Junior Legal Officer Recruitment 2023, Vacancy, Admit Card, Result

RPSC (Rajasthan Public Service Commission) Junior Legal Officer 2023 Application Form exam can be filled till 09th August 2023. Apply Online for This Exam and the Admit Card is Released soon. Eligibility Criteria for this exam is that the candidate must be a citizen of India. The candidate’s age should be at least 21 years and maximum 40 years. and above. Government Jobs Seekers, who Looking for Govt Jobs 2023 in India to get Latest Government Jobs Recruitment / Vacancies completely published in this portal.

RPSC JLO Recruitment 2023 – Highlights

Name of the OrganizationRajasthan Public Service Commission (RPSC)
Name of the PostJunior Legal Officer
Total Post140 (Non TSP 134+TSP 06)
Registration Dates10th July to 09th August 2023
LocationRajasthan
Official websiterpsc.rajasthan.gov.in
Offical NotificationClick Here

Junior Legal Officer Vacancy 2023: Important Dates

EventsDates
RPSC JLO Notification Released Date5th July 2023
Application Start Date10th July 2023
Last Date to Apply09th August 2023
Exam DateOctober 2023
RPSC Junior Legal Officer Eligibility 2023

Education Qualification :

1. Candidates have Bachelor Degree in Law from any Recognized University.
2. Hindi Working Knowledge and Rajasthani Culture Knowledge.

Age Limit :

1. Min. Age : 21 Yrs.
2. Max. Age : 40 Yrs.

Application Fee :

1. Gen/ BC/ EBC (CL) : Rs. 600/-
2. SC/ ST/ PwD/ BC/ EBC/ EWS (NCL) : Rs. 400/-

Mode of Payment Online

Salary :9300 to 34900 per month

Selection Process :

1. Written Examination
2. Interview
3. Viva Voce

How to Apply RPSC Jobs 2023 Online

1. Firstly, visit the official website. https://rpsc.rajasthan.gov.in/
2. Now, select the desired Recruitment notification.
3. Read the detailed notification and applying instructions carefully.
4. After that click on the apply online link and open application form.
5. Fill personal and academic details in the online application form.
6. Upload the original photograph and signature in the specified format.
7. Fill the basic details & Pay the fee with bank challan.
8. Take the print of the application form.

RPSC Junior Legal Officer Admit Card 2023 : Notified Soon

Instructions for Downloading the RPSC JLO Admit Card 2023

1. In order to download their RPSC JLO Admit Card candidates need to go to the important link section provided below.

2. After getting the link candidates need to click it for downloading their RPSC JLO Admit Card.

3. Candidates will be redirected to the Login page, here they are required to provide their following details-:

Registration No./Roll No./

DOB/Password

Captcha Code(if specified)

Click on the’ Submit’ Icon

4. After providing their details appropriately candidates will be able to download their RPSC JLO Admit Card.

5. Candidates can also download their RPSC JLO Admit Card from official site of the RPSC.

RPSC Junior Legal Officer Result 2023 : Notified Soon

Click For Exam Syllabus
CPC NOTES
  • CPC – I
  • CPC – II
  • CPC – III
  • CPC – IV
  • CPC – V
  • CPC – VI
  • CPC – VII
  • CPC – VIII
  • CPC – IX
  • CPC – X
Evidence Act Notes
Limitation Act
  • LA – I
  • LA – II
  • LA – III
  • LA – IV
  • LA – V
Interpretation of Statutes
  • I.S. – I
  • I.S. – II
  • I.S. – III
  • I.S. – IV
  • I.S. – V
उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण

उपसर्ग :

उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना होता है उप+सर्ग। उप का अर्थ होता है समीप और सर्ग का अर्थ होता है सृष्टि करना। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओँ में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते है। अथार्त शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं या फिर उसमें विशेषता लाते हैं उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। शब्दांश होने के कारण इनका कोई स्वतंत्र रूप से कोई महत्व नहीं माना जाता है।

उदाहरण:- हार एक शब्द है जिसका अर्थ होता है पराजय। लेकिन इसके आगे आ शब्द लगने से नया शब्द बनेगा जैसे आहार जिसका मतलब होता है भोजन।

उपसर्ग के भेद :-

1. संस्कृत के उपसर्ग

2. हिंदी के उपसर्ग

3. अरबी-फारसी के उपसर्ग

4. अंग्रेजी के उपसर्ग

5. उर्दू के उपसर्ग

6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय

1. संस्कृत के उपसर्ग :-

1.अति – ( अधिक ,परे , ऊपर , उस पार ,) –

अत्यधिक , अतिशय , अत्यंत , अतिरिक्त , अत्यल्प , अतिक्रमण , अतिवृष्टि , अतिशीघ्र , अत्याचार , अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक आदि।

2. अप – ( बुरा , अभाव , विपरीत , हीनता , छोटा ) –

अपयश , अपमान , अपशब्द , अपराध , अपकार , अपकीर्ति , अपभ्रश , अपव्यय , अपवाद , अपकर्ष , अपहरण , अपप्रयोग , अपशकुन , अपेक्षा आदि।

3. अ – (अभाव , अन , निषेध , नहीं , विपरीत ) –

अधर , अपलक , अटल , अमर , अचल , अनाथ , अविश्वास , अधर्म, अचेतन , अज्ञान , अलग , अनजान , अनमोल , अनेक , अनिष्ट , अथाह , अनाचार , अलौकिक , अस्वीकार , अन्याय , अशोक , अहिंसा , अवगुण , अर्जित आदि।

4. अनु – (पीछे , समान , क्रम , पश्चात ) –

अनुक्रमांक , अनुकंपा , अनुज , अनुरूप , अनुपात , अनुचर , अनुकरण , अनुसार , अनुशासन , अनुराग , अनुग्रह , अनुवाद , अनुस्वार , अनुशीलन , अनुकूल , अनुक्रम , अनुभव , अनुशंसा , अन्वय , अन्वीक्षण , अन्वेषण , अनुच्छेद , अनूदित आदि।

5. आ – (ओर , सीमा , तक , से , समेत , कमी , विपरीत , उल्टा , अभाव , नहीं ) –

आगमन , आजीवन , आमरण , आचरण ,आलेख , आहार , आकर्षण , आकर , आकार , आभार , आशंका , आवेश , आरक्त , आदान , आक्रमण , आकलन , आकाश , आरम्भ , आमुख , आरोहण , आजन्म , आयात , आतप , आगार , आगम , आमोद , आरक्षण , आकर्षण , आबालवृद्ध , आघात आदि।

6. अधि – (श्रेष्ठ , प्रधान , ऊपर , सामीप्य ) –

अधिकार , अधिसूचना , अधिपति , अधिकरण , अधिनायक , अधिमान , अधिपाठक , अधिग्रहण , अधिवक्ता , आधिक्य , अध्धयन , अध्यापन , अधिराज , अध्यात्म , अध्यक्ष , अधिनियम , अधिमास , अधिकृत , अधिक्षण , अध्यादेश , अधीन , अधीक्षक आदि।

7.अभि – ( सामने , पास , ओर , इच्छा प्रकट करना , चारों ओर ) –

अभ्यास , अभ्युदय , अभिमान , अभिषेक ,अभिनय , अभिनव , अभिवादन , अभिभाषण , अभियोग , अभिभूत , अभिभावक , अभ्यर्थी , अभीष्ट , अभ्यंतर , अभीप्सा , अभिनन्दन , अभिलाप , अभीमुख , अभ्युत्थान ,अभियान , अभिसार , अभ्यागत , अभ्यास , अभिशाप ,अभिज्ञान आदि।

8. उप – ( निकट , छोटा , सहायक , सद्र्श , गौण , हीनता ) –

उपकार , उपग्रह , उपमंत्री , उपहार , उपदेश , उपवन , उपनाम , उपचार , उपसर्ग , उपयोग , उपभोग , उपभेद , उपयुक्त , उपेक्षा , उपाधि , उपाध्यक्ष ,उपकूल , उपनिवेश , उपस्थिति , उपासना , उपदिशा , उपवेद , उपनेत्र , उपरांत , उपसंहार , उपकरण , उपकार आदि।

9. प्र – ( आगे , अधिक , ऊपर , यश ) –

प्रमाण , प्रयोग , प्रताप , प्रबल , प्रस्थान , प्रकृति , प्रमुख ,प्रदान , प्रचार , प्रसार , प्रहार , प्रयत्न , प्रभंजन , प्रपौत्र , प्रारम्भ , प्रोज्जवल , प्रेत , प्राचार्य , प्रयोजक , प्रार्थी , प्रक्रिया , प्रवाह , प्रख्यात , प्रकाश , प्रकट , प्रगति , प्रपंच , प्रलाप , प्रभुता , प्रपिता , प्रकोप , प्रभु , प्रयास आदि।

10. वि – ( विशिष्ट , भिन्न , हीनता ,असमानता , अभाव ) –

विरोध , विपक्ष , विदेश , विकल , वियोग , विनाश , विराम ,विजय , विज्ञान , विलय , विहार , विख्यात , विधान , व्यवहार , व्यर्थ , व्यायाम , व्यंजन , व्याधि , व्यसन , व्यूह , विकास , विधवा , विवाद , विशेष , विस्मरण , विभाग , विकार , विमुख , विनय , विनंती , विफल , विसंगति , विवाह , विभिन्न ,विश्राम आदि।

11. उत – ( श्रेष्ठ , ऊपर , ऊँचा ) –

उल्लास , उज्ज्वल , उत्थान , उन्नति , उदघाटन , उत्तम , उत्पन्न , उत्पत्ति , उत्पीडन , उत्कंडा, उत्तम , उत्कृष्ट , उदय , उद्गम , उत्कर्ष , उत्पल , उल्लेख , उत्साह , उत्पात , उतीर्ण , उभ्दिज्ज आदि।

12. प्रति – ( विरुद्ध , प्रत्येक , सामने , बराबरी , उल्टा , हर एक ) –

प्रत्याशा , प्रतिकूल , प्रतिकार , प्रतिष्ठा , प्रत्येक , प्रतिहिंसा , प्रतिरूप , प्रतिध्वनी , प्रतिनिधि , प्रतीक्षा , प्रत्युत्तर , प्रतीत , प्रतिक्षण , प्रतिदान , प्रत्यक्ष ,प्रतिवर्ष , प्रत्यपर्ण , प्रतिद्वंदी , प्रतिशोध , प्रतिरोधक , प्रतिघात , प्रतिध्वनी आदि।

13. सु – ( अच्छा , सरल , सुखी , सहज ,सुंदर , अधिक ) –

सुशील , स्वागत , स्वल्प , सुगम , सुबोध , सुपुत्र ,सुधार , सुगंध , सुगति , सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन , सुलभ , सुअवसर, सूक्ति ,सुदूर , सुजन , सुशिक्षित , सुपात्र , सुगठित , सुहाग , सुकर्म , सुकृत , सुभाषित , सुकवि , सुरभि आदि।

14. सम – ( अच्छा , पूर्णता , संयोग , उत्तम , साथ ) –

संताप , संभावना , संयोग , संशोधन , सम्मान , सम्मेलन ,संकल्प, संचय, सन्तोष, संगठन, संचार , संलग्न , संहार, संशय, संरक्षा ,संकल्प, संग्रह, संन्यास, संस्कार, संरक्षण, संहार , सम्मुख, संग्राम , संभव , संतुष्ट , संचालन , संजय आदि।

15. सह – ( साथ ) –

सहोदर , सहपाठी , सहगान , सहचर , सहमती , सहयोग , सहमत आदि।

16. पर – ( अन्य ) –

परदेश , परलोक , पराधीन आदि।

17. कु – ( बुरा ,हीनता ) –

कुपुत्र , कुरूम , कुकर्म , कुमति ,कुयोग , कुकृत्य ,कुख्यात , कुखेत , कुपात्र , कुकाठ , कपूत , कुढंग आदि।

18. परि – ( चारों ओर , पास , आसपास ) –

परिवार , परिणाम , पर्यावरण , परिजन , परिक्रम , परिक्रमा , परिपूर्ण, परिमार्जन,परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान,परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा,पर्याप्त, पर्यटन , पर्यन्त ,परिमित , परिपूर्ण , परिपाक, परिधि आदि।

19. अव – ( हीन , बुरा ,अनादर , पतन ) –

अवशेष , अवगुण , अवकाश , अवसर , अवनति , अवज्ञा , अवधारण, अवगति, अवतार, अवलोकन, अवतरण , अवगत , अवस्था , अवनत , अवसान , अवरोहन , अवगणना , अवकृपा आदि।

20. निर – ( निषेध ,रहित , बिना , बाहर ) –

निर्बल , निर्मल , निर्माण , निर्जन , निरकार , निरपराध, निराहार, निरक्षर, निरादर, निरहंकार, निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण , निरंजन , निराषा , निर्गुण , निर्भय , निर्वास , निराकरण , निर्वाह , निदोष , निर्जीव , निर्मूल आदि।

21. पूरा – ( पुराना , पहला ) –

पुरातत्व , पुरातन , पुरावरित्त आदि।

22. सत – (अच्छा ) –

सदाचार , सत्पुरुष , सत्कर्म , सत्संग , सद्भावना आदि।

23. दुर – ( कठिन , बुरा , विपरीत ,दुष्ट , हीन )-

दुराशा, दुराग्रह, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग, दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुर्दशा , दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह ,दुरुक्ति , दुर्जन , दुर्गम , दुर्बल , दुर्लभ , दुखद , दुरावस्था , दुर्दमनीय , दुर्भाग्य आदि।

24. दुस – ( बुरा , विपरीत , कठिन , दुष्ट , हीन )-

दुश्चिन्त, दुश्शासन, दुष्कर, दुष्कर्म, दुस्साहस, दुस्साध्य,दुष्कृत्य , दुष्प्राप्य , दु:सह आदि।

25. नि – ( बिना , विशेष , निषेध , अभाव , भीतर , नीचे , अतिरिक्त )-

निडर, निगम, निवास, निदान, निहत्थ, निबन्ध, निदेशक, निकर, निवारण, न्यून, न्याय, न्यास, निषेध, निषिद्ध ,नियुक्त , निपात , नियोग , निपात , निरूपा , निदर्शन , निवास , निरूपण , निम्न , निरोध , निकामी , निजोर आदि।

26. निस – ( बिना ,आहार , बाहर , निषेध , रहित )-

निश्चय, निश्छल, निष्काम, निष्कर्म , निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह , निस्तार , निस्सार , निश्चल , निश्चित ,निष्फल , नि:शेष आदि।

27. परा – ( विपरीत , पीछे , अधिक , अनादर , नाश )-

पराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, परावर्तन, पराविद्या, पराकाष्ठा , पराभूत , पराधीन आदि।

28. अन – ( नहीं , बुरा , अभाव , निषेध )-

अनन्त, अनादि, अनेक, अनाहूत, अनुपयोगी, अनागत, अनिष्ट, अनीह , अनुपयुक्त, अनुपम, अनुचित, अनन्य , अनजान , अनमोल , अपढ़ , अनजान , अन्थाह आदि।

29. अध् – (आधे ) –

अधमरा , अधजला , अधपका , अधखिला , अध्सेरा , अधजल , अधस्थल , अधोगति आदि।

30. उन – ( एक कम ) –

उन्नीस , उनतीस , उन्चास , उनसठ , उनहत्तर आदि।

31. औ – ( हीनता , निषेध ) –

औगुन , औघट , औसर , औढर आदि।

32. दु – ( बुरा , हीन ) –

दुकाल , दुबला आदि।

33. बिन – ( निषेध ) –

बिनजाना , बिनब्याहा , बिनबोया , बिनदेखा , बिनखाया , बिनचखा , बिनकाम आदि।

34. भर – ( पूरा , ठीक ) –

भरपेट , भरसक , भरपूर , भरदिन आदि।

35. चिर – ( बहुत , आनन्द ) –

चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी आदि।

36. तत – ( समान ) –

तत्काल , तत्सम , तत्पर आदि।

37. स्व – ( अपना ) –

स्वरोजगार , स्वतंत्र , स्वभाव आदि।

38. अपि – (आवरण )-

अपिधान आदि।

2. हिंदी के उपसर्ग :-

1. अन – (अभाव , निषेध , नहीं ) –

अनजान , अनकहा , अनदेखा , अनमोल , अनबन , अनपढ़ , अनहोनी , अछूत , अचेत , अनचाहा , अनसुना , अलग , अनदेखी आदि।

2. अध् – ( आधा ) –

अधपका , अधमरा , अधक्च्चा , अधकचरा , अधजला , अधखिला , अधगला , अधनंगा आदि।

3. उन – ( एक कम ) –

उनतीस , उनचास , उनसठ , उनहत्तर , उनतालीस , उन्नीस , उन्नासी आदि।

4. दु – (बुरा , हीन , दो , विशेष , कम ) –

दुबला , दुर्जन , दुर्बल , दुलारा , दुधारू , दुसाध्य , दुरंगा , दुलत्ती , दुनाली , दुराहा , दुपहरी , दुगुना , दुकाल आदि।

5. नि – ( रहित , अभाव , विशेष , कमी ) –

निडर , निक्कमा , निगोड़ा , निहत्था , निहाल आदि।

6. अ -( अभाव , निषेध ) –

अछुता , अथाह , अटल , अचेत आदि।

7. कु – ( बुरा , हिन् ) –

कुचाल , कुचैला , कुचक्र , कपूत , कुढंग , कुसंगति , कुकर्म , कुरूप , कुपुत्र , कुमार्ग , कुरीति , कुख्यात , कुमति आदि।

8. औ – (हीन , अब , निषेध ) –

औगुन , औघर , औसर ,औसान , औघट , औतार , औगढ़ , औढर आदि।

9. भर – ( पूरा , ठीक ) –

भरपेट , भरपूर , भरसक , भरमार , भरकम , भरपाई , भरदिन आदि।

10. सु – ( सुंदर , अच्छा ) –

सुडौल , सुजान , सुघड़ , सुफल , सुनामी , सुकाल , सपूत आदि।

11. पर – ( दूसरी पीढ़ी , दूसरा , बाद का ) –

परलोक , परोपकार , परसर्ग , परहित , परदादा , परपोता , परनाना , परदेशी , परजीवी , परकोटा , परलोक , परकाज आदि।

12. बिन – ( बिना , निषेध ) –

बिनब्याहा , बिनबादल , बिनपाए , बिनजाने , बिनखाये , बिनचाहा , बिनखाया , बिनबोया , बिनामांगा , बिनजाया , बिनदेखा , बिनमंगे आदि।

13. चौ – (चार ) –

चौपाई , चौपाया , चौराहा , चौकन्ना , चौमासा , चौरंगा , चौमुखा , चौपाल आदि।

14. उ – ( अभाव , हीनता ) –

उचक्का , उजड़ना , उछलना , उखाड़ना , उतावला , उदर , उजड़ा , उधर आदि।

15. पच – (पांच ) –

पचरंगा , पचमेल , पचकूटा , पचमढ़ी आदि।

16. ति – ( तीन ) –

तिरंगा , तिराहा , तिपाई , तिकोन , तिमाही आदि।

17 . का – ( बुरा ) –

कायर , कापुरुष , काजल आदि।

18. स – ( सहित ) –

सपूत , सफल , सबल , सगुण , सजीव ,सावधान , सकर्मक आदि।

19. चिर – (सदैव ) –

चिरकाल , चिरायु , चिरयौवन , चिरपरिचित , चिरस्थायी , चिरस्मरणीय , चिरप्रतीक्षित आदि।

20. न – (नहीं ) –

नकुल , नास्तिक , नग , नपुंसक , नगण्य , नेति आदि।

21. बहु – (ज्यादा ) –

बहुमूल्य , बहुवचन , बहुमत , बहुभुज , बहुविवाह , बहुसंख्यक , बहुपयोगी आदि।

22. आप – (स्वंय ) –

आपकाज , आपबीती , आपकही , आपसुनी आदि।

23. नाना – (विविध ) –

नानाप्रकार , नानारूप , नानाजाति , नानाविकार आदि।

24. क – (बुरा , हीन ) –

कपूत , कलंक , कठोर , कचोट आदि।

25. सम – ( समान ) –

समतल , समदर्शी , समकोण , समकक्ष आदि।

26. अव – (हीन , निषेध ) –

औगुन , औघर , औसर , औसान आदि।

3. अरबी -फारसी के उपसर्ग :-

1.दर – (में , मध्य में ) –

दरकिनार , दरमियान , दरअसल , दरकार , दरगुजर , दरहकीकत आदि।

2. कम – ( थोडा , हीन , अल्प ) –

कमजोर , कमबख्त , कमउम्र , कमअक्ल , कमसमझ , कमसिन आदि।

3. ला – (नहीं , रहित ) –

लाइलाज , लाजवाब, लापरवाह , लापता ,लावारिस , लाचार , लामानी , लाजवाल आदि।

4. ब – (के साथ , और , अनुसार ) –

बखूबी , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बनाम , बमुश्किल आदि।

5. बे – (बिना ) –

बेनाम , बेपरवाह , बेईमान , बेरहम , बेहोश , बैचैन , बेइज्जत , बेचारा , बेवकूफ , बेबुनियाद ,बेवक्त , बेतरह , बेअक्ल , बेकसूर , बेनामी , बेशक आदि।

6. बा – ( साथ से , सहित ) –

बाकायदा , बादत , बावजूद , बाहरो , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बाइंसाफ , बामुलाहिजा आदि।

7. बद – (बुरा , हीनता ) –

बदनाम , बदमाश , बदतमीज , बदबू , बदसूरत , बदकिस्मत , बदहजमी , बददिमाग , बदमजा , बदहवास , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।

8. ना – (अभाव ) –

नालायक , नाकारा , नाराज , नासमझ , नाबालिक , नाचीज , नापसंद , नामुमकिन , नामुराद , नाकामयाब , नाकाम , नापाक आदि।

9. गैर – (भिन्न , निषेध ) –

गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजिम्मेदार , गैरमुल्क , गैरवाजिब , गैरमुमकिन , गैरमुनासिब आदि।

10. हम – ( आपस में , समान , साथ वाला ) –

हमराज , हमदर्द , हमजोली , हमनाम , हमउम्र , हमदम , हमदर्दी , हमराह , हमसफर आदि।

11. हर – ( सब , प्रत्येक ) –

हरलाल , हरसाल , हरवक्त ,हररोज , हरघडी , हरएक , हरदिन , हरबार आदि।

12. खुश – (अच्छा ) –

खुसबू , खुशनसीब , खुशमिजाज , खुशदिल , खुशहाल , खुशखबरी , खुशकिस्मत आदि।

13. सर – ( मुख्य ) –

सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।

14. अल – ( अलमस्त , निश्चित , अंतिम ) –

अलबत्ता , अलबेला , अलविदा आदि।

4. अंग्रेजी के उपसर्ग :-

1. हाफ – ( आधा ) –

हाफ पेंट , हाफ बाड़ी , हाफटिकट , हाफरेट , हाफकमीज आदि।

2. सब – ( अधीन , नीचे ) –

सब पोस्टर , सब इंस्पेक्टर , सबजज , सबकमेटी , सबरजिस्टर आदि।

3. चीफ – (प्रमुख ) –

चीफ मिनिस्टर , चीफ इंजीनियर , चीफ सेक्रेटरी आदि।

4. जनरल – (प्रधान , सामान्य ) –

जनरल मैनेजर , जनरल सेक्रेटरी , जनरल इंश्योरेंस आदि।

5. हैड – ( मुख्य ) –

हैड मुंशी , हैड पंडित , हेडमास्टर , हेड क्लर्क , हेड ऑफिस , हेड कांस्टेबल आदि।

6. डिप्टी – ( सहायक ) –

डिप्टी कलेक्टर , डिप्टी रजिस्टर , डिप्टी मिनिस्टर आदि।

7. वाइस – ( सहायक , उप ) –

वाइसराय , वाइस चांसलर , वाइस प्रेजिडेंट , वाइस प्रिंसिपल आदि।

8. एक्स – ( मुक्त ) –

एक्सप्रेस , एक्स कमिश्नर , एक्स स्टूडेंट , एक्स प्रिंसिपल आदि।

5. उर्दू के उपसर्ग :-

1. अल – (निश्चित ) –

अलगरज , अलबत्ता आदि।

2. कम – ( थोडा , हीन ) –

कमजोर , कमउम्र , कमबख्त , कमसिन , कमख्याल , कमदिमाग , कमजात आदि।

3. खुश – (अच्छा ) –

खुशनसीब , खुशहाल , खुशकिस्मत , खुशदिल , खुशनुमा , खुशगवार , खुशमिजाज , खुसबू आदि।

4. गैर – (निषेध , के बिना ) –

गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजरूरी , गैरकौम , गैरहाजिब , गैरमुनासिब आदि।

5. दर – ( में ) –

दरकार , दरबार , दरमियान , दरअसल , दरहकीकत आदि।

6. ना – ( अभाव , निषेध ) –

नालायक , नासमझ , नाबालिक , नाराज , नामुमकिन , नादान , नापसंद , नामुराद , नाकामयाब , नाचीज , नापाक , नाकाम आदि।

7. बद – ( बुरा ) –

बदतर , बदनाम , बदकिस्मत , बदसूरत , बदमाश , बददिमाग , बदचलन , बदहजमी , बदमजा , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।

8. बर – (बाहर , ऊपर ) –

बरखास्त , बरदास्त , बरबाद , बरवक्त , बरकरार , बरअक्स , बरजमा आदि।

9. बे – ( बिना ) –

बेवक्त , बेझिझक , बेवकूफ , बेइज्जत , बेकाम , बेअसर , बेरहम , बेईमान , बेचारा , बेअक्ल , बेबुनियाद , बेतरह , बेमानी , बेशक आदि।

10. ला – ( बिना , रहित ) –

लाजवाब , लापता , लाचार , लावारिस , लापरवाह , लाइलाज , लामानी , लाइल्म आदि।

11. हर – ( प्रत्येक , प्रति ) –

हरदम , हरवक्त , हरपल , हरदिन , हरसाल , हरएक , हरबार आदि।

12. हम – ( समान , बराबर ) –

हमसफर , हमदर्द , हमशक्ल , हमउम्र , हमदर्दी , हमपेशा , हमराज , हमदम आदि।

13. बिल – ( के साथ , बिना ) –

बिलआखिर , बिलकुल , बिलवजह , बिलावजह , बिलाशक , बिलालिहज , बिलानागा आदि।

14. फिल /फी – ( में प्रति ) –

फ़िलहाल , फिआदमी , फीसदी आदि।

15. ब – ( और , अनुसार ) –

बनाम , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बमुश्किल आदि।

16. बा – ( सहित , अनुसार ) –

बाकायदा , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बामुलाहिजा आदि।

17. सर – ( मुख्य ) –

सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।

6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय :-

1. का – ( निषेध ) –कापुरुष आदि।

2. कु – ( हीन ) –कुपुत्र आदि।

3. चिर – ( बहुत देर ) –

चिरकाल , चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी , चिरकुमार आदि।

4. अ – ( निषेध , अभाव ) –

अधर्म , अनीति , अनन्त , अज्ञान , अभाव , अचेत , अशोक , अकाल आदि।

5. अन – ( निषेध ) –

अनीति , अनन्त , अनागत , अनर्थ , अनादि आदि।

6. अंतर – ( भीतर ) –

अन्तर्नाद , अन्तर्ध्यान , अंतरात्मा , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर्जातीय आदि।

7. स – ( सहित ) –

सजल , सकल , सहर्ष आदि।

8. अध्: – ( नीचे ) –

अध्:पतन , अधोगति , अधोमुख , अधोलिखित आदि।

9. पुरस – ( आगे ) –

पुरस्कार , पुरस्कृत आदि।

10. पुनः – ( फिर ) –

पुनर्गमन , पुनर्जन्म , पुनर्मिलन , पुनर्लेखन , पुनर्जीवन आदि।

11. पुरा – ( पुराना ) –

पुरातत्व , पुरातन , पुरावृत आदि।

12. तिरस – ( बुरा , हीन ) –

तिरस्कार , तिरोभाव आदि।

13. सत – ( श्रेष्ठ , सच्चा ) –

सत्कार , सज्जन , सत्कार्य , सदाचार , सत्कर्म आदि।

14. अंत: – (भीतरी ) –

अंत:करण , अंत:पुर , अंतर्मन , अंतर्देशीय आदि।

15. बहिर – ( बाहर ) –

बहिर्गमन , बहिष्कार आदि।

16. सम – ( समान ) –

समकालीन , समदर्शी , समकोण ,समकालिक आदि।

17. सह – ( साथ ) –

सहकार , सहपाठी , सहयोग , सहचर आदि।

दो उपसर्गों से बने उपसर्ग :-

1. अ+नि+यंत्रित = अनियंत्रित
2. प्रति+उप+कार = प्रतुप्कार
3. परी+आ+वरण = पर्यावरण
4. अति+आ+चार = अत्याचार
5. सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान
6. अन+आ+गत = अनागत
7. वि+आ+करण = व्याकरण
8. अ+परा+जय = अपराजय
9. सत+आ+चार = सदाचार
10. निर+अभि+मान = निरभिमान
11. सु+आ+गत = स्वागत
12. अन+आ+चार = अनाचार आदि।

प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

प्रत्यय :

प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय। प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘।अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।

जैसे:-

  • समाज + इक = सामाजिक
  • सुगंध +इत = सुगंधित
  • भूलना +अक्कड = भुलक्कड
  • मीठा +आस = मिठास
  • लोहा +आर = लुहार
  • नाटक +कार =नाटककार
  • बड़ा +आई = बडाई
  • टिक +आऊ = टिकाऊ
  • बिक +आऊ = बिकाऊ
  • होन +हार = होनहार
  • लेन +दार = लेनदार
  • घट + इया = घटिया
  • गाडी +वाला = गाड़ीवाला
  • सुत +अक्कड = सुतक्कड़
  • दया +लु = दयालु

प्रत्यय के प्रकार :-

(क) संस्कृत के प्रत्यय
(ख) हिंदी के प्रत्यय
(ग) विदेशी भाषा के प्रत्यय

(क) संस्कृत के प्रत्यय क्या होते हैं :-संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं ।

जैसे:– त – आगत , विगत , कृत ।

संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-

1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय क्या होते हैं :–वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।

जैसे:– लिख +अक = लेखक

धातु + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-

(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल+ अक =लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।

(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष+ अन =पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।

(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।

(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु+ अनिय =माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।

(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल+आ =सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।

(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन+ आई =लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।

(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ+आन =उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।

(viii) हर, गिर, दशरथ, माला+ इ =हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।

(ix) छल, जड़, बढ़, घट+ इया =छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।

(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प+इत =पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।

(xi) चर्, पो, खन्+ इत्र =चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।

(xii) अड़, मर, सड़+ इयल =अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।

(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार+ ई =हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।

(xiv) इच्छ्, भिक्ष्+ उक =इच्छुक, भिक्षुक आदि ।

(xv) कृ, वच्+ तव्य =कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।

(xvi) आ, जा, बह, मर, गा+ ता =आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।

(xvii) अ, प्री, शक्, भज+ ति =अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।

(xviii) जा, खा+ ते =जाते, खाते आदि ।

(xix) अन्य, सर्व, अस्+ त्र =अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।

(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़+ न =क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।

(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा+ ना =पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।

(xxii) दा, धा+ म =दाम, धाम आदि ।

(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज+ य =गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।

(xxiv) मृग, विद्+ या =मृगया, विद्या आदि ।

(xxv) गे+रु =गेरू आदि ।

(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना+ वाला =देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।

(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव+ ऐया \ वैया =बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।

(xxviii) होना, रखना, खेवना+ हार =होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।

कृत प्रत्यय के भेद :-

1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
3. भाववाचक कृत प्रत्यय
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
5. करणवाचक कृत प्रत्यय
6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय

1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • अक= लेखक , नायक , गायक , पाठक
  • अक्कड= भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़
  • आक= तैराक , लडाक
  • आलू= झगड़ालू
  • आकू= लड़ाकू , कृपालु , दयालु
  • आड़ी= खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी
  • इअल= अडियल , मरियल , सडियल
  • एरा= लुटेरा , बसेरा
  • ऐया= गवैया , नचैया
  • ओडा= भगोड़ा
  • वाला= पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला
  • हार= होनहार , राखनहार , पालनहार
  • ता= दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता ।

2. विशेषण वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय के क्रियापदों से विशेषण शब्द की रचना होती है उसे विशेषण वाचक कृत प्रत्यय कहते है ।

जैसे:-

  • = आगत ,विगत ,कृत
  • तव्य= कर्तव्य ,गन्तव्य
  • = नृत्य ,पूज्य , खाघ
  • अनीय=पठनीय ,पूजनीय ,शोचनीय ।

3. भाववाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं ।

जैसे:-

  • अन= लेखन , पठन , गमन , मनन , मिलन
  • ति= गति , रति , मति
  • = जय , लेख , विचार , मार , लूट , तोल
  • आवा= भुलावा , छलावा , दिखावा , बुलावा , चढावा
  • आई= कमाई , चढाई , लड़ाई , सिलाई , कटाई , लिखाई
  • आहट= घबराहट , चिल्लाहट
  • औती= मनौती , फिरौती , चुनौती , कटौती
  • अंत= भिडंत , गढंत
  • आवट= सजावट , बनावट , रुकावट , मिलावट
  • ना= लिखना , पढना
  • आन= उड़ान , मिलान , उठान , चढ़ान
  • आव= चढ़ाव , घुमाव , कटाव
  • आवट= सजावट , लिखावट , मिलावट

4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • औना= बिछौना , खिलौना
  • ना= सूँघना , पढना , खाना
  • नी= सुँघनी , छलनी
  • गा= गाना ।

5. करणवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • = भटका , भूला , झूला
  • = झाड़ू
  • = रेती , फांसी , भारी , धुलाई
  • = बेलन , झाडन , बंधन
  • नी= धौंकनी , करतनी , सुमिरनी , छलनी , फूंकनी , चलनी

6. क्रिया वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :– जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

ता =डूबता , बहता , चलता
या =खोया , बोया
आ =सुखा , भूला , बैठा
ना =दौड़ना , सोना
कर =जाकर , देखकर

कृत प्रत्यय के प्रकार :-

1. विकारी कृत प्रत्यय
2. अविकारी कृत प्रत्यय

1. विकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-विकारी कृत प्रत्यय में शुद्ध संज्ञा तथा विशेषण बने होते हैं इसलिए इसे विकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।

विकारी कृत प्रत्यय के भेद :-

1. क्रियार्थक संज्ञा
2. कृतवाचक संज्ञा
3. वर्तमान कालिक कृदंत
4. भूतकालिक कृदंत

1. क्रियार्थक संज्ञा क्या होती है :-वह संज्ञा जो क्रिया के मूल रूप में होती है और क्रिया का अर्थ देती है अथार्त को का अर्थ बताने वाला वह शब्द जो क्रिया के रूप में उपस्थित होते हुए भी संज्ञा का अर्थ देता है वह क्रियाथक संज्ञा कहलाती है ।

2. कृतवाचक संज्ञा क्या होती है :-वे प्रत्यय जिनके जुड़ने पर कार्य करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक संज्ञा कहते हैं ।

3. वर्तमान कालिक कृदंत क्या होती है :-जब हम एक काम को करते हुए दूसरे काम को साथ में करते हैं तो पहले वाली की गई क्रिया को वर्तमान कालिक कृदंत कहते हैं ।

4. भूतकालिक कृदंत क्या होता है :-जब सामान्य भूतकालिक क्रिया को हुआ , हुए , हुई आदि को जोड़ने से भूतकालिक कृदंत बनता है ।

2. अविकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-ऐसे कृत प्रत्यय जिनकी वजह से क्रियामूलक विशेषण और अव्यय बनते है उन्हें अविकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।

2. तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जब संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं तद्धित प्रत्यय से मिलाकर जो शब्द बनते हैं उन्हें तद्धितांत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:– सेठ+आनी = सेठानी ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पछताना, जगना , पंडित , चतुर , ठाकुर+ आइ =पछताई ,जगाई ,पण्डिताई ,चतुराई , ठकुराई आदि ।

(ii) पण्डित, ठाकुर+ आइन =पण्डिताइन, ठकुराइन आदि ।

(iii) पण्डित, ठाकुर, लड़, चतुर, चौड़ा ,अच्छा+ आई =पण्डिताई, ठकुराई, लड़ाई, चतुराई, चौड़ाई , अच्छाई आदि ।

(iv) सेठ, नौकर+ आनी =सेठ, नौकर आदि ।

(v) बहुत, पंच, अपना+आयत =बहुतायत, पंचायत, अपनायत आदि ।

(vi) लोहा, सोना, दूध, गाँव+ आर \आरा =लोहार, सुनार, दूधार, गँवार आदि ।

(vii) चिकना, घबरा, चिल्ल, कड़वा+ आहट =चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट, कड़वाहट आदि ।

(viii) फेन, कूट, तन्द्र, जटा, पंक, स्वप्न, धूम+ इल =फेनिल, कुटिल, तन्द्रिल, जटिल, पंकिल, स्वप्निल, धूमिल आदि ।

(ix) कन्, वर्, गुरु, बल+ इष्ठ =कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ आदि ।

(x) सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात+ ई =सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात आदि ।

(xi) ग्राम, कुल+ ईन =ग्रामीण, कुलीन आदि ।

(xii)भवत्, भारत, पाणिनी, राष्ट्र+ ईय =भवदीय, भारतीय, पाणिनीय, राष्ट्रीय आदि ।

(xiii) बच्चा, लेखा, लड़का+ ए =बच्चे, लेखे, लड़के आदि ।

(xiv) अतिथि, अत्रि, कुंती, पुरुष, राधा+ एय =आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय आदि ।

(xv) फुल, नाक+एल =फुलेल, नकेल आदि ।

(xvi) डाका, लाठी+ ऐत =डकैत, लठैत आदि ।

(xvii) अंध, साँप, बहुत, मामा, काँसा, लुट, सेवा+ एरा/ऐरा =अँधेरा, सँपेरा, बहुतेरा, ममेरा, कसेरा, लुटेरा , सवेरा आदि ।

(xviii) खाट, पाट, साँप+ ओला =खटोला, पटोला, सँपोला आदि ।

(xix) बाप, ठाकुर, मान+ औती =बपौती, ठकरौती, मनौती आदि ।

(xx) बिल्ला, काजर+ औटा =बिलौटा, कजरौटा आदि ।

(xxi) धम, चम, बैठ, बाल, दर्श, ढोल , लल+ क =धमक, चमक, बैठक, बालक, दर्शक, ढोलक , ललक आदि ।

(xxii) विशेष, ख़ास+ कर =विशेषकर, ख़ासकर आदि ।

(xxiii) खट, झट+ का =खटका, झटका आदि ।

(xxiv) भ्राता, दो+ जा =भतीजा, दूजा आदि ।

(xxv) चाम, बाछा, पंख, टाँग+ डा/डी =चमड़ा, बछड़ा, पंखड़ी, टँगड़ी आदि ।

(xxvi) रंग, संग, खप+ त =रंगत, संगत, खपत आदि ।

(xxvii) अद्य+ तन =अद्यतन आदि ।

(xxviii) गुरु, श्रेष्ठ+ तर =गुरुतर, श्रेष्ठतर आदि ।

(xxix) अंश, स्व , आ+त: =अंशतः, स्वतः , अत: आदि ।

(xxx) कम, बढ़, चढ़+ ती =कमती, बढ़ती, चढ़ती आदि ।

(xxxi) ऐ , कै , वै+ सा =ऐसा , कैसा , वैसा आदि ।

(xxxii) लेश , रंच+ मात्र =लेशमात्र , रंचमात्र आदि ।

तद्धित प्रत्यय के प्रकार :-

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
4. संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
10. गणनावाचक तद्धति प्रत्यय
11. स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा , सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सोना , लोहा , कह , चम+ आर =सुनार , लुहार , कहार , चमार आदि ।

(ii) जुआ+ आरी =जुआरी आदि ।

(iii) मजाक , रस , दुःख , आढत , मुख , रसोई+ इया =मजाकिया , रसिया , दुखिया , आढतिया , मुखिया , रसोईया आदि ।

(iv) सब्जी , टोपी , घर , गाड़ी , पान+ वाला =सब्जीवाला , टोपीवाला , घरवाला , गाड़ीवाला ,पानीवाला आदि ।

(v) पालन+ हार =पालनहार आदि ।

(vi) समझ , ईमान , दुकान , कर्ज+ दार =समझदार , ईमानदार , दुकानदार , कर्जदार आदि ।

(vii) तेल , भेद , रोग+ ई =तेली , भेदी , रोगी आदि ।

(viii) घास , कसा , ठठ , लुट+ एरा= घसेरा , कसेरा , ठठेरा , लुटेरा आदि ।

(ix) लकड , पानी , मनि+ हारा =लकडहारा , पनिहारा , मनिहारा आदि ।

(x) पाठ , लेख , लिपि+ क =पाठक , लेखक , लिपिक आदि ।

(xi) पत्र , कला , चित्र+ कार =पत्रकार , कलाकार , चित्रकार आदि ।

(xii) मछु , गेरू , ठलु+ आ =मछुआ , गेरुआ , ठलुआ आदि ।

(xiii) मशाल , खजान , मो+ ची =मशालची , खजानची , मोची आदि ।

(xiv) कारी , बाजी , जादू + कारीगर , बाजीगर , जादूगर आदि ।

2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–इस प्रत्यय में भाव प्रकट होता है ।इसमें प्रत्यय लगने की वजह से कहीं कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाया करती है । जो प्रत्यय संज्ञा तथा विशेषण के साथ जुडकर भाववाचक संज्ञा को बनाते हैं उसे भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) देवता ,मनुष्य , पशु , महा , गुरु , लघु+ त्व =देवत्व , मनुष्यत्व , पशुत्व , महत्व , गुरुत्व , लघुत्व आदि ।

(ii) बच्चा , लडक , छुट , काला+ पन =बचपन , लडकपन , छुटपन , कालापन आदि ।

(iii) सज्जा+वट =सजावट आदि ।

(iv) चिकना+ हट =चिकनाहट आदि ।

(v) रंग+ त =रंगत आदि ।

(vi) मीठा+ आस =मिठास आदि ।

(vii) बुलाव , सराफ , चूर+ आ =बुलावा , सराफा , चूरा आदि ।

(viii) भला , बुरा , कठिन , चतुर , ऊँचा+ आई =भलाई , बुराई , कठिनाई , चतुराई , ऊँचाई आदि ।

(ix) बुढा , मोटा+ आपा =बुढ़ापा , मोटापा आदि ।

(x) खट , मीठा , भडा+ आस =खटास , मिठास , भडास आदि ।

(xi) कडवा , घबरा , झल्ला , चिकना+ आहट =कडवाहट , घबराहट , झल्लाहट , चिकनाहट आदि ।

(xii) लाली , महा , अरुण , गरी+ इमा =लालिमा , महिमा , अरुणिमा , गरिमा आदि ।

(xiii) गर्म , खेत , सर्द , गरीब+ ई =गर्मी , खेती , सर्दी , गरीबी आदि ।

(xiv) सुंदर , मूर्ख , मनुष्य , लघु , गुरु , सम , कवि , एक , बन्धु+ ता =सुन्दरता , मूर्खता , मनुष्यता , लघुता , गुरुता , समता , कविता , एकता , बन्धुता आदि ।

(xv) बाप , मान+ औती =बपौती , मनौती आदि ।

(xvi) लाघ , गौर , पाट+ अव =लाघव , गौरव , पाटव आदि ।

(xvii) पंडित , धैर , चतुर , मधु+ य =पांडित्य , धैर्य , चातुर्य , माधुर्य आदि ।

(xviii) चौड़ा+आन =चौडान आदि ।

(xix) अपना+ आयत =अपनायत आदि ।

(xx) छूट+ आरा =छुटकारा आदि ।

3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय शब्दों से लघुता , प्रियता , हीनता का पता चलता हो उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) ढोल+ क =ढोलक आदि ।

(ii) छाता+ री =छतरी आदि ।

(iii) बूढी , लोटा , डिबा , खाट+ इया =बुढिया , लुटिया , डिबिया , खटिया आदि ।

(iv) टोप , कोठर , टोकन , ढोलक , मण्डल , टोकरा , पहाड़ , घन+ ई =टोपी , कोठरी , टोकनी , ढोलकी , मण्डली , टोकरी , पहाड़ी , घण्टी आदि ।

(v) छोटा , कन+ की =छोटकी , कनकी आदि ।

(vi) चोरी , कालू+ टा =चोट्टा , कलूटा आदि ।

(vii) दुःख , बछ+ डा =दुखड़ा , बछड़ा आदि ।

(viii) पाग , टूक , टांग+ डी =पगड़ी , टुकड़ी , टंगड़ी आदि ।

(ix) खाट+ ली =खटोली आदि ।

(x) बच्चा+ वा =बचवा आदि ।

(xi) लँगोट , कचौट , बहु+ टी =लंगोटी , कछौटी , बहूटी आदि ।

(xii) खाट , साँप+ ओला =खटोला , संपोला आदि ।

(xiii) ठाकुर+आ =ठकुरा आदि ।

(xiv) टीका+ ली =टिकली आदि ।

(xv) मरा+ सा =मरासा आदि ।

4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के लगने से संबंध का पता लगता है उसे संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं इसमें कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) नाना+ हाल =ननिहाल आदि ।

(ii) नाक+ एल =नकेल आदि ।

(iii) ससुर+ आल =ससुराल आदि ।

(iv) बाप+ औती =बपौती आदि ।

(v) लखनऊ , पंजाब , गुजरात , बंगाल , सिंधु+ ई =लखनवी , पंजाबी , गुजराती , बंगाली , सिंधी आदि ।

(vi) फूफा , मामा , चाचा+ ऐरा =फुफेरा , ममेरा , चचेरा आदि ।

(vii) भाई , बहन+ जा =भतीजा , भानजा आदि ।

(viii) पटना , कलकता , जबलपुर , अमृतसर+ इया =पटनिया , कलकतिया , जबलपुरिया , अमृतसरिया आदि ।

(ix) शरीर , नीति , धर्म , अर्थ , लोक , वर्ष , एतिहास+ इक =शारीरिक , नैतिक , धार्मिक , आर्थिक , लौकिक , वार्षिक , ऐतिहासिक आदि ।

(x) दया , श्रद्धा+ आलु =दयालु , श्रद्धालु आदि ।

(xi) फल , पीड़ा , प्रचल , दुःख , मोह+ इत =फलित , पीड़ित , प्रचलित , दुखित , मोहित आदि ।

(xii) रस , रंग , जहर+ ईला =रसीला , रंगीला , जहरीला आदि ।

(xiii) भारत , प्रान्त , नाटक , भवद+ ईय =भारतीय , प्रांतीय , नाटकीय , भवदीय आदि ।

(xiv) विष+ ऐला =विषैला आदि ।

(xv) कठिन+ तर =कठिनतर आदि ।

(xvi) बुद्धि+ मान =बुद्धिमान आदि ।

(xvii) पुत्र , मातृ+ वत =पुत्रवत , मातृवत आदि ।

(xviii) इक+ हरा =इकहरा आदि ।

(xix) नन्द+ ओई =ननदोई आदि ।

(xx) ग्राम , काम , हास् , भव+ य =ग्राम्य , काम्य , हास्य , भव्य आदि ।

(xxi) जट , फेन , बोझ , पंक+ इल =जटिल , फेनिल , बोझिल , पंकिल आदि ।

(xxii) स्वर्ण , अंत , रक्ति+ इम =स्वर्णिम , अंतिम , रक्तिम आदि ।

5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द के आंतरिक रूप में परिवर्तन हो जाता है और शब्द का अर्थ अपत्य हो जाता है । इनसे संतान या वंश में पैदा हुए व्यक्ति का बोध होता है उसे अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।इस प्रत्यय में कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार से हैं :-

(i) वसुदेव , मनु , कुरु , रघु , यदु , विष्णु , कुन्ती +अ =वासुदेव , मानव , कौरव , राघव , यादव , वैष्णव , कौन्तेय आदि ।

(ii) नर+ आयन =नारायण आदि ।

(iii) राधा , गंगा , भागिन+ एय =राधेय , गांगेय , भागिनेय आदि ।

(iv) दिति , आदित+ य =दैत्य , आदित्य आदि ।

(v) दशरथ , वाल्मिक , सौमित्र , जनक , द्रोपद , गांधार+ ई =दाशरथि , वाल्मिकी , सौमित्री , जानकी , द्रोपदी , गांधारी आदि ।

6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से पदार्थ के गुणों का बोध होता है उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं । इस प्रत्यय से संज्ञा शब्द गुन्वाची हो जाता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) भूख , प्यास , ठंड , मीठ+ आ =भूखा , प्यासा , ठंडा , मीठा आदि ।

(ii) निशा+ अ =नैश आदि ।

(iii) शरीर , नगर , इतिहास+ इक =शारीरिक , नागरिक , ऐतिहासिक आदि ।

(iv) पक्ष , धन , लोभ , क्रोध , गुण , विद्याथ , सुख , ज्ञान , जंगल+ ई =पक्षी , धनी , लोभी , क्रोधी , गुणी , विद्यार्थी , सुखी , ज्ञानी , जंगली आदि ।

(v) बुद्ध+ ऊ =बुद्धू आदि ।

(vi) छूत+ हा =छुतहर आदि ।

(vii) गांजा+ एडी =गंजेड़ी आदि ।

(viii) शाप , पुष्प , आनन्द , क्रोध+ इत =शापित , पुष्पित , आनन्दित , क्रोधित आदि ।

(ix) लाल+ इमा =लालिमा आदि ।

(x) वर+ इष्ठ =वरिष्ठ आदि ।

(xi) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।

(xii) मधु+ र =मधुर आदि ।

(xiii) वत्स+ ल =वत्सल आदि ।

(xiv) माया+ वी =मायावी आदि ।

(xv) कर्क+ श =कर्कश आदि ।

(xvi) चमक , भडक , रंग , सज+ ईला =चमकीला , भडकीला , रंगीला , सजीला आदि ।

(xvii) वांछन , अनुकरण , भारत , रमण+ ईय =वांछनीय , अनुकरणीय , भारतीय , रमणीय आदि ।

(xviii) कृपा , दया , शंका+ लू =कृपालु , दयालु , शंकालु आदि ।

(xix) विष , कस+ ऐला =विषैला , कसैला आदि ।

(xx) दया , कुल+ वंत =दयावन्त , कुलवंत आदि ।

(xxi) गुण , रूप , बल , विद+ वान =गुणवान , रूपवान , बलवान , विद्वान् आदि ।

(xxii) बुद्धि , शक्ति , गति , आयुष+ मान =बुद्धिमान , शक्तिमान , गतिमान , आयुष्मान आदि ।

(xxiii) पश्चात् , पौर्वा , दक्षिण+ त्य =पश्चात्य , पौर्वात्य , दक्षिणात्य आदि ।

(xxiv) सुन+ हरा =सुनहरा आदि ।

(xxv) रूप+ हला =रुपहला आदि ।

7. स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्थान का पता चलता है वहाँ पर स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय होता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) गुजरात , पंजाब , बंगाल , जर्मन+ ई =गुजरती , पंजाबी , बंगाली , जर्मनी आदि ।

(ii) पटना , मुम्बई , नागपुर , जयपुर+ इया =पटनिया , मुम्बईया , नागपुरिया , जयपुरिया आदि ।

(iii) चारा+ गाह =चारागाह आदि ।

(iv) आगा+ आड़ी =अगाड़ी आदि ।

(v) सर्व , यद , तद+ त्र =सर्वत्र , यत्र , तत्र आदि ।

(vi) डेरे , दिल्ली , बनारस , सुरत , चाय+ वाला =डेरेवाला , दिल्लीवाला , बनारसवाला , सुरतवाला , चायवाला आदि ।

(vii) कलक , तिरहु+ तिया =कलकतिया , तिरहुतिया आदि ।

8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण आदि पदों के अंत में आँ, अ ओं , तना , भर आदि बहुत से प्रत्यय जोडकर अव्यय वाचक तद्धित प्रत्यय बनाए जाते हैं ।

पद + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सर्व+ दा =सर्वदा आदि ।

(ii) एक+ त्र =एकत्र आदि ।

(iii) कोस+ ओं =कोसों आदि ।

(iv) आप+ स =आपस आदि ।

(v) यह+ आँ =यहाँ आदि ।

(vi) दिन+ भर =दिनभर आदि ।

(vii) धीर+ ए =धीरे आदि ।

(viii) तड़का+ ए =तडके आदि ।

(ix) पीछा+ ए =पीछे आदि ।

9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सुन , रूप+ हरा =सुनहरा , रूपहरा आदि ।

(ii) पीला , नीला , काला+ सा =पीला सा , नीला सा , काला सा आदि ।

10. गणना वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से शब्दों में संख्या का पता चले उसे गणना वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पह+ ला =पहला आदि ।

(ii) दुस , तीन+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।

(iii) इक , दु , ति+ हरा =इकहरा , दुहरा , तिहरा आदि ।

(iv) पांच , सात , दस+ वाँ =पांचवां , सातवाँ , दसवां आदि ।

(v) चौ+था =चौथा आदि ।

(vi) दो +गुना =दोगुना आदि ।

11. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्यय की वजह से संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण के साथ लगकर उनके स्त्रीलिंग होने का भेद उत्पन्न हो उन्हें स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जिन प्रत्ययों को लगाने से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) देवा , जेठ , नौकर+ आनी =देवरानी , जेठानी , नौकरानी आदि ।

(ii) रूद्र , इंद्र+ आणी =रुद्राणी , इन्द्राणी आदि ।

(iii) देव , लड़का+ ई =देवी , लडकी आदि ।

(iv) सुत , प्रिय ,छात्र , अनुज+ आ =सुता , प्रिया , छात्रा , अनुजा आदि ।

(v) धोबी , बाघ , माली+ इन =धोबिन , बाघिन , मालिन आदि ।

(vi) ठाकुर , मुंशी+ आइन =ठकुराइन , मुंशियाइन आदि ।

(vii) शेर , मोर+ नी =शेरनी , मोरनी आदि ।

12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-दो या ज्यादा वस्तुओं में श्रेष्ठता बताने के लिए तारतम्य वाचक तद्धित प्रत्यय प्रयोग किया जाता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) अधिक , गुरु , लघु+ तर =अधिकतर , गुरुतर , लघुतर आदि ।

(ii) सुंदर , अधिक , लघु+ तम =सुन्दरतम , अधिकतम , लघुतम आदि ।

(iii) गर , वर+ ईय =गरिय , वरीय आदि ।

(iv) गर , वर , कन+ इष्ठ =गरिष्ठ , वरिष्ठ , कनिष्ठ आदि ।

13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को लगाने से शब्द में संख्या की पूर्णता का बोध होता है उसे ही पूर्णता वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) प्रथ , पंच , सप्त , नव , दश+ म =प्रथम , पंचम , सप्तम , नवम , दशम आदि ।

(ii) चतुर +थ =चतुर्थ आदि ।

(iii) पष+ ठ =पष्ठ आदि ।

(iv) द्वि , तृ+ तीय =द्वितीय , तृतीय आदि ।

(ख) हिंदी के प्रत्यय क्या होते हैं :-

हिंदी के प्रत्ययों को भी संस्कृत के प्रत्ययों की तरह ही जोड़ा जाता है लेकिन इन दोनों में इतना अंतर होता है की संस्कृत में कृत और तद्धित प्रत्यय होते हैं लेकिन हिंदी में तद्भव और देशज प्रत्यय होते हैं । हिंदी के भी अनेक प्रत्ययों को प्रयोग किया जाता है ।इतिहास के अनुसार हिंदी के प्रत्ययों को चार भागों में बांटा गया है ।

हिंदी के भाग :-

1. तत्सम प्रत्यय
2. तद्भव प्रत्यय
3. देशज प्रत्यय
4. विदेशज प्रत्यय

1. तत्सम प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)– ( स्त्री प्रत्यय , भाववाचक प्रत्यय ) – आदरनीया , प्रिया , माननीया , सुता , इच्छा , पूजा आदि ।

(ii)आनी– ( स्त्री प्रत्यय ) – देवरानी , सेठानी , नौकरानी , भवानी , मेहतरानी आदि ।

(iii)आलु– ( विशेषण प्रत्यय , वाला ) – कृपालु , दयालु , निद्रालु , श्रद्धालु आदि ।

(iv)इत– ( विशेषण प्रत्यय , युक्त ) – पल्लवित , पुष्पित , फलित , हर्षित , निर्मित आदि ।

(v)इमा– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गरिमा , मधुरिमा , लालिमा , महिमा , नीलिमा आदि ।

(vi)इक– ( विशेषण प्रत्यय , संज्ञा प्रत्यय ) – दैनिक , वैज्ञानिक , वैदिक , लौकिक , भौतिक आदि ।

(vii)– (स्वार्थ , समूह ) – घटक , ठंडक , भटक , शतक , सप्तक आदि ।

(viii)कार– (लिखने वाला , बनाने वाला , वाला ) – पत्रकार , जानकार शिल्पकार आदि ।

(ix)– ( जन्मा हुआ ) – अंडज , पिंडज , जलज , पंकज , देशज , विदेशज आदि ।

(x)जीवी– ( जीनेवाला ) – परजीवी , बुद्धजीवी , लघुजीवी , दीर्घजीवी आदि ।

(xi)ज्ञ– ( जाननेवाला ) – अज्ञ , निर्वज्ञ , सर्वज्ञ , विज्ञ , मर्मज्ञ आदि ।

(xii): – ( क्रिया विशेषण प्रत्यय ) – लघुतया , विशेषतया , मुख्यतया , सामान्यतया आदि ।

(xiii)तर– ( तुलना बोधक प्रत्यय ) – उच्चतर , अधिकतर , निम्नतर , सुन्द्रतर , श्रेष्ठतर आदि ।

(xiv)तम– ( सर्वधिकता बोधक प्रत्यय ) – उच्चतम , लघुतम , अधिकतम , महत्तम , निकृष्टतम आदि ।

(xv)ता– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – सुन्दरता , नवीनता , मधुरता , अधिकता आदि ।

(xvi)त्व– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – कृतित्व , ममत्व , महत्व , सतीत्व , जनित्व , आदि ।

