +ल= मांसल आदि ।
(xi) मेधा +वी= मेधावी आदि ।
(xii) तन्द्रा+ इल =तन्द्रिल आदि ।
(xiii) तन्द्रा+ लु =तंद्रालु आदि ।
वर्ण और ध्वनि के समूह को व्याकरण में शब्द कहा जाता है।
शब्द दो प्रकार के होते हैं
इतिहास या स्रोत के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है।
व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं।
संज्ञा नाम का पर्याय है | विश्व की मूर्त एवं अमूर्त सभी वस्तुओं का कोई न कोई नाम अवश्य होता है | यह नाम ही संज्ञा है | जैसे –मोहन ने दिल्ली में सुन्दर बिरला मंदिर देखा |यह वाक्य में दिल्ली स्थान का नाम है; मोहन एक व्यक्ति का नाम है, सुंदर एक गुण का नाम है तथा बिरला मदिर एक इमारत का नाम है | इस प्रकार ये क्रमश: स्थान, व्यक्ति, गुण तथा वस्तु का नाम है | अत: ये सभी संज्ञा कहलाएंगी | अत: कहा जा सकता है – “जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान प्राणी अथवा भाव का बोध होता है, उन्हेंसंज्ञाकहते है |
संज्ञा के भेद-
संज्ञा के मुख्य रूप से पांच भेद होते है –
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) –जिन संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, नदियों, शहरों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचार पत्रों, दिनों, महीनों आदि के नाम आते है |
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) –जिस संज्ञा शब्द से किस जाति से सम्पूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूलों, धातुओं, व्यवसाय-संबंधी व्यक्तियों, नगरों, गाँवों, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते है |
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) –जिन संज्ञा शब्दों में किसी पदार्थ या धातु का बोध होता है और जिनसे अनेक धातुएं बनती है उन्हेंद्रव्यवाचक संज्ञाकहा जाता है | जैसे – स्टील, लोहा, पीतल, दूध, घी, चांवल, गेहूं, प्लास्टिक, सोना-चांदी, लकड़ी, ऊन, पारा आदि |
समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun) –जो संज्ञा शब्द कसी समुदाय या समूह का बोध कराते हैसमूहवाचक संज्ञाकहलाते है | सभा, भीड़, परिवार, सेना, कक्ष, पुलिस, समिति आदि समूहवाचक संज्ञा शब्द है |
भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) –जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, अवस्था भाव आदि का बोध कराए उन्हेंभाववाचक संज्ञाकहते है | जैसे-सुन्दरता, लंबाई, भूख, प्यास, थकावट, चोरी, क्रोध, ममता आदि | भाववाचक संज्ञा शब्दों का संबंध हमारे भावों से होता है | इनका स्पर्श भी नहीं किया जा सकता | ये अमूर्त (केवल अनुभव किये जाने वाले) शब्द होते है |
व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाव वाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाए एसे व्यक्ति की और संकेत करती है जो समाज में दुर्लभ गुणों के कारण अलग पहचाने जाते है | जैसे- हरिश्चन्द्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (महात्मा), जयचंद (विस्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी) आदि | कभी-कभी इन गुणों की चर्चा ण करके उनके स्थान पर उन व्यक्तियों के नाम लिख दिए जाते है; जैसे – इस देश में जयचंदों की कमी नहीं है, यह जयचंद शब्द देश द्रोही के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है | जातिवाचक संज्ञा में समान प्रयोग होने के कारण व्यक्तिवाचक व्यक्तिवाचक शब्द बहुवचन में प्रयोग किये जाते है |
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –
कभी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ़ हो जाती है | तब केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लग जाती है जैसे-
पंडित जीहमारे देश के प्रथम प्रधान मंत्री थे | यहाँ पंडित जी जातिवाचक संज्ञा शब्द है किन्तु भूतपूर्व प्रधानमंत्री मंडित जवाहरलाल नेहरु अर्थात व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है | इस प्रकार यहाँ जातिवाचक संज्ञा काव्यक्तिवाचक संज्ञाके रूप में प्रयोग किया गया है |
भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –
जब भाववाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होती है तो वह जातिवाचक रूप धारण कर लेती है | यथा –
बुराई से बुराइयां – बुराइयों से बचो
दुरी से दूरियां – जाने कब हम दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई |
प्रार्थना से प्रार्थनाएं – सच्ची प्रार्थनाएं कभी व्यर्थ नहीं जाती है |
भाववाचक संज्ञाओं की रचना –
भाववाचक संज्ञाए रूढ़ भी होती है तथा निर्मित भी | निर्मित भाववाचक संज्ञाएँ पांच प्रकार के शब्दों से बनती है –
संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।
जैसे-प्राणियों के नाम-मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि।
वस्तुओ के नाम-अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि।
स्थानों के नाम-कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि
भावों के नाम-वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि
यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है।
साधारण अर्थ में ‘वस्तु’ का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।
संज्ञा के पाँच भेद होते है-
(1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
(2)जातिवाचक (Common noun)
(3)भाववाचक (Abstract noun)
(4)समूहवाचक (Collective noun)
(5)द्रव्यवाचक (Material noun)
(1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे-
व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।
वस्तु का नाम-कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।
स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।
दिशाओं के नाम-उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।
देशों के नाम-भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।
राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमेरिकी।
समुद्रों के नाम-काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।
नदियों के नाम-गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।
पर्वतों के नाम-हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।
नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।
पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।
ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।
दिनों, महीनों के नाम-मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।
त्योहारों, उत्सवों के नाम-होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।
(2) जातिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘जातिवाचक संज्ञा’ हैं।
जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।
‘लड़का’से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।
‘पशु-पक्षयों’से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।
‘वस्तु’से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।
‘नदी’से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।
‘मनुष्य’कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।
‘पहाड़’कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।
(3)भाववाचक संज्ञा:-थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘भाववाचक संज्ञाएँ’ हैं।
इस प्रकार-
जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में‘उत्साह’से मन का भाव है।‘ईमानदारी’से गुण का बोध होता है।‘बचपन’जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।
हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। ‘धर्म, गुण, अर्थ’ और ‘भाव’ प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञाा | जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञाा |
---|---|---|---|
स्त्री- | स्त्रीत्व | भाई- | भाईचारा |
मनुष्य- | मनुष्यता | पुरुष- | पुरुषत्व, पौरुष |
शास्त्र- | शास्त्रीयता | जाति- | जातीयता |
पशु- | पशुता | बच्चा- | बचपन |
दनुज- | दनुजता | नारी- | नारीत्व |
पात्र- | पात्रता | बूढा- | बुढ़ापा |
लड़का- | लड़कपन | मित्र- | मित्रता |
दास- | दासत्व | पण्डित- | पण्डिताई |
अध्यापक- | अध्यापन | सेवक- | सेवा |
(2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना
विशेषण | भाववाचक संज्ञा | विशेषण | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
लघु- | लघुता, लघुत्व, लाघव | वीर- | वीरता, वीरत्व |
एक- | एकता, एकत्व | चालाक- | चालाकी |
खट्टा- | खटाई | गरीब- | गरीबी |
गँवार- | गँवारपन | पागल- | पागलपन |
बूढा- | बुढ़ापा | मोटा- | मोटापा |
नवाब- | नवाबी | दीन- | दीनता, दैन्य |
बड़ा- | बड़ाई | सुंदर- | सौंदर्य, सुंदरता |
भला- | भलाई | बुरा- | बुराई |
ढीठ- | ढिठाई | चौड़ा- | चौड़ाई |
लाल- | लाली, लालिमा | बेईमान- | बेईमानी |
सरल- | सरलता, सारल्य | आवश्यकता- | आवश्यकता |
परिश्रमी- | परिश्रम | अच्छा- | अच्छाई |
गंभीर- | गंभीरता, गांभीर्य | सभ्य- | सभ्यता |
स्पष्ट- | स्पष्टता | भावुक- | भावुकता |
अधिक- | अधिकता, आधिक्य | गर्म- | गर्मी |
सर्द- | सर्दी | कठोर- | कठोरता |
मीठा- | मिठास | चतुर- | चतुराई |
सफेद- | सफेदी | श्रेष्ठ- | श्रेष्ठता |
मूर्ख- | मूर्खता | राष्ट्रीय | राष्ट्रीयता |
(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया | भाववाचक संज्ञा | क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
खोजना- | खोज | सीना- | सिलाई |
जीतना- | जीत | रोना- | रुलाई |
लड़ना- | लड़ाई | पढ़ना- | पढ़ाई |
चलना- | चाल, चलन | पीटना- | पिटाई |
देखना- | दिखावा, दिखावट | समझना- | समझ |
सींचना- | सिंचाई | पड़ना- | पड़ाव |
पहनना- | पहनावा | चमकना- | चमक |
लूटना- | लूट | जोड़ना- | जोड़ |
घटना- | घटाव | नाचना- | नाच |
बोलना- | बोल | पूजना- | पूजन |
झूलना- | झूला | जोतना- | जुताई |
कमाना- | कमाई | बचना- | बचाव |
रुकना- | रुकावट | बनना- | बनावट |
मिलना- | मिलावट | बुलाना- | बुलावा |
भूलना- | भूल | छापना- | छापा, छपाई |
बैठना- | बैठक, बैठकी | बढ़ना- | बाढ़ |
घेरना- | घेरा | छींकना- | छींक |
फिसलना- | फिसलन | खपना- | खपत |
रँगना- | रँगाई, रंगत | मुसकाना- | मुसकान |
उड़ना- | उड़ान | घबराना- | घबराहट |
मुड़ना- | मोड़ | सजाना- | सजावट |
चढ़ना- | चढाई | बहना- | बहाव |
मारना- | मार | दौड़ना- | दौड़ |
गिरना- | गिरावट | कूदना- | कूद |
(4) संज्ञा से विशेषण बनाना
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|---|
अंत- | अंतिम, अंत्य | अर्थ- | आर्थिक |
अवश्य- | आवश्यक | अंश- | आंशिक |
अभिमान- | अभिमानी | अनुभव- | अनुभवी |
इच्छा- | ऐच्छिक | इतिहास- | ऐतिहासिक |
ईश्र्वर- | ईश्र्वरीय | उपज- | उपजाऊ |
उन्नति- | उन्नत | कृपा- | कृपालु |
काम- | कामी, कामुक | काल- | कालीन |
कुल- | कुलीन | केंद्र- | केंद्रीय |
क्रम- | क्रमिक | कागज- | कागजी |
किताब- | किताबी | काँटा- | कँटीला |
कंकड़- | कंकड़ीला | कमाई- | कमाऊ |
क्रोध- | क्रोधी | आवास- | आवासीय |
आसमान- | आसमानी | आयु- | आयुष्मान |
आदि- | आदिम | अज्ञान- | अज्ञानी |
अपराध- | अपराधी | चाचा- | चचेरा |
जवाब- | जवाबी | जहर- | जहरीला |
जाति- | जातीय | जंगल- | जंगली |
झगड़ा- | झगड़ालू | तालु- | तालव्य |
तेल- | तेलहा | देश- | देशी |
दान- | दानी | दिन- | दैनिक |
दया- | दयालु | दर्द- | दर्दनाक |
दूध- | दुधिया, दुधार | धन- | धनी, धनवान |
धर्म- | धार्मिक | नीति- | नैतिक |
खपड़ा- | खपड़ैल | खेल- | खेलाड़ी |
खर्च- | खर्चीला | खून- | खूनी |
गाँव- | गँवारू, गँवार | गठन- | गठीला |
गुण- | गुणी, गुणवान | घर- | घरेलू |
घमंड- | घमंडी | घाव- | घायल |
चुनाव- | चुनिंदा, चुनावी | चार- | चौथा |
पश्र्चिम- | पश्र्चिमी | पूर्व- | पूर्वी |
पेट- | पेटू | प्यार- | प्यारा |
प्यास- | प्यासा | पशु- | पाशविक |
पुस्तक- | पुस्तकीय | पुराण- | पौराणिक |
प्रमाण- | प्रमाणिक | प्रकृति- | प्राकृतिक |
पिता- | पैतृक | प्रांत- | प्रांतीय |
बालक- | बालकीय | बर्फ- | बर्फीला |
भ्रम- | भ्रामक, भ्रांत | भोजन- | भोज्य |
भूगोल- | भौगोलिक | भारत- | भारतीय |
मन- | मानसिक | मास- | मासिक |
माह- | माहवारी | माता- | मातृक |
मुख- | मौखिक | नगर- | नागरिक |
नियम- | नियमित | नाम- | नामी, नामक |
निश्र्चय- | निश्र्चित | न्याय- | न्यायी |
नौ- | नाविक | नमक- | नमकीन |
पाठ- | पाठ्य | पूजा- | पूज्य, पूजित |
पीड़ा- | पीड़ित | पत्थर- | पथरीला |
पहाड़- | पहाड़ी | रोग- | रोगी |
राष्ट्र- | राष्ट्रीय | रस- | रसिक |
लोक- | लौकिक | लोभ- | लोभी |
वेद- | वैदिक | वर्ष- | वार्षिक |
व्यापर- | व्यापारिक | विष- | विषैला |
विस्तार- | विस्तृत | विवाह- | वैवाहिक |
विज्ञान- | वैज्ञानिक | विलास- | विलासी |
विष्णु- | वैष्णव | शरीर- | शारीरिक |
शास्त्र- | शास्त्रीय | साहित्य- | साहित्यिक |
समय- | सामयिक | स्वभाव- | स्वाभाविक |
सिद्धांत- | सैद्धांतिक | स्वार्थ- | स्वार्थी |
स्वास्थ्य- | स्वस्थ | स्वर्ण- | स्वर्णिम |
मामा- | ममेरा | मर्द- | मर्दाना |
मैल- | मैला | मधु- | मधुर |
रंग- | रंगीन, रँगीला | रोज- | रोजाना |
साल- | सालाना | सुख- | सुखी |
समाज- | सामाजिक | संसार- | सांसारिक |
स्वर्ग- | स्वर्गीय, स्वर्गिक | सप्ताह- | सप्ताहिक |
समुद्र- | सामुद्रिक, समुद्री | संक्षेप- | संक्षिप्त |
सुर- | सुरीला | सोना- | सुनहरा |
क्षण- | क्षणिक | हवा- | हवाई |
(5) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
---|---|---|---|
लड़ना- | लड़ाकू | भागना- | भगोड़ा |
अड़ना- | अड़ियल | देखना- | दिखाऊ |
लूटना- | लुटेरा | भूलना- | भुलक्कड़ |
पीना- | पियक्कड़ | तैरना- | तैराक |
जड़ना- | जड़ाऊ | गाना- | गवैया |
पालना- | पालतू | झगड़ना- | झगड़ालू |
टिकना- | टिकाऊ | चाटना- | चटोर |
बिकना- | बिकाऊ | पकना- | पका |
(6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा | सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
अपना- | अपनापन /अपनाव | मम- | ममता/ ममत्व |
निज- | निजत्व, निजता | पराया- | परायापन |
स्व- | स्वत्व | सर्व- | सर्वस्व |
अहं- | अहंकार | आप- | आपा |
(7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा
मन्द- मन्दी;
दूर- दूरी;
तीव्र- तीव्रता;
शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।
(8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा
परस्पर- पारस्पर्य;
समीप- सामीप्य;
निकट- नैकट्य;
शाबाश- शाबाशी;
वाहवाह- वाहवाही
धिक्- धिक्कार
शीघ्र- शीघ्रता
(4)समूहवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।
(5)द्रव्यवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।
संज्ञाओं के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-
(क) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक-कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में होता है। जैसे- ‘पुरी’ से जगत्राथपुरी का ‘देवी’ से दुर्गा का, ‘दाऊ’ से कृष्ण के भाई बलदेव का, ‘संवत्’ से विक्रमी संवत् का, ‘भारतेन्दु’ से बाबू हरिश्र्चन्द्र का और ‘गोस्वामी’ से तुलसीदासजी का बोध होता है। इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।
(ख) व्यक्तिवाचक : जातिवाचक-कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे- गाँधी अपने समय के कृष्ण थे; यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है; तुम कलियुग के भीम हो इत्यादि।
(ग) भाववाचक : जातिवाचक-कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है। उदाहरणार्थ- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है। यहाँ ‘पहरावा’ भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ। ‘पहरावे’ से ‘पहनने के वस्त्र’ का बोध होता है।
संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।
लिंग के अनुसार
नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।
इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।
वचन के अनुसार
लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।
कारक- चिह्नों के अनुसार
लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।
इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-
बिना कारक-चिह्न के-लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)
कारक-चिह्नों के साथ-लड़कों ने खाना खाया।
लड़कियों ने खाना खाया।
लड़कों से पूछो।
लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।
सरल शब्दों में-सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं।
सर्वनाम यानी सबके लिए नाम। इसका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है। आइए देखें, कैसे? राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है।
आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।
इस प्रकार,
संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि सर्वनाम शब्द हैं। अन्य सर्वनाम शब्द भी इन्हीं शब्दों से बने हैं, जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से अपना रूप बदलते हैं; जैसे-
राधा नृत्य करती है। राधा का गाना भी अच्छा होता है। राधा गरीबों की मदद करती है।
राधा नृत्य करती है। उसका गाना भी अच्छा होता है। वह गरीबों की मदद करती है।
आप- अपना, यह- इस, इसका, वह- उस, उसका।
अन्य उदाहरण
(1)’सुभाष’ एक विद्यार्थी है।
(2)वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।
उपयुक्त वाक्यों में‘सुभाष’शब्द संज्ञा है तथा इसके स्थान परवह, उसके, उसेशब्द संज्ञा (सुभाष) के स्थान पर प्रयोग किये गए है। इसलिए ये सर्वनाम है।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। ‘लड़का’ कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु ‘वह’ कहने से पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।
सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम(Personal pronoun)
(2)निश्चयवाचक सर्वनाम(Demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम(Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम(Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम(Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम(Reflexive Pronoun)
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
(i)उत्तम पुरुषवाचक(ii)मध्यम पुरुषवाचक(iii)अन्य पुरुषवाचक
(i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।
उदाहरण-मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
यह कविता मैंने लिखी है।
बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई।
मैंने उसे धोखा नहीं दिया।
(ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।
उदाहरण-तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
तुम सो जाओ।
तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ?
तू घर देर से क्यों पहुँचा ?
तुमसे कुछ काम है।
(iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।
उदाहरण-वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।
वह कल विद्यालय नहीं आया था।
उसे कुछ मत कहना।
उन्हें रोको मत, जाने दो।
इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम:-सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।
सरल शब्दों में-जो सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है।
किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम:-जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था।
पानी में कुछ गिर गया है।
यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
(4)संबंधवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम वाक्य में प्रयुक्त किसी अन्य सर्वनाम से सम्बंधित हों, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘वैसा’ का सम्बंध ‘जैसा’ के साथ तथा ‘उसकी’ का सम्बन्ध ‘जिसकी’ के साथ सदैव रहता है। अतः ये संबंधवाचक सर्वनाम है।
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम:-जो सर्वनाम शब्द सवाल पूछने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में-प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
टोकरी में क्या रखा है।
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो?
उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।
(6) निजवाचक सर्वनाम:-‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना।
इस प्रकार,
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।
‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है।
उदाहरण-
आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक)
आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय)
ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)
‘निजवाचक सर्वनाम’ का रूप ‘आप’ है। लेकिन पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले ‘आप’ से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ‘आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- आप मेरे सिर-आखों पर है; आप क्या राय देते है ? किन्तु, निजवाचक ‘आप’ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
निजवाचक सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थो में होता है-
(क) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्र्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं ‘आप’ वहीं से आया हूँ; मैं ‘आप’ वही कार्य कर रहा हूँ।
(ख) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और ‘आप’ चलते बने; वह औरों को नहीं, ‘अपने’ को सुधार रहा है।
(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आप’ भला तो जग भला; ‘अपने’ से बड़ों का आदर करना उचित है।
(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे- मैं ‘आप ही’ चला आता था; यह काम ‘आप ही’; मैं यह काम ‘आप ही’ कर लूँगा।
रूस के हिन्दी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे ‘संयुक्त सर्वनाम’ कहा है। उन्हीं के शब्दों में, ‘संयुक्त सर्वनाम’ पृथक श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भित्रता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतन्त्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।
इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।
सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपान्तर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।
संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
सर्वनाम में केवल सात कारक होते है। सम्बोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-
मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा;तुम-तुम्हें, तुम्हारा;हम-हमें, हमारा;वह-उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको;यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे;कौन-किसने, किसको, किसे।
संज्ञा शब्दों की भाँति ही सर्वनाम शब्दों की भी रूप-रचना होती। सर्वनाम शब्दों के प्रयोग के समय जब इनमें कारक चिह्नों का प्रयोग करते हैं, तो इनके रूप में परिवर्तन आ जाता है।
(‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | मैं, मैंने | हम, हमने |
कर्म | मुझे, मुझको | हमें, हमको |
करण | मुझसे | हमसे |
सम्प्रदान | मुझे, मेरे लिए | हमें, हमारे लिए |
अपादान | मुझसे | हमसे |
सम्बन्ध | मेरा, मेरे, मेरी | हमारा, हमारे, हमारी |
अधिकरण | मुझमें, मुझपर | हममें, हमपर |
(‘तू’, ‘तुम’ मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | तू, तूने | तुम, तुमने, तुमलोगों ने |
कर्म | तुझको, तुझे | तुम्हें, तुमलोगों को |
करण | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से |
सम्प्रदान | तुझको, तेरे लिए, तुझे | तुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए |
अपादान | तुझसे | तुमसे, तुमलोगों से |
सम्बन्ध | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा-री, तुमलोगों का-की |
अधिकरण | तुझमें, तुझपर | तुममें, तुमलोगों में-पर |
(‘वह’ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | वह, उसने | वे, उन्होंने |
कर्म | उसे, उसको | उन्हें, उनको |
करण | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा |
सम्प्रदान | उसको, उसे, उसके लिए | उनको, उन्हें, उनके लिए |
अपादान | उससे | उनसे |
सम्बन्ध | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके |
अधिकरण | उसमें, उसपर | उनमें, उनपर |
(‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | यह, इसने | ये, इन्होंने |
कर्म | इसको, इसे | ये, इनको, इन्हें |
करण | इससे | इनसे |
सम्प्रदान | इसे, इसको | इन्हें, इनको |
अपादान | इससे | इनसे |
सम्बन्ध | इसका, की, के | इनका, की, के |
अधिकरण | इसमें, इसपर | इनमें, इनपर |
(‘आप’ आदरसूचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | आपने | आपलोगों ने |
कर्म | आपको | आपलोगों को |
करण | आपसे | आपलोगों से |
सम्प्रदान | आपको, के लिए | आपलोगों को, के लिए |
अपादान | आपसे | आपलोगों से |
सम्बन्ध | आपका, की, के | आपलोगों का, की, के |
अधिकरण | आप में, पर | आपलोगों में, पर |
(‘कोई’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | कोई, किसने | किन्हीं ने |
कर्म | किसी को | किन्हीं को |
करण | किसी से | किन्हीं से |
सम्प्रदान | किसी को, किसी के लिए | किन्हीं को, किन्हीं के लिए |
अपादान | किसी से | किन्हीं से |
सम्बन्ध | किसी का, किसी की, किसी के | किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के |
अधिकरण | किसी में, किसी पर | किन्हीं में, किन्हीं पर |
(‘जो’ संबंधवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | जो, जिसने | जो, जिन्होंने |
कर्म | जिसे, जिसको | जिन्हें, जिनको |
करण | जिससे, जिसके द्वारा | जिनसे, जिनके द्वारा |
सम्प्रदान | जिसको, जिसके लिए | जिनको, जिनके लिए |
अपादान | जिससे (अलग होने) | जिनसे (अलग होने) |
संबंध | जिसका, जिसकी, जिसके | जिनका, जिनकी, जिनके |
अधिकरण | जिसपर, जिसमें | जिनपर, जिनमें |
(‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | कौन, किसने | कौन, किन्होंने |
कर्म | किसे, किसको, किसके | किन्हें, किनको, किनके |
करण | किससे, किसके द्वारा | किनसे, किनके द्वारा |
सम्प्रदान | किसके लिए, किसको | किनके लिए, किनको |
अपादान | किससे (अलग होने) | किनसे (अलग होने) |
संबंध | किसका, किसकी, किसके | किनका, किनकी, किनके |
अधिकरण | किसपर, किसमें | किनपर, किनमें |
सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका सम्बन्ध बताना पड़ता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।
इस वाक्य में, ‘वह’ और ‘अपना’ सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-
वह-पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘करता है’ क्रिया का कर्ता।
अपना-निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुंलिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, ‘काम’ संज्ञा का विशेषण।
परिभाषा :-सरल शब्दों मे समझें कि किसी भी व्यक्ति,वस्तु क़ो उसकीविशेष बात से दर्शानाया उसकी विशेषता बतानाविशेषण(Adjective)कहलाता है।
जैसे :-काला घोड़ा, हरा पैन,ईमानदार आदमी ,दो लीटर दूध
नोट :-विशेषणसंज्ञाकी व्याप्तिमर्यादितकरता है जैसेसफ़ेद कुत्ता
हम कुछउदाहरणसे विशेषण क़ो अच्छे से समझेंगे ।
(1) उसका मकान बहुत ऊँचा है।
व्याख्या :-यहां मकान की विशेषताऊँचाहोना है
(2) सुरेश की कमीज बहुत सुंदर है।
व्याख्या :-कमीज कीसुंदरताके बारे मे बता रहे है
(3) तीनों बालक आ रहे है।
व्याख्या :-यहातीनो बालककी विशेषता बता रहे है।
(4) सीता दो मीटर पैदल चली।
व्याख्या :-दो मीटरपैदल चलने की विशेषता बता रहे है
(5) ताजमहल बहुत सुंदर इमारत है।
व्याख्या :-यहां ताजमहल कीसुंदरताबता रहे है
विशेषण के भेद : विशेषण मूलतःचारप्रकार के होते है-
जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए,गुणवाचक विशेषणकहलाते हैं।
जिन शब्दों द्वारासंज्ञायासर्वनामकी संख्या संबंधी विशेषता बताई जाये, उन्हेंसंख्यावाचक विशेषण(Sankhya Vachak Visheshan)कहते है।
जैसे :
उक्त उदाहरणों में’पाँच’निश्चित संख्या तथा’कुछ’अनिश्चित संख्या का बोध कराते है।
अतः संख्यावाचक विशेषण केदोभेद होते है :
जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो।
जैसे : दसआदमी,पन्द्रहलङके,पचासरूपये आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भीचारप्रभेद होते हैं :
जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो।
जैसे :कुछ आदमी, बहुत लङके, थोङे से रूपये आदि।
अन्य उदाहरण :
अर्थातसंख्यावाचक विशेषणमें संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है
वे शब्द जो विशेष्यों की मात्रा (नाप, माप, तौल) का बोध कराते हैं,परिमाणवाचक विशेषणकहलाते है। ध्यान रखें किपरिमाणवाचक विशेषणमें माप तौल की इकाई जरुर दी होगी l इस विशेषण का एकमात्र विशेष्यद्रव्यवाचक संज्ञाहै।
जैसे :
उक्त वाक्यों मेंथोङा दूधअनिश्चयवाचक परिमाण तथादस क्विंटलनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं। इसी आधार पर परिमाणवाचक विशेषण के भीदोभेद होते हैं l जो निम्न है :
जो निश्चित मात्रा का बोध कराये।
जैसे :
जो निश्चित मात्रा का बोधनकराये।
जैसे :सारा कपङा, ज्यादा लीटर तेल, अधिक चावल आदि।
वे विशेषण शब्द जो संज्ञा शब्द की ओर संकेत के माध्यम से विशेषता प्रकट करते है,संकेतवाचक विशेषणकहलाता है। चूँकि ये सर्वनाम शब्द होते हैं जो विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं अतः इन्हेंसार्वनामिक विशेषणभी कहते है।
यदि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यहसार्वनामिक विशेषणकहलाते हैं और यदि ये अकेले अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हेा तोसर्वनामकहलाते हैं।
जैसे :
नोट :कुछ विद्वान विशेषण का एक भेद और स्वीकार करते हैं।
वे विशेषण, जोव्यक्तिवाचक संज्ञाओंसे बनकर अन्यसंज्ञायासर्वनामकी विशेषता बतलाते है उन्हेंव्यक्तिवाचक विशेषणकहते है।
जैसे :भारतीय सैनिक, जापानी खिलौने, जयपुरी रजाइयाँ, जोधपुरी जूती, बनारसी साङी, कश्मीरी सेब, बीकानेरी भुजिया आदि।
जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें‘तुलनाबोधक विशेषण’कहते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बताने वाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अंतर होता है।
तुलना के विचार से विशेषणों कीतीनविशेषताएँ होती है।
1.मूलावस्था:इसके अंतर्गत विशेषणों कामूल रूपआता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है।
जैसे -राम सुन्दर है।
2.उत्तरावस्थाःजब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण कीउत्तरावस्थाकहते हैं।
जैसे – राम श्याम से सुन्दर है।
3.उत्तमावस्था:यह विशेषण की सर्वाेत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तिओं या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण कीउत्तमावस्थाकहलाती है।
जैसे-राम सबसे सुन्दर है।
ऊपर बताये गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था मेंतरऔरतमलगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं-
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
कोमल | कोमलतर | कोमलतम |
निम्न | निम्नतर | निम्नतम |
सुन्दर | सुन्दरतर | सुन्दरतम |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
अधिक | अधिकतर | अधिकतम |
महत् | महत्तर | महत्तम |
योग्य | योग्यतर | योग्यतम |
सरल | सरलतर | सरलतम |
कठोर | कठोरतर | कठोरतम |
मधुर | मधुरतर | मधुरतम |
न्यून | न्यूनतर | न्यूनतम |
निकट | निकटतर | निकटतम |
कटु | कटुतर | कटुतम |
महान | महानतर | महानतम |
विशाल | विशालतर | विशालतम |
दृढ़ | दृढ़तर | दृढ़तम |
मृदु | मृदुतर | मृदुतम |
तीव्र | तीव्रतर | तीव्रतम |
तीक्ष्ण | तीक्ष्णतर | तीक्ष्णतम |
निर्बल | निर्बलतर | निर्बलतम |
बलिष्ठ | बलिष्ठतर | बलिष्ठतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है। आवश्यकतानुसारसंज्ञा से ही विशेषणोंको बनाया जाता है।
संज्ञा | विशेषण |
अंक | अंकित |
अलंकार | अलंकारिक |
अर्थ | आर्थिक |
अग्नि | आग्नेय |
अंचल | आंचलिक |
अपेक्षा | अपेक्षित |
अनुशासन | अनुशासित |
अपमान | अपमानित |
अंश | आंशिक |
अधिकार | अधिकारी |
अभ्यास | अभ्यस्त |
आदर | आदरणीय |
आदि | आदिम |
आधार | आधारित, आधृत |
आत्मा | आत्मिक |
इच्छा | ऐच्छिक |
इतिहास | ऐतिहासिक |
ईश्वर | ईश्वरीय/ऐश्वर्य |
उपेक्षा | उपेक्षित |
उत्कर्ष | उत्कृष्ट |
उद्योग | औद्योगिक |
उपनिषद् | औपनिषदिक |
उपन्यास | औपन्यासिक |
उपार्जन | उपार्जित |
उपदेश | उपदेशात्मक, उपदिष्ट |
उपनिवेश | औपनिवेशिक |
उन्नति | उन्नतिशील |
ऋण | ऋणी |
कल्पना | कल्पित |
काम | काम्य |
केन्द्र | केन्द्रीय |
कृपा | कृपालु |
कपट | कपटी |
कुल | कुलीन |
कुसुम | कुसुमि |
गंगा | गांगेय |
गुण | गुणवान |
ग्राम | ग्रामीण/ग्राम्य |
घर | घरेलू |
घृणा | घृणित |
चर्चा | चर्चित |
चरित्र | चारित्रिक |
चक्षु | चाक्षुष |
चाचा | चचेरा |
चमक | चमकीला |
चाय | चायवाला |
छल | छलिया |
जाति | जातीय |
तर्क | तार्किक |
तत्व | तात्विक |
तंत्र | तांत्रिक |
तिरस्कार | तिरस्कृत |
तरंग | तरंगिनी |
दर्शन | दर्शनीय |
दान | दानी |
देश | देशीय/देशी |
देव | दिव्य/दैविक |
देह | दैहिक |
दया | दयालु |
धर्म | धार्मिक |
धन | धनी |
ध्वनि | ध्वनित |
नगर | नागरिक |
निशा | नैश |
निषेध | निषिद्ध |
नरक | नारकीय |
न्याय | न्यायिक |
नमक | नमकीन |
नील | नीला |
पशु | पाश्विक |
परीक्षा | परीक्षित |
प्रमाण | प्रामाणिक |
पाप | पापी |
पिता | पैतृक |
परिचय | परिचित |
पल्लव | पल्लवित |
प्राची | प्राच्य |
प्रणाम | प्रणम्य |
संज्ञा | विशेषण |
पुष्टि | पौष्टिक |
पुराण | पौराणिक |
पक्ष | पाक्षिक |
पुष्प | पुष्पित |
पूजा | पूज्य |
पुत्र | पुत्रवती |
प्यास | प्यासा |
फेन | फेनिल |
बुद्ध | बौद्ध |
बल | बली |
भारत | भारतीय |
भाव | भावुक |
भोग | भोगी |
मन | मनस्वी |
भूगोल | भौगोलिक |
भोजन | भोज्य |
मानस | मानसिक |
माता | मातृक |
मंगल | मांगलिक |
मामा | ममेरा |
मेधा | मेधावी |
मर्म | मार्मिक |
मास | मासिक |
यश | यशस्वी |
योग | यौगिक |
राज | राजकीय |
रंग | रंगीन/रंगीला |
राष्ट्र | राष्ट्रीय |
रस | रसीला/रसिक |
रोम | रोमिल |
रूप | रूपवान/रूपवती |
रोग | रोगी |
लक्षण | लाक्षणिक |
लेख | लिखित |
वेद | वैदिक |
विशेष | विशिष्ट |
विकल्प | वैकल्पिक |
विवाह | वैवाहिक |
विज्ञान | वैज्ञानिक |
विश्वास | विश्वसनीय,विश्वस्त |
वर्ग | वर्गीय |
व्यक्ति | वैयक्तिक |
व्यापार | व्यापारिक |
विपति | विपन्न |
वाद | वादी |
समय | सामयिक |
साहित्य | साहित्यिक |
स्तुति | स्तुत्य |
समुदाय | सामुदायिक |
सिद्धान्त | सैद्धान्तिक |
स्त्री | स्त्रैण |
सुख | सुखी |
श्री | श्रीमान् |
संस्कृत | सांस्कृतिक |
सभा | सभ्य |
स्वर्ण | स्वर्णिम |
शक्ति | शाक्त |
शिक्षा | शैक्षिक |
शास्त्र | शास्त्रीय |
शंका | शंकित |
शिव | शैव |
शोषण | शोषित |
शासन | शासित |
हृदय | हार्दिक |
हवा | हवाई |
हँसी | हँसोङा |
हिंसा | हिंसक |
श्रद्धा | श्रद्धालु |
ज्ञान | ज्ञानी |
विरोध | विरोधी |
क्षेत्र | क्षेत्रीय |
क्षण | क्षणिक |
प्यार | प्यारा |
समाज | सामाजिक |
जयपुर | जयपुरी |
विष | विषैला |
बुद्धि | बुद्धिमान |
गुण | गुणवान |
दूर | दूरस्थ |
शहर | शहरी |
क्रोध | क्रोधी |
शरीर | शारीरिक |
शक्ति | शक्तिमान |
रूप | रूपवान |
सृजन | सृजनहार |
पालन | पालनहार |
रथ | रथवाला |
दूध | दूधवाला |
भूख | भूखा |
स्वर्ग | स्वर्गीय |
चमक | चमकीला |
नोक | नुकीला |
संज्ञा | विशेषण |
धन | धनहीन |
तेज | तेजहीन |
दया | दयाहीन |
मन | मानसिक |
अभिषेक | अभिषिक्त |
अनुराग | अनुरागी |
अन्याय | अन्यायी |
आश्रय | आश्रित |
अनुमोदन | अनुमोदित |
ईसा | ईस्वी |
उन्नति | उन्नत |
अनुभव | अनुभवी |
अन्तर | आन्तरिक |
अंकन | अंकित |
आसक्ति | आसक्त |
अणु | आणविक |
अपराध | अपराधी |
ईर्ष्या | ईर्ष्यालु |
उपयोग | उपयुक्त |
ऋषि | आर्ष |
ओष्ठ | ओष्ठ्य |
कांटा | कंटीला |
कागज | कागजी |
क्रम | क्रमिक |
कमाई | कमाऊ |
क्रय | क्रीत |
कलंक | कलंकित |
खून | खूनी |
खेल | खिलाङी |
खान | खनिज |
गर्व | गर्वीला |
घनिष्ठता | घनिष्ठ |
गुलाब | गुलाबी |
गर्मी | गर्म |
घाव | घायल |
जटा | जटिल |
चाचा | चचेरा |
जहर | जहरीला |
जागरण | जाग्रत |
जंगल | जंगली |
त्याग | त्याज्य |
तन्त्र | तान्त्रिक |
देश | देशी |
दम्पति | दाम्पत्य |
नाटक | नाटकीय |
निन्दा | निन्द्य/निन्दनीय |
दगा | दगाबाज |
धर्म | धार्मिक |
नाव | नाविक |
निषेध | निषिद्ध |
पुस्तक | पुस्तकीय |
पराजय | पराजित |
परिचय | परिचित |
पृथ्वी | पार्थिक |
कुटुम्ब | कौटुम्बिक |
किताब | किताबी |
काल | कालीन |
क्लेश | किलष्ट |
करुणा | करुण |
खर्च | खर्चीला |
खाना | खाऊ |
ख्याति | ख्यात |
गृहस्थ | गार्हस्थ्य |
गांव | गंवार |
संज्ञा | विशेषण |
गेरु | गेरुआ |
घमण्ड | घमण्डी |
घात | घातक |
चर्चा | चर्चित |
चिन्ता | चिन्त्य |
चरित्र | चारित्रिक |
जवाब | जवाबी |
जाति | जातीय |
ताप | तप्त |
दन्त | दन्त्य |
दिन | दैनिक |
नियम | नियमित |
पत्थर | पथरीला |
पुरुष | पौरुषेय |
प्रान्त | प्रान्तीय |
प्रदेश | प्रादेशिक |
पाठक | पाठकीय |
पश्चिम | पाश्चात्य |
प्रशंसा | प्रशंसनीय |
परिवार | पारिवारिक |
फल | फलित |
भूत | भौतिक |
भाषा | भाषिक |
भय | भयानक |
मोह | मोहक/मोहित |
मिथिला | मैथिल |
मथुरा | माथुर |
मुख | मौखिक |
मूल | मौलिक |
यज्ञ | याज्ञिक |
यदु | यादव |
रसीद | रसीदी |
राष्ट्र | राष्ट्रीय |
राह | राही |
लज्जा | लज्जित |
लोभ | लोभी |
विकार | विकृत |
वन्दना | वन्द्य/वन्दनीय |
वियोग | वियोगी |
संसार | सांसारिक |
स्वभाव | स्वाभाविक |
पानी | पानीय/पेय |
पुष्टि | पौष्टिक |
प्रसंग | प्रासंगिक |
बल | बलिष्ठ |
भ्रम | भ्रामक/भ्रमित |
भूषण | भूषित |
भूख | भूखा |
माधुर्य | मधुर |
मूर्च्छा | मूर्छित |
मनु | मानव |
मर्म | मार्मिक |
मांस | मांसल |
मृत्यु | मत्र्य |
योग | योगी |
यश | यशपाल |
रुद्र | रौद्र |
राक्षस | राक्षसी |
रोमांच | रोमांचित |
लाठी | लठैत |
लोहा | लौह |
विस्मय | विस्मित |
विपति | विपन्न |
व्यवसाय | व्यावसायिक |
विजय | विजयी |
विवेक | विवेकी |
विधान | वैधानिक |
वेतन | वैतनिक |
विषय | विषयी |
वास्तव | वास्तविक |
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1. विशेषण के भेदों का सही समूह है –
(अ) व्यक्तिवाचक, गुणवाचक, संबंधवाचक, सार्वनामिक
(ब) गुणवाचक, परिणामवाचक, संख्यावाचक, भाववाचक
(स) व्यक्तिवाचक, संबंधवाचक, निश्चयवाचक, निजवाचक
(द) गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक, सार्वनामिक✔️
2. ’उत्कर्ष’ से विशेषण क्या बनेगा ?
(अ) अपकर्ष (ब) अवकर्ष
(स) उत्कृष्ट ✔️ (द) अधोकृष्ट
3. अर्थ की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद माने गए हैं –
(अ) चार ✔️ (ब) तीन
(स) पाँच (द) छह
4. निम्नलिखित वाक्यों में से एक वाक्य में विशेषण सम्बन्धी अशुद्धि नहीं है, वह कौन-सा है?
(अ) उसमें एक गोपनीय रहस्य है।
(ब) आप जैसा अच्छा सज्जन कौन होगा।
(स) कहीं से खूब ठण्डा बर्फ लाओ।
(द) वहाँ ज्वर की सर्वोत्कृष्ट चिकित्सा होती है। ✔️
5. विशेष्य किसे कहते हैं –
(अ) जो विशेषता बताई जाए
(ब) जिसकी विशेषता बताई जाए ✔️
(स) जो विशेषता बताए
(द) इनमें से कोई नहीं
6. ’आलस्य’ संज्ञा का विशेषण रूप क्या है?