(xvii)मान– ( विशेषण वाचक प्रत्यय ) – स्वाभिमान , मेहमान , निर्मान आदि ।

(xviii)वान– ( वाला ) – गुणवान , धनवान , बलवान , रूपवान आदि ।

2. तद्भव प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)अंगड– ( वाला ) – बतंगड , कटंगड आदि ।

(ii)अंतू– ( वाला ) – रटंतू , घुमंतू , जीवंतू आदि ।

(iii)अत– ( संज्ञा प्रत्यय ) – खपत , लिखत , रंगत ,चढत , पढ्त आदि ।

(iv)आँध– ( संज्ञा प्रत्यय ) – विषांध , सरांध आदि ।

(v)– ( भाववाचक प्रत्यय ) – जोड़ा , फोड़ा , रगडा , झगड़ा , तगड़ा आदि ।

(vi)आई– ( भाववाचक प्रत्यय ) – कठिनाई , बुराई , सफाई , लिखाई , छपाई , जमाई आदि ।

(vii)आऊ– ( वाला ) – खाऊ , टिकाऊ , बिकाऊ , पण्डिताऊ , जडाऊ आदि ।

(viii)आप/आपा – ( भाववाचक प्रत्यय ) – मिलाप , अपनापा , पुजापा , बुढ़ापा आदि ।

(ix)आर– ( करनेवाला ) – कुम्हार , लुहार , चम्हार , त्यौहार आदि ।

(x)आरा– ( करनेवाला ) – घसियारा , हथियारा आदि ।

(xi)आरी– ( करनेवाला ) – पुजारी , भिखारी , जुआरी आदि ।

(xii)आलू– ( करनेवाला ) – कृपालु , झगड़ालू , दयालु आदि ।

(xiii)आवट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – लिखावट , सजावट , बनावट , कसावट , बिनावट आदि ।

(xiv)आस– ( इच्छावाचक प्रत्यय ) – छपास , लिखास , निकास , प्यास , खास आसी ।

(xv)आहत– ( भाववाचक प्रत्यय ) – भलमनसाहत आदि ।

(xvi)आहट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गडगडाहट , घबराहट , चिल्लाहट आदि ।

(xvii)इन– ( स्त्री प्रत्यय ) – जुलाहिन , ठकुराइन , तेलिन , पुजारिन , सेठाइन आदि ।

(xviii)इया– ( वाला , लघुत्व , बोधक , स्त्री प्रत्यय ) – चुटिया , घटिया , चुहिया , डिबिया , भोजपुरिया , जयपुरिया , नागपुरिया , कनौजिया आदि ।

(xix)इला– ( वाला ) – चमकीला , भडकीला , पथरीला , शर्मिला , उर्मिला आदि ।

(xx)एरा– ( वाला ) – चचेरा , ममेरा , बहुतेरा , फुफेरा आदि ।

(xxi)औडा / औडी– ( लिंगवाचक प्रत्यय ) – सेवड़ा , रेवड़ी , पकौड़ा आदि ।

(xxii)– ( भाववाचक प्रत्यय ) – चाहत , मिल्लत , मोहित , लिखित आदि ।

(xxiii)ता– ( कर्मवाचक प्रत्यय ) – आता , सोता , खाता , पिता , पीता , जगता , जाता आदि ।

(xxiv)पन– ( भाववाचक प्रत्यय ) – बचपन , पागलपन , बड़प्पन , लडकपन , छुटपन आदि ।

(xxv)वाला– ( कृतवाचक प्रत्यय , विशेषण प्रत्यय ) – अपनेवाला , ऊपरवाला , खानेवाला, जानेवाला , लालवाला , लिखनेवाला , छापनेवाला आदि ।

3. देशज प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)अक्कड़– ( वाला ) – घुमक्कड़ ,पियक्कड़ , भुलक्कड़ आदि ।

(ii)अड़– ( स्वार्थिक ) – अंधड़ , भुक्खड़ आदि ।

(iii)आक– ( भाववाचक प्रत्यय ) – खर्राटा , फर्राटा , सर्राटा आदि ।

(iv)इयल– ( वाला ) – अडियल , दढ़ियल , सडियल आदि ।

4. विदेशज प्रत्यय :-विदेशज प्रत्यय को दो भागों में बाँटा जाता है ।

विदेशज के भाग :-
1. अरबी फारसी प्रत्यय
2. अंगेजी प्रत्यय

1. अरबी फारसी प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)-( भाववाचक प्रत्यय ) – सफेदा , खराबा आदि ।

(ii)आना– ( भाववाचक , विशेषण वाचक प्रत्यय ) – जुर्माना , दस्ताना , मर्दाना ,मस्ताना , दस्ताना आदि ।

(iii)आनी– ( संबंधवाचक प्रत्यय ) – जिस्मानी , मर्दानी , बर्फानी , रूहानी आदि ।

(iv)कार– ( करनेवाला ) – काश्तकार , शिल्पकार , दस्तकार , पेशकार , सलाहकार आदि ।

(v)खोर– ( खाने वाला ) – गमखोर , घूसखोर , रिश्वतखोर , हरामखोर आदि ।

(vi)गार– ( करनेवाला ) – परहेजगार , मददगार , यादगार , रोजगार , बेरोजगार आदि ।

(vii)गी– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – जिन्दगी , गंदगी , बन्दगी आदि ।

(viii)चा– ( वाला ) – देगचा , बगीचा आदि ।

(ix)ची– ( वाला ) – बगीची , इलायची , डोलची , संदुकची आदि ।

(x)दान– ( स्थिति वाचक ) – इत्रदान , कलमदान , पीकदान आदि ।

(xi)दार– ( वाला ) – ईमानदार , कर्जदार दुकानदार , मालदार आदि ।

(xii)नाक– ( वाला ) – खतरनाक , खौफनाक , दर्दनाक ,शर्मनाक आदि ।

(xiii)बान– ( वाला ) – दरबान , बागबान , मेजबान आदि ।

(xiv)मंद– (वाला ) – अक्लमंद , जरुरतमन्द आदि ।

2. अंग्रेजी प्रत्यय :-

(i)इज्म– ( वाद , मत ) – कम्युनिज्म , बुद्धिज्म , सोशिलिज्म आदि ।

(ii)इस्ट– ( वादी , व्यक्ति ) – कम्युनिष्ट , बुद्धिस्ट , सोशलिष्ट आदि ।

हिंदी के वर्ग :-

1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय
2. भाववाचक प्रत्यय
3. संबंध वाचक प्रत्यय
4. लघुतावाचक प्रत्यय
5. गणना वाचक प्रत्यय
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय
7. गुणवाचक प्रत्यय
8. स्थान वाचक प्रत्यय

1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से कार्य करने वाले का पता चले उसे कर्त्तृवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सोना , लोहा , चम , कुम्ह+ आर =सुनार , लोहार , चमार , कुम्हार आदि ।

(ii) चट ,खद , नद+ ओरा =चटोरा , खदोरा , नदोरा आदि ।

(iii) दुःख , सुख , रस+ इया =दुखिया , सुखिया , रसिया आदि ।

(iv) मर , सड , दढ़+ इयल =मरियल , सडियल , दढ़ियल आदि ।

(v) साँप , लुट , कस , लखे+ एरा =सपेरा, लुटेरा, कसेरा, लखेरा आदि ।

(vi) घर , तांगा , झाड़ू , मोटर , रख , लिखना+ वाला =घरवाला, ताँगेवाला, झाड़ूवाला, मोटरवाला , रखवाला , लिखनेवाला आदि ।

(vii) गा , रख , खी+ वैया =गवैया, नचैया, रखवैया, खिवैया आदि ।

(viii) लकड़ी , पानी+ हारा =लकड़हारा, पनिहारा आदि ।

(ix) राख , चाख+ हार =राखनहार, चाखनहार आदि ।

(x) भूल , घूम , पिय+ अक्कड़ =भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़ आदि ।

(xi) लड़+ आकू =लड़ाकू आदि ।

(xii) खेल+ आड़ी =खिलाडी आदि ।

(xiii) भाग+ओडा =भगोड़ा आदि ।

2. भाववाचक प्रत्यय क्या होता है :- जिन प्रत्ययोंके प्रयोग से भाव का पता चलता है उसे भाववाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) प्यास , सुख , रुख , लेख , भूख+ आ =प्यासा , सूखा , रुखा , लेखा , भूखा आदि ।

(ii) मीठा , रंग , सिल , भला+ आई =मिठाई, रंगाई, सिलाई, भलाई आदि ।

(iii) धम , धड , भड+ आका =धमाका, धड़ाका, भड़ाका आदि ।

(iv) मोटा , बुढा , रंड+ आपा =मुटापा, बुढ़ापा, रण्डापा आदि ।

(v) चिकना , कडवा , घबडा , गरमा , घबरा+ आहट =चिकनाहट, कड़वाहट, घबड़ाहट, गरमाहट , घबराहट आदि ।

(vi) मीठा , खट , भड+ आस= मिठास, खटास, भड़ास आदि ।

3. संबंध वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से संबंध का पता चलता है उसे संबंध वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) बहन , नन्द , रस+ ओई =बहनोई, ननदोई, रसोई आदि ।

(ii) खेल , पह , अन+ आड़ी =खिलाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी आदि ।

(iii) चाचा , मामा , मौसा , फूफा+ एरा =चचेरा, ममेरा, मौसेरा, फुफेरा आदि ।

(iv) लोहा , सोना , मनी+ आरी =लुहारी, सुनारी, मनिहारी आदि ।

(v) नानी , ससुर+ आल =ननिहाल, ससुराल आदि ।

4. लघुता वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से लघुता या न्यूनता का बोध होता है उसे लघुता वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) रस्सा , कटोरा , टोकरा , ढोलक , लिखना + ई = रस्सी, कटोरी, टोकरी, ढोलकी , लिखाई आदि ।

(ii) टांग , टुक , पग , बछ + डी = टंगड़ी , टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी आदि ।

(iii) खाट , लोटा , चोटी , डीबी , पुड़ी + इया = खटिया, लुटिया, चुटिया, डिबिया, पुड़िया आदि ।

(iv) मुख , दुःख , चम + डा = मुखड़ा, दुखड़ा, चमड़ा आदि ।

(v) खाट , मध , साँप + ओला = खटोला, मझोला, सँपोला आदि ।

5. गणना वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से गणना वाचक संख्या का पता चले उसे गणना वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) चौ+ था =चौथा आदि ।

(ii)दुस , तिस+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।

(iii) पह+ ला =पहला आदि ।

(iv) पाँच , दस , सात , आठ+ वाँ =पाँचवाँ , दसवाँ , सातवाँ , आठवाँ आदि ।

6. सादृश्यवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों के बीच समानता का पता चले उसे सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) मुझ , तुझ , नीला , चाँद , गुलाब , कमल + सा = मुझ–सा, तुझ–सा, नीला–सा, चाँद–सा, गुलाब–सा ,कमल सा आदि ।

(ii) दु , ति , चौ + हरा = दुहरा, तिहरा, चौहरा आदि ।

(iii) सुन , रूप + हला = सुनहला , रुपहला आदि ।

7. गुणवाचक प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्ययों को प्रयोग करने से गुण का पता चले उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार है :-

(i) मीठ , ठंड , प्यास , भूख , प्यार+ आ =मीठा, ठंडा, प्यासा, भूखा, प्यारा आदि ।

(ii) लच , गँठ , सज , रंग , चमक , रस+ ईला =लचीला, गँठीला, सजीला, रंगीला, चमकीला, रसीला आदि ।

(iii) मटम , कष , विष+ ऐला =मटमैला, कषैला, विषैला आदि ।

(iv) बट , पंडित , नामधार , खट+ आऊ =बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ आदि ।

(v) कला , कुल , दया+ वन्त =कलावन्त, कुलवन्त, दयावन्त आदि ।

(vi) मूर्ख , लघु , कठोर , मृदु+ ता =मूर्खता, लघुता, कठोरता, मृदुता आदि ।

8. स्थान वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से किसी स्थान का पता चले उसे स्थान वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पंजाब , गुजरात , मराठ , अजमेर , बीकानेर , बनारस , जयपुर+ ई =पंजाबी, गुजराती, मराठी, अजमेरी, बीकानेरी, बनारसी, जयपुरी आदि ।

(ii) अमृतसर , भोजपुर , जयपुर , जमिलपुर+ इया =अमृतसरिया, भोजपुरिया, जयपुरिया, जालिमपुरिया आदि ।

(iii) हरी , राजपूत , तेलंगा+ आना =हरियाना, राजपूताना, तेलंगाना आदि ।

(iv) हरियाणा , देहल+ वी =हरियाणवी, देहलवी आदि ।

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले बहुत से उदहारण इस प्रकार हैं :-

1.– शैव, वैष्णव, तैल, पार्थिव, मानव, पाण्डव, वासुदेव, लूट, मार, तोल, लेख, पार्थ, दानव, यादव, भार्गव, माधव, जय, लाभ, विचार, चाल, लाघव, शाक्त, मेल, बौद्ध।

2.अक– चालक, पावक, पाठक, लेखक, पालक, विचारक, खटक, धावक, गायक, नायक, दायक।

3.अक्कड़– भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़, रुअक्कड़, फक्कड़, लक्कड़।

4.अंत– गढ़ंत, लड़ंत, भिड़ंत, रटंत, लिपटंत, कृदन्त, फलंत।

5.अन्तर– रुपान्तर, मतान्तर, मध्यान्तर, समानान्तर, देशांतर, भाषांतर।

6.अतीत– कालातीत, आशातीत, गुणातीत, स्मरणातीत।

7.अंदाज– तीरंदाज, गोलंदाज, बर्कंदाज, बेअंदाज।

8.अंध– सड़ांध, मदांध, धर्माँध, जन्मांध, दोषांध।

9.अधीन– कर्माधीन, स्वाधीन, पराधीन, देवाधीन, विचाराधीन, कृपाधीन, निर्णयाधीन, लेखकाधीन, प्रकाशकाधीन।

10.अन– लेखन, पठन, वादन, गायन, हवन, गमन, झाड़न, जूठन, ऐँठन, चुभन, मंथन, वंदन, मनन, चिँतन, ढ़क्कन, मरण, चलन, जीवन।

11.अना– भावना, कामना, प्रार्थना।

12.अनीय– तुलनीय, पठनीय, दर्शनीय।

13.अन्वित– क्रोधान्वित, दोषान्वित, लाभान्वित, भयान्वित, क्रियान्वित, गुणान्वित।

14.अन्वय– पदान्वय, खंडान्वय।

15.अयन– रामायण, नारायण, अन्वयन।

16.– प्यासा, लेखा, फेरा, जोड़ा, प्रिया, मेला, ठंडा, भूखा, छाता, छत्रा, हर्जा, खर्चा, पीड़ा, रक्षा, झगड़ा, सूखा, रुखा, अटका, भटका, मटका, भूला, बैठा, जागा, पढ़ा, भागा, नाचा, पूजा, मैला, प्यारा, घना, झूला, ठेला, घेरा, मीठा।

17.आइन– ठकुराइन, पंडिताइन, मुंशियाइन।

18.आई– लड़ाई, चढ़ाई, भिड़ाई, लिखाई, पिसाई, दिखाई, पंडिताई, भलाई, बुराई, अच्छाई, बुनाई, कढ़ाई, सिँचाई, पढ़ाई, उतराई।

19.आऊ– दिखाऊ, टिकाऊ, बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ, चलाऊ, उपजाऊ, बिकाऊ, खाऊ, जलाऊ, कमाऊ, टरकाऊ, उठाऊ।

20.आक– लड़ाक, तैराक, चालाक, खटाक, सटाक, तड़ाक, चटाक।

21.आका– धमाका, धड़ाका, भड़ाका, लड़ाका, फटाका, चटाका, खटाका, तड़ाका, इलाका।

22.आकू– लड़ाकू, पढ़ाकू, उड़ाकू, चाकू।

23.आकुल– भयाकुल, व्याकुल।

24.आटा– सन्नाटा, खर्राटा, फर्राटा, घर्राटा, झपाटा, थर्राटा।

25.आड़ी– कबाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी, पिछाड़ी।

26.आढ्य– धनाढ्य, गुणाढ्य।

27.आतुर– प्रेमातुर, रोगातुर, कामातुर, चिँतातुर, भयातुर।

28.आन– उड़ान, पठान, चढ़ान, नीचान, उठान, लदान, मिलान, थकान, मुस्कान।

29.आना– नजराना, हर्जाना, घराना, तेलंगाना, राजपूताना, मर्दाना, जुर्माना, मेहनताना, रोजाना, सालाना।

30.आनी– देवरानी, जेठानी, सेठानी, गुरुआनी, इंद्राणी, नौकरानी, रूहानी, मेहतरानी, पंडितानी।

31.आप– मिलाप, विलाप, जलाप, संताप।

32.आपा– बुढ़ापा, मुटापा, रण्डापा, बहिनापा, जलापा, पुजापा, अपनापा।

33.आब– गुलाब, शराब, शबाब, कबाब, नवाब, जवाब, जनाब, हिसाब, किताब।

34.आबाद– नाबाद, हैदराबाद, अहमदाबाद, इलाहाबाद, शाहजहाँनाबाद।

35.आमह– पितामह, मातामह।

36.आयत– त्रिगुणायत, पंचायत, बहुतायत, अपनायत, लोकायत, टीकायत, किफायत, रियायत।

37.आयन– दांड्यायन, कात्यायन, वात्स्यायन, सांस्कृत्यायन।

38.आर– कुम्हार, सुनार, लुहार, चमार, सुथार, कहार, गँवार, नश्वार।

39.आरा– बनजारा, निबटारा, छुटकारा, हत्यारा, घसियारा, भटियारा।

40.आरी– पुजारी, सुनारी, लुहारी, मनिहारी, कोठारी, बुहारी, भिखारी, जुआरी।

41.आरु– दुधारु, गँवारु, बाजारु।

42.आल– ससुराल, ननिहाल, घड़ियाल, कंगाल, बंगाल, टकसाल।

43.आला– शिवाला, पनाला, परनाला, दिवाला, उजाला, रसाला, मसाला।

44.आलु– ईर्ष्यालु, कृपालु, दयालु।

45.आलू– झगड़ालू, लजालू, रतालू, सियालू।

46.आव– घेराव, बहाव, लगाव, दुराव, छिपाव, सुझाव, जमाव, ठहराव, घुमाव, पड़ाव, बिलाव।

47.आवर– दिलावर, दस्तावर, बख्तावर, जोरावर, जिनावर।

48.आवट– लिखावट, थकावट, रुकावट, बनावट, तरावट, दिखावट, सजावट, घिसावट।

49.आवना– सुहावना, लुभावना, डरावना, भावना।

50.आवा– भुलावा, बुलावा, चढ़ावा, छलावा, पछतावा, दिखावा, बहकावा, पहनावा।

51.आहट– कड़वाहट, चिकनाहट, घबराहट, सरसराहट, गरमाहट, टकराहट, थरथराहट, जगमगाहट, चिरपिराहट, बिलबिलाहट, गुर्राहट, तड़फड़ाहट।

52.आस– खटास, मिठास, प्यास, बिँदास, भड़ास, रुआँस, निकास, हास, नीचास, पलास।

53.आसा– कुहासा, मुँहासा, पुंडासा, पासा, दिलासा।

54.आस्पद– घृणास्पद, विवादास्पद, संदेहास्पद, उपहासास्पद, हास्यास्पद।

55.ओई– बहनोई, ननदोई, रसोई, कन्दोई।

56.ओड़ा– भगोड़ा, हँसोड़ा, थोड़ा।

57.ओरा– चटोरा, कटोरा, खदोरा, नदोरा, ढिँढोरा।

58.ओला– खटोला, मँझोला, बतोला, बिचोला, फफोला, सँपोला, पिछोला।

59.औटा– बिलौटा, हिरनौटा, पहिलौटा, बिनौटा।

60.औता– फिरौता, समझौता, कठौता।

61.औती– चुनौती, बपौती, फिरौती, कटौती, कठौती, मनौती।

62.औना– घिनौना, खिलौना, बिछौना, सलौना, डिठौना।

63.औनी– घिनौनी, बिछौनी, सलौनी।

64.इंदा– परिँदा, चुनिँदा, शर्मिँदा, बाशिँदा, जिन्दा।

65.– दाशरथि, मारुति, राघवि, वारि, सारथि, वाल्मीकि।

66.इक– मानसिक, मार्मिक, पारिश्रमिक, व्यावहारिक, ऐतिहासिक, पार्श्विक, सामाजिक, पारिवारिक, औपचारिक, भौतिक, लौकिक, नैतिक, वैदिक, प्रायोगिक, वार्षिक, मासिक, दैनिक, धार्मिक, दैहिक, प्रासंगिक, नागरिक, दैविक, भौगोलिक।

67.इका– नायिका, पत्रिका, निहारिका, लतिका, बालिका, कलिका, लेखिका, सेविका, प्रेमिका।

68.इकी– वानिकी, मानविकी, यांत्रिकी, सांख्यिकी, भौतिकी, उद्यानिकी।

69.इत– लिखित, कथित, चिँतित, याचित, खंडित, पोषित, फलित, द्रवित, कलंकित, हर्षित, अंकित, शोभित, पीड़ित, कटंकित, रचित, चलित, तड़ित, उदित, गलित, ललित, वर्जित, पठित, बाधित, रहित, सहित।

70.इतर– आयोजनेतर, अध्ययनेतर, सचिवालयेतर।

71.इत्य– लालित्य, आदित्य, पांडित्य, साहित्य, नित्य।

72.इन– मालिन, कठिन, बाघिन, मालकिन, मलिन, अधीन, सुनारिन, चमारिन, पुजारिन, कहारिन।

73.इनी– भुजंगिनी, यक्षिणी, सरोजिनी, वाहिनी, हथिनी, मतवालिनी।

74.इम– अग्रिम, रक्तिम, पश्चिम, अंतिम, स्वर्णिम।

75.इमा– लालिमा, गरिमा, लघिमा, पूर्णिमा, हरितिमा, मधुरिमा, अणिमा, नीलिमा, महिमा।

76.इयत– इंसानियत, कैफियत, माहियत, हैवानित, खासियत, खैरियत।

77.इयल– मरियल, दढ़ियल, चुटियल, सड़ियल, अड़ियल।

78.इया– लठिया, बिटिया, चुटिया, डिबिया, खटिया, लुटिया, मुखिया, चुहिया, बंदरिया, कुतिया, दुखिया, सुखिया, आढ़तिया, रसोइया, रसिया, पटिया, चिड़िया, बुढ़िया, अमिया, गडरिया, मटकिया, लकुटिया, घटिया, रेशमिया, मजाकिया, सुरतिया।

79.इल– पंकिल, रोमिल, कुटिल, जटिल, धूमिल, तुंडिल, फेनिल, बोझिल, तमिल, कातिल।

80.इश– मालिश, फरमाइश, पैदाइश, पैमाइश, आजमाइश, परवरिश, कोशिश, रंजिश, साजिश, नालिश, कशिश, तफ्तिश, समझाइश।

81.इस्तान– कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, नखलिस्तान, कजाकिस्तान।

82.इष्णु– सहिष्णु, वर्घिष्णु, प्रभाविष्णु।

83.इष्ट– विशिष्ट, स्वादिष्ट, प्रविष्ट।

84.इष्ठ– घनिष्ठ, बलिष्ठ, गरिष्ठ, वरिष्ठ।

85.– गगरी, खुशी, दुःखी, भेदी, दोस्ती, चोरी, सर्दी, गर्मी, पार्वती, नरमी, टोकरी, झंडी, ढोलकी, लंगोटी, भारी, गुलाबी, हरी, सुखी, बिक्री, मंडली, द्रोपदी, वैदेही, बोली, हँसी, रेती, खेती, बुहारी, धमकी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, जयपुरी, मद्रासी, पहाड़ी, देशी, सुन्दरी, ब्राह्मणी, गुणी, विद्यार्थी, क्रोधी, लालची, लोभी, पाखण्डी, विदुषी, विदेशी, अकेली, सखी, साखी, अलबेली, सरकारी, तन्दुरी, सिन्दुरी, किशोरी, हेराफेरी, कामचोरी।

86.ईचा– बगीचा, गलीचा, सईचा।

87.ईन– प्रवीण, शौकीन, प्राचीन, कुलीन, शालीन, नमकीन, रंगीन, ग्रामीण, नवीन, संगीन, बीन, तारपीन, गमगीन, दूरबीन, मशीन, जमीन।

88.ईना– कमीना, महीना, पश्मीना, नगीना, मतिहीना, मदीना, जरीना।

89.ईय– भारतीय, जातीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, भवदीय, पठनीय, पाणिनीय, शास्त्रीय, वायवीय, पूजनीय, वंदनीय, करणीय, राजकीय, देशीय।

90.ईला– रसीला, जहरीला, पथरीला, कंकरीला, हठीला, रंगीला, गँठीला, शर्मीला, सुरीला, नुकीला, बर्फीला, भड़कीला, नशीला, लचीला, सजीला, फुर्तीला।

91.ईश– नदीश, कपीश, कवीश, गिरीश, महीश, हरीश, सतीश।

92.– सिँधु, लघु, भानु, गुरु, अनु, भिक्षु, शिशु, , वधु, तनु, पितु, बुद्धु, शत्रु, आयु।

93.उक– भावुक, कामुक, भिक्षुक, नाजुक।

94.उवा/उआ – मछुआ, कछुआ, बबुआ, मनुआ, कलुआ, गेरुआ।

95.उल– मातुल, पातुल।

96.– झाडू, बाजारू, घरू, झेँपू, पेटू, भोँपू, गँवारू, ढालू।

97.ऊटा– कलूटा।

98.– चले, पले, फले, ढले, गले, मिले, खड़े, पड़े, डरे, मरे, हँसे, फँसे, जले, किले, काले, ठहरे, पहरे, रोये, चने, पहने, गहने, मेरे, तेरे, तुम्हारे, हमारे, सितारे, उनके, उसके, जिसके, बकरे, कचरे, लुटेरे, सुहावने, डरावने, झूले, प्यारे, घने, सूखे, मैले, थैले, बेटे, लेटे, आए, गए, छोटे, बड़े, फेरे, दूसरे।

99.एड़ी– नशेड़ी, भँगेड़ी, गँजेड़ी।

100.एय– गांगेय, आग्नेय, आंजनेय, पाथेय, कौँतेय, वार्ष्णेय, मार्कँडेय, कार्तिकेय, राधेय।

101.एरा– लुटेरा, सपेरा, मौसेरा, चचेरा, ममेरा, फुफेरा, चितेरा, ठठेरा, कसेरा, लखेरा, भतेरा, कमेरा, बसेरा, सवेरा, अन्धेरा, बघेरा।

102.एल– फुलेल, नकेल, ढकेल, गाँवड़ेल।

103.एला– बघेला, अकेला, सौतेला, करेला, मेला, तबेला, ठेला, रेला।

104.एत– साकेत, संकेत, अचेत, सचेत, पठेत।

105.ऐत– लठैत, डकैत, लड़ैत, टिकैत, फिकैत।

106.ऐया– गवैया, बजैया, रचैया, खिवैया, रखैया, कन्हैया, लगैया।

107.ऐल– गुस्सैल, रखैल, खपरैल, मुँछैल, दँतैल, बिगड़ैल।

108.ऐला– विषैला, कसैला, वनैला, मटैला, थनैला, मटमैला।

109.– बालक, सप्तक, दशक, अष्टक, अनुवादक, लिपिक, चालक, शतक, दीपक, पटक, झटक, लटक, खटक।

110.कर– दिनकर, दिवाकर, रुचिकर, हितकर, प्रभाकर, सुखकर, प्रलंयकर, भयंकर, पढ़कर, लिखकर, चलकर, सुनकर, पीकर, खाकर, उठकर, सोकर, धोकर, जाकर, आकर, रहकर, सहकर, गाकर, छानकर, समझकर, उलझकर, नाचकर, बजाकर, भूलकर, तड़पकर, सुनाकर, चलाकर, जलाकर, आनकर, गरजकर, लपककर, भरकर, डरकर।

111.करण– सरलीकरण, स्पष्टीकरण, गैसीकरण, द्रवीकरण, पंजीकरण, ध्रुवीकरण।

112.कल्प– कुमारकल्प, कविकल्प, भृतकल्प, विद्वतकल्प, कायाकल्प, संकल्प, विकल्प।

113.कार– साहित्यकार, पत्रकार, चित्रकार, संगीतकार, काश्तकार, शिल्पकार, ग्रंथकार, कलाकार, चर्मकार, स्वर्णकार, गीतकार, बलकार, बलात्कार, फनकार, फुँफकार, हुँकार, छायाकार, कहानीकार, अंधकार, सरकार।

114.का– गुटका, मटका, छिलका, टपका, छुटका, बड़का, कालका।

115.की– बड़की, छुटकी, मटकी, टपकी, अटकी, पटकी।

116.कीय– स्वकीय, परकीय, राजकीय, नाभिकीय, भौतिकीय, नारकीय, शासकीय।

117.कोट– नगरकोट, पठानकोट, राजकोट, धूलकोट, अंदरकोट।

118.कोटा– परकोटा।

119.खाना– दवाखाना, तोपखाना, कारखाना, दौलतखाना, कैदखाना, मयखाना, छापाखाना, डाकखाना, कटखाना।

120.खोर– मुफ्तखोर, आदमखोर, सूदखोर, जमाखोर, हरामखोर, चुगलखोर।

121.– उरग, विहग, तुरग, खड़ग।

122.गढ़– जयगढ़, देवगढ़, रामगढ़, चित्तौड़गढ़, कुशलगढ़, कुम्भलगढ़, हनुमानगढ़, लक्ष्मणगढ़, डूँगरगढ़, राजगढ़, सुजानगढ़, किशनगढ़।

123.गर– जादूगर, नीलगर, कारीगर, बाजीगर, सौदागर, कामगर, शोरगर, उजागर।

124.गाँव– चिरगाँव, गोरेगाँव, गुड़गाँव, जलगाँव।

125.गा– तमगा, दुर्गा।

126.गार– कामगार, यादगार, रोजगार, मददगार, खिदमतगार।

127.गाह– ईदगाह, दरगाह, चरागाह, बंदरगाह, शिकारगाह।

128.गी– मर्दानगी, जिँदगी, सादगी, एकबारगी, बानगी, दीवानगी, ताजगी।

129.गीर– राहगीर, उठाईगीर, जहाँगीर।

130.गीरी– कुलीगीरी, मुँशीगीरी, दादागीरी।

131.गुना– दुगुना, तिगुना, चौगुना, पाँचगुना, सौगुना।

132.ग्रस्त– रोगग्रस्त, तनावग्रस्त, चिन्ताग्रस्त, विवादग्रस्त, व्याधिग्रस्त, भयग्रस्त।

133.घ्न– कृतघ्न, पापघ्न, मातृघ्न, वातघ्न।

134.चर– जलचर, नभचर, निशाचर, थलचर, उभयचर, गोचर, खेचर।

135.चा– देगचा, चमचा, खोमचा, पोमचा।

136.चित्– कदाचित्, किँचित्, कश्चित्, प्रायश्चित्।

137.ची– अफीमची, तोपची, बावरची, नकलची, खजांची, तबलची।

138.– अंबुज, पयोज, जलच, वारिज, नीरज, अग्रज, अनुज, पंकज, आत्मज, सरोज, उरोज, धीरज, मनोज।

139.जा– आत्मजा, गिरिजा, शैलजा, अर्कजा, भानजा, भतीजा, भूमिजा।

140.जात– नवजात, जलजात, जन्मजात।

141.जादा– शहजादा, रईसजादा, हरामजादा, नवाबजादा।

142.ज्ञ– विशेषज्ञ, नीतिज्ञ, मर्मज्ञ, सर्वज्ञ, धर्मज्ञ, शास्त्रज्ञ।

143.– कर्मठ, जरठ, षष्ठ।

144.ड़ा– दुःखड़ा, मुखड़ा, पिछड़ा, टुकड़ा, बछड़ा, हिँजड़ा, कपड़ा, चमड़ा, लँगड़ा।

145.ड़ी– टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी, चमड़ी, दमड़ी, पंखुड़ी, अँतड़ी, टंगड़ी, लँगड़ी।

146.– आगत, विगत, विश्रुत, रंगत, संगत, चाहत, कृत, मिल्लत, गत, हत, व्यक्त, बचत, खपत, लिखत, पढ़त, बढ़त, घटत, आकृष्ट, तुष्ट, संतुष्ट (सम्+तुष्+त)।

147.तन– अधुनातन, नूतन, पुरातन, सनातन।

148.तर– अधिकतर, कमतर, कठिनतर, गुरुतर, ज्यादातर, दृढ़तर, लघुतर, वृहत्तर, उच्चतर, कुटिलतर, दृढ़तर, निम्नतर, निकटतर, महत्तर।

149.तम– प्राचीनतम, नवीनतम, तीव्रतम, उच्चतम, श्रेष्ठतम, महत्तम, विशिष्टतम, अधिकतम, गुरुतम, दीर्घतम, निकटतम, न्यूनतम, लघुतम, वृहत्तम, सुंदरतम, उत्कृष्टतम।

150.ता– श्रोता, वक्ता, दाता, ज्ञाता, सुंदरता, मधुरता, मानवता, महत्ता, बंधुता, दासता, खाता, पीता, डूबता, खेलता, महानता, रमता, चलता, प्रभुता, लघुता, गुरुता, समता, कविता, मनुष्यता, कर्त्ता, नेता, भ्राता, पिता, विधाता, मूर्खता, विद्वता, कठोरता, मृदुता, वीरता, उदारता।

151.ति– गति, मति, पति, रति, शक्ति, भक्ति, कृति।

152.ती– ज्यादती, कृती, ढ़लती, कमती, चलती, पढ़ती, फिरती, खाती, पीती, धरती, भरती, जागती, भागती, सोती, धोती, सती।

153.तः– सामान्यतः, विशेषतः, मूलतः, अंशतः, अंततः, स्वतः, प्रातः, अतः।

154.त्र– एकत्र, सर्वत्र, अन्यत्र, नेत्र, पात्र, अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र, चरित्र, क्षेत्र, पत्र, सत्र।

155.त्व– महत्त्व, लघुत्व, स्त्रीत्व, नेतृत्व, बंधुत्व, व्यक्तित्व, पुरुषत्व, सतीत्व, राजत्व, देवत्व, अपनत्व, नारीत्व, पत्नीत्व, स्वामित्व, निजत्व।

156.– चतुर्थ, पृष्ठ (पृष्+थ), षष्ठ (षष्+थ)।

157.था– सर्वथा, अन्यथा, चौथा, प्रथा, पृथा, वृथा, कथा, व्यथा।

158.थी– सारथी, परमार्थी, विद्यार्थी।

159.– जलद, नीरद, अंबुद, पयोद, वारिद, दुःखद, सुखद, अंगद, मकरंद।

160.दा– सर्वदा, सदा, यदा, कदा, परदा, यशोदा, नर्मदा।

161.दान– पानदान, कद्रदान, रोशनदान, कलमदान, इत्रदान, पीकदान, खानदान, दीपदान, धूपदान, पायदान, कन्यादान, शीशदान, भूदान, गोदान, अन्नदान, वरदान, वाग्दान, अभयदान, क्षमादान, जीवनदान।

162.दानी– मच्छरदानी, चूहेदानी, नादानी, वरदानी, खानदानी।

163.दायक– आनन्ददायक, सुखदायक, कष्टदायक, पीड़ादायक, आरामदायक, फलदायक।

164.दायी– आनन्ददायी, सुखदायी, उत्तरदायी, कष्टदायी, फलदायी।

165.दार– मालदार, हिस्सेदार, दुकानदार, हवलदार, थानेदार, जमीँदार, फौजदार, कर्जदार, जोरदार, ईमानदार, लेनदार, देनदार, खरीददार, जालीदार, गोटेदार, लहरदार, धारदार, धारीदार, सरदार, पहरेदार, बूँटीदार, समझदार, हवादार, ठिकानेदार, ठेकेदार, परतदार, शानदार, फलीदार, नोकदार।

166.दारी– समझदारी, खरीददारी, ईमानदारी, ठेकेदारी, पहरेदारी, लेनदारी, देनदारी।

167.दी– वरदी, सरदी, दर्दी।

168.धर– चक्रधर, हलधर, गिरिधर, महीधर, विद्याधर, गंगाधर, फणधर, भूधर, शशिधर, विषधर, धरणीधर, मुरलीधर, जलधर, जालन्धर, शृंगधर, अधर, किधर, उधर, जिधर, नामधर।

169.धा– बहुधा, अभिधा, समिधा, विविधा, वसुधा, नवधा।

170.धि– पयोधि, वारिधि, जलधि, उदधि, संधि, विधि, निधि, अवधि।

171.– नमन, गमन, बेलन, चलन, फटकन, झाड़न, धड़कन, लगन, मिलन, साजन, जलन, फिसलन, ऐँठन, उलझन, लटकन, फलन, राजन, मोहन, सौतन, भवन, रोहन, जीवन, प्रण, प्राण, प्रमाण, पुराण, ऋण, परिमाण, तृण, हरण, भरण, मरण।

172.नगर– गंगानगर, श्रीनगर, रामनगर, संजयनगर, जयनगर, चित्रनगर।

173.नवीस– फड़नवीस, खबरनवीस, नक्शानवीश, चिटनवीस, अर्जीनवीस।

174.नशीन– पर्दानशीन, गद्दीनशीन, तख्तनशीन, जाँनशीन।

175 .ना– नाचना, गाना, कूदना, टहलना, मारना, पढ़ना, माँगना, दौड़ना, भागना, तैरना, भावना, कामना, कमीना, महीना, नगीना, मिलना, चलना, खाना, पीना, हँसना, जाना, रोना, तृष्णा।

176.नाक– दर्दनाक, शर्मनाक, खतरनाक, खौफनाक।

177.नाम– अनाम, गुमनाम, सतनाम, सरनाम, हरिनाम, प्रणाम, परिणाम।

178.नामा– अकबरनामा, राजीनामा, मुख्तारनामा, सुलहनामा, हुमायूँनामा, अर्जीनामा, रोजनामा, पंचनामा, हलफनामा।

179.निष्ठ– कर्मनिष्ठ, योगनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, राजनिष्ठ, ब्रह्मनिष्ठ।

180.नी –मिलनी, सूँघनी, कतरनी, ओढ़नी, चलनी, लेखनी, मोरनी, चोरनी, चाँदनी, छलनी, धौँकनी, मथनी, कहानी, करनी, जीवनी, छँटनी, नटनी, चटनी, शेरनी, सिँहनी, कथनी, जननी, तरणी, तरुणी, भरणी, तरनी, मँगनी, सारणी।

181.नीय– आदरणीय, करणीय, शोचनीय, सहनीय, दर्शनीय, नमनीय।

182.नु– शान्तनु, अनु, तनु, भानु, समनु।

183.– महीप, मधुप, जाप, समताप, मिलाप, आलाप।

184.पन– लड़कपन, पागलपन, छुटपन, बचपन, बाँझपन, भोलापन, बड़प्पन, पीलापन, अपनापन, गँवारपन, आलसीपन, अलसायापन, वीरप्पन, दीवानापन।

185.पाल– द्वारपाल, प्रतिपाल, महीपाल, गोपाल, राज्यपाल, राजपाल, नागपाल, वीरपाल, सत्यपाल, भोपाल, भूपाल, कृपाल, नृपाल।

186.पाली– आम्रपाली, भोपाली, रुपाली।

187.पुर– अन्तःपुर, सीतापुर, रामपुर, भरतपुर, धौलपुर, गोरखपुर, फिरोजपुर, फतेहपुर, जयपुर।

188.पुरा– जोधपुरा, हरिपुरा, श्यामपुरा, जालिमपुरा, नरसिँहपुरा।

189.पूर्वक– विधिपूर्वक, दृढ़तापूर्वक, निश्चयपूर्वक, सम्मानपूर्वक, श्रद्धापूर्वक, बलपूर्वक, प्रयासपूर्वक, ध्यानपूर्वक।

190.पोश– मेजपोश, नकाबपोश, सफेदपोश, पलंगपोश, जीनपोश, चिलमपोश।

191.प्रद– लाभप्रद, हानिप्रद, कष्टप्रद, संतोषप्रद, उत्साहप्रद, हास्यप्रद।

192.बंद– कमरबंद, बिस्तरबंद, बाजूबंद, हथियारबंद, कलमबंद, मोहरबंद, बख्तरबंद, नजरबंद।

193.बंदी– चकबंदी, घेराबंदी, हदबंदी, मेड़बंदी, नाकाबंदी।

194.बाज– नशेबाज, दगाबाज, चालबाज, धोखेबाज, पतंगबाज, खेलबाज।

195.बान– मेजबान, गिरहबान, दरबान, मेहरबान।

196.बीन– तमाशबीन, दूरबीन, खुर्दबीन।

197.भू– प्रभु (प्र+भू), स्वयंभू।

198.मंद– दौलतमंद, फायदेमंद, अक्लमंद, जरूरतमंद, गरजमंद, मतिमंद, भरोसेमंद।

199.– हराम, जानम, कर्म (कृ+म), धर्म, मर्म, जन्म, मध्यम, सप्तम, छद्म, चर्म, रहम, वहम, प्रीतम, कलम, हरम, श्रम, परम।

200.मत्– श्रीमत्।

201.मत– जनमत, सलामत, रहमत, बहुमत, कयामत।

202.मती– श्रीमती, बुद्धिमती, ज्ञानमती, वीरमती, रूपमती।

203मय– दयामय, जलमय, मनोमय, तेजोमय, विष्णुमय, अन्नमय, तन्मय, चिन्मय, वाङ्मय, अम्मय, भक्तिमय।

204.मात्र– नाममात्र, लेशमात्र, क्षणमात्र, पलमात्र, किँचित्मात्र।

205.मान– बुद्धिमान, मूर्तिमान, शक्तिमान, शोभायमान, चलायमान, गुंजायमान, हनुमान, श्रीमान, कीर्तिमान, सम्मान, सन्मान, मेहमान।

206.– दृश्य, सादृश्य, लावण्य, वात्सल्य, सामान्य, दांपत्य, सानिध्य, तारुण्य, पाशचात्य, वैधव्य, नैवेद्य, धैर्य, गार्हस्थ्य, सौभाग्य, सौजन्य, औचित्य, कौमार्य, शौर्य, ऐश्वर्य, साम्य, प्राच्य, पार्थक्य, पाण्डित्य, सौन्दर्य, माधुर्य, स्तुत्य, वन्द्य, खाद्य, पूज्य, नृत्य।

207.या– शय्या, विद्य, चर्या, मृगया, समस्या, क्रिया, खोया, गया, आया, खाया, गाया, कमाया, जगाया, हँसाया, सताया, पढ़ाया, भगाया, हराया, खिलाया, पिलाया।

208.– नम्र, शुभ्र, क्षुद्र, मधुर, नगर, मुखर, पाण्डुर, कुंजर, प्रखर, विधुर, भ्रमर, कसर, कमर, खँजर, कहार, बहार, सुनार।

209.रा– दूसरा, तीसरा, आसरा, कमरा, नवरात्रा, पिटारा, निबटारा, सहारा।

210.री– बाँसुरी, गठरी, छतरी, चकरी, चाकरी, तीसरी, दूसरी, भोजपुरी, नागरी, जोधपुरी, बीकानेरी, बकरी, वल्लरी।

211.रू– दारू, चारू, शुरू, घुंघरू, झूमरू, डमरू।

212.– मंजुल, शीतल, पीतल, ऊर्मिल, घायल, पायल, वत्सल, श्यामल, सजल, कमल, कायल, काजल, सवाल, कमाल।

213.ला– अगला, पिछला, मँझला, धुँधला, लाड़ला, श्यामला, कमला, पहला, नहला, दहला।

214.ली– सूतली, खुजली, ढपली, घंटाली, सूपली, टीकली, पहली, जाली, खाली, सवाली।

215.वंत– बलवंत, दयावंत, भगवंत, कुलवंत, जामवंत, कलावंत।

216. व – केशव, राजीव, विषुव, अर्णव, सजीव, रव, शव।

217.वत्– पुत्रवत्, विधिवत्, मातृवत्, पितृवत्, आत्मवत्, यथावत्।

218.वर– प्रियवर, स्थावर, ताकतवर, ईश्वर, नश्वर, जानवर, नामवर, हिम्मतवर, मान्यवर, वीरवर, स्वयंवर, नटवर, कमलेश्वर, परमेश्वर, महेश्वर।

219.वाँ– पाँचवाँ, सातवाँ, दसवाँ, पिटवाँ, चुनवाँ, ढलवाँ, कारवाँ, आठवाँ।

220.वा– बचवा, पुरवा, बछवा, मनवा।

221.वाई– बनवाई, सुनवाई, तुलवाई, लदवाई, पिछवाई, हलवाई, पुरवाई।

222.वाड़ा– रजवाड़ा, हटवाड़ा, जटवाड़ा, पखवाड़ा, बाँसवाड़ा, भीलवाड़ा, दंतेवाड़ा।

223.वाड़ी– फुलवाड़ी, बँसवाड़ी।

224.वान्– रूपवान्, भाग्यवान्, धनवान्, दयावान्, बलवान्।

225.वान– गुणवान, कोचवान, गाड़ीवान, प्रतिभावान, बागवान, धनवान, पहलवान।

226.वार– उम्मीदवार, माहवार, तारीखवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, कदवार, पतवार, वंदनवार।

227.वाल– कोतवाल, पल्लीवाल, पालीवाल, धारीवाल।

228.वाला– पानवाला, लिखनेवाला, दूधवाला, पढ़नेवाला, रखवाला, हिम्मतवाला, दिलवाला, फलवाला, रिक्शेवाला, ठेलेवाला, घरवाला, ताँगेवाला।

229.वाली– घरवाली, बाहरवाली, मतवाली, ताँगेवाली, नखरावाली, कोतवाली।

230.वास– रनिवास, वनवास।

231.वी– तेजस्वी, तपस्वी, मेधावी, मायावी, ओजस्वी, मनस्वी, जाह्नवी, लुधियानवी।

232.वैया– गवैया, खिवैया, रचैया, लगैया, बजैया।

233.व्य– तालव्य, मंतव्य, कर्तव्य, ज्ञातव्य, ध्यातव्य, श्रव्य, वक्तव्य, दृष्टव्य।

234.– कर्कश, रोमश, लोमश, बंदिश।

235.शः– क्रमशः, कोटिशः, शतशः, अक्षरशः।

236.शाली– प्रतिभाशाली, गौरवशाली, शक्तिशाली, भाग्यशाली, बलशाली।

237.शील– धर्मशील, सहनशील, पुण्यशील, दानशील, विचारशील, कर्मशील।

238.शाही– लोकशाही, तानाशाही, इमामशाही, कुतुबशाही, नौकरशाही, बादशाही, झाड़शाही, अमरशाही, विजयशाही।

239.सा– मुझ-सा, तुझ-सा, नीला-सा, मीठा-सा, चिकीर्षा, पिपासा, जिज्ञासा, लालसा, चिकित्सा, मीमांसा, चाँद-सा, गुलाब-सा, प्यारा-सा, छोटा-सा, पीला-सा, आप-सा।

240.साज– जालसाज, जीनसाज, घड़ीसाज, जिल्दसाज।

241.सात्– आत्मसात्, भस्मसात्, जलसात्, अग्निसात्, भूमिसात्।

242.सार– मिलनसार, एकसार, शर्मसार, खाकसार।

243.स्थ– तटस्थ, मार्गस्थ, उदरस्थ, हृदयस्थ, कंठस्थ, मध्यस्थ, गृहस्थ, दूरस्थ, अन्तःस्थ।

244.हर– मनोहर, खंडहर, दुःखहर, विघ्नहर, नहर, पीहर, कष्टहर, नोहर, मुहर।

245.हरा– इकहरा, दुहरा, तिहरा, चौहरा, सुनहरा, रूपहरा, छरहरा।

246.हार– तारनहार, पालनहार, होनहार, सृजनहार, राखनहार, खेवनहार, खेलनहार, सेवनहार, नौसरहार, गलहार, कंठहार।

247.हारा– लकड़हारा, चूड़ीहारा, मनिहारा, पणिहारा, सर्वहारा, तारनहारा, मारनहारा, पालनहारा।

248.हीन– कर्महीन, बुद्धिहीन, कुलहीन, बलहीन, शक्तिहीन, मतिहीन, विद्याहीन, धनहीन, गुणहीन।

249.हुआ– चलता हुआ, सुनता हुआ, पढ़ता हुआ, करता हुआ, रोता हुआ, पीता हुआ, खाता हुआ, हँसता हुआ, भागता हुआ, दौड़ता हुआ, हाँफता हुआ, निकलता हुआ, गिरता हुआ, तैरता हुआ, सोचता हुआ, नाचता हुआ, गाता हुआ, बहता हुआ, बुझता हुआ, डूबता हुआ।

(ग) विदेशी प्रत्यय क्या होता है :-विदेशी प्रत्ययों को दो भागों में बाँटा गया है ।

विदेशी प्रत्यय के भाग :-उर्दू के कुछ प्रत्यय अरबी फारसी में भी प्रयोग किये जाते हैं ।

प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)आबाद= अहमदाबाद, इलाहाबाद , हैदराबाद आदि ।

(ii)खाना= दवाखाना, छापाखाना आदि ।

(iii)गर= जादूगर, बाजीगर, शोरगर , सौदागर , कारीगर आदि ।

(iv)ईचा= बगीचा, गलीचा आदि ।

(v)ची= खजानची, मशालची, तोपची , बाबरची , तबलची , अफीमची आदि ।

(vi)दार= मालदार, दूकानदार, जमीँदार , हिस्सेदार , थानेदार आदि ।

(vii)दान= कलमदान, पीकदान, पायदान आदि ।

(viii)वान= कोचवान, बागवान आदि ।

(ix)बाज= नशेबाज, दगाबाज , चालबाज आदि ।

(x)मंद= अक्लमन्द, भरोसेमन्द , जरुरतमन्द , ऐहसानमंद आदि ।

(xi)नाक= दर्दनाक, शर्मनाक आदि ।

(xii)गीर= राहगीर, जहाँगीर आदि ।

(xiii)गी= दीवानगी, ताजगी , सादगी आदि ।

(xiv)गार= यादगार, रोजगार , मददगार , गुनहगार आदि ।

(xv)इन्दा= परिन्दा, बाशिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा आदि ।

(xvi)इश= फरमाइश, पैदाइश, रंजिश आदि ।

(xvii)इस्तान= कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान आदि ।

(xviii)खोर= हरामखोर, घूसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर आदि ।

(xix)गाह= ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह आदि ।

(xx)गिरी= कुलीगीरी, मुंशीगीरी आदि ।

(xxi)नवीस= नक्शानवीस, अर्जीनवीस आदि ।

(xxii)नामा= अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा आदि ।

(xxiii)बंद= हथियारबन्द, नजरबन्द, मोहरबन्द आदि ।

(xxiv)साज= जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज आदि ।

जातिवाचक से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संस्कृत की तत्सम जातिवाचक संज्ञाओं के पीछे तद्धित प्रत्यय लगाकर उसे भाववाचक संज्ञाएँ बना दी जाती है ।

संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) शत्रु , वीर+ ता =शत्रुता ,वीरता आदि ।

(ii) गुरु , मनुष्य+ त्व =गुरुत्व , मनुष्यत्व आदि ।

(iii) मुनि+ अ =मौन आदि ।

(iv) पंडित+ य =पांडित्य आदि ।

(v) रक्त+ इमा =रक्तिमा आदि ।

व्यक्तिवाचक से अपत्यवाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-जब किसी नाम के पीछे तद्धित प्रत्यय जोड़ते हैं तब जो संज्ञा बनती है उसे अपत्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।

व्यक्ति वाचक संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = अपत्यवाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) वसुदेव , मनु , कुरु , प्रथा , पांडू+ अ =वासुदेव , मानव , कौरव , पार्थ , पाण्डव आदि ।

(ii) दिति+ य =दैत्य आदि ।

(iii) बदर+ आयन =बादरायण आदि ।

(iv) राधा , कुन्ती+ एय =राधेय , कौन्तेय आदि ।

विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-विशेषण संज्ञा के पीछे संस्कृत के तद्धित प्रत्यय जोड़ने से जो संज्ञा बनती है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।

विशेषण संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) बुद्धिमान , मूर्ख , शिष्ट+ ता =बुद्धिमता , मूर्खता , शिष्टता आदि ।

(ii) रक्त , शुक्ल+ इमा =रक्तिमा , शुक्लिमा आदि ।

(iii) वीर , लघु+ त्व =वीरत्व , लघुत्व आदि ।

(iv) गुरु , लघु+ अ =गौरव , लाघव आदि ।

संज्ञा से विशेषण संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संज्ञा के अंत में संस्कृत के गुण , भाव तथा तद्धित प्रत्यय को जोडकर विशेषण संज्ञा बनती हैं ।

संज्ञा + प्रत्यय = विशेषण संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) निशा+ अ =नैश आदि ।

(ii) तालु , ग्राम+ य =तालव्य , ग्राम्य आदि ।

(iii) मुख , लोक+ इक =मौखिक , लौकिक आदि ।

(iv) आनन्द , फल+ इत =आनन्दित , फलित आदि ।

(v) बल+ इष्ठ =बलिष्ठ आदि ।

(vi) निष्ठ+ कर्म =कर्मनिष्ठ आदि ।

(vii) मुख , मधु+ र =मुखर , मधुर आदि ।

(viii) रक्त+ इम =रक्तिम आदि ।

(ix) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।

(x) मांस += मांसल आदि ।

(xi) मेधा +वी= मेधावी आदि ।

(xii) तन्द्रा+ इल =तन्द्रिल आदि ।

(xiii) तन्द्रा+ लु =तंद्रालु आदि ।

शब्द प्रकार

वर्ण और ध्वनि के समूह को व्याकरण में शब्द कहा जाता है।

प्रकार

शब्द दो प्रकार के होते हैं

सार्थक शब्द

  • सार्थक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी निश्चित अर्थ का बोध कराते हैं।

निरर्थक शब्द

  • निरर्थक शब्द वे शब्द होते हैं जो किसी अर्थ का बोध नहीं कराते हैं।
  • भाषा प्राय: सार्थक शब्दों का समूह ही होती है। इसी कारण व्याकरण में सार्थक शब्दों का ही विवेचन किया जाता है, निरर्थक शब्दों का नहीं।

शब्दों के भेद

इतिहास या स्रोत के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है।

1.)तत्सम
  • जो शब्द अपरिवर्तित रूप में संस्कृत से लिए गए हैं, तत्सम हैं।
  • जैसे- पुष्प, पुस्तक, बालक, कन्या आदि।
2.)तद्भव
  • संस्कृत के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी आदि से गुज़रने के कारण आज परिवर्तित रूप में मिल रहे हैं, तद्भव हैं।
  • जैसे- सात, साँप, कान, मुँह आदि।
3.)देशी या देशज शब्द
  • यह वे शब्द हैं, जिनका स्रोत संस्कृत नहीं है, किंतु वे भारत में ग्राम्य क्षेत्रों अथवा जनजातियों में बोली जाने वाली, संस्कृत से भिन्न भाषा परिवारों के हैं।
  • जैसे- झाडू, पगड़ी, लोटा, झोला, टाँग, ठेठ आदि।
4.)विदेशी शब्द
  • यह शब्द अरबी, फ़ारसी या अंग्रेज़ी से प्रमुखतया आए हैं।
  • अरबी– फारसी- बाज़ार, सज़ा, बाग, बर्फ़, काग़ज़, क़ानून, ग़रीब, ज़िला, दरोग़ा, फ़कीर, बेगम, क़त्ल, क़ैदी, ज़मींदार आदि।
  • अंग्रेज़ी– डॉक्टर, टैक्सी, डायरी, अफ़सर, टिकट, डिग्री, पार्टी, कॉलेज, मोटर, गैस, हैट, पुलिस, फीस, कॉलोनी, स्कूल, स्टॉप, डेस्क, टोस्ट, इंजन, टीम, फुटबॉल, कॉपी, नर्स, मशीन, मिल आदि।
  • पुर्तग़ाली– अल्मारी, इस्तरी, कनस्तर, कप्तान, गोदाम, नीलाम, पादरी, संतरा, बाल्टी, साबुन आदि।
  • फ़्रांसीसी– काजू, क़ारतूस, अंग्रेज़ आदि।
  • जापानी– रिक्शा।
  • चीनी– चाय, लीची।

रचना के आधार पर

  • रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं।
1.)रूढ़
  • जिन शब्दों के सार्थक खण्ड न हो सकें और जो अन्य शब्दों के मेल से न बने हों। जैसे- दिन, घर, किताब।
2.)यौगिक
  • वे शब्द जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त एक शब्दांश (उपसर्ग, प्रत्यय) या एक रूढ़ शब्द अवश्य होता है।
  • जैसे- नमकीन (‘नमक’ रूढ़ और ‘ईन’ प्रत्यय); पुस्तकालय (‘पुस्तक’ रूढ़ और ‘आलय’ रूढ़)
3.)योगरूढ़
  • जिन यौगिक शब्दों का एक रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने लगा है।
  • जैसे- पंकज (पंक +ज) अर्थात ‘कीचड़ में जन्म लेने वाला’ किंतु इसका प्रयोग केवल ‘कमल’ के अर्थ में होता है।

व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से

व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं।

विकारी शब्द

  • वे शब्द जिनमें लिंग, वचन आदि के आधार पर मूलशब्द का रूपांतरण होता है।
  • जैसे- लड़का→ लड़के→ लड़कों।

अविकारी शब्द

  • जिन शब्दों का प्रयोग मूल रूप में होता है और लिंग, वचन आदि के आधार पर उनमें कोई परिवर्तन नहीं आता है।
  • जैसे- आज, यहाँ, और, अथवा।
संज्ञा (Noun)

संज्ञा नाम का पर्याय है | विश्व की मूर्त एवं अमूर्त सभी वस्तुओं का कोई न कोई नाम अवश्य होता है | यह नाम ही संज्ञा है | जैसे –मोहन ने दिल्ली में सुन्दर बिरला मंदिर देखा |यह वाक्य में दिल्ली स्थान का नाम है; मोहन एक व्यक्ति का नाम है, सुंदर एक गुण का नाम है तथा बिरला मदिर एक इमारत का नाम है | इस प्रकार ये क्रमश: स्थान, व्यक्ति, गुण तथा वस्तु का नाम है | अत: ये सभी संज्ञा कहलाएंगी | अत: कहा जा सकता है – “जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान प्राणी अथवा भाव का बोध होता है, उन्हेंसंज्ञाकहते है |

संज्ञा के भेद-

संज्ञा के मुख्य रूप से पांच भेद होते है –

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
  2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
  3. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
  4. समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun)
  5. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)

व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) –जिन संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, नदियों, शहरों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचार पत्रों, दिनों, महीनों आदि के नाम आते है |

जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) –जिस संज्ञा शब्द से किस जाति से सम्पूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूलों, धातुओं, व्यवसाय-संबंधी व्यक्तियों, नगरों, गाँवों, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते है |

द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) –जिन संज्ञा शब्दों में किसी पदार्थ या धातु का बोध होता है और जिनसे अनेक धातुएं बनती है उन्हेंद्रव्यवाचक संज्ञाकहा जाता है | जैसे – स्टील, लोहा, पीतल, दूध, घी, चांवल, गेहूं, प्लास्टिक, सोना-चांदी, लकड़ी, ऊन, पारा आदि |

समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun) –जो संज्ञा शब्द कसी समुदाय या समूह का बोध कराते हैसमूहवाचक संज्ञाकहलाते है | सभा, भीड़, परिवार, सेना, कक्ष, पुलिस, समिति आदि समूहवाचक संज्ञा शब्द है |

भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) –जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, अवस्था भाव आदि का बोध कराए उन्हेंभाववाचक संज्ञाकहते है | जैसे-सुन्दरता, लंबाई, भूख, प्यास, थकावट, चोरी, क्रोध, ममता आदि | भाववाचक संज्ञा शब्दों का संबंध हमारे भावों से होता है | इनका स्पर्श भी नहीं किया जा सकता | ये अमूर्त (केवल अनुभव किये जाने वाले) शब्द होते है |

व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाव वाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-

कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाए एसे व्यक्ति की और संकेत करती है जो समाज में दुर्लभ गुणों के कारण अलग पहचाने जाते है | जैसे- हरिश्चन्द्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (महात्मा), जयचंद (विस्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी) आदि | कभी-कभी इन गुणों की चर्चा ण करके उनके स्थान पर उन व्यक्तियों के नाम लिख दिए जाते है; जैसे – इस देश में जयचंदों की कमी नहीं है, यह जयचंद शब्द देश द्रोही के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है | जातिवाचक संज्ञा में समान प्रयोग होने के कारण व्यक्तिवाचक व्यक्तिवाचक शब्द बहुवचन में प्रयोग किये जाते है |

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –

कभी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ़ हो जाती है | तब केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लग जाती है जैसे-

पंडित जीहमारे देश के प्रथम प्रधान मंत्री थे | यहाँ पंडित जी जातिवाचक संज्ञा शब्द है किन्तु भूतपूर्व प्रधानमंत्री मंडित जवाहरलाल नेहरु अर्थात व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है | इस प्रकार यहाँ जातिवाचक संज्ञा काव्यक्तिवाचक संज्ञाके रूप में प्रयोग किया गया है |

भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –

जब भाववाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होती है तो वह जातिवाचक रूप धारण कर लेती है | यथा –

बुराई से बुराइयां – बुराइयों से बचो

दुरी से दूरियां – जाने कब हम दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई |

प्रार्थना से प्रार्थनाएं – सच्ची प्रार्थनाएं कभी व्यर्थ नहीं जाती है |

भाववाचक संज्ञाओं की रचना –

भाववाचक संज्ञाए रूढ़ भी होती है तथा निर्मित भी | निर्मित भाववाचक संज्ञाएँ पांच प्रकार के शब्दों से बनती है –

  1. जातिवाचक संज्ञाओं से
  2. सर्वनाओं से
  3. विशेषणों से
  4. अव्ययों से
  5. क्रियाओ से

    संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
    दूसरे शब्दों में-किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

    जैसे-प्राणियों के नाम-मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि।

    वस्तुओ के नाम-अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि।

    स्थानों के नाम-कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि

    भावों के नाम-वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि

    यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है।
    साधारण अर्थ में ‘वस्तु’ का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।

    संज्ञा के भेद

    संज्ञा के पाँच भेद होते है-
    (1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
    (2)जातिवाचक (Common noun)
    (3)भाववाचक (Abstract noun)
    (4)समूहवाचक (Collective noun)
    (5)द्रव्यवाचक (Material noun)

    (1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    जैसे-
    व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।

    वस्तु का नाम-कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।

    स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।

    दिशाओं के नाम-उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।

    देशों के नाम-भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।

    राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमेरिकी।

    समुद्रों के नाम-काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।

    नदियों के नाम-गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।

    पर्वतों के नाम-हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।

    नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।

    पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।

    ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।

    दिनों, महीनों के नाम-मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।

    त्योहारों, उत्सवों के नाम-होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।

    (2) जातिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘जातिवाचक संज्ञा’ हैं।

    जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।

    ‘लड़का’से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।

    ‘पशु-पक्षयों’से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।

    ‘वस्तु’से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।

    ‘नदी’से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।

    ‘मनुष्य’कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।

    ‘पहाड़’कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।

    (3)भाववाचक संज्ञा:-थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘भाववाचक संज्ञाएँ’ हैं।

    इस प्रकार-

    जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
    जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में‘उत्साह’से मन का भाव है।‘ईमानदारी’से गुण का बोध होता है।‘बचपन’जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।

    हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। ‘धर्म, गुण, अर्थ’ और ‘भाव’ प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता।

    भाववाचक संज्ञाएँ बनाना

    भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

    (1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

    जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञााजातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाा
    स्त्री-स्त्रीत्वभाई-भाईचारा
    मनुष्य-मनुष्यतापुरुष-पुरुषत्व, पौरुष
    शास्त्र-शास्त्रीयताजाति-जातीयता
    पशु-पशुताबच्चा-बचपन
    दनुज-दनुजतानारी-नारीत्व
    पात्र-पात्रताबूढा-बुढ़ापा
    लड़का-लड़कपनमित्र-मित्रता
    दास-दासत्वपण्डित-पण्डिताई
    अध्यापक-अध्यापनसेवक-सेवा

    (2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

    विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा
    लघु-लघुता, लघुत्व, लाघववीर-वीरता, वीरत्व
    एक-एकता, एकत्वचालाक-चालाकी
    खट्टा-खटाईगरीब-गरीबी
    गँवार-गँवारपनपागल-पागलपन
    बूढा-बुढ़ापामोटा-मोटापा
    नवाब-नवाबीदीन-दीनता, दैन्य
    बड़ा-बड़ाईसुंदर-सौंदर्य, सुंदरता
    भला-भलाईबुरा-बुराई
    ढीठ-ढिठाईचौड़ा-चौड़ाई
    लाल-लाली, लालिमाबेईमान-बेईमानी
    सरल-सरलता, सारल्यआवश्यकता-आवश्यकता
    परिश्रमी-परिश्रमअच्छा-अच्छाई
    गंभीर-गंभीरता, गांभीर्यसभ्य-सभ्यता
    स्पष्ट-स्पष्टताभावुक-भावुकता
    अधिक-अधिकता, आधिक्यगर्म-गर्मी
    सर्द-सर्दीकठोर-कठोरता
    मीठा-मिठासचतुर-चतुराई
    सफेद-सफेदीश्रेष्ठ-श्रेष्ठता
    मूर्ख-मूर्खताराष्ट्रीयराष्ट्रीयता

    (3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

    क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा
    खोजना-खोजसीना-सिलाई
    जीतना-जीतरोना-रुलाई
    लड़ना-लड़ाईपढ़ना-पढ़ाई
    चलना-चाल, चलनपीटना-पिटाई
    देखना-दिखावा, दिखावटसमझना-समझ
    सींचना-सिंचाईपड़ना-पड़ाव
    पहनना-पहनावाचमकना-चमक
    लूटना-लूटजोड़ना-जोड़
    घटना-घटावनाचना-नाच
    बोलना-बोलपूजना-पूजन
    झूलना-झूलाजोतना-जुताई
    कमाना-कमाईबचना-बचाव
    रुकना-रुकावटबनना-बनावट
    मिलना-मिलावटबुलाना-बुलावा
    भूलना-भूलछापना-छापा, छपाई
    बैठना-बैठक, बैठकीबढ़ना-बाढ़
    घेरना-घेराछींकना-छींक
    फिसलना-फिसलनखपना-खपत
    रँगना-रँगाई, रंगतमुसकाना-मुसकान
    उड़ना-उड़ानघबराना-घबराहट
    मुड़ना-मोड़सजाना-सजावट
    चढ़ना-चढाईबहना-बहाव
    मारना-मारदौड़ना-दौड़
    गिरना-गिरावटकूदना-कूद

    (4) संज्ञा से विशेषण बनाना

    संज्ञाविशेषणसंज्ञाविशेषण
    अंत-अंतिम, अंत्यअर्थ-आर्थिक
    अवश्य-आवश्यकअंश-आंशिक
    अभिमान-अभिमानीअनुभव-अनुभवी
    इच्छा-ऐच्छिकइतिहास-ऐतिहासिक
    ईश्र्वर-ईश्र्वरीयउपज-उपजाऊ
    उन्नति-उन्नतकृपा-कृपालु
    काम-कामी, कामुककाल-कालीन
    कुल-कुलीनकेंद्र-केंद्रीय
    क्रम-क्रमिककागज-कागजी
    किताब-किताबीकाँटा-कँटीला
    कंकड़-कंकड़ीलाकमाई-कमाऊ
    क्रोध-क्रोधीआवास-आवासीय
    आसमान-आसमानीआयु-आयुष्मान
    आदि-आदिमअज्ञान-अज्ञानी
    अपराध-अपराधीचाचा-चचेरा
    जवाब-जवाबीजहर-जहरीला
    जाति-जातीयजंगल-जंगली
    झगड़ा-झगड़ालूतालु-तालव्य
    तेल-तेलहादेश-देशी
    दान-दानीदिन-दैनिक
    दया-दयालुदर्द-दर्दनाक
    दूध-दुधिया, दुधारधन-धनी, धनवान
    धर्म-धार्मिकनीति-नैतिक
    खपड़ा-खपड़ैलखेल-खेलाड़ी
    खर्च-खर्चीलाखून-खूनी
    गाँव-गँवारू, गँवारगठन-गठीला
    गुण-गुणी, गुणवानघर-घरेलू
    घमंड-घमंडीघाव-घायल
    चुनाव-चुनिंदा, चुनावीचार-चौथा
    पश्र्चिम-पश्र्चिमीपूर्व-पूर्वी
    पेट-पेटूप्यार-प्यारा
    प्यास-प्यासापशु-पाशविक
    पुस्तक-पुस्तकीयपुराण-पौराणिक
    प्रमाण-प्रमाणिकप्रकृति-प्राकृतिक
    पिता-पैतृकप्रांत-प्रांतीय
    बालक-बालकीयबर्फ-बर्फीला
    भ्रम-भ्रामक, भ्रांतभोजन-भोज्य
    भूगोल-भौगोलिकभारत-भारतीय
    मन-मानसिकमास-मासिक
    माह-माहवारीमाता-मातृक
    मुख-मौखिकनगर-नागरिक
    नियम-नियमितनाम-नामी, नामक
    निश्र्चय-निश्र्चितन्याय-न्यायी
    नौ-नाविकनमक-नमकीन
    पाठ-पाठ्यपूजा-पूज्य, पूजित
    पीड़ा-पीड़ितपत्थर-पथरीला
    पहाड़-पहाड़ीरोग-रोगी
    राष्ट्र-राष्ट्रीयरस-रसिक
    लोक-लौकिकलोभ-लोभी
    वेद-वैदिकवर्ष-वार्षिक
    व्यापर-व्यापारिकविष-विषैला
    विस्तार-विस्तृतविवाह-वैवाहिक
    विज्ञान-वैज्ञानिकविलास-विलासी
    विष्णु-वैष्णवशरीर-शारीरिक
    शास्त्र-शास्त्रीयसाहित्य-साहित्यिक
    समय-सामयिकस्वभाव-स्वाभाविक
    सिद्धांत-सैद्धांतिकस्वार्थ-स्वार्थी
    स्वास्थ्य-स्वस्थस्वर्ण-स्वर्णिम
    मामा-ममेरामर्द-मर्दाना
    मैल-मैलामधु-मधुर
    रंग-रंगीन, रँगीलारोज-रोजाना
    साल-सालानासुख-सुखी
    समाज-सामाजिकसंसार-सांसारिक
    स्वर्ग-स्वर्गीय, स्वर्गिकसप्ताह-सप्ताहिक
    समुद्र-सामुद्रिक, समुद्रीसंक्षेप-संक्षिप्त
    सुर-सुरीलासोना-सुनहरा
    क्षण-क्षणिकहवा-हवाई

    (5) क्रिया से विशेषण बनाना

    क्रियाविशेषणक्रियाविशेषण
    लड़ना-लड़ाकूभागना-भगोड़ा
    अड़ना-अड़ियलदेखना-दिखाऊ
    लूटना-लुटेराभूलना-भुलक्कड़
    पीना-पियक्कड़तैरना-तैराक
    जड़ना-जड़ाऊगाना-गवैया
    पालना-पालतूझगड़ना-झगड़ालू
    टिकना-टिकाऊचाटना-चटोर
    बिकना-बिकाऊपकना-पका

    (6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना

    सर्वनामभाववाचक संज्ञासर्वनामभाववाचक संज्ञा
    अपना-अपनापन /अपनावमम-ममता/ ममत्व
    निज-निजत्व, निजतापराया-परायापन
    स्व-स्वत्वसर्व-सर्वस्व
    अहं-अहंकारआप-आपा

    (7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा

    मन्द- मन्दी;
    दूर- दूरी;
    तीव्र- तीव्रता;
    शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।

    (8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा

    परस्पर- पारस्पर्य;
    समीप- सामीप्य;
    निकट- नैकट्य;
    शाबाश- शाबाशी;
    वाहवाह- वाहवाही
    धिक्- धिक्कार
    शीघ्र- शीघ्रता

    (4)समूहवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
    जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।

    (5)द्रव्यवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
    दूसरे शब्दों में-जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
    जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।

    संज्ञाओं का प्रयोग

    संज्ञाओं के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-

    (क) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक-कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में होता है। जैसे- ‘पुरी’ से जगत्राथपुरी का ‘देवी’ से दुर्गा का, ‘दाऊ’ से कृष्ण के भाई बलदेव का, ‘संवत्’ से विक्रमी संवत् का, ‘भारतेन्दु’ से बाबू हरिश्र्चन्द्र का और ‘गोस्वामी’ से तुलसीदासजी का बोध होता है। इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।

    (ख) व्यक्तिवाचक : जातिवाचक-कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे- गाँधी अपने समय के कृष्ण थे; यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है; तुम कलियुग के भीम हो इत्यादि।

    (ग) भाववाचक : जातिवाचक-कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है। उदाहरणार्थ- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है। यहाँ ‘पहरावा’ भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ। ‘पहरावे’ से ‘पहनने के वस्त्र’ का बोध होता है।

    संज्ञा के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक में सम्बन्ध)

    संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।

    लिंग के अनुसार

    नर खाता है- नारी खाती है।
    लड़का खाता है- लड़की खाती है।

    इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।

    वचन के अनुसार

    लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
    लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
    एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।

    इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।

    कारक- चिह्नों के अनुसार

    लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
    लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।

    इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-

    बिना कारक-चिह्न के-लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
    लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)

    कारक-चिह्नों के साथ-लड़कों ने खाना खाया।
    लड़कियों ने खाना खाया।
    लड़कों से पूछो।
    लड़कियों से पूछो।
    इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।

सर्वनाम

सर्वनाम (Pronoun)की परिभाषा

जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।

सरल शब्दों में-सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं।

सर्वनाम यानी सबके लिए नाम। इसका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है। आइए देखें, कैसे? राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है।
आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।

इस प्रकार,
संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।

मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि सर्वनाम शब्द हैं। अन्य सर्वनाम शब्द भी इन्हीं शब्दों से बने हैं, जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से अपना रूप बदलते हैं; जैसे-

राधा नृत्य करती है। राधा का गाना भी अच्छा होता है। राधा गरीबों की मदद करती है।
राधा नृत्य करती है। उसका गाना भी अच्छा होता है। वह गरीबों की मदद करती है।
आप- अपना, यह- इस, इसका, वह- उस, उसका।

अन्य उदाहरण
(1)’सुभाष’ एक विद्यार्थी है।
(2)वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।

उपयुक्त वाक्यों में‘सुभाष’शब्द संज्ञा है तथा इसके स्थान परवह, उसके, उसेशब्द संज्ञा (सुभाष) के स्थान पर प्रयोग किये गए है। इसलिए ये सर्वनाम है।

संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। ‘लड़का’ कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु ‘वह’ कहने से पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।

सर्वनाम के भेद

सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम(Personal pronoun)
(2)निश्चयवाचक सर्वनाम(Demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम(Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम(Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम(Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम(Reflexive Pronoun)

(1) पुरुषवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।

पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रकार

पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
(i)उत्तम पुरुषवाचक(ii)मध्यम पुरुषवाचक(iii)अन्य पुरुषवाचक

(i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।

उदाहरण-मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
यह कविता मैंने लिखी है।
बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई।
मैंने उसे धोखा नहीं दिया।

(ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।

उदाहरण-तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
तुम सो जाओ।
तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ?
तू घर देर से क्यों पहुँचा ?
तुमसे कुछ काम है।

(iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।

उदाहरण-वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।
वह कल विद्यालय नहीं आया था।
उसे कुछ मत कहना।
उन्हें रोको मत, जाने दो।
इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।

(2) निश्चयवाचक सर्वनाम:-सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।

सरल शब्दों में-जो सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है।
किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम:-जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था।
पानी में कुछ गिर गया है।
यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

(4)संबंधवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम वाक्य में प्रयुक्त किसी अन्य सर्वनाम से सम्बंधित हों, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘वैसा’ का सम्बंध ‘जैसा’ के साथ तथा ‘उसकी’ का सम्बन्ध ‘जिसकी’ के साथ सदैव रहता है। अतः ये संबंधवाचक सर्वनाम है।

(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम:-जो सर्वनाम शब्द सवाल पूछने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में-प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
टोकरी में क्या रखा है।
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो?
उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।

(6) निजवाचक सर्वनाम:-‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना।
इस प्रकार,
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।

‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है।
उदाहरण-
आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक)
आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय)
ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)

‘निजवाचक सर्वनाम’ का रूप ‘आप’ है। लेकिन पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले ‘आप’ से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ‘आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- आप मेरे सिर-आखों पर है; आप क्या राय देते है ? किन्तु, निजवाचक ‘आप’ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

निजवाचक सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थो में होता है-

(क) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्र्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं ‘आप’ वहीं से आया हूँ; मैं ‘आप’ वही कार्य कर रहा हूँ।

(ख) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और ‘आप’ चलते बने; वह औरों को नहीं, ‘अपने’ को सुधार रहा है।

(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आप’ भला तो जग भला; ‘अपने’ से बड़ों का आदर करना उचित है।

(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे- मैं ‘आप ही’ चला आता था; यह काम ‘आप ही’; मैं यह काम ‘आप ही’ कर लूँगा।

संयुक्त सर्वनाम

रूस के हिन्दी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे ‘संयुक्त सर्वनाम’ कहा है। उन्हीं के शब्दों में, ‘संयुक्त सर्वनाम’ पृथक श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भित्रता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतन्त्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।

इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।

सर्वनाम के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक)

सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपान्तर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।

संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।

सर्वनाम में केवल सात कारक होते है। सम्बोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-

मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा;तुम-तुम्हें, तुम्हारा;हम-हमें, हमारा;वह-उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको;यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे;कौन-किसने, किसको, किसे।

सर्वनाम की कारक-रचना (रूप-रचना)

संज्ञा शब्दों की भाँति ही सर्वनाम शब्दों की भी रूप-रचना होती। सर्वनाम शब्दों के प्रयोग के समय जब इनमें कारक चिह्नों का प्रयोग करते हैं, तो इनके रूप में परिवर्तन आ जाता है।

(‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तामैं, मैंनेहम, हमने
कर्ममुझे, मुझकोहमें, हमको
करणमुझसेहमसे
सम्प्रदानमुझे, मेरे लिएहमें, हमारे लिए
अपादानमुझसेहमसे
सम्बन्धमेरा, मेरे, मेरीहमारा, हमारे, हमारी
अधिकरणमुझमें, मुझपरहममें, हमपर

(‘तू’, ‘तुम’ मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तातू, तूनेतुम, तुमने, तुमलोगों ने
कर्मतुझको, तुझेतुम्हें, तुमलोगों को
करणतुझसे, तेरे द्वारातुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से
सम्प्रदानतुझको, तेरे लिए, तुझेतुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए
अपादानतुझसेतुमसे, तुमलोगों से
सम्बन्धतेरा, तेरी, तेरेतुम्हारा-री, तुमलोगों का-की
अधिकरणतुझमें, तुझपर

तुममें, तुमलोगों में-पर

(‘वह’ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तावह, उसनेवे, उन्होंने
कर्मउसे, उसकोउन्हें, उनको
करणउससे, उसके द्वाराउनसे, उनके द्वारा
सम्प्रदानउसको, उसे, उसके लिएउनको, उन्हें, उनके लिए
अपादानउससेउनसे
सम्बन्धउसका, उसकी, उसकेउनका, उनकी, उनके
अधिकरणउसमें, उसपरउनमें, उनपर

(‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तायह, इसनेये, इन्होंने
कर्मइसको, इसेये, इनको, इन्हें
करणइससेइनसे
सम्प्रदानइसे, इसकोइन्हें, इनको
अपादानइससेइनसे
सम्बन्धइसका, की, केइनका, की, के
अधिकरणइसमें, इसपरइनमें, इनपर

(‘आप’ आदरसूचक)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताआपनेआपलोगों ने
कर्मआपकोआपलोगों को
करणआपसेआपलोगों से
सम्प्रदानआपको, के लिएआपलोगों को, के लिए
अपादानआपसेआपलोगों से
सम्बन्धआपका, की, केआपलोगों का, की, के
अधिकरणआप में, परआपलोगों में, पर

(‘कोई’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताकोई, किसनेकिन्हीं ने
कर्मकिसी कोकिन्हीं को
करणकिसी सेकिन्हीं से
सम्प्रदानकिसी को, किसी के लिएकिन्हीं को, किन्हीं के लिए
अपादानकिसी सेकिन्हीं से
सम्बन्धकिसी का, किसी की, किसी केकिन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के
अधिकरणकिसी में, किसी परकिन्हीं में, किन्हीं पर

(‘जो’ संबंधवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताजो, जिसनेजो, जिन्होंने
कर्मजिसे, जिसकोजिन्हें, जिनको
करणजिससे, जिसके द्वाराजिनसे, जिनके द्वारा
सम्प्रदानजिसको, जिसके लिएजिनको, जिनके लिए
अपादानजिससे (अलग होने)जिनसे (अलग होने)
संबंधजिसका, जिसकी, जिसकेजिनका, जिनकी, जिनके
अधिकरणजिसपर, जिसमेंजिनपर, जिनमें

(‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताकौन, किसनेकौन, किन्होंने
कर्मकिसे, किसको, किसकेकिन्हें, किनको, किनके
करणकिससे, किसके द्वाराकिनसे, किनके द्वारा
सम्प्रदानकिसके लिए, किसकोकिनके लिए, किनको
अपादानकिससे (अलग होने)किनसे (अलग होने)
संबंधकिसका, किसकी, किसकेकिनका, किनकी, किनके
अधिकरणकिसपर, किसमेंकिनपर, किनमें

सर्वनाम का पद-परिचय

सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका सम्बन्ध बताना पड़ता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।

इस वाक्य में, ‘वह’ और ‘अपना’ सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-

वह-पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘करता है’ क्रिया का कर्ता।

अपना-निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुंलिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, ‘काम’ संज्ञा का विशेषण।

विशेषण – परिभाषा ,भेद , उदाहरण

विशेषण किसे कहते है – Visheshan Kise Kahate Hain

परिभाषा :-सरल शब्दों मे समझें कि किसी भी व्यक्ति,वस्तु क़ो उसकीविशेष बात से दर्शानाया उसकी विशेषता बतानाविशेषण(Adjective)कहलाता है।

जैसे :-काला घोड़ा, हरा पैन,ईमानदार आदमी ,दो लीटर दूध

  • यहां काला, हरा, ईमानदार, दो लीटरविशेषणहै जोसंज्ञाशब्दों की विशेषता बता रहे है।

नोट :-विशेषणसंज्ञाकी व्याप्तिमर्यादितकरता है जैसेसफ़ेद कुत्ता

  • यहां कुत्ता कहने पर सब प्राणीयों का बोध होता है। कुत्ता कहने पर सभी रंगो के कुत्ते जुड़ जाते है । जिसकी संख्या ज़्यादा है औरसफ़ेद कुत्ताकहने से उससे कम प्राणियों का बोध होता है। सिर्फ सफ़ेद रंग का कुत्ता। इस प्रकारविशेषण से सीमित मात्रामे किसी वस्तु का बोध होता है ।

हम कुछउदाहरणसे विशेषण क़ो अच्छे से समझेंगे ।

(1) उसका मकान बहुत ऊँचा है।
व्याख्या :-यहां मकान की विशेषताऊँचाहोना है

(2) सुरेश की कमीज बहुत सुंदर है।
व्याख्या :-कमीज कीसुंदरताके बारे मे बता रहे है

(3) तीनों बालक आ रहे है।
व्याख्या :-यहातीनो बालककी विशेषता बता रहे है।

(4) सीता दो मीटर पैदल चली।
व्याख्या :-दो मीटरपैदल चलने की विशेषता बता रहे है

(5) ताजमहल बहुत सुंदर इमारत है।

व्याख्या :-यहां ताजमहल कीसुंदरताबता रहे है

विशेषण के भेद : विशेषण मूलतःचारप्रकार के होते है-

गुणवाचक विशेषण किसे कहते है – Gunvachak Visheshan Kise Kahate Hain

जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए,गुणवाचक विशेषणकहलाते हैं।

गुणवाचक विशेषण के उदाहरण– Gunvachak Visheshan ke Udaharan

  • गुणबोधक: अच्छा, भला, शिष्ट, सभ्य, नम्र, सुशील, कर्मठ आदि।
  • दोषबोधक: बुरा, अशिष्ट, असभ्य, उद्दंड, दुश्शील, आलसी आदि।
  • रंगबोधक: काला, लाल, हरा, पीला, मटमैला, सफेद, चितकबरा आदि।
  • कालबोधक: नया, पुराना, ताजा, प्राचीन, नवीन, क्षणिक, क्षणभंगुर आदि।
  • स्थानबोधक: भारतीय, चीनी, राजस्थानी, जयपुरी, बिहारी, मद्रासी आदि।
  • गंधबोधक: खुश्बूदार, सुगंधित, बदबूदार आदि।
  • दिशाबोधक: पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी, भीतरी, बाहरी, ऊपरी आदि।
  • अवस्थाबेाधक: गीला, सूखा, जला हुआ, पिघला हुआ आदि।
  • दशाबोधक: रोगी, स्वस्थ, अस्वस्थ, अमीर, बीमार, सुखी, दुःखी, गरीब आदि।
  • आकारबोधक: मोटा, छोटा, लम्बा, पतला, गोल, चपटा, अण्डाकार आदि।
  • स्पर्शबोधक: कठोर, कोमल, मखमली, मुलायम, चिकना, खुरदरा आदि।
  • स्वादबोधक: खट्टा, मीठा, कसैला, नमकीन, चरपरा, कङवा, तीखा आदि।

संख्यावाचक विशेषण किसे कहते है – Sankhya Vachak Visheshan kise kahate hain

जिन शब्दों द्वारासंज्ञायासर्वनामकी संख्या संबंधी विशेषता बताई जाये, उन्हेंसंख्यावाचक विशेषण(Sankhya Vachak Visheshan)कहते है।

जैसे :

  • मैदान में पाँच लङके खेल रहे है।
  • कक्षा में कुछ छात्र बैठे है।

उक्त उदाहरणों में’पाँच’निश्चित संख्या तथा’कुछ’अनिश्चित संख्या का बोध कराते है।

संख्यावाचक विशेषण के भेद

अतः संख्यावाचक विशेषण केदोभेद होते है :

  • निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  • अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
निश्चित संख्यावाचक विशेषण क्या है ?

जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो।

जैसे : दसआदमी,पन्द्रहलङके,पचासरूपये आदि।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भेद

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भीचारप्रभेद होते हैं :

  1. गणनावाचक :एक, दो, तीन, चार………
  2. क्रमवाचक :पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा……..
  3. आवृतिवाचक :दुगुना, तिगुना, चौगुना……………
  4. समुदायवाचक :दोनों, तीनों, चारों…………
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण क्या है ?

जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो।

जैसे :कुछ आदमी, बहुत लङके, थोङे से रूपये आदि।

अन्य उदाहरण :

  • आज भी देश मेंलाखोंलोग भूखमरी के शिकार है।
  • रेल दुर्घटना मेंसैकङोंयात्री घायल हो गए।
  • मुझेहजार-दो हजाररूपये दे दो।
  • कल सभा मेंलगभग एक हजारव्यक्ति थे।

अर्थातसंख्यावाचक विशेषणमें संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है

परिणामवाचक विशेषण किसे कहते है – Pariman vachak visheshan kise kahate hain

वे शब्द जो विशेष्यों की मात्रा (नाप, माप, तौल) का बोध कराते हैं,परिमाणवाचक विशेषणकहलाते है। ध्यान रखें किपरिमाणवाचक विशेषणमें माप तौल की इकाई जरुर दी होगी l इस विशेषण का एकमात्र विशेष्यद्रव्यवाचक संज्ञाहै।

जैसे :

  • थोङा दूध दीजिए, बच्चा भूखा है।
  • रामू के खेत में दस क्विंटल गेहूँ पैदा हुए।

उक्त वाक्यों मेंथोङा दूधअनिश्चयवाचक परिमाण तथादस क्विंटलनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं। इसी आधार पर परिमाणवाचक विशेषण के भीदोभेद होते हैं l जो निम्न है :

परिमाणवाचक विशेषण के भेद

  • निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
  • अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण क्या है ?

जो निश्चित मात्रा का बोध कराये।

जैसे :

  • दो मीटर कपङा
  • पाँच लीटर तेल
  • एक क्विंटल चावल आदि।
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण क्या है ?

जो निश्चित मात्रा का बोधकराये।

जैसे :सारा कपङा, ज्यादा लीटर तेल, अधिक चावल आदि।

संख्यावाचक एवं परिमाणवाचक विशेषण में अंतर

  • ⇒ संख्यावाचक मेंगणनाहोती है जबकि परिमाणवाचक मेंनापा या तौलाजाता है।
  • ⇒संख्यावाचक में संख्या के बाद कोई संज्ञा या सर्वनाम शब्द होता है जबकि परिमाणवाचक में संख्या के बाद नाप, माप, तौल की इकाई होती है और उसके बाद पदार्थ (जातिवाचक संज्ञा) होता है।

सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण क्या है – Sarvanamik vachak visheshan Kya Hain

वे विशेषण शब्द जो संज्ञा शब्द की ओर संकेत के माध्यम से विशेषता प्रकट करते है,संकेतवाचक विशेषणकहलाता है। चूँकि ये सर्वनाम शब्द होते हैं जो विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं अतः इन्हेंसार्वनामिक विशेषणभी कहते है।

सार्वनामिक विशेषण और सर्वनाम में अंतर

यदि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यहसार्वनामिक विशेषणकहलाते हैं और यदि ये अकेले अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हेा तोसर्वनामकहलाते हैं।

जैसे :

  • यह लङकी बहुत बुद्धिमती है।(सार्वनामिक विशेषण)
  • यह बहुत बुद्धिमती है।(निश्चयवाचक विशेषण)
  • उस देवी को मैं आज भी याद करता हूँ।(सार्वनामिक विशेषण)
  • उसको मैं आज भी याद करता हूँ।(निश्चयवाचक विशेषण)

नोट :कुछ विद्वान विशेषण का एक भेद और स्वीकार करते हैं।

व्यक्तिवाचक विशेषण – Vyakti vachak visheshan

वे विशेषण, जोव्यक्तिवाचक संज्ञाओंसे बनकर अन्यसंज्ञायासर्वनामकी विशेषता बतलाते है उन्हेंव्यक्तिवाचक विशेषणकहते है।

जैसे :भारतीय सैनिक, जापानी खिलौने, जयपुरी रजाइयाँ, जोधपुरी जूती, बनारसी साङी, कश्मीरी सेब, बीकानेरी भुजिया आदि।

गुणवाचक विशेषण की तुलना

जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें‘तुलनाबोधक विशेषण’कहते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बताने वाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अंतर होता है।

तुलना के विचार से विशेषणों कीतीनविशेषताएँ होती है।

  1. मूलावस्था
  2. उत्तरावस्था
  3. उत्तमावस्था

1.मूलावस्था:इसके अंतर्गत विशेषणों कामूल रूपआता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है।
जैसे -राम सुन्दर है।

2.उत्तरावस्थाःजब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण कीउत्तरावस्थाकहते हैं।
जैसे – राम श्याम से सुन्दर है।

3.उत्तमावस्था:यह विशेषण की सर्वाेत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तिओं या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण कीउत्तमावस्थाकहलाती है।

जैसे-राम सबसे सुन्दर है।

ऊपर बताये गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था मेंतरऔरतमलगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं-

गुणवाचक विशेषण की अवस्थाएँ

मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
प्रियप्रियतरप्रियतम
लघुलघुतरलघुतम
कोमलकोमलतरकोमलतम
निम्ननिम्नतरनिम्नतम
सुन्दरसुन्दरतरसुन्दरतम
उच्चउच्चतरउच्चतम
अधिकअधिकतरअधिकतम
महत्महत्तरमहत्तम
योग्ययोग्यतरयोग्यतम
सरलसरलतरसरलतम
कठोरकठोरतरकठोरतम
मधुरमधुरतरमधुरतम
न्यूनन्यूनतरन्यूनतम
निकटनिकटतरनिकटतम
कटुकटुतरकटुतम
महानमहानतरमहानतम
विशालविशालतरविशालतम
दृढ़दृढ़तरदृढ़तम
मृदुमृदुतरमृदुतम
तीव्रतीव्रतरतीव्रतम
तीक्ष्णतीक्ष्णतरतीक्ष्णतम
निर्बलनिर्बलतरनिर्बलतम
बलिष्ठबलिष्ठतरबलिष्ठतम
गुरुगुरुतरगुरुतम

विशेषण शब्द लिस्ट – Visheshan in Hindi Examples

संज्ञा से विशेषण शब्द – Sangya se Visheshan banana

स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है। आवश्यकतानुसारसंज्ञा से ही विशेषणोंको बनाया जाता है।

संज्ञाविशेषण
अंकअंकित
अलंकारअलंकारिक
अर्थआर्थिक
अग्निआग्नेय
अंचलआंचलिक
अपेक्षाअपेक्षित
अनुशासनअनुशासित
अपमानअपमानित
अंशआंशिक
अधिकारअधिकारी
अभ्यासअभ्यस्त
आदरआदरणीय
आदिआदिम
आधारआधारित, आधृत
आत्माआत्मिक
इच्छाऐच्छिक
इतिहासऐतिहासिक
ईश्वरईश्वरीय/ऐश्वर्य
उपेक्षाउपेक्षित
उत्कर्षउत्कृष्ट
उद्योगऔद्योगिक
उपनिषद्औपनिषदिक
उपन्यासऔपन्यासिक
उपार्जनउपार्जित
उपदेशउपदेशात्मक, उपदिष्ट
उपनिवेशऔपनिवेशिक
उन्नतिउन्नतिशील
ऋणऋणी
कल्पनाकल्पित
कामकाम्य
केन्द्रकेन्द्रीय
कृपाकृपालु
कपटकपटी
कुलकुलीन
कुसुमकुसुमि
गंगागांगेय
गुणगुणवान
ग्रामग्रामीण/ग्राम्य
घरघरेलू
घृणाघृणित
चर्चाचर्चित
चरित्रचारित्रिक
चक्षुचाक्षुष
चाचाचचेरा
चमकचमकीला
चायचायवाला
छलछलिया
जातिजातीय
तर्कतार्किक
तत्वतात्विक
तंत्रतांत्रिक
तिरस्कारतिरस्कृत
तरंगतरंगिनी
दर्शनदर्शनीय
दानदानी
देशदेशीय/देशी
देवदिव्य/दैविक
देहदैहिक
दयादयालु
धर्मधार्मिक
धनधनी
ध्वनिध्वनित
नगरनागरिक
निशानैश
निषेधनिषिद्ध
नरकनारकीय
न्यायन्यायिक
नमकनमकीन
नीलनीला
पशुपाश्विक
परीक्षापरीक्षित
प्रमाणप्रामाणिक
पापपापी
पितापैतृक
परिचयपरिचित
पल्लवपल्लवित
प्राचीप्राच्य
प्रणामप्रणम्य

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
पुष्टिपौष्टिक
पुराणपौराणिक
पक्षपाक्षिक
पुष्पपुष्पित
पूजापूज्य
पुत्रपुत्रवती
प्यासप्यासा
फेनफेनिल
बुद्धबौद्ध
बलबली
भारतभारतीय
भावभावुक
भोगभोगी
मनमनस्वी
भूगोलभौगोलिक
भोजनभोज्य
मानसमानसिक
मातामातृक
मंगलमांगलिक
मामाममेरा
मेधामेधावी
मर्ममार्मिक
मासमासिक
यशयशस्वी
योगयौगिक
राजराजकीय
रंगरंगीन/रंगीला
राष्ट्रराष्ट्रीय
रसरसीला/रसिक
रोमरोमिल
रूपरूपवान/रूपवती
रोगरोगी
लक्षणलाक्षणिक
लेखलिखित
वेदवैदिक
विशेषविशिष्ट
विकल्पवैकल्पिक
विवाहवैवाहिक
विज्ञानवैज्ञानिक
विश्वासविश्वसनीय,विश्वस्त
वर्गवर्गीय
व्यक्तिवैयक्तिक
व्यापारव्यापारिक
विपतिविपन्न
वादवादी
समयसामयिक
साहित्यसाहित्यिक
स्तुतिस्तुत्य
समुदायसामुदायिक
सिद्धान्तसैद्धान्तिक
स्त्रीस्त्रैण
सुखसुखी
श्रीश्रीमान्
संस्कृतसांस्कृतिक
सभासभ्य
स्वर्णस्वर्णिम
शक्तिशाक्त
शिक्षाशैक्षिक
शास्त्रशास्त्रीय
शंकाशंकित
शिवशैव
शोषणशोषित
शासनशासित
हृदयहार्दिक
हवाहवाई
हँसीहँसोङा
हिंसाहिंसक
श्रद्धाश्रद्धालु
ज्ञानज्ञानी
विरोधविरोधी
क्षेत्रक्षेत्रीय
क्षणक्षणिक
प्यारप्यारा
समाजसामाजिक
जयपुरजयपुरी
विषविषैला
बुद्धिबुद्धिमान
गुणगुणवान
दूरदूरस्थ
शहरशहरी
क्रोधक्रोधी
शरीरशारीरिक
शक्तिशक्तिमान
रूपरूपवान
सृजनसृजनहार
पालनपालनहार
रथरथवाला
दूधदूधवाला
भूखभूखा
स्वर्गस्वर्गीय
चमकचमकीला
नोकनुकीला

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
धनधनहीन
तेजतेजहीन
दयादयाहीन
मनमानसिक
अभिषेकअभिषिक्त
अनुरागअनुरागी
अन्यायअन्यायी
आश्रयआश्रित
अनुमोदनअनुमोदित
ईसाईस्वी
उन्नतिउन्नत
अनुभवअनुभवी
अन्तरआन्तरिक
अंकनअंकित
आसक्तिआसक्त
अणुआणविक
अपराधअपराधी
ईर्ष्याईर्ष्यालु
उपयोगउपयुक्त
ऋषिआर्ष
ओष्ठओष्ठ्य
कांटाकंटीला
कागजकागजी
क्रमक्रमिक
कमाईकमाऊ
क्रयक्रीत
कलंककलंकित
खूनखूनी
खेलखिलाङी
खानखनिज
गर्वगर्वीला
घनिष्ठताघनिष्ठ
गुलाबगुलाबी
गर्मीगर्म
घावघायल
जटाजटिल
चाचाचचेरा
जहरजहरीला
जागरणजाग्रत
जंगलजंगली
त्यागत्याज्य
तन्त्रतान्त्रिक
देशदेशी
दम्पतिदाम्पत्य
नाटकनाटकीय
निन्दानिन्द्य/निन्दनीय
दगादगाबाज
धर्मधार्मिक
नावनाविक
निषेधनिषिद्ध
पुस्तकपुस्तकीय
पराजयपराजित
परिचयपरिचित
पृथ्वीपार्थिक
कुटुम्बकौटुम्बिक
किताबकिताबी
कालकालीन
क्लेशकिलष्ट
करुणाकरुण
खर्चखर्चीला
खानाखाऊ
ख्यातिख्यात
गृहस्थगार्हस्थ्य
गांवगंवार

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
गेरुगेरुआ
घमण्डघमण्डी
घातघातक
चर्चाचर्चित
चिन्ताचिन्त्य
चरित्रचारित्रिक
जवाबजवाबी
जातिजातीय
तापतप्त
दन्तदन्त्य
दिनदैनिक
नियमनियमित
पत्थरपथरीला
पुरुषपौरुषेय
प्रान्तप्रान्तीय
प्रदेशप्रादेशिक
पाठकपाठकीय
पश्चिमपाश्चात्य
प्रशंसाप्रशंसनीय
परिवारपारिवारिक
फलफलित
भूतभौतिक
भाषाभाषिक
भयभयानक
मोहमोहक/मोहित
मिथिलामैथिल
मथुरामाथुर
मुखमौखिक
मूलमौलिक
यज्ञयाज्ञिक
यदुयादव
रसीदरसीदी
राष्ट्रराष्ट्रीय
राहराही
लज्जालज्जित
लोभलोभी
विकारविकृत
वन्दनावन्द्य/वन्दनीय
वियोगवियोगी
संसारसांसारिक
स्वभावस्वाभाविक
पानीपानीय/पेय
पुष्टिपौष्टिक
प्रसंगप्रासंगिक
बलबलिष्ठ
भ्रमभ्रामक/भ्रमित
भूषणभूषित
भूखभूखा
माधुर्यमधुर
मूर्च्छामूर्छित
मनुमानव
मर्ममार्मिक
मांसमांसल
मृत्युमत्र्य
योगयोगी
यशयशपाल
रुद्ररौद्र
राक्षसराक्षसी
रोमांचरोमांचित
लाठीलठैत
लोहालौह
विस्मयविस्मित
विपतिविपन्न
व्यवसायव्यावसायिक
विजयविजयी
विवेकविवेकी
विधानवैधानिक
वेतनवैतनिक
विषयविषयी
वास्तववास्तविक
समाजसामाजिक
स्वप्नस्वप्निल
स्मृतिस्मार्त
संकेतसांकेतिक
शिवशैव
शास्त्रशास्त्रीय
हिंसाहिसंक
सम्बन्धसम्बन्धी
विदेशविदेशी/वैदेशिक
शरद्शारदीय
देहलीदेहलवी
बरेलीबरेलवी
मुरादाबादमुरादाबादी
सूर्यसौर
समाससामासिक
सन्देहसंदिग्ध
सिन्धुसैन्धव
सोनासुनहरा
शौकशौकीन
शास्त्रशास्त्रीय
श्यामश्यामल
शृंगारशृंगारिक
क्षमाक्षम्य
विष्णुवैष्णव
स्तुतिस्तुत्य
स्वदेशस्वदेशी
नीतिनैतिक
संयोगसंयुक्त
लखनऊलखनवी
पहाङपहाङी

विशेषण अभ्यास प्रश्न – Visheshan ke Abhyas prashn

1. विशेषण के भेदों का सही समूह है –

(अ) व्यक्तिवाचक, गुणवाचक, संबंधवाचक, सार्वनामिक
(ब) गुणवाचक, परिणामवाचक, संख्यावाचक, भाववाचक
(स) व्यक्तिवाचक, संबंधवाचक, निश्चयवाचक, निजवाचक
(द) गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक, सार्वनामिक✔️

2. ’उत्कर्ष’ से विशेषण क्या बनेगा ?

(अ) अपकर्ष (ब) अवकर्ष
(स) उत्कृष्ट ✔️ (द) अधोकृष्ट

3. अर्थ की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद माने गए हैं –

(अ) चार ✔️ (ब) तीन
(स) पाँच (द) छह

4. निम्नलिखित वाक्यों में से एक वाक्य में विशेषण सम्बन्धी अशुद्धि नहीं है, वह कौन-सा है?
(अ) उसमें एक गोपनीय रहस्य है।
(ब) आप जैसा अच्छा सज्जन कौन होगा।
(स) कहीं से खूब ठण्डा बर्फ लाओ।
(द) वहाँ ज्वर की सर्वोत्कृष्ट चिकित्सा होती है। ✔️

5. विशेष्य किसे कहते हैं –
(अ) जो विशेषता बताई जाए
(ब) जिसकी विशेषता बताई जाए ✔️
(स) जो विशेषता बताए
(द) इनमें से कोई नहीं

6. ’आलस्य’ संज्ञा का विशेषण रूप क्या है?
(अ) आलस (ब) अलसता
(स) आलसी ✔️ (द) आलसीपन

7. संज्ञा या सर्वनाम के गुण, आकार, रंग, दशा, काल और स्थान का बोध करानेवाले विशेषण हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक

8. ’शक्ति’ शब्द से बननेवाला विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) शक्तिशाली (ब) शाक्त
(स) शक्तिमान (द) शक्तियाँ ✔️

9. ’दानवीर कर्ण का सभी स्मरण करते हैं।’ वाक्य का ’दानवीर’ शब्द कौनसा विशेषण है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक

10. निम्नलिखित शब्दों में कौनसा शब्द विशेषण है?
(अ) सच्चा ✔️ (ब) शीतलता
(स) नम्रता (द) देवत्व

11. अच्छा-बुरा, सुगंधित, उत्तरी-पूर्वी, प्राचीन आदि विशेषण किस प्रकार के हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) स्थानवाचक

12. निम्नलिखित में से प्रविशेषण शब्द है –
(अ) गहरा कुआँ (ब) बहुत खर्च
(स) निपट अनाङी ✔️ (द) शांत लङका

13. ’संस्कृति’ संज्ञा किस विशेषण शब्द से बना है?
(अ) संस्कृत ✔️ (ब) सुकृति
(स) सांस्कृतिक (द) संस्कार

14. निम्नांकित में विशेषण है?
(अ) सुलेख (ब) आकर्षक ✔️
(स) हव्य (द) पौरुष

15. निम्नलिखित में से विशेषण शब्द है –
(अ) नारी (ब) सुबह
(स) पिता (द) पैतृक ✔️

16. ’मानव’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) मनुष्य (ब) मानवीकरण
(स) मानवता (द) मानवीय ✔️

17. ’आदर’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) आदरकारी (ब) आदरपूर्वक
(स) आदरणीय ✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

18. ’पाणिनि’ का विशेषण क्या होगा?
(अ) पाणनीय (ब) पाणिनीय ✔️
(स) पाणीनी (द) पाणिनी

19. ’आतंकवाद से पीङित मानवता की पुकार अनसुनी नहीं की जा सकती है।’ वाक्य में ’पीङित’ शब्द है –
(अ) भाववाचक संज्ञा (ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण ✔️ (द) संख्यावाचक विशेषण

20. इनमें से गुणवाचक विशेषण कौन-सा है ?
(अ) चौगुना (ब) नया ✔️
(स) तीन (द) कुछ

विशेषण के वस्तुनिष्ठ प्रश्न – Visheshan ke Objective Question

21. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(ब) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
(स) अच्छा, तुम घर जाओ।
(द) अच्छा है, वह अभी आ जाए।

22. विशेषण किस शब्द की विशेषता बताते हैं ?
(अ) कारक की (ब) संज्ञा की
(स) सर्वनाम की (द) संज्ञा और सर्वनाम की ✔️

23. निम्नलिखित में से गुणवाचक विशेषण समूह है –
(अ) थोङा, कुछ, पाश्चात्य, गंभीर, ढेर सारा
(ब) एक दर्जन, वह, पतली, प्रत्येक, थोङा
(स) कठोर, खुरदरा, जापानी, स्वस्थ, कसैला ✔️
(द) थोङा, कुछ, खुरदरा, प्रत्येक, वह

24. विशेषण का प्रयोग होता है –
(अ) विशेष्य के पहले (ब) विशेष्य के बाद
(स) उपर्युक्त दोनों ✔️ (द) उपर्युक्त कोई नहीं

25. जयपुरी रजाइयाँ जयपुर का महत्त्वपूर्ण उत्पादन है। इस वाक्य में विशेषण है –
(अ) जयपुरी-उत्पादन (ब) महत्त्वपूर्ण-भारत
(स) महत्त्वपूर्ण-रजाइयाँ (द) जयपुरी-महत्त्वपूर्ण ✔️

26. निम्न में से कौनसा संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) समूहवाचक (ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक (द) उपर्युक्त सभी ✔️

27. ’आँखों की ज्योति के लिए हरा रंग अच्छा माना गया है’ वाक्य में विशेषण है –
(अ) रंग (ब) ज्योति
(स) हरा ✔️ (द) अच्छा

28. ’बहुत-कुछ’ शब्द किस संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक
(द) प्रत्येक बोधक

29. संज्ञा या सर्वनाम की माप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) परिमाणवाचक विशेषण ✔️
(ब) परिणामवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) संख्यावाचक विशेषण

30. प्रविशेषण किसे कहते हैं?
(अ) विधेय की विशेषता बतानेवाला शब्द
(ब) विशेष्य की विशेषता बतानेवाला शब्द
(स) विशेषण की विशेषता बतानेवाला शब्द ✔️
(द) विशेषण के पूर्व लगनेवाला विशेषण

31. परिमाणवाचक विशेषण कितने प्रकार के माने गए हैं-
(अ) दो ✔️ (ब) तीन
(स) चार (द) इनमें से कोई नहीं

32. सार्वनामिक विशेषण कहाँ आते हैं?
(अ) सर्वनाम के बाद (ब) संज्ञा के पहले ✔️
(स) संज्ञा के बाद (द) उपर्युक्त कोई नहीं

33. ’यह गाय प्रतिदिन पाँच लीटर दूध देती है।’ रेखांकित शब्द में विशेषण है –
(अ) अनिश्चित परिमाणवाचक
(ब) निश्चित परिमाणवाचक ✔️
(स) गुणवाचक
(द) संख्यावाचक

34. इन शब्दों में से कौनसा विशेषण अविकारी है?
(अ) बुरा (ब) पतला
(स) मधुर ✔️ (द) सीधा

35. जिन विशेषणों के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता, कहलाते हैं –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक
(ब) संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) सार्वनामिक

36. निम्न में से कौनसा तुलनात्मक विशेषण नहीं है?
(अ) सुन्दरतम (ब) सुन्दरतर
(स) सुन्दर ✔️ (द) से सुन्दर

37. ’वह ढेर सारे खिलौने लाया है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द है –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक सर्वनाम
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(द) निश्चित संख्यावाचक सर्वनाम ✔️

38. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण की दृष्टि से अशुद्ध कौनसा है?
(अ) मधु बहुत चंचला है।
(ब) कमरा खाली नहीं है।
(स) गुङिया कुरूप है।
(द) गुङिया बारीक नाचती है। ✔️

39. निम्नलिखित में से विशेषण है –
(अ) चिकना ✔️ (ब) आम
(स) ममता (द) हरियाली

40. ’यह’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) ऐसा ✔️ (ब) इसका
(स) ये (द) वैसा

विशेषण के प्रश्न – Visheshan ke prashn

41. विशेषण परिमाणवाचक है या संख्यावाचक इसकी पहचान होगी –
(अ) वस्तु गिनने योग्य है या मापने-तौलने योग्य ✔️
(ब) वस्तु की मात्रा के आधार पर
(स) वस्तु के वजन के आधार पर
(द) वस्तु की माप के आधार पर

42. विशेषण-विशेष्य का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) श्रेष्ठ व्यक्ति (ब) सुंदरी लङकी
(स) गोल प्रश्न ✔️ (द) दो किलो घी

43. ’वह पुस्तक अच्छी है’ में ’वह’ शब्द है –
(अ) सर्वनाम
(ब) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(स) निश्चित गुणवाचक विशेषण
(द) निश्चयवाचक सर्वनाम

44. संज्ञा से बने विशेषण का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) दिन-दैनिक (ब) सुख-सुखी
(स) धन-धनिक (द) कंगाल-कंगाली ✔️

45. विशेष्य से पूर्व प्रयुक्त होने वाले विशेषणों को कहते हैं –
(अ) उद्देश्य विशेषण ✔️ (ब) विधेय विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण (द) प्रविशेषण

46. विशेषण की अवस्थाओं को कहा जाता है –
(अ) मूल अवस्था (ब) उत्तरावस्था
(स) उत्तम अवस्था (द) उपर्युक्त तीनों ✔️

47. ’यदि व्यक्ति ईमानदार हो तो उसका सर्वत्र सम्मान होता है।’ वाक्य में ईमानदार शब्द के विशेषण रूप का चुनाव कीजिए –
(अ) उद्देश्य विशेषण
(ब) विधेय-विशेषण
(स) गुणवाचक विधेय विशेषण ✔️
(द) गुणवाचक उद्देश्य विशेषण

48. विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं?
(अ) तीन ✔️ (ब) चार
(स) पाँच (द) छह

49. विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) विकारी विशेषण (ब) अविकारी विशेषण
(स) प्रविशेषण ✔️ (द) क्रिया विशेषण

50. प्रयोग के आधार पर संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) छह (ब) सात ✔️
(स) आठ (द) पाँच

51. निम्नलिखित में से कौन-से अपूर्णांकबोधक संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण हैं?
(अ) एक, दो, तीन, दस, पचास, सौ
(ब) आधा, पाव, तिहाई, डेढ़, पौन ✔️
(स) पहला, दूसरा, पाँचवा, दसवाँ
(द) दुगुना, इकहरा, दसगुना

52. ’गीता सबसे कुरूप है’ वाक्य में विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) प्रथमावस्था (ब) उत्तमावस्था ✔️
(स) उत्तरावस्था (द) मूलावस्था

53. निम्नलिखित में से विशेषण चुनिए।
(अ) भलाई (ब) मिठास
(स) थोङा ✔️ (द) लालच

54. निम्नलिखित में कौन सी अवस्था विशेषण की नहीं है?
(अ) मूलावस्था (ब) उत्तमावस्था
(स) उत्तरावस्था (द) मध्यावस्था ✔️

55. निम्नलिखित वाक्य में ’कुछ’ शब्द विशेषण है, उसका भेद छाँटिए –
कुछ बच्चे कक्षा में शोर मचा रहे थे।
(अ) गुणवाचक विशेषण
(ब) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ✔️

56. ’मुझे थोङा घी चाहिए’ वाक्य में ’थोङा’ शब्द में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) निश्चित परिमाणवाचक

57. ’’बहुत तेज बारिश हो रही थी’’ वाक्य में प्रविशेषण क्या है?
(अ) बहुत ✔️ (ब) तेज
(स) बारिश (द) हो रही

58. ’’यह दृश्य अति सुन्दर है’’ वाक्य में ’अति’ क्या है?
(अ) क्रिया (ब) विशेषण
(स) संज्ञा (द) प्रविशेषण ✔️

59. ’’सब चूहे पकङ में आ गए’’ वाक्य में विशेषण कौनसा है?
(अ) गुणवाचक (ब) परिमाणबोधक
(स) स्थानवाचक (द) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️

60. ’’बगीचे में सुंदर फूल खिले हैं’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक

61. ’’वह दसवीं कक्षा में पढ़ता है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) अनिश्चित संख्यावाचसक
(स) गुणवाचक
(द) परिमाणवाचक

62. ’’प्रधानमंत्री का आवास पाँचवें रास्ते पर है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक (ब) क्रमवाचक ✔️
(स) कालवाचक (द) स्थानवाचक

63. विशेष्य से पहले आनेवाले विशेष्य को क्या कहते हैं?
(अ) क्रिया विशेषण (ब) प्रविशेषण
(स) उद्देश्य विशेषण ✔️ (द) विधेय विशेषण

64. ’’कुछ लङकियाँ आ रहीं हैं’’ वाक्य में प्रयुक्त विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) परिणामवाचक
(स) गुणवाचक (द) अनिश्चय संख्यावाचक ✔️

65. किसी व्यक्ति के रूप-गुण आदि को व्यक्त करने वाले विशेषण को क्या कहा जाता है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण
(ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) व्यक्तिवाचक विशेषण
(द) गुणवाचक विशेषण ✔️

66. ’’गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधि है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) सार्वनामिक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) संख्यावाचक

67. संज्ञा-सर्वनाम की विशेषता सर्वनाम से प्रकट करने वाले विशेषण का क्या कहते हैं?
(अ) गुणवाचक (ब) सार्वनामिक ✔️
(स) व्यक्तिवाचक (द) परिमाणवाचक

68. ’’परिश्रमी छात्र सदा सफल होते हैं’’ वाक्य मंें प्रयुक्त विशेषण है –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) सार्वनामिक

69. ’’मै’ शब्द से कौनसा विशेषण बनता है?
(अ) मुझे (ब) मेरा ✔️
(स) मुझमें (द) मुझसे

70. ’’उस घर में कौन रहता है?’’ वाक्य में ’उस’ कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक विशेषण ✔️

71. ’शिक्षा’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) शिक्षक (ब) शिक्षित ✔️
(स) शिक्षिका (द) शिक्षालय

72. निम्न में से गुणवाचक विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) युवा (ब) पचास ✔️
(स) लम्बा (द) काला

73. ’विज्ञान’ शब्द का बना विशेषण क्या है?
(अ) वैज्ञानिक ✔️ (ब) विज्ञानी
(स) विज्ञानशाला (द) विज्ञानीय

74. निम्न में से कालबोधक विशेषण कौन सा है?
(अ) भला (ब) बुरा
(स) पुराना ✔️ (द) गीला

75. ’’वे पुस्तकें तुम्हारी हैं और ये मेरी।’’ इस वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) वे (ब) तुम्हारी
(स) मेरी (द) ये तीनों ✔️

76. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) अच्छा, तुम घर आओ।
(ब) अच्छा है, वह अभी घर आ जाए।
(स) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(द) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️

77. ’मुझे’ हरा रंग पसन्द है? वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) गुणवाचक

78. ’पशु’ शब्द का विशेषण क्या है?
(अ) पशुता (ब) पशुपति
(स) पशुत्व (द) पाशविक ✔️

79. ’बुरा लङका’ शब्दों में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक

80. ’’लक्ष्मण एक कुशल कार्यकर्ता है’’ वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) कार्यकर्ता (ब) कुशल ✔️
(स) लक्ष्मण (द) एक

81. ’अर्थ’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) अनर्थ (ब) आर्थिक ✔️
(स) अर्थशास्त्र (द) अर्थवत्ता

82. ’’यही लङका गवैया है, वाक्य में यही कौनसा विशेषण है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(ब) संख्यावाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण
(द) परिमाणवाचक विशेषण

क्रिया -भेद ,अकर्मक ,सकर्मक ,प्रेरणार्थक,सहायक क्रिया ||

क्रिया किसे कहते है – kriya kise kahate hai

जिस शब्द से किसी काम काकरना या होनासमझा जाए, उसे’क्रिया’(Kriya)कहते है;

जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूपलिंग,वचनऔर पुरुष के अनुसार बदलते है। यह हिंदी की अपनी विशेषता है।

रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते है?