(अ) आलस (ब) अलसता
(स) आलसी ✔️ (द) आलसीपन
7. संज्ञा या सर्वनाम के गुण, आकार, रंग, दशा, काल और स्थान का बोध करानेवाले विशेषण हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक
8. ’शक्ति’ शब्द से बननेवाला विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) शक्तिशाली (ब) शाक्त
(स) शक्तिमान (द) शक्तियाँ ✔️
9. ’दानवीर कर्ण का सभी स्मरण करते हैं।’ वाक्य का ’दानवीर’ शब्द कौनसा विशेषण है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक
10. निम्नलिखित शब्दों में कौनसा शब्द विशेषण है?
(अ) सच्चा ✔️ (ब) शीतलता
(स) नम्रता (द) देवत्व
11. अच्छा-बुरा, सुगंधित, उत्तरी-पूर्वी, प्राचीन आदि विशेषण किस प्रकार के हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) स्थानवाचक
12. निम्नलिखित में से प्रविशेषण शब्द है –
(अ) गहरा कुआँ (ब) बहुत खर्च
(स) निपट अनाङी ✔️ (द) शांत लङका
13. ’संस्कृति’ संज्ञा किस विशेषण शब्द से बना है?
(अ) संस्कृत ✔️ (ब) सुकृति
(स) सांस्कृतिक (द) संस्कार
14. निम्नांकित में विशेषण है?
(अ) सुलेख (ब) आकर्षक ✔️
(स) हव्य (द) पौरुष
15. निम्नलिखित में से विशेषण शब्द है –
(अ) नारी (ब) सुबह
(स) पिता (द) पैतृक ✔️
16. ’मानव’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) मनुष्य (ब) मानवीकरण
(स) मानवता (द) मानवीय ✔️
17. ’आदर’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) आदरकारी (ब) आदरपूर्वक
(स) आदरणीय ✔️ (द) इनमें से कोई नहीं
18. ’पाणिनि’ का विशेषण क्या होगा?
(अ) पाणनीय (ब) पाणिनीय ✔️
(स) पाणीनी (द) पाणिनी
19. ’आतंकवाद से पीङित मानवता की पुकार अनसुनी नहीं की जा सकती है।’ वाक्य में ’पीङित’ शब्द है –
(अ) भाववाचक संज्ञा (ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण ✔️ (द) संख्यावाचक विशेषण
20. इनमें से गुणवाचक विशेषण कौन-सा है ?
(अ) चौगुना (ब) नया ✔️
(स) तीन (द) कुछ
21. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(ब) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
(स) अच्छा, तुम घर जाओ।
(द) अच्छा है, वह अभी आ जाए।
22. विशेषण किस शब्द की विशेषता बताते हैं ?
(अ) कारक की (ब) संज्ञा की
(स) सर्वनाम की (द) संज्ञा और सर्वनाम की ✔️
23. निम्नलिखित में से गुणवाचक विशेषण समूह है –
(अ) थोङा, कुछ, पाश्चात्य, गंभीर, ढेर सारा
(ब) एक दर्जन, वह, पतली, प्रत्येक, थोङा
(स) कठोर, खुरदरा, जापानी, स्वस्थ, कसैला ✔️
(द) थोङा, कुछ, खुरदरा, प्रत्येक, वह
24. विशेषण का प्रयोग होता है –
(अ) विशेष्य के पहले (ब) विशेष्य के बाद
(स) उपर्युक्त दोनों ✔️ (द) उपर्युक्त कोई नहीं
25. जयपुरी रजाइयाँ जयपुर का महत्त्वपूर्ण उत्पादन है। इस वाक्य में विशेषण है –
(अ) जयपुरी-उत्पादन (ब) महत्त्वपूर्ण-भारत
(स) महत्त्वपूर्ण-रजाइयाँ (द) जयपुरी-महत्त्वपूर्ण ✔️
26. निम्न में से कौनसा संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) समूहवाचक (ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक (द) उपर्युक्त सभी ✔️
27. ’आँखों की ज्योति के लिए हरा रंग अच्छा माना गया है’ वाक्य में विशेषण है –
(अ) रंग (ब) ज्योति
(स) हरा ✔️ (द) अच्छा
28. ’बहुत-कुछ’ शब्द किस संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक
(द) प्रत्येक बोधक
29. संज्ञा या सर्वनाम की माप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) परिमाणवाचक विशेषण ✔️
(ब) परिणामवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) संख्यावाचक विशेषण
30. प्रविशेषण किसे कहते हैं?
(अ) विधेय की विशेषता बतानेवाला शब्द
(ब) विशेष्य की विशेषता बतानेवाला शब्द
(स) विशेषण की विशेषता बतानेवाला शब्द ✔️
(द) विशेषण के पूर्व लगनेवाला विशेषण
31. परिमाणवाचक विशेषण कितने प्रकार के माने गए हैं-
(अ) दो ✔️ (ब) तीन
(स) चार (द) इनमें से कोई नहीं
32. सार्वनामिक विशेषण कहाँ आते हैं?
(अ) सर्वनाम के बाद (ब) संज्ञा के पहले ✔️
(स) संज्ञा के बाद (द) उपर्युक्त कोई नहीं
33. ’यह गाय प्रतिदिन पाँच लीटर दूध देती है।’ रेखांकित शब्द में विशेषण है –
(अ) अनिश्चित परिमाणवाचक
(ब) निश्चित परिमाणवाचक ✔️
(स) गुणवाचक
(द) संख्यावाचक
34. इन शब्दों में से कौनसा विशेषण अविकारी है?
(अ) बुरा (ब) पतला
(स) मधुर ✔️ (द) सीधा
35. जिन विशेषणों के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता, कहलाते हैं –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक
(ब) संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) सार्वनामिक
36. निम्न में से कौनसा तुलनात्मक विशेषण नहीं है?
(अ) सुन्दरतम (ब) सुन्दरतर
(स) सुन्दर ✔️ (द) से सुन्दर
37. ’वह ढेर सारे खिलौने लाया है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द है –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक सर्वनाम
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(द) निश्चित संख्यावाचक सर्वनाम ✔️
38. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण की दृष्टि से अशुद्ध कौनसा है?
(अ) मधु बहुत चंचला है।
(ब) कमरा खाली नहीं है।
(स) गुङिया कुरूप है।
(द) गुङिया बारीक नाचती है। ✔️
39. निम्नलिखित में से विशेषण है –
(अ) चिकना ✔️ (ब) आम
(स) ममता (द) हरियाली
40. ’यह’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) ऐसा ✔️ (ब) इसका
(स) ये (द) वैसा
41. विशेषण परिमाणवाचक है या संख्यावाचक इसकी पहचान होगी –
(अ) वस्तु गिनने योग्य है या मापने-तौलने योग्य ✔️
(ब) वस्तु की मात्रा के आधार पर
(स) वस्तु के वजन के आधार पर
(द) वस्तु की माप के आधार पर
42. विशेषण-विशेष्य का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) श्रेष्ठ व्यक्ति (ब) सुंदरी लङकी
(स) गोल प्रश्न ✔️ (द) दो किलो घी
43. ’वह पुस्तक अच्छी है’ में ’वह’ शब्द है –
(अ) सर्वनाम
(ब) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(स) निश्चित गुणवाचक विशेषण
(द) निश्चयवाचक सर्वनाम
44. संज्ञा से बने विशेषण का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) दिन-दैनिक (ब) सुख-सुखी
(स) धन-धनिक (द) कंगाल-कंगाली ✔️
45. विशेष्य से पूर्व प्रयुक्त होने वाले विशेषणों को कहते हैं –
(अ) उद्देश्य विशेषण ✔️ (ब) विधेय विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण (द) प्रविशेषण
46. विशेषण की अवस्थाओं को कहा जाता है –
(अ) मूल अवस्था (ब) उत्तरावस्था
(स) उत्तम अवस्था (द) उपर्युक्त तीनों ✔️
47. ’यदि व्यक्ति ईमानदार हो तो उसका सर्वत्र सम्मान होता है।’ वाक्य में ईमानदार शब्द के विशेषण रूप का चुनाव कीजिए –
(अ) उद्देश्य विशेषण
(ब) विधेय-विशेषण
(स) गुणवाचक विधेय विशेषण ✔️
(द) गुणवाचक उद्देश्य विशेषण
48. विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं?
(अ) तीन ✔️ (ब) चार
(स) पाँच (द) छह
49. विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) विकारी विशेषण (ब) अविकारी विशेषण
(स) प्रविशेषण ✔️ (द) क्रिया विशेषण
50. प्रयोग के आधार पर संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) छह (ब) सात ✔️
(स) आठ (द) पाँच
51. निम्नलिखित में से कौन-से अपूर्णांकबोधक संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण हैं?
(अ) एक, दो, तीन, दस, पचास, सौ
(ब) आधा, पाव, तिहाई, डेढ़, पौन ✔️
(स) पहला, दूसरा, पाँचवा, दसवाँ
(द) दुगुना, इकहरा, दसगुना
52. ’गीता सबसे कुरूप है’ वाक्य में विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) प्रथमावस्था (ब) उत्तमावस्था ✔️
(स) उत्तरावस्था (द) मूलावस्था
53. निम्नलिखित में से विशेषण चुनिए।
(अ) भलाई (ब) मिठास
(स) थोङा ✔️ (द) लालच
54. निम्नलिखित में कौन सी अवस्था विशेषण की नहीं है?
(अ) मूलावस्था (ब) उत्तमावस्था
(स) उत्तरावस्था (द) मध्यावस्था ✔️
55. निम्नलिखित वाक्य में ’कुछ’ शब्द विशेषण है, उसका भेद छाँटिए –
कुछ बच्चे कक्षा में शोर मचा रहे थे।
(अ) गुणवाचक विशेषण
(ब) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ✔️
56. ’मुझे थोङा घी चाहिए’ वाक्य में ’थोङा’ शब्द में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) निश्चित परिमाणवाचक
57. ’’बहुत तेज बारिश हो रही थी’’ वाक्य में प्रविशेषण क्या है?
(अ) बहुत ✔️ (ब) तेज
(स) बारिश (द) हो रही
58. ’’यह दृश्य अति सुन्दर है’’ वाक्य में ’अति’ क्या है?
(अ) क्रिया (ब) विशेषण
(स) संज्ञा (द) प्रविशेषण ✔️
59. ’’सब चूहे पकङ में आ गए’’ वाक्य में विशेषण कौनसा है?
(अ) गुणवाचक (ब) परिमाणबोधक
(स) स्थानवाचक (द) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
60. ’’बगीचे में सुंदर फूल खिले हैं’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक
61. ’’वह दसवीं कक्षा में पढ़ता है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) अनिश्चित संख्यावाचसक
(स) गुणवाचक
(द) परिमाणवाचक
62. ’’प्रधानमंत्री का आवास पाँचवें रास्ते पर है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक (ब) क्रमवाचक ✔️
(स) कालवाचक (द) स्थानवाचक
63. विशेष्य से पहले आनेवाले विशेष्य को क्या कहते हैं?
(अ) क्रिया विशेषण (ब) प्रविशेषण
(स) उद्देश्य विशेषण ✔️ (द) विधेय विशेषण
64. ’’कुछ लङकियाँ आ रहीं हैं’’ वाक्य में प्रयुक्त विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) परिणामवाचक
(स) गुणवाचक (द) अनिश्चय संख्यावाचक ✔️
65. किसी व्यक्ति के रूप-गुण आदि को व्यक्त करने वाले विशेषण को क्या कहा जाता है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण
(ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) व्यक्तिवाचक विशेषण
(द) गुणवाचक विशेषण ✔️
66. ’’गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधि है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) सार्वनामिक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) संख्यावाचक
67. संज्ञा-सर्वनाम की विशेषता सर्वनाम से प्रकट करने वाले विशेषण का क्या कहते हैं?
(अ) गुणवाचक (ब) सार्वनामिक ✔️
(स) व्यक्तिवाचक (द) परिमाणवाचक
68. ’’परिश्रमी छात्र सदा सफल होते हैं’’ वाक्य मंें प्रयुक्त विशेषण है –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) सार्वनामिक
69. ’’मै’ शब्द से कौनसा विशेषण बनता है?
(अ) मुझे (ब) मेरा ✔️
(स) मुझमें (द) मुझसे
70. ’’उस घर में कौन रहता है?’’ वाक्य में ’उस’ कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक विशेषण ✔️
71. ’शिक्षा’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) शिक्षक (ब) शिक्षित ✔️
(स) शिक्षिका (द) शिक्षालय
72. निम्न में से गुणवाचक विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) युवा (ब) पचास ✔️
(स) लम्बा (द) काला
73. ’विज्ञान’ शब्द का बना विशेषण क्या है?
(अ) वैज्ञानिक ✔️ (ब) विज्ञानी
(स) विज्ञानशाला (द) विज्ञानीय
74. निम्न में से कालबोधक विशेषण कौन सा है?
(अ) भला (ब) बुरा
(स) पुराना ✔️ (द) गीला
75. ’’वे पुस्तकें तुम्हारी हैं और ये मेरी।’’ इस वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) वे (ब) तुम्हारी
(स) मेरी (द) ये तीनों ✔️
76. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) अच्छा, तुम घर आओ।
(ब) अच्छा है, वह अभी घर आ जाए।
(स) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(द) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
77. ’मुझे’ हरा रंग पसन्द है? वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) गुणवाचक
78. ’पशु’ शब्द का विशेषण क्या है?
(अ) पशुता (ब) पशुपति
(स) पशुत्व (द) पाशविक ✔️
79. ’बुरा लङका’ शब्दों में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक
80. ’’लक्ष्मण एक कुशल कार्यकर्ता है’’ वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) कार्यकर्ता (ब) कुशल ✔️
(स) लक्ष्मण (द) एक
81. ’अर्थ’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) अनर्थ (ब) आर्थिक ✔️
(स) अर्थशास्त्र (द) अर्थवत्ता
82. ’’यही लङका गवैया है, वाक्य में यही कौनसा विशेषण है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(ब) संख्यावाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण
(द) परिमाणवाचक विशेषण
जिस शब्द से किसी काम काकरना या होनासमझा जाए, उसे’क्रिया’(Kriya)कहते है;
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूपलिंग,वचनऔर पुरुष के अनुसार बदलते है। यह हिंदी की अपनी विशेषता है।
रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते है?
रचना की दृष्टिसे क्रिया के सामान्यतःदो भेदहै(Kriya ke Prakar in Hindi)-
’सकर्मक क्रिया’उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथकर्म की संभावनाहो, अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो, पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थातकर्मपर पङे।
उदाहरणार्थ-श्याम आम खाता है। इस वाक्य में’श्याम’ कर्ता है, ’खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से संबंध है।
प्रश्न होता है, क्या खाता है ? उत्तर है,’आम’।
इस तरह ’आम’ का सीधा ’खाने’ से संबंध है। अतः ,’आम’कर्मकारक है। यहाँ श्याम के खाने का फल ’आम’ पर, अर्थात कर्म पर पङता है। इसलिए, ’खाना’ क्रिया सकर्मक है।
कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है; जैसे- वह गाता है, वह पढ़ता है। यहाँ ’गीत’ और ’पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।
जिनक्रियाओंका व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे’अकर्मक क्रिया’कहलाती हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पङकर कर्ता पर पङता है ।
उदाहरण के लिए-श्याम सोता है। इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पङता है। इसलिए, ’सोना’ क्रिया अकर्मक है।
सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान वाक्य में ’क्या’ किसे या ’किसको’ शब्द जोड़कर कर प्रश्न करने से होती है। यदि ऐसा करने से कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।
उदारहणार्थ, मारना, पढ़ना, खाना- इन क्रियाओं में ’क्या’ ’किसे’ लगाकर प्रश्न किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-
(इन सब उदाहरणों में क्रियाएँसकर्मकहै।)
कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं औरप्रसंग अथवा अर्थ के अनुसारइनके भेद का निर्णय किया जाता है।
जैसे-
अकर्मक | सकर्मक |
उसका सिर खुजलाता है। | वह अपना सिर खुजलाता है। |
बूँद-बूँद से घङा भरता है। | मैं घङा भरता हूँ। |
तुम्हारा जी ललचाता है। | ये चीजें तुम्हारा जी ललचाती है। |
जी घबराता है। | विपदा मुझे घबराती है। |
वह लजा रही है। | वह तुम्हें लजा रही है। |
ध्यान देवें –जिन धातुओं का प्रयोग अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है, उन्हेंउभयविध धातुकहते हैं।
क्रिया के अन्य भेद इस प्रकार है-
कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली और दो कर्मवाली होती है। जैसे-राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्म एक ही है- ’रोटी’ । किंतु , ’मैं लङके को वेद पढ़ाता हूँ’, में दो कर्म हैं- ’लङके को’ और ’वेद’।
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं –Sanyukt Kriya kise kahte hai
जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसेसंयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)कहते हैं।जैसे-घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया।इन वाक्यों में ’रो चुका’, ’रोने लगा’ और ’पहुँच गया’संयुक्त क्रियाएँहैं। विधि और आज्ञा को छोङकर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं , किंतु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ’हो’, ’रो’, ’सो’, ’खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ’होना’, ’आना’, ’जाना’, ’रहना’, ’रखना’, ’उठाना’, ’लेना’, ’पाना’,’पङना’, ’डालना’, ’सकना’, ’चुकना’, ’लगना’, ’करना’, ’भेजना’, ’चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती है।
इसके अतिरिक्त, सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
जैसे-
संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है।
जैसे- मैं पढ़ सकता हूँ। इसमें ’सकना’ क्रिया ’पढ़ना’ क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। हिंदी में संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग अधिक होता है।
अर्थ के अनुसार संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भेद हैं
1. आरंभबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से क्रिया के आरंभ होने का बोध होता है, उसे ’आरंभबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह पढ़ने लगा, पानी बरसने लगा, राम खेलने लगा।
2. समाप्तिबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया की पूर्णता, व्यापार की समाप्ति का बोध हो, वह ’समाप्तिबोधक संयुुक्त क्रिया’ है। जैसे- वह खा चुका है, वह पढ़ चुका है। धातु के आगे ’चुकना’ जोङने से समाप्तिबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
3. अवकाशबोधक-जिस क्रिया को निष्पन्न करने के लिए अवकाश का बोध हो, वह ’अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह मुश्किल से सो पाया, जाने न पाया।
4. अनुमतिबोधक-जिससे कार्य करने की अनुमति दिए जाने का बोध हो, वह ’अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- मुझे जाने दो; मुझे बोलने दो। यह क्रिया ’देना’ धातु के योग से बनती है।
5. नित्यताबोधक-जिससे कार्य की नित्यता, उसके बंद न होने का भाव प्रकट हो, वह ’नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- हवा चल रही है; पेङ बढ़ता गया, तोता पढ़ता रहा। मुख्य क्रिया के आगे ’जाना’ या ’रहना’ जोङने से नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है।
6. आवश्यकताबोधक-जिससे कार्य की आवश्यकता या कर्तव्य का बोध हो, वह ’आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- यह काम मुझे करना पङता है; तुम्हें यह काम करना चाहिए। साधारण क्रिया के साथ ’पङना’, ’होना’ या ’चाहिए’ क्रियाओं को जोङने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।
7. निश्चयबोधक –जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया के व्यापार की निश्चयता का बोध हो, उसे ’निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह बीच ही में बोल उठा, उसने कहा – मैं मार बैठूँगा, वह गिर पङा, अब दे ही डालो। इस प्रकार की क्रियाओं में पूर्णता और नित्यता का भाव वर्तमान है।
8. इच्छाबोधक –इससे क्रिया के करने की इच्छा प्रकट होती है। जैसे – वह घर आना चाहता है, मैं खाना चाहता हूँ। क्रिया के साधारण रूप में ’चाहना’ क्रिया जोङने से ’इच्छाबोधक संयुक्त क्रियाएँ’ बनती हैं।
9. अभ्यासबोधक –इससे क्रिया के करने के अभ्यास का बोध होता है। सामान्य भूतकाल की क्रिया में ’करना’ क्रिया लगाने से अभ्यासबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती है। जैसे – यह पढ़ा करता है, तुम लिखा करते हो, मैं खेला करता हूँ।
10. शक्तिबोधक –इससे कार्य करने की शक्ति का बोध होता है। जैसे – मैं चल सकता हूँ, वह बोल सकता है। इसमें ’सकना’ क्रिया जोङी जाती है।
11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया –जब दो समानार्थक अथवा समान ध्वनि वाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें ’पुनरुक्त संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह पढ़ा-लिखा करता है, वह यहाँ प्रायः आया-जाया करता है, पङोसियों से बराबर मिलते-जुलते रहो।
सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती हैं। कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं।
हिंदी में इन क्रियाओं का व्यापक प्रयोग होता है। इसके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है।
जैसे –
इनमें खाना, पढ़ना, जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ है, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है। शेष क्रियाएँ, जैसे- है, था, हुए थे, रहे थे – सहायक क्रियाएँ है। ये मुख्य क्रियाओं के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती है।
संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जोङने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे’नामबोधक क्रिया’कहते हैं।
जैसे –
संज्ञा+क्रिया – भस्म करना, विशेषण+क्रिया – दुखी होना, निराश होना
नामबोधक क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ नहीं हैं। संयुक्त क्रियाएँ दो क्रियाओं के योग से बनती है और नामबोधक क्रियाएँ संज्ञा अथवा विशेषण के मेल से बनती हैं। दोनों में यही अंतर है।
परिभाषा –जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया’पूर्वकालिक’कहलाती है।
उदाहरण– उसने नहाकर भोजन किया।
इसमें ’नहाकर’’पूर्वकालिक’ क्रियाहै, क्योंकि इससे ’नहाने’ की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध होता है।
क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak kriya) क्या होती है ?
जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आए, तब वह’क्रियार्थक संज्ञा’कहलाती है।
उदाहरण– टहलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, देश के लिए मरना कहीं अच्छा है।
जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे’प्रेरणार्थक क्रियाएँ’कहलाती है; जैसे-काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- मोहन मुझसे किताब लिखाता है। इस वाक्य में मोहन (कर्ता) स्वयं किताब न लिखकर ’मुझे’ दूसरे व्यक्ति को लिखने की प्रेरणा देता है।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप हैं
जैसे- ’गिरना’ से ’गिराना’ और ’गिरवाना’।
दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में है। याद रखें, अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है
जैसे-
प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती है। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती है।
जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैने उससे किताब लिखवाई। पहले में कर्ता अन्य को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है।
इस प्रकार हिंदी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते है। प्रथम में ’ना’ का और द्वितीय में ’वाना’ का प्रयोग होता है-हँसना- हँसवाना।
मूल | द्वितीय | तृतीय (प्रेरणा) |
उठना | उठाना | उठवाना |
उङना | उङाना | उङवाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
जीना | जिलाना | जिलवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
जगना | जगाना | जगवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से जो क्रिया बनती है, उसे’यौगिक क्रिया’कहा जाता है। जैसे- चलना-चलाना, हँसना-हँसाना, चलना-चल देना।
नामधातु (Nam Dhatu Kriya)-जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे’नामधातु’क्रियाकहते हैं।
संज्ञा से –
विशेषण से –
अनुकरणात्मक क्रियाएँ –किसी वास्तविक या कल्पित ध्वनि के अनुकरण में हम क्रियाएं बना लेते हैं, जैसे – खटपट से खटखटाना, भनभन से भनभनाना, थरथर से थरथराना, सनसन से सनसनाना, थपथप से थपथपान, इत्यादि।
रंजक क्रियाएँ –रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेष रंगत लाती है, अर्थात् विशिष्ट अर्थ छवि देती है। ये आठ हैं-
1. आना | रो आना, कर आना, बन आना | अनायापता का भाव |
2. जाना | पी जाना, आ जाना, खा जाना | क्रिया पूर्णता का भाव |
3. उठना | रो उठना, गा उठना, चिल्ला उठना | आकस्मिकता का भाव |
4. बैठना | मार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठना | आकस्मिकता का भाव |
5. लेना | पी लेना, सो लेना, ले लेना | क्रियापूर्णता/विवशता |
6. देना | चल देना, रो देना, फेंक देना | क्रियापूर्णता/विवशता |
7. पङना | रो पङना, हँस पङना, चैंक पङना | स्वतः/शीघ्रता का भाव |
8. डालना | मार डालना, तोङ डालना, काट डालना | बलात् भाव |
क्रिया का मूल’धातु’है।’धातु’क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें’धातु’कहते है।
उदाहरणार्थ,’पढ़ना’क्रिया को लें। इसमें’ना’प्रत्यय है, जो मूल धातु’पढ़’में लगा है। इस प्रकार ’पढ़ना’ क्रिया की धातु’पढ़’है। इसी प्रकार, ’खाना’ क्रिया ’खा’ धातु में ’ना’ प्रत्यय लगाने से बनी है।
हिंदी में क्रिया का सामान्य रूप मूलधातु में ’ना’ जोङकर बनाया जाता है जैसे- चल+ना = चलना, देख+ना = देखना।
इन सामान्य रूपों में ’ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है। धातु की यह एक बड़ी पहचान है। हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावासंज्ञाऔरविशेषणसे भी बनती है
जैसे- काम+आना = कमाना, चिकना+आना= चिकनाना, दुहरा+ आना = दुहराना।
व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निर्माण की दृष्टि से धातु दो प्रकार की होती है-
1. मूल धातु
2. यौगिक धातु।
मूल धातु स्वतंत्र होती है। यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती; जैसे- खा, देख, पी इत्यादि।
जबकि यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है
जैसे- ’खाना’ से खिला, ’पढ़ना’ से पढ़ा। इस प्रकार धातुएँ अनंत हैं-कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती है।
यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-
(1) धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है
(2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है
(3) संज्ञा या विशेषण से नामधातु बनती है।
1. निम्न में से विकारी शब्द है –
(अ) क्रिया ® (ब) क्रिया विशेषण
(स) निपात (द) समुच्चय बोधक शब्द
2. निम्न में से अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है –
(अ) बनाना (ब) तैरना ®
(स) धोना (द) लेना
3. उसने रामू की पिटाई कर दी। इस वाक्य में क्रिया का कौनसा रूप है-
(अ) अकर्मक (ब) संयुक्त ®
(स) प्रेरणार्थक (द) पूर्वकालिक
4. मुझे उससे अपने मकान का नक्शा बनवाना हैै। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का कौनसा रूप है-
(अ) स्थित्यर्थक (ब) गत्यर्थक
(स) अपूर्ण अकर्मक ® (द) इनमें से कोई नही
5. निम्न में से किस वाक्य में क्रिया सकर्मक रूप में है-
(अ) वह नहाकर आया। (ब) मछली तैरती है।
(स) वह खाना खाता है। ® (द) वे डूब गए।
6. निम्न में से किस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है-
(अ) वह मार खाकर चुपचाप चला गया।
(ब) संसद ने खाद्य सुरक्षा कानून पर चर्चा की।(स) प्रधानमंत्री ने चौधरी अजित सिंह को मंत्री बनाया। ®
(द) सवेरा हो गया।
7. क्रिया वाक्य रचना में किस कथन में शामिल रहती है-
(अ) उद्देश्य कथन (ब) विधेय कथन ®
(स) किसी से भी (द) किसी में नहीं
8. ’’द्विकर्मक क्रिया में…………….रिक्त स्थान भरिए-
(अ) प्रथम कर्म अप्राणीवाचक होता है और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होता है।
(ब)प्रथम (गौण) कर्म प्राणीवाचक होता है और द्वितीय (मुख्य) कर्म अप्राणीवाचक होता है। ®
(स) प्रथम व द्वितीय कर्म अप्राणीवाचक होते है।
(द) प्रथम और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होते हैं।
10. ’’रमेश कल दिल्ली जाएगा’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) संज्ञा (ब) क्रिया विशेषण ®
(स) संज्ञा विशेषण (द) कर्म
11. नाम धातु नहीं बनती है-
(अ) संज्ञा से (ब) सर्वनाम से
(स) विशेषण से (द) क्रिया से ®
12. अकर्मक क्रिया है-
(अ) खाना (ब) उठना ®
(स) पीना (द) लिखना
13. ’’चिङिया आकाश में उङ रही है।’’ इस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) समापिका (द) असमापिका
14. द्विकर्मक क्रिया में कौनसा कर्म प्रधान होता है-
(अ) प्राणीवाचक (ब) पदार्थवाचक ®
(स) दोनों (द) कोई भी
15. उसने अपनी जेब टटोली, पैसे निकाले और टिकट लेकर बस में बैठ गया। इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया है-
(अ) टटोलना (ब) निकालना
(स) लेना ® (द) बैठना
16. मैं अभी सोकर उठा हूँ। इस वाक्य में सोकर है-
(अ) सकर्मक क्रिया (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) पूर्वकालिक क्रिया ® (द) नाम-धातु क्रिया
16. रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं?
(अ) 2®(ब) 3
(स) 4 (द) 5
17. निम्नलिखित क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया अनुकरणात्मक नहीं है?
(अ) फङफङाना (ब) मिमियाना
(स) झुठलाना ® (द) हिनहिनाना
18. काम का होना बताने वाले शब्द को क्या कहते हैं?
(अ) संज्ञा (ब) सर्वनाम
(स) क्रिया ® (द) क्रिया-विशेषण
19. ’वह जाता है’ वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) प्ररेणार्थक (द) द्विकर्मक
20. ’राम पुस्तक पढता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक ®
(स) द्विकर्मक (द) प्रेरणार्थक
21.प्ररेणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह खाता है (ब) मोहन घर गया
(स) गाय चरती है (द) अध्यापक छात्र से पाठ पढवाता है ®
22. ’सदा जागते रहना’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक
(स) संयुक्त क्रिया ® (द) प्ररेणार्थक
23. ’मनोरमा बहुत बतियाती है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) सकर्मक क्रिया (द) अकर्मक क्रिया
24. पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) का उदाहरण है-
(अ) वह खाना खाकर सो गया ® (ब) मैंने लेख लिखवाया
(स) दीपक पाठ पढता है (द) दीपा घर गई
25. ’अध्यापक ने छात्र से चाॅक मँगवाई’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) प्ररेणार्थक क्रिया ® (ब) अकर्मक
(स) द्विकर्मक (द) सकर्मक
26. रात में तारों का टिमटिमाना अच्छा लगता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) प्ररेणार्थक
(स) सकर्मक (द) पूर्वकालिक
27. सोनू गया और सोनू घर गया दोनों वाक्यों में क्रिया के प्रकार का युग्म है-
(अ) प्ररेणार्थक और सकर्मक (ब) अकर्मक और सकर्मक ®
(स) पूर्पकालिक और तात्कालिक (द) अकर्मक और द्विकर्मक
28. मोहन खाती से पेङ कटवाता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक ® (द) सकर्मक
29. वह गीत सुनता है-वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) सकर्मक ® (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक (द) अकर्मक
30. तूने मुझे पुस्तक दी और तूने पुस्तक दी वाक्यों में क्रियाओं का युग्म है-
(अ) द्विकर्मक और सकर्मक ® (ब) सकर्मक और प्रेरणार्थक
(स) प्रेरणार्थक और अकर्मक (द) अकर्मक और सकर्मक
31. प्रेरणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह सो गया (ब) अध्यापक ने पाठ पढाया
(स) परिश्रमी आगे बढा करते हैं ® (द) सरस्वती बहुत शर्मीली है
32. ’भोजन करते ही वह सो गया’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) पूर्वकालिक क्रिया (ब) तात्कालिक क्रिया ®
(स) अकर्मक (द) सकर्मक
33. ’बेटा पाठ पढकर खेलो’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक क्रिया (ब) सकर्मक क्रिया
(स) द्विकर्मक क्रिया (द) पूर्वकालिक क्रिया ®
34. नाम धातु क्रिया (Nam Dhatu Kriya)’ का वाक्य है-
(अ) गीता गीत गाती है (ब) अनुसूइया बहुत शर्माती है ®
(स) वह गया (द) उसने पानी पिया
35. मालिक नौकर से गड्ढ़ा खुदवाता है, वाक्य में क्रिया है-
(अ) संयुक्त क्रिया का (ब) प्रेरणार्थक क्रिया का ®
(स) अकर्मक क्रिया का (द) सकर्मक क्रिया का
36. संयुक्त क्रिया युक्त वाक्य है-
(अ) राम पाठ पढकर सो गया ® (ब) सोनू खेलता है
(स) छात्र पुस्तक पढता है (द) वह गीत गाती है
37. अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है-
(अ) महरी पानी भरती है (ब) सीता गाती है ®
(स) राम ने सीता को पुष्प दिए (द) यशोदा मोहन को सुलाती है
38. ’सुरेश सोता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) द्विकर्मक (ब) सकर्मक
(स) अकर्मक ® (द) पूर्वकालिक
39. किस वाक्य में क्रिया वर्तमान काल में है-
(अ) उसने फल खा लिए थे। (ब) मैं तुम्हारा पत्र पढ रहा हूँ। ®
(स) अचानक बिजली कौंध उठी। (द) कल वे आने वाले थे।
40. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा ऐसा वाक्य है, जिसकी क्रिया, कर्ता के लिंग के अनुसार ठीक नहीं है
(अ) राम आता है। (ब) घोङा दौङता है।
(स) हाथी सोती है। ® (द) लङकी जाती है।
⇒ अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है –जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसेअव्यय(Avyay)शब्द कहते हैं।अव्यय शब्दहर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों कोअविकारी शब्दभी कहा जाता है।
जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।
जिन शब्दों सेक्रियाकी विशेषता का पता चलता है उसेक्रिया -विशेषण(Kriya visheshan)कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ परक्रियाविशेषण अव्ययहोता है।
1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचकक्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण
आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है।
(ii) वे कब गए।
(iii) सीता कल जाएगी।
(iv) वह प्रतिदिन पढ़ता है।
(v) दिन भर वर्षा होती है।
(vi) कृष्ण कल जायेगा।
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने के स्थान का पता चले उन्हेंस्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
(iii) सुनील नीचे बैठा है।
(iv) इधर -उधर मत देखो।
(v) वह आगे चला गया।
(vi) उधर मत जाओ।
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसेपरिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।
जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।
जिनअव्ययशब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हेंरीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण
ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पररीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।
जैसे :-
जिन अव्यय शब्दों के कारणसंज्ञाके बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों कोसंबंधबोधक शब्दकहते हैं। येशब्दसंज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।
जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ परसंबंधबोधक अव्ययहोता है।
प्रयोग की पुष्टि सेसंबंधबोधक अव्यय के भेद :-
जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा यासर्वनामके बाद लगते हैं उन्हेंसविभक्तिककहते हैं। जहाँ पर आगे , पीछे , समीप , दूर , ओर , पहले आते हैं वहाँ पर सविभक्तिक होता है।
जैसे :- (i) घर के आगे स्कूल है।
(ii) उत्तर की ओर पर्वत हैं।
(iii) लक्ष्मण ने पहले किसी से युद्ध नहीं किया था।
जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं उन्हेंनिर्विभक्तिककहते हैं। जहाँ पर भर , तक , समेत , पर्यन्त आते हैं वहाँ पर निर्विभक्तिक होता है।
जैसे :- (i) वह रात तक लौट आया।
(ii) वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा।
(iii) वह बाल बच्चों समेत यहाँ आया।
जो अव्यय शब्दविभक्तिरहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं उन्हेंउभय विभक्तिकहते हैं। जहाँ पर द्वारा , रहित , बिना , अनुसार आते हैं वहाँ पर उभय विभक्ति होता है।
जैसे :- (i) पत्रों के द्वारा संदेश भेजे जाते हैं।
(ii) रीति के अनुसार काम होना है।
जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हेंसमुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं। इन्हेंयोजकभी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।
जैसे :
और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ परसमुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जिन शब्दों से समान अधिकार के अंशों के जुड़ने का पता चलता है उन्हेंसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं।
जहाँ पर किन्तु , और , या , अथवा , तथा , परन्तु , व , लेकिन , इसलिए , अत: , एवं आते है वहाँ परसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जैसे :- (i) कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ते हैं।
(ii) मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे साथी सभी साथ थे।
जिन अव्यय शब्दों में एक शब्द को मुख्य माना जाता है और एक को गौण। गौण वाक्य मुख्य वाक्य को एक या अधिक उपवाक्यों को जोड़ने का काम करता है। जहाँ पर चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि , जिससे कि , ताकि , यदि , तो , यानि आते हैं वहाँ परव्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।
जैसे :- (i) मोहन बीमार है इसलिए वह आज नहीं आएगा।
(ii) यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ।
(iii) मैंने दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं।
जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हेंविस्मयादिबोधक अव्यय(Vismayadi bodhak avyay)कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।
भाव के आधारपरविस्मयादिबोधक अव्यय के भेद:-
(1) हर्षबोधक :-जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ परहर्षबोधकहोता है।
(2) शोकबोधक :-जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ परशोकबोधकआता है।
(3) विस्मयादिबोधक :-जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ परविस्मयादिबोधकहोता है।
(4) तिरस्कारबोधक :-जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ परतिरस्कारबोधकहोता है।
(5) स्वीकृतिबोधक :-जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ परस्वीकृतिबोधकहोता है।
(6) संबोधनबोधक :-जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ परसंबोधनबोधकहोता है।
(7) आशीर्वादबोधक :-जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ परआशिर्वादबोधकहोता है।
जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। इसेअवधारक शब्दभी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ परनिपात अव्ययहोता है।
जब अव्यय शब्दों का प्रयोगसंज्ञायासर्वनामके साथ किया जाता है तब येसंबंधबोधकहोते हैं और जब अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब येक्रिया -विशेषणहोते हैं।
जैसे :- (i) बाहर जाओ।
(ii) घर से बाहर जाओ।
(iii) उनके सामने बैठो।
(iv) मोहन भीतर है।
(v) घर के भीतर सुरेश है।
(vi) बाहर चले जाओ।
1. ’वह चुपके से चला’ पंक्ति में ’चुपके से’ है?
(अ) रीतिवाचक अव्यय (ब) दिशावाचक अव्यय
(स) स्थानवाचक अव्यय (द) परिमाणवाचक अव्यय
सही उत्तर-(अ)
2. किस वाक्य में क्रियाविशेषण का प्रयोग हुआ है?
(अ) उस पेङ पर पक्षी बैठा है।
(ब) सङक पर धीरे-धीरे चलना चाहिए।
(स) गिरधारी पुस्तक पढ़ता है।
(द) इधर कोई व्यक्ति नहीं है।
सही उत्तर-(ब)
3. व्याकरणिक कोटियों से अप्रभावित रहता है?
(अ) अव्यय (ब) संज्ञा
(स) सर्वनाम (द) क्रिया
सही उत्तर-(अ)
4. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है-
(अ) कपिल अच्छा खेलता है।
(ब) अच्छा कपिल खेलता है।
(स) खेलता है कपिल अच्छा
(द) उपर्युक्त सभी
सही उत्तर-(अ)
5. इन शब्दों में अव्यय शब्द है-
(अ) परन्तु (ब) दुधारू
(स) पंजाबी (द) चल
सही उत्तर-(अ)
6. अव्यय में रूपान्तरण नहीं होता-
(अ) लिंग का (ब) वचन का
(स) कारक का (द) उपर्युक्त सभी का
सही उत्तर-(द)
7. एक पद, वाक्यांश या उपवाक्य का सम्बन्ध दूसरे पद, वाक्यांश या उपवाक्य से जोङने वाले अव्यय को कहते हैं?
(अ) समुच्चयबोधक अव्यय
(ब) विस्मयादिबोधक अव्यय
(स) क्रिया विशेषण
(द) अप्रकट अव्यय
सही उत्तर-(अ)
8. ’जो अव्ययक्रियाकी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कहते हैं-
(अ) सम्बन्धबोधक (ब) समुच्चयबोधक
(स) भावादिबोधक (द) क्रियाविशेषण
सही उत्तर-(द)
9. ’हमें सफलता मिलने तक प्रयास करना चाहिए’ इस वाक्य में ’तक’ है?
(अ) समुच्चबोधक अव्यय
(ब) क्रिया विशेषण
(स) सम्बन्ध बोधक अव्यय
(द) विस्मयादिबोधक अव्यय
सही उत्तर-(स)
10. ’अनिल कल आएगा।’ वाक्य में क्रियाविशेषणका रूप है-
(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) रीतिवाचक (द) परिमाणवाचक
सही उत्तर-(ब)
11. ’वहाँ मोहन के…………….कोई नहीं था’ वाक्य में रिक्त स्थान पर प्रयुक्त होगा?
(अ) या (ब) और
(स) अलावा (द) अथवा
सही उत्तर-(स)
12. स्थानवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-
(अ) नमन नीचे खङा है।
(ब) महावीर आज आएगा।
(स) मैं अचानक आ गया हूँ।
(द) कोई गा रहा है।
सही उत्तर-(अ)
13. ’……………बोलो, कोई सुन लेगा’ वाक्य में रिक्त स्थान पर आएगा?
(अ) जो से (ब) गाकर
(स) चीखकर (द) धीरे
सही उत्तर-(द)
14. रीतिवाचक क्रियाविशेषण शब्द नहीं है-
(अ) अचानक (ब) अवश्य
(स) सचमुच (द) किंचित्
सही उत्तर-(द)
15. निम्नलिखित में कौन अविकारी है?
(अ) अव्यय (ब) क्रिया विशेषण
(स) विशेषण (द) अ व ब दोनों
सही उत्तर-(द)
16. ’उसने खूब मेहनत की है।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-
(अ) स्वीकारवाचक (ब) परिमाणवाचक
(स) रीतिवाचक (द) निषेधवाचक
सही उत्तर-(ब)
17. ’कछुआ धीरे-धीरे चलता है’ इस वाक्य में क्रिया विशेषण छाँटे?
(अ) धीरे-धीरे (ब) कछुआ
(स) चलता (द) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर-(अ)
18. ’स्वीकारवाचक क्रियाविशेषण’ का सही प्रयोग हुआ है-
(अ) वह निस्संदेह आएगा।
(ब) वह शायद ही आएगा।
(स) वह नहीं आएगा।
(द) वह नहीं आ सकता है।
सही उत्तर-(अ)
19. ’उसने आँख फाङकर देखा।’ इस वाक्य में ’फाङकर’ निम्नांकित में से क्या है?
(अ) विशेषण (ब) क्रिया विशेषण
(स) पूर्वकालिक क्रिया (द) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर-(ब)
20. ’आग के निकट मत जाओ।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-
(अ) परिमाणवाचक (ब) रीतिवाचक
(स) निषेधवाचक (द) स्वीकारवाचक
सही उत्तर-(स)
21. इनमें से किसमें एक क्रिया-विशेषण है?
(अ) वह धीरे चलता है (ब) वह कहता कुत्ता है
(स) रमेश तेज धावक है (द) सत्यावाणी सुन्दर होती है
सही उत्तर-(अ)
22. ’मेरी पुस्तक आकांक्षा के पास है।’ वाक्य में अव्यय है-
(अ) क्रियाविशेषण (ब) सम्बन्धबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(ब)
23. ’निश्चित’ शब्द क्रिया विशेषण के किस भेद के अन्तर्गत आता है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) प्रश्नवाचक
(स) हेतु बोधक (द) रीतिवाचक
सही उत्तर-(द)
24. संबंधबोधक अव्यय है-
(अ) सामने (ब) अरे!
(स) मत (द) धीरे-धीरे!
सही उत्तर-(अ)
25. ’ध्यानपूर्वक’ शब्द है?
(अ) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
(ब) कालवाचक क्रिया विशेषण
(स) स्थानवाचक क्रिया विशेषण
(द) रीतिवाचक क्रिया विशेषण
सही उत्तर-(द)
26. ’राम और लक्ष्मण भाई थे।’ वाक्य में अव्यय का रूप है-
(अ) संबंधबोधक (ब) विस्मयादिबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) क्रियाविशेषण
सही उत्तर-(स)
27. राम घर गया और श्याम बाजार गया। इस वाक्य में रेखांकित शब्द है?
(अ) विकल्प सूचक (ब) परिणाम दृर्शक
(स) संयोजक (द) कारणबोधक
सही उत्तर-(स)
28. समुच्चयबोधक सूचक अव्यय है-
(अ) किन्तु, परन्तु, तथा (ब) न, नहीं
(स) आगे, पीछे, मध्य (द) हे, ओ अरे!
सही उत्तर-(अ)
29. ’तिरस्कार सूचक’ अव्यय है?
(अ) आह! (ब) अरे!
(स) छिः! (द) उफ!
सही उत्तर-(स)
30. संबंधबोधक अव्यय का उदाहरण है-
(अ) अरे! यह क्या हो गया।
(ब) मेरा मकान पेङ के सामने हैं।
(स) सीता तथा रीता सगी बहने हैं।
(द) क्रिकेट मत खेलो।
सही उत्तर-(ब)
31. किस वाक्य में निपात का प्रयोग नहीं हुआ है?
(अ) बात अपने तक ही रखना
(ब) शीला तो बीमार है
(स) तुम भी चले जाओ
(द) मैं कल जयपुर गया था
सही उत्तर-(द)
32. विस्मयादिबोधक अव्यय है-
(अ) वाह (ब) परन्तु
(स) निकट (द) तेज
सही उत्तर-(अ)
33. विस्मय के भाव के लिए विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द है?
(अ) आह (ब) अरे
(स) उफ (द) हाय
सही उत्तर-(ब)
34. जिन अव्यय शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति होती है, वह है-
(अ) संबंधबोधक (ब) क्रियाविशेषण
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(द)
35. ’छिः धिक्कार है तुम्हे! इस वाक्य में ’छि’ है?
(अ) संबोधन (ब) संज्ञा
(स) अव्यय (द) क्रिया
सही उत्तर-(स)
36. रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-
(अ) उदयपुर लगभग 100 कि.मी. दूर है।
(ब) वह परसों आ जाएगा।
(स) हम सचमुच बच गए।
(द) मैं अवश्य जाऊँगा
सही उत्तर-(स)
37. निम्न में से अव्यय शब्द नहीं है-
(अ) अचानक (ब) प्रतिदिन
(स) चलना (द) जी हाँ।
सही उत्तर-(स)
38. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय है-
(अ) थोङा (ब) मानो
(स) अवश्य (द) हे!
सही उत्तर-(अ)
39. ’इधर आओ।’ वाक्य में अव्यय-रूप है-
(अ) क्रियाविशेषण (ब) संबंधबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक
सही उत्तर-(अ)
40. क्रिया के होने का समय-बोध किस क्रिया विशेषण में होता है?
(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) परिमाणवाचक (द) निषेधवाचक
सही उत्तर-(ब)
41. क्रियाविशेषण का उदाहरण नहीं है-
(अ) अनिल आज आएगा।
(ब) घोङा तेज दौङ रहा है।
(स) हम अवश्य आएँगे।
(द) सुख और दुःख शाश्वत है।
सही उत्तर-(द)
42. ’घोङा तेज दौङता है।’ वाक्य में अव्यय है-
(अ) घोङा (ब) तेज
(स) दौङता (द) है।
सही उत्तर-(ब)
43. अव्यय शब्द है-
(अ) विकारी (ब) अविकारी
(स) पदबंध (द) वाक्यांश
सही उत्तर-(ब)
’पर्याय’शब्द का अर्थ है-’समान’तथा’वाची’का अर्थ है- ’बोले जाने वाले’ अर्थात् जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, उन्हें हम’पर्यायवाची शब्द’(Paryayvachi shabd)कहते है।
पर्यायवाची शब्द अपने समान अर्थ के कारण दूसरे शब्द का स्थान ग्रहण कर लेते है अर्थात् एक समान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd) कहते है। हिन्दी ऐसी भाषा है कि जिसमें एक शब्द के अनेक समानार्थी शब्द होते है जो भिन्न अंचल विशेषों में प्रचलित होते है। यही कारण है कि अर्थ की लगभग समानता को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक समूह में डाल दिया जाता है जिन्हें समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द (Synonyms in Hindi) कह दिया जाता है।
पर्याय का अर्थ है-समकक्ष या समान अतःपर्यायवाची शब्दका आशय है समान अर्थ वाला शब्द। पर्यायवाची शब्द का यह तात्पर्य नहीं है कि वह पूर्णतः समान अर्थ वाला हो, कभी-कभी रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने के कारण वाक्य में प्रयोग करते समय एक ही पर्यायवाची शब्द युग्म के अलग-अलग अर्थ भी हो जाते है।
उदाहरण के लिए स्वर्ग शब्द को लें। स्वर्ग का एक पर्यायवाची ’नाक’ है। किन्तु वाक्य प्रयोग के कारण स्वर्ग के पर्यायवाची नाक के अर्थ में परिवर्तन के कारण समानता भंग हो जाती है।
“एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले ,अर्थ में समानता हो उन्हेंपर्यायवाचीशब्द ((paryayvachi shabd)ही कहते है”जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है,उन्हेंसमानार्थक, समानार्थी या पर्यायवाची शब्दकहते हैं .जैसे :आँख– लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि |
तोआँखके पर्यायवाचीलोचन ,नयन ,नेत्र ,चक्षु हुए ,जिनका सबका एक ही अर्थ होता है
ऊधम का पर्यायवाची–उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.
औरत का पर्यायवाची–स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.
paryayvachi shabd
न से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
फसे शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
भ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : (paryayvachi shabd in hindi)
य से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
ष से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :
Ped –Taru, Drum,Vitap, Vriksh, Paadap, Ruksh, gaach, darkhat, shaakhi
पेड़ –वृक्ष, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम
1. ’कमल’ का पर्यायवाची शब्द बताइये ?
(अ) अरविन्द ✔️ (ब) मदन
(स) मयंक (द) अचल
2. निम्न में से कौन सा विकल्प- ’किरण’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
(अ) अंशु (ब) प्रकाश
(स) रश्मि (द) मयूर ✔️
3.”Allotment”का पारिभाषिक शब्द है:
(अ) देना (ब) आबंटन ✔️
(स) पाना (द) हिस्सा
4. निम्न में ’स्वर्ण’ का ’अपर्यायवाची’ इंगित करें-
(अ) कंचन (ब) कनक
(स) हेम (द) किंकिन ✔️
5. ’केदार’ निम्न में किसका पर्यायवाची है ?
(अ) ब्रह्मा (ब) विष्णु
(स) महेश ✔️ (द) इन्द्र
6. निम्न में ’मेघ’ का पर्यायवाची इंगित करे ?
(अ) जलज (ब) कोकनद
(स) पयोद ✔️ (द) उपर्युक्त सभी
7. निम्न में कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय है ?
(अ) नीरद (ब) कोकनद
(स) नीलनद (द) प्रमद
8. निम्न में से कौन-सा नाम ’कृष्ण’ का पर्याय नहींहै ?
(अ) जगन्नाथ (ब) केशव
(स) केटव ✔️ (द) माधव
9. निम्न में से कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय नहीं है ?
(अ) सरसिज (ब) अम्बुज
(स) पंकज (द) वारिद ✔️
10. निरंकुशता किसका पर्यायवाची है ?
(अ) स्वेच्छाचारिता ✔️ (ब) स्वतंत्रता
(स) आत्मनिर्भरता (द) वीरता
निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः
11. दामिनी
(अ) नवनीत (ब) चमक
(स) आत्मनिर्भर (द) बिजली ✔️
12. अरि
(अ) मित्र (ब) शत्रु ✔️
(स) अभद्र (द) कठोर
13. स्तन्य
(अ) खीर (ब) पेय
(स) कौंध (द) दूध ✔️
14. दर्प
(अ) तिरस्कार (ब) अहंकार ✔️
(स) स्वाभिमान (द) गर्व
15. ’घनश्याम’ का अर्थ है काला बादल, इसका दूसरा अर्थ है ?
(अ) विष्णु (ब) घने बादल
(स) कृष्ण ✔️ (द) घने बाल
16. ’अनिल’ का पर्याय है:
(अ) अनल (ब) पवन ✔️
(स) पावस (द) चक्रवात
17. ’मृगेन्द्र’ का पर्याय हैः
(अ) कुरंग (ब) अहि
(स) कुंजर (द) शार्दूल ✔️
18. ’प्रसून’ पर्यायवाची है:
(अ) वृक्ष का (ब) पुष्प का ✔️
(स) चन्द्रमा का (द) इनमें से कोई नहीं
19. निम्नलिखित में ’कबतूर’ का पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) पारावात ✔️ (ब) हारिल
(स) कोर (द) कुक्कुट
20. वर्तनी की शुद्धता को ध्यान रखते हुए ’आग’ शब्द के लिए प्रयुक्त शुद्ध हिन्दी शब्द कौन-सा है ?
(अ) अनिल (ब) अनल ✔️
(स) आनल (द) आनिल
21. रात्रि का पर्याय नहीं है:
(अ) यामिनी (ब) रजनी
(स) सजनी ✔️ (द) निशा
22. फूल का पर्याय नहीं है:
(अ) सुमन (ब) कुसुम
(स) पुष्प (द) तनुजा ✔️
23. सही पर्यायवाची शब्द चुनिए:
(अ) इन्दिरा ✔️ (ब) कामाक्षी
(स) दामिनी (द) कामिनी
24. ’केसरी’ शब्द के पर्यायवाची शब्द का चयन कीजिएः
(अ) सुन्दर (ब) हाथी
(स) सिंह (द) पक्षी
25. ’तुरंग’ का पर्यायवाची शब्द चुनिएः
(अ) गदहा (ब) घोङा ✔️
(स) सर्प (द) सिंह
26. ’सेना’ का पर्यायवाची है:
(अ) अनीक ✔️ (ब) सैनिक
(स) अरि (द) अतनु
27. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’होंठ’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
(अ) ओष्ठ (ब) रद-पट
(स) अष्ट ✔️ (द) अधर
28. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’अनुचर’ शब्द का पर्यायवाची नही है ?
(अ) भृत्य (ब) चाकर
(स) सेवक (द) निर्झर ✔️
29. ’वीणापाणि’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) रंभा (ब) सरस्वती ✔️
(स) लक्ष्मी (द) कमल
30. ’कंचन’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) हीरा (ब) कनक ✔️
(स) ताँबा (द) चाँदी
31. ’निशाचर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) नभचर (ब) रात्रिचर ✔️
(स) चंद्रमा (द) निरहंकार
32. ’कामदेव’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) केशव (ब) अनंग ✔️
(स) कौमुदी (द) भवानी
33. निम्नांकित में कौन-सा शब्द ’पृथ्वी’ का पर्यायवाची है ?
(अ) दामिनी (ब) मेदिनी ✔️
(स) यामिनी (द) तटिनी
34. निम्नांकित शब्दा में ’अग्नि’ शब्द का पर्यायवाची कौन-सा है ?
(अ) हुताशन (ब) पावक
(स) अनल (द) अनिल ✔️
35. ’सर’, जो कि सरोवर का पर्यायवाची है, यदि ’सर’ के प्रथम वर्ण ’स’ के स्थान पर ’श’ का प्रयोग किया जाए तो उसका क्या अर्थ होगा ?
(अ) सरोवण (ब) सत्त्व
(स) वाण ✔️ (द) शाखा
36. निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ’हवा’ का पर्यायवाची नहीं है ?
(अ) समीर (ब) अनिल
(स) अनल ✔️ (द) पवन
37. नीचे दिए गए विकल्पों में से ’नग’ शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द चुनिए।
(अ) पवर्त ✔️ (ब) तरी
(स) किंकर (द) स्तर
38. किस वर्ग में सभी शब्द अनेकार्थक है ?
(अ) अंक, मधु, वीचि
(ब) वर्ण, पद, करका
(स) अर्थ, हस्त, यूथप
(द) इनमें से कोई नहीं ✔️
निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः
39. चन्द्रमा
(अ) दिवाकर (ब) निशि
(स) मार्तण्ड (द) शशि ✔️
40. शतदल
(अ) समूह (ब) सेना
(स) दस्यु (द) सरसिज ✔️
41. अंजन
(अ) गुलाब (ब) पद्य
(स) ब्रह्मा (द) काजल ✔️
42. मृगांक
(अ) लोचन (ब) मृग
(स) सुधाकर ✔️ (द) कलोल
43. हरिण
(अ) विहग (ब) खग
(स) हंस (द) मृग ✔️
44. वायु
(अ) अनल (ब) अनिल ✔️
(स) अलिन्द (द) अलिनी
45. सेना
(अ) अनीक✔️ (ब) सैनिक
(स) अरि (द) अतनु
46. विनायक
(अ) सुर (ब) शत्रु
(स) पुत्र (द) गणेश ✔️
47. मछली
(अ) जलचर✔️ (ब) जलज
(स) मेष (द) पंकज
48. पृथ्वी
(अ) रत्नगर्भा ✔️ (ब) हिरण्यगर्भा
(स) वसुमती (द) स्वर्णमयी
49. धाता
(अ) विष्णु ✔️ (ब) धाय
(स) पक्ष (द) हार
50. रात्रि
(अ) क्षपा (ब) तमीचर
(स) अम्मा (द) विभावरी ✔️
51. तरणि
(अ) सूर्य (ब) नाव ✔️
(स) युवती (द) नदी
52. अम्ब
(अ) देवी (ब) जल
(स) माता ✔️ (द) द्वार
53. स्तन्य
(अ) खीर (ब) पेय
(स) कौंध (द) दूध ✔️
54. पावक
(अ) अंगरा (ब) हुताशन ✔️
(स) लपट (द) ज्वाला
55. धरती
(अ) चंचला (ब) विपुल ✔️
(स) सरसी (द) अचला
56. इन्द्र
(अ) राजीव (ब) कन्दर्प
(स) वक्र ✔️ (द) वल्लभ
57. अनन्त
(अ) निस्सीम✔️ (ब) भगवान
(स) शेषनाग (द) बन्धन
58. सारंग
(अ) नमक (ब) सारथी
(स) मोर ✔️ (द) घोङा
59. अतनु
(अ) ईश्वर (ब) कृष्ण
(स) कामदेव ✔️ (द) बसंत
60. घर
(अ) विहार (ब) इला
(स) निकेतन ✔️ (द) नग
निर्देशः निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में पर्यायवाची स्वरूप के आधार के चार/पाँच शब्द दिए गए है। इनमें से एक शब्द पर्याय नहीं है। उसको चिह्निन करें।
61. दाँत
(अ) दाङिम ✔️ (ब) दन्त
(स) दशन (द) रदन
62. चाँदी
(अ) रजत (ब) रूप्य
(स) जातम (द) हेम
63. सेना
(अ) अनि (ब) कटक
(स) चमू (द) हाटक ✔️
64. कुबेर
(अ) किन्नरेश (ब) कोविद ✔️
(स) धनाधिप (द) राजराज
65. कलाधर
(अ) सुधांशु (ब) कलाकार ✔️
(स) चन्द्रमा (द) निशापति
66. हाथी
(अ) द्विप (ब) द्विरद
(स) तरणि ✔️ (द) सिंधुर
67. कमल
(अ) नलिन (ब) रसाल ✔️
(स) उत्पल्ल (द) राजीव
68. ’असंदिग्ध’ शब्द के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पर्यायवाची शब्द कौन सा है ?
(अ) असंदेहास्पद (ब) निर्विवाद ✔️
(स) निष्पक्ष (द) निः सन्देह
69. ’शिव’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) पिनाकी ✔️ (ब) लम्बोदर
(स) पियासु (द) पिनाक
70. ’यति’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) ब्राह्मण (ब) सन्यासी ✔️
(स) सती (द) भिखारी
71. ’विभावरी’ का पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) रात्रि ✔️ (ब) तपसा
(स) क्षणदा (द) तरणी
72. ’कृष्ण’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) हषीकेश ✔️ (ब) महीपति
(स) किन्नर (द) चन्द्रशेखर
73. ’कौवा’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वयस् (ब) वारण
(स) मराल (द) वायस ✔️
74. ’उद्यान’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) उपवन✔️ (ब) निकेतन
(स) कानन (द) अरण्य
75. ’दूत’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) पायक (ब) अनुचर
(स) हरकारा✔️ (द) पदाति
76. ’तूणीर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) असंग (ब) उत्संग
(स) निषंग ✔️ (द) निःसंग
77. ’बाज’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) बाजि (ब) हय
(स) आशु (द) श्येन
78. ’मोती’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) मुकुर (ब) मुक्ता ✔️
(स) मरकत (द) मणि
79. ’सरस्वती’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वाग्देवी ✔️ (ब) वाचिका
(स) बदरिका (द) वाग्भिता
80. ’मोर’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कपोत (ब) पिक
(स) केकी ✔️ (द) अम्बर
81. ’दामिनि’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वपा (ब) नीरद
(स) बादल (द) विद्युत ✔️
82. ’हंस’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कपोल (ब) सारंग
(स) विवेकी (द) मराल ✔️
83. ’पर्वत’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) आर्द्र (ब) अद्रि ✔️
(स) आद्र्रा (द) शंृग
84. ’निराकरण’ का पर्यायवाची शब्द है:
(अ) स्पष्टीकरण (ब) समाधान ✔️
(स) विवेचन (द) संहार
85. ’हवा’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) वायु-द्विज (ब) मारुत-शकुनत
(स) अनल-पवन (द) समीर-अनिल ✔️
86. ’घर’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) धाम-आलय ✔️ (ब) पंकज-भवन
(स) गृह-वाटिका (द) शान्ति-निकेतन
87. ’प्रकाश’ के पर्यायवाची शब्द हैः
(अ) प्रस्तर-अचला (ब) ज्याति-दीप्ति ✔️
(स) छवि-प्रभाकर (द) दिनकर-ज्योति
88. ’मछली’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) भामा-मत्स्य (ब) जलनिमग्नि-मकर
(स) सफरी-धात्री (द) मीन-मत्स्य ✔️
89. ’नारी’ के पर्यायवाची शब्द है:
(अ) कान्ता-निशा (ब) रमणी-कालिन्दी
(स) कामिनी-दामिनी (द) त्रिया-भामिनी ✔️
90. ’मोर’ का पर्यायवाची इनमें से क्या है ?
(अ) कलापी ✔️ (ब) मङित
(स) विचिख (द) विचक्षण
91. ’दुहिता’ किस शब्द का पर्यायवाची है ?
(अ) पुत्र (ब) पुत्री ✔️
(स) स्त्री (द) पत्नी
92. ’निर्वाण’ का पर्यायवाची शब्द क्या है ?
(अ) निर्माण (ब) भवन
(स) मोक्ष ✔️ (द) मोती
93. इनमें से कौन सा शब्द विष्णु का पर्याय है ?
(अ) मुकुन्द ✔️ (ब) गिरिधर
(स) रघुनन्दन (द) विधि
94. इनमें से मछली का पर्यायवाची क्या है ?
(अ) झष ✔️ (ब) वारिद
(स) तङित (द) चचल
95. इनमें से कौन सा शब्द बिजली का पर्यायवाची है ?
(अ) सौदामिनी ✔️ (ब) कान्ति
(स) प्रभा (द) मेघ
96. महाश्वेता किसका पर्यायवाची है ?