क्रिया के कितने भेद होते है – Kriya ke kitne bhed hote hain

रचना की दृष्टिसे क्रिया के सामान्यतःदो भेदहै(Kriya ke Prakar in Hindi)-

  • सकर्मक(Sakrmak kriya)
  • अकर्मक(Akarmak Kriya)

सकर्मक क्रिया – Sakrmak Kriya

’सकर्मक क्रिया’उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथकर्म की संभावनाहो, अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो, पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थातकर्मपर पङे।

उदाहरणार्थ-श्याम आम खाता है। इस वाक्य में’श्याम’ कर्ता है, ’खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से संबंध है।

प्रश्न होता है, क्या खाता है ? उत्तर है,’आम’।

इस तरह ’आम’ का सीधा ’खाने’ से संबंध है। अतः ,’आम’कर्मकारक है। यहाँ श्याम के खाने का फल ’आम’ पर, अर्थात कर्म पर पङता है। इसलिए, ’खाना’ क्रिया सकर्मक है।

कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है; जैसे- वह गाता है, वह पढ़ता है। यहाँ ’गीत’ और ’पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।

Akarmak kriya

अकर्मक क्रिया – Akarmak Kriya

जिनक्रियाओंका व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे’अकर्मक क्रिया’कहलाती हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पङकर कर्ता पर पङता है ।

उदाहरण के लिए-श्याम सोता है। इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पङता है। इसलिए, ’सोना’ क्रिया अकर्मक है।

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान कैसे करें

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान वाक्य में ’क्या’ किसे या ’किसको’ शब्द जोड़कर कर प्रश्न करने से होती है। यदि ऐसा करने से कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।

उदारहणार्थ, मारना, पढ़ना, खाना- इन क्रियाओं में ’क्या’ ’किसे’ लगाकर प्रश्न किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-

  • प्रश्न- किसे मारा ?
  • उत्तर- किशोर को मारा।
  • प्रश्न- क्या खाया ?
  • उत्तर- खाना खाया।
  • प्रश्न- क्या पढ़ता है ?
  • उत्तर – किताब पढ़ता है।

(इन सब उदाहरणों में क्रियाएँसकर्मकहै।)

कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं औरप्रसंग अथवा अर्थ के अनुसारइनके भेद का निर्णय किया जाता है।

जैसे-

अकर्मकसकर्मक
उसका सिर खुजलाता है।वह अपना सिर खुजलाता है।
बूँद-बूँद से घङा भरता है।मैं घङा भरता हूँ।
तुम्हारा जी ललचाता है।ये चीजें तुम्हारा जी ललचाती है।
जी घबराता है।विपदा मुझे घबराती है।
वह लजा रही है।वह तुम्हें लजा रही है।

ध्यान देवें –जिन धातुओं का प्रयोग अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है, उन्हेंउभयविध धातुकहते हैं।

क्रिया के अन्य भेद इस प्रकार है-

द्विकर्मक क्रिया – Dvikrmak kriya

कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली और दो कर्मवाली होती है। जैसे-राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्म एक ही है- ’रोटी’ । किंतु , ’मैं लङके को वेद पढ़ाता हूँ’, में दो कर्म हैं- ’लङके को’ और ’वेद’।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं –Sanyukt Kriya kise kahte hai

संयुक्त क्रिया – Sanyukt Kriya

जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसेसंयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)कहते हैं।जैसे-घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया।इन वाक्यों में ’रो चुका’, ’रोने लगा’ और ’पहुँच गया’संयुक्त क्रियाएँहैं। विधि और आज्ञा को छोङकर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं , किंतु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ’हो’, ’रो’, ’सो’, ’खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ’होना’, ’आना’, ’जाना’, ’रहना’, ’रखना’, ’उठाना’, ’लेना’, ’पाना’,’पङना’, ’डालना’, ’सकना’, ’चुकना’, ’लगना’, ’करना’, ’भेजना’, ’चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती है।

इसके अतिरिक्त, सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

जैसे-

  • अकर्मक क्रिया से –लेट जाना, गिर पङना
  • सकर्मक क्रिया से-बेच लेना, काम करना, बुला लेना, मार देना।

संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है।

जैसे- मैं पढ़ सकता हूँ। इसमें ’सकना’ क्रिया ’पढ़ना’ क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। हिंदी में संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग अधिक होता है।

संयुक्त क्रिया के भेद – Sanyukt kriya ke Bhed

अर्थ के अनुसार संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भेद हैं

1. आरंभबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से क्रिया के आरंभ होने का बोध होता है, उसे ’आरंभबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह पढ़ने लगा, पानी बरसने लगा, राम खेलने लगा।

2. समाप्तिबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया की पूर्णता, व्यापार की समाप्ति का बोध हो, वह ’समाप्तिबोधक संयुुक्त क्रिया’ है। जैसे- वह खा चुका है, वह पढ़ चुका है। धातु के आगे ’चुकना’ जोङने से समाप्तिबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

3. अवकाशबोधक-जिस क्रिया को निष्पन्न करने के लिए अवकाश का बोध हो, वह ’अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह मुश्किल से सो पाया, जाने न पाया।

4. अनुमतिबोधक-जिससे कार्य करने की अनुमति दिए जाने का बोध हो, वह ’अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- मुझे जाने दो; मुझे बोलने दो। यह क्रिया ’देना’ धातु के योग से बनती है।

5. नित्यताबोधक-जिससे कार्य की नित्यता, उसके बंद न होने का भाव प्रकट हो, वह ’नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- हवा चल रही है; पेङ बढ़ता गया, तोता पढ़ता रहा। मुख्य क्रिया के आगे ’जाना’ या ’रहना’ जोङने से नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है।

6. आवश्यकताबोधक-जिससे कार्य की आवश्यकता या कर्तव्य का बोध हो, वह ’आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- यह काम मुझे करना पङता है; तुम्हें यह काम करना चाहिए। साधारण क्रिया के साथ ’पङना’, ’होना’ या ’चाहिए’ क्रियाओं को जोङने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

7. निश्चयबोधक –जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया के व्यापार की निश्चयता का बोध हो, उसे ’निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह बीच ही में बोल उठा, उसने कहा – मैं मार बैठूँगा, वह गिर पङा, अब दे ही डालो। इस प्रकार की क्रियाओं में पूर्णता और नित्यता का भाव वर्तमान है।
8. इच्छाबोधक –इससे क्रिया के करने की इच्छा प्रकट होती है। जैसे – वह घर आना चाहता है, मैं खाना चाहता हूँ। क्रिया के साधारण रूप में ’चाहना’ क्रिया जोङने से ’इच्छाबोधक संयुक्त क्रियाएँ’ बनती हैं।

9. अभ्यासबोधक –इससे क्रिया के करने के अभ्यास का बोध होता है। सामान्य भूतकाल की क्रिया में ’करना’ क्रिया लगाने से अभ्यासबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती है। जैसे – यह पढ़ा करता है, तुम लिखा करते हो, मैं खेला करता हूँ।

10. शक्तिबोधक –इससे कार्य करने की शक्ति का बोध होता है। जैसे – मैं चल सकता हूँ, वह बोल सकता है। इसमें ’सकना’ क्रिया जोङी जाती है।

11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया –जब दो समानार्थक अथवा समान ध्वनि वाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें ’पुनरुक्त संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह पढ़ा-लिखा करता है, वह यहाँ प्रायः आया-जाया करता है, पङोसियों से बराबर मिलते-जुलते रहो।

सहायक क्रिया(Sahayak Kriya) क्या होती है ?

सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती हैं। कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं।

हिंदी में इन क्रियाओं का व्यापक प्रयोग होता है। इसके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है।

जैसे –

  • वह खाता है।
  • मैंने पढ़ा था।
  • तुम जगे हुए थे।
  • वे सुन रहे थे।

इनमें खाना, पढ़ना, जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ है, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है। शेष क्रियाएँ, जैसे- है, था, हुए थे, रहे थे – सहायक क्रियाएँ है। ये मुख्य क्रियाओं के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती है।

नामबोधक क्रिया(Nambodhak kriya) क्या होती है

संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जोङने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे’नामबोधक क्रिया’कहते हैं।

जैसे –
संज्ञा+क्रिया – भस्म करना, विशेषण+क्रिया – दुखी होना, निराश होना

नामबोधक क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ नहीं हैं। संयुक्त क्रियाएँ दो क्रियाओं के योग से बनती है और नामबोधक क्रियाएँ संज्ञा अथवा विशेषण के मेल से बनती हैं। दोनों में यही अंतर है।

पूर्वकालिक क्रिया(purvkalik kriya) क्या होती है ?

परिभाषा –जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया’पूर्वकालिक’कहलाती है।

उदाहरण– उसने नहाकर भोजन किया।

इसमें ’नहाकर’’पूर्वकालिक’ क्रियाहै, क्योंकि इससे ’नहाने’ की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध होता है।

क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak kriya) क्या होती है ?

जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आए, तब वह’क्रियार्थक संज्ञा’कहलाती है।

उदाहरण– टहलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, देश के लिए मरना कहीं अच्छा है।

प्रेरणार्थक क्रिया (prernarthak kriya) क्या होती है?

जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे’प्रेरणार्थक क्रियाएँ’कहलाती है; जैसे-काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- मोहन मुझसे किताब लिखाता है। इस वाक्य में मोहन (कर्ता) स्वयं किताब न लिखकर ’मुझे’ दूसरे व्यक्ति को लिखने की प्रेरणा देता है।

Prernarthak kriya examples

प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप हैं

जैसे- ’गिरना’ से ’गिराना’ और ’गिरवाना’।

दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में है। याद रखें, अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है

जैसे-

  • राम लजाता है।
  • वह राम को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती है। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती है।

जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैने उससे किताब लिखवाई। पहले में कर्ता अन्य को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है।

इस प्रकार हिंदी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते है। प्रथम में ’ना’ का और द्वितीय में ’वाना’ का प्रयोग होता है-हँसना- हँसवाना।

मूलद्वितीयतृतीय (प्रेरणा)
उठनाउठानाउठवाना
उङनाउङानाउङवाना
चलनाचलानाचलवाना
देनादिलानादिलवाना
जीनाजिलानाजिलवाना
लिखनालिखानालिखवाना
जगनाजगानाजगवाना
सोनासुलानासुलवाना
पीनापिलानापिलवाना

यौगिक क्रिया(yogik kriya)

दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से जो क्रिया बनती है, उसे’यौगिक क्रिया’कहा जाता है। जैसे- चलना-चलाना, हँसना-हँसाना, चलना-चल देना।

नामधातु (Nam Dhatu Kriya)-जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे’नामधातु’क्रियाकहते हैं।

संज्ञा से –

  • हाथ -हथियाना
  • बात – बतियाना

विशेषण से –

  • चिकना – चिकनाना
  • गरम – गरमाना

अनुकरणात्मक क्रियाएँ –किसी वास्तविक या कल्पित ध्वनि के अनुकरण में हम क्रियाएं बना लेते हैं, जैसे – खटपट से खटखटाना, भनभन से भनभनाना, थरथर से थरथराना, सनसन से सनसनाना, थपथप से थपथपान, इत्यादि।

रंजक क्रियाएँ –रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेष रंगत लाती है, अर्थात् विशिष्ट अर्थ छवि देती है। ये आठ हैं-

1. आनारो आना, कर आना, बन आनाअनायापता का भाव
2. जानापी जाना, आ जाना, खा जानाक्रिया पूर्णता का भाव
3. उठनारो उठना, गा उठना, चिल्ला उठनाआकस्मिकता का भाव
4. बैठनामार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठनाआकस्मिकता का भाव
5. लेनापी लेना, सो लेना, ले लेनाक्रियापूर्णता/विवशता
6. देनाचल देना, रो देना, फेंक देनाक्रियापूर्णता/विवशता
7. पङनारो पङना, हँस पङना, चैंक पङनास्वतः/शीघ्रता का भाव
8. डालनामार डालना, तोङ डालना, काट डालनाबलात् भाव

धातु क्या है ?(Dhatu kya hai)

क्रिया का मूल’धातु’है।’धातु’क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें’धातु’कहते है।

उदाहरणार्थ,’पढ़ना’क्रिया को लें। इसमें’ना’प्रत्यय है, जो मूल धातु’पढ़’में लगा है। इस प्रकार ’पढ़ना’ क्रिया की धातु’पढ़’है। इसी प्रकार, ’खाना’ क्रिया ’खा’ धातु में ’ना’ प्रत्यय लगाने से बनी है।

हिंदी में क्रिया का सामान्य रूप मूलधातु में ’ना’ जोङकर बनाया जाता है जैसे- चल+ना = चलना, देख+ना = देखना।

इन सामान्य रूपों में ’ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है। धातु की यह एक बड़ी पहचान है। हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावासंज्ञाऔरविशेषणसे भी बनती है

जैसे- काम+आना = कमाना, चिकना+आना= चिकनाना, दुहरा+ आना = दुहराना।

धातु के भेद कितने होते है ? – Dhatu ke bhed kitne hote hai

व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निर्माण की दृष्टि से धातु दो प्रकार की होती है-

1. मूल धातु

2. यौगिक धातु।

मूल धातु स्वतंत्र होती है। यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती; जैसे- खा, देख, पी इत्यादि।

जबकि यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है

जैसे- ’खाना’ से खिला, ’पढ़ना’ से पढ़ा। इस प्रकार धातुएँ अनंत हैं-कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती है।

यौगिक धातु की रचना(Yogik Dhatu ki Rachna) कैसे होती है?

यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-

(1) धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है

(2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है

(3) संज्ञा या विशेषण से नामधातु बनती है।

क्रिया के महत्त्वपूर्ण प्रश्न (kriya ke question)

1. निम्न में से विकारी शब्द है –
(अ) क्रिया ® (ब) क्रिया विशेषण
(स) निपात (द) समुच्चय बोधक शब्द

2. निम्न में से अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है –
(अ) बनाना (ब) तैरना ®
(स) धोना (द) लेना

3. उसने रामू की पिटाई कर दी। इस वाक्य में क्रिया का कौनसा रूप है-
(अ) अकर्मक (ब) संयुक्त ®
(स) प्रेरणार्थक (द) पूर्वकालिक

4. मुझे उससे अपने मकान का नक्शा बनवाना हैै। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का कौनसा रूप है-
(अ) स्थित्यर्थक (ब) गत्यर्थक
(स) अपूर्ण अकर्मक ® (द) इनमें से कोई नही

5. निम्न में से किस वाक्य में क्रिया सकर्मक रूप में है-
(अ) वह नहाकर आया। (ब) मछली तैरती है।
(स) वह खाना खाता है। ® (द) वे डूब गए।

6. निम्न में से किस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है-
(अ) वह मार खाकर चुपचाप चला गया।
(ब) संसद ने खाद्य सुरक्षा कानून पर चर्चा की।(स) प्रधानमंत्री ने चौधरी अजित सिंह को मंत्री बनाया। ®
(द) सवेरा हो गया।

7. क्रिया वाक्य रचना में किस कथन में शामिल रहती है-
(अ) उद्देश्य कथन (ब) विधेय कथन ®
(स) किसी से भी (द) किसी में नहीं

8. ’’द्विकर्मक क्रिया में…………….रिक्त स्थान भरिए-
(अ) प्रथम कर्म अप्राणीवाचक होता है और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होता है।
(ब)प्रथम (गौण) कर्म प्राणीवाचक होता है और द्वितीय (मुख्य) कर्म अप्राणीवाचक होता है। ®
(स) प्रथम व द्वितीय कर्म अप्राणीवाचक होते है।
(द) प्रथम और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होते हैं।

hindi grammar kriya with examples

10. ’’रमेश कल दिल्ली जाएगा’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) संज्ञा (ब) क्रिया विशेषण ®
(स) संज्ञा विशेषण (द) कर्म

11. नाम धातु नहीं बनती है-
(अ) संज्ञा से (ब) सर्वनाम से
(स) विशेषण से (द) क्रिया से ®

12. अकर्मक क्रिया है-
(अ) खाना (ब) उठना ®
(स) पीना (द) लिखना

13. ’’चिङिया आकाश में उङ रही है।’’ इस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) समापिका (द) असमापिका

14. द्विकर्मक क्रिया में कौनसा कर्म प्रधान होता है-
(अ) प्राणीवाचक (ब) पदार्थवाचक ®
(स) दोनों (द) कोई भी

15. उसने अपनी जेब टटोली, पैसे निकाले और टिकट लेकर बस में बैठ गया। इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया है-
(अ) टटोलना (ब) निकालना
(स) लेना ® (द) बैठना

16. मैं अभी सोकर उठा हूँ। इस वाक्य में सोकर है-
(अ) सकर्मक क्रिया (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) पूर्वकालिक क्रिया ® (द) नाम-धातु क्रिया

16. रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं?
(अ) 2®(ब) 3
(स) 4 (द) 5

17. निम्नलिखित क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया अनुकरणात्मक नहीं है?
(अ) फङफङाना (ब) मिमियाना
(स) झुठलाना ® (द) हिनहिनाना

18. काम का होना बताने वाले शब्द को क्या कहते हैं?
(अ) संज्ञा (ब) सर्वनाम
(स) क्रिया ® (द) क्रिया-विशेषण

19. ’वह जाता है’ वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) प्ररेणार्थक (द) द्विकर्मक

20. ’राम पुस्तक पढता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक ®
(स) द्विकर्मक (द) प्रेरणार्थक

hindi grammar kriya with examples

21.प्ररेणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह खाता है (ब) मोहन घर गया
(स) गाय चरती है (द) अध्यापक छात्र से पाठ पढवाता है ®

22. ’सदा जागते रहना’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक
(स) संयुक्त क्रिया ® (द) प्ररेणार्थक

23. ’मनोरमा बहुत बतियाती है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) सकर्मक क्रिया (द) अकर्मक क्रिया

24. पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) का उदाहरण है-
(अ) वह खाना खाकर सो गया ® (ब) मैंने लेख लिखवाया
(स) दीपक पाठ पढता है (द) दीपा घर गई

25. ’अध्यापक ने छात्र से चाॅक मँगवाई’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) प्ररेणार्थक क्रिया ® (ब) अकर्मक
(स) द्विकर्मक (द) सकर्मक

26. रात में तारों का टिमटिमाना अच्छा लगता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) प्ररेणार्थक
(स) सकर्मक (द) पूर्वकालिक

27. सोनू गया और सोनू घर गया दोनों वाक्यों में क्रिया के प्रकार का युग्म है-
(अ) प्ररेणार्थक और सकर्मक (ब) अकर्मक और सकर्मक ®
(स) पूर्पकालिक और तात्कालिक (द) अकर्मक और द्विकर्मक

28. मोहन खाती से पेङ कटवाता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक ® (द) सकर्मक

29. वह गीत सुनता है-वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) सकर्मक ® (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक (द) अकर्मक

क्रिया के प्रश्न उत्तर

30. तूने मुझे पुस्तक दी और तूने पुस्तक दी वाक्यों में क्रियाओं का युग्म है-
(अ) द्विकर्मक और सकर्मक ® (ब) सकर्मक और प्रेरणार्थक
(स) प्रेरणार्थक और अकर्मक (द) अकर्मक और सकर्मक

31. प्रेरणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह सो गया (ब) अध्यापक ने पाठ पढाया
(स) परिश्रमी आगे बढा करते हैं ® (द) सरस्वती बहुत शर्मीली है

32. ’भोजन करते ही वह सो गया’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) पूर्वकालिक क्रिया (ब) तात्कालिक क्रिया ®
(स) अकर्मक (द) सकर्मक

33. ’बेटा पाठ पढकर खेलो’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक क्रिया (ब) सकर्मक क्रिया
(स) द्विकर्मक क्रिया (द) पूर्वकालिक क्रिया ®

34. नाम धातु क्रिया (Nam Dhatu Kriya)’ का वाक्य है-
(अ) गीता गीत गाती है (ब) अनुसूइया बहुत शर्माती है ®
(स) वह गया (द) उसने पानी पिया

35. मालिक नौकर से गड्ढ़ा खुदवाता है, वाक्य में क्रिया है-
(अ) संयुक्त क्रिया का (ब) प्रेरणार्थक क्रिया का ®
(स) अकर्मक क्रिया का (द) सकर्मक क्रिया का

verb in hindi

36. संयुक्त क्रिया युक्त वाक्य है-
(अ) राम पाठ पढकर सो गया ® (ब) सोनू खेलता है
(स) छात्र पुस्तक पढता है (द) वह गीत गाती है

37. अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है-
(अ) महरी पानी भरती है (ब) सीता गाती है ®
(स) राम ने सीता को पुष्प दिए (द) यशोदा मोहन को सुलाती है

38. ’सुरेश सोता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) द्विकर्मक (ब) सकर्मक
(स) अकर्मक ® (द) पूर्वकालिक

39. किस वाक्य में क्रिया वर्तमान काल में है-
(अ) उसने फल खा लिए थे। (ब) मैं तुम्हारा पत्र पढ रहा हूँ। ®
(स) अचानक बिजली कौंध उठी। (द) कल वे आने वाले थे।

40. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा ऐसा वाक्य है, जिसकी क्रिया, कर्ता के लिंग के अनुसार ठीक नहीं है
(अ) राम आता है। (ब) घोङा दौङता है।
(स) हाथी सोती है। ® (द) लङकी जाती है।

अव्यय

अव्यय क्या होता है – Avyay kya hota hai

⇒ अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है –जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसेअव्यय(Avyay)शब्द कहते हैं।अव्यय शब्दहर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों कोअविकारी शब्दभी कहा जाता है।

अव्यय के उदाहरण – Avyay ke udaharan

जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।

अव्यय के भेद – Avyay ke bhed

  1. क्रिया-विशेषण अव्यय(Kriya Visheshan)
  2. संबंधबोधक अव्यय
  3. समुच्चयबोधक अव्यय
  4. विस्मयादिबोधक अव्यय
  5. निपात अव्यय

1. क्रिया विशेषण अव्यय (Kriya Visheshan)

जिन शब्दों सेक्रियाकी विशेषता का पता चलता है उसेक्रिया -विशेषण(Kriya visheshan)कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ परक्रियाविशेषण अव्ययहोता है।

क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण

  • वह यहाँ से चला गया।
  • घोडा तेज दौड़ता है।
  • अब पढना बंद करो।
  • बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।
  • वे लोग रात को पहुँचे।
  • सुधा प्रतिदिन पढती है।
  • वह यहाँ आता है।
  • रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।
  • सुमन सुंदर लिखती है।
  • मैं बहुत थक गया हूं।

क्रिया विशेषण अव्यय के भेद – Kriya Visheshan avyay ke bhed

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Kaal vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचकक्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण

आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है।
(ii) वे कब गए।
(iii) सीता कल जाएगी।
(iv) वह प्रतिदिन पढ़ता है।
(v) दिन भर वर्षा होती है।
(vi) कृष्ण कल जायेगा।

2. स्थान क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Sthan vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने के स्थान का पता चले उन्हेंस्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
(iii) सुनील नीचे बैठा है।
(iv) इधर -उधर मत देखो।
(v) वह आगे चला गया।
(vi) उधर मत जाओ।

3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Pariman vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसेपरिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।

जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय – Riti vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिनअव्ययशब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हेंरीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण

ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पररीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

जैसे :-

  • जरा , सहज एवं धीरे चलिए।
  • हमारे सामने शेर अचानक आ गया।
  • कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया।
  • मोहन शीघ्रता से चला गया।
  • वह पैदल चलता है।

2. संबंधबोधक अव्यय– Sambandh bodhak avyay

जिन अव्यय शब्दों के कारणसंज्ञाके बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों कोसंबंधबोधक शब्दकहते हैं। येशब्दसंज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।

जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ परसंबंधबोधक अव्ययहोता है।

संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण

  • मैं विद्यालय तक गया।
  • स्कूल के समीप मैदान है।
  • धन के बिना व्यवसाय चलाना कठिन है।
  • सुशील के भरोसे यह काम बिगड़ गया।
  • मैं पूजा से पहले स्नान करता हूँ।
  • मैंने घर के सामने कुछ पेड़ लगाये हैं।
  • उसका साथ छोड़ दीजिये।
  • छत पर कबूतर बैठा है।
  • राम भोजन के बाद जायेगा।
  • मोहन दिन भर खेलता है।
  • छत के ऊपर राम खड़ा है।
  • रमेश घर के बाहर पुस्तक रख रहा था।
  • पाठशाला के पास मेरा घर है।
  • विद्या के बिना मनुष्य पशु है।

प्रयोग की पुष्टि सेसंबंधबोधक अव्यय के भेद :-

  1. सविभक्तिक
  2. निर्विभक्तिक
  3. उभय विभक्ति
1. सविभक्तिक :-

जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा यासर्वनामके बाद लगते हैं उन्हेंसविभक्तिककहते हैं। जहाँ पर आगे , पीछे , समीप , दूर , ओर , पहले आते हैं वहाँ पर सविभक्तिक होता है।

जैसे :- (i) घर के आगे स्कूल है।
(ii) उत्तर की ओर पर्वत हैं।
(iii) लक्ष्मण ने पहले किसी से युद्ध नहीं किया था।

2. निर्विभक्तिक :-

जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं उन्हेंनिर्विभक्तिककहते हैं। जहाँ पर भर , तक , समेत , पर्यन्त आते हैं वहाँ पर निर्विभक्तिक होता है।

जैसे :- (i) वह रात तक लौट आया।
(ii) वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा।
(iii) वह बाल बच्चों समेत यहाँ आया।

3. उभय विभक्ति :-

जो अव्यय शब्दविभक्तिरहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं उन्हेंउभय विभक्तिकहते हैं। जहाँ पर द्वारा , रहित , बिना , अनुसार आते हैं वहाँ पर उभय विभक्ति होता है।

जैसे :- (i) पत्रों के द्वारा संदेश भेजे जाते हैं।
(ii) रीति के अनुसार काम होना है।

3. समुच्चयबोधक अव्यय– Samuchaya bodhak avyay

जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हेंसमुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं। इन्हेंयोजकभी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।

जैसे :

और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ परसमुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण

  • सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे।
  • छुट्टी हुई और बच्चे भागने लगे।
  • किरन और मधु पढने चली गईं।
  • मंजुला पढने में तो तेज है परन्तु शरीर से कमजोर है।
  • तुम जाओगे कि मैं जाऊं।
  • माता जी और पिताजी।
  • मैं पटना आना चाहता था लेकिन आ न सका।
  • तुम जाओगे या वह आयेगा।
  • सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घर्णा करते हैं।
  • गीता गाती है और मीरा नाचती है।
  • यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे।

समुच्चयबोधक अव्यय के भेद – Samuchaya bodhak avyay ke bhed

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :-

जिन शब्दों से समान अधिकार के अंशों के जुड़ने का पता चलता है उन्हेंसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं।

जहाँ पर किन्तु , और , या , अथवा , तथा , परन्तु , व , लेकिन , इसलिए , अत: , एवं आते है वहाँ परसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

जैसे :- (i) कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ते हैं।
(ii) मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे साथी सभी साथ थे।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :-

जिन अव्यय शब्दों में एक शब्द को मुख्य माना जाता है और एक को गौण। गौण वाक्य मुख्य वाक्य को एक या अधिक उपवाक्यों को जोड़ने का काम करता है। जहाँ पर चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि , जिससे कि , ताकि , यदि , तो , यानि आते हैं वहाँ परव्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

जैसे :- (i) मोहन बीमार है इसलिए वह आज नहीं आएगा।
(ii) यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ।
(iii) मैंने दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय – Vismayadi bodhak avyay

जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हेंविस्मयादिबोधक अव्यय(Vismayadi bodhak avyay)कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।

विस्मयादिबोधक अव्यय के उदाहरण – Vismayadi bodhak avyay ke udaharan

  • वाह! क्या बात है।
  • हाय! वह चल बसा।
  • आह! क्या स्वाद है।
  • अरे! तुम यहाँ कैसे।
  • छि:छि:! यह गंदगी।
  • वाह! वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
  • अहो! क्या बात है।
  • अहा! क्या मौसम हैं।
  • अरे! आप आ गये।
  • हाय! अब मैं क्या करूँ।
  • अरे! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे।
  • हाय! राम यह क्या हो गया।

भाव के आधारपरविस्मयादिबोधक अव्यय के भेद:-

  1. हर्षबोधक
  2. शोकबोधक
  3. विस्मयादिबोधक
  4. तिरस्कारबोधक
  5. स्वीकृतिबोधक
  6. संबोधनबोधक
  7. आशिर्वादबोधक

(1) हर्षबोधक :-जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ परहर्षबोधकहोता है।

(2) शोकबोधक :-जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ परशोकबोधकआता है।

(3) विस्मयादिबोधक :-जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ परविस्मयादिबोधकहोता है।

(4) तिरस्कारबोधक :-जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ परतिरस्कारबोधकहोता है।

(5) स्वीकृतिबोधक :-जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ परस्वीकृतिबोधकहोता है।

(6) संबोधनबोधक :-जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ परसंबोधनबोधकहोता है।

(7) आशीर्वादबोधक :-जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ परआशिर्वादबोधकहोता है।

5. निपात अव्यय किसे कहते हैं – Nipat avyay kise kahate hain

जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। इसेअवधारक शब्दभी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ परनिपात अव्ययहोता है।

निपात अव्यय के उदाहरण – Nipat avyay ke udaharan

  • प्रशांत को ही करना होगा यह काम।
  • सुहाना भी जाएगी।
  • तुम तो सनम डूबोगे ही , सब को डुबाओगे।
  • वह तुमसे बोली तक नहीं।
  • पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।
  • तुम उसे जानता भर हो।
  • राम ने ही रावण को मारा था।
  • रमेश भी दिल्ली जाएगा।
  • तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे।
  • राम ही लिख रहा है।

क्रिया -विशेषण और संबंधबोधक अव्यय में अंतर :-

जब अव्यय शब्दों का प्रयोगसंज्ञायासर्वनामके साथ किया जाता है तब येसंबंधबोधकहोते हैं और जब अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब येक्रिया -विशेषणहोते हैं।

जैसे :- (i) बाहर जाओ।
(ii) घर से बाहर जाओ।
(iii) उनके सामने बैठो।
(iv) मोहन भीतर है।
(v) घर के भीतर सुरेश है।
(vi) बाहर चले जाओ।

अव्यय के प्रश्न- Avyay ke Prashn


1. ’वह चुपके से चला’ पंक्ति में ’चुपके से’ है?

(अ) रीतिवाचक अव्यय (ब) दिशावाचक अव्यय
(स) स्थानवाचक अव्यय (द) परिमाणवाचक अव्यय

सही उत्तर-(अ)


2. किस वाक्य में क्रियाविशेषण का प्रयोग हुआ है?

(अ) उस पेङ पर पक्षी बैठा है।
(ब) सङक पर धीरे-धीरे चलना चाहिए।
(स) गिरधारी पुस्तक पढ़ता है।
(द) इधर कोई व्यक्ति नहीं है।

सही उत्तर-(ब)


3. व्याकरणिक कोटियों से अप्रभावित रहता है?

(अ) अव्यय (ब) संज्ञा
(स) सर्वनाम (द) क्रिया

सही उत्तर-(अ)


4. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है-

(अ) कपिल अच्छा खेलता है।
(ब) अच्छा कपिल खेलता है।
(स) खेलता है कपिल अच्छा
(द) उपर्युक्त सभी

सही उत्तर-(अ)


5. इन शब्दों में अव्यय शब्द है-

(अ) परन्तु (ब) दुधारू
(स) पंजाबी (द) चल

सही उत्तर-(अ)


6. अव्यय में रूपान्तरण नहीं होता-

(अ) लिंग का (ब) वचन का
(स) कारक का (द) उपर्युक्त सभी का

सही उत्तर-(द)


7. एक पद, वाक्यांश या उपवाक्य का सम्बन्ध दूसरे पद, वाक्यांश या उपवाक्य से जोङने वाले अव्यय को कहते हैं?

(अ) समुच्चयबोधक अव्यय
(ब) विस्मयादिबोधक अव्यय
(स) क्रिया विशेषण
(द) अप्रकट अव्यय

सही उत्तर-(अ)


8. ’जो अव्ययक्रियाकी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कहते हैं-

(अ) सम्बन्धबोधक (ब) समुच्चयबोधक
(स) भावादिबोधक (द) क्रियाविशेषण

सही उत्तर-(द)


9. ’हमें सफलता मिलने तक प्रयास करना चाहिए’ इस वाक्य में ’तक’ है?

(अ) समुच्चबोधक अव्यय
(ब) क्रिया विशेषण
(स) सम्बन्ध बोधक अव्यय
(द) विस्मयादिबोधक अव्यय

सही उत्तर-(स)


10. ’अनिल कल आएगा।’ वाक्य में क्रियाविशेषणका रूप है-

(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) रीतिवाचक (द) परिमाणवाचक

सही उत्तर-(ब)


11. ’वहाँ मोहन के…………….कोई नहीं था’ वाक्य में रिक्त स्थान पर प्रयुक्त होगा?

(अ) या (ब) और
(स) अलावा (द) अथवा

सही उत्तर-(स)


12. स्थानवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-

(अ) नमन नीचे खङा है।
(ब) महावीर आज आएगा।
(स) मैं अचानक आ गया हूँ।
(द) कोई गा रहा है।

सही उत्तर-(अ)


13. ’……………बोलो, कोई सुन लेगा’ वाक्य में रिक्त स्थान पर आएगा?

(अ) जो से (ब) गाकर
(स) चीखकर (द) धीरे

सही उत्तर-(द)


14. रीतिवाचक क्रियाविशेषण शब्द नहीं है-

(अ) अचानक (ब) अवश्य
(स) सचमुच (द) किंचित्

सही उत्तर-(द)


15. निम्नलिखित में कौन अविकारी है?

(अ) अव्यय (ब) क्रिया विशेषण
(स) विशेषण (द) अ व ब दोनों

सही उत्तर-(द)


16. ’उसने खूब मेहनत की है।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-

(अ) स्वीकारवाचक (ब) परिमाणवाचक
(स) रीतिवाचक (द) निषेधवाचक

सही उत्तर-(ब)


17. ’कछुआ धीरे-धीरे चलता है’ इस वाक्य में क्रिया विशेषण छाँटे?

(अ) धीरे-धीरे (ब) कछुआ
(स) चलता (द) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर-(अ)


18. ’स्वीकारवाचक क्रियाविशेषण’ का सही प्रयोग हुआ है-

(अ) वह निस्संदेह आएगा।
(ब) वह शायद ही आएगा।
(स) वह नहीं आएगा।
(द) वह नहीं आ सकता है।

सही उत्तर-(अ)


19. ’उसने आँख फाङकर देखा।’ इस वाक्य में ’फाङकर’ निम्नांकित में से क्या है?

(अ) विशेषण (ब) क्रिया विशेषण
(स) पूर्वकालिक क्रिया (द) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर-(ब)


20. ’आग के निकट मत जाओ।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-

(अ) परिमाणवाचक (ब) रीतिवाचक
(स) निषेधवाचक (द) स्वीकारवाचक

सही उत्तर-(स)


21. इनमें से किसमें एक क्रिया-विशेषण है?

(अ) वह धीरे चलता है (ब) वह कहता कुत्ता है
(स) रमेश तेज धावक है (द) सत्यावाणी सुन्दर होती है

सही उत्तर-(अ)


22. ’मेरी पुस्तक आकांक्षा के पास है।’ वाक्य में अव्यय है-

(अ) क्रियाविशेषण (ब) सम्बन्धबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(ब)


23. ’निश्चित’ शब्द क्रिया विशेषण के किस भेद के अन्तर्गत आता है?

(अ) परिमाण वाचक (ब) प्रश्नवाचक
(स) हेतु बोधक (द) रीतिवाचक

सही उत्तर-(द)


24. संबंधबोधक अव्यय है-

(अ) सामने (ब) अरे!
(स) मत (द) धीरे-धीरे!

सही उत्तर-(अ)


25. ’ध्यानपूर्वक’ शब्द है?

(अ) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
(ब) कालवाचक क्रिया विशेषण
(स) स्थानवाचक क्रिया विशेषण
(द) रीतिवाचक क्रिया विशेषण

सही उत्तर-(द)


26. ’राम और लक्ष्मण भाई थे।’ वाक्य में अव्यय का रूप है-

(अ) संबंधबोधक (ब) विस्मयादिबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) क्रियाविशेषण

सही उत्तर-(स)


27. राम घर गया और श्याम बाजार गया। इस वाक्य में रेखांकित शब्द है?

(अ) विकल्प सूचक (ब) परिणाम दृर्शक
(स) संयोजक (द) कारणबोधक

सही उत्तर-(स)


28. समुच्चयबोधक सूचक अव्यय है-

(अ) किन्तु, परन्तु, तथा (ब) न, नहीं
(स) आगे, पीछे, मध्य (द) हे, ओ अरे!

सही उत्तर-(अ)


29. ’तिरस्कार सूचक’ अव्यय है?

(अ) आह! (ब) अरे!
(स) छिः! (द) उफ!

सही उत्तर-(स)


30. संबंधबोधक अव्यय का उदाहरण है-

(अ) अरे! यह क्या हो गया।
(ब) मेरा मकान पेङ के सामने हैं।
(स) सीता तथा रीता सगी बहने हैं।
(द) क्रिकेट मत खेलो।

सही उत्तर-(ब)


31. किस वाक्य में निपात का प्रयोग नहीं हुआ है?

(अ) बात अपने तक ही रखना
(ब) शीला तो बीमार है
(स) तुम भी चले जाओ
(द) मैं कल जयपुर गया था

सही उत्तर-(द)


32. विस्मयादिबोधक अव्यय है-

(अ) वाह (ब) परन्तु
(स) निकट (द) तेज

सही उत्तर-(अ)


33. विस्मय के भाव के लिए विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द है?

(अ) आह (ब) अरे
(स) उफ (द) हाय

सही उत्तर-(ब)


34. जिन अव्यय शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति होती है, वह है-

(अ) संबंधबोधक (ब) क्रियाविशेषण
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(द)


35. ’छिः धिक्कार है तुम्हे! इस वाक्य में ’छि’ है?

(अ) संबोधन (ब) संज्ञा
(स) अव्यय (द) क्रिया

सही उत्तर-(स)


36. रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-

(अ) उदयपुर लगभग 100 कि.मी. दूर है।
(ब) वह परसों आ जाएगा।
(स) हम सचमुच बच गए।
(द) मैं अवश्य जाऊँगा

सही उत्तर-(स)


37. निम्न में से अव्यय शब्द नहीं है-

(अ) अचानक (ब) प्रतिदिन
(स) चलना (द) जी हाँ।

सही उत्तर-(स)


38. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय है-

(अ) थोङा (ब) मानो
(स) अवश्य (द) हे!

सही उत्तर-(अ)


39. ’इधर आओ।’ वाक्य में अव्यय-रूप है-

(अ) क्रियाविशेषण (ब) संबंधबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(अ)


40. क्रिया के होने का समय-बोध किस क्रिया विशेषण में होता है?

(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) परिमाणवाचक (द) निषेधवाचक

सही उत्तर-(ब)


41. क्रियाविशेषण का उदाहरण नहीं है-

(अ) अनिल आज आएगा।
(ब) घोङा तेज दौङ रहा है।
(स) हम अवश्य आएँगे।
(द) सुख और दुःख शाश्वत है।

सही उत्तर-(द)


42. ’घोङा तेज दौङता है।’ वाक्य में अव्यय है-

(अ) घोङा (ब) तेज
(स) दौङता (द) है।

सही उत्तर-(ब)


43. अव्यय शब्द है-

(अ) विकारी (ब) अविकारी
(स) पदबंध (द) वाक्यांश

सही उत्तर-(ब)

पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द की परिभाषा

’पर्याय’शब्द का अर्थ है-’समान’तथा’वाची’का अर्थ है- ’बोले जाने वाले’ अर्थात् जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, उन्हें हम’पर्यायवाची शब्द’(Paryayvachi shabd)कहते है।

  • अनेकार्थी शब्द-एक से अधिक अर्थ देने वाला।
  • पर्यायवाची शब्द –जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो।

पर्यायवाची शब्द का अर्थ – Paryayvachi shabd meaning in hindi

पर्यायवाची शब्द अपने समान अर्थ के कारण दूसरे शब्द का स्थान ग्रहण कर लेते है अर्थात् एक समान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd) कहते है। हिन्दी ऐसी भाषा है कि जिसमें एक शब्द के अनेक समानार्थी शब्द होते है जो भिन्न अंचल विशेषों में प्रचलित होते है। यही कारण है कि अर्थ की लगभग समानता को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक समूह में डाल दिया जाता है जिन्हें समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द (Synonyms in Hindi) कह दिया जाता है।

पर्याय का अर्थ है-समकक्ष या समान अतःपर्यायवाची शब्दका आशय है समान अर्थ वाला शब्द। पर्यायवाची शब्द का यह तात्पर्य नहीं है कि वह पूर्णतः समान अर्थ वाला हो, कभी-कभी रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने के कारण वाक्य में प्रयोग करते समय एक ही पर्यायवाची शब्द युग्म के अलग-अलग अर्थ भी हो जाते है।

उदाहरण के लिए स्वर्ग शब्द को लें। स्वर्ग का एक पर्यायवाची ’नाक’ है। किन्तु वाक्य प्रयोग के कारण स्वर्ग के पर्यायवाची नाक के अर्थ में परिवर्तन के कारण समानता भंग हो जाती है।

पर्यायवाची क्या होते है – Paryayvachi shabd kya hai

“एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले ,अर्थ में समानता हो उन्हेंपर्यायवाचीशब्द ((paryayvachi shabd)ही कहते है”जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है,उन्हेंसमानार्थक, समानार्थी या पर्यायवाची शब्दकहते हैं .जैसे :आँख– लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि |

तोआँखके पर्यायवाचीलोचन ,नयन ,नेत्र ,चक्षु हुए ,जिनका सबका एक ही अर्थ होता है

Paryayvachi Shabd

अ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • अग्नि का पर्यायवाची– आग, अनल, पावक.
  • अपमान का पर्यायवाची –अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, तिरस्कार.
  • अलंकार का पर्यायवाची –आभूषण, गहना, जेवर.
  • अहंकार का पर्यायवाची–दंभ, अभिमान, दर्प, मद, घमंड.
  • अमृत का पर्यायवाची–सुधा, अमिय, पीयूष, सोम.
  • असुर का पर्यायवाची –दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर, तमचर.
  • अतिथि का पर्यायवाची –मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक.
  • अनुपम का पर्यायवाची –अपूर्भ, अतुल्य, अनोखा, अद्भुत, अनन्य.
  • अर्थ का पर्यायवाची –धन, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा.
  • अश्व का पर्यायवाची –हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, बाजि, सैन्धव.
  • अंधकार का पर्यायवाची –तम, तिमिर, अँधेरा, तमस, अंधियारा.


आ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • आम का पर्यायवाची–रसाल, आम्र, सौरभ, अमृतफल
  • आग का पर्यायवाची–अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि.
  • आँख का पर्यायवाची–लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि.
  • आकाश का पर्यायवाची–नभ, गगन, अम्बर, व्योम, आसमान, अर्श.
  • आनंद का पर्यायवाची–हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास.
  • आश्रम का पर्यायवाची –कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाड़ा.
  • आंसू का पर्यायवाची–नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु.
  • आत्मा का पर्यायवाची–जीव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण.

इ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • इच्छा का पर्यायवाची–अभिलाषा, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट.
  • इन्द्र का पर्यायवाची–सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज, महेन्द्र, शचीपति.
  • इन्द्राणि का पर्यायवाची–इन्द्रवधू, मधवानी, शची, शतावरी, पोलोमी.

ई से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ईश्वर का पर्यायवाची–परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता.


उ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • उपवन का पर्यायवाची–बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन.
  • उक्ति का पर्यायवाची–कथन, वचन, सूक्ति.
  • उग्र का पर्यायवाची–प्रचण्ड, उत्कट, तेज, तीव्र, विकट.
  • उचित का पर्यायवाची–ठीक, मुनासिब, वाज़िब, समुचित, युक्तिसंगत, न्यायसंगत, तर्कसंगत.
  • उच्छृंखल का पर्यायवाची–उद्दंड, अक्खड़, आवारा, निरकुंश, मनमर्जी, स्वेच्छाचारी.
  • उज्जड़ का पर्यायवाची–अशिष्ट, असभ्य, गँवार, जंगली, देहाती, उद्दंड, निरकुंश.
  • उजला का पर्यायवाची–उज्ज्वल, श्वेत, सफ़ेद, धवल.
  • उजाड़ का पर्यायवाची–जंगल, बियावान, वन.
  • उजाला का पर्यायवाची–प्रकाश, रोशनी, चाँदनी.
  • उत्कर्ष का पर्यायवाची–समृद्धि, उन्नति, प्रगति, उठान.
  • उत्कृष्ट का पर्यायवाची–उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा.
  • उत्कोच का पर्यायवाची–घूस, रिश्वत.
  • उत्पत्ति का पर्यायवाची–उद्गम, पैदाइश, जन्म, उद्भव, सृष्टि, आविर्भाव, उदय.
  • उद्धार का पर्यायवाची–मुक्ति, छुटकारा, निस्तार.
  • उपाय का पर्यायवाची–युक्ति, साधन, तरकीब, तदबीर, यत्न, प्रयत्न.


ऊ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

ऊधम का पर्यायवाची–उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.


ऐ शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ऐक्य का पर्यायवाची–एकत्व, एका, एकता, मेल.
  • ऐश्वर्य का पर्यायवाची–समृद्धि, विभूति.

ओ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • ओज का पर्यायवाची–तेज, शक्ति, बल, वीर्य.
  • ओंठ का पर्यायवाची-ओष्ठ, अधर, होंठ.

औ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • औचक का पर्यायवाची –अचानक, यकायक, सहसा

औरत का पर्यायवाची–स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.


ऋ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ऋषि का पर्यायवाची –मुनि, साधु, यति, संन्यासी, तत्वज्ञ, तपस्वी.


क से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • कच का पर्यायवाची–बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह.
  • कमल का पर्यायवाची-नलिन, अरविंद, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर.
  • कबूतर का पर्यायवाची–कपोत, रक्तलोचन, पारावत.
  • कामदेव का पर्यायवाची–मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ.
  • कण्ठ का पर्यायवाची–ग्रीवा, गर्दन, गला.
  • कृपा का पर्यायवाची–प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह.
  • किताब का पर्यायवाची–पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक.
  • किनारा का पर्यायवाची–तीर, कूल, कगार, तट.
  • कपड़ा का पर्यायवाची–चीर, वसन, पट, वस्त्र, परिधान.
  • किरण का पर्यायवाची–ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति.
  • किसान का पर्यायवाची–कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता.
  • कृष्ण का पर्यायवाची–राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी.
  • कान का पर्यायवाची–कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण श्रोत, श्रुतिपुट.
  • कोयल का पर्यायवाची–कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया.
  • क्रोध का पर्यायवाची–रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात.
  • कीर्ति का पर्यायवाची–यश, प्रसिद्धि.

Paryayvachi shabd in hindi

ख से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • खग का पर्यायवाची–पक्षी, विहग, नभचर, अण्डज, पखेरू.
  • खंभा का पर्यायवाची–स्तूप, स्तम्भ, खंभ.
  • खल का पर्यायवाची–दुर्जन, दुष्ट, घूर्त, कुटिल.
  • खून का पर्यायवाची–रक्त, लहू, शोणित, रुधिर.


ग से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(paryayvachi shabd)

  • गज का पर्यायवाची–हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल .
  • गाय का पर्यायवाची–गौ, धेनु, भद्रा.
  • गंगा का पर्यायवाची–देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा.
  • गणेश का पर्यायवाची–विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, एकदन्त.
  • गृह का पर्यायवाची–घर, सदन, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास.
  • गर्मी का पर्यायवाची–ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी.
  • गुरु का पर्यायवाची–शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय.


घ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(prayayvachi shabd)

  • घट का पर्यायवाची–घड़ा, कलश, कुम्भ, निप.
  • घर का पर्यायवाची–आलय, आवास, गृह, निकेतन, निवास, भवन, वास, वास-स्थान, शाला, सदन.
  • घृत का पर्यायवाची–घी, अमृत, नवनीत.
  • घास का पर्यायवाची–तृण, दूर्वा, दूब, कुश.

च से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • चरण का पर्यायवाची–पद, पग, पाँव, पैर, पाद.
  • चतुर का पर्यायवाची–विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य.
  • चंद्रमा का पर्यायवाची–चाँद, चन्द्र, शशि, रजनीश, निशानाथ, सोम, कलानिधि.
  • चाँदनी का पर्यायवाची–चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्सना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई.
  • चाँदी का पर्यायवाची–रजत, सौध, रूपा, रूपक, रौप्य, चन्द्रहास.
  • चोटी का पर्यायवाची–मूर्धा, सानु, शृंग.


छ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • छतरी का पर्यायवाची–छत्र, छाता.
  • छली का पर्यायवाची–छलिया, कपटी, धोखेबाज.
  • छवि का पर्यायवाची–शोभा, सौंदर्य, कान्ति, प्रभा.
  • छानबीन का पर्यायवाची–जाँच, पूछताछ, खोज, अन्वेषण, शोध.
  • छैला का पर्यायवाची–सजीला, बाँका, शौकीन.
  • छोर का पर्यायवाची–नोक, कोर, किनारा, सिरा.


ज से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(paryayvachi shabd)

  • जल का पर्यायवाची –सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, पानी, पय, पेय.
  • जगत का पर्यायवाची–संसार, विश्व, जग, भव, दुनिया, लोक.
  • जीभ का पर्यायवाची–रसज्ञा, जिह्वा, वाणी, वाचा, जबान.
  • जंगल का पर्यायवाची–कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप.
  • जेवर का पर्यायवाची–गहना, अलंकार, भूषण.
  • ज्योति का पर्यायवाची–आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा.


झ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • झूठ का पर्यायवाची–असत्य, मिथ्या.
  • झण्डा का पर्यायवाची-ध्वजा, परचम, पताका,

त से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • तरुवर का पर्यायवाची–वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, पादप.
  • तलवार का पर्यायवाची–असि, कृपाण, करवाल, चन्द्रहास
  • तालाब का पर्यायवाची–सरोवर, जलाशय, पुष्कर, पोखरा
  • तीर का पर्यायवाची–शर, बाण, अनी, सायक

paryayvachi shabd


द से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(prayayvachi shabd)

  • दास का पर्यायवाची–सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, भृत्य.
  • दधि का पर्यायवाची–दही, गोरस, मट्ठा.
  • दरिद्र का पर्यायवाची–निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन.
  • दिन का पर्यायवाची–दिवस, याम, दिवा, वार.
  • दीन का पर्यायवाची–ग़रीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंगाल.
  • दीपक का पर्यायवाची–दीप, दीया, प्रदीप.
  • दुःख का पर्यायवाची–पीड़ा,कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर.
  • दूध का पर्यायवाची–दुग्ध, क्षीर, पय, गौरस, स्तन्य.
  • दुष्ट का पर्यायवाची–पापी, नीच, दुर्जन, अधम, खल, पामर.
  • दाँत का पर्यायवाची–दन्त.
  • दर्पण –शीशा, आरसी, आईना.
  • दुर्गा का पर्यायवाची–चंडिका, भवानी, कल्याणी, महागौरी, कालिका, शिवा, चण्डी, चामुण्डा.
  • देवता का पर्यायवाची–सुर, देव.
  • देह का पर्यायवाची–काया, तन, शरीर.


ध से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • धन का पर्यायवाची–दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त.
  • धरती का पर्यायवाची–धरा, धरती, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नगर्भा.
  • धनुष का पर्यायवाची–चाप, शरासन, कमान, कोदंड, धनु.

न से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • नदी का पर्यायवाची–सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी.
  • नया का पर्यायवाची–नूतन, नव, नवीन, नव्य.
  • नाव का पर्यायवाची–नौका, तरणी, तरी.

प से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द – Synonyms in Hindi

  • पवन का पर्यायवाची–वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल.
  • पहाड़ का पर्यायवाची–पर्वत, गिरि, अचल, शैल, भूधर, महीधर.
  • पक्षी का पर्यायवाची–खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिड़िया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर.
  • पति का पर्यायवाची–स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश.
  • पत्नी का पर्यायवाची–भार्या, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, दारा, जोरू, वामांगिनी.
  • पुत्र का पर्यायवाची–बेटा, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन.
  • पुत्री का पर्यायवाची–बेटी, आत्मजा, तनूजा, सुता, तनया.
  • पुष्प का पर्यायवाची–फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून.

से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • फूल का पर्यायवाची–पुष्प, सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून.

ब से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • बादल का पर्यायवाची–मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, पयोधर.
  • बालू का पर्यायवाची–रेत, बालुका, सैकत.
  • बन्दर का पर्यायवाची–वानर, कपि, हरि.
  • बिजली का पर्यायवाची–घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, दामिनी, तड़ित, विद्युत.
  • बगीचा का पर्यायवाची–बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया.
  • बाण का पर्यायवाची–सर, तीर, सायक, विशिख.
  • बाल का पर्यायवाची–कच, केश, चिकुर, चूल.
  • ब्रह्मा का पर्यायवाची–विधाता, स्वयंभू, प्रजापति, पितामह, चतुरानन, विरंचि, अज.
  • बलदेव का पर्यायवाची–बलराम, बलभद्र, हलायुध, रोहिणेय.
  • बहुत का पर्यायवाची–अनेक, अतीव, अति, बहुल, प्रचुर, अपरिमित, प्रभूत, अपार, अमित, अत्यन्त, असंख्य.
  • ब्राह्मण का पर्यायवाची–द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव.

भ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : (paryayvachi shabd in hindi)

  • भय का पर्यायवाची–भीति, डर, विभीषिका.
  • भाई का पर्यायवाची–तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ.
  • भूषण का पर्यायवाची–जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार.
  • भौंरा का पर्यायवाची–मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर.

म से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • मनुष्य का पर्यायवाची–आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज.
  • मदिरा का पर्यायवाची–शराब, हाला, आसव, मद.
  • मोर का पर्यायवाची–कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय.
  • मधु का पर्यायवाची–शहद, रसा, शहद.
  • मृग का पर्यायवाची–हिरण, सारंग, कृष्णसार.
  • मछली का पर्यायवाची–मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर.
  • माता का पर्यायवाची–जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा.
  • मित्र का पर्यायवाची–सखा, सहचर, साथी, दोस्त.

य से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • यम –सूर्यपुत्र, जीवितेश, कृतांत, अन्तक, दण्डधर, कीनाश, यमराज.
  • यमुना –कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा.
  • युवति –युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना.

र से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • रमा का पर्यायवाची–इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया.
  • रात का पर्यायवाची–रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, निशि, यामा, विभावरी.
  • राजा का पर्यायवाची–नृप, नृपति, भूपति, नरपति, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति.
  • रात्रि का पर्यायवाची–निशा, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी.
  • रामचन्द्र का पर्यायवाची–सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर, जानकीवल्लभ, कौशल्यानन्दन.
  • रावण का पर्यायवाची–दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध.
  • राधिका का पर्यायवाची–राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा.

Paryayvachi shabd hindi

ल से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • लड़का का पर्यायवाची–बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार.
  • लड़की का पर्यायवाची–बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या.
  • लक्ष्मी का पर्यायवाची–कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्मजा, सिन्धुसुता, कमलासना.
  • लक्ष्मण का पर्यायवाची–लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष.
  • लौह का पर्यायवाची–अयस, लोहा, सार.
  • लता का पर्यायवाची–बल्लरी, बल्ली, बेली.
  • paryayvachi shabd

व से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Synonyms in Hindi

  • वायु का पर्यायवाची–हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत.
  • वसन का पर्यायवाची–अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर.
  • विधवा का पर्यायवाची–अनाथा, पतिहीना.
  • विष का पर्यायवाची–ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट.
  • वृक्ष का पर्यायवाची–पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम.
  • विष्णु का पर्यायवाची– नारायण, चक्रपाणी.
  • विश्व का पर्यायवाची–जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया.
  • विद्युत का पर्यायवाची –चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका.
  • बारिश का पर्यायवाची–वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात.
  • वीर्य का पर्यायवाची–जीवन, सार, तेज, शुक्र, बीज.
  • वज्र का पर्यायवाची–कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि.
  • विशाल का पर्यायवाची–विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महान.
  • वृक्ष का पर्यायवाची–गाछ, तरु, पेड़, द्रुम, पादप, विटप, शाखी.