(अ) लक्ष्मी (ब) सरस्वती ✔️
(स) पार्वती (द) सीता
97. केशरी किसका पर्यायवाची है ?
(अ) घोङा (ब) हाथी
(स) सियार (द) सिंह ✔️
98. कामदेव का पर्यायवाची शब्द होगा:
(अ) पुण्डरीक (ब) अतनु
(स) अंशु (द) राजराज
99. पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द होगाः
(अ) अश्म (ब) अचल ✔️
(स) बीजप्रस (द) महिधर
100. इनमें से कौनसा शब्द गंगा का पर्यायवाची है ?
(अ) देवापगा (ब) हंसला ✔️
(स) सुरसरिता (द) विष्णुपदी
हिंदी भाषा में भी दो विरोधी अर्थों और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए अलग -अलग शब्दों का अस्तित्व होता है।विपरीत भावोंकी अभिव्यक्ति के लिए विलोम शब्दों का ज्ञान होना आवश्यक है। इसलिए आज के आर्टिकल में हमविलोम शब्दोंको पढेंगे ।
विलोम का अर्थ होता है – उल्टा। निम्नलिखित शब्दविपरीतार्थकहै, क्योंकि ये अपने सामने वाले शब्द के सर्वदाविपरीत अर्थप्रकट करते हैं। तो सीधी सी बात है कि किसी भीशब्दका विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दविलोम शब्द (Vilom Shabd)कहलाते है। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विलोम शब्दों को अंग्रेजी मेंAntonymsकहते है। विलोम शब्द कई प्रकार से बनते है जैसे – उपसर्ग के द्वारा ,लिंग परिवर्तन के द्वारा।
उपसर्ग से– ज्ञान -अज्ञान ,अल्पायु – दीर्घायु , अंतरंग – बहिरंग, अवनत – उन्नत, लभ्य -अलभ्य।
लिंग परिवर्तन से– शेर – शेरनी, राजा-रानी, माता – पिता , लड़का-लड़का, नाना – नानी।
यहाँ ध्यान देने की बात यह हैकिसंज्ञा शब्द काविपरीतार्थकसंज्ञा होऔरविशेषण काविपरीतार्थकविशेषण।
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
अनाथ | सनाथ |
अवनति | उन्नति |
अंतरंग (अंत:+अंग ) | बहिरंग |
अल्पज्ञ | बहुज्ञ |
अल्पायु | दीर्घायु |
अवनत | उन्नत |
अंतद्वंद्व | बहिद्वंद्व |
अंतर्मुखी | बहिर्मुखी |
अल्प | बहु |
अपेक्षा | उपेक्षा |
अग्रज | अनुज |
अधम | उत्तम |
अज्ञ | विज्ञ, प्रज्ञ |
अगम | सुगम |
अमृत | विष |
अलभ्य | लभ्य |
अरुचि | रुचि |
अथ | इति |
अनुग्रह | विग्रह |
अंत | आदि |
अमावस्या | पूर्णिमा |
अस्त | उदय |
अनुलोम | प्रतिलोम |
अनुरक्ति | विरक्ति |
अमर | मर्त्य |
अग्नि | जल |
अपमान | सम्मान |
अति | अल्प |
अंधकार | प्रकाश |
अल्पसंख्यक | बहुसंख्यक |
आधुनिक | प्राचीन |
आविर्भाव (उदय होना) | तिरोभाव (लुप्त हो जाना) |
आगामी | विगत |
आचार | अनाचार |
आत्मा | परमात्मा |
आदान | प्रदान |
आयात | निर्यात |
आकाश | पाताल |
अतिवृष्टि | अनावृष्टि |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
अवनि(धरती) | अंबर(आकाश) |
अनुराग(प्रेम) | विराग |
अनुकूल | प्रतिकूल |
आर्द्र | शुष्क |
आशा | निराशा |
आस्तिक | नास्तिक |
आलोक | अंधकार |
आय | व्यय |
आग्रह | अनाग्रह |
आकीर्ण(विस्तार होना) | विकीर्ण |
आधार | आधेय, लंब |
आकर्षण | विकर्षण |
आद्य | अंत्य |
आसक्त | अनासक्त |
आजादी | गुलामी |
आभ्यंतर | बाह्य |
इहलोक | परलोक |
इष्ट | अनिष्ट |
ईश्वर | अनीश्वर |
उपसर्ग | प्रत्यय |
उन्मूलन(जड़ से समाप्त करना) | रोपण |
उदार | कृपण |
उत्कृष्ट | निकृष्ट |
उपयोग | दुरुपयोग |
उपयुक्त | अनुपयुक्त |
उच्च | निम्न |
उत्तीर्ण | अनुत्तीर्ण |
उदयाचल | अस्ताचल |
उत्तरायण | दक्षिणायन |
एकतंत्र | बहुतंत्र |
एङी | चोटी |
ऐतिहासिक | अनैतिहासिक |
इच्छा | अनिच्छा |
ईद | मुहर्रम |
उपकार | अपकार |
उत्कर्ष | अपकर्ष |
उदात्त(महान) | अनुदात्त |
उत्साह | निरुत्साह, अनुत्साह |
उत्तम | अधम |
उद्यमी | निरुद्यम |
उत्थान | पतन |
उधार | नकद |
उपरि | अधः |
उपयुक्त | अनुपयुक्त |
उग्र | सौम्य |
एकता | अनेकता |
एकत्र | विकीर्ण |
ऐश्वर्य | अनैश्वर्य |
एकेश्वरवाद | बहुदेववाद |
कीर्ति | अपकीर्ति |
कुरूप | सुरूप |
करुण | निष्ठुर |
क्रय | विक्रय |
कायर | निडर |
कटु | मधु |
क्रूर | अक्रूर |
कृत्रिम | प्रकृत |
कठोर, कर्कश | कोमल |
कृष्ण | श्वेत, शुक्ल |
कृतज्ञ | कृतघ्न |
कनिष्ठ | ज्येष्ठ |
कर्म | निष्कर्म, अकर्म |
कपटी | निष्कपट |
कुटिल | सरल |
क्रोध | क्षमा |
कर्मण्य | अकर्मण्य |
कोप | कृपा |
कृपण(कंजूस) | दाता |
कर्मठ | अकर्मण्य |
खेद | प्रसन्नता |
गणतंत्र | राजतंत्र |
गुरु | लघु |
गुप्त | प्रकट |
ग्रस्त | मुक्त |
ग्राह्य | त्याज्य |
गगन | पृथ्वी |
गरल | सुधा |
गीला | सूखा |
गौरव | लाघव |
गृहस्थ | संन्यासी |
गत | आगत |
गुण | दोष |
गमन | आगमन |
घात | प्रतिघात |
घरेलू | बाहरी, वन्य |
चाह | अनचाह |
चिरंतन | नश्वर |
छाँह | धूप |
चोर | साधु |
छली | निश्छल |
छूत | अछूत |
जन्म | मृत्यु, मरण |
ज्येष्ठ | कनिष्ठ |
जागरण | निद्रा |
जल | स्थल |
जीवित | मृत |
जातीय | विजातीय |
जटिल | सरल |
जय | पराजय |
जङ | चेतन |
ज्योति | तम |
जीवन | मरण |
जंगम | स्थावर |
ज्वार | भाटा |
जल्द | देर |
ताप | शीत |
तम | आलोक, ज्योति |
तीव्र | मंद |
तुच्छ | महान |
देव | दानव |
दृष्ट, दुर्जन | सज्जन |
देय | अदेय |
दीर्घकाय | कृशकाय |
धनी | निर्धन |
तिमिर | प्रकाश |
तामसिक | सात्त्विक |
तुकांत | अतुकांत |
तरल | ठोस |
दिवा | रात्रि |
दूषित | स्वच्छ |
दुर्बल, निर्बल | सबल |
दक्षिण | वाम, उत्तर |
ध्वंस | निर्माण |
नूतन | पुरातन |
न्यून | अधिक |
नश्वर | शाश्वत, अनश्वर |
निंदा | स्तुति |
नागरिक | ग्रामीण |
निर्मल | मलिन |
निरामिष | सामिष |
निर्लज्ज | सलज्ज |
निर्दोष | सदोष |
निर्माण | विनाश, ध्वंस |
नगर | ग्राम |
निर्दय | सदय |
नैसर्गिक | कृत्रिम, अनैसर्गिक |
निष्काम | सकाम |
निंद्य | वंद्य |
निरक्षर | साक्षर |
पंडित | मूर्ख |
पक्ष | विपक्ष |
प्रमुख | सामान्य, गौण |
प्रलय | सृष्टि |
प्रारंभिक | अंतिम |
पाश्चात्य | पौवार्त्य, पौरस्त्य |
प्रशंसा | निंदा |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
पाप | पुण्य |
परार्थ | स्वार्थ |
पुरस्कार | दंड, तिरस्कार |
पूर्ववर्ती | परवर्ती, उत्तरवर्ती |
परतंत्र | स्वतंत्र |
परमार्थ | स्वार्थ |
परुष | कोमल |
प्रधान | गौण |
प्रवृत्ति | निवृत्ति |
प्राचीन | नवीन, अर्वाचीन |
प्रत्यक्ष | परोक्ष |
प्राकृतिक | कृत्रिम, विकृत, अप्राकृतिक |
पुष्ट | क्षीण, अपुष्ट |
परिश्रम | विश्राम |
पूर्व | उत्तर, अपर, पश्चिम |
पूर्णता | अपूर्णता |
प्रयोग | अप्रयोग |
बंधन | मुक्ति, मोक्ष |
बाह्य | अभ्यंतर |
बाढ़ | सूखा |
भूत | भविष्य |
भोगी | योगी |
बहिरंग | अंतरंग |
बलवान | बलहीन |
बर्बर | सभ्य |
भौतिक | आध्यात्मिक |
भद्र | अभद्र |
मानव | दानव |
मूक | वाचाल, मुखर |
मृदुल | कठोर |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
मुख | पृष्ठ, प्रतिमुख |
महात्मा | दुरात्मा |
मिलन | विरह |
मृत | जीवित |
मुनाफा | नुकसान |
योग | वियोग |
योगी | भोगी |
रक्षक | भक्षक |
राजतंत्र | जनतंत्र |
रत | विरत |
रागी | विरागी |
रचना | ध्वंस |
रूपवान | कुरूप |
रिक्त, अपूर्ण | पूर्ण |
लघु | गुरु, दीर्घ, महत् |
लौकिक | अलौकिक |
लिप्त | निर्लिप्त, अलिप्त |
लुप्त | व्यक्त |
विवाद | निर्विवाद |
विशिष्ट | साधारण |
विजय | पराजय |
विस्तृत | संक्षिप्त |
विशेष | सामान्य |
वसंत | पतझङ |
बहिष्कार | स्वीकार, अंगीकार |
वृद्धि | ह्रास |
विधवा | सधवा |
विमुख | सम्मुख, उन्मुख |
वैतनिक | अवैतनिक |
विशालकाय | क्षीणकाय, लघुकाय |
वीर | कायर |
वृहत्, महत् | लघु, क्षुद्र |
व्यस्त | अकर्मण्य, अव्यस्त |
व्यावहारिक | अव्यावहारिक |
विपत्ति | संपत्ति |
वृष्टि | अनावृष्टि |
विपद् | संपद् |
वक्र | सरल, ऋजु |
विशिष्ट | सामान्य |
वियोग, विरह | मिलन |
सम | विषम |
सजीव | निर्जीव, अजीव |
सफल | विफल, असफल, निष्फल |
सरल | कुटिल, वक्र, कठिन |
सजल | निर्जल |
स्वजाति | विजाति |
सम्मुख | विमुख |
सार्थक | निरर्थक |
सकर्म | निष्कर्म |
सुकर्म | कुकर्म, दुष्कर्म |
सुलभ | दुर्लभ |
सुपथ | कुपथ |
स्तुति | निंदा |
स्मरण | विस्मरण |
सशंक | निश्शंक |
सगुण | निर्गुण |
सबल | दुर्बल, अबल |
सनाथ | अनाथ |
सहयोगी | प्रतियोगी |
स्वतंत्रता | परतंत्रता |
संयोग | वियोग |
सम्मान | अपमान |
सकाम | निष्काम |
साकार | निराकार |
सुगंध | दुर्गंध |
सुगम | दुर्गम |
सुशील | दु:शील |
स्थूल | सूक्ष्म |
संपद् | विपद् |
सुनाम | दुर्नाम |
संतोष | असंतोष |
सुधा | गरल, विष, हलाहल |
संकल्प | विकल्प |
संन्यासी | गृही, गृहस्थ |
स्वधर्म | विधर्म, परधर्म |
समष्टि | व्यष्टि |
संघटन | विघटन |
साक्षर | निरक्षर |
सद्वृत्त | दुर्वृत्त |
समूल | निर्मूल |
सत्कर्म | दुष्कर्म |
शब्द | विपरीतार्थक शब्द |
सुमति | कुमति |
संकीर्ण | विस्तीर्ण |
सदाशय | दुराशय |
सुकृति | कुकृति, दुष्कृति |
समास | व्यास |
स्वल्पायु | चिरायु |
सुसंगति | कुसंगति |
सुपरिणाम | दुष्परिणाम |
सौभाग्य | दुर्भाग्य |
सखा | शत्रु |
सौम्य | उग्र, असौम्य |
स्वामी | सेवक |
सृष्टि | प्रलय, संहार |
संधि | विग्रह |
स्थिर | चंचल, अस्थिर |
सबाध | निर्बाध |
स्वार्थ | निः स्वार्थ, परमार्थ |
सत्कार | तिरस्कार |
सापेक्ष | निरपेक्ष |
सक्षम | अक्षम |
सादर | निरादर |
सलज्ज | निर्लज्ज |
सदय | निर्दय |
सुलभ | दुर्लभ |
स्वप्न | जागरण |
संकोच | असंकोच, प्रसार |
सभ्य | असभ्य, बर्बर |
सुदूर | सन्निकट, अदूर |
सभय | निर्भय, अभय |
सामान्य | विशिष्ट |
स्तुत्य | निंद्य |
सुकाल | अकाल, दुष्काल |
शकुन | अपशकुन |
शीत | उष्ण |
शुक्ल | कृष्ण |
श्वेत | श्याम |
शासक | शासित |
शयन | जागरण |
शृंखला | विशृंखला |
श्रव्य | दृश्य |
शोषक | पोषक |
श्लील | अश्लील |
शांति | क्रांति, अशांति |
शुष्क | सिक्त (सींचा हुआ) |
शत्रु | मित्र |
श्रीगणेश | इतिश्री |
श्रद्धा | घृणा, अश्रद्धा |
श्यामा | गौरी |
हास | रूदन |
ह्रस्व | दीर्घ |
हर्ष | विषाद, शोक |
हिंसा | अहिंसा |
क्षर | अक्षर |
क्षणिक | शाश्वत |
क्षम्य | अक्षम्य |
क्षुद्र | विराट्, विशाल, महान |
1. ’देव’ शब्द का विलोम है-
(अ) दुर्देव (ब) दुर्जन
(स) दुर्भाग्य (द) दानव✔️
2. ’कृत्रिम’ के लिए उचित विलोम शब्द लिखिए-
(अ) नकली (ब) नैसर्गिक✔️
(स) कठोर (द) बनावटी
3. ’जंगल’ का विलोम है-
(अ) अस्थिर✔️ (ब) अचर
(स) अस्थायी (द) स्थावर
4. निम्नलिखित में विलोम-युग्म नहीं है-
(अ) ग्राह्य-अग्राह्य (ब) क्षम्य-अक्षम्य
(स) श्रान्त-अश्रान्त (द) शुचि-पवित्र✔️
5. ’दुर्गम’ का विलोम है-
(अ) अगम (ब) सुगम✔️
(स) आगम (द) अलक्ष्य
6. ’अवतल’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द छाँटिए-
(अ) पाताल (ब) त्रिताल
(स) उत्तल✔️ (द) उत्ताल
7. ’उत्थान’ शब्द का विलोम है-
(अ) उन्नति (ब) अवनति
(स) पतन✔️ (द) उठना
8. निम्न में अशुद्ध विपरीतार्थी समूह है-
(अ) पक्ष-प्रतिपक्ष (ब) आस्तिक-नास्तिक
(स) स्वर्ग-नरक (द) सामिष-शाकाहारी✔️
9. ’निर्गुण’ शब्द का विलोम क्या है?
(अ) सगुण✔️ (ब) अवगुण
(स) गुण (द) दुर्गुण
10. कौनसा विकल्प विलोम शब्दों को नहीं दर्शाता है-
(अ) सम्मुख-विमुख (ब) गरिमा-लघिमा
(स) संयोग-सुयोग✔️ (द) राग-विराग
11. ’निराकार’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) प्रकार (ब) आकार
(स) उपकार (द) साकार✔️
12. निम्नलिखित में से सही विलोम शब्द-युग्म गलत है?
(अ) पाठ्य – सुपाठ्य (ब) नत – अवनत
(स) शिष्ट – विशिष्ट (द) संश्लिष्ट – विश्लिष्ट✔️
13. ’वियोग’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) अयोग (ब) संयोग✔️
(स) सुयोग (द) उपयोग
14. विपरीत युग्म शब्द कौन-सा है?
(अ) पतले-पतले (ब) दीन-दुःखी
(स) चाय-वाय (द) जङ-चेतन✔️
15. ’उन्मुख’ का विलोम है-
(अ) प्रमुख (ब) विमुख✔️
(स) सन्मुख (द) अधोमुख
16. ’गमन’ का विलोम शब्द क्या है?
(अ) गम (ब) अगम
(स) आगमन✔️ (द) नागम
17. ’उग्र’ का विलोम है-
(अ) सौम्य ✔️ (ब) विनीत
(स) मधुर (द) विनत
18. ’अल्पज्ञ’ का विलोम का क्रम है-
(अ) अवज्ञ (ब) सर्वज्ञ✔️
(स) अभिज्ञ (द) कृतज्ञ
19. ’उद्यम’ का विलोम है-
(अ) पश्चिम (ब) आलस्य ✔️
(स) अकर्मण्य (द) आजीवन
20. ’जरा’ का विलोम शब्द है-
(अ) थोङा (ब) यौवन✔️
(स) जला (द) अल्प
21. ’क्रान्ति’ का विलोम है-
(अ) उत्तेजना (ब) आन्दोलन
(स) शान्ति✔️ (द) हलचल
22. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) परोपकारी (ब) दानी✔️
(स) भिखारी (द) स्वार्थी
23. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) दाता✔️ (ब) याचक
(स) निर्दयी (द) उदार
24. ’उत्कर्ष’ का विलोम क्या होता है?
(अ) आकर्ष (ब) निष्कर्ष
(स) अपकर्ष✔️ (द) महथाकर्ष
25. ’गौरव’ का विलोम है-
(अ) निच्छता (ब) हीनता
(स) अपभाव (द) लघुता✔️
26. वह अपने विषय का पूर्ण अभिज्ञ है, रेखांकित शब्द का विलोम है-
(अ) सर्वज्ञ (ब) अल्पज्ञ
(स) अनभिज्ञ✔️ (द) विज्ञ
27. ’गणतन्त्र’ का विलोम है-
(अ) साम्यवाद (ब) प्रजातन्त्र
(स) राजतन्त्र✔️ (द) समाजवाद
28. ’तिमिर’ का विलोम शब्द है-
(अ) प्रकाश (ब) ज्योतिर्मय
(स) अलास (द) आलोक✔️
29. ’दुर्गति’ का विलोम है-
(अ) सुगति✔️ (ब) कुगति
(स) प्रगति (द) वीरगति
30. ’मूक’ का विलोम होगा-
(अ) हास (ब) शाप
(स) लोह (द) वाचाल✔️
31. ’दुर्लभ’ का विलोम है-
(अ) सुलभ✔️ (ब) दुष्कर
(स) प्राप्य (द) उपलब्ध
32. ’सूक्ष्म’ शब्द का विलोम शब्द है-
(अ) असूक्ष्म (ब) विशाल
(स) स्थूल✔️ (द) सुशीत
33. ’सार्थक’ का विलोम है-
(अ) आवश्यक (ब) अनिवार्य
(स) निरर्थक✔️ (द) व्यर्थ
34. ’निरपेक्ष’ का सही विलोम है-
(अ) प्रत्यक्ष (ब) परोक्ष
(स) सापेक्ष✔️ (द) प्रतिपक्ष
35. ’वियोग’ का विलोम है-
(अ) दुर्योग (ब) संयोग✔️
(स) विरह (द) मिलन
36. ’निराहार’ का सही विलोम है-
(अ) अनुहार (ब) आहार✔️
(स) विहार (द) संथार
37. ’विकास’ का विलोम है-
(अ) परिवर्तन (ब) ह्रास✔️
(स) न्यूनता (द) अधिकता
38. ’उपेक्षा’ का सही विलोम है-
(अ) सम्मान (ब) अपेक्षा✔️
(स) अपमान (द) तिरस्कार
39. ’अल्प संख्यक’ का विलोम है-
(अ) अतिसंख्यक (ब) बहुसंख्य✔️
(स) महासंख्यक (द) बाहुल्य
40. किस क्रम में ’आमिष’ का विलोम है?