श से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • शिव का पर्यायवाची–भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर.
  • शरीर का पर्यायवाची–देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात.
  • शत्रु का पर्यायवाची–रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी.
  • शिक्षक का पर्यायवाची–गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय.
  • शेर का पर्यायवाची–केहरि, केशरी, वनराज, सिंह.
  • शेषनाग का पर्यायवाची–अहि, नाग, भुजंग, व्याल, उरग, पन्नग, फणीश, सारंग.
  • शुभ्र का पर्यायवाची–गौर, श्वेत, अमल, वलक्ष, शुक्ल, अवदात.
  • शहद का पर्यायवाची–पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द.

ष से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • षंड का पर्यायवाची–हीजड़ा, नपुंसक, नामर्द.
  • षडानन का पर्यायवाची–षटमुख, कार्तिकेय, षाण्मातुर.

स से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • सीता का पर्यायवाची–वैदेही, जानकी, भूमिजा, जनकतनया, जनकनन्दिनी, रामप्रिया.
  • साँप का पर्यायवाची–अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन.
  • सूर्य का पर्यायवाची–रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, दिवाकर, भानु, आदित्य.
  • संसार का पर्यायवाची–जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया.
  • सोना का पर्यायवाची–स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन.
  • सिंह का पर्यायवाची–केसरी, शेर, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज.
  • समुद्र का पर्यायवाची–सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि.
  • सम का पर्यायवाची–सर्व, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, समग्र, अखिल, निखिल.
  • समीप का पर्यायवाची–सन्निकट, आसन्न, निकट, पास.
  • समूह का पर्यायवाची–दल, झुंड, समुदाय, टोली, जत्था, मण्डली, वृंद, गण, पुंज, संघ, समुच्चय.

विराम चिन्ह क्या है ?

  • सभा का पर्यायवाची–अधिवेशन, संगीति, परिषद, बैठक, महासभा.
  • सुन्दर का पर्यायवाची–कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य.
  • सन्ध्या का पर्यायवाची–सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि.
  • स्त्री का पर्यायवाची–सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी.
  • सुगंधि का पर्यायवाची–सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू.
  • स्वर्ग का पर्यायवाची–सुरलोक, देवलोक, दिव्यधाम, ब्रह्मधाम, द्यौ, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक.
  • स्वर्ण का पर्यायवाची–सुवर्ण, कंचन, हेन, हारक, जातरूप, सोना, तामरस, हिरण्य.
  • सरस्वती का पर्यायवाची–गिरा, शारदा, भारती, वीणापाणि, विमला, वागीश, वागेश्वरी.
  • सहेली का पर्यायवाची–आली, सखी, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री.
  • संसार का पर्यायवाची–लोक, जग, जहान, जगत, विश्व.

ह से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • हस्त का पर्यायवाची–हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा.
  • हिमालय का पर्यायवाची–हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश.
  • हिरण का पर्यायवाची–सुरभी, कुरग, मृग, सारंग, हिरन.
  • होंठ का पर्यायवाची–अक्षर, ओष्ठ, ओंठ.
  • हनुमान का पर्यायवाची–पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति.
  • हिमांशु का पर्यायवाची –हिमकर, निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा, चन्द्र, निशिपति.
  • हंस का पर्यायवाची–कलकंठ, मराल, सिपपक्ष,मानसौक.
  • हृदय का पर्यायवाची –छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर.
  • हाथ का पर्यायवाची–हस्त, कर, पाणि.
  • हाथी का पर्यायवाची–हस्ती, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी

    अन्य पर्यायवाची शब्द

    • अग्नि का पर्यायवाची−आग, अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु।
    • अतिथि का पर्यायवाची−अभ्यागत, पाहुन, मेहमान, आगन्तुक।
    • अमृत का पर्यायवाची−सुधा, सोम, पीयूष, अमी, अमिय, सुरभोग, देवभोग।
    • अपमान का पर्यायवाची−अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, अवमान, तिरस्कार।
    • अलंकार का पर्यायवाची−आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर।
    • अश्व का पर्यायवाची−घोङा, हय, हरि, घोटक, बाजि, सैन्धव, तुरंग।
    • असुर का पर्यायवाची−दनुज, दैत्य, दानव, राक्षस, तमचर, निशाचर, रजनीचर
    • अहंकार का पर्यायवाची−गर्व, दर्प, दंभ, घमण्ड, मद, मान।
    • अंधकार का पर्यायवाची−तम, तमस, तिमिर, तमिस्र, अंधेरा, अंधियारा।
    • आकाश का पर्यायवाची−नभ, गगन, अम्बर, अन्तरिक्ष, अनन्त, व्योम, शून्य।
    • आँख का पर्यायवाची−नेत्र, नयन, चक्षु, लोचन, दृग, अक्षि।
    • इच्छा का पर्यायवाची −आकांक्षा, अभिलाषा, कामना, चाह, लिप्सा, लालसा।
    • इन्द्र का पर्यायवाची−सुरेश, सुरपति, देवराज, मेघराज, शक्र, शचीपति, देवेन्द्र।
    • उपवन का पर्यायवाची −बाग, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन।

    परीक्षा में आने वाले मुहावरे

    • कच का पर्यायवाची−बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह।
    • कण्ठ का पर्यायवाची−ग्रीवा, गर्दन, गला, शिरोधरा।
    • कपङा का पर्यायवाची−पट, चीर, वसन, अम्बर, वस्त्र, दुकूल, परिधान।
    • कबूतर का पर्यायवाची−कपोत, रक्तलोचन, पारावत, कलरव, हारिल।
    • कमल का पर्यायवाची−जलज, पंकज, सरोज, अरविन्द, राजीव, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर।
    • कान का पर्यायवाची−कर्ण, श्रवण, श्रोत, श्रुतिपुट।
    • कामदेव का पर्यायवाची− मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ।
    • किनारा का पर्यायवाची−तीर, कूल, कगार, तट।
    • किरण का पर्यायवाची−कर, अंशु, रश्मि, मरीचि, मयूख, प्रभा।
    • कीर्ति का पर्यायवाची −यश, प्रसिद्धि।
    • खग का पर्यायवाची−पक्षी, द्विज, विहग, नभचर, अण्डज, शकुनि, पखेरू।
    • गणेश का पर्यायवाची−विनायक, गजानन, लम्बोदर, गणपति, एकदन्त।

    महत्वपूर्ण विलोम शब्द देखें

    • गुरु का पर्यायवाची−शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय।
    • गृह का पर्यायवाची−घर, गेह, सदन, निकेतन, भवन, आलय, मंदिर।
    • चन्द्रमा का पर्यायवाची−इन्दु, सोम, शशि, विधु, सुधांशु, हिमांशु।
    • चरण का पर्यायवाची−पैर, पाद, पग, पद, पाँव।
    • चाँदनी का पर्यायवाची−चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्स्ना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई।
    • जगत् का पर्यायवाची−संसार, विश्व, जग, जगती, भव, दुनिया, लोक, भुवन।
    • जल का पर्यायवाची−वारि, अम्बु, तोय, नीर, सलिल, जीवन, पय।
    • जीभ का पर्यायवाची−रसना, रसज्ञा, जिह्वा, रसिका, वाणी, वाचा, जबान।
    • ज्योति का पर्यायवाची−आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा, भा, रुचि, रोचि।
    • तरुवर का पर्यायवाची−वृक्ष, पेङ, द्रुम, तरु, विटप, रूंख, पादप।
    • तलवार का पर्यायवाची−असि, कृपाण, करवाल, खड्ग, चन्द्रहास।
    • तालाब का पर्यायवाची−जलाशय, सर, तङाग, सरोवर, पुष्कर।
    • तीर का पर्यायवाची−शर, बाण, विशिख, शिलीमुख, अनी, सायक।

    विराम चिन्ह क्या है ?

    • दधि का पर्यायवाची−दही, गोरस, मट्ठा, तक।
    • दाँत का पर्यायवाची−दशन, रदन, रद, द्विज, दन्त, मुखखुर।
    • दास का पर्यायवाची−सेवक, अनुचर, चाकर, भृत्य, किंकर, परिचारक।
    • दिन का पर्यायवाची−दिवस, वार, वासर, अह्न , दिवा।
    • दीन का पर्यायवाची−गरीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंकाल।
    • दीपक का पर्यायवाची−दीप, दीया, प्रदीप।
    • दुर्गा का पर्यायवाची−चण्डी, चामुण्डा, कल्याणी, कालिका, भवानी।
    • दूध का पर्यायवाची−दुग्ध, पय, क्षीर, गौरस, स्तन्य।
    • देवता का पर्यायवाची− देव, अजर, अमर, सुर, विबुर्ध
    • शरीर का पर्यायवाची−काया, तन, शरीर, वपु, गात।
    • धन का पर्यायवाची−द्रव्य, वित्त, अर्थ, सम्पत्ति, पूँजी , कमान, कोदण्ड, सरासन, पिनाक, सारंग।
    • नदी का पर्यायवाची−सरिता, तटिनी, तरंगिणी, आपगा, शैलजा, निर्झरिणी।
    • नाव का पर्यायवाची−नौका, तरणी, वनवाहन, जलयान, पोत, नैया, तरी।
    • पत्थर का पर्यायवाची−पाषाण, प्रस्तर, उपल, पाहन, शिलाखण्ड।
    • पत्ता का पर्यायवाची−दल, पल्लव, पर्ण, द्रुमदल, किसलय, पान, पत्र।
    • पति का पर्यायवाची−कांत, ईश, स्वामी, भरतार, वल्लभ, प्राणेश, नाथ।
    • पथ का पर्यायवाची−बाट, मार्ग, राह, पंथ, रास्ता, मग।

    विराम चिन्ह क्या है ?

    • पर्वत का पर्यायवाची−पहाङ, अचल, गिरि, भूधर, नग, महीधर, शैल, मेरू।
    • पशु का पर्यायवाची−चतुष्पद, जानवर, चैपाया, मृग।
    • पाताल का पर्यायवाची−रसातल, नागलोक, अधोभुवन, उरगस्थान।
    • पार्वती का पर्यायवाची−शिवा, गौरी, उमा, भवानी, गिरिजा, शैलसुता, अम्बिका।
    • पास का पर्यायवाची−आसन्न, निकट, समीप, सामीप्य, सन्निकट, उपकण्ठ, सानिध्य।
    • पुत्र का पर्यायवाची−सुत, तनय, आत्मज, पूत, बेटा, तनुज, तात, नन्दन, लाल।
    • पुत्री का पर्यायवाची−सुता, तनया, आत्मजा, तनुजा, नन्दिनी, दुहिता, बेटी।
    • पुष्प का पर्यायवाची−कुसुम, सुमन, प्रसून, फूल, पुहुप, गुल।
    • प्रातः का पर्यायवाची−प्रभात उषा, अरुणोदय, सुबह, अहर्मुख, सवेरा।
    • प्रवाल का पर्यायवाची−विद्रुम, रक्तांग, लतामणि, रक्तमणि।
    • पृथ्वी का पर्यायवाची−भू, भूमि, अवनि, अचला, धरा, मही, इला, मेदिनी।
    • फल का पर्यायवाची−परिणाम, नतीजा, लाभ, प्रभाव।

    परीक्षा में आने वाले मुहावरे

    • बन्दर का पर्यायवाची−कपि, हरि, मर्कट, वानर, शाखामृग।
    • बसन्त का पर्यायवाची−ऋतुराज, मधु, पिकानन्द, मधुमास, कुसुमाकर, मदनमीत।
    • ब्रह्म का पर्यायवाची−विधि, विधाता, विरंचि, चतुरानन, स्वयंभू, प्रजापति।
    • बादल का पर्यायवाची−मेघ, घन, जलद, पयोधर, धाराधर, नीरद।
    • बालक का पर्यायवाची−शिशु, बच्चा, बाल, कुमार, किशोर, लङका, शावक।
    • ब्राह्मण का पर्यायवाची−द्विज, विप्र, भूसुर, भूदेव, महीदेव, अग्रजन्मा।
    • बिजली का पर्यायवाची−विद्युत, चपला, चंचला, तडित, सौदामिनी, दामिनी।
    • बुद्धि का पर्यायवाची−धी, मेधा, मति, प्रज्ञा, मनीषा।
    • भाई का पर्यायवाची−बन्धु, सहोदर, भ्राता, भैया, तात, सगर्भा, सजाता।
    • भौंरा का पर्यायवाची−भ्रमर, मधुकर, मधुप, अलि, षट्पद, भृंग।
    • मक्खन का पर्यायवाची−नवनीत, माखन, दधिसार, लौनी।
    • मनुष्य का पर्यायवाची−नर, मानव, जन, मनुज, मानुष, मत्र्य, आदमी।
    • महादेव का पर्यायवाची−शिव, शंभु, शंकर, पशुपति, त्रिनेत्र, हर, नीलकंठ।

    परीक्षा में आने वाले ही शब्द युग्म ही पढ़ें

    • माता का पर्यायवाची−माँ, अम्बा, जननी, प्रसू, मात, जन्मदायिनी, अम्ब।
    • मुख का पर्यायवाची− आनन, वदन, वक्र, मुँह, चेहरा।
    • मूर्ख का पर्यायवाची−अज्ञ, मूढ़, जङ, अज्ञानी, निर्बुद्धि।
    • मेंढ़क का पर्यायवाची−मण्डूक, दादुर, हरि, भेक, शालूर, वर्षाभू।
    • मृग का पर्यायवाची−कुरंग, सारंग, कस्तूरी, चमरी, कृष्णसार, हरिण।
    • मृत्यु का पर्यायवाची−निधन, मरण, देहावसान, देहान्त, मौत, स्वर्गवास।
    • युद्ध का पर्यायवाची−रण, समर, संग्राम, जंग, विग्रह, लङाई।
    • युवक का पर्यायवाची−युवा, तरुण, जवान, नवयुवक, नौजवान।
    • युवती का पर्यायवाची−तरुणी, श्यामा, किशोरी, नवयौवना, नवांगना।
    • रमा का पर्यायवाची−लक्ष्मी, कमला, पद्मा, इन्दिरा, श्री, सिन्धुजा, विष्णुप्रिया।
    • रवि का पर्यायवाची−भानु, सूर्य, आदित्य, दिनकर, दिनेश, मार्तण्ड।
    • राजा का पर्यायवाची−नृप, भूप, नृपति, नरेश, महीप, नरेन्द्र, महीन्द्र, महीपाल।
    • रात का पर्यायवाची−रात्रि, निशा, शर्वरी, रजनी, यामिनी, राका, विभावरी।
    • रानी का पर्यायवाची−राजवधू, राज्ञी, महारानी, महाराज्ञी, राजपत्नी।
    • लहर का पर्यायवाची−तरंग, हिलोर, ऊर्मि, वीचि, लहरी।
    • वज्र का पर्यायवाची−कुलिश, पवि, अशनि, भेदी, भिदुर, दंभोलि।
    • विद्वान् का पर्यायवाची−कोविद, पण्डित, प्राज्ञ, विदुष।
    • विष का पर्यायवाची−जहर, गरल, हलाहल, कालकूट, गर।

    सर्वनाम व उसके भेद

    • विवाह का पर्यायवाची−पाणिग्रहण, ब्याह, शादी, परिणय, प्रणय, सूत्रबन्धन।
    • विष्णु का पर्यायवाची−जनार्दन, चक्रपाणि, रमेश, चतुर्भुज, गदाधर, दामोदर।
    • शत्रु का पर्यायवाची−अरि, दुश्मन, बैरी, विपक्षी, अमित्र, द्वेषी।
    • शुक का पर्यायवाची−तोता, कीर, सुग्गा, दाङिम-प्रिय, रक्ततुण्ड, सुआ।
    • सखी का पर्यायवाची−सहचरी, आली, सजनी, सहेली, सैरंध्री।
    • सन्धया का पर्यायवाची−साँझ, शाम, सांय, दिनांत, गोधूलि, प्रदोषकाल।
    • सर्प का पर्यायवाची−अहि, भुजंग, विषधर, व्याल, फणी, नाग, उरग।

    परीक्षा में आने वाले ही शब्द युग्म ही पढ़ें

    • समुद्र का पर्यायवाची−सागर, सिंधु, रत्नाकर, उदधि, पयोधि, पारावार।
    • सरस्वती का पर्यायवाची−भारती, गिरा, शारदा, वीणापाणि, हंसवाहिनी।
    • सिंह का पर्यायवाची−शार्दूल, केसरी, हरि, मृगेन्द्र, वनराज, मृगराज।
    • सेना का पर्यायवाची−कटक, अनी, चमू, दल, वाहिनी, सैन्य, फौज।
    • स्वर्ग का पर्यायवाची−सुरलोक, देवलोक, नाग, इन्द्रपुरी, द्यौ, परमधाम।
    • स्त्री का पर्यायवाची−नारी, कामिनी, महिला, अबला, ललना, रमणी, तिय।
    • हृदय का पर्यायवाची−उर, हिय, वक्ष, वक्षस्थल, हृद।
    • हनुमान का पर्यायवाची−पवनसुत, महावीर, वज्रांग, मारुति, अंजनिसुत, मारुतनन्दन।
    • हाथ का पर्यायवाची−हस्त, कर, पाणि, बाहु, भुजा।
    • हाथी का पर्यायवाची−गज, हस्ती, कुंजर, मातंग, द्विरद, द्विप, नाग, करि।
    • हंस का पर्यायवाची−मराल, चक्रांग, कलहंस, कारंडव, सरस्वतीवाहन।

    पेड़ का पर्यायवाची शब्द क्या है – Ped ka Paryayvachi Shabd

    Ped –Taru, Drum,Vitap, Vriksh, Paadap, Ruksh, gaach, darkhat, shaakhi

    पेड़ –वृक्ष, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम

    ped ka paryayvachi shabd
    Ped Ka Paryayvachi Shabd

    पर्यायवाची शब्द के महत्त्वपूर्ण प्रश्न- Paryayvachi Shabd ke Question

    1. ’कमल’ का पर्यायवाची शब्द बताइये ?
    (अ) अरविन्द ✔️ (ब) मदन
    (स) मयंक (द) अचल

    2. निम्न में से कौन सा विकल्प- ’किरण’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
    (अ) अंशु (ब) प्रकाश
    (स) रश्मि (द) मयूर ✔️

    3.”Allotment”का पारिभाषिक शब्द है:
    (अ) देना (ब) आबंटन ✔️
    (स) पाना (द) हिस्सा

    4. निम्न में ’स्वर्ण’ का ’अपर्यायवाची’ इंगित करें-
    (अ) कंचन (ब) कनक
    (स) हेम (द) किंकिन ✔️

    5. ’केदार’ निम्न में किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) ब्रह्मा (ब) विष्णु
    (स) महेश ✔️ (द) इन्द्र

    6. निम्न में ’मेघ’ का पर्यायवाची इंगित करे ?
    (अ) जलज (ब) कोकनद
    (स) पयोद ✔️ (द) उपर्युक्त सभी

    7. निम्न में कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय है ?
    (अ) नीरद (ब) कोकनद
    (स) नीलनद (द) प्रमद

    8. निम्न में से कौन-सा नाम ’कृष्ण’ का पर्याय नहींहै ?
    (अ) जगन्नाथ (ब) केशव
    (स) केटव ✔️ (द) माधव

    9. निम्न में से कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय नहीं है ?
    (अ) सरसिज (ब) अम्बुज
    (स) पंकज (द) वारिद ✔️

    10. निरंकुशता किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) स्वेच्छाचारिता ✔️ (ब) स्वतंत्रता
    (स) आत्मनिर्भरता (द) वीरता

    निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः

    11. दामिनी
    (अ) नवनीत (ब) चमक
    (स) आत्मनिर्भर (द) बिजली ✔️

    12. अरि
    (अ) मित्र (ब) शत्रु ✔️
    (स) अभद्र (द) कठोर

    13. स्तन्य
    (अ) खीर (ब) पेय
    (स) कौंध (द) दूध ✔️

    14. दर्प
    (अ) तिरस्कार (ब) अहंकार ✔️
    (स) स्वाभिमान (द) गर्व

    15. ’घनश्याम’ का अर्थ है काला बादल, इसका दूसरा अर्थ है ?
    (अ) विष्णु (ब) घने बादल
    (स) कृष्ण ✔️ (द) घने बाल

    16. ’अनिल’ का पर्याय है:
    (अ) अनल (ब) पवन ✔️
    (स) पावस (द) चक्रवात

    17. ’मृगेन्द्र’ का पर्याय हैः
    (अ) कुरंग (ब) अहि
    (स) कुंजर (द) शार्दूल ✔️

    18. ’प्रसून’ पर्यायवाची है:
    (अ) वृक्ष का (ब) पुष्प का ✔️
    (स) चन्द्रमा का (द) इनमें से कोई नहीं

    19. निम्नलिखित में ’कबतूर’ का पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) पारावात ✔️ (ब) हारिल
    (स) कोर (द) कुक्कुट

    20. वर्तनी की शुद्धता को ध्यान रखते हुए ’आग’ शब्द के लिए प्रयुक्त शुद्ध हिन्दी शब्द कौन-सा है ?
    (अ) अनिल (ब) अनल ✔️
    (स) आनल (द) आनिल

    21. रात्रि का पर्याय नहीं है:
    (अ) यामिनी (ब) रजनी
    (स) सजनी ✔️ (द) निशा

    22. फूल का पर्याय नहीं है:
    (अ) सुमन (ब) कुसुम
    (स) पुष्प (द) तनुजा ✔️

    23. सही पर्यायवाची शब्द चुनिए:
    (अ) इन्दिरा ✔️ (ब) कामाक्षी
    (स) दामिनी (द) कामिनी

    24. ’केसरी’ शब्द के पर्यायवाची शब्द का चयन कीजिएः
    (अ) सुन्दर (ब) हाथी
    (स) सिंह (द) पक्षी

    25. ’तुरंग’ का पर्यायवाची शब्द चुनिएः
    (अ) गदहा (ब) घोङा ✔️
    (स) सर्प (द) सिंह

    26. ’सेना’ का पर्यायवाची है:
    (अ) अनीक ✔️ (ब) सैनिक
    (स) अरि (द) अतनु

    27. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’होंठ’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
    (अ) ओष्ठ (ब) रद-पट
    (स) अष्ट ✔️ (द) अधर

    28. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’अनुचर’ शब्द का पर्यायवाची नही है ?
    (अ) भृत्य (ब) चाकर
    (स) सेवक (द) निर्झर ✔️

    पर्यायवाची शब्द के बहुविकल्पीय प्रश्न

    29. ’वीणापाणि’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) रंभा (ब) सरस्वती ✔️
    (स) लक्ष्मी (द) कमल

    30. ’कंचन’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) हीरा (ब) कनक ✔️
    (स) ताँबा (द) चाँदी

    31. ’निशाचर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) नभचर (ब) रात्रिचर ✔️
    (स) चंद्रमा (द) निरहंकार

    32. ’कामदेव’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) केशव (ब) अनंग ✔️
    (स) कौमुदी (द) भवानी

    33. निम्नांकित में कौन-सा शब्द ’पृथ्वी’ का पर्यायवाची है ?
    (अ) दामिनी (ब) मेदिनी ✔️
    (स) यामिनी (द) तटिनी

    34. निम्नांकित शब्दा में ’अग्नि’ शब्द का पर्यायवाची कौन-सा है ?
    (अ) हुताशन (ब) पावक
    (स) अनल (द) अनिल ✔️

    35. ’सर’, जो कि सरोवर का पर्यायवाची है, यदि ’सर’ के प्रथम वर्ण ’स’ के स्थान पर ’श’ का प्रयोग किया जाए तो उसका क्या अर्थ होगा ?
    (अ) सरोवण (ब) सत्त्व
    (स) वाण ✔️ (द) शाखा

    36. निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ’हवा’ का पर्यायवाची नहीं है ?
    (अ) समीर (ब) अनिल
    (स) अनल ✔️ (द) पवन

    37. नीचे दिए गए विकल्पों में से ’नग’ शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द चुनिए।
    (अ) पवर्त ✔️ (ब) तरी
    (स) किंकर (द) स्तर

    38. किस वर्ग में सभी शब्द अनेकार्थक है ?
    (अ) अंक, मधु, वीचि
    (ब) वर्ण, पद, करका
    (स) अर्थ, हस्त, यूथप
    (द) इनमें से कोई नहीं ✔️

    निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः

    39. चन्द्रमा
    (अ) दिवाकर (ब) निशि
    (स) मार्तण्ड (द) शशि ✔️

    40. शतदल
    (अ) समूह (ब) सेना
    (स) दस्यु (द) सरसिज ✔️

    41. अंजन
    (अ) गुलाब (ब) पद्य
    (स) ब्रह्मा (द) काजल ✔️

    42. मृगांक
    (अ) लोचन (ब) मृग
    (स) सुधाकर ✔️ (द) कलोल

    43. हरिण
    (अ) विहग (ब) खग
    (स) हंस (द) मृग ✔️

    44. वायु
    (अ) अनल (ब) अनिल ✔️
    (स) अलिन्द (द) अलिनी

    45. सेना
    (अ) अनीक✔️ (ब) सैनिक
    (स) अरि (द) अतनु

    46. विनायक
    (अ) सुर (ब) शत्रु
    (स) पुत्र (द) गणेश ✔️

    47. मछली
    (अ) जलचर✔️ (ब) जलज
    (स) मेष (द) पंकज

    48. पृथ्वी
    (अ) रत्नगर्भा ✔️ (ब) हिरण्यगर्भा
    (स) वसुमती (द) स्वर्णमयी

    49. धाता
    (अ) विष्णु ✔️ (ब) धाय
    (स) पक्ष (द) हार

    50. रात्रि
    (अ) क्षपा (ब) तमीचर
    (स) अम्मा (द) विभावरी ✔️
    51. तरणि
    (अ) सूर्य (ब) नाव ✔️
    (स) युवती (द) नदी

    52. अम्ब
    (अ) देवी (ब) जल
    (स) माता ✔️ (द) द्वार

    53. स्तन्य
    (अ) खीर (ब) पेय
    (स) कौंध (द) दूध ✔️

    54. पावक
    (अ) अंगरा (ब) हुताशन ✔️
    (स) लपट (द) ज्वाला

    55. धरती
    (अ) चंचला (ब) विपुल ✔️
    (स) सरसी (द) अचला

    56. इन्द्र
    (अ) राजीव (ब) कन्दर्प
    (स) वक्र ✔️ (द) वल्लभ

    57. अनन्त
    (अ) निस्सीम✔️ (ब) भगवान
    (स) शेषनाग (द) बन्धन

    58. सारंग
    (अ) नमक (ब) सारथी
    (स) मोर ✔️ (द) घोङा

    59. अतनु
    (अ) ईश्वर (ब) कृष्ण
    (स) कामदेव ✔️ (द) बसंत

    60. घर
    (अ) विहार (ब) इला
    (स) निकेतन ✔️ (द) नग

    निर्देशः निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में पर्यायवाची स्वरूप के आधार के चार/पाँच शब्द दिए गए है। इनमें से एक शब्द पर्याय नहीं है। उसको चिह्निन करें।

    61. दाँत
    (अ) दाङिम ✔️ (ब) दन्त
    (स) दशन (द) रदन

    62. चाँदी
    (अ) रजत (ब) रूप्य
    (स) जातम (द) हेम

    63. सेना
    (अ) अनि (ब) कटक
    (स) चमू (द) हाटक ✔️

    64. कुबेर
    (अ) किन्नरेश (ब) कोविद ✔️
    (स) धनाधिप (द) राजराज

    65. कलाधर
    (अ) सुधांशु (ब) कलाकार ✔️
    (स) चन्द्रमा (द) निशापति

    66. हाथी
    (अ) द्विप (ब) द्विरद
    (स) तरणि ✔️ (द) सिंधुर

    67. कमल
    (अ) नलिन (ब) रसाल ✔️
    (स) उत्पल्ल (द) राजीव

    68. ’असंदिग्ध’ शब्द के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पर्यायवाची शब्द कौन सा है ?
    (अ) असंदेहास्पद (ब) निर्विवाद ✔️
    (स) निष्पक्ष (द) निः सन्देह

    69. ’शिव’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) पिनाकी ✔️ (ब) लम्बोदर
    (स) पियासु (द) पिनाक

    70. ’यति’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) ब्राह्मण (ब) सन्यासी ✔️
    (स) सती (द) भिखारी

    71. ’विभावरी’ का पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) रात्रि ✔️ (ब) तपसा
    (स) क्षणदा (द) तरणी

    72. ’कृष्ण’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) हषीकेश ✔️ (ब) महीपति
    (स) किन्नर (द) चन्द्रशेखर

    73. ’कौवा’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वयस् (ब) वारण
    (स) मराल (द) वायस ✔️

    74. ’उद्यान’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) उपवन✔️ (ब) निकेतन
    (स) कानन (द) अरण्य

    75. ’दूत’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) पायक (ब) अनुचर
    (स) हरकारा✔️ (द) पदाति

    76. ’तूणीर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) असंग (ब) उत्संग
    (स) निषंग ✔️ (द) निःसंग

    77. ’बाज’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) बाजि (ब) हय
    (स) आशु (द) श्येन

    78. ’मोती’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) मुकुर (ब) मुक्ता ✔️
    (स) मरकत (द) मणि

    79. ’सरस्वती’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वाग्देवी ✔️ (ब) वाचिका
    (स) बदरिका (द) वाग्भिता

    80. ’मोर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कपोत (ब) पिक
    (स) केकी ✔️ (द) अम्बर

    81. ’दामिनि’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वपा (ब) नीरद
    (स) बादल (द) विद्युत ✔️

    82. ’हंस’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कपोल (ब) सारंग
    (स) विवेकी (द) मराल ✔️

    83. ’पर्वत’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) आर्द्र (ब) अद्रि ✔️
    (स) आद्र्रा (द) शंृग

    84. ’निराकरण’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) स्पष्टीकरण (ब) समाधान ✔️
    (स) विवेचन (द) संहार

    85. ’हवा’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वायु-द्विज (ब) मारुत-शकुनत
    (स) अनल-पवन (द) समीर-अनिल ✔️

    86. ’घर’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) धाम-आलय ✔️ (ब) पंकज-भवन
    (स) गृह-वाटिका (द) शान्ति-निकेतन

    87. ’प्रकाश’ के पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) प्रस्तर-अचला (ब) ज्याति-दीप्ति ✔️
    (स) छवि-प्रभाकर (द) दिनकर-ज्योति

    88. ’मछली’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) भामा-मत्स्य (ब) जलनिमग्नि-मकर
    (स) सफरी-धात्री (द) मीन-मत्स्य ✔️

    89. ’नारी’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कान्ता-निशा (ब) रमणी-कालिन्दी
    (स) कामिनी-दामिनी (द) त्रिया-भामिनी ✔️

    90. ’मोर’ का पर्यायवाची इनमें से क्या है ?
    (अ) कलापी ✔️ (ब) मङित
    (स) विचिख (द) विचक्षण

    91. ’दुहिता’ किस शब्द का पर्यायवाची है ?
    (अ) पुत्र (ब) पुत्री ✔️
    (स) स्त्री (द) पत्नी

    92. ’निर्वाण’ का पर्यायवाची शब्द क्या है ?
    (अ) निर्माण (ब) भवन
    (स) मोक्ष ✔️ (द) मोती

    93. इनमें से कौन सा शब्द विष्णु का पर्याय है ?
    (अ) मुकुन्द ✔️ (ब) गिरिधर
    (स) रघुनन्दन (द) विधि

    94. इनमें से मछली का पर्यायवाची क्या है ?
    (अ) झष ✔️ (ब) वारिद
    (स) तङित (द) चचल

    95. इनमें से कौन सा शब्द बिजली का पर्यायवाची है ?
    (अ) सौदामिनी ✔️ (ब) कान्ति
    (स) प्रभा (द) मेघ

    96. महाश्वेता किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) लक्ष्मी (ब) सरस्वती ✔️
    (स) पार्वती (द) सीता

    97. केशरी किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) घोङा (ब) हाथी
    (स) सियार (द) सिंह ✔️

    98. कामदेव का पर्यायवाची शब्द होगा:
    (अ) पुण्डरीक (ब) अतनु
    (स) अंशु (द) राजराज

    99. पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द होगाः
    (अ) अश्म (ब) अचल ✔️
    (स) बीजप्रस (द) महिधर

    100. इनमें से कौनसा शब्द गंगा का पर्यायवाची है ?
    (अ) देवापगा (ब) हंसला ✔️
    (स) सुरसरिता (द) विष्णुपदी

विलोम शब्द

हिंदी भाषा में भी दो विरोधी अर्थों और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए अलग -अलग शब्दों का अस्तित्व होता है।विपरीत भावोंकी अभिव्यक्ति के लिए विलोम शब्दों का ज्ञान होना आवश्यक है। इसलिए आज के आर्टिकल में हमविलोम शब्दोंको पढेंगे ।

विलोम का अर्थ होता है – उल्टा। निम्नलिखित शब्दविपरीतार्थकहै, क्योंकि ये अपने सामने वाले शब्द के सर्वदाविपरीत अर्थप्रकट करते हैं। तो सीधी सी बात है कि किसी भीशब्दका विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दविलोम शब्द (Vilom Shabd)कहलाते है। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विलोम शब्दों को अंग्रेजी मेंAntonymsकहते है। विलोम शब्द कई प्रकार से बनते है जैसे – उपसर्ग के द्वारा ,लिंग परिवर्तन के द्वारा।

उपसर्ग से– ज्ञान -अज्ञान ,अल्पायु – दीर्घायु , अंतरंग – बहिरंग, अवनत – उन्नत, लभ्य -अलभ्य।

लिंग परिवर्तन से– शेर – शेरनी, राजा-रानी, माता – पिता , लड़का-लड़का, नाना – नानी।

यहाँ ध्यान देने की बात यह हैकिसंज्ञा शब्द काविपरीतार्थकसंज्ञा होऔरविशेषण काविपरीतार्थकविशेषण

शब्दविपरीतार्थक शब्द
अनाथसनाथ
अवनतिउन्नति
अंतरंग (अंत:+अंग )बहिरंग
अल्पज्ञबहुज्ञ
अल्पायुदीर्घायु
अवनतउन्नत
अंतद्वंद्वबहिद्वंद्व
अंतर्मुखीबहिर्मुखी
अल्पबहु
अपेक्षाउपेक्षा
अग्रजअनुज
अधमउत्तम
अज्ञविज्ञ, प्रज्ञ
अगमसुगम
अमृतविष
अलभ्यलभ्य
अरुचिरुचि
अथइति
अनुग्रहविग्रह
अंतआदि
अमावस्यापूर्णिमा
अस्तउदय
अनुलोमप्रतिलोम
अनुरक्तिविरक्ति
अमरमर्त्य
अग्निजल
अपमानसम्मान
अतिअल्प
अंधकारप्रकाश
अल्पसंख्यकबहुसंख्यक
आधुनिकप्राचीन
आविर्भाव (उदय होना)तिरोभाव (लुप्त हो जाना)
आगामीविगत
आचारअनाचार
आत्मापरमात्मा
आदानप्रदान
आयातनिर्यात
आकाशपाताल
अतिवृष्टिअनावृष्टि

Vilom Shabd

शब्दविपरीतार्थक शब्द
अवनि(धरती)अंबर(आकाश)
अनुराग(प्रेम)विराग
अनुकूलप्रतिकूल
आर्द्रशुष्क
आशानिराशा
आस्तिकनास्तिक
आलोकअंधकार
आयव्यय
आग्रहअनाग्रह
आकीर्ण(विस्तार होना)विकीर्ण
आधारआधेय, लंब
आकर्षणविकर्षण
आद्यअंत्य
आसक्तअनासक्त
आजादीगुलामी
आभ्यंतरबाह्य
इहलोकपरलोक
इष्टअनिष्ट
ईश्वरअनीश्वर
उपसर्गप्रत्यय
उन्मूलन(जड़ से समाप्त करना)रोपण
उदारकृपण
उत्कृष्टनिकृष्ट
उपयोगदुरुपयोग
उपयुक्तअनुपयुक्त
उच्चनिम्न
उत्तीर्णअनुत्तीर्ण
उदयाचलअस्ताचल
उत्तरायणदक्षिणायन
एकतंत्रबहुतंत्र
एङीचोटी
ऐतिहासिकअनैतिहासिक
इच्छाअनिच्छा
ईदमुहर्रम
उपकारअपकार
उत्कर्षअपकर्ष
उदात्त(महान)अनुदात्त
उत्साहनिरुत्साह, अनुत्साह
उत्तमअधम
उद्यमीनिरुद्यम
उत्थानपतन
उधारनकद
उपरिअधः
उपयुक्तअनुपयुक्त
उग्रसौम्य
एकताअनेकता
एकत्रविकीर्ण
ऐश्वर्यअनैश्वर्य
एकेश्वरवादबहुदेववाद
कीर्तिअपकीर्ति
कुरूपसुरूप
करुणनिष्ठुर
क्रयविक्रय
कायरनिडर
कटुमधु
क्रूरअक्रूर
कृत्रिमप्रकृत
कठोर, कर्कशकोमल
कृष्णश्वेत, शुक्ल
कृतज्ञकृतघ्न
कनिष्ठज्येष्ठ
कर्मनिष्कर्म, अकर्म
कपटीनिष्कपट
कुटिलसरल
क्रोधक्षमा
कर्मण्यअकर्मण्य
कोपकृपा
कृपण(कंजूस)दाता
कर्मठअकर्मण्य
खेदप्रसन्नता
गणतंत्रराजतंत्र
गुरुलघु
गुप्तप्रकट
ग्रस्तमुक्त
ग्राह्यत्याज्य
गगनपृथ्वी
गरलसुधा
गीलासूखा
गौरवलाघव
गृहस्थसंन्यासी
गतआगत
गुणदोष
गमनआगमन
घातप्रतिघात
घरेलूबाहरी, वन्य
चाहअनचाह
चिरंतननश्वर
छाँहधूप
चोरसाधु
छलीनिश्छल
छूतअछूत
जन्ममृत्यु, मरण
ज्येष्ठकनिष्ठ
जागरणनिद्रा
जलस्थल
जीवितमृत
जातीयविजातीय
जटिलसरल
जयपराजय
जङचेतन
ज्योतितम
जीवनमरण
जंगमस्थावर
ज्वारभाटा
जल्ददेर
तापशीत
तमआलोक, ज्योति
तीव्रमंद
तुच्छमहान
देवदानव
दृष्ट, दुर्जनसज्जन
देयअदेय
दीर्घकायकृशकाय
धनीनिर्धन
तिमिरप्रकाश
तामसिकसात्त्विक
तुकांतअतुकांत
तरलठोस
दिवारात्रि
दूषितस्वच्छ
दुर्बल, निर्बलसबल
दक्षिणवाम, उत्तर
ध्वंसनिर्माण
नूतनपुरातन
न्यूनअधिक
नश्वरशाश्वत, अनश्वर
निंदास्तुति
नागरिकग्रामीण
निर्मलमलिन
निरामिषसामिष
निर्लज्जसलज्ज
निर्दोषसदोष
निर्माणविनाश, ध्वंस
नगरग्राम
निर्दयसदय
नैसर्गिककृत्रिम, अनैसर्गिक
निष्कामसकाम
निंद्यवंद्य
निरक्षरसाक्षर
पंडितमूर्ख
पक्षविपक्ष
प्रमुखसामान्य, गौण
प्रलयसृष्टि
प्रारंभिकअंतिम
पाश्चात्यपौवार्त्य, पौरस्त्य
प्रशंसानिंदा

विलोम शब्द -vilom shabd in hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
पापपुण्य
परार्थस्वार्थ
पुरस्कारदंड, तिरस्कार
पूर्ववर्तीपरवर्ती, उत्तरवर्ती
परतंत्रस्वतंत्र
परमार्थस्वार्थ
परुषकोमल
प्रधानगौण
प्रवृत्तिनिवृत्ति
प्राचीननवीन, अर्वाचीन
प्रत्यक्षपरोक्ष
प्राकृतिककृत्रिम, विकृत, अप्राकृतिक
पुष्टक्षीण, अपुष्ट
परिश्रमविश्राम
पूर्वउत्तर, अपर, पश्चिम
पूर्णताअपूर्णता
प्रयोगअप्रयोग
बंधनमुक्ति, मोक्ष
बाह्यअभ्यंतर
बाढ़सूखा
भूतभविष्य
भोगीयोगी
बहिरंगअंतरंग
बलवानबलहीन
बर्बरसभ्य
भौतिकआध्यात्मिक
भद्रअभद्र
मानवदानव
मूकवाचाल, मुखर
मृदुलकठोर

विलोम शब्द – Opposite words In Hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
मुखपृष्ठ, प्रतिमुख
महात्मादुरात्मा
मिलनविरह
मृतजीवित
मुनाफानुकसान
योगवियोग
योगीभोगी
रक्षकभक्षक
राजतंत्रजनतंत्र
रतविरत
रागीविरागी
रचनाध्वंस
रूपवानकुरूप
रिक्त, अपूर्णपूर्ण
लघुगुरु, दीर्घ, महत्
लौकिकअलौकिक
लिप्तनिर्लिप्त, अलिप्त
लुप्तव्यक्त
विवादनिर्विवाद
विशिष्टसाधारण
विजयपराजय
विस्तृतसंक्षिप्त
विशेषसामान्य
वसंतपतझङ
बहिष्कारस्वीकार, अंगीकार
वृद्धिह्रास
विधवासधवा
विमुखसम्मुख, उन्मुख
वैतनिकअवैतनिक
विशालकायक्षीणकाय, लघुकाय
वीरकायर
वृहत्, महत्लघु, क्षुद्र
व्यस्तअकर्मण्य, अव्यस्त
व्यावहारिकअव्यावहारिक
विपत्तिसंपत्ति
वृष्टिअनावृष्टि
विपद्संपद्
वक्रसरल, ऋजु
विशिष्टसामान्य
वियोग, विरहमिलन
समविषम
सजीवनिर्जीव, अजीव
सफलविफल, असफल, निष्फल
सरलकुटिल, वक्र, कठिन
सजलनिर्जल
स्वजातिविजाति
सम्मुखविमुख
सार्थकनिरर्थक
सकर्मनिष्कर्म
सुकर्मकुकर्म, दुष्कर्म
सुलभदुर्लभ
सुपथकुपथ
स्तुतिनिंदा
स्मरणविस्मरण
सशंकनिश्शंक
सगुणनिर्गुण
सबलदुर्बल, अबल
सनाथअनाथ
सहयोगीप्रतियोगी
स्वतंत्रतापरतंत्रता
संयोगवियोग
सम्मानअपमान
सकामनिष्काम
साकारनिराकार
सुगंधदुर्गंध
सुगमदुर्गम
सुशीलदु:शील
स्थूलसूक्ष्म
संपद्विपद्
सुनामदुर्नाम
संतोषअसंतोष
सुधागरल, विष, हलाहल
संकल्पविकल्प
संन्यासीगृही, गृहस्थ
स्वधर्मविधर्म, परधर्म
समष्टिव्यष्टि
संघटनविघटन
साक्षरनिरक्षर
सद्वृत्तदुर्वृत्त
समूलनिर्मूल
सत्कर्मदुष्कर्म

विलोम शब्द – Vilom Shabd in Hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
सुमतिकुमति
संकीर्णविस्तीर्ण
सदाशयदुराशय
सुकृतिकुकृति, दुष्कृति
समासव्यास
स्वल्पायुचिरायु
सुसंगतिकुसंगति
सुपरिणामदुष्परिणाम
सौभाग्यदुर्भाग्य
सखाशत्रु
सौम्यउग्र, असौम्य
स्वामीसेवक
सृष्टिप्रलय, संहार
संधिविग्रह
स्थिरचंचल, अस्थिर
सबाधनिर्बाध
स्वार्थनिः स्वार्थ, परमार्थ
सत्कारतिरस्कार
सापेक्षनिरपेक्ष
सक्षमअक्षम
सादरनिरादर
सलज्जनिर्लज्ज
सदयनिर्दय
सुलभदुर्लभ
स्वप्नजागरण
संकोचअसंकोच, प्रसार
सभ्यअसभ्य, बर्बर
सुदूरसन्निकट, अदूर
सभयनिर्भय, अभय
सामान्यविशिष्ट
स्तुत्यनिंद्य
सुकालअकाल, दुष्काल
शकुनअपशकुन
शीतउष्ण
शुक्लकृष्ण
श्वेतश्याम
शासकशासित
शयनजागरण
शृंखलाविशृंखला
श्रव्यदृश्य
शोषकपोषक
श्लीलअश्लील
शांतिक्रांति, अशांति
शुष्कसिक्त (सींचा हुआ)
शत्रुमित्र
श्रीगणेशइतिश्री
श्रद्धाघृणा, अश्रद्धा
श्यामागौरी
हासरूदन
ह्रस्वदीर्घ
हर्षविषाद, शोक
हिंसाअहिंसा
क्षरअक्षर
क्षणिकशाश्वत
क्षम्यअक्षम्य
क्षुद्रविराट्, विशाल, महान

विलोम शब्द के प्रश्न (Vilom Shabd ke Question)-

1. ’देव’ शब्द का विलोम है-
(अ) दुर्देव (ब) दुर्जन
(स) दुर्भाग्य (द) दानव✔️

2. ’कृत्रिम’ के लिए उचित विलोम शब्द लिखिए-
(अ) नकली (ब) नैसर्गिक✔️
(स) कठोर (द) बनावटी

3. ’जंगल’ का विलोम है-
(अ) अस्थिर✔️ (ब) अचर
(स) अस्थायी (द) स्थावर

4. निम्नलिखित में विलोम-युग्म नहीं है-
(अ) ग्राह्य-अग्राह्य (ब) क्षम्य-अक्षम्य
(स) श्रान्त-अश्रान्त (द) शुचि-पवित्र✔️

5. ’दुर्गम’ का विलोम है-
(अ) अगम (ब) सुगम✔️
(स) आगम (द) अलक्ष्य

6. ’अवतल’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द छाँटिए-
(अ) पाताल (ब) त्रिताल
(स) उत्तल✔️ (द) उत्ताल

7. ’उत्थान’ शब्द का विलोम है-
(अ) उन्नति (ब) अवनति
(स) पतन✔️ (द) उठना

8. निम्न में अशुद्ध विपरीतार्थी समूह है-
(अ) पक्ष-प्रतिपक्ष (ब) आस्तिक-नास्तिक
(स) स्वर्ग-नरक (द) सामिष-शाकाहारी✔️

9. ’निर्गुण’ शब्द का विलोम क्या है?
(अ) सगुण✔️ (ब) अवगुण
(स) गुण (द) दुर्गुण

10. कौनसा विकल्प विलोम शब्दों को नहीं दर्शाता है-
(अ) सम्मुख-विमुख (ब) गरिमा-लघिमा
(स) संयोग-सुयोग✔️ (द) राग-विराग

11. ’निराकार’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) प्रकार (ब) आकार
(स) उपकार (द) साकार✔️

12. निम्नलिखित में से सही विलोम शब्द-युग्म गलत है?
(अ) पाठ्य – सुपाठ्य (ब) नत – अवनत
(स) शिष्ट – विशिष्ट (द) संश्लिष्ट – विश्लिष्ट✔️

13. ’वियोग’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) अयोग (ब) संयोग✔️
(स) सुयोग (द) उपयोग

14. विपरीत युग्म शब्द कौन-सा है?
(अ) पतले-पतले (ब) दीन-दुःखी
(स) चाय-वाय (द) जङ-चेतन✔️

15. ’उन्मुख’ का विलोम है-
(अ) प्रमुख (ब) विमुख✔️
(स) सन्मुख (द) अधोमुख

16. ’गमन’ का विलोम शब्द क्या है?
(अ) गम (ब) अगम
(स) आगमन✔️ (द) नागम

17. ’उग्र’ का विलोम है-
(अ) सौम्य ✔️ (ब) विनीत
(स) मधुर (द) विनत

18. ’अल्पज्ञ’ का विलोम का क्रम है-
(अ) अवज्ञ (ब) सर्वज्ञ✔️
(स) अभिज्ञ (द) कृतज्ञ

19. ’उद्यम’ का विलोम है-
(अ) पश्चिम (ब) आलस्य ✔️
(स) अकर्मण्य (द) आजीवन

20. ’जरा’ का विलोम शब्द है-
(अ) थोङा (ब) यौवन✔️
(स) जला (द) अल्प

21. ’क्रान्ति’ का विलोम है-
(अ) उत्तेजना (ब) आन्दोलन
(स) शान्ति✔️ (द) हलचल

22. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) परोपकारी (ब) दानी✔️
(स) भिखारी (द) स्वार्थी

23. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) दाता✔️ (ब) याचक
(स) निर्दयी (द) उदार

24. ’उत्कर्ष’ का विलोम क्या होता है?
(अ) आकर्ष (ब) निष्कर्ष
(स) अपकर्ष✔️ (द) महथाकर्ष

25. ’गौरव’ का विलोम है-
(अ) निच्छता (ब) हीनता
(स) अपभाव (द) लघुता✔️

26. वह अपने विषय का पूर्ण अभिज्ञ है, रेखांकित शब्द का विलोम है-
(अ) सर्वज्ञ (ब) अल्पज्ञ
(स) अनभिज्ञ✔️ (द) विज्ञ

27. ’गणतन्त्र’ का विलोम है-
(अ) साम्यवाद (ब) प्रजातन्त्र
(स) राजतन्त्र✔️ (द) समाजवाद

28. ’तिमिर’ का विलोम शब्द है-
(अ) प्रकाश (ब) ज्योतिर्मय
(स) अलास (द) आलोक✔️

29. ’दुर्गति’ का विलोम है-
(अ) सुगति✔️ (ब) कुगति
(स) प्रगति (द) वीरगति

30. ’मूक’ का विलोम होगा-
(अ) हास (ब) शाप
(स) लोह (द) वाचाल✔️

31. ’दुर्लभ’ का विलोम है-
(अ) सुलभ✔️ (ब) दुष्कर
(स) प्राप्य (द) उपलब्ध

32. ’सूक्ष्म’ शब्द का विलोम शब्द है-
(अ) असूक्ष्म (ब) विशाल
(स) स्थूल✔️ (द) सुशीत

33. ’सार्थक’ का विलोम है-
(अ) आवश्यक (ब) अनिवार्य
(स) निरर्थक✔️ (द) व्यर्थ

34. ’निरपेक्ष’ का सही विलोम है-
(अ) प्रत्यक्ष (ब) परोक्ष
(स) सापेक्ष✔️ (द) प्रतिपक्ष

35. ’वियोग’ का विलोम है-
(अ) दुर्योग (ब) संयोग✔️
(स) विरह (द) मिलन

36. ’निराहार’ का सही विलोम है-
(अ) अनुहार (ब) आहार✔️
(स) विहार (द) संथार

37. ’विकास’ का विलोम है-
(अ) परिवर्तन (ब) ह्रास✔️
(स) न्यूनता (द) अधिकता

38. ’उपेक्षा’ का सही विलोम है-
(अ) सम्मान (ब) अपेक्षा✔️
(स) अपमान (द) तिरस्कार

39. ’अल्प संख्यक’ का विलोम है-
(अ) अतिसंख्यक (ब) बहुसंख्य✔️
(स) महासंख्यक (द) बाहुल्य

40. किस क्रम में ’आमिष’ का विलोम है?
(अ) सामिष (ब) निरामिष✔️
(स) अनामिष (द) परामिष

41. ’विस्तार’ का विलोम है-
(अ) लघु (ब) छोटा
(स) सूक्ष्म (द) संक्षेप✔️

42. ’पुरोगामी’ का विलोम है-
(अ) पश्चगामी✔️ (ब) उध्र्वगामी
(स) पतनगामी (द) अपूर्ण

43. ’अभिशाप’ का विलोम है-
(अ) प्रतिवाद (ब) प्रवाद
(स) आशीर्वाद (द) वरदान✔️

44. ’बर्बर’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) सभ्य✔️ (ब) बुरा
(स) दुष्ट (द) अत्याचारी

45. ’आकर्षण’ का विलोम है-
(अ) आकृष्ट (ब) विकर्षण
(स) अनाकर्षण✔️ (द) पराकर्षण

46. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) निंद्य – स्तुत्य (ब) पतिव्रता-कुलटा
(स) परितोष – संतोष✔️ (द) नत – उन्नत

47. ’मंद’ का विलोम है-
(अ) सुस्त (ब) द्रुत✔️
(स) शीघ्र (द) त्वरित

48. ’सृष्टि’ का विलोम है-
(अ) विनाश (ब) विध्वंस
(स) प्रलय✔️ (द) सृजन

49. ’हर्ष’ का विलोम है-
(अ) विषाद✔️ (ब) दुःख
(स) पीङा (द) कष्ट

50. ’अनुरक्त’ का विलोम शब्द है?
(अ) निरक्त (ब) आरक्त
(स) आसक्त (द) विरक्त✔️

51. ’सत्कार’ का विलोम है-
(अ) निरादर (ब) अपमान
(स) उपेक्षा (द) तिरस्कार✔️

52. ’प्रतिघात’ शब्द किसका विलोम शब्द है?
(अ) घात का (ब) आघात का✔️
(स) प्रत्याघात का (द) घातक का

53. ’साधारण’ का विलोम है-
(अ) अनोखा (ब) दुर्लभ
(स) विशेष✔️ (द) दुष्प्राय

54. ’सन्न्यासी’ का विलोम शब्द है-
(अ) राजा (ब) भोगी
(स) गृहस्थ✔️ (द) ब्रह्माचर्य

55. ’गौण’ का विलोम है-
(अ) महान् (ब) मुख्य✔️
(स) निष्कृष्ट (द) उत्कृष्ट

56. ’ध्वंस’ शब्द का विलोम बताइये-
(अ) विनाश (ब) निर्माण✔️
(स) विध्वंस (द) उत्कर्ष

57. ’सहयोगी’ का विलोम है-
(अ) वियोगी (ब) विरोधी✔️
(स) प्रतिद्वन्द्वी (द) प्रतियोगी

58. ’अज्ञ’ का विलोम है-
(अ) अल्पज्ञ (ब) बहुज्ञ
(स) सर्वज्ञ (द) भिज्ञ✔️

59. ’योगदान’ का विलोम है-
(अ) बाधा✔️ (ब) असहयोग
(स) निरुपाय (द) विरोध

60. कौन-सा शब्द ’आलोक’ का विलोम शब्द है?
(अ) अमा (ब) श्रेप्ती
(स) ज्योत्स्ना (द) तम✔️

61. ’संयोजित’ का विलोम है-
(अ) विस्थापति (ब) विभाजित✔️
(स) पराजित (द) एकत्रित

62. ’नीरूजता’ का विलोम शब्द है-
(अ) रूग्णता✔️ (ब) आतुरता
(स) स्वस्थता (द) स्वच्छता

63. ’अत्यधिक’ का विलोम है-
(अ) किंचित् (ब) तनिक
(स) न्यून (द) स्वल्प✔️

64. ’अनुज’ का सही विलोम है-
(अ) भ्राता (ब) ज्येष्ठ
(स) कनिष्ठ (द) अग्रज✔️

65. ’शोषक’ का विलोम है-
(अ) शोषित (ब) पोषक✔️
(स) शोषणीय (द) पालक

66. ’संकीर्ण’ का सही विलोम है-
(अ) संकुचित (ब) गहरा
(स) संकुचन (द) विस्तीर्ण✔️

67. ’अधिकार’ का विलोम है-
(अ) अनधिकार✔️ (ब) उद्यम
(स) कर्म (द) प्रयत्न

68. ’वक्र’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) ऋजु✔️ (ब) टेढ़ा
(स) तिरछा (द) क्षुद्र

69. ’आपत्ति’ का विलोम है-
(अ) समृद्धि (ब) सुख
(स) विपत्ति✔️ (द) सम्पत्ति

70. ’उत्तम’ का सही विलोम है-
(अ) अधम✔️ (ब) निकृष्ट
(स) उदार (द) उद्यमी

71. ’ओजस्वी’ का विलोम है-
(अ) यशस्वी (ब) निडर
(स) निरभिमानी (द) निस्तेज✔️

72. ’साकार’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) आकार (ब) विकार
(स) प्रकार (द) निराकार✔️

73. ’हास्य’ का विलोम है-
(अ) विषाद (ब) शोक
(स) परिहास (द) रुदन✔️

74. ’सबल’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) बलवान (ब) बलशाली
(स) निर्बल✔️ (द) बल

75. ’दाता’ का विलोम शब्द है-
(अ) उदार (ब) त्राता
(स) प्रज्ञ (द) सूम✔️

76. ’आस्था’ का विलोम शब्द है-
(अ) निराशा (ब) अविश्वास
(स) अनास्था✔️ (द) निरास्था

77. ’अति’ का विलोम शब्द है-
(अ) न्यून (ब) कम
(स) अल्प✔️ (द) नगण्य

78. ’क्षणिक’ का विलोम शब्द है-
(अ) शाश्वत✔️ (ब) स्थिर
(स) स्थावर (द) दीर्घ

79. ’नीरस’ का विलोम शब्द है-
(अ) रसीला (ब) सरस✔️
(स) विरस (द) अरान

80. ’स्थावर’ का विलोम शब्द है-
(अ) सचल (ब) चंचल
(स) चेतन (द) जंगम✔️

81. निम्नलिखित में से किस उपसर्ग के जुङने से ’जय’ शब्द का अर्थ-विपर्यय हो जाता है?
(अ) परा ✔️ (ब) वि
(स) सम् (द) अभि

82. ’सम्मुख’ का विलोम शब्द है-
(अ) उन्मुख (ब) विमुख✔️
(स) प्रमुख (द) अधिमुख

83. ’सरुजता’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) नीरुजता✔️ (ब) रुग्णता
(स) स्वच्छता (द) विमलता

84. ’चिरंतन’ का विलोम शब्द है-
(अ) अलौकिक (ब) लौकिक
(स) नश्वर✔️ (द) नैसर्गिक

85. ’अनुलोम’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) लोम (ब) अवलोम
(स) प्रतिलोम✔️ (द) अविलोम

86. ’ऋत’ का विलोम शब्द है-
(अ) अनृत✔️ (ब) ऋण
(स) एक (द) उष्ण

87. ’ईप्सित’ शब्द का विलोम क्या होगा?
(अ) कुत्सित (ब) अभीप्सित
(स) अधीप्सित (द) अनीप्सित✔️