(अ) सामिष (ब) निरामिष✔️
(स) अनामिष (द) परामिष
41. ’विस्तार’ का विलोम है-
(अ) लघु (ब) छोटा
(स) सूक्ष्म (द) संक्षेप✔️
42. ’पुरोगामी’ का विलोम है-
(अ) पश्चगामी✔️ (ब) उध्र्वगामी
(स) पतनगामी (द) अपूर्ण
43. ’अभिशाप’ का विलोम है-
(अ) प्रतिवाद (ब) प्रवाद
(स) आशीर्वाद (द) वरदान✔️
44. ’बर्बर’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) सभ्य✔️ (ब) बुरा
(स) दुष्ट (द) अत्याचारी
45. ’आकर्षण’ का विलोम है-
(अ) आकृष्ट (ब) विकर्षण
(स) अनाकर्षण✔️ (द) पराकर्षण
46. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) निंद्य – स्तुत्य (ब) पतिव्रता-कुलटा
(स) परितोष – संतोष✔️ (द) नत – उन्नत
47. ’मंद’ का विलोम है-
(अ) सुस्त (ब) द्रुत✔️
(स) शीघ्र (द) त्वरित
48. ’सृष्टि’ का विलोम है-
(अ) विनाश (ब) विध्वंस
(स) प्रलय✔️ (द) सृजन
49. ’हर्ष’ का विलोम है-
(अ) विषाद✔️ (ब) दुःख
(स) पीङा (द) कष्ट
50. ’अनुरक्त’ का विलोम शब्द है?
(अ) निरक्त (ब) आरक्त
(स) आसक्त (द) विरक्त✔️
51. ’सत्कार’ का विलोम है-
(अ) निरादर (ब) अपमान
(स) उपेक्षा (द) तिरस्कार✔️
52. ’प्रतिघात’ शब्द किसका विलोम शब्द है?
(अ) घात का (ब) आघात का✔️
(स) प्रत्याघात का (द) घातक का
53. ’साधारण’ का विलोम है-
(अ) अनोखा (ब) दुर्लभ
(स) विशेष✔️ (द) दुष्प्राय
54. ’सन्न्यासी’ का विलोम शब्द है-
(अ) राजा (ब) भोगी
(स) गृहस्थ✔️ (द) ब्रह्माचर्य
55. ’गौण’ का विलोम है-
(अ) महान् (ब) मुख्य✔️
(स) निष्कृष्ट (द) उत्कृष्ट
56. ’ध्वंस’ शब्द का विलोम बताइये-
(अ) विनाश (ब) निर्माण✔️
(स) विध्वंस (द) उत्कर्ष
57. ’सहयोगी’ का विलोम है-
(अ) वियोगी (ब) विरोधी✔️
(स) प्रतिद्वन्द्वी (द) प्रतियोगी
58. ’अज्ञ’ का विलोम है-
(अ) अल्पज्ञ (ब) बहुज्ञ
(स) सर्वज्ञ (द) भिज्ञ✔️
59. ’योगदान’ का विलोम है-
(अ) बाधा✔️ (ब) असहयोग
(स) निरुपाय (द) विरोध
60. कौन-सा शब्द ’आलोक’ का विलोम शब्द है?
(अ) अमा (ब) श्रेप्ती
(स) ज्योत्स्ना (द) तम✔️
61. ’संयोजित’ का विलोम है-
(अ) विस्थापति (ब) विभाजित✔️
(स) पराजित (द) एकत्रित
62. ’नीरूजता’ का विलोम शब्द है-
(अ) रूग्णता✔️ (ब) आतुरता
(स) स्वस्थता (द) स्वच्छता
63. ’अत्यधिक’ का विलोम है-
(अ) किंचित् (ब) तनिक
(स) न्यून (द) स्वल्प✔️
64. ’अनुज’ का सही विलोम है-
(अ) भ्राता (ब) ज्येष्ठ
(स) कनिष्ठ (द) अग्रज✔️
65. ’शोषक’ का विलोम है-
(अ) शोषित (ब) पोषक✔️
(स) शोषणीय (द) पालक
66. ’संकीर्ण’ का सही विलोम है-
(अ) संकुचित (ब) गहरा
(स) संकुचन (द) विस्तीर्ण✔️
67. ’अधिकार’ का विलोम है-
(अ) अनधिकार✔️ (ब) उद्यम
(स) कर्म (द) प्रयत्न
68. ’वक्र’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) ऋजु✔️ (ब) टेढ़ा
(स) तिरछा (द) क्षुद्र
69. ’आपत्ति’ का विलोम है-
(अ) समृद्धि (ब) सुख
(स) विपत्ति✔️ (द) सम्पत्ति
70. ’उत्तम’ का सही विलोम है-
(अ) अधम✔️ (ब) निकृष्ट
(स) उदार (द) उद्यमी
71. ’ओजस्वी’ का विलोम है-
(अ) यशस्वी (ब) निडर
(स) निरभिमानी (द) निस्तेज✔️
72. ’साकार’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) आकार (ब) विकार
(स) प्रकार (द) निराकार✔️
73. ’हास्य’ का विलोम है-
(अ) विषाद (ब) शोक
(स) परिहास (द) रुदन✔️
74. ’सबल’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) बलवान (ब) बलशाली
(स) निर्बल✔️ (द) बल
75. ’दाता’ का विलोम शब्द है-
(अ) उदार (ब) त्राता
(स) प्रज्ञ (द) सूम✔️
76. ’आस्था’ का विलोम शब्द है-
(अ) निराशा (ब) अविश्वास
(स) अनास्था✔️ (द) निरास्था
77. ’अति’ का विलोम शब्द है-
(अ) न्यून (ब) कम
(स) अल्प✔️ (द) नगण्य
78. ’क्षणिक’ का विलोम शब्द है-
(अ) शाश्वत✔️ (ब) स्थिर
(स) स्थावर (द) दीर्घ
79. ’नीरस’ का विलोम शब्द है-
(अ) रसीला (ब) सरस✔️
(स) विरस (द) अरान
80. ’स्थावर’ का विलोम शब्द है-
(अ) सचल (ब) चंचल
(स) चेतन (द) जंगम✔️
81. निम्नलिखित में से किस उपसर्ग के जुङने से ’जय’ शब्द का अर्थ-विपर्यय हो जाता है?
(अ) परा ✔️ (ब) वि
(स) सम् (द) अभि
82. ’सम्मुख’ का विलोम शब्द है-
(अ) उन्मुख (ब) विमुख✔️
(स) प्रमुख (द) अधिमुख
83. ’सरुजता’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) नीरुजता✔️ (ब) रुग्णता
(स) स्वच्छता (द) विमलता
84. ’चिरंतन’ का विलोम शब्द है-
(अ) अलौकिक (ब) लौकिक
(स) नश्वर✔️ (द) नैसर्गिक
85. ’अनुलोम’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) लोम (ब) अवलोम
(स) प्रतिलोम✔️ (द) अविलोम
86. ’ऋत’ का विलोम शब्द है-
(अ) अनृत✔️ (ब) ऋण
(स) एक (द) उष्ण
87. ’ईप्सित’ शब्द का विलोम क्या होगा?
(अ) कुत्सित (ब) अभीप्सित
(स) अधीप्सित (द) अनीप्सित✔️
88. ’तीक्ष्ण’ का विलोम शब्द है-
(अ) तीव्र (ब) तृष्णा
(स) त्यागी (द) कुंठित✔️
89. ’सत्कार’ का विलोम शब्द है-
(अ) अपमान (ब) तिरस्कार✔️
(स) निरादर (द) अनादर
90. ’मूक’ का विलोम शब्द है-
(अ) सबल (ब) गंभीर
(स) निर्बल (द) वाचाल✔️
91. इनमें से कौनसा विलोम-युग्म सही नहीं है-
(अ) सम्पत्ति-विपत्ति (ब) इष्ट-अनिष्ट
(स) उर्वर-ऊसर (द) अचल-अविचल✔️
92. ’कुटिल’ का विलोम शब्द है-
(अ) गरल (ब) सरल✔️
(स) विरल (द) विमल
93. इनमें से कौनसा विलोम युग्म सही है-
(अ) आशा-हताशा (ब) जय-अजय ✔️
(स) अंतरंग-बहिरंग (द) अज्ञ-अल्पज्ञ
94. ’वैमनस्य’ का विलोम शब्द है-
(अ) मनस्विता (ब) दौर्मनस्य
(स) सहृदयता (द) सौमनस्य ✔️
95. ’सदाचारी’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) दुराचारी✔️ (ब) पाखंडी
(स) दुष्ट (द) भ्रष्टाचारी
96. ’जागरण’ का विलोम शब्द है-
(अ) भ्रांति (ब) विश्रांति
(स) विलुप्ति (द) सुषुप्ति✔️
97. ’गणतंत्र’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) लोकतंत्र (ब) स्वतंत्र
(स) निजतंत्र (द) राजतंत्र✔️
98. ’उपकार’ का विलोम शब्द है-
(अ) विकार (ब) प्रकार
(स) अपकार✔️ (द) तिरस्कार
100. ’मूच्र्छा’ का विलोम शब्द है-
(अ) जङता (ब) चेतना✔️
(स) अवचेतना (द) अचेतना
101. ’विज्ञ’ का विलोम शब्द है-
(अ) अक्ष (ब) अग
(स) प्राज्ञ (द) अज्ञ✔️
102. ’स्तुति’ का विलोम शब्द है-
(अ) संस्तुति (ब) बुराई
(स) निन्दा✔️ (द) आलोचना
103. वह परीक्षा में पूर्ण सक्रिय रहता है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निष्क्रिय✔️ (ब) शांत
(स) स्थिर (द) जङ
104. यह आपकी समस्या है मुझे इससे क्या लेना देना? वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निदान (ब) उत्तर
(स) हल (द) समाधान✔️
105. वर्तमान में समष्टि की भावना से ही प्रगति संभव है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) व्यष्टि✔️ (ब) श्रेष्ठी
(स) सृष्टि (द) श्रेष्ठ
106. विवेक और सुमित अंतरंग मित्र है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) द्विरंग (ब) बहिरंग✔️
(स) अतिरंग (द) विरंग
107. अहंकार के कारण लोग अपनी गरिमा भूल जाते हैं। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) घृणा (ब) नीचता
(स) लघिमा✔️ (द) इज्जत
108. ’प्रवृति’ शब्द का विलोम है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) प्रवृत (ब) आवृति
(स) निवृति✔️ (द) विवृति
109. निम्न में से’पाश्चात्य’का सही विलोम कौनसा है?
(अ) उदीच्य (ब) पौर्वात्य ✔️
(स) उतरायण (द) पौर्वायण
110. किस युग्म में विलोम शब्द सही नहीं है-
(अ) शयन-जागरण (ब) विख्यात-कुख्यात
(स) लोभी-निर्लोभ (द) परवर्ती-अग्रवर्ती✔️
111. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) दुर्लभ-अलभ✔️ (ब) आवास-प्रवास
(स) अनुरक्त-विरक्त (द) अल्पप्राण-महाप्राण
112. निम्न में असंगत विलोम शब्द के युग्म का चयन कीजिए-
(अ) नख-शिख (ब) ज्योति-प्रकाश✔️
(स) दुर्लभ-सुलभ (द) तुच्छ-महान्
हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे ‘युग्म शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में-हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग
गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें ‘युग्म शब्द’ या ‘समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द’ कहते हैं।
हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।
अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
‘पार्वती’ शिव का ही दूसरा नाम है।
इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि ‘श्वजन’ का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में ‘श्वजन’ के स्थान पर ‘स्वजन’ होना चाहिए।
हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
यहाँ ऐसे युग्म शब्दों की सूची उनके अर्थो के साथ दी जा रही है-
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
अंस | कंधा | अंश | हिस्सा |
अँगना | घर का आँगन | अंगना | स्त्री |
अन्न | अनाज | अन्य | दूसरा |
अनिल | हवा | अनल | आग |
अम्बु | जल | अम्ब | माता, आम |
अथक | बिना थके हुए | अकथ | जो कहा न जाय |
अध्ययन | पढ़ना | अध्यापन | पढ़ाना |
अधम | नीच | अधर्म | पाप |
अली | सखी | अलि | भौंरा |
अन्त | समाप्ति | अन्त्य | नीच, अन्तिम |
अम्बुज | कमल | अम्बुधि | सागर |
असन | भोजन | आसन | बैठने की वस्तु |
अणु | कण | अनु | एक उपसर्ग, पीछे |
अभिराम | सुन्दर | अविराम | लगातार, निरन्तर |
अपेक्षा | इच्छा, आवश्यकता, तुलना में | उपेक्षा | निरादर |
अवलम्ब | सहारा | अविलम्ब | शीघ्र |
अतुल | जिसकी तुलना न हो सके | अतल | तलहीन |
अचर | न चलनेवाला | अनुचर | दास, नौकर |
अशक्त | असमर्थ, शक्तिहीन | असक्त | विरक्त |
अगम | दुर्लभ, अगम्य | आगम | प्राप्ति, शास्त्र |
अभय | निर्भय | उभय | दोनों |
अब्ज | कमल | अब्द | बादल, वर्ष |
अरि | शत्रु | अरी | सम्बोधन (स्त्री के लिए) |
अभिज्ञ | जाननेवाला | अनभिज्ञ | अनजान |
अक्ष | धुरी | यक्ष | एक देवयोनि |
अवधि | काल, समय | अवधी | अवध देश की भाषा |
अभिहित | कहा हुआ | अविहित | अनुचित |
अयश | अपकीर्त्ति | अयस | लोहा |
असित | काला | अशित | भोथा |
आकर | खान | आकार | रूप |
आस्तिक | ईश्वरवादी | आस्तीक | एक मुनि |
आर्ति | दुःख | आर्त्त | चीख |
अन्यान्य | दूसरा-दूसरा | अन्योन्य | परस्पर |
अभ्याश | पास | अभ्यास | रियाज/आदत |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
आवास | रहने का स्थान | आभास | झलक, संकेत |
आकर | खान | आकार | रूप, सूरत |
आदि | आरम्भ, इत्यादि | आदी | अभ्यस्त, अदरक |
आरति | विरक्ति, दुःख | आरती | धूप-दीप दिखाना |
आभरण | गहना | आमरण | मरण तक |
आयत | समकोण चतुर्भुज | आयात | बाहर से आना |
आर्त | दुःखी | आर्द्र | गीला |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
इत्र | सुगंध | इतर | दूसरा |
इति | समाप्ति | ईति | फसल की बाधा |
इन्दु | चन्द्रमा | इन्दुर | चूहा |
इड़ा | पृथ्वी/नाड़ी | ईड़ा | स्तुति |
उपकार | भलाई | अपकार | बुराई |
उद्धत | उद्दण्ड | उद्दत | तैयार |
उपरक्त | भोग विलास में लीन | उपरत | विरक्त |
उपाधि | पद/ख़िताब | उपाधी | उपद्रव |
उपयुक्त | ठीक | उपर्युक्त | ऊपर कहा हुआ |
ऋत | सत्य | ऋतु | मौसम |
एतवार | रविवार | ऐतवार | विश्वास |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
कुल | वंश, सब | कूल | किनारा |
कंगाल | भिखारी | कंकाल | ठठरी |
कर्म | काम | क्रम | सिलसिला |
कृपण | कंजूस | कृपाण | कटार |
कर | हाथ | कारा | जेल |
कपि | बंदर | कपी | घिरनी |
किला | गढ़ | कीला | खूँटा, गड़ा हुआ |
कृति | रचना | कृती | निपुण, पुण्यात्मा |
कृत्ति | मृगचर्म | कीर्ति | यश |
कृत | किया हुआ | क्रीत | खरीदा हुआ |
क्रान्ति | उलटफेर | क्लान्ति | थकावट |
कान्ति | चमक, चाँदनी | ||
कली | अधखिला फूल | कलि | कलियुग |
करण | एक कारक, इन्द्रियाँ | कर्ण | कान, एक नाम |
कुण्डल | कान का एक आभूषण | कुन्तल | सिर के बाल |
कपीश | हनुमान, सुग्रीव | कपिश | मटमैला |
कूट | पहाड़ की चोटी, दफ्ती | कुट | किला, घर |
करकट | कूड़ा | कर्कट | केंकड़ा |
कटिबद्ध | तैयार, कमर बाँधे | कटिबन्ध | कमरबन्द, करधनी |
कृशानु | आग | कृषाण | किसान |
कटीली | तीक्ष्ण, धारदार | कँटीली | काँटेदार |
कोष | खजाना | कोश | शब्द-संग्रह (डिक्शनरी) |
कदन | हिंसा | कदन्न | खराब अन्न |
कुच | स्तन | कूच | प्रस्थान |
काश | शायद/एक घास | कास | खाँसी |
कलिल | मिश्रित | क़लील | थोड़ा |
कीश | बन्दर | कीस | गर्भ का थैला |
कुटी | झोपड़ी | कूटी | दुती, जालसाज |
कोर | किनारा | कौर | ग्रास |
खड़ा | बैठा का विलोम | खरा | शुद्ध |
खादि | खाद्य, कवच | खादी | ख़द्दर, कटीला |
कांत | पति/चन्द्रमा | कांति | चमक |
करीश | गजराज | करीष | सूखा गोबर |
कृत्तिका | एक नक्षत्र | कृत्यका | भयंकर कार्य करनेवाली देवी |
कुजन | बुरा आदमी | कूजन | कलरव |
कुनबा | परिवार | कुनवा | खरीदनेवाला |
कोड़ा | चाबुक | कोरा | नया |
केशर | कुंकुम | केसर | सिंह की गर्दन के बाल |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
खोआ | दूध का बना ठोस पदार्थ | खोया | भूल गया, खो गया |
खल | दुष्ट | खलु | ही तो, निश्चय ही |
गण | समूह | गण्य | गिनने योग्य |
गुड़ | शक्कर | गुड़ | गम्भीर |
ग्रह | सूर्य, चन्द्र आदि | गृह | घर |
गिरी | गिरना | गिरि | पर्वत |
गज | हाथी | गज | मापक |
गिरीश | हिमालय | गिरिश | शिव |
ग्रंथ | पुस्तक | ग्रंथि | गाँठ |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
चिर | पुराना | चीर | कपड़ा |
चिता | लाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर | चीता | बाघ की एक जाति |
चूर | कण, चूर्ण | चूड़ | चोटी, सिर |
चतुष्पद | चौपाया, जानवर | चतुष्पथ | चौराहा |
चार | चार संख्या, जासूस | चारु | सुन्दर |
चर | नौकर, दूत, जासूस | ||
चूत | आम का पेड़ | च्युत | गिरा हुआ, पतित |
चक्रवात | बवण्डर | चक्रवाक | चकवा पक्षी |
चाष | नीलकंठ | चास | खेत की जुताई |
चरि | पशु | चरी | चरागाह |
चसक | चस्का/लत | चषक | प्याला |
चुकना | समाप्त होना | चूकना | समय पर न करना |
जिला | मंडल | जीला | चमक |
जवान | युवा | जव | वेग/जौ |
छत्र | छाता | क्षत्र | क्षत्रिय |
छात्र | विद्यार्थी | क्षात्र | क्षत्रिय-संबंधी |
छिपना | अप्रकट होना | छीपना | मछली फँसाकर निकालना |
जलज | कमल | जलद | बादल |
जघन्य | गर्हित, शूद्र | जघन | नितम्ब |
जगत | कुएँ का चौतरा | जगत् | संसार |
जानु | घुटना | जानू | जाँघ |
जूति | वेग | जूती | छोटा जूता |
जाया | व्यर्थ | जाया | पत्नी |
जोश | आवेश | जोष | आराम |
झल | जलन/आँच | झल्ल | सनक |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
टुक | थोड़ा | टूक | टुकड़ा |
टोटा | घाटा | टोंटा | बन्दूक का कारतूस |
डीठ | दृष्टि | ढीठ | निडर |
डोर | सूत | ढोर | मवेशी |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
तड़ाक | जल्दी | तड़ाग | तालाब |
तरणि | सूर्य | तरणी | नाव |
तरुणी | युवती | ||
तक्र | मटठा | तर्क | बहस |
तरी | गीलापन | तरि | नाव |
तरंग | लहर | तुरंग | घोड़ा |
तनी | थोड़ा | तनि | बंधन |
तब | उसके बाद | तव | तुम्हारा |
तुला | तराजू | तूला | कपास |
तप्त | गर्म | तृप्त | संतुष्ट |
तार | धातु तंतु/टेलिग्राम | ताड़ | एक पेड़ |
तोश | हिंसा | तोष | संतोष |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
दूत | सन्देशवाहक | द्यूत | जुआ |
दारु | लकड़ी | दारू | शराब |
द्विप | हाथी | द्वीप | टापू |
दमन | दबाना | दामन | आँचल, छोर |
दाँत | दशन | दात | दान, दाता |
दशन | दाँत | दंशन | दाँत से काटना |
दिवा | दिन | दीवा | दीया, दीपक |
दंश | डंक, काट | दश | दश अंक |
दार | पत्नी, भार्या | द्वार | दरवाजा |
दिन | दिवस | दीन | गरीब |
दायी | देनेवाला, जबाबदेह | दाई | नौकरानी |
देव | देवता | दैव | भाग्य |
द्रव | रस, पिघला हुआ | द्रव्य | पदार्थ |
दरद् | पर्वत/किनारा | दरद | पीड़ा/दर्द |
दीवा | दीपक | दिवा | दिन |
दौर | चक्कर | दौड़ | दौड़ना |
दाई | धात्री/दासी | दायी | देनेवाला |