88. ’तीक्ष्ण’ का विलोम शब्द है-
(अ) तीव्र (ब) तृष्णा
(स) त्यागी (द) कुंठित✔️

89. ’सत्कार’ का विलोम शब्द है-
(अ) अपमान (ब) तिरस्कार✔️
(स) निरादर (द) अनादर

90. ’मूक’ का विलोम शब्द है-
(अ) सबल (ब) गंभीर
(स) निर्बल (द) वाचाल✔️

91. इनमें से कौनसा विलोम-युग्म सही नहीं है-
(अ) सम्पत्ति-विपत्ति (ब) इष्ट-अनिष्ट
(स) उर्वर-ऊसर (द) अचल-अविचल✔️

92. ’कुटिल’ का विलोम शब्द है-
(अ) गरल (ब) सरल✔️
(स) विरल (द) विमल

93. इनमें से कौनसा विलोम युग्म सही है-
(अ) आशा-हताशा (ब) जय-अजय ✔️
(स) अंतरंग-बहिरंग (द) अज्ञ-अल्पज्ञ

94. ’वैमनस्य’ का विलोम शब्द है-
(अ) मनस्विता (ब) दौर्मनस्य
(स) सहृदयता (द) सौमनस्य ✔️

95. ’सदाचारी’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) दुराचारी✔️ (ब) पाखंडी
(स) दुष्ट (द) भ्रष्टाचारी

96. ’जागरण’ का विलोम शब्द है-
(अ) भ्रांति (ब) विश्रांति
(स) विलुप्ति (द) सुषुप्ति✔️

97. ’गणतंत्र’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) लोकतंत्र (ब) स्वतंत्र
(स) निजतंत्र (द) राजतंत्र✔️

98. ’उपकार’ का विलोम शब्द है-
(अ) विकार (ब) प्रकार
(स) अपकार✔️ (द) तिरस्कार

100. ’मूच्र्छा’ का विलोम शब्द है-
(अ) जङता (ब) चेतना✔️
(स) अवचेतना (द) अचेतना

101. ’विज्ञ’ का विलोम शब्द है-
(अ) अक्ष (ब) अग
(स) प्राज्ञ (द) अज्ञ✔️

102. ’स्तुति’ का विलोम शब्द है-
(अ) संस्तुति (ब) बुराई
(स) निन्दा✔️ (द) आलोचना

103. वह परीक्षा में पूर्ण सक्रिय रहता है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निष्क्रिय✔️ (ब) शांत
(स) स्थिर (द) जङ

104. यह आपकी समस्या है मुझे इससे क्या लेना देना? वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निदान (ब) उत्तर
(स) हल (द) समाधान✔️

105. वर्तमान में समष्टि की भावना से ही प्रगति संभव है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) व्यष्टि✔️ (ब) श्रेष्ठी
(स) सृष्टि (द) श्रेष्ठ

106. विवेक और सुमित अंतरंग मित्र है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) द्विरंग (ब) बहिरंग✔️
(स) अतिरंग (द) विरंग

107. अहंकार के कारण लोग अपनी गरिमा भूल जाते हैं। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) घृणा (ब) नीचता
(स) लघिमा✔️ (द) इज्जत

108. ’प्रवृति’ शब्द का विलोम है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) प्रवृत (ब) आवृति
(स) निवृति✔️ (द) विवृति

109. निम्न में से’पाश्चात्य’का सही विलोम कौनसा है?
(अ) उदीच्य (ब) पौर्वात्य ✔️
(स) उतरायण (द) पौर्वायण

110. किस युग्म में विलोम शब्द सही नहीं है-
(अ) शयन-जागरण (ब) विख्यात-कुख्यात
(स) लोभी-निर्लोभ (द) परवर्ती-अग्रवर्ती✔️

111. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) दुर्लभ-अलभ✔️ (ब) आवास-प्रवास
(स) अनुरक्त-विरक्त (द) अल्पप्राण-महाप्राण

112. निम्न में असंगत विलोम शब्द के युग्म का चयन कीजिए-
(अ) नख-शिख (ब) ज्योति-प्रकाश✔️
(स) दुर्लभ-सुलभ (द) तुच्छ-महान्

युग्म-शब्द

हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे ‘युग्म शब्द’ कहते हैं।

दूसरे शब्दों में-हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग

गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें ‘युग्म शब्द’ या ‘समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द’ कहते हैं।

हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।

अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।

इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
‘पार्वती’ शिव का ही दूसरा नाम है।

इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि ‘श्वजन’ का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में ‘श्वजन’ के स्थान पर ‘स्वजन’ होना चाहिए।

हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

यहाँ ऐसे युग्म शब्दों की सूची उनके अर्थो के साथ दी जा रही है-

( अ, अं, अँ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
अंसकंधाअंशहिस्सा
अँगनाघर का आँगनअंगनास्त्री
अन्नअनाजअन्यदूसरा
अनिलहवाअनलआग
अम्बुजलअम्बमाता, आम
अथकबिना थके हुएअकथजो कहा न जाय
अध्ययनपढ़नाअध्यापनपढ़ाना
अधमनीचअधर्मपाप
अलीसखीअलिभौंरा
अन्तसमाप्तिअन्त्यनीच, अन्तिम
अम्बुजकमलअम्बुधिसागर
असनभोजनआसनबैठने की वस्तु
अणुकणअनुएक उपसर्ग, पीछे
अभिरामसुन्दरअविरामलगातार, निरन्तर
अपेक्षाइच्छा, आवश्यकता, तुलना मेंउपेक्षानिरादर
अवलम्बसहाराअविलम्बशीघ्र
अतुलजिसकी तुलना न हो सकेअतलतलहीन
अचरन चलनेवालाअनुचरदास, नौकर
अशक्तअसमर्थ, शक्तिहीनअसक्तविरक्त
अगमदुर्लभ, अगम्यआगमप्राप्ति, शास्त्र
अभयनिर्भयउभयदोनों
अब्जकमलअब्दबादल, वर्ष
अरिशत्रुअरीसम्बोधन (स्त्री के लिए)
अभिज्ञजाननेवालाअनभिज्ञअनजान
अक्षधुरीयक्षएक देवयोनि
अवधिकाल, समयअवधीअवध देश की भाषा
अभिहितकहा हुआअविहितअनुचित
अयशअपकीर्त्तिअयसलोहा
असितकालाअशितभोथा
आकरखानआकाररूप
आस्तिकईश्वरवादीआस्तीकएक मुनि
आर्तिदुःखआर्त्तचीख
अन्यान्यदूसरा-दूसराअन्योन्यपरस्पर
अभ्याशपासअभ्यासरियाज/आदत

(आ)

शब्दअर्थशब्दअर्थ
आवासरहने का स्थानआभासझलक, संकेत
आकरखानआकाररूप, सूरत
आदिआरम्भ, इत्यादिआदीअभ्यस्त, अदरक
आरतिविरक्ति, दुःखआरतीधूप-दीप दिखाना
आभरणगहनाआमरणमरण तक
आयतसमकोण चतुर्भुजआयातबाहर से आना
आर्तदुःखीआर्द्रगीला

( इ, ई, उ, ऋ, ए )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
इत्रसुगंधइतरदूसरा
इतिसमाप्तिईतिफसल की बाधा
इन्दुचन्द्रमाइन्दुरचूहा
इड़ापृथ्वी/नाड़ीईड़ास्तुति
उपकारभलाईअपकारबुराई
उद्धतउद्दण्डउद्दततैयार
उपरक्तभोग विलास में लीनउपरतविरक्त
उपाधिपद/ख़िताबउपाधीउपद्रव
उपयुक्तठीकउपर्युक्तऊपर कहा हुआ
ऋतसत्यऋतुमौसम
एतवाररविवारऐतवारविश्वास

( क )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
कुलवंश, सबकूलकिनारा
कंगालभिखारीकंकालठठरी
कर्मकामक्रमसिलसिला
कृपणकंजूसकृपाणकटार
करहाथकाराजेल
कपिबंदरकपीघिरनी
किलागढ़कीलाखूँटा, गड़ा हुआ
कृतिरचनाकृतीनिपुण, पुण्यात्मा
कृत्तिमृगचर्मकीर्तियश
कृतकिया हुआक्रीतखरीदा हुआ
क्रान्तिउलटफेरक्लान्तिथकावट
कान्तिचमक, चाँदनी
कलीअधखिला फूलकलिकलियुग
करणएक कारक, इन्द्रियाँकर्णकान, एक नाम
कुण्डलकान का एक आभूषणकुन्तलसिर के बाल
कपीशहनुमान, सुग्रीवकपिशमटमैला
कूटपहाड़ की चोटी, दफ्तीकुटकिला, घर
करकटकूड़ाकर्कटकेंकड़ा
कटिबद्धतैयार, कमर बाँधेकटिबन्धकमरबन्द, करधनी
कृशानुआगकृषाणकिसान
कटीलीतीक्ष्ण, धारदारकँटीलीकाँटेदार
कोषखजानाकोशशब्द-संग्रह (डिक्शनरी)
कदनहिंसाकदन्नखराब अन्न
कुचस्तनकूचप्रस्थान
काशशायद/एक घासकासखाँसी
कलिलमिश्रितक़लीलथोड़ा
कीशबन्दरकीसगर्भ का थैला
कुटीझोपड़ीकूटीदुती, जालसाज
कोरकिनाराकौरग्रास
खड़ाबैठा का विलोमखराशुद्ध
खादिखाद्य, कवचखादीख़द्दर, कटीला
कांतपति/चन्द्रमाकांतिचमक
करीशगजराजकरीषसूखा गोबर
कृत्तिकाएक नक्षत्रकृत्यकाभयंकर कार्य करनेवाली देवी
कुजनबुरा आदमीकूजनकलरव
कुनबापरिवारकुनवाखरीदनेवाला
कोड़ाचाबुककोरानया
केशरकुंकुमकेसरसिंह की गर्दन के बाल

( ख, ग )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
खोआदूध का बना ठोस पदार्थखोयाभूल गया, खो गया
खलदुष्टखलुही तो, निश्चय ही
गणसमूहगण्यगिनने योग्य
गुड़शक्करगुड़गम्भीर
ग्रहसूर्य, चन्द्र आदिगृहघर
गिरीगिरनागिरिपर्वत
गजहाथीगजमापक
गिरीशहिमालयगिरिशशिव
ग्रंथपुस्तकग्रंथिगाँठ

( च, छ, ज, झ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
चिरपुरानाचीरकपड़ा
चितालाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेरचीताबाघ की एक जाति
चूरकण, चूर्णचूड़चोटी, सिर
चतुष्पदचौपाया, जानवरचतुष्पथचौराहा
चारचार संख्या, जासूसचारुसुन्दर
चरनौकर, दूत, जासूस
चूतआम का पेड़च्युतगिरा हुआ, पतित
चक्रवातबवण्डरचक्रवाकचकवा पक्षी
चाषनीलकंठचासखेत की जुताई
चरिपशुचरीचरागाह
चसकचस्का/लतचषकप्याला
चुकनासमाप्त होनाचूकनासमय पर न करना
जिलामंडलजीलाचमक
जवानयुवाजववेग/जौ
छत्रछाताक्षत्रक्षत्रिय
छात्रविद्यार्थीक्षात्रक्षत्रिय-संबंधी
छिपनाअप्रकट होनाछीपनामछली फँसाकर निकालना
जलजकमलजलदबादल
जघन्यगर्हित, शूद्रजघननितम्ब
जगतकुएँ का चौतराजगत्संसार
जानुघुटनाजानूजाँघ
जूतिवेगजूतीछोटा जूता
जायाव्यर्थजायापत्नी
जोशआवेशजोषआराम
झलजलन/आँचझल्लसनक

( ट, ड, ढ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
टुकथोड़ाटूकटुकड़ा
टोटाघाटाटोंटाबन्दूक का कारतूस
डीठदृष्टिढीठनिडर
डोरसूतढोरमवेशी

( त )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
तड़ाकजल्दीतड़ागतालाब
तरणिसूर्यतरणीनाव
तरुणीयुवती
तक्रमटठातर्कबहस
तरीगीलापनतरिनाव
तरंगलहरतुरंगघोड़ा
तनीथोड़ातनिबंधन
तबउसके बादतवतुम्हारा
तुलातराजूतूलाकपास
तप्तगर्मतृप्तसंतुष्ट
तारधातु तंतु/टेलिग्रामताड़एक पेड़
तोशहिंसातोषसंतोष

( द, ध )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
दूतसन्देशवाहकद्यूतजुआ
दारुलकड़ीदारूशराब
द्विपहाथीद्वीपटापू
दमनदबानादामनआँचल, छोर
दाँतदशनदातदान, दाता
दशनदाँतदंशनदाँत से काटना
दिवादिनदीवादीया, दीपक
दंशडंक, काटदशदश अंक
दारपत्नी, भार्याद्वारदरवाजा
दिनदिवसदीनगरीब
दायीदेनेवाला, जबाबदेहदाईनौकरानी
देवदेवतादैवभाग्य
द्रवरस, पिघला हुआद्रव्यपदार्थ
दरद्पर्वत/किनारादरदपीड़ा/दर्द
दीवादीपकदिवादिन
दौरचक्करदौड़दौड़ना
दाईधात्री/दासीदायीदेनेवाला
दहकुंड/तालाबदाहशोक/ज्वाला
धराधरशेषनागधड़ाधड़जल्दी से
धारिझुण्डधारीधारण करनेवाला
धूराधूलधुराअक्ष
धतलतधत्दुत्कारना

( न )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
निहतमरा हुआनिहितछिपा हुआ, संलग्न
नियतनिश्र्चितनीयतमंशा, इरादा
निश्छलछलरहितनिश्र्चलअटल
नान्दीमंगलाचरण (नाटक का)नंदीशिव का बैल
निमित्तहेतुनमितझुका हुआ
नीरजकमलनीरदबादल
निर्झरझरनानिर्जरदेवता
निशाकरचन्द्रमानिशाचरराक्षस
नाईतरह, समाननाईहजाम
नीड़घोंसला, खोंतानीरपानी
नगरशहरनागरचतुर व्यक्ति, शहरी
नशाबेहोशी, मदनिशारात
नाहरसिंहनहरसिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी
नारीस्त्रीनाड़ीनब्ज
निसानझंडानिशानचिह्न
निवृत्तिलौटनानिवृतिमुक्ति/शांति
नितप्रतिदिननीतलाया हुआ
नियुतलाख दस लाखनियुक्तबहाल किया गया
निहारदेखकरनीहारओस-कण
नन्दीशिव का बैलनान्दीमंगलाचरण
निर्विवादविवाद-रहितनिर्वादनिन्दा
निष्कृष्टसारांशनिकृष्टनिम्न स्तरीय
नीवारजंगली धाननिवाररोकना
नेतीमथानी की रस्सीनेतिअनन्त
नमितझुका हुआनिमित्तहेतु

( प )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
परुषकठोरपुरुषमर्द, नर
प्रदीपदीपकप्रतीपउलटा, विशेष, काव्यालंकार
प्रसादकृपा, भोगप्रासादमहल
प्रणयप्रेमपरिणयविवाह
प्रबलशक्तिशालीप्रवरश्रेष्ठ, गोत्र
परिणामनतीजा, फलपरिमाणमात्रा
पासनजदीकपाशबन्धन
पीकपान आदि का थूकपिककोयल
प्राकारघेरा, चहारदीवारीप्रकारकिस्म, तरह
परितापदुःख, सन्तापप्रतापऐश्र्वर्य, पराक्रम
पतिस्वामीपतसम्मान, सतीत्व
पांशुधूलि, बालपशुजानवर
परीक्षाइम्तहानपरिक्षाकीचड़
प्रतिषेधनिषेध, मनाहीप्रतिशोधबदला
पूरबाढ़, आधिक्यपुरनगर
पार्श्र्वबगलपाशबन्धन
प्रहरपहर (समय)प्रहारचोट, आघात
परवाहचिन्ताप्रवाहबहाव (नदी का)
पट्टतख्ता, उल्टापटकपड़ा
पानीजलपाणिहाथ
प्रणामनमस्कारप्रमाणसबूत, नाप
पवनहवापावनपवित्र
पथरास्तापथ्यआहार (रोगी के लिए)
पौत्रपोतापोतजहाज
प्रणप्रतिज्ञाप्राणजान
पनसंकल्पपन्नपड़ा हुआ
पर्यन्ततकपर्यंकपलंग
परागपुष्पराजपारगपूरा जानकार
प्रकोटपरकोंटाप्रकोष्ठकोठरी
परभृत्कौआपरभृतकोयल
परिषद्सभापार्षदपरिषद् के सदस्य
प्रदेशप्रान्तप्रद्वेषशत्रुता
प्रस्तरपत्थरप्रस्तारफैलाव
प्रवृद्धपरा बढ़ा हुआप्रबुद्धसचेत/बुद्धिमान्
पत्तिपैदल सिपाहीपत्तीपत्ता
परमितचरमसीमापरिमितमान/मर्यादा/तौल
प्रकृतयथार्थप्राकृतस्वाभाविक एक भाषा
प्रवालमूँगाप्रवारवस्त्र

( फ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
फुटअकेला, इकहराफूटखरबूजा-जाति का फल
फणसाँप का फणफनकला, कारीगर

( ब )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
बलिबलिदानबलीवीर
बासमहक, गन्धवासनिवास
बहनबहिनवहनढोना
बलताकतवलमेघ
बन्दीकैदीवन्दीभाट, चारण
बातवचनवातहवा
बुराखराबबूराशक्कर
बनबनना, मजदूरीवनजंगल
बहुबहुतबहूपुत्रवधू, ब्याही स्त्री
बारदफावारचोट, दिन
बानआदत, चमकबाणतीर
व्रणघाववर्णरंग, अक्षर
ब्राह्यबाहरीवाहृयवहन के योग्य
बगुलाएक पक्षीबगूलाबवंडर
बाटरास्ता/बटखरावाटहिस्सा
बाजुबिनाबाजूबाँह
बिनाअभावबीनाएक बाजा
बसनकपड़ाव्यसनलत/बुरी आदत
बाईवेश्याबायींबायाँ का स्त्री रूप
बालालड़कीवालाएक प्रत्यय
बदनशरीरवदनमुख/चेहरा

( भ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
भंगिलहर, टेढ़ापनभंगीमेहतर, भंग करनेवाला
भिड़बरेंभीड़जनसमूह
भित्तिदीवार, आधारभीतडरा हुआ
भवनमहलभुवनसंसार
भारतीयभारत काभारतीसरस्वती
भोरसबेराविभोरमग्न

( म )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
मनुजमनुष्यमनोजकामदेव
मलगन्दगीमल्लपहलवान, योद्धा
मेघबादलमेधयज्ञ
मांसगोश्तमासमहीना
मूलजड़मूल्यकीमत
मदआनंदमद्यशराब
मणिएक रत्नमणीसाँप
मरीचिकिरणमरीचीसूर्य, चन्द्र
मनुजातमानव-उत्पन्नमनुजादमानव-भक्षी
मौलिचोटी/मस्तकमौलीजिसके सिर पर मुकुट हो
मतनहींमत्तमस्त/धुत्त

( र, ल )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
रंकगरीबरंगवर्ण
रगनसरागलय
रतलीनरतिकामदेव की पत्नी, प्रेम
रोचकरुचनेवालारेचकदस्तावर
रददाँतरद्दखराब
राजराजा/प्रान्तराजरहस्य
रारझगड़ाराँड़विधवा
राइसरदारराईएक तिलहन
रोशनप्रकट/प्रदीप्तरोषणकसौटी/पारा
लवणनमकलवनखेती की कटाई
लुटनालूटा जाना, बरबाद होनालूटनालूट लेना
लक्ष्यउद्देश्यलक्षलाख
लाशशवलास्यप्रेमभाव सूचक

( व )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
वित्तधनवृत्तगोलाकार, छन्द
वादतर्क, विचारवाद्यबाजा
वस्तुचीजवास्तुमकान, इमारत
व्यंगविकलांगव्यंग्यताना, उपालम्भ
वसनकपड़ाव्यसनबुरी आदत
वासनाकामनाबासनासुगंधित करना
व्यंगविकलांगव्यंग्यकटाक्ष/ताना
वरदवर देनेवालाविरदयश
विधायकरचनेवालाविधेयकविधान/कानून
विभातप्रभातविभातिशोभा/सुन्दरता
विराट्बहुत बड़ाविराटमत्स्य जनपद/एक छंद
विस्मृतभूला हुआविस्मितआश्चर्य में पड़ा
बिपिनजंगलविपन्नविपत्तिग्रस्त
विभीतडरा हुआविभीतिडर
विस्तरविस्तृतबिस्तरबिछावन
वरणचुननावरन्बल्कि

( श )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
शुल्कफीस, टैक्सशुक्लउजला
शूरवीरसुरदेवता, लय
शमसंयम, इन्द्रियनिग्रहसमसमान
शर्वशिवसर्वसब
शप्तशाप पाया हुआसप्तसात
शहरनगरसहरसबेरा
शालाघर, मकानसालापति का भाई
शीशाकाँचसीसाएक धातु
श्यामश्रीकृष्ण, कालास्यामएशिया का एक देश
शतीसैकड़ासतीपतिव्रता स्त्री
शय्याबिछावनसज्जासजावट
शानइज्जत, तड़क-भड़कशाणधार तेज करने का पत्थर
शरावमिट्टी का प्यालाशराबमदिरा
शबरातशवलाश
शूकजौशुकसुग्गा
शिखरचोटीशेखरसिर
शास्त्रसैद्धान्तिक विषयशस्त्रहथियार
शरबाणसरतालाब/महाशय
शकलटुकड़ाशक्लचेहरा
शकृतमलसकृतएकबार
शर्मलाजश्रममेहनत
शान्तशन्तियुक्तसान्तअन्तवाला
शप्तिशापसप्तिघोड़ा
श्वकुत्तास्वअपना
शासअनुशासन/स्तुतिसासपति/पत्नी की माँ
शंकरशिवसंकरदोगला/मिश्रित
शारदासरस्वतीसारदासार देनेवाली
शवलचितकबरासबलबलवान्
श्वजनकुत्तास्वजनअपने लोग
शशधरचाँदशशिधरशिव
शिवापार्वती/गीदड़ीसिबाअलावा
शकटबैलगाड़ीशकठमचान
श्वपचचाण्डालस्वपचस्वयं भोजन बनानेवाला
शालीएक प्रकार का धानसालीपत्नी की बहन
शिततेज किया गयाशीतठंडा
शुक्तिसीपसूक्तिअच्छी उक्ति
शूकरसूअरसुकरसहज

( स )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
सरतालाबशरतीर
सूरअंधा, सूर्यशूरवीर
सूतधागासुतबेटा
सन्सालसनपटुआ
समानतरह, बराबरसामानसामग्री
स्वरआवाजस्वर्णसोना
संकरमिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकारशंकरमहादेव
सूचिशूचीसूचीविषयक्रम
सुमनफूलसुअनपुत्र
स्वर्गतीसरा लोकसर्गअध्याय
सुखीआनन्दितसखीसहेली
सागरशराब का प्यालासागरसमुद्र
सुधीविद्वान, बुद्धिमानसुधिस्मरण
सिताचीनीसीताजानकी
सापशाप का अपभ्रंशसाँपएक विषैला जन्तु
सासपति या पत्नी की माँसाँसनाक या मुँह से हवा लेना
श्र्वेतउजलास्वेदपसीना
संगसाथसंघसमिति
सन्देहशकसदेहदेह के साथ
स्वक्षसुन्दर आँखस्वच्छसाफ
श्र्वजनकुत्तेस्वजनअपना आदमी
शूकरसूअरसुकरसहज
सखीसहेलीसाखीसाक्षी
सत्रवर्षशत्रुदुश्मन
स्यामएक देशश्यामकृष्ण/काला
सीकरजलकणसीकड़जंजीर
सँवारसजानासंवारआच्छादन
सपत्नीसौतसपत्नीकपत्नी सहित
सवाचौथाईसबासुबह की हवा
सास्त्रअस्त्र के साथसास्रआँसू के साथ
समवेदनासाथ-साथ दुखी होनासंवेदनाअनुभूति
समबलतुल्य बलवालासम्बलपाथेय
सिरमस्तकसीरहल
स्वेदपसीनाश्वेतउजला
सेवबेसन का पकवानसेबएक फल
संततिसंतानसततसदा
स्रवणटपकनाश्रवणसुनना/कान
सुकृतिपुण्यसुकृतिपुण्यवान
संभावनासंदेह/आशासमभावनातुल्यता की भावना
सन्मतिअच्छी बुद्धिसंमतिपरामर्श

( ह )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
हुंकारललकार, गर्जनहुंकारपुकार
हल्शुद्ध व्यंजनहलखेत जोतने का औजार
हरिविष्णुहरीहरे रंग की
हँसीहँसनाहंसीहंसनी
हुतिहवनहूतिबुलावा
हूणएक मंगल जातिहुनमोहर
हुकपीठ का दर्दहूकह्रदय की पीड़ा
हूठाअँगूठाहूँठासाढ़े तीन का पहाड़ा
हाड़हड्डीहारपराजय
वाक्यांश के लिए एक शब्द

वाक्यांश के लिए एक शब्दसे सम्बंधित सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसीलिए, आज के इस लेख में हम आपको वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में बता रहे हैं। यहाँ इस लेख में हम400से भी अधिक वाक्यांश के लिए एक शब्दों के बारे में बता रहे हैं।

वाक्यांश के लिए एक शब्द, मुहावरे तथा लोकोक्तियां किसी भी भाषा को समृद्ध और प्रभावशाली बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। संस्कृत भाषा इस दृष्टि से बहुत समृद्ध है। हिंदी के अधिकांश वाक्यांश के लिए एक शब्द संस्कृत भाषा से ही आए हैं लेकिन समय के साथ बहुत से वाक्यांश के लिए एक शब्द हिंदी भाषा ने स्वयं भी विकसित किए हैं। इससे पहले की आप वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में जाने, हम आपको वाक्यांश के बारे में बता रहे हैं.

वाक्यांश की परिभाषा | Vakyansh

वाक्यांश की परिभाषा– शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसेवाक्यांशकहते हैं। वाक्यांश का अर्थ वाक्य का अंश होता है.

वाक्यांश के उदाहरण

  • घर का घर
  • सच बोलना
  • दूर से आया हुआ
  • काम करना
  • सवेरे जल्दी उठना
  • नदी के किनारे

वाक्य और वाक्यांश में अंतर?

वाक्यऔर वाक्यांश में अर्थ के आधार पर तथा रूप के आधार पर बहुत अंतर होता है। यहाँ हम वाक्य और वाक्यांश में अंतर बता रहे हैं।

वाक्यवाक्यांश
शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्य कहते हैं।शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्यांश कहते हैं।
वाक्य शब्दों का सार्थक समूह होता है।वाक्यांश शब्दों का समूह होता है।
वाक्य एक पूर्ण विचार को व्यक्त करता है।वाक्यांश एक या एक से अधिक भावनाओं को व्यक्त करता है।
वाक्य मेंक्रियाहोती है।वाक्यांश में क्रिया नहीं होती बल्कि ज़्यादातर वाक्यांश कृदन्त यासम्बन्धबोधक अव्ययहोते हैं।
वाक्य और वाक्यांश में अंतर?

वाक्यांश के लिए एक शब्द किसे कहते हैं? | Vakyansh ke liye ek shabd Kise Kahate Hain

जब किसी वाक्य में प्रयुक्त या स्वतन्त्र किसी वाक्यांश के लिए किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो उस वाक्यांश के अर्थ को पूरी तरह सिद्ध करता हो तो उसे वाक्यांश के लिए एक शब्द (Vakyansh ke liye ek shabd)कहते हैं, अर्थात अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है.

Vakyansh ke liye ek shabd के उदाहरण

  1. विधायिका द्वारा स्वीकृत नियम – अधिनियम
  2. सर्वाधिक अधिकार प्राप्त शासक – अधिनायक
  3. वह स्त्री जिसके पति ने दूसरा विवाह कर लिया हो – अध्यूढ़ा
  4. पहाड़ के ऊपर की सपाट जमीन – अधित्यका
  5. जिसे अधिकार में ले लिया गया हो – अधिकृत
  6. वास्तविक मूल्य से अधिक लिया जाने वाला मूल्य – अधिशुल्क
  7. धर्म के विरुद्ध कार्य – अधर्म
  8. जिसका कोई आरंभ ना हो – अनादि
  9. एक भाषा के विचारों को दूसरी भाषा में व्यक्त करना – अनुवाद
  10. किसी संप्रदाय या सिद्धांत का समर्थन करने वाला – अनुयायी
  11. किसी प्रस्ताव का समर्थन करने की क्रिया – अनुमोदन
  12. जिसका अनुभव किया गया हो – अनुभूत
  13. जो परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुआ हो – अनुत्तीर्ण
  14. किसी एक में ही आस्था रखने वाला – अनन्य
  15. जिसका कोई घर नहीं हो – अनिकेत
  16. जिसके माता-पिता नहीं हो – अनाथ
  17. जिस भाई ने बाद में जन्म लिया हो – अनुज
  18. जिसकी उपमा नहीं दी जा सके – अनुपम
  19. जिसका जन्म निम्न वर्ण में हुआ हो – अन्त्यज
  20. वह विद्यार्थी जो आचार्य के पास ही निवास करता हो – अंतेवासी
  21. मूल कथा में आने वाला प्रसंग – अन्तर्कथा
  22. जिसका निवारण नहीं किया जा सके – अनिवार्य
  23. परंपरा से चली आ रही कथा – अनुश्रुति
  24. जिसका कोई दूसरा उपाय नहीं हो – अनन्योपाय
  25. जिसका भाषा द्वारा वर्णन नहीं किया जा सके – अवर्णनीय
  1. जो नियम के अनुसार नहीं हो – अनियमित
  2. जिसका विरोध नहीं हुआ हो – अनिरुद्ध
  3. जिसके विषय में कोई ज्ञान नहीं हो – अज्ञात
  4. वह भाई जो अन्य माता से उत्पन्न हुआ हो – अन्योदर
  5. जो नियंत्रण में नहीं हो – अनियंत्रित
  6. पलक को झपकाए बिना – अनिमेष
  7. जो दोहराया गया नहीं हो – अनावृत्त
  8. जिसका किसी में लगाओ या प्रेम हो – अनुरक्त
  9. जो बात पहले सुनी ही नहीं गई हो – अनसुनी
  10. जिस महिला का विवाह नहीं हुआ हो – अनूढ़ा
  11. जो अनुग्रह से युक्त हो – अनुगृहीत
  12. जिस पर आक्रमण नहीं किया गया हो – अनाक्रान्त
  13. जिसका उत्तर नहीं दिया गया हो – अनुत्तरित
  14. पहले लिखे गए पत्र का स्मरण करते हुए लिखा गया पत्र – अनुस्मारक
  15. पीछे-पीछे चलने वाला – अनुगामी
  16. अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  17. अनुसरण करने योग्य – अनुसरणीय
  18. वह सिद्धांत जो हर वस्तु को नश्वर मानता हो – अनित्यवादी
  19. जो कभी नहीं आया हो – अनागत
  20. जो श्रेष्ठ गुणों से युक्त नहीं हो – अनार्य
  21. जो सबके मन की बात जानता हो – अन्तर्यामी
  22. जिसे किसी बात का पता नहीं हो – अनभिज्ञ
  23. जो बिना सोचे समझे विश्वास करें – अन्धविश्वासी
  24. जो बिना सोचे समझे अनुगमन करें – अन्धानुगामी
  25. जिसकी अपेक्षा नहीं हो – अपेक्षित

  1. जिसकी आवश्यकता नहीं हो – अनावश्यक
  2. जिस का आदर नहीं किया गया हो – अनादृत
  3. जो पूर्ण नहीं हो – अपूर्ण
  4. जो मापा नहीं जा सके – अपरिमेय
  5. जो पहले पढ़ा नहीं गया हो – अपठित
  6. नीचे की ओर लाना या खींचना – अपकर्ष
  7. जो धन को व्यर्थ ही खर्च करता हो – अपव्ययी
  8. जो सामने नहीं हो – परोक्ष
  9. जो पहले कभी नहीं हुआ हो – अपूर्व
  10. जिसका विवाह नहीं हुआ हो – अविवाहित
  11. जो पीने योग्य नहीं हो – अपेय
  12. जिसका कोई पार नहीं हो – अपार
  13. जिसका त्याग नहीं हो सके – अत्याज्य
  14. जिसके आर पार नहीं देखा जा सके – अपारदर्शी
  15. वह समय जो दोपहर के बाद आता है – अपराहन
  16. जिस वस्तु को पहना नहीं गया हो – अप्रहत
  17. जिस खेत को जोता नहीं गया हो – अप्रहत
  18. जिसकी आशा नहीं की गई हो – अप्रत्याशित
  19. किसी काम को बाहर बाहर करने का अनुभव रखने वाला – अभ्यस्त
  20. किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा – अभीप्सा
  21. जिस पर अभियोग लगाया गया हो – अभियुक्त
  22. जिसको पैदा नहीं जा सके – अभेद्य
  23. जो पहले नहीं हुआ हो – अभूतपूर्व
  24. जिसकी मृत्यु नहीं होती हो – अमर
  25. जिस वस्तु का मूल्य नहीं आंका जा सके – अमूल्य
  1. जो बिना मांगे मिल जाए – अयाचित
  2. जिसकी कोई रक्षा नहीं कर रहा हो – अरक्षित
  3. जो साहित्य कला आदि में रस नहीं लेता हो – अरसिक
  4. जिसको प्राप्त नहीं किया जा सके – अलभ्य
  5. जिसको देखा नहीं जा सके – अलक्ष्य
  6. जिसको लाँघा नहीं जा सके – अलघ्य
  7. जो कम जानता हो – अल्पज्ञ
  8. जो कम बोलता हो – अल्पभाषी
  9. जो इस लोक का नहीं हो – अलौकिक
  10. जो वध करने योग्य नहीं हो – अवध्य
  11. आदेश की अवहेलना – अवज्ञा
  12. जो भला बुरा नहीं समझता हो – अविवेकी
  13. जिसका विभाजन नहीं किया जा सके – अविभाज्य
  14. जिसका विभाजन नहीं किया गया हो – अविभक्त
  15. जिस पर विचार नहीं किया गया हो – अविचारित
  16. जो बिना वेतन के काम करता हो – अवैतनिक
  17. जो कार्य अवश्य होने वाला हो – अवश्यम्भावी
  18. जिसको व्यवहार में नहीं लाया गया हो – अव्यवहृत
  19. जिसका विश्वास नहीं किया जा सके – अविश्वसनीय
  20. जो विधान के अनुसार नहीं हो – अवैधानिक
  21. नहीं हो सकने वाला – अशक्य
  22. जो शोक करने योग्य नहीं हो – अशोक्य
  23. जो कहने सुनने देखने में घिनौना हो – अश्लील
  24. फेंककर चलाया जाने वाला हथियार – अस्त्र
  25. जिसको सहन नहीं किया जा सके – असह्य

  1. जो सहनशील नहीं हो – असहिष्णु
  2. जो सामान नहीं हो – असमान
  3. जो साधा नहीं जा सके – असाध्य
  4. जिस रोग का इलाज नहीं किया जा सके – लाइलाज
  5. किसी बात पर बार-बार जोर देना – आग्रह
  6. वह स्त्री जिसका पति प्रदेश से लौटा हो – आगतपतिका
  7. जो जन्म लेते ही गिर या मर गया हो – आजन्मपात
  8. मृत्यु पर्यंत – आमरण
  9. जो गुण दोष का विवेचन करता हो – आलोचक
  10. जो ईश्वर में विश्वास रखता हो – आस्तिक
  11. वह कवि जो तत्काल कविता कर सके – आशुकवि
  12. जिसे आश्वासन पर विश्वास हो – आश्वस्त
  13. विदेश से देश में सामान मंगवाना – आयात
  14. सिर से पांव तक – आपादमस्तक
  15. प्रारंभ से लेकर अंत तक – आधोपान्त
  16. अपने आप को खुद ही समाप्त कर लेने वाला – आत्मघाती
  17. पवित्र आचरण करने वाला – आचारपूत
  18. दूसरे के हित में अपना जीवन त्याग कर देना – आत्मोत्सर्ग
  19. जो बहुत क्रूर व्यवहार करता हो – आततायी
  20. जिसका संबंध आत्मा से हो – आध्यात्मिक
  21. जिस पर हमला किया गया हो – आक्रान्त
  22. जिस ने हमला किया हो – आक्रान्ता
  23. जिसे सूँघा जा सके – आघ्रेय
  24. किसी स्थान के सर्वाधिक पुराने निवासी – आदिवासी
  25. वह चीज जिसकी चाहत हो – इच्छित
इस लोक से संबंधित – इहलौकिक
  1. जो इंद्र पर विजय प्राप्त कर चुका हो – इन्द्रजीत
  2. जो इन्द्रियों से परे हो – इन्द्रियातीत
  3. उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा – ईशान
  4. जो दूसरे की उन्नति देखकर जलता हो – ईर्ष्यालु
  5. वह पर्वत जहां से सूर्य और चंद्रमा उदित होते माने जाते हैं – उदयाचल
  6. पर्वत के नीचे तलहटी की भूमि – उपत्यका
  7. किसी के संबंध में कुछ लिखने योग्य – उल्लेखनीय
  8. जिसके ऊपर किसी का उपकार हो – उपकृत
  9. ऐसी जमीन जो अच्छी उत्पादक हो – उर्वरा
  10. जो छाती के बल चलता हो – उरग
  11. जिसने अपना ऋण पूरा चुका दिया हो – उऋण
  12. जिसका ऊपर कथन किया गया हो – उपर्युक्त
  13. जिसका मन जगत से उचट गया हो – उदासीन
  14. भोजन करने के बाद बचा हुआ अन्न – उच्छिष्ट
  15. जिस भूमि में कुछ भी पैदा नहीं होता हो – ऊसर
  16. विचारों का ऐसा प्रवाह जिससे कोई निष्कर्ष नहीं निकले – ऊहापोह
  17. जो केवल एक आंख वाला हो – एकाक्ष
  18. जो इन्द्रियों से संबंधित हो – ऐन्द्रिय
  19. सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा – एषणा
  20. जिस पर किसी एक का ही अधिकार हो – एकाधिकार
  21. वह स्थिति जो अंतिम निर्णायक हो – एकान्तिक
  22. कई जगह से मिलकर इकट्ठा किया गया हो – एकीकृत
  23. जो व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता हो – ऐच्छिक
  24. इन्द्रियों को भ्रमित करने वाला – ऐन्द्रजालिक

  1. जो इस लोक से संबंधित हो – ऐहिक
  2. सांप-बिच्छू के जहर या भूत प्रेत के भय को मंत्रों से झड़ने वाला – ओझा
  3. जो उपनिषदों से संबंधित हो – औपनिषदिक
  4. जो मात्र शिष्टाचार व्यवहार के लिए हो – औपचारिक
  5. दो व्यक्तियों की परस्पर होने वाली बातचीत – कथोपकथन
  6. ऐसी लड़की जिसका विवाह नहीं हुआ हो – कुमारी
  7. कर्म करने में तत्पर व्यक्ति – कर्मठ
  8. बर्तन बेचने वाला – कसेरा
  9. जो काम से जी चुराता है – कमचोर
  10. सबसे आगे रहने वाला – अग्रणी
  11. जिसका खण्डन नहीं किया जा सके – अखण्डनीय
  12. जो पहले गिना जाता हो – अग्रगण्य
  13. जो पहले जन्मा हो – अग्रज
  14. जिसे जाना न जा सके – अज्ञेय
  15. जिसका पता न हो – अज्ञात
  16. जो इंद्रियों द्वारा ना जाना जा सके – अगोचर
  17. जो बहुत गहरा हो – अगाध
  18. जिसने अभी तक जन्म नहीं लिया हो – अजन्मा
  19. जिसकी गिनती न की जा सके – अगणित
  20. आगे आने वाला – आगामी
  21. जिसको जीता न जा सके – अजेय
  22. जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  23. जिसका कोई शत्रु ना हो – अजातशत्रु
  24. जो खाने योग्य न हो – अखाद्य
  25. जिसका चिंतन नहीं किया जा सके – अचिन्त्य
  1. जो क्षमा नहीं किया जा सके – अक्षम्य
  2. जिसको कहा ना जा सके – अकथनीय
  3. जिसको काटा न जा सके – अकाट्य
  4. नहीं टूटने वाला – अटूट
  5. अंडे से जन्म लेने वाला – अण्डज
  6. जो अपनी बात से नहीं डिगे – अडिग
  7. जो छुआ न गया हो – अछूता
  8. जो छूने योग्य न हो – अछूत
  9. जो खाली न जाए – अचूक
  10. जिसके बारे में कोई निश्चिय नहीं हो – अनिश्चित
  11. जो अपने स्थान से अलग नहीं किया जा सके – अच्युत
  12. जो अपनी बात से टले नहीं – अटल
  13. पदार्थ का अत्यंत सूक्ष्म भाग – परमाणु
  14. जिसके आगमन की तिथि निश्चित नहीं हो – अतिथि
  15. आवश्यकता से अधिक बरसात – अतिवृष्टि
  16. बरसात बिल्कुल नहीं होना – अनावृष्टि
  17. बहुत कम बरसात होना – अल्पवृष्टि
  18. इंद्रियों की पहुंच से बाहर – अतीन्द्रिय
  19. सीमा का अनुचित उल्लंघन – अतिक्रमण
  20. जो तर्क से परे हो – तर्कातीत
  21. किसी बात को अत्यधिक बढ़ा कर कहना – अतिशयोक्ति
  22. जो व्यतीत हो गया हो – अतीत
  23. जिसको त्यागा न जा सके – अत्याज्य
  24. जिसकी तुलना नहीं की जा सके – अतुलनीय
  25. जिसकी गहराई का पता न लग सके – अथाह

  1. जिसका दमन नहीं किया जा सके – अदम्य
  2. जिसे देखा न जा सके – अदृश्य
  3. जो पहले नहीं देखा गया हो – अदृष्टपूर्व
  4. आगे का विचार नहीं कर सकने वाला – अदूरदर्शी
  5. जो देखने योग्य न हो – अदर्शनीय
  6. जिसके बराबर दूसरा नहीं हो – अद्वितीय
  7. जो एक निश्चित अवधि तक ही लागू हो – अध्यादेश
  8. जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो – अधिकृत
  9. वह सूचना जो सरकार के प्रयास से जारी हो – अधिसूचना
  10. अपने काम के बारे में कुछ भी निश्चय नहीं करने वाला – किंकर्तव्यविमूढ़
  11. जो बात पूर्व काल से लोगों में कह सुनकर प्रचलित हो – किवदन्ती
  12. बुरे मार्ग पर जाने वाला व्यक्ति – कुमार्गगामी
  13. जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ हो – कुलीन
  14. जिसकी बुद्धि बहुत तेज हो – कुशाग्र
  15. बुद्धि बुरी संगत में रहने वाला – कुसंगी
  16. अपने लिए किए हुए उपकार को याद रखने वाला – कृतज्ञ
  17. अपने लिए किए हुए उपकार को भुला देने वाला – कृतघ्न
  18. जो पैसों को अत्यधिक कंजूसी से खर्च करता हो – कंजूस
  19. जिसे खरीद लिया गया हो – क्रीत
  20. श्रृंगारिक वासनाओं के प्रति आकर्षित – कामुक
  21. जो दुख या भय से पीड़ित हो – कातर
  22. दूसरे की हत्या करने वाला – हत्यारा
  23. अपनी गलती स्वीकार करने वाला – कायल
  24. ईश्वर का सामूहिक रूप से किया जाने वाला गुणगान – कीर्तन
  25. भूख से पीड़ित – क्षुधार्त
  1. वृक्ष लता फूलों से घिरा हुआ कोई सुंदर स्थान – कुंज
  2. पूर्व में हुई हानि की भरपाई – क्षतिपूर्ति
  3. जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध है – सिद्धार्थ
  4. पहले से चली आ रही परंपरा का अनुपालन करने वाला – गतानुगतिक
  5. आकाश को स्पर्श करने वाला – गगनचुम्बी
  6. जिस नाटक के संवाद गीतों के रूप में लिखे हो – गीतिनाट्य
  7. गुप्त रूप से घूम कर सूचना देने वाला – गुप्तचर
  8. हर पदार्थ को अपनी ओर आकृष्ट करने वाली गुरुत्व शक्ति – गुरुत्वाकर्षण
  9. जो बोल नहीं सकता हो – गूँगा
  10. ज़िम्मेदारी पूरी नहीं करने वाला – ग़ैर-ज़िम्मेदार
  11. दिन और रात के बीच का समय – गोधूलि वेला
  12. जो ग्रहण करने योग्य हो – ग्राह्म
  13. जो छिपाने योग्य हो – गोपनीय
  14. जहां से गंगा नदी का उद्गम होता है – गंगोत्री
  15. घास खोदकर जीवन निर्वाह करने वाला – घसियारा
  16. शरीर की हानि करने वाला – घातक
  17. जो पदार्थ घूमने योग्य हो – घुलनशील
  18. घोड़े के रखे जाने की जगह – घुड़साल
  19. जो घृणा का पात्र हो – घृणित
  20. कोई कार्य करने के लिए नाजायज रूप में धन लेने वाला – घूसखोर
  21. जहां धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं – क्षितिज
  22. साँप के शरीर से निकली हुई खोली – केंचुली
  23. जो क्षमा किया जा सके – क्षम्य
  24. जिसका कुछ ही समय में नाश हो जाए – क्षणभंगुर
  25. जो क्षमा करने वाला हो – क्षमाशील

  1. आकाश के पिंडों का विवेचन करने वाला शास्त्र – खगोलशास्त्र
  2. जिस ग्रहण में सूर्य या चंद्र का पूर्ण बिंब ग्रसित हो जाता है – खग्रास
  3. जो व्यक्ति अपने हाथ में तलवार लिए रहता है – खड्गहस्त
  4. दूसरों के मत का विरोध करना – खण्डन
  5. वह स्त्री जिसका पति अन्य स्त्री के साथ रात को रहकर प्रातः लौटे – खण्डिता
  6. खाने के योग्य वस्तु – खाद्य
  7. आकाश में विचरण करने वाले जंतु – नभचर
  8. शरीर का व्यापार करने वाली स्त्री – गणिका
  9. जो अशिष्ट व्यवहार करता हो – गँवार
  10. जो बहुत समय तक ठहर सके – चिरस्थायी
  11. चौथे दिन आने वाला बुखार – चौथिया
  12. चक्र के रूप में घूमती हुई चलने वाली हवा – चक्रवात
  13. आश्चर्य में डाल देने वाला कार्य – चमत्कार
  14. वह कृति जिसमें गद्य एवं पद्य दोनों मिश्रित हो – चम्पू
  15. जिसके सिर पर चन्द्रकला हो – चन्द्रचूड़
  16. लंबे समय तक जीवित रहने वाला – चिरञ्जीवी
  17. बहुत समय से परिचित – चिरपरिचित
  18. चिर निद्रा को प्राप्त हुआ – चिरनिद्रित
  19. चिंता करने योग्य बात – चिन्तनी
  20. सावधान करने के लिए दिया गया संकेत – चेतावनी
  21. सभी प्रकार की चिंताओं को दूर करने वाली एक मणि – चिन्तामणि
  22. जो गुप्त रूप से निवास कर रहा हो – छद्मवासी
  23. जहां सैनिक निवास करते हो – छावनी
  24. जो दूसरों में केवल दोषों को ही खोजता हो – छिद्रान्वेषी
  25. छिपकर आक्रमण करने वाला – छापामार दल
  1. पत्थर को गढ़ने वाला औज़ार – छैनी
  2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला – जंगम
  3. जो जल बरसाता हो – जलद
  4. जो जल से उत्पन्न होता हो – जलज
  5. जो जीव जंतु जल में रहते हो – जलचर
  6. जो चमत्कारी क्रियाओं का प्रदर्शन करता है – जादूगर
  7. जो अकारण ज़ुल्म ढाका हो – ज़ालिम
  8. जिंदा रहने की इच्छा – जिजीविषा
  9. जिसने इन्द्रियों को वश में कर लिया हो – जितेन्द्रिय
  10. जिसने आत्मा को जीत लिया हो – जितात्मा
  11. जो जीतने के योग्य हो जेय जेठ का पुत्र – जेठोत
  12. अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए किया गया अग्नि प्रवेश – जौहर
  13. वह पहाड़ जिसके मुंह से आग निकले – ज्वालामुखी
  14. लंबे और बिखरे बालों वाला – झबरा
  15. बहुत गहरा तथा बहुत बड़ा प्राकृतिक जलाशय – झील
  16. जहां सिक्कों की ढलाई होती है – टकसाल
  17. अधिक देर तक रहने वाला या चलने वाला – टिकाऊ
  18. विवाह का संबंध तय करने के लिए वर को वस्त्र आदि वस्तुएं प्रदान करने की रस्म – टीका
  19. बर्तन बनाने वाला – ठठेरा
  20. जो छोटे कद का हो – ठिगना
  21. जनता को सूचना देने हेतु बजाया जाने वाला वाद्य – ढिंढ़ोरा
  22. जो किसी भी गुट में नहीं हो – तटस्थ
  23. जो किनारे से सटे हुए हो – तटवर्ती
  24. जो किसी कार्य या चिंतन में डूबा हुआ हो – तल्लीन
  25. जो चोरी-छिपे माल लाता और ले जाता हो – तस्कर

  1. ऋषियों के तप करने की भूमि तपोभूमि उसी समय का – तत्कालीन
  2. वह राजकीय धन जो किसानों की सहायता हेतु दिया जाता है – तक़ाबी
  3. दैहिक, दैविक और भौतिक दुख – तापत्रय
  4. तर्क करने वाला व्यक्ति – तार्किक
  5. तांबे के रंग के समान लाल रंग – ताम्रपर्णी
  6. तैरने की इच्छा – तितीर्षा
  7. ज्ञान में प्रवेश का मार्गदर्शक – तीर्थङ्कर
  8. बाणों को रखने का पात्र – तुणीर
  9. किसी पद को छोड़ने के लिए लिखा गया पत्र – त्यागपत्र
  10. वह व्यक्ति जो छुटकारा दिलाता है – त्राता
  11. सत्व, रज और तम का समूह – त्रिगुण
  12. गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम – त्रिवेणी
  13. भूत, वर्तमान और भविष्य को जानने वाला – त्रिकालज्ञ
  14. जिसके तीन आंखें हैं त्रिनेत्र तीन महीने में एक बार – त्रैमासिक
  15. वह स्थान जो दोनों भृकुटियों के बीच होता है – त्रिकुटी
  16. जो त्याग देने योग्य हो – त्याज्य
  17. संकुचित विचार रखने वाला – दक़ियानूस
  18. पति और पत्नी का जोड़ा दम्पति दस वर्षों का समय – दशक
  19. वह व्यक्ति जिसे गोद लिया जाए – दत्तक
  20. रानियों के साथ दहेज के रूप में भेजी गई सेविकाआएँ – दासी
  21. जंगल में फैलने वाली आग – दावाग्नि
  22. दो बार जन्म लेने वाला – द्विज
  23. जिसे कठिनाई से जाना जा सके – दुर्ज्ञेय
  24. जिस ने दीक्षा ली हो – दीक्षित
  25. पति के स्नेह से वंचित स्त्री – दुर्भगा
  1. जिसे कठिनाई से लाँघा जा सके – दुर्लंघ्य
  2. जिसे कठिनता से साधा जा सके – दु:साध्य
  3. जो कठिनाई से समझ में आता है – दूर्बोध
  4. जिसको कठिनाई से वहन किया जा सके – दुर्वह
  5. जो बुरा आचरण करता हो – दुराचारी
  6. बुरे भाव से की गई सन्धि – दुरभिसन्धि
  7. वह मार्ग जो चलने में कठिनाई पैदा करता हो – दुर्गम
  8. जिसमें ख़राब आदतें हो – दुर्व्यसनी
  9. जिस को जीतना बहुत कठिन हो – दुर्जेय
  10. दैव या ज्योतिष शास्त्र को जानने वाला – दैवज्ञ
  11. आगे की बात को भी सोच लेने वाला व्यक्ति – दूरदर्शी
  12. जिसे देवता भी पूछते हो – देवाराध्य
  13. दीक्षा की समाप्ति पर दिया जाने वाला उपदेश – दीक्षान्त भाषण
  14. पुत्री का पुत्र – दौहित्र
  15. पुत्री की पुत्री – दौहित्री
  16. वह कार्य जिसको करना कठिन हो – दुष्कर
  17. वह बच्चा जो अभी मां के दूध पर निर्भर है – दुधमुँहा
  18. जो दो अलग-अलग भाषियों के बीच अनुवाद करके बात करवाता हो – दुभाषिया
  19. जो शीघ्रता से चलता हो – द्रुतगामी
  20. जो धनुष को धारण करता हो – धनुर्धारी
  21. धन की इच्छा रखने वाला – धनेच्छु
  22. सभी को धारण करने वाली – धरणी
  23. यात्रियों के लिए निशुल्क सार्वजनिक आवास गृह – धर्मशाला
  24. गरीबों के लिए दान के रूप में दिया जाने वाला धन-अन्न आदि – धार्मादा
  25. किसी के पास रखी हुई दूसरे की वस्तु – धरोहर
  1. मछली मार कर आजीविका चलाने वाला – धीवर
  2. श्रेष्ठ गुणों से संपन्न शूरवीर नायक – धीरोध्दत्त
  3. शूरवीर किंतु क्रीड़ाप्रिय नायक – धीरललित
  4. धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाला – धर्मात्मा
  5. जिसकी धर्म में निष्ठा हो – धर्मनिष्ठ
  6. आधारभूत कार्यों में प्रवीण – धुरन्धर
  7. जो धीरज रखता हो – धीर
  8. अपने स्थान पर अचल रहने वाला – ध्रुव
  9. ध्यान करने योग्य – ध्येय
  10. ध्यान करने वाला – ध्याता
  11. तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव – नटराज
  12. नाक से अपने आप निकलने वाला ख़ून – नकसीर
  13. सम्मान में दी जाने वाली भेंट – नज़राना
  14. नाखून से चोटी तक का वर्णन – नखशिख वर्णन
  15. जिसका जन्म अभी-अभी हुआ हो – नवजात
  16. जिस स्त्री का विवाह अभी हुआ हो – नवोढ़ा
  17. जिसका उदय हाल में हुआ हो – नवोदित
  18. जो वस्तु नाशवान हो – नश्वर
  19. जिसका सिर झुका हुआ हो – नतमस्तक
  20. जो आकाश में विचरण करता है – नभचर
  21. जो नया नया आया है – नवागत
  22. जिसे ईश्वर पर विश्वास नहीं हो – नास्तिक
  23. जो पढ़ना-लिखना नहीं जानता हो – निरक्षर
  24. जिसको डर नहीं हो – निडर
  25. जिसका कोई अर्थ नहीं हो – निरर्थक
  1. जिसका कोई आकार नहीं हो – निराकार
  2. जिसका कोई आधार नहीं हो – निराधार
  3. जिससे किसी प्रकार की हानि नहीं हो – निरापद
  4. जो मांस नहीं खाता हो – निरामिष
  5. जिसकी कोई इच्छा नहीं हो – नि:स्पृह
  6. बिना भोजन के – निराहार
  7. जो उत्तर नहीं दे सके – निरुत्तर
  8. जिसमें दया नहीं हो – निर्दय
  9. जिसके पास धन नहीं हो – निर्धन
  10. जिसको भय नहीं हो – निर्भय
  11. जिसके कोई कलंक नहीं हो – निष्कलंक
  12. जिस काम के लिए धन नहीं दिया जाए – नि:शुल्क
  13. जिसका अपना कोई स्वार्थ नहीं हो – नि:स्वार्थ
  14. जिसके कोई संतान नहीं हो – निस्संतान
  15. जिसको किसी में भी आसक्ति नहीं हो – असंग
  16. व्यापारिक वस्तुओं को किसी दूसरे देश में भेजने का कार्य – निर्यात
  17. जिसको देश से निकाल दिया गया हो – निर्वासित
  18. रात में विचरण करने वाला – निशाचर
  19. बिना किसी बाधा के – निर्बाध
  20. जो ममत्व से रहित हो – निर्मम
  21. जिसकी किसी से तुलना नहीं की जा सके – निरुपम
  22. जो निर्णय करने वाला हो – निर्णायक
  23. जिसका कोई उद्देश्य नहीं हो – निरुद्देश
  24. जो पाप से रहित हो – निष्पाप
  25. जो सब प्रकार की चिंताओं से रहित हो – निश्चिंत

  1. जो नीति के अनुकूल हो – नैतिक
  2. आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वाला – नैष्ठिक
  3. जिसमें दया का भाव नहीं हो – निष्ठुर
  4. महीने के दो पक्षों में से एक पक्ष – पखवाड़ा
  5. अपनी किसी गलती के लिए हुआ दुख – पश्चाताप
  6. केवल अपने पति में अनुराग रखने वाले स्त्री – पतिव्रता
  7. पति को चुनने की इच्छा रखने वाली कन्या – पतिम्वरा
  8. उपाय बताने वाला – मार्गदर्शक
  9. अपने मार्ग से भटका हुआ – पथभ्रष्ट
  10. अपने पद से हटाया हुआ – पदच्युत
  11. केवल दूध पर जीवित रहने वाला – पयोहारी
  12. जो प्रत्यक्ष नहीं हो – परोक्ष
  13. दूसरों पर निर्भर रहने वाला पर – पराश्रित
  14. घूमने फिरने वाला साधु – परिव्राजक
  15. महीने के प्रत्येक पक्ष से संबंधित – पाक्षिक
  16. हाथ से लिखी हुई पुस्तक – पाण्डुलिपि
  17. जिसमें से आर-पार देखा जा सके – पारदर्शी
  18. जिसका स्वभाव पशु के समान हो – पाशविक
  19. जनप्रतिनिधियों द्वारा परिचालित शासन-व्यवस्था – जनतन्त्र
  20. किसी प्रश्न का तत्काल उत्तर दे सकने वाली बुद्धि – प्रत्युत्पन्न मति
  21. पर्दे के अंदर रहने वाली – पर्दानशीन
  22. किसी वाद का विरोध करने वाला – प्रतिवादी
  23. शरणागत की रक्षा करने वाला – प्रणतपाल
  24. वह ध्वनि जो कहीं से टकराकर आए – प्रतिध्वनि
  25. जो किसी मत को सर्वप्रथम चलाता है – प्रवर्तक

Vakyansh Ke Liye Ek Shabd के बारे में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण MCQ

  • दिए गए वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए जिसकी गहराई का पता न मिल सके – अथाह
  • बिना पलक झपकाए Vakyansh Ke Liye Ek Shabd– अनिमेष
  • Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए हिंसा करने वाला– हिंसक
  • निम्नलिखित Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए प्राचीन काल से संबंधित– पुरातन
  • Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए जो बहुत बोलता हो– वाचाल
  • इतिहास से संबंधित Vakyansh Ke Liye Ek Shabd चुने– ऐतिहासिक
  • जिसका कोई अंग ठीक ना हो Vakyansh Ke Liye Ek Shabd क्या होगा– अपंग
  • वाक्यांश के लिए एक शब्द जो कभी ना मरे– अमर
  • वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखो जिसमें दया हो– दयावान
  • अपने हित के लिए किया गया कार्य वाक्यांश के लिए एक शब्द है – स्वार्थ
  • जिसे कहा न जा सके वाक्यांश के लिए एक शब्द – अकथनीय

उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण

उपसर्ग :

उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना होता है उप+सर्ग। उप का अर्थ होता है समीप और सर्ग का अर्थ होता है सृष्टि करना। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओँ में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते है। अथार्त शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं या फिर उसमें विशेषता लाते हैं उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। शब्दांश होने के कारण इनका कोई स्वतंत्र रूप से कोई महत्व नहीं माना जाता है।

उदाहरण:- हार एक शब्द है जिसका अर्थ होता है पराजय। लेकिन इसके आगे आ शब्द लगने से नया शब्द बनेगा जैसे आहार जिसका मतलब होता है भोजन।

उपसर्ग के भेद :-

1. संस्कृत के उपसर्ग

2. हिंदी के उपसर्ग

3. अरबी-फारसी के उपसर्ग

4. अंग्रेजी के उपसर्ग

5. उर्दू के उपसर्ग

6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय

1. संस्कृत के उपसर्ग :-

1.अति – ( अधिक ,परे , ऊपर , उस पार ,) –

अत्यधिक , अतिशय , अत्यंत , अतिरिक्त , अत्यल्प , अतिक्रमण , अतिवृष्टि , अतिशीघ्र , अत्याचार , अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक आदि।

2. अप – ( बुरा , अभाव , विपरीत , हीनता , छोटा ) –

अपयश , अपमान , अपशब्द , अपराध , अपकार , अपकीर्ति , अपभ्रश , अपव्यय , अपवाद , अपकर्ष , अपहरण , अपप्रयोग , अपशकुन , अपेक्षा आदि।

3. अ – (अभाव , अन , निषेध , नहीं , विपरीत ) –

अधर , अपलक , अटल , अमर , अचल , अनाथ , अविश्वास , अधर्म, अचेतन , अज्ञान , अलग , अनजान , अनमोल , अनेक , अनिष्ट , अथाह , अनाचार , अलौकिक , अस्वीकार , अन्याय , अशोक , अहिंसा , अवगुण , अर्जित आदि।

4. अनु – (पीछे , समान , क्रम , पश्चात ) –

अनुक्रमांक , अनुकंपा , अनुज , अनुरूप , अनुपात , अनुचर , अनुकरण , अनुसार , अनुशासन , अनुराग , अनुग्रह , अनुवाद , अनुस्वार , अनुशीलन , अनुकूल , अनुक्रम , अनुभव , अनुशंसा , अन्वय , अन्वीक्षण , अन्वेषण , अनुच्छेद , अनूदित आदि।

5. आ – (ओर , सीमा , तक , से , समेत , कमी , विपरीत , उल्टा , अभाव , नहीं ) –

आगमन , आजीवन , आमरण , आचरण ,आलेख , आहार , आकर्षण , आकर , आकार , आभार , आशंका , आवेश , आरक्त , आदान , आक्रमण , आकलन , आकाश , आरम्भ , आमुख , आरोहण , आजन्म , आयात , आतप , आगार , आगम , आमोद , आरक्षण , आकर्षण , आबालवृद्ध , आघात आदि।

6. अधि – (श्रेष्ठ , प्रधान , ऊपर , सामीप्य ) –

अधिकार , अधिसूचना , अधिपति , अधिकरण , अधिनायक , अधिमान , अधिपाठक , अधिग्रहण , अधिवक्ता , आधिक्य , अध्धयन , अध्यापन , अधिराज , अध्यात्म , अध्यक्ष , अधिनियम , अधिमास , अधिकृत , अधिक्षण , अध्यादेश , अधीन , अधीक्षक आदि।

7.अभि – ( सामने , पास , ओर , इच्छा प्रकट करना , चारों ओर ) –

अभ्यास , अभ्युदय , अभिमान , अभिषेक ,अभिनय , अभिनव , अभिवादन , अभिभाषण , अभियोग , अभिभूत , अभिभावक , अभ्यर्थी , अभीष्ट , अभ्यंतर , अभीप्सा , अभिनन्दन , अभिलाप , अभीमुख , अभ्युत्थान ,अभियान , अभिसार , अभ्यागत , अभ्यास , अभिशाप ,अभिज्ञान आदि।

8. उप – ( निकट , छोटा , सहायक , सद्र्श , गौण , हीनता ) –

उपकार , उपग्रह , उपमंत्री , उपहार , उपदेश , उपवन , उपनाम , उपचार , उपसर्ग , उपयोग , उपभोग , उपभेद , उपयुक्त , उपेक्षा , उपाधि , उपाध्यक्ष ,उपकूल , उपनिवेश , उपस्थिति , उपासना , उपदिशा , उपवेद , उपनेत्र , उपरांत , उपसंहार , उपकरण , उपकार आदि।

9. प्र – ( आगे , अधिक , ऊपर , यश ) –

प्रमाण , प्रयोग , प्रताप , प्रबल , प्रस्थान , प्रकृति , प्रमुख ,प्रदान , प्रचार , प्रसार , प्रहार , प्रयत्न , प्रभंजन , प्रपौत्र , प्रारम्भ , प्रोज्जवल , प्रेत , प्राचार्य , प्रयोजक , प्रार्थी , प्रक्रिया , प्रवाह , प्रख्यात , प्रकाश , प्रकट , प्रगति , प्रपंच , प्रलाप , प्रभुता , प्रपिता , प्रकोप , प्रभु , प्रयास आदि।

10. वि – ( विशिष्ट , भिन्न , हीनता ,असमानता , अभाव ) –

विरोध , विपक्ष , विदेश , विकल , वियोग , विनाश , विराम ,विजय , विज्ञान , विलय , विहार , विख्यात , विधान , व्यवहार , व्यर्थ , व्यायाम , व्यंजन , व्याधि , व्यसन , व्यूह , विकास , विधवा , विवाद , विशेष , विस्मरण , विभाग , विकार , विमुख , विनय , विनंती , विफल , विसंगति , विवाह , विभिन्न ,विश्राम आदि।

11. उत – ( श्रेष्ठ , ऊपर , ऊँचा ) –

उल्लास , उज्ज्वल , उत्थान , उन्नति , उदघाटन , उत्तम , उत्पन्न , उत्पत्ति , उत्पीडन , उत्कंडा, उत्तम , उत्कृष्ट , उदय , उद्गम , उत्कर्ष , उत्पल , उल्लेख , उत्साह , उत्पात , उतीर्ण , उभ्दिज्ज आदि।

12. प्रति – ( विरुद्ध , प्रत्येक , सामने , बराबरी , उल्टा , हर एक ) –

प्रत्याशा , प्रतिकूल , प्रतिकार , प्रतिष्ठा , प्रत्येक , प्रतिहिंसा , प्रतिरूप , प्रतिध्वनी , प्रतिनिधि , प्रतीक्षा , प्रत्युत्तर , प्रतीत , प्रतिक्षण , प्रतिदान , प्रत्यक्ष ,प्रतिवर्ष , प्रत्यपर्ण , प्रतिद्वंदी , प्रतिशोध , प्रतिरोधक , प्रतिघात , प्रतिध्वनी आदि।

13. सु – ( अच्छा , सरल , सुखी , सहज ,सुंदर , अधिक ) –

सुशील , स्वागत , स्वल्प , सुगम , सुबोध , सुपुत्र ,सुधार , सुगंध , सुगति , सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन , सुलभ , सुअवसर, सूक्ति ,सुदूर , सुजन , सुशिक्षित , सुपात्र , सुगठित , सुहाग , सुकर्म , सुकृत , सुभाषित , सुकवि , सुरभि आदि।

14. सम – ( अच्छा , पूर्णता , संयोग , उत्तम , साथ ) –

संताप , संभावना , संयोग , संशोधन , सम्मान , सम्मेलन ,संकल्प, संचय, सन्तोष, संगठन, संचार , संलग्न , संहार, संशय, संरक्षा ,संकल्प, संग्रह, संन्यास, संस्कार, संरक्षण, संहार , सम्मुख, संग्राम , संभव , संतुष्ट , संचालन , संजय आदि।

15. सह – ( साथ ) –

सहोदर , सहपाठी , सहगान , सहचर , सहमती , सहयोग , सहमत आदि।

16. पर – ( अन्य ) –

परदेश , परलोक , पराधीन आदि।

17. कु – ( बुरा ,हीनता ) –

कुपुत्र , कुरूम , कुकर्म , कुमति ,कुयोग , कुकृत्य ,कुख्यात , कुखेत , कुपात्र , कुकाठ , कपूत , कुढंग आदि।

18. परि – ( चारों ओर , पास , आसपास ) –

परिवार , परिणाम , पर्यावरण , परिजन , परिक्रम , परिक्रमा , परिपूर्ण, परिमार्जन,परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान,परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा,पर्याप्त, पर्यटन , पर्यन्त ,परिमित , परिपूर्ण , परिपाक, परिधि आदि।

19. अव – ( हीन , बुरा ,अनादर , पतन ) –

अवशेष , अवगुण , अवकाश , अवसर , अवनति , अवज्ञा , अवधारण, अवगति, अवतार, अवलोकन, अवतरण , अवगत , अवस्था , अवनत , अवसान , अवरोहन , अवगणना , अवकृपा आदि।

20. निर – ( निषेध ,रहित , बिना , बाहर ) –

निर्बल , निर्मल , निर्माण , निर्जन , निरकार , निरपराध, निराहार, निरक्षर, निरादर, निरहंकार, निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण , निरंजन , निराषा , निर्गुण , निर्भय , निर्वास , निराकरण , निर्वाह , निदोष , निर्जीव , निर्मूल आदि।

21. पूरा – ( पुराना , पहला ) –

पुरातत्व , पुरातन , पुरावरित्त आदि।

22. सत – (अच्छा ) –

सदाचार , सत्पुरुष , सत्कर्म , सत्संग , सद्भावना आदि।

23. दुर – ( कठिन , बुरा , विपरीत ,दुष्ट , हीन )-

दुराशा, दुराग्रह, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग, दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुर्दशा , दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह ,दुरुक्ति , दुर्जन , दुर्गम , दुर्बल , दुर्लभ , दुखद , दुरावस्था , दुर्दमनीय , दुर्भाग्य आदि।

24. दुस – ( बुरा , विपरीत , कठिन , दुष्ट , हीन )-

दुश्चिन्त, दुश्शासन, दुष्कर, दुष्कर्म, दुस्साहस, दुस्साध्य,दुष्कृत्य , दुष्प्राप्य , दु:सह आदि।

25. नि – ( बिना , विशेष , निषेध , अभाव , भीतर , नीचे , अतिरिक्त )-

निडर, निगम, निवास, निदान, निहत्थ, निबन्ध, निदेशक, निकर, निवारण, न्यून, न्याय, न्यास, निषेध, निषिद्ध ,नियुक्त , निपात , नियोग , निपात , निरूपा , निदर्शन , निवास , निरूपण , निम्न , निरोध , निकामी , निजोर आदि।

26. निस – ( बिना ,आहार , बाहर , निषेध , रहित )-

निश्चय, निश्छल, निष्काम, निष्कर्म , निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह , निस्तार , निस्सार , निश्चल , निश्चित ,निष्फल , नि:शेष आदि।

27. परा – ( विपरीत , पीछे , अधिक , अनादर , नाश )-

पराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, परावर्तन, पराविद्या, पराकाष्ठा , पराभूत , पराधीन आदि।

28. अन – ( नहीं , बुरा , अभाव , निषेध )-

अनन्त, अनादि, अनेक, अनाहूत, अनुपयोगी, अनागत, अनिष्ट, अनीह , अनुपयुक्त, अनुपम, अनुचित, अनन्य , अनजान , अनमोल , अपढ़ , अनजान , अन्थाह आदि।

29. अध् – (आधे ) –

अधमरा , अधजला , अधपका , अधखिला , अध्सेरा , अधजल , अधस्थल , अधोगति आदि।

30. उन – ( एक कम ) –

उन्नीस , उनतीस , उन्चास , उनसठ , उनहत्तर आदि।

31. औ – ( हीनता , निषेध ) –

औगुन , औघट , औसर , औढर आदि।

32. दु – ( बुरा , हीन ) –

दुकाल , दुबला आदि।

33. बिन – ( निषेध ) –

बिनजाना , बिनब्याहा , बिनबोया , बिनदेखा , बिनखाया , बिनचखा , बिनकाम आदि।

34. भर – ( पूरा , ठीक ) –

भरपेट , भरसक , भरपूर , भरदिन आदि।

35. चिर – ( बहुत , आनन्द ) –

चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी आदि।

36. तत – ( समान ) –

तत्काल , तत्सम , तत्पर आदि।

37. स्व – ( अपना ) –

स्वरोजगार , स्वतंत्र , स्वभाव आदि।

38. अपि – (आवरण )-

अपिधान आदि।

2. हिंदी के उपसर्ग :-

1. अन – (अभाव , निषेध , नहीं ) –

अनजान , अनकहा , अनदेखा , अनमोल , अनबन , अनपढ़ , अनहोनी , अछूत , अचेत , अनचाहा , अनसुना , अलग , अनदेखी आदि।

2. अध् – ( आधा ) –

अधपका , अधमरा , अधक्च्चा , अधकचरा , अधजला , अधखिला , अधगला , अधनंगा आदि।

3. उन – ( एक कम ) –

उनतीस , उनचास , उनसठ , उनहत्तर , उनतालीस , उन्नीस , उन्नासी आदि।

4. दु – (बुरा , हीन , दो , विशेष , कम ) –

दुबला , दुर्जन , दुर्बल , दुलारा , दुधारू , दुसाध्य , दुरंगा , दुलत्ती , दुनाली , दुराहा , दुपहरी , दुगुना , दुकाल आदि।

5. नि – ( रहित , अभाव , विशेष , कमी ) –

निडर , निक्कमा , निगोड़ा , निहत्था , निहाल आदि।

6. अ -( अभाव , निषेध ) –

अछुता , अथाह , अटल , अचेत आदि।

7. कु – ( बुरा , हिन् ) –

कुचाल , कुचैला , कुचक्र , कपूत , कुढंग , कुसंगति , कुकर्म , कुरूप , कुपुत्र , कुमार्ग , कुरीति , कुख्यात , कुमति आदि।

8. औ – (हीन , अब , निषेध ) –

औगुन , औघर , औसर ,औसान , औघट , औतार , औगढ़ , औढर आदि।

9. भर – ( पूरा , ठीक ) –

भरपेट , भरपूर , भरसक , भरमार , भरकम , भरपाई , भरदिन आदि।

10. सु – ( सुंदर , अच्छा ) –

सुडौल , सुजान , सुघड़ , सुफल , सुनामी , सुकाल , सपूत आदि।

11. पर – ( दूसरी पीढ़ी , दूसरा , बाद का ) –

परलोक , परोपकार , परसर्ग , परहित , परदादा , परपोता , परनाना , परदेशी , परजीवी , परकोटा , परलोक , परकाज आदि।

12. बिन – ( बिना , निषेध ) –

बिनब्याहा , बिनबादल , बिनपाए , बिनजाने , बिनखाये , बिनचाहा , बिनखाया , बिनबोया , बिनामांगा , बिनजाया , बिनदेखा , बिनमंगे आदि।

13. चौ – (चार ) –

चौपाई , चौपाया , चौराहा , चौकन्ना , चौमासा , चौरंगा , चौमुखा , चौपाल आदि।

14. उ – ( अभाव , हीनता ) –

उचक्का , उजड़ना , उछलना , उखाड़ना , उतावला , उदर , उजड़ा , उधर आदि।

15. पच – (पांच ) –

पचरंगा , पचमेल , पचकूटा , पचमढ़ी आदि।

16. ति – ( तीन ) –

तिरंगा , तिराहा , तिपाई , तिकोन , तिमाही आदि।

17 . का – ( बुरा ) –

कायर , कापुरुष , काजल आदि।

18. स – ( सहित ) –

सपूत , सफल , सबल , सगुण , सजीव ,सावधान , सकर्मक आदि।

19. चिर – (सदैव ) –

चिरकाल , चिरायु , चिरयौवन , चिरपरिचित , चिरस्थायी , चिरस्मरणीय , चिरप्रतीक्षित आदि।

20. न – (नहीं ) –

नकुल , नास्तिक , नग , नपुंसक , नगण्य , नेति आदि।

21. बहु – (ज्यादा ) –

बहुमूल्य , बहुवचन , बहुमत , बहुभुज , बहुविवाह , बहुसंख्यक , बहुपयोगी आदि।

22. आप – (स्वंय ) –

आपकाज , आपबीती , आपकही , आपसुनी आदि।

23. नाना – (विविध ) –

नानाप्रकार , नानारूप , नानाजाति , नानाविकार आदि।

24. क – (बुरा , हीन ) –

कपूत , कलंक , कठोर , कचोट आदि।

25. सम – ( समान ) –

समतल , समदर्शी , समकोण , समकक्ष आदि।

26. अव – (हीन , निषेध ) –

औगुन , औघर , औसर , औसान आदि।

3. अरबी -फारसी के उपसर्ग :-

1.दर – (में , मध्य में ) –

दरकिनार , दरमियान , दरअसल , दरकार , दरगुजर , दरहकीकत आदि।

2. कम – ( थोडा , हीन , अल्प ) –

कमजोर , कमबख्त , कमउम्र , कमअक्ल , कमसमझ , कमसिन आदि।

3. ला – (नहीं , रहित ) –

लाइलाज , लाजवाब, लापरवाह , लापता ,लावारिस , लाचार , लामानी , लाजवाल आदि।

4. ब – (के साथ , और , अनुसार ) –

बखूबी , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बनाम , बमुश्किल आदि।

5. बे – (बिना ) –

बेनाम , बेपरवाह , बेईमान , बेरहम , बेहोश , बैचैन , बेइज्जत , बेचारा , बेवकूफ , बेबुनियाद ,बेवक्त , बेतरह , बेअक्ल , बेकसूर , बेनामी , बेशक आदि।

6. बा – ( साथ से , सहित ) –

बाकायदा , बादत , बावजूद , बाहरो , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बाइंसाफ , बामुलाहिजा आदि।

7. बद – (बुरा , हीनता ) –

बदनाम , बदमाश , बदतमीज , बदबू , बदसूरत , बदकिस्मत , बदहजमी , बददिमाग , बदमजा , बदहवास , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।

8. ना – (अभाव ) –

नालायक , नाकारा , नाराज , नासमझ , नाबालिक , नाचीज , नापसंद , नामुमकिन , नामुराद , नाकामयाब , नाकाम , नापाक आदि।

9. गैर – (भिन्न , निषेध ) –

गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजिम्मेदार , गैरमुल्क , गैरवाजिब , गैरमुमकिन , गैरमुनासिब आदि।

10. हम – ( आपस में , समान , साथ वाला ) –

हमराज , हमदर्द , हमजोली , हमनाम , हमउम्र , हमदम , हमदर्दी , हमराह , हमसफर आदि।

11. हर – ( सब , प्रत्येक ) –

हरलाल , हरसाल , हरवक्त ,हररोज , हरघडी , हरएक , हरदिन , हरबार आदि।

12. खुश – (अच्छा ) –

खुसबू , खुशनसीब , खुशमिजाज , खुशदिल , खुशहाल , खुशखबरी , खुशकिस्मत आदि।

13. सर – ( मुख्य ) –

सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।

14. अल – ( अलमस्त , निश्चित , अंतिम ) –

अलबत्ता , अलबेला , अलविदा आदि।

4. अंग्रेजी के उपसर्ग :-

1. हाफ – ( आधा ) –

हाफ पेंट , हाफ बाड़ी , हाफटिकट , हाफरेट , हाफकमीज आदि।

2. सब – ( अधीन , नीचे ) –

सब पोस्टर , सब इंस्पेक्टर , सबजज , सबकमेटी , सबरजिस्टर आदि।

3. चीफ – (प्रमुख ) –

चीफ मिनिस्टर , चीफ इंजीनियर , चीफ सेक्रेटरी आदि।

4. जनरल – (प्रधान , सामान्य ) –

जनरल मैनेजर , जनरल सेक्रेटरी , जनरल इंश्योरेंस आदि।

5. हैड – ( मुख्य ) –

हैड मुंशी , हैड पंडित , हेडमास्टर , हेड क्लर्क , हेड ऑफिस , हेड कांस्टेबल आदि।

6. डिप्टी – ( सहायक ) –

डिप्टी कलेक्टर , डिप्टी रजिस्टर , डिप्टी मिनिस्टर आदि।

7. वाइस – ( सहायक , उप ) –

वाइसराय , वाइस चांसलर , वाइस प्रेजिडेंट , वाइस प्रिंसिपल आदि।

8. एक्स – ( मुक्त ) –

एक्सप्रेस , एक्स कमिश्नर , एक्स स्टूडेंट , एक्स प्रिंसिपल आदि।

5. उर्दू के उपसर्ग :-

1. अल – (निश्चित ) –

अलगरज , अलबत्ता आदि।

2. कम – ( थोडा , हीन ) –

कमजोर , कमउम्र , कमबख्त , कमसिन , कमख्याल , कमदिमाग , कमजात आदि।

3. खुश – (अच्छा ) –

खुशनसीब , खुशहाल , खुशकिस्मत , खुशदिल , खुशनुमा , खुशगवार , खुशमिजाज , खुसबू आदि।

4. गैर – (निषेध , के बिना ) –

गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजरूरी , गैरकौम , गैरहाजिब , गैरमुनासिब आदि।

5. दर – ( में ) –

दरकार , दरबार , दरमियान , दरअसल , दरहकीकत आदि।

6. ना – ( अभाव , निषेध ) –

नालायक , नासमझ , नाबालिक , नाराज , नामुमकिन , नादान , नापसंद , नामुराद , नाकामयाब , नाचीज , नापाक , नाकाम आदि।

7. बद – ( बुरा ) –

बदतर , बदनाम , बदकिस्मत , बदसूरत , बदमाश , बददिमाग , बदचलन , बदहजमी , बदमजा , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।

8. बर – (बाहर , ऊपर ) –

बरखास्त , बरदास्त , बरबाद , बरवक्त , बरकरार , बरअक्स , बरजमा आदि।

9. बे – ( बिना ) –

बेवक्त , बेझिझक , बेवकूफ , बेइज्जत , बेकाम , बेअसर , बेरहम , बेईमान , बेचारा , बेअक्ल , बेबुनियाद , बेतरह , बेमानी , बेशक आदि।

10. ला – ( बिना , रहित ) –

लाजवाब , लापता , लाचार , लावारिस , लापरवाह , लाइलाज , लामानी , लाइल्म आदि।

11. हर – ( प्रत्येक , प्रति ) –

हरदम , हरवक्त , हरपल , हरदिन , हरसाल , हरएक , हरबार आदि।

12. हम – ( समान , बराबर ) –

हमसफर , हमदर्द , हमशक्ल , हमउम्र , हमदर्दी , हमपेशा , हमराज , हमदम आदि।

13. बिल – ( के साथ , बिना ) –

बिलआखिर , बिलकुल , बिलवजह , बिलावजह , बिलाशक , बिलालिहज , बिलानागा आदि।

14. फिल /फी – ( में प्रति ) –

फ़िलहाल , फिआदमी , फीसदी आदि।

15. ब – ( और , अनुसार ) –

बनाम , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बमुश्किल आदि।

16. बा – ( सहित , अनुसार ) –

बाकायदा , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बामुलाहिजा आदि।

17. सर – ( मुख्य ) –

सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।

6. उपसर्ग की भांति प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय :-

1. का – ( निषेध ) –कापुरुष आदि।

2. कु – ( हीन ) –कुपुत्र आदि।

3. चिर – ( बहुत देर ) –

चिरकाल , चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी , चिरकुमार आदि।

4. अ – ( निषेध , अभाव ) –

अधर्म , अनीति , अनन्त , अज्ञान , अभाव , अचेत , अशोक , अकाल आदि।

5. अन – ( निषेध ) –

अनीति , अनन्त , अनागत , अनर्थ , अनादि आदि।

6. अंतर – ( भीतर ) –

अन्तर्नाद , अन्तर्ध्यान , अंतरात्मा , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर्जातीय आदि।

7. स – ( सहित ) –

सजल , सकल , सहर्ष आदि।

8. अध्: – ( नीचे ) –

अध्:पतन , अधोगति , अधोमुख , अधोलिखित आदि।

9. पुरस – ( आगे ) –

पुरस्कार , पुरस्कृत आदि।

10. पुनः – ( फिर ) –

पुनर्गमन , पुनर्जन्म , पुनर्मिलन , पुनर्लेखन , पुनर्जीवन आदि।

11. पुरा – ( पुराना ) –

पुरातत्व , पुरातन , पुरावृत आदि।

12. तिरस – ( बुरा , हीन ) –

तिरस्कार , तिरोभाव आदि।

13. सत – ( श्रेष्ठ , सच्चा ) –

सत्कार , सज्जन , सत्कार्य , सदाचार , सत्कर्म आदि।

14. अंत: – (भीतरी ) –

अंत:करण , अंत:पुर , अंतर्मन , अंतर्देशीय आदि।

15. बहिर – ( बाहर ) –

बहिर्गमन , बहिष्कार आदि।

16. सम – ( समान ) –

समकालीन , समदर्शी , समकोण ,समकालिक आदि।

17. सह – ( साथ ) –

सहकार , सहपाठी , सहयोग , सहचर आदि।

दो उपसर्गों से बने उपसर्ग :-

1. अ+नि+यंत्रित = अनियंत्रित
2. प्रति+उप+कार = प्रतुप्कार
3. परी+आ+वरण = पर्यावरण
4. अति+आ+चार = अत्याचार
5. सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान
6. अन+आ+गत = अनागत
7. वि+आ+करण = व्याकरण
8. अ+परा+जय = अपराजय
9. सत+आ+चार = सदाचार
10. निर+अभि+मान = निरभिमान
11. सु+आ+गत = स्वागत
12. अन+आ+चार = अनाचार आदि।

प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

प्रत्यय :

प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय। प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘।अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।

जैसे:-

  • समाज + इक = सामाजिक
  • सुगंध +इत = सुगंधित
  • भूलना +अक्कड = भुलक्कड
  • मीठा +आस = मिठास
  • लोहा +आर = लुहार
  • नाटक +कार =नाटककार
  • बड़ा +आई = बडाई
  • टिक +आऊ = टिकाऊ
  • बिक +आऊ = बिकाऊ
  • होन +हार = होनहार
  • लेन +दार = लेनदार
  • घट + इया = घटिया
  • गाडी +वाला = गाड़ीवाला
  • सुत +अक्कड = सुतक्कड़
  • दया +लु = दयालु

प्रत्यय के प्रकार :-

(क) संस्कृत के प्रत्यय
(ख) हिंदी के प्रत्यय
(ग) विदेशी भाषा के प्रत्यय

(क) संस्कृत के प्रत्यय क्या होते हैं :-संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं ।

जैसे:– त – आगत , विगत , कृत ।

संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-

1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय क्या होते हैं :–वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।

जैसे:– लिख +अक = लेखक

धातु + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-

(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल+ अक =लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।

(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष+ अन =पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।

(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।

(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु+ अनिय =माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।

(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल+आ =सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।

(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन+ आई =लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।

(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ+आन =उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।

(viii) हर, गिर, दशरथ, माला+ इ =हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।

(ix) छल, जड़, बढ़, घट+ इया =छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।

(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प+इत =पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।

(xi) चर्, पो, खन्+ इत्र =चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।

(xii) अड़, मर, सड़+ इयल =अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।

(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार+ ई =हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।

(xiv) इच्छ्, भिक्ष्+ उक =इच्छुक, भिक्षुक आदि ।

(xv) कृ, वच्+ तव्य =कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।

(xvi) आ, जा, बह, मर, गा+ ता =आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।

(xvii) अ, प्री, शक्, भज+ ति =अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।

(xviii) जा, खा+ ते =जाते, खाते आदि ।

(xix) अन्य, सर्व, अस्+ त्र =अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।

(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़+ न =क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।

(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा+ ना =पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।

(xxii) दा, धा+ म =दाम, धाम आदि ।

(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज+ य =गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।

(xxiv) मृग, विद्+ या =मृगया, विद्या आदि ।

(xxv) गे+रु =गेरू आदि ।

(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना+ वाला =देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।

(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव+ ऐया \ वैया =बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।

(xxviii) होना, रखना, खेवना+ हार =होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।

कृत प्रत्यय के भेद :-

1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
3. भाववाचक कृत प्रत्यय
4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
5. करणवाचक कृत प्रत्यय
6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय

1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • अक= लेखक , नायक , गायक , पाठक
  • अक्कड= भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़
  • आक= तैराक , लडाक
  • आलू= झगड़ालू
  • आकू= लड़ाकू , कृपालु , दयालु
  • आड़ी= खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी
  • इअल= अडियल , मरियल , सडियल
  • एरा= लुटेरा , बसेरा
  • ऐया= गवैया , नचैया
  • ओडा= भगोड़ा
  • वाला= पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला
  • हार= होनहार , राखनहार , पालनहार
  • ता= दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता ।

2. विशेषण वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय के क्रियापदों से विशेषण शब्द की रचना होती है उसे विशेषण वाचक कृत प्रत्यय कहते है ।

जैसे:-

  • = आगत ,विगत ,कृत
  • तव्य= कर्तव्य ,गन्तव्य
  • = नृत्य ,पूज्य , खाघ
  • अनीय=पठनीय ,पूजनीय ,शोचनीय ।

3. भाववाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं ।

जैसे:-

  • अन= लेखन , पठन , गमन , मनन , मिलन
  • ति= गति , रति , मति
  • = जय , लेख , विचार , मार , लूट , तोल
  • आवा= भुलावा , छलावा , दिखावा , बुलावा , चढावा
  • आई= कमाई , चढाई , लड़ाई , सिलाई , कटाई , लिखाई
  • आहट= घबराहट , चिल्लाहट
  • औती= मनौती , फिरौती , चुनौती , कटौती
  • अंत= भिडंत , गढंत
  • आवट= सजावट , बनावट , रुकावट , मिलावट
  • ना= लिखना , पढना
  • आन= उड़ान , मिलान , उठान , चढ़ान
  • आव= चढ़ाव , घुमाव , कटाव
  • आवट= सजावट , लिखावट , मिलावट

4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • औना= बिछौना , खिलौना
  • ना= सूँघना , पढना , खाना
  • नी= सुँघनी , छलनी
  • गा= गाना ।

5. करणवाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :-जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

  • = भटका , भूला , झूला
  • = झाड़ू
  • = रेती , फांसी , भारी , धुलाई
  • = बेलन , झाडन , बंधन
  • नी= धौंकनी , करतनी , सुमिरनी , छलनी , फूंकनी , चलनी

6. क्रिया वाचक कृत प्रत्यय क्या होता है :– जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:-

ता =डूबता , बहता , चलता
या =खोया , बोया
आ =सुखा , भूला , बैठा
ना =दौड़ना , सोना
कर =जाकर , देखकर

कृत प्रत्यय के प्रकार :-

1. विकारी कृत प्रत्यय
2. अविकारी कृत प्रत्यय

1. विकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-विकारी कृत प्रत्यय में शुद्ध संज्ञा तथा विशेषण बने होते हैं इसलिए इसे विकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।

विकारी कृत प्रत्यय के भेद :-

1. क्रियार्थक संज्ञा
2. कृतवाचक संज्ञा
3. वर्तमान कालिक कृदंत
4. भूतकालिक कृदंत

1. क्रियार्थक संज्ञा क्या होती है :-वह संज्ञा जो क्रिया के मूल रूप में होती है और क्रिया का अर्थ देती है अथार्त को का अर्थ बताने वाला वह शब्द जो क्रिया के रूप में उपस्थित होते हुए भी संज्ञा का अर्थ देता है वह क्रियाथक संज्ञा कहलाती है ।

2. कृतवाचक संज्ञा क्या होती है :-वे प्रत्यय जिनके जुड़ने पर कार्य करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक संज्ञा कहते हैं ।

3. वर्तमान कालिक कृदंत क्या होती है :-जब हम एक काम को करते हुए दूसरे काम को साथ में करते हैं तो पहले वाली की गई क्रिया को वर्तमान कालिक कृदंत कहते हैं ।

4. भूतकालिक कृदंत क्या होता है :-जब सामान्य भूतकालिक क्रिया को हुआ , हुए , हुई आदि को जोड़ने से भूतकालिक कृदंत बनता है ।

2. अविकारी कृत प्रत्यय क्या होता है :-ऐसे कृत प्रत्यय जिनकी वजह से क्रियामूलक विशेषण और अव्यय बनते है उन्हें अविकारी कृत प्रत्यय कहते हैं ।

2. तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जब संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं तद्धित प्रत्यय से मिलाकर जो शब्द बनते हैं उन्हें तद्धितांत प्रत्यय कहते हैं ।

जैसे:– सेठ+आनी = सेठानी ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पछताना, जगना , पंडित , चतुर , ठाकुर+ आइ =पछताई ,जगाई ,पण्डिताई ,चतुराई , ठकुराई आदि ।

(ii) पण्डित, ठाकुर+ आइन =पण्डिताइन, ठकुराइन आदि ।

(iii) पण्डित, ठाकुर, लड़, चतुर, चौड़ा ,अच्छा+ आई =पण्डिताई, ठकुराई, लड़ाई, चतुराई, चौड़ाई , अच्छाई आदि ।

(iv) सेठ, नौकर+ आनी =सेठ, नौकर आदि ।

(v) बहुत, पंच, अपना+आयत =बहुतायत, पंचायत, अपनायत आदि ।

(vi) लोहा, सोना, दूध, गाँव+ आर \आरा =लोहार, सुनार, दूधार, गँवार आदि ।

(vii) चिकना, घबरा, चिल्ल, कड़वा+ आहट =चिकनाहट, घबराहट, चिल्लाहट, कड़वाहट आदि ।

(viii) फेन, कूट, तन्द्र, जटा, पंक, स्वप्न, धूम+ इल =फेनिल, कुटिल, तन्द्रिल, जटिल, पंकिल, स्वप्निल, धूमिल आदि ।

(ix) कन्, वर्, गुरु, बल+ इष्ठ =कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ आदि ।

(x) सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात+ ई =सुन्दर, बोल, पक्ष, खेत, ढोलक, तेल, देहात आदि ।

(xi) ग्राम, कुल+ ईन =ग्रामीण, कुलीन आदि ।

(xii)भवत्, भारत, पाणिनी, राष्ट्र+ ईय =भवदीय, भारतीय, पाणिनीय, राष्ट्रीय आदि ।

(xiii) बच्चा, लेखा, लड़का+ ए =बच्चे, लेखे, लड़के आदि ।

(xiv) अतिथि, अत्रि, कुंती, पुरुष, राधा+ एय =आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय आदि ।

(xv) फुल, नाक+एल =फुलेल, नकेल आदि ।

(xvi) डाका, लाठी+ ऐत =डकैत, लठैत आदि ।

(xvii) अंध, साँप, बहुत, मामा, काँसा, लुट, सेवा+ एरा/ऐरा =अँधेरा, सँपेरा, बहुतेरा, ममेरा, कसेरा, लुटेरा , सवेरा आदि ।

(xviii) खाट, पाट, साँप+ ओला =खटोला, पटोला, सँपोला आदि ।

(xix) बाप, ठाकुर, मान+ औती =बपौती, ठकरौती, मनौती आदि ।

(xx) बिल्ला, काजर+ औटा =बिलौटा, कजरौटा आदि ।

(xxi) धम, चम, बैठ, बाल, दर्श, ढोल , लल+ क =धमक, चमक, बैठक, बालक, दर्शक, ढोलक , ललक आदि ।

(xxii) विशेष, ख़ास+ कर =विशेषकर, ख़ासकर आदि ।

(xxiii) खट, झट+ का =खटका, झटका आदि ।

(xxiv) भ्राता, दो+ जा =भतीजा, दूजा आदि ।

(xxv) चाम, बाछा, पंख, टाँग+ डा/डी =चमड़ा, बछड़ा, पंखड़ी, टँगड़ी आदि ।

(xxvi) रंग, संग, खप+ त =रंगत, संगत, खपत आदि ।

(xxvii) अद्य+ तन =अद्यतन आदि ।

(xxviii) गुरु, श्रेष्ठ+ तर =गुरुतर, श्रेष्ठतर आदि ।

(xxix) अंश, स्व , आ+त: =अंशतः, स्वतः , अत: आदि ।

(xxx) कम, बढ़, चढ़+ ती =कमती, बढ़ती, चढ़ती आदि ।

(xxxi) ऐ , कै , वै+ सा =ऐसा , कैसा , वैसा आदि ।

(xxxii) लेश , रंच+ मात्र =लेशमात्र , रंचमात्र आदि ।

तद्धित प्रत्यय के प्रकार :-

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
4. संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
7. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय
9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
10. गणनावाचक तद्धति प्रत्यय
11. स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय
12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय
13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा , सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सोना , लोहा , कह , चम+ आर =सुनार , लुहार , कहार , चमार आदि ।

(ii) जुआ+ आरी =जुआरी आदि ।

(iii) मजाक , रस , दुःख , आढत , मुख , रसोई+ इया =मजाकिया , रसिया , दुखिया , आढतिया , मुखिया , रसोईया आदि ।

(iv) सब्जी , टोपी , घर , गाड़ी , पान+ वाला =सब्जीवाला , टोपीवाला , घरवाला , गाड़ीवाला ,पानीवाला आदि ।

(v) पालन+ हार =पालनहार आदि ।

(vi) समझ , ईमान , दुकान , कर्ज+ दार =समझदार , ईमानदार , दुकानदार , कर्जदार आदि ।

(vii) तेल , भेद , रोग+ ई =तेली , भेदी , रोगी आदि ।

(viii) घास , कसा , ठठ , लुट+ एरा= घसेरा , कसेरा , ठठेरा , लुटेरा आदि ।

(ix) लकड , पानी , मनि+ हारा =लकडहारा , पनिहारा , मनिहारा आदि ।

(x) पाठ , लेख , लिपि+ क =पाठक , लेखक , लिपिक आदि ।

(xi) पत्र , कला , चित्र+ कार =पत्रकार , कलाकार , चित्रकार आदि ।

(xii) मछु , गेरू , ठलु+ आ =मछुआ , गेरुआ , ठलुआ आदि ।

(xiii) मशाल , खजान , मो+ ची =मशालची , खजानची , मोची आदि ।

(xiv) कारी , बाजी , जादू + कारीगर , बाजीगर , जादूगर आदि ।

2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :–इस प्रत्यय में भाव प्रकट होता है ।इसमें प्रत्यय लगने की वजह से कहीं कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाया करती है । जो प्रत्यय संज्ञा तथा विशेषण के साथ जुडकर भाववाचक संज्ञा को बनाते हैं उसे भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) देवता ,मनुष्य , पशु , महा , गुरु , लघु+ त्व =देवत्व , मनुष्यत्व , पशुत्व , महत्व , गुरुत्व , लघुत्व आदि ।

(ii) बच्चा , लडक , छुट , काला+ पन =बचपन , लडकपन , छुटपन , कालापन आदि ।

(iii) सज्जा+वट =सजावट आदि ।

(iv) चिकना+ हट =चिकनाहट आदि ।

(v) रंग+ त =रंगत आदि ।

(vi) मीठा+ आस =मिठास आदि ।

(vii) बुलाव , सराफ , चूर+ आ =बुलावा , सराफा , चूरा आदि ।

(viii) भला , बुरा , कठिन , चतुर , ऊँचा+ आई =भलाई , बुराई , कठिनाई , चतुराई , ऊँचाई आदि ।

(ix) बुढा , मोटा+ आपा =बुढ़ापा , मोटापा आदि ।

(x) खट , मीठा , भडा+ आस =खटास , मिठास , भडास आदि ।

(xi) कडवा , घबरा , झल्ला , चिकना+ आहट =कडवाहट , घबराहट , झल्लाहट , चिकनाहट आदि ।

(xii) लाली , महा , अरुण , गरी+ इमा =लालिमा , महिमा , अरुणिमा , गरिमा आदि ।

(xiii) गर्म , खेत , सर्द , गरीब+ ई =गर्मी , खेती , सर्दी , गरीबी आदि ।

(xiv) सुंदर , मूर्ख , मनुष्य , लघु , गुरु , सम , कवि , एक , बन्धु+ ता =सुन्दरता , मूर्खता , मनुष्यता , लघुता , गुरुता , समता , कविता , एकता , बन्धुता आदि ।

(xv) बाप , मान+ औती =बपौती , मनौती आदि ।

(xvi) लाघ , गौर , पाट+ अव =लाघव , गौरव , पाटव आदि ।

(xvii) पंडित , धैर , चतुर , मधु+ य =पांडित्य , धैर्य , चातुर्य , माधुर्य आदि ।

(xviii) चौड़ा+आन =चौडान आदि ।

(xix) अपना+ आयत =अपनायत आदि ।

(xx) छूट+ आरा =छुटकारा आदि ।

3. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्यय शब्दों से लघुता , प्रियता , हीनता का पता चलता हो उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) ढोल+ क =ढोलक आदि ।

(ii) छाता+ री =छतरी आदि ।

(iii) बूढी , लोटा , डिबा , खाट+ इया =बुढिया , लुटिया , डिबिया , खटिया आदि ।

(iv) टोप , कोठर , टोकन , ढोलक , मण्डल , टोकरा , पहाड़ , घन+ ई =टोपी , कोठरी , टोकनी , ढोलकी , मण्डली , टोकरी , पहाड़ी , घण्टी आदि ।

(v) छोटा , कन+ की =छोटकी , कनकी आदि ।

(vi) चोरी , कालू+ टा =चोट्टा , कलूटा आदि ।

(vii) दुःख , बछ+ डा =दुखड़ा , बछड़ा आदि ।

(viii) पाग , टूक , टांग+ डी =पगड़ी , टुकड़ी , टंगड़ी आदि ।

(ix) खाट+ ली =खटोली आदि ।

(x) बच्चा+ वा =बचवा आदि ।

(xi) लँगोट , कचौट , बहु+ टी =लंगोटी , कछौटी , बहूटी आदि ।

(xii) खाट , साँप+ ओला =खटोला , संपोला आदि ।

(xiii) ठाकुर+आ =ठकुरा आदि ।

(xiv) टीका+ ली =टिकली आदि ।

(xv) मरा+ सा =मरासा आदि ।

4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के लगने से संबंध का पता लगता है उसे संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं इसमें कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) नाना+ हाल =ननिहाल आदि ।

(ii) नाक+ एल =नकेल आदि ।

(iii) ससुर+ आल =ससुराल आदि ।

(iv) बाप+ औती =बपौती आदि ।

(v) लखनऊ , पंजाब , गुजरात , बंगाल , सिंधु+ ई =लखनवी , पंजाबी , गुजराती , बंगाली , सिंधी आदि ।

(vi) फूफा , मामा , चाचा+ ऐरा =फुफेरा , ममेरा , चचेरा आदि ।

(vii) भाई , बहन+ जा =भतीजा , भानजा आदि ।

(viii) पटना , कलकता , जबलपुर , अमृतसर+ इया =पटनिया , कलकतिया , जबलपुरिया , अमृतसरिया आदि ।

(ix) शरीर , नीति , धर्म , अर्थ , लोक , वर्ष , एतिहास+ इक =शारीरिक , नैतिक , धार्मिक , आर्थिक , लौकिक , वार्षिक , ऐतिहासिक आदि ।

(x) दया , श्रद्धा+ आलु =दयालु , श्रद्धालु आदि ।

(xi) फल , पीड़ा , प्रचल , दुःख , मोह+ इत =फलित , पीड़ित , प्रचलित , दुखित , मोहित आदि ।

(xii) रस , रंग , जहर+ ईला =रसीला , रंगीला , जहरीला आदि ।

(xiii) भारत , प्रान्त , नाटक , भवद+ ईय =भारतीय , प्रांतीय , नाटकीय , भवदीय आदि ।

(xiv) विष+ ऐला =विषैला आदि ।

(xv) कठिन+ तर =कठिनतर आदि ।

(xvi) बुद्धि+ मान =बुद्धिमान आदि ।

(xvii) पुत्र , मातृ+ वत =पुत्रवत , मातृवत आदि ।

(xviii) इक+ हरा =इकहरा आदि ।

(xix) नन्द+ ओई =ननदोई आदि ।

(xx) ग्राम , काम , हास् , भव+ य =ग्राम्य , काम्य , हास्य , भव्य आदि ।

(xxi) जट , फेन , बोझ , पंक+ इल =जटिल , फेनिल , बोझिल , पंकिल आदि ।

(xxii) स्वर्ण , अंत , रक्ति+ इम =स्वर्णिम , अंतिम , रक्तिम आदि ।

5. अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द के आंतरिक रूप में परिवर्तन हो जाता है और शब्द का अर्थ अपत्य हो जाता है । इनसे संतान या वंश में पैदा हुए व्यक्ति का बोध होता है उसे अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।इस प्रत्यय में कभी कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार से हैं :-

(i) वसुदेव , मनु , कुरु , रघु , यदु , विष्णु , कुन्ती +अ =वासुदेव , मानव , कौरव , राघव , यादव , वैष्णव , कौन्तेय आदि ।

(ii) नर+ आयन =नारायण आदि ।

(iii) राधा , गंगा , भागिन+ एय =राधेय , गांगेय , भागिनेय आदि ।

(iv) दिति , आदित+ य =दैत्य , आदित्य आदि ।

(v) दशरथ , वाल्मिक , सौमित्र , जनक , द्रोपद , गांधार+ ई =दाशरथि , वाल्मिकी , सौमित्री , जानकी , द्रोपदी , गांधारी आदि ।

6. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से पदार्थ के गुणों का बोध होता है उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं । इस प्रत्यय से संज्ञा शब्द गुन्वाची हो जाता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) भूख , प्यास , ठंड , मीठ+ आ =भूखा , प्यासा , ठंडा , मीठा आदि ।

(ii) निशा+ अ =नैश आदि ।

(iii) शरीर , नगर , इतिहास+ इक =शारीरिक , नागरिक , ऐतिहासिक आदि ।

(iv) पक्ष , धन , लोभ , क्रोध , गुण , विद्याथ , सुख , ज्ञान , जंगल+ ई =पक्षी , धनी , लोभी , क्रोधी , गुणी , विद्यार्थी , सुखी , ज्ञानी , जंगली आदि ।

(v) बुद्ध+ ऊ =बुद्धू आदि ।

(vi) छूत+ हा =छुतहर आदि ।

(vii) गांजा+ एडी =गंजेड़ी आदि ।

(viii) शाप , पुष्प , आनन्द , क्रोध+ इत =शापित , पुष्पित , आनन्दित , क्रोधित आदि ।

(ix) लाल+ इमा =लालिमा आदि ।

(x) वर+ इष्ठ =वरिष्ठ आदि ।

(xi) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।

(xii) मधु+ र =मधुर आदि ।

(xiii) वत्स+ ल =वत्सल आदि ।

(xiv) माया+ वी =मायावी आदि ।

(xv) कर्क+ श =कर्कश आदि ।

(xvi) चमक , भडक , रंग , सज+ ईला =चमकीला , भडकीला , रंगीला , सजीला आदि ।

(xvii) वांछन , अनुकरण , भारत , रमण+ ईय =वांछनीय , अनुकरणीय , भारतीय , रमणीय आदि ।

(xviii) कृपा , दया , शंका+ लू =कृपालु , दयालु , शंकालु आदि ।

(xix) विष , कस+ ऐला =विषैला , कसैला आदि ।

(xx) दया , कुल+ वंत =दयावन्त , कुलवंत आदि ।

(xxi) गुण , रूप , बल , विद+ वान =गुणवान , रूपवान , बलवान , विद्वान् आदि ।

(xxii) बुद्धि , शक्ति , गति , आयुष+ मान =बुद्धिमान , शक्तिमान , गतिमान , आयुष्मान आदि ।

(xxiii) पश्चात् , पौर्वा , दक्षिण+ त्य =पश्चात्य , पौर्वात्य , दक्षिणात्य आदि ।

(xxiv) सुन+ हरा =सुनहरा आदि ।

(xxv) रूप+ हला =रुपहला आदि ।

7. स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्थान का पता चलता है वहाँ पर स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय होता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) गुजरात , पंजाब , बंगाल , जर्मन+ ई =गुजरती , पंजाबी , बंगाली , जर्मनी आदि ।

(ii) पटना , मुम्बई , नागपुर , जयपुर+ इया =पटनिया , मुम्बईया , नागपुरिया , जयपुरिया आदि ।

(iii) चारा+ गाह =चारागाह आदि ।

(iv) आगा+ आड़ी =अगाड़ी आदि ।

(v) सर्व , यद , तद+ त्र =सर्वत्र , यत्र , तत्र आदि ।

(vi) डेरे , दिल्ली , बनारस , सुरत , चाय+ वाला =डेरेवाला , दिल्लीवाला , बनारसवाला , सुरतवाला , चायवाला आदि ।

(vii) कलक , तिरहु+ तिया =कलकतिया , तिरहुतिया आदि ।

8. अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण आदि पदों के अंत में आँ, अ ओं , तना , भर आदि बहुत से प्रत्यय जोडकर अव्यय वाचक तद्धित प्रत्यय बनाए जाते हैं ।

पद + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सर्व+ दा =सर्वदा आदि ।

(ii) एक+ त्र =एकत्र आदि ।

(iii) कोस+ ओं =कोसों आदि ।

(iv) आप+ स =आपस आदि ।

(v) यह+ आँ =यहाँ आदि ।

(vi) दिन+ भर =दिनभर आदि ।

(vii) धीर+ ए =धीरे आदि ।

(viii) तड़का+ ए =तडके आदि ।

(ix) पीछा+ ए =पीछे आदि ।

9. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सुन , रूप+ हरा =सुनहरा , रूपहरा आदि ।

(ii) पीला , नीला , काला+ सा =पीला सा , नीला सा , काला सा आदि ।

10. गणना वाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को जोड़ने से शब्दों में संख्या का पता चले उसे गणना वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पह+ ला =पहला आदि ।

(ii) दुस , तीन+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।

(iii) इक , दु , ति+ हरा =इकहरा , दुहरा , तिहरा आदि ।

(iv) पांच , सात , दस+ वाँ =पांचवां , सातवाँ , दसवां आदि ।

(v) चौ+था =चौथा आदि ।

(vi) दो +गुना =दोगुना आदि ।

11. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्यय की वजह से संज्ञा , सर्वनाम और विशेषण के साथ लगकर उनके स्त्रीलिंग होने का भेद उत्पन्न हो उन्हें स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जिन प्रत्ययों को लगाने से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) देवा , जेठ , नौकर+ आनी =देवरानी , जेठानी , नौकरानी आदि ।

(ii) रूद्र , इंद्र+ आणी =रुद्राणी , इन्द्राणी आदि ।

(iii) देव , लड़का+ ई =देवी , लडकी आदि ।

(iv) सुत , प्रिय ,छात्र , अनुज+ आ =सुता , प्रिया , छात्रा , अनुजा आदि ।

(v) धोबी , बाघ , माली+ इन =धोबिन , बाघिन , मालिन आदि ।

(vi) ठाकुर , मुंशी+ आइन =ठकुराइन , मुंशियाइन आदि ।

(vii) शेर , मोर+ नी =शेरनी , मोरनी आदि ।

12. तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-दो या ज्यादा वस्तुओं में श्रेष्ठता बताने के लिए तारतम्य वाचक तद्धित प्रत्यय प्रयोग किया जाता है ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) अधिक , गुरु , लघु+ तर =अधिकतर , गुरुतर , लघुतर आदि ।

(ii) सुंदर , अधिक , लघु+ तम =सुन्दरतम , अधिकतम , लघुतम आदि ।

(iii) गर , वर+ ईय =गरिय , वरीय आदि ।

(iv) गर , वर , कन+ इष्ठ =गरिष्ठ , वरिष्ठ , कनिष्ठ आदि ।

13. पूर्णतावाचक तद्धित प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों को लगाने से शब्द में संख्या की पूर्णता का बोध होता है उसे ही पूर्णता वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) प्रथ , पंच , सप्त , नव , दश+ म =प्रथम , पंचम , सप्तम , नवम , दशम आदि ।

(ii) चतुर +थ =चतुर्थ आदि ।

(iii) पष+ ठ =पष्ठ आदि ।

(iv) द्वि , तृ+ तीय =द्वितीय , तृतीय आदि ।

(ख) हिंदी के प्रत्यय क्या होते हैं :-

हिंदी के प्रत्ययों को भी संस्कृत के प्रत्ययों की तरह ही जोड़ा जाता है लेकिन इन दोनों में इतना अंतर होता है की संस्कृत में कृत और तद्धित प्रत्यय होते हैं लेकिन हिंदी में तद्भव और देशज प्रत्यय होते हैं । हिंदी के भी अनेक प्रत्ययों को प्रयोग किया जाता है ।इतिहास के अनुसार हिंदी के प्रत्ययों को चार भागों में बांटा गया है ।

हिंदी के भाग :-

1. तत्सम प्रत्यय
2. तद्भव प्रत्यय
3. देशज प्रत्यय
4. विदेशज प्रत्यय

1. तत्सम प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)– ( स्त्री प्रत्यय , भाववाचक प्रत्यय ) – आदरनीया , प्रिया , माननीया , सुता , इच्छा , पूजा आदि ।

(ii)आनी– ( स्त्री प्रत्यय ) – देवरानी , सेठानी , नौकरानी , भवानी , मेहतरानी आदि ।

(iii)आलु– ( विशेषण प्रत्यय , वाला ) – कृपालु , दयालु , निद्रालु , श्रद्धालु आदि ।

(iv)इत– ( विशेषण प्रत्यय , युक्त ) – पल्लवित , पुष्पित , फलित , हर्षित , निर्मित आदि ।

(v)इमा– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गरिमा , मधुरिमा , लालिमा , महिमा , नीलिमा आदि ।

(vi)इक– ( विशेषण प्रत्यय , संज्ञा प्रत्यय ) – दैनिक , वैज्ञानिक , वैदिक , लौकिक , भौतिक आदि ।

(vii)– (स्वार्थ , समूह ) – घटक , ठंडक , भटक , शतक , सप्तक आदि ।

(viii)कार– (लिखने वाला , बनाने वाला , वाला ) – पत्रकार , जानकार शिल्पकार आदि ।

(ix)– ( जन्मा हुआ ) – अंडज , पिंडज , जलज , पंकज , देशज , विदेशज आदि ।

(x)जीवी– ( जीनेवाला ) – परजीवी , बुद्धजीवी , लघुजीवी , दीर्घजीवी आदि ।

(xi)ज्ञ– ( जाननेवाला ) – अज्ञ , निर्वज्ञ , सर्वज्ञ , विज्ञ , मर्मज्ञ आदि ।

(xii): – ( क्रिया विशेषण प्रत्यय ) – लघुतया , विशेषतया , मुख्यतया , सामान्यतया आदि ।

(xiii)तर– ( तुलना बोधक प्रत्यय ) – उच्चतर , अधिकतर , निम्नतर , सुन्द्रतर , श्रेष्ठतर आदि ।

(xiv)तम– ( सर्वधिकता बोधक प्रत्यय ) – उच्चतम , लघुतम , अधिकतम , महत्तम , निकृष्टतम आदि ।

(xv)ता– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – सुन्दरता , नवीनता , मधुरता , अधिकता आदि ।

(xvi)त्व– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – कृतित्व , ममत्व , महत्व , सतीत्व , जनित्व , आदि ।

(xvii)मान– ( विशेषण वाचक प्रत्यय ) – स्वाभिमान , मेहमान , निर्मान आदि ।

(xviii)वान– ( वाला ) – गुणवान , धनवान , बलवान , रूपवान आदि ।

2. तद्भव प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)अंगड– ( वाला ) – बतंगड , कटंगड आदि ।

(ii)अंतू– ( वाला ) – रटंतू , घुमंतू , जीवंतू आदि ।

(iii)अत– ( संज्ञा प्रत्यय ) – खपत , लिखत , रंगत ,चढत , पढ्त आदि ।

(iv)आँध– ( संज्ञा प्रत्यय ) – विषांध , सरांध आदि ।

(v)– ( भाववाचक प्रत्यय ) – जोड़ा , फोड़ा , रगडा , झगड़ा , तगड़ा आदि ।

(vi)आई– ( भाववाचक प्रत्यय ) – कठिनाई , बुराई , सफाई , लिखाई , छपाई , जमाई आदि ।

(vii)आऊ– ( वाला ) – खाऊ , टिकाऊ , बिकाऊ , पण्डिताऊ , जडाऊ आदि ।

(viii)आप/आपा – ( भाववाचक प्रत्यय ) – मिलाप , अपनापा , पुजापा , बुढ़ापा आदि ।

(ix)आर– ( करनेवाला ) – कुम्हार , लुहार , चम्हार , त्यौहार आदि ।

(x)आरा– ( करनेवाला ) – घसियारा , हथियारा आदि ।

(xi)आरी– ( करनेवाला ) – पुजारी , भिखारी , जुआरी आदि ।

(xii)आलू– ( करनेवाला ) – कृपालु , झगड़ालू , दयालु आदि ।

(xiii)आवट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – लिखावट , सजावट , बनावट , कसावट , बिनावट आदि ।

(xiv)आस– ( इच्छावाचक प्रत्यय ) – छपास , लिखास , निकास , प्यास , खास आसी ।

(xv)आहत– ( भाववाचक प्रत्यय ) – भलमनसाहत आदि ।

(xvi)आहट– ( भाववाचक प्रत्यय ) – गडगडाहट , घबराहट , चिल्लाहट आदि ।

(xvii)इन– ( स्त्री प्रत्यय ) – जुलाहिन , ठकुराइन , तेलिन , पुजारिन , सेठाइन आदि ।

(xviii)इया– ( वाला , लघुत्व , बोधक , स्त्री प्रत्यय ) – चुटिया , घटिया , चुहिया , डिबिया , भोजपुरिया , जयपुरिया , नागपुरिया , कनौजिया आदि ।

(xix)इला– ( वाला ) – चमकीला , भडकीला , पथरीला , शर्मिला , उर्मिला आदि ।

(xx)एरा– ( वाला ) – चचेरा , ममेरा , बहुतेरा , फुफेरा आदि ।

(xxi)औडा / औडी– ( लिंगवाचक प्रत्यय ) – सेवड़ा , रेवड़ी , पकौड़ा आदि ।

(xxii)– ( भाववाचक प्रत्यय ) – चाहत , मिल्लत , मोहित , लिखित आदि ।

(xxiii)ता– ( कर्मवाचक प्रत्यय ) – आता , सोता , खाता , पिता , पीता , जगता , जाता आदि ।

(xxiv)पन– ( भाववाचक प्रत्यय ) – बचपन , पागलपन , बड़प्पन , लडकपन , छुटपन आदि ।

(xxv)वाला– ( कृतवाचक प्रत्यय , विशेषण प्रत्यय ) – अपनेवाला , ऊपरवाला , खानेवाला, जानेवाला , लालवाला , लिखनेवाला , छापनेवाला आदि ।

3. देशज प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)अक्कड़– ( वाला ) – घुमक्कड़ ,पियक्कड़ , भुलक्कड़ आदि ।

(ii)अड़– ( स्वार्थिक ) – अंधड़ , भुक्खड़ आदि ।

(iii)आक– ( भाववाचक प्रत्यय ) – खर्राटा , फर्राटा , सर्राटा आदि ।

(iv)इयल– ( वाला ) – अडियल , दढ़ियल , सडियल आदि ।

4. विदेशज प्रत्यय :-विदेशज प्रत्यय को दो भागों में बाँटा जाता है ।

विदेशज के भाग :-
1. अरबी फारसी प्रत्यय
2. अंगेजी प्रत्यय

1. अरबी फारसी प्रत्यय :-
प्रत्यय = अर्थ = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)-( भाववाचक प्रत्यय ) – सफेदा , खराबा आदि ।

(ii)आना– ( भाववाचक , विशेषण वाचक प्रत्यय ) – जुर्माना , दस्ताना , मर्दाना ,मस्ताना , दस्ताना आदि ।

(iii)आनी– ( संबंधवाचक प्रत्यय ) – जिस्मानी , मर्दानी , बर्फानी , रूहानी आदि ।

(iv)कार– ( करनेवाला ) – काश्तकार , शिल्पकार , दस्तकार , पेशकार , सलाहकार आदि ।

(v)खोर– ( खाने वाला ) – गमखोर , घूसखोर , रिश्वतखोर , हरामखोर आदि ।

(vi)गार– ( करनेवाला ) – परहेजगार , मददगार , यादगार , रोजगार , बेरोजगार आदि ।

(vii)गी– ( भाववाचक संज्ञा प्रत्यय ) – जिन्दगी , गंदगी , बन्दगी आदि ।

(viii)चा– ( वाला ) – देगचा , बगीचा आदि ।

(ix)ची– ( वाला ) – बगीची , इलायची , डोलची , संदुकची आदि ।

(x)दान– ( स्थिति वाचक ) – इत्रदान , कलमदान , पीकदान आदि ।

(xi)दार– ( वाला ) – ईमानदार , कर्जदार दुकानदार , मालदार आदि ।

(xii)नाक– ( वाला ) – खतरनाक , खौफनाक , दर्दनाक ,शर्मनाक आदि ।

(xiii)बान– ( वाला ) – दरबान , बागबान , मेजबान आदि ।

(xiv)मंद– (वाला ) – अक्लमंद , जरुरतमन्द आदि ।

2. अंग्रेजी प्रत्यय :-

(i)इज्म– ( वाद , मत ) – कम्युनिज्म , बुद्धिज्म , सोशिलिज्म आदि ।

(ii)इस्ट– ( वादी , व्यक्ति ) – कम्युनिष्ट , बुद्धिस्ट , सोशलिष्ट आदि ।

हिंदी के वर्ग :-

1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय
2. भाववाचक प्रत्यय
3. संबंध वाचक प्रत्यय
4. लघुतावाचक प्रत्यय
5. गणना वाचक प्रत्यय
6. सादृश्यवाचक प्रत्यय
7. गुणवाचक प्रत्यय
8. स्थान वाचक प्रत्यय

1. कर्त्तृवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से कार्य करने वाले का पता चले उसे कर्त्तृवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) सोना , लोहा , चम , कुम्ह+ आर =सुनार , लोहार , चमार , कुम्हार आदि ।

(ii) चट ,खद , नद+ ओरा =चटोरा , खदोरा , नदोरा आदि ।

(iii) दुःख , सुख , रस+ इया =दुखिया , सुखिया , रसिया आदि ।

(iv) मर , सड , दढ़+ इयल =मरियल , सडियल , दढ़ियल आदि ।

(v) साँप , लुट , कस , लखे+ एरा =सपेरा, लुटेरा, कसेरा, लखेरा आदि ।

(vi) घर , तांगा , झाड़ू , मोटर , रख , लिखना+ वाला =घरवाला, ताँगेवाला, झाड़ूवाला, मोटरवाला , रखवाला , लिखनेवाला आदि ।

(vii) गा , रख , खी+ वैया =गवैया, नचैया, रखवैया, खिवैया आदि ।

(viii) लकड़ी , पानी+ हारा =लकड़हारा, पनिहारा आदि ।

(ix) राख , चाख+ हार =राखनहार, चाखनहार आदि ।

(x) भूल , घूम , पिय+ अक्कड़ =भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़ आदि ।

(xi) लड़+ आकू =लड़ाकू आदि ।

(xii) खेल+ आड़ी =खिलाडी आदि ।

(xiii) भाग+ओडा =भगोड़ा आदि ।

2. भाववाचक प्रत्यय क्या होता है :- जिन प्रत्ययोंके प्रयोग से भाव का पता चलता है उसे भाववाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) प्यास , सुख , रुख , लेख , भूख+ आ =प्यासा , सूखा , रुखा , लेखा , भूखा आदि ।

(ii) मीठा , रंग , सिल , भला+ आई =मिठाई, रंगाई, सिलाई, भलाई आदि ।

(iii) धम , धड , भड+ आका =धमाका, धड़ाका, भड़ाका आदि ।

(iv) मोटा , बुढा , रंड+ आपा =मुटापा, बुढ़ापा, रण्डापा आदि ।

(v) चिकना , कडवा , घबडा , गरमा , घबरा+ आहट =चिकनाहट, कड़वाहट, घबड़ाहट, गरमाहट , घबराहट आदि ।

(vi) मीठा , खट , भड+ आस= मिठास, खटास, भड़ास आदि ।

3. संबंध वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से संबंध का पता चलता है उसे संबंध वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) बहन , नन्द , रस+ ओई =बहनोई, ननदोई, रसोई आदि ।

(ii) खेल , पह , अन+ आड़ी =खिलाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी आदि ।

(iii) चाचा , मामा , मौसा , फूफा+ एरा =चचेरा, ममेरा, मौसेरा, फुफेरा आदि ।

(iv) लोहा , सोना , मनी+ आरी =लुहारी, सुनारी, मनिहारी आदि ।

(v) नानी , ससुर+ आल =ननिहाल, ससुराल आदि ।

4. लघुता वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से लघुता या न्यूनता का बोध होता है उसे लघुता वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) रस्सा , कटोरा , टोकरा , ढोलक , लिखना + ई = रस्सी, कटोरी, टोकरी, ढोलकी , लिखाई आदि ।

(ii) टांग , टुक , पग , बछ + डी = टंगड़ी , टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी आदि ।

(iii) खाट , लोटा , चोटी , डीबी , पुड़ी + इया = खटिया, लुटिया, चुटिया, डिबिया, पुड़िया आदि ।

(iv) मुख , दुःख , चम + डा = मुखड़ा, दुखड़ा, चमड़ा आदि ।

(v) खाट , मध , साँप + ओला = खटोला, मझोला, सँपोला आदि ।

5. गणना वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से गणना वाचक संख्या का पता चले उसे गणना वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) चौ+ था =चौथा आदि ।

(ii)दुस , तिस+ रा =दूसरा , तीसरा आदि ।

(iii) पह+ ला =पहला आदि ।

(iv) पाँच , दस , सात , आठ+ वाँ =पाँचवाँ , दसवाँ , सातवाँ , आठवाँ आदि ।

6. सादृश्यवाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों के बीच समानता का पता चले उसे सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) मुझ , तुझ , नीला , चाँद , गुलाब , कमल + सा = मुझ–सा, तुझ–सा, नीला–सा, चाँद–सा, गुलाब–सा ,कमल सा आदि ।

(ii) दु , ति , चौ + हरा = दुहरा, तिहरा, चौहरा आदि ।

(iii) सुन , रूप + हला = सुनहला , रुपहला आदि ।

7. गुणवाचक प्रत्यय क्या होता है :– जिन प्रत्ययों को प्रयोग करने से गुण का पता चले उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार है :-

(i) मीठ , ठंड , प्यास , भूख , प्यार+ आ =मीठा, ठंडा, प्यासा, भूखा, प्यारा आदि ।

(ii) लच , गँठ , सज , रंग , चमक , रस+ ईला =लचीला, गँठीला, सजीला, रंगीला, चमकीला, रसीला आदि ।

(iii) मटम , कष , विष+ ऐला =मटमैला, कषैला, विषैला आदि ।

(iv) बट , पंडित , नामधार , खट+ आऊ =बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ आदि ।

(v) कला , कुल , दया+ वन्त =कलावन्त, कुलवन्त, दयावन्त आदि ।

(vi) मूर्ख , लघु , कठोर , मृदु+ ता =मूर्खता, लघुता, कठोरता, मृदुता आदि ।

8. स्थान वाचक प्रत्यय क्या होता है :-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से किसी स्थान का पता चले उसे स्थान वाचक प्रत्यय कहते हैं ।

शब्द + प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i) पंजाब , गुजरात , मराठ , अजमेर , बीकानेर , बनारस , जयपुर+ ई =पंजाबी, गुजराती, मराठी, अजमेरी, बीकानेरी, बनारसी, जयपुरी आदि ।

(ii) अमृतसर , भोजपुर , जयपुर , जमिलपुर+ इया =अमृतसरिया, भोजपुरिया, जयपुरिया, जालिमपुरिया आदि ।

(iii) हरी , राजपूत , तेलंगा+ आना =हरियाना, राजपूताना, तेलंगाना आदि ।

(iv) हरियाणा , देहल+ वी =हरियाणवी, देहलवी आदि ।

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले बहुत से उदहारण इस प्रकार हैं :-

1.– शैव, वैष्णव, तैल, पार्थिव, मानव, पाण्डव, वासुदेव, लूट, मार, तोल, लेख, पार्थ, दानव, यादव, भार्गव, माधव, जय, लाभ, विचार, चाल, लाघव, शाक्त, मेल, बौद्ध।

2.अक– चालक, पावक, पाठक, लेखक, पालक, विचारक, खटक, धावक, गायक, नायक, दायक।

3.अक्कड़– भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़, रुअक्कड़, फक्कड़, लक्कड़।

4.अंत– गढ़ंत, लड़ंत, भिड़ंत, रटंत, लिपटंत, कृदन्त, फलंत।

5.अन्तर– रुपान्तर, मतान्तर, मध्यान्तर, समानान्तर, देशांतर, भाषांतर।

6.अतीत– कालातीत, आशातीत, गुणातीत, स्मरणातीत।

7.अंदाज– तीरंदाज, गोलंदाज, बर्कंदाज, बेअंदाज।

8.अंध– सड़ांध, मदांध, धर्माँध, जन्मांध, दोषांध।

9.अधीन– कर्माधीन, स्वाधीन, पराधीन, देवाधीन, विचाराधीन, कृपाधीन, निर्णयाधीन, लेखकाधीन, प्रकाशकाधीन।

10.अन– लेखन, पठन, वादन, गायन, हवन, गमन, झाड़न, जूठन, ऐँठन, चुभन, मंथन, वंदन, मनन, चिँतन, ढ़क्कन, मरण, चलन, जीवन।

11.अना– भावना, कामना, प्रार्थना।

12.अनीय– तुलनीय, पठनीय, दर्शनीय।

13.अन्वित– क्रोधान्वित, दोषान्वित, लाभान्वित, भयान्वित, क्रियान्वित, गुणान्वित।

14.अन्वय– पदान्वय, खंडान्वय।

15.अयन– रामायण, नारायण, अन्वयन।

16.– प्यासा, लेखा, फेरा, जोड़ा, प्रिया, मेला, ठंडा, भूखा, छाता, छत्रा, हर्जा, खर्चा, पीड़ा, रक्षा, झगड़ा, सूखा, रुखा, अटका, भटका, मटका, भूला, बैठा, जागा, पढ़ा, भागा, नाचा, पूजा, मैला, प्यारा, घना, झूला, ठेला, घेरा, मीठा।

17.आइन– ठकुराइन, पंडिताइन, मुंशियाइन।

18.आई– लड़ाई, चढ़ाई, भिड़ाई, लिखाई, पिसाई, दिखाई, पंडिताई, भलाई, बुराई, अच्छाई, बुनाई, कढ़ाई, सिँचाई, पढ़ाई, उतराई।

19.आऊ– दिखाऊ, टिकाऊ, बटाऊ, पंडिताऊ, नामधराऊ, खटाऊ, चलाऊ, उपजाऊ, बिकाऊ, खाऊ, जलाऊ, कमाऊ, टरकाऊ, उठाऊ।

20.आक– लड़ाक, तैराक, चालाक, खटाक, सटाक, तड़ाक, चटाक।

21.आका– धमाका, धड़ाका, भड़ाका, लड़ाका, फटाका, चटाका, खटाका, तड़ाका, इलाका।

22.आकू– लड़ाकू, पढ़ाकू, उड़ाकू, चाकू।

23.आकुल– भयाकुल, व्याकुल।

24.आटा– सन्नाटा, खर्राटा, फर्राटा, घर्राटा, झपाटा, थर्राटा।

25.आड़ी– कबाड़ी, पहाड़ी, अनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी, पिछाड़ी।

26.आढ्य– धनाढ्य, गुणाढ्य।

27.आतुर– प्रेमातुर, रोगातुर, कामातुर, चिँतातुर, भयातुर।

28.आन– उड़ान, पठान, चढ़ान, नीचान, उठान, लदान, मिलान, थकान, मुस्कान।

29.आना– नजराना, हर्जाना, घराना, तेलंगाना, राजपूताना, मर्दाना, जुर्माना, मेहनताना, रोजाना, सालाना।

30.आनी– देवरानी, जेठानी, सेठानी, गुरुआनी, इंद्राणी, नौकरानी, रूहानी, मेहतरानी, पंडितानी।

31.आप– मिलाप, विलाप, जलाप, संताप।

32.आपा– बुढ़ापा, मुटापा, रण्डापा, बहिनापा, जलापा, पुजापा, अपनापा।

33.आब– गुलाब, शराब, शबाब, कबाब, नवाब, जवाब, जनाब, हिसाब, किताब।

34.आबाद– नाबाद, हैदराबाद, अहमदाबाद, इलाहाबाद, शाहजहाँनाबाद।

35.आमह– पितामह, मातामह।

36.आयत– त्रिगुणायत, पंचायत, बहुतायत, अपनायत, लोकायत, टीकायत, किफायत, रियायत।

37.आयन– दांड्यायन, कात्यायन, वात्स्यायन, सांस्कृत्यायन।

38.आर– कुम्हार, सुनार, लुहार, चमार, सुथार, कहार, गँवार, नश्वार।

39.आरा– बनजारा, निबटारा, छुटकारा, हत्यारा, घसियारा, भटियारा।

40.आरी– पुजारी, सुनारी, लुहारी, मनिहारी, कोठारी, बुहारी, भिखारी, जुआरी।

41.आरु– दुधारु, गँवारु, बाजारु।

42.आल– ससुराल, ननिहाल, घड़ियाल, कंगाल, बंगाल, टकसाल।

43.आला– शिवाला, पनाला, परनाला, दिवाला, उजाला, रसाला, मसाला।

44.आलु– ईर्ष्यालु, कृपालु, दयालु।

45.आलू– झगड़ालू, लजालू, रतालू, सियालू।

46.आव– घेराव, बहाव, लगाव, दुराव, छिपाव, सुझाव, जमाव, ठहराव, घुमाव, पड़ाव, बिलाव।

47.आवर– दिलावर, दस्तावर, बख्तावर, जोरावर, जिनावर।

48.आवट– लिखावट, थकावट, रुकावट, बनावट, तरावट, दिखावट, सजावट, घिसावट।

49.आवना– सुहावना, लुभावना, डरावना, भावना।

50.आवा– भुलावा, बुलावा, चढ़ावा, छलावा, पछतावा, दिखावा, बहकावा, पहनावा।

51.आहट– कड़वाहट, चिकनाहट, घबराहट, सरसराहट, गरमाहट, टकराहट, थरथराहट, जगमगाहट, चिरपिराहट, बिलबिलाहट, गुर्राहट, तड़फड़ाहट।

52.आस– खटास, मिठास, प्यास, बिँदास, भड़ास, रुआँस, निकास, हास, नीचास, पलास।

53.आसा– कुहासा, मुँहासा, पुंडासा, पासा, दिलासा।

54.आस्पद– घृणास्पद, विवादास्पद, संदेहास्पद, उपहासास्पद, हास्यास्पद।

55.ओई– बहनोई, ननदोई, रसोई, कन्दोई।

56.ओड़ा– भगोड़ा, हँसोड़ा, थोड़ा।

57.ओरा– चटोरा, कटोरा, खदोरा, नदोरा, ढिँढोरा।

58.ओला– खटोला, मँझोला, बतोला, बिचोला, फफोला, सँपोला, पिछोला।

59.औटा– बिलौटा, हिरनौटा, पहिलौटा, बिनौटा।

60.औता– फिरौता, समझौता, कठौता।

61.औती– चुनौती, बपौती, फिरौती, कटौती, कठौती, मनौती।

62.औना– घिनौना, खिलौना, बिछौना, सलौना, डिठौना।

63.औनी– घिनौनी, बिछौनी, सलौनी।

64.इंदा– परिँदा, चुनिँदा, शर्मिँदा, बाशिँदा, जिन्दा।

65.– दाशरथि, मारुति, राघवि, वारि, सारथि, वाल्मीकि।

66.इक– मानसिक, मार्मिक, पारिश्रमिक, व्यावहारिक, ऐतिहासिक, पार्श्विक, सामाजिक, पारिवारिक, औपचारिक, भौतिक, लौकिक, नैतिक, वैदिक, प्रायोगिक, वार्षिक, मासिक, दैनिक, धार्मिक, दैहिक, प्रासंगिक, नागरिक, दैविक, भौगोलिक।

67.इका– नायिका, पत्रिका, निहारिका, लतिका, बालिका, कलिका, लेखिका, सेविका, प्रेमिका।

68.इकी– वानिकी, मानविकी, यांत्रिकी, सांख्यिकी, भौतिकी, उद्यानिकी।

69.इत– लिखित, कथित, चिँतित, याचित, खंडित, पोषित, फलित, द्रवित, कलंकित, हर्षित, अंकित, शोभित, पीड़ित, कटंकित, रचित, चलित, तड़ित, उदित, गलित, ललित, वर्जित, पठित, बाधित, रहित, सहित।

70.इतर– आयोजनेतर, अध्ययनेतर, सचिवालयेतर।

71.इत्य– लालित्य, आदित्य, पांडित्य, साहित्य, नित्य।

72.इन– मालिन, कठिन, बाघिन, मालकिन, मलिन, अधीन, सुनारिन, चमारिन, पुजारिन, कहारिन।

73.इनी– भुजंगिनी, यक्षिणी, सरोजिनी, वाहिनी, हथिनी, मतवालिनी।

74.इम– अग्रिम, रक्तिम, पश्चिम, अंतिम, स्वर्णिम।

75.इमा– लालिमा, गरिमा, लघिमा, पूर्णिमा, हरितिमा, मधुरिमा, अणिमा, नीलिमा, महिमा।

76.इयत– इंसानियत, कैफियत, माहियत, हैवानित, खासियत, खैरियत।

77.इयल– मरियल, दढ़ियल, चुटियल, सड़ियल, अड़ियल।

78.इया– लठिया, बिटिया, चुटिया, डिबिया, खटिया, लुटिया, मुखिया, चुहिया, बंदरिया, कुतिया, दुखिया, सुखिया, आढ़तिया, रसोइया, रसिया, पटिया, चिड़िया, बुढ़िया, अमिया, गडरिया, मटकिया, लकुटिया, घटिया, रेशमिया, मजाकिया, सुरतिया।

79.इल– पंकिल, रोमिल, कुटिल, जटिल, धूमिल, तुंडिल, फेनिल, बोझिल, तमिल, कातिल।

80.इश– मालिश, फरमाइश, पैदाइश, पैमाइश, आजमाइश, परवरिश, कोशिश, रंजिश, साजिश, नालिश, कशिश, तफ्तिश, समझाइश।

81.इस्तान– कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, नखलिस्तान, कजाकिस्तान।

82.इष्णु– सहिष्णु, वर्घिष्णु, प्रभाविष्णु।

83.इष्ट– विशिष्ट, स्वादिष्ट, प्रविष्ट।

84.इष्ठ– घनिष्ठ, बलिष्ठ, गरिष्ठ, वरिष्ठ।

85.– गगरी, खुशी, दुःखी, भेदी, दोस्ती, चोरी, सर्दी, गर्मी, पार्वती, नरमी, टोकरी, झंडी, ढोलकी, लंगोटी, भारी, गुलाबी, हरी, सुखी, बिक्री, मंडली, द्रोपदी, वैदेही, बोली, हँसी, रेती, खेती, बुहारी, धमकी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, जयपुरी, मद्रासी, पहाड़ी, देशी, सुन्दरी, ब्राह्मणी, गुणी, विद्यार्थी, क्रोधी, लालची, लोभी, पाखण्डी, विदुषी, विदेशी, अकेली, सखी, साखी, अलबेली, सरकारी, तन्दुरी, सिन्दुरी, किशोरी, हेराफेरी, कामचोरी।

86.ईचा– बगीचा, गलीचा, सईचा।

87.ईन– प्रवीण, शौकीन, प्राचीन, कुलीन, शालीन, नमकीन, रंगीन, ग्रामीण, नवीन, संगीन, बीन, तारपीन, गमगीन, दूरबीन, मशीन, जमीन।

88.ईना– कमीना, महीना, पश्मीना, नगीना, मतिहीना, मदीना, जरीना।

89.ईय– भारतीय, जातीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, भवदीय, पठनीय, पाणिनीय, शास्त्रीय, वायवीय, पूजनीय, वंदनीय, करणीय, राजकीय, देशीय।

90.ईला– रसीला, जहरीला, पथरीला, कंकरीला, हठीला, रंगीला, गँठीला, शर्मीला, सुरीला, नुकीला, बर्फीला, भड़कीला, नशीला, लचीला, सजीला, फुर्तीला।

91.ईश– नदीश, कपीश, कवीश, गिरीश, महीश, हरीश, सतीश।

92.– सिँधु, लघु, भानु, गुरु, अनु, भिक्षु, शिशु, , वधु, तनु, पितु, बुद्धु, शत्रु, आयु।

93.उक– भावुक, कामुक, भिक्षुक, नाजुक।

94.उवा/उआ – मछुआ, कछुआ, बबुआ, मनुआ, कलुआ, गेरुआ।

95.उल– मातुल, पातुल।

96.– झाडू, बाजारू, घरू, झेँपू, पेटू, भोँपू, गँवारू, ढालू।

97.ऊटा– कलूटा।

98.– चले, पले, फले, ढले, गले, मिले, खड़े, पड़े, डरे, मरे, हँसे, फँसे, जले, किले, काले, ठहरे, पहरे, रोये, चने, पहने, गहने, मेरे, तेरे, तुम्हारे, हमारे, सितारे, उनके, उसके, जिसके, बकरे, कचरे, लुटेरे, सुहावने, डरावने, झूले, प्यारे, घने, सूखे, मैले, थैले, बेटे, लेटे, आए, गए, छोटे, बड़े, फेरे, दूसरे।

99.एड़ी– नशेड़ी, भँगेड़ी, गँजेड़ी।

100.एय– गांगेय, आग्नेय, आंजनेय, पाथेय, कौँतेय, वार्ष्णेय, मार्कँडेय, कार्तिकेय, राधेय।

101.एरा– लुटेरा, सपेरा, मौसेरा, चचेरा, ममेरा, फुफेरा, चितेरा, ठठेरा, कसेरा, लखेरा, भतेरा, कमेरा, बसेरा, सवेरा, अन्धेरा, बघेरा।

102.एल– फुलेल, नकेल, ढकेल, गाँवड़ेल।

103.एला– बघेला, अकेला, सौतेला, करेला, मेला, तबेला, ठेला, रेला।

104.एत– साकेत, संकेत, अचेत, सचेत, पठेत।

105.ऐत– लठैत, डकैत, लड़ैत, टिकैत, फिकैत।

106.ऐया– गवैया, बजैया, रचैया, खिवैया, रखैया, कन्हैया, लगैया।

107.ऐल– गुस्सैल, रखैल, खपरैल, मुँछैल, दँतैल, बिगड़ैल।

108.ऐला– विषैला, कसैला, वनैला, मटैला, थनैला, मटमैला।

109.– बालक, सप्तक, दशक, अष्टक, अनुवादक, लिपिक, चालक, शतक, दीपक, पटक, झटक, लटक, खटक।

110.कर– दिनकर, दिवाकर, रुचिकर, हितकर, प्रभाकर, सुखकर, प्रलंयकर, भयंकर, पढ़कर, लिखकर, चलकर, सुनकर, पीकर, खाकर, उठकर, सोकर, धोकर, जाकर, आकर, रहकर, सहकर, गाकर, छानकर, समझकर, उलझकर, नाचकर, बजाकर, भूलकर, तड़पकर, सुनाकर, चलाकर, जलाकर, आनकर, गरजकर, लपककर, भरकर, डरकर।

111.करण– सरलीकरण, स्पष्टीकरण, गैसीकरण, द्रवीकरण, पंजीकरण, ध्रुवीकरण।

112.कल्प– कुमारकल्प, कविकल्प, भृतकल्प, विद्वतकल्प, कायाकल्प, संकल्प, विकल्प।

113.कार– साहित्यकार, पत्रकार, चित्रकार, संगीतकार, काश्तकार, शिल्पकार, ग्रंथकार, कलाकार, चर्मकार, स्वर्णकार, गीतकार, बलकार, बलात्कार, फनकार, फुँफकार, हुँकार, छायाकार, कहानीकार, अंधकार, सरकार।

114.का– गुटका, मटका, छिलका, टपका, छुटका, बड़का, कालका।

115.की– बड़की, छुटकी, मटकी, टपकी, अटकी, पटकी।

116.कीय– स्वकीय, परकीय, राजकीय, नाभिकीय, भौतिकीय, नारकीय, शासकीय।

117.कोट– नगरकोट, पठानकोट, राजकोट, धूलकोट, अंदरकोट।

118.कोटा– परकोटा।

119.खाना– दवाखाना, तोपखाना, कारखाना, दौलतखाना, कैदखाना, मयखाना, छापाखाना, डाकखाना, कटखाना।

120.खोर– मुफ्तखोर, आदमखोर, सूदखोर, जमाखोर, हरामखोर, चुगलखोर।

121.– उरग, विहग, तुरग, खड़ग।

122.गढ़– जयगढ़, देवगढ़, रामगढ़, चित्तौड़गढ़, कुशलगढ़, कुम्भलगढ़, हनुमानगढ़, लक्ष्मणगढ़, डूँगरगढ़, राजगढ़, सुजानगढ़, किशनगढ़।

123.गर– जादूगर, नीलगर, कारीगर, बाजीगर, सौदागर, कामगर, शोरगर, उजागर।

124.गाँव– चिरगाँव, गोरेगाँव, गुड़गाँव, जलगाँव।

125.गा– तमगा, दुर्गा।

126.गार– कामगार, यादगार, रोजगार, मददगार, खिदमतगार।

127.गाह– ईदगाह, दरगाह, चरागाह, बंदरगाह, शिकारगाह।

128.गी– मर्दानगी, जिँदगी, सादगी, एकबारगी, बानगी, दीवानगी, ताजगी।

129.गीर– राहगीर, उठाईगीर, जहाँगीर।

130.गीरी– कुलीगीरी, मुँशीगीरी, दादागीरी।

131.गुना– दुगुना, तिगुना, चौगुना, पाँचगुना, सौगुना।

132.ग्रस्त– रोगग्रस्त, तनावग्रस्त, चिन्ताग्रस्त, विवादग्रस्त, व्याधिग्रस्त, भयग्रस्त।

133.घ्न– कृतघ्न, पापघ्न, मातृघ्न, वातघ्न।

134.चर– जलचर, नभचर, निशाचर, थलचर, उभयचर, गोचर, खेचर।

135.चा– देगचा, चमचा, खोमचा, पोमचा।

136.चित्– कदाचित्, किँचित्, कश्चित्, प्रायश्चित्।

137.ची– अफीमची, तोपची, बावरची, नकलची, खजांची, तबलची।

138.– अंबुज, पयोज, जलच, वारिज, नीरज, अग्रज, अनुज, पंकज, आत्मज, सरोज, उरोज, धीरज, मनोज।

139.जा– आत्मजा, गिरिजा, शैलजा, अर्कजा, भानजा, भतीजा, भूमिजा।

140.जात– नवजात, जलजात, जन्मजात।

141.जादा– शहजादा, रईसजादा, हरामजादा, नवाबजादा।

142.ज्ञ– विशेषज्ञ, नीतिज्ञ, मर्मज्ञ, सर्वज्ञ, धर्मज्ञ, शास्त्रज्ञ।

143.– कर्मठ, जरठ, षष्ठ।

144.ड़ा– दुःखड़ा, मुखड़ा, पिछड़ा, टुकड़ा, बछड़ा, हिँजड़ा, कपड़ा, चमड़ा, लँगड़ा।

145.ड़ी– टुकड़ी, पगड़ी, बछड़ी, चमड़ी, दमड़ी, पंखुड़ी, अँतड़ी, टंगड़ी, लँगड़ी।

146.– आगत, विगत, विश्रुत, रंगत, संगत, चाहत, कृत, मिल्लत, गत, हत, व्यक्त, बचत, खपत, लिखत, पढ़त, बढ़त, घटत, आकृष्ट, तुष्ट, संतुष्ट (सम्+तुष्+त)।

147.तन– अधुनातन, नूतन, पुरातन, सनातन।

148.तर– अधिकतर, कमतर, कठिनतर, गुरुतर, ज्यादातर, दृढ़तर, लघुतर, वृहत्तर, उच्चतर, कुटिलतर, दृढ़तर, निम्नतर, निकटतर, महत्तर।

149.तम– प्राचीनतम, नवीनतम, तीव्रतम, उच्चतम, श्रेष्ठतम, महत्तम, विशिष्टतम, अधिकतम, गुरुतम, दीर्घतम, निकटतम, न्यूनतम, लघुतम, वृहत्तम, सुंदरतम, उत्कृष्टतम।

150.ता– श्रोता, वक्ता, दाता, ज्ञाता, सुंदरता, मधुरता, मानवता, महत्ता, बंधुता, दासता, खाता, पीता, डूबता, खेलता, महानता, रमता, चलता, प्रभुता, लघुता, गुरुता, समता, कविता, मनुष्यता, कर्त्ता, नेता, भ्राता, पिता, विधाता, मूर्खता, विद्वता, कठोरता, मृदुता, वीरता, उदारता।

151.ति– गति, मति, पति, रति, शक्ति, भक्ति, कृति।

152.ती– ज्यादती, कृती, ढ़लती, कमती, चलती, पढ़ती, फिरती, खाती, पीती, धरती, भरती, जागती, भागती, सोती, धोती, सती।

153.तः– सामान्यतः, विशेषतः, मूलतः, अंशतः, अंततः, स्वतः, प्रातः, अतः।

154.त्र– एकत्र, सर्वत्र, अन्यत्र, नेत्र, पात्र, अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र, चरित्र, क्षेत्र, पत्र, सत्र।

155.त्व– महत्त्व, लघुत्व, स्त्रीत्व, नेतृत्व, बंधुत्व, व्यक्तित्व, पुरुषत्व, सतीत्व, राजत्व, देवत्व, अपनत्व, नारीत्व, पत्नीत्व, स्वामित्व, निजत्व।

156.– चतुर्थ, पृष्ठ (पृष्+थ), षष्ठ (षष्+थ)।

157.था– सर्वथा, अन्यथा, चौथा, प्रथा, पृथा, वृथा, कथा, व्यथा।

158.थी– सारथी, परमार्थी, विद्यार्थी।

159.– जलद, नीरद, अंबुद, पयोद, वारिद, दुःखद, सुखद, अंगद, मकरंद।

160.दा– सर्वदा, सदा, यदा, कदा, परदा, यशोदा, नर्मदा।

161.दान– पानदान, कद्रदान, रोशनदान, कलमदान, इत्रदान, पीकदान, खानदान, दीपदान, धूपदान, पायदान, कन्यादान, शीशदान, भूदान, गोदान, अन्नदान, वरदान, वाग्दान, अभयदान, क्षमादान, जीवनदान।

162.दानी– मच्छरदानी, चूहेदानी, नादानी, वरदानी, खानदानी।

163.दायक– आनन्ददायक, सुखदायक, कष्टदायक, पीड़ादायक, आरामदायक, फलदायक।

164.दायी– आनन्ददायी, सुखदायी, उत्तरदायी, कष्टदायी, फलदायी।

165.दार– मालदार, हिस्सेदार, दुकानदार, हवलदार, थानेदार, जमीँदार, फौजदार, कर्जदार, जोरदार, ईमानदार, लेनदार, देनदार, खरीददार, जालीदार, गोटेदार, लहरदार, धारदार, धारीदार, सरदार, पहरेदार, बूँटीदार, समझदार, हवादार, ठिकानेदार, ठेकेदार, परतदार, शानदार, फलीदार, नोकदार।

166.दारी– समझदारी, खरीददारी, ईमानदारी, ठेकेदारी, पहरेदारी, लेनदारी, देनदारी।

167.दी– वरदी, सरदी, दर्दी।

168.धर– चक्रधर, हलधर, गिरिधर, महीधर, विद्याधर, गंगाधर, फणधर, भूधर, शशिधर, विषधर, धरणीधर, मुरलीधर, जलधर, जालन्धर, शृंगधर, अधर, किधर, उधर, जिधर, नामधर।

169.धा– बहुधा, अभिधा, समिधा, विविधा, वसुधा, नवधा।

170.धि– पयोधि, वारिधि, जलधि, उदधि, संधि, विधि, निधि, अवधि।

171.– नमन, गमन, बेलन, चलन, फटकन, झाड़न, धड़कन, लगन, मिलन, साजन, जलन, फिसलन, ऐँठन, उलझन, लटकन, फलन, राजन, मोहन, सौतन, भवन, रोहन, जीवन, प्रण, प्राण, प्रमाण, पुराण, ऋण, परिमाण, तृण, हरण, भरण, मरण।

172.नगर– गंगानगर, श्रीनगर, रामनगर, संजयनगर, जयनगर, चित्रनगर।

173.नवीस– फड़नवीस, खबरनवीस, नक्शानवीश, चिटनवीस, अर्जीनवीस।

174.नशीन– पर्दानशीन, गद्दीनशीन, तख्तनशीन, जाँनशीन।

175 .ना– नाचना, गाना, कूदना, टहलना, मारना, पढ़ना, माँगना, दौड़ना, भागना, तैरना, भावना, कामना, कमीना, महीना, नगीना, मिलना, चलना, खाना, पीना, हँसना, जाना, रोना, तृष्णा।

176.नाक– दर्दनाक, शर्मनाक, खतरनाक, खौफनाक।

177.नाम– अनाम, गुमनाम, सतनाम, सरनाम, हरिनाम, प्रणाम, परिणाम।

178.नामा– अकबरनामा, राजीनामा, मुख्तारनामा, सुलहनामा, हुमायूँनामा, अर्जीनामा, रोजनामा, पंचनामा, हलफनामा।

179.निष्ठ– कर्मनिष्ठ, योगनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, राजनिष्ठ, ब्रह्मनिष्ठ।

180.नी –मिलनी, सूँघनी, कतरनी, ओढ़नी, चलनी, लेखनी, मोरनी, चोरनी, चाँदनी, छलनी, धौँकनी, मथनी, कहानी, करनी, जीवनी, छँटनी, नटनी, चटनी, शेरनी, सिँहनी, कथनी, जननी, तरणी, तरुणी, भरणी, तरनी, मँगनी, सारणी।

181.नीय– आदरणीय, करणीय, शोचनीय, सहनीय, दर्शनीय, नमनीय।

182.नु– शान्तनु, अनु, तनु, भानु, समनु।

183.– महीप, मधुप, जाप, समताप, मिलाप, आलाप।

184.पन– लड़कपन, पागलपन, छुटपन, बचपन, बाँझपन, भोलापन, बड़प्पन, पीलापन, अपनापन, गँवारपन, आलसीपन, अलसायापन, वीरप्पन, दीवानापन।

185.पाल– द्वारपाल, प्रतिपाल, महीपाल, गोपाल, राज्यपाल, राजपाल, नागपाल, वीरपाल, सत्यपाल, भोपाल, भूपाल, कृपाल, नृपाल।

186.पाली– आम्रपाली, भोपाली, रुपाली।

187.पुर– अन्तःपुर, सीतापुर, रामपुर, भरतपुर, धौलपुर, गोरखपुर, फिरोजपुर, फतेहपुर, जयपुर।

188.पुरा– जोधपुरा, हरिपुरा, श्यामपुरा, जालिमपुरा, नरसिँहपुरा।

189.पूर्वक– विधिपूर्वक, दृढ़तापूर्वक, निश्चयपूर्वक, सम्मानपूर्वक, श्रद्धापूर्वक, बलपूर्वक, प्रयासपूर्वक, ध्यानपूर्वक।

190.पोश– मेजपोश, नकाबपोश, सफेदपोश, पलंगपोश, जीनपोश, चिलमपोश।

191.प्रद– लाभप्रद, हानिप्रद, कष्टप्रद, संतोषप्रद, उत्साहप्रद, हास्यप्रद।

192.बंद– कमरबंद, बिस्तरबंद, बाजूबंद, हथियारबंद, कलमबंद, मोहरबंद, बख्तरबंद, नजरबंद।

193.बंदी– चकबंदी, घेराबंदी, हदबंदी, मेड़बंदी, नाकाबंदी।

194.बाज– नशेबाज, दगाबाज, चालबाज, धोखेबाज, पतंगबाज, खेलबाज।

195.बान– मेजबान, गिरहबान, दरबान, मेहरबान।

196.बीन– तमाशबीन, दूरबीन, खुर्दबीन।

197.भू– प्रभु (प्र+भू), स्वयंभू।

198.मंद– दौलतमंद, फायदेमंद, अक्लमंद, जरूरतमंद, गरजमंद, मतिमंद, भरोसेमंद।

199.– हराम, जानम, कर्म (कृ+म), धर्म, मर्म, जन्म, मध्यम, सप्तम, छद्म, चर्म, रहम, वहम, प्रीतम, कलम, हरम, श्रम, परम।

200.मत्– श्रीमत्।

201.मत– जनमत, सलामत, रहमत, बहुमत, कयामत।

202.मती– श्रीमती, बुद्धिमती, ज्ञानमती, वीरमती, रूपमती।

203मय– दयामय, जलमय, मनोमय, तेजोमय, विष्णुमय, अन्नमय, तन्मय, चिन्मय, वाङ्मय, अम्मय, भक्तिमय।

204.मात्र– नाममात्र, लेशमात्र, क्षणमात्र, पलमात्र, किँचित्मात्र।

205.मान– बुद्धिमान, मूर्तिमान, शक्तिमान, शोभायमान, चलायमान, गुंजायमान, हनुमान, श्रीमान, कीर्तिमान, सम्मान, सन्मान, मेहमान।

206.– दृश्य, सादृश्य, लावण्य, वात्सल्य, सामान्य, दांपत्य, सानिध्य, तारुण्य, पाशचात्य, वैधव्य, नैवेद्य, धैर्य, गार्हस्थ्य, सौभाग्य, सौजन्य, औचित्य, कौमार्य, शौर्य, ऐश्वर्य, साम्य, प्राच्य, पार्थक्य, पाण्डित्य, सौन्दर्य, माधुर्य, स्तुत्य, वन्द्य, खाद्य, पूज्य, नृत्य।

207.या– शय्या, विद्य, चर्या, मृगया, समस्या, क्रिया, खोया, गया, आया, खाया, गाया, कमाया, जगाया, हँसाया, सताया, पढ़ाया, भगाया, हराया, खिलाया, पिलाया।

208.– नम्र, शुभ्र, क्षुद्र, मधुर, नगर, मुखर, पाण्डुर, कुंजर, प्रखर, विधुर, भ्रमर, कसर, कमर, खँजर, कहार, बहार, सुनार।

209.रा– दूसरा, तीसरा, आसरा, कमरा, नवरात्रा, पिटारा, निबटारा, सहारा।

210.री– बाँसुरी, गठरी, छतरी, चकरी, चाकरी, तीसरी, दूसरी, भोजपुरी, नागरी, जोधपुरी, बीकानेरी, बकरी, वल्लरी।

211.रू– दारू, चारू, शुरू, घुंघरू, झूमरू, डमरू।

212.– मंजुल, शीतल, पीतल, ऊर्मिल, घायल, पायल, वत्सल, श्यामल, सजल, कमल, कायल, काजल, सवाल, कमाल।

213.ला– अगला, पिछला, मँझला, धुँधला, लाड़ला, श्यामला, कमला, पहला, नहला, दहला।

214.ली– सूतली, खुजली, ढपली, घंटाली, सूपली, टीकली, पहली, जाली, खाली, सवाली।

215.वंत– बलवंत, दयावंत, भगवंत, कुलवंत, जामवंत, कलावंत।

216. व – केशव, राजीव, विषुव, अर्णव, सजीव, रव, शव।

217.वत्– पुत्रवत्, विधिवत्, मातृवत्, पितृवत्, आत्मवत्, यथावत्।

218.वर– प्रियवर, स्थावर, ताकतवर, ईश्वर, नश्वर, जानवर, नामवर, हिम्मतवर, मान्यवर, वीरवर, स्वयंवर, नटवर, कमलेश्वर, परमेश्वर, महेश्वर।

219.वाँ– पाँचवाँ, सातवाँ, दसवाँ, पिटवाँ, चुनवाँ, ढलवाँ, कारवाँ, आठवाँ।

220.वा– बचवा, पुरवा, बछवा, मनवा।

221.वाई– बनवाई, सुनवाई, तुलवाई, लदवाई, पिछवाई, हलवाई, पुरवाई।

222.वाड़ा– रजवाड़ा, हटवाड़ा, जटवाड़ा, पखवाड़ा, बाँसवाड़ा, भीलवाड़ा, दंतेवाड़ा।

223.वाड़ी– फुलवाड़ी, बँसवाड़ी।

224.वान्– रूपवान्, भाग्यवान्, धनवान्, दयावान्, बलवान्।

225.वान– गुणवान, कोचवान, गाड़ीवान, प्रतिभावान, बागवान, धनवान, पहलवान।

226.वार– उम्मीदवार, माहवार, तारीखवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, कदवार, पतवार, वंदनवार।

227.वाल– कोतवाल, पल्लीवाल, पालीवाल, धारीवाल।

228.वाला– पानवाला, लिखनेवाला, दूधवाला, पढ़नेवाला, रखवाला, हिम्मतवाला, दिलवाला, फलवाला, रिक्शेवाला, ठेलेवाला, घरवाला, ताँगेवाला।

229.वाली– घरवाली, बाहरवाली, मतवाली, ताँगेवाली, नखरावाली, कोतवाली।

230.वास– रनिवास, वनवास।

231.वी– तेजस्वी, तपस्वी, मेधावी, मायावी, ओजस्वी, मनस्वी, जाह्नवी, लुधियानवी।

232.वैया– गवैया, खिवैया, रचैया, लगैया, बजैया।

233.व्य– तालव्य, मंतव्य, कर्तव्य, ज्ञातव्य, ध्यातव्य, श्रव्य, वक्तव्य, दृष्टव्य।

234.– कर्कश, रोमश, लोमश, बंदिश।

235.शः– क्रमशः, कोटिशः, शतशः, अक्षरशः।

236.शाली– प्रतिभाशाली, गौरवशाली, शक्तिशाली, भाग्यशाली, बलशाली।

237.शील– धर्मशील, सहनशील, पुण्यशील, दानशील, विचारशील, कर्मशील।

238.शाही– लोकशाही, तानाशाही, इमामशाही, कुतुबशाही, नौकरशाही, बादशाही, झाड़शाही, अमरशाही, विजयशाही।

239.सा– मुझ-सा, तुझ-सा, नीला-सा, मीठा-सा, चिकीर्षा, पिपासा, जिज्ञासा, लालसा, चिकित्सा, मीमांसा, चाँद-सा, गुलाब-सा, प्यारा-सा, छोटा-सा, पीला-सा, आप-सा।

240.साज– जालसाज, जीनसाज, घड़ीसाज, जिल्दसाज।

241.सात्– आत्मसात्, भस्मसात्, जलसात्, अग्निसात्, भूमिसात्।

242.सार– मिलनसार, एकसार, शर्मसार, खाकसार।

243.स्थ– तटस्थ, मार्गस्थ, उदरस्थ, हृदयस्थ, कंठस्थ, मध्यस्थ, गृहस्थ, दूरस्थ, अन्तःस्थ।

244.हर– मनोहर, खंडहर, दुःखहर, विघ्नहर, नहर, पीहर, कष्टहर, नोहर, मुहर।

245.हरा– इकहरा, दुहरा, तिहरा, चौहरा, सुनहरा, रूपहरा, छरहरा।

246.हार– तारनहार, पालनहार, होनहार, सृजनहार, राखनहार, खेवनहार, खेलनहार, सेवनहार, नौसरहार, गलहार, कंठहार।

247.हारा– लकड़हारा, चूड़ीहारा, मनिहारा, पणिहारा, सर्वहारा, तारनहारा, मारनहारा, पालनहारा।

248.हीन– कर्महीन, बुद्धिहीन, कुलहीन, बलहीन, शक्तिहीन, मतिहीन, विद्याहीन, धनहीन, गुणहीन।

249.हुआ– चलता हुआ, सुनता हुआ, पढ़ता हुआ, करता हुआ, रोता हुआ, पीता हुआ, खाता हुआ, हँसता हुआ, भागता हुआ, दौड़ता हुआ, हाँफता हुआ, निकलता हुआ, गिरता हुआ, तैरता हुआ, सोचता हुआ, नाचता हुआ, गाता हुआ, बहता हुआ, बुझता हुआ, डूबता हुआ।

(ग) विदेशी प्रत्यय क्या होता है :-विदेशी प्रत्ययों को दो भागों में बाँटा गया है ।

विदेशी प्रत्यय के भाग :-उर्दू के कुछ प्रत्यय अरबी फारसी में भी प्रयोग किये जाते हैं ।

प्रत्यय = उदहारण इस प्रकार हैं :-

(i)आबाद= अहमदाबाद, इलाहाबाद , हैदराबाद आदि ।

(ii)खाना= दवाखाना, छापाखाना आदि ।

(iii)गर= जादूगर, बाजीगर, शोरगर , सौदागर , कारीगर आदि ।

(iv)ईचा= बगीचा, गलीचा आदि ।

(v)ची= खजानची, मशालची, तोपची , बाबरची , तबलची , अफीमची आदि ।

(vi)दार= मालदार, दूकानदार, जमीँदार , हिस्सेदार , थानेदार आदि ।

(vii)दान= कलमदान, पीकदान, पायदान आदि ।

(viii)वान= कोचवान, बागवान आदि ।

(ix)बाज= नशेबाज, दगाबाज , चालबाज आदि ।

(x)मंद= अक्लमन्द, भरोसेमन्द , जरुरतमन्द , ऐहसानमंद आदि ।

(xi)नाक= दर्दनाक, शर्मनाक आदि ।

(xii)गीर= राहगीर, जहाँगीर आदि ।

(xiii)गी= दीवानगी, ताजगी , सादगी आदि ।

(xiv)गार= यादगार, रोजगार , मददगार , गुनहगार आदि ।

(xv)इन्दा= परिन्दा, बाशिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा आदि ।

(xvi)इश= फरमाइश, पैदाइश, रंजिश आदि ।

(xvii)इस्तान= कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान आदि ।

(xviii)खोर= हरामखोर, घूसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर आदि ।

(xix)गाह= ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह आदि ।

(xx)गिरी= कुलीगीरी, मुंशीगीरी आदि ।

(xxi)नवीस= नक्शानवीस, अर्जीनवीस आदि ।

(xxii)नामा= अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा आदि ।

(xxiii)बंद= हथियारबन्द, नजरबन्द, मोहरबन्द आदि ।

(xxiv)साज= जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज आदि ।

जातिवाचक से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संस्कृत की तत्सम जातिवाचक संज्ञाओं के पीछे तद्धित प्रत्यय लगाकर उसे भाववाचक संज्ञाएँ बना दी जाती है ।

संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) शत्रु , वीर+ ता =शत्रुता ,वीरता आदि ।

(ii) गुरु , मनुष्य+ त्व =गुरुत्व , मनुष्यत्व आदि ।

(iii) मुनि+ अ =मौन आदि ।

(iv) पंडित+ य =पांडित्य आदि ।

(v) रक्त+ इमा =रक्तिमा आदि ।

व्यक्तिवाचक से अपत्यवाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-जब किसी नाम के पीछे तद्धित प्रत्यय जोड़ते हैं तब जो संज्ञा बनती है उसे अपत्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।

व्यक्ति वाचक संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = अपत्यवाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) वसुदेव , मनु , कुरु , प्रथा , पांडू+ अ =वासुदेव , मानव , कौरव , पार्थ , पाण्डव आदि ।

(ii) दिति+ य =दैत्य आदि ।

(iii) बदर+ आयन =बादरायण आदि ।

(iv) राधा , कुन्ती+ एय =राधेय , कौन्तेय आदि ।

विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-विशेषण संज्ञा के पीछे संस्कृत के तद्धित प्रत्यय जोड़ने से जो संज्ञा बनती है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।

विशेषण संज्ञा + तद्धित प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) बुद्धिमान , मूर्ख , शिष्ट+ ता =बुद्धिमता , मूर्खता , शिष्टता आदि ।

(ii) रक्त , शुक्ल+ इमा =रक्तिमा , शुक्लिमा आदि ।

(iii) वीर , लघु+ त्व =वीरत्व , लघुत्व आदि ।

(iv) गुरु , लघु+ अ =गौरव , लाघव आदि ।

संज्ञा से विशेषण संज्ञाएँ बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय :-संज्ञा के अंत में संस्कृत के गुण , भाव तथा तद्धित प्रत्यय को जोडकर विशेषण संज्ञा बनती हैं ।

संज्ञा + प्रत्यय = विशेषण संज्ञा इस प्रकार हैं :-

(i) निशा+ अ =नैश आदि ।

(ii) तालु , ग्राम+ य =तालव्य , ग्राम्य आदि ।

(iii) मुख , लोक+ इक =मौखिक , लौकिक आदि ।

(iv) आनन्द , फल+ इत =आनन्दित , फलित आदि ।

(v) बल+ इष्ठ =बलिष्ठ आदि ।

(vi) निष्ठ+ कर्म =कर्मनिष्ठ आदि ।

(vii) मुख , मधु+ र =मुखर , मधुर आदि ।

(viii) रक्त+ इम =रक्तिम आदि ।

(ix) कुल+ ईन =कुलीन आदि ।

(x) मांस += मांसल आदि ।

(xi) मेधा +वी= मेधावी आदि ।

(xii) तन्द्रा+ इल =तन्द्रिल आदि ।

(xiii) तन्द्रा+ लु =तंद्रालु आदि ।

शब्द प्रकार

वर्ण और ध्वनि के समूह को व्याकरण में शब्द कहा जाता है।

प्रकार

शब्द दो प्रकार के होते हैं

सार्थक शब्द

  • सार्थक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी निश्चित अर्थ का बोध कराते हैं।

निरर्थक शब्द

  • निरर्थक शब्द वे शब्द होते हैं जो किसी अर्थ का बोध नहीं कराते हैं।
  • भाषा प्राय: सार्थक शब्दों का समूह ही होती है। इसी कारण व्याकरण में सार्थक शब्दों का ही विवेचन किया जाता है, निरर्थक शब्दों का नहीं।

शब्दों के भेद

इतिहास या स्रोत के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है।

1.)तत्सम
  • जो शब्द अपरिवर्तित रूप में संस्कृत से लिए गए हैं, तत्सम हैं।
  • जैसे- पुष्प, पुस्तक, बालक, कन्या आदि।
2.)तद्भव
  • संस्कृत के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी आदि से गुज़रने के कारण आज परिवर्तित रूप में मिल रहे हैं, तद्भव हैं।
  • जैसे- सात, साँप, कान, मुँह आदि।
3.)देशी या देशज शब्द
  • यह वे शब्द हैं, जिनका स्रोत संस्कृत नहीं है, किंतु वे भारत में ग्राम्य क्षेत्रों अथवा जनजातियों में बोली जाने वाली, संस्कृत से भिन्न भाषा परिवारों के हैं।
  • जैसे- झाडू, पगड़ी, लोटा, झोला, टाँग, ठेठ आदि।
4.)विदेशी शब्द
  • यह शब्द अरबी, फ़ारसी या अंग्रेज़ी से प्रमुखतया आए हैं।
  • अरबी– फारसी- बाज़ार, सज़ा, बाग, बर्फ़, काग़ज़, क़ानून, ग़रीब, ज़िला, दरोग़ा, फ़कीर, बेगम, क़त्ल, क़ैदी, ज़मींदार आदि।
  • अंग्रेज़ी– डॉक्टर, टैक्सी, डायरी, अफ़सर, टिकट, डिग्री, पार्टी, कॉलेज, मोटर, गैस, हैट, पुलिस, फीस, कॉलोनी, स्कूल, स्टॉप, डेस्क, टोस्ट, इंजन, टीम, फुटबॉल, कॉपी, नर्स, मशीन, मिल आदि।
  • पुर्तग़ाली– अल्मारी, इस्तरी, कनस्तर, कप्तान, गोदाम, नीलाम, पादरी, संतरा, बाल्टी, साबुन आदि।
  • फ़्रांसीसी– काजू, क़ारतूस, अंग्रेज़ आदि।
  • जापानी– रिक्शा।
  • चीनी– चाय, लीची।

रचना के आधार पर

  • रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं।
1.)रूढ़
  • जिन शब्दों के सार्थक खण्ड न हो सकें और जो अन्य शब्दों के मेल से न बने हों। जैसे- दिन, घर, किताब।
2.)यौगिक
  • वे शब्द जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त एक शब्दांश (उपसर्ग, प्रत्यय) या एक रूढ़ शब्द अवश्य होता है।
  • जैसे- नमकीन (‘नमक’ रूढ़ और ‘ईन’ प्रत्यय); पुस्तकालय (‘पुस्तक’ रूढ़ और ‘आलय’ रूढ़)
3.)योगरूढ़
  • जिन यौगिक शब्दों का एक रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने लगा है।
  • जैसे- पंकज (पंक +ज) अर्थात ‘कीचड़ में जन्म लेने वाला’ किंतु इसका प्रयोग केवल ‘कमल’ के अर्थ में होता है।

व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से

व्याकरणिक विवेचन की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं।

विकारी शब्द

  • वे शब्द जिनमें लिंग, वचन आदि के आधार पर मूलशब्द का रूपांतरण होता है।
  • जैसे- लड़का→ लड़के→ लड़कों।

अविकारी शब्द

  • जिन शब्दों का प्रयोग मूल रूप में होता है और लिंग, वचन आदि के आधार पर उनमें कोई परिवर्तन नहीं आता है।
  • जैसे- आज, यहाँ, और, अथवा।

संज्ञा (Noun)

संज्ञा नाम का पर्याय है | विश्व की मूर्त एवं अमूर्त सभी वस्तुओं का कोई न कोई नाम अवश्य होता है | यह नाम ही संज्ञा है | जैसे –मोहन ने दिल्ली में सुन्दर बिरला मंदिर देखा |यह वाक्य में दिल्ली स्थान का नाम है; मोहन एक व्यक्ति का नाम है, सुंदर एक गुण का नाम है तथा बिरला मदिर एक इमारत का नाम है | इस प्रकार ये क्रमश: स्थान, व्यक्ति, गुण तथा वस्तु का नाम है | अत: ये सभी संज्ञा कहलाएंगी | अत: कहा जा सकता है – “जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान प्राणी अथवा भाव का बोध होता है, उन्हेंसंज्ञाकहते है |

संज्ञा के भेद-

संज्ञा के मुख्य रूप से पांच भेद होते है –

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
  2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
  3. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
  4. समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun)
  5. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)

व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) –जिन संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, नदियों, शहरों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचार पत्रों, दिनों, महीनों आदि के नाम आते है |

जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) –जिस संज्ञा शब्द से किस जाति से सम्पूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है | प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूलों, धातुओं, व्यवसाय-संबंधी व्यक्तियों, नगरों, गाँवों, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते है |

द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) –जिन संज्ञा शब्दों में किसी पदार्थ या धातु का बोध होता है और जिनसे अनेक धातुएं बनती है उन्हेंद्रव्यवाचक संज्ञाकहा जाता है | जैसे – स्टील, लोहा, पीतल, दूध, घी, चांवल, गेहूं, प्लास्टिक, सोना-चांदी, लकड़ी, ऊन, पारा आदि |

समहूवाचक संज्ञा (Collective Noun) –जो संज्ञा शब्द कसी समुदाय या समूह का बोध कराते हैसमूहवाचक संज्ञाकहलाते है | सभा, भीड़, परिवार, सेना