दह | कुंड/तालाब | दाह | शोक/ज्वाला |
धराधर | शेषनाग | धड़ाधड़ | जल्दी से |
धारि | झुण्ड | धारी | धारण करनेवाला |
धूरा | धूल | धुरा | अक्ष |
धत | लत | धत् | दुत्कारना |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
निहत | मरा हुआ | निहित | छिपा हुआ, संलग्न |
नियत | निश्र्चित | नीयत | मंशा, इरादा |
निश्छल | छलरहित | निश्र्चल | अटल |
नान्दी | मंगलाचरण (नाटक का) | नंदी | शिव का बैल |
निमित्त | हेतु | नमित | झुका हुआ |
नीरज | कमल | नीरद | बादल |
निर्झर | झरना | निर्जर | देवता |
निशाकर | चन्द्रमा | निशाचर | राक्षस |
नाई | तरह, समान | नाई | हजाम |
नीड़ | घोंसला, खोंता | नीर | पानी |
नगर | शहर | नागर | चतुर व्यक्ति, शहरी |
नशा | बेहोशी, मद | निशा | रात |
नाहर | सिंह | नहर | सिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी |
नारी | स्त्री | नाड़ी | नब्ज |
निसान | झंडा | निशान | चिह्न |
निवृत्ति | लौटना | निवृति | मुक्ति/शांति |
नित | प्रतिदिन | नीत | लाया हुआ |
नियुत | लाख दस लाख | नियुक्त | बहाल किया गया |
निहार | देखकर | नीहार | ओस-कण |
नन्दी | शिव का बैल | नान्दी | मंगलाचरण |
निर्विवाद | विवाद-रहित | निर्वाद | निन्दा |
निष्कृष्ट | सारांश | निकृष्ट | निम्न स्तरीय |
नीवार | जंगली धान | निवार | रोकना |
नेती | मथानी की रस्सी | नेति | अनन्त |
नमित | झुका हुआ | निमित्त | हेतु |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
परुष | कठोर | पुरुष | मर्द, नर |
प्रदीप | दीपक | प्रतीप | उलटा, विशेष, काव्यालंकार |
प्रसाद | कृपा, भोग | प्रासाद | महल |
प्रणय | प्रेम | परिणय | विवाह |
प्रबल | शक्तिशाली | प्रवर | श्रेष्ठ, गोत्र |
परिणाम | नतीजा, फल | परिमाण | मात्रा |
पास | नजदीक | पाश | बन्धन |
पीक | पान आदि का थूक | पिक | कोयल |
प्राकार | घेरा, चहारदीवारी | प्रकार | किस्म, तरह |
परिताप | दुःख, सन्ताप | प्रताप | ऐश्र्वर्य, पराक्रम |
पति | स्वामी | पत | सम्मान, सतीत्व |
पांशु | धूलि, बाल | पशु | जानवर |
परीक्षा | इम्तहान | परिक्षा | कीचड़ |
प्रतिषेध | निषेध, मनाही | प्रतिशोध | बदला |
पूर | बाढ़, आधिक्य | पुर | नगर |
पार्श्र्व | बगल | पाश | बन्धन |
प्रहर | पहर (समय) | प्रहार | चोट, आघात |
परवाह | चिन्ता | प्रवाह | बहाव (नदी का) |
पट्ट | तख्ता, उल्टा | पट | कपड़ा |
पानी | जल | पाणि | हाथ |
प्रणाम | नमस्कार | प्रमाण | सबूत, नाप |
पवन | हवा | पावन | पवित्र |
पथ | रास्ता | पथ्य | आहार (रोगी के लिए) |
पौत्र | पोता | पोत | जहाज |
प्रण | प्रतिज्ञा | प्राण | जान |
पन | संकल्प | पन्न | पड़ा हुआ |
पर्यन्त | तक | पर्यंक | पलंग |
पराग | पुष्पराज | पारग | पूरा जानकार |
प्रकोट | परकोंटा | प्रकोष्ठ | कोठरी |
परभृत् | कौआ | परभृत | कोयल |
परिषद् | सभा | पार्षद | परिषद् के सदस्य |
प्रदेश | प्रान्त | प्रद्वेष | शत्रुता |
प्रस्तर | पत्थर | प्रस्तार | फैलाव |
प्रवृद्ध | परा बढ़ा हुआ | प्रबुद्ध | सचेत/बुद्धिमान् |
पत्ति | पैदल सिपाही | पत्ती | पत्ता |
परमित | चरमसीमा | परिमित | मान/मर्यादा/तौल |
प्रकृत | यथार्थ | प्राकृत | स्वाभाविक एक भाषा |
प्रवाल | मूँगा | प्रवार | वस्त्र |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
फुट | अकेला, इकहरा | फूट | खरबूजा-जाति का फल |
फण | साँप का फण | फन | कला, कारीगर |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
बलि | बलिदान | बली | वीर |
बास | महक, गन्ध | वास | निवास |
बहन | बहिन | वहन | ढोना |
बल | ताकत | वल | मेघ |
बन्दी | कैदी | वन्दी | भाट, चारण |
बात | वचन | वात | हवा |
बुरा | खराब | बूरा | शक्कर |
बन | बनना, मजदूरी | वन | जंगल |
बहु | बहुत | बहू | पुत्रवधू, ब्याही स्त्री |
बार | दफा | वार | चोट, दिन |
बान | आदत, चमक | बाण | तीर |
व्रण | घाव | वर्ण | रंग, अक्षर |
ब्राह्य | बाहरी | वाहृय | वहन के योग्य |
बगुला | एक पक्षी | बगूला | बवंडर |
बाट | रास्ता/बटखरा | वाट | हिस्सा |
बाजु | बिना | बाजू | बाँह |
बिना | अभाव | बीना | एक बाजा |
बसन | कपड़ा | व्यसन | लत/बुरी आदत |
बाई | वेश्या | बायीं | बायाँ का स्त्री रूप |
बाला | लड़की | वाला | एक प्रत्यय |
बदन | शरीर | वदन | मुख/चेहरा |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
भंगि | लहर, टेढ़ापन | भंगी | मेहतर, भंग करनेवाला |
भिड़ | बरें | भीड़ | जनसमूह |
भित्ति | दीवार, आधार | भीत | डरा हुआ |
भवन | महल | भुवन | संसार |
भारतीय | भारत का | भारती | सरस्वती |
भोर | सबेरा | विभोर | मग्न |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
मनुज | मनुष्य | मनोज | कामदेव |
मल | गन्दगी | मल्ल | पहलवान, योद्धा |
मेघ | बादल | मेध | यज्ञ |
मांस | गोश्त | मास | महीना |
मूल | जड़ | मूल्य | कीमत |
मद | आनंद | मद्य | शराब |
मणि | एक रत्न | मणी | साँप |
मरीचि | किरण | मरीची | सूर्य, चन्द्र |
मनुजात | मानव-उत्पन्न | मनुजाद | मानव-भक्षी |
मौलि | चोटी/मस्तक | मौली | जिसके सिर पर मुकुट हो |
मत | नहीं | मत्त | मस्त/धुत्त |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
रंक | गरीब | रंग | वर्ण |
रग | नस | राग | लय |
रत | लीन | रति | कामदेव की पत्नी, प्रेम |
रोचक | रुचनेवाला | रेचक | दस्तावर |
रद | दाँत | रद्द | खराब |
राज | राजा/प्रान्त | राज | रहस्य |
रार | झगड़ा | राँड़ | विधवा |
राइ | सरदार | राई | एक तिलहन |
रोशन | प्रकट/प्रदीप्त | रोषण | कसौटी/पारा |
लवण | नमक | लवन | खेती की कटाई |
लुटना | लूटा जाना, बरबाद होना | लूटना | लूट लेना |
लक्ष्य | उद्देश्य | लक्ष | लाख |
लाश | शव | लास्य | प्रेमभाव सूचक |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
वित्त | धन | वृत्त | गोलाकार, छन्द |
वाद | तर्क, विचार | वाद्य | बाजा |
वस्तु | चीज | वास्तु | मकान, इमारत |
व्यंग | विकलांग | व्यंग्य | ताना, उपालम्भ |
वसन | कपड़ा | व्यसन | बुरी आदत |
वासना | कामना | बासना | सुगंधित करना |
व्यंग | विकलांग | व्यंग्य | कटाक्ष/ताना |
वरद | वर देनेवाला | विरद | यश |
विधायक | रचनेवाला | विधेयक | विधान/कानून |
विभात | प्रभात | विभाति | शोभा/सुन्दरता |
विराट् | बहुत बड़ा | विराट | मत्स्य जनपद/एक छंद |
विस्मृत | भूला हुआ | विस्मित | आश्चर्य में पड़ा |
बिपिन | जंगल | विपन्न | विपत्तिग्रस्त |
विभीत | डरा हुआ | विभीति | डर |
विस्तर | विस्तृत | बिस्तर | बिछावन |
वरण | चुनना | वरन् | बल्कि |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
शुल्क | फीस, टैक्स | शुक्ल | उजला |
शूर | वीर | सुर | देवता, लय |
शम | संयम, इन्द्रियनिग्रह | सम | समान |
शर्व | शिव | सर्व | सब |
शप्त | शाप पाया हुआ | सप्त | सात |
शहर | नगर | सहर | सबेरा |
शाला | घर, मकान | साला | पति का भाई |
शीशा | काँच | सीसा | एक धातु |
श्याम | श्रीकृष्ण, काला | स्याम | एशिया का एक देश |
शती | सैकड़ा | सती | पतिव्रता स्त्री |
शय्या | बिछावन | सज्जा | सजावट |
शान | इज्जत, तड़क-भड़क | शाण | धार तेज करने का पत्थर |
शराव | मिट्टी का प्याला | शराब | मदिरा |
शब | रात | शव | लाश |
शूक | जौ | शुक | सुग्गा |
शिखर | चोटी | शेखर | सिर |
शास्त्र | सैद्धान्तिक विषय | शस्त्र | हथियार |
शर | बाण | सर | तालाब/महाशय |
शकल | टुकड़ा | शक्ल | चेहरा |
शकृत | मल | सकृत | एकबार |
शर्म | लाज | श्रम | मेहनत |
शान्त | शन्तियुक्त | सान्त | अन्तवाला |
शप्ति | शाप | सप्ति | घोड़ा |
श्व | कुत्ता | स्व | अपना |
शास | अनुशासन/स्तुति | सास | पति/पत्नी की माँ |
शंकर | शिव | संकर | दोगला/मिश्रित |
शारदा | सरस्वती | सारदा | सार देनेवाली |
शवल | चितकबरा | सबल | बलवान् |
श्वजन | कुत्ता | स्वजन | अपने लोग |
शशधर | चाँद | शशिधर | शिव |
शिवा | पार्वती/गीदड़ी | सिबा | अलावा |
शकट | बैलगाड़ी | शकठ | मचान |
श्वपच | चाण्डाल | स्वपच | स्वयं भोजन बनानेवाला |
शाली | एक प्रकार का धान | साली | पत्नी की बहन |
शित | तेज किया गया | शीत | ठंडा |
शुक्ति | सीप | सूक्ति | अच्छी उक्ति |
शूकर | सूअर | सुकर | सहज |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
सर | तालाब | शर | तीर |
सूर | अंधा, सूर्य | शूर | वीर |
सूत | धागा | सुत | बेटा |
सन् | साल | सन | पटुआ |
समान | तरह, बराबर | सामान | सामग्री |
स्वर | आवाज | स्वर्ण | सोना |
संकर | मिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकार | शंकर | महादेव |
सूचि | शूची | सूची | विषयक्रम |
सुमन | फूल | सुअन | पुत्र |
स्वर्ग | तीसरा लोक | सर्ग | अध्याय |
सुखी | आनन्दित | सखी | सहेली |
सागर | शराब का प्याला | सागर | समुद्र |
सुधी | विद्वान, बुद्धिमान | सुधि | स्मरण |
सिता | चीनी | सीता | जानकी |
साप | शाप का अपभ्रंश | साँप | एक विषैला जन्तु |
सास | पति या पत्नी की माँ | साँस | नाक या मुँह से हवा लेना |
श्र्वेत | उजला | स्वेद | पसीना |
संग | साथ | संघ | समिति |
सन्देह | शक | सदेह | देह के साथ |
स्वक्ष | सुन्दर आँख | स्वच्छ | साफ |
श्र्वजन | कुत्ते | स्वजन | अपना आदमी |
शूकर | सूअर | सुकर | सहज |
सखी | सहेली | साखी | साक्षी |
सत्र | वर्ष | शत्रु | दुश्मन |
स्याम | एक देश | श्याम | कृष्ण/काला |
सीकर | जलकण | सीकड़ | जंजीर |
सँवार | सजाना | संवार | आच्छादन |
सपत्नी | सौत | सपत्नीक | पत्नी सहित |
सवा | चौथाई | सबा | सुबह की हवा |
सास्त्र | अस्त्र के साथ | सास्र | आँसू के साथ |
समवेदना | साथ-साथ दुखी होना | संवेदना | अनुभूति |
समबल | तुल्य बलवाला | सम्बल | पाथेय |
सिर | मस्तक | सीर | हल |
स्वेद | पसीना | श्वेत | उजला |
सेव | बेसन का पकवान | सेब | एक फल |
संतति | संतान | सतत | सदा |
स्रवण | टपकना | श्रवण | सुनना/कान |
सुकृति | पुण्य | सुकृति | पुण्यवान |
संभावना | संदेह/आशा | समभावना | तुल्यता की भावना |
सन्मति | अच्छी बुद्धि | संमति | परामर्श |
शब्द | अर्थ | शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
हुंकार | ललकार, गर्जन | हुंकार | पुकार |
हल् | शुद्ध व्यंजन | हल | खेत जोतने का औजार |
हरि | विष्णु | हरी | हरे रंग की |
हँसी | हँसना | हंसी | हंसनी |
हुति | हवन | हूति | बुलावा |
हूण | एक मंगल जाति | हुन | मोहर |
हुक | पीठ का दर्द | हूक | ह्रदय की पीड़ा |
हूठा | अँगूठा | हूँठा | साढ़े तीन का पहाड़ा |
हाड़ | हड्डी | हार | पराजय |
वाक्यांश के लिए एक शब्दसे सम्बंधित सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसीलिए, आज के इस लेख में हम आपको वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में बता रहे हैं। यहाँ इस लेख में हम400से भी अधिक वाक्यांश के लिए एक शब्दों के बारे में बता रहे हैं।
वाक्यांश के लिए एक शब्द, मुहावरे तथा लोकोक्तियां किसी भी भाषा को समृद्ध और प्रभावशाली बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। संस्कृत भाषा इस दृष्टि से बहुत समृद्ध है। हिंदी के अधिकांश वाक्यांश के लिए एक शब्द संस्कृत भाषा से ही आए हैं लेकिन समय के साथ बहुत से वाक्यांश के लिए एक शब्द हिंदी भाषा ने स्वयं भी विकसित किए हैं। इससे पहले की आप वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में जाने, हम आपको वाक्यांश के बारे में बता रहे हैं.
वाक्यांश की परिभाषा– शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसेवाक्यांशकहते हैं। वाक्यांश का अर्थ वाक्य का अंश होता है.
वाक्यऔर वाक्यांश में अर्थ के आधार पर तथा रूप के आधार पर बहुत अंतर होता है। यहाँ हम वाक्य और वाक्यांश में अंतर बता रहे हैं।
वाक्य | वाक्यांश |
शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्य कहते हैं। | शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्यांश कहते हैं। |
वाक्य शब्दों का सार्थक समूह होता है। | वाक्यांश शब्दों का समूह होता है। |
वाक्य एक पूर्ण विचार को व्यक्त करता है। | वाक्यांश एक या एक से अधिक भावनाओं को व्यक्त करता है। |
वाक्य मेंक्रियाहोती है। | वाक्यांश में क्रिया नहीं होती बल्कि ज़्यादातर वाक्यांश कृदन्त यासम्बन्धबोधक अव्ययहोते हैं। |
जब किसी वाक्य में प्रयुक्त या स्वतन्त्र किसी वाक्यांश के लिए किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो उस वाक्यांश के अर्थ को पूरी तरह सिद्ध करता हो तो उसे वाक्यांश के लिए एक शब्द (Vakyansh ke liye ek shabd)कहते हैं, अर्थात अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है.
श्रुतिसम’ का अर्थ है ‘सुनने में एक समान’ और ‘भिन्नार्थक’ का अर्थ है ‘अर्थ में भिन्नता’ । अतः वे शब्द जो पढने और सुनने में एक समान प्रतीत होते हैं, परन्तु उनके अर्थो में भिन्नता होती है, उन्हें श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहते हैं।
क्र.सं | शब्द | अर्थ |
1 | अवधि | समय |
अवधी | भाषा | |
2 | अनिल | हवा |
अनल | आग | |
3 | अभय | निर्भय |
उभय | दोनों | |
4 | अवलंब | सहारा |
अविलंब | शीघ्र / बिना देर किए | |
5 | अचार | एक खाद्य पदार्थ |
आचार | आचरण | |
6 | अंक | संख्या, गोद |
अंग | हिस्सा, भाग | |
7 | उपकार | भलाई |
अपकार | बुराई | |
8 | ओर | तरफ़ |
और | तथा | |
9 | नीर | जल |
नीड़ | घोंसला | |
10 | शूर | वीर |
सूर | अंधा |
11 | प्रसाद | भगवान का भोग |
प्रासाद | महल | |
12 | परिणाम | नतीजा , फल |
परिमाण | माप, तोल | |
13 | इतर | दूसरा |
इत्र | सुगंधित द्रव्य | |
14 | कृति | रचना |
कृती | निपुण | |
15 | चालक | वाहन चलाने वाला |
चालाक | चतुर | |
16 | अणु | कण |
अनु | बाद | |
17 | आदि | आरंभ , इत्यादि |
आदी | अभ्यस्त | |
18 | चरम | अन्तिम |
चर्म | चमड़ा | |
19 | अलि | भँवरा |
अली | सखी, सहेली | |
20 | कुल | वंश |
कूल | किनारा |
21 | कर्म | काम |
क्रम | सिलसिला | |
22 | देव | देवता |
दैव | भाग्य | |
23 | चिर | पुराना |
चीर | वस्त्र | |
24 | धनु | धनुष |
धेनु | गाय | |
25 | अंस | कन्धा |
अंश | हिस्सा | |
26 | अन्न | अनाज |
अन्य | दूसरा | |
27 | निधन | मृत्यु |
निर्धन | गरीब | |
28 | दिन | दिवस |
दीन | गरीब | |
29 | नियत | निश्चित |
नियति | भाग्य | |
30 | ग्रह | नक्षत्र |
गृह | घर | |
31 | तरंग | लहर |
तुरंग | घोड़ा | |
32 | मूल | जड़ |
मूल्य | कीमत | |
33 | सर | तालाब |
शर | वाण | |
34 | मात्र | केवल |
मातृ | माता | |
35 | कोश | शब्द – भंडार |
कोष | खज़ाना | |
36 | किला | गढ़ |
कीला | खूँटा | |
37 | सुत | बेटा |
सूत | धागा | |
38 | अश्व | घोड़ा |
अश्म | पत्थर | |
39 | समान | बराबर |
सामान | वस्तु | |
40 | पर्ण | पत्ता |
प्रण | प्रतिज्ञा | |
41 | सिल | मसाला पीसने वाला पत्थर |
शील | शालीनता | |
42 | मेल | मिलाप |
मैल | गंदगी | |
43 | वदन | मुख |
बदन | शरीर | |
44 | दार | स्त्री |
द्वार | दरवाजा |
समान अर्थ रखने वाले शब्द पर्यायवाची शब्द कहते हैं. चूँकि इनके अर्थ में समानता अवश्य रहती हैं. परंतु इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार से हो सकता है.
जो शब्द समान अर्थ के करण दुसरे शब्द का स्थान गृहण कर लेते है , वे पर्यायवाची शब्द कहलाते है … इसी कारण से इन्हें समानार्थी शब्दों के नाम से भी जाना जाता है।
पर्यायवाची शब्द को समानार्थी शब्द भी कहते हैं। समानार्थी अर्थात वह शब्द जो समान अर्थ देने वाला हो। हिंदी साहित्य में समानार्थी शब्दों का विशेष प्रयोग किया जाता है। शब्दों को सुसज्जित अलंकृत करने के लिए समानार्थी शब्दों का जगह-जगह प्रयोग देखने को मिल जाता है। जिस प्रकार आंख शब्द साधारण लगता है , वही नयन शब्द अलंकृत लगता है। ठीक इसी प्रकार अनेकों – अनेक शब्द हिंदी साहित्य में प्रयोग किए जाते हैं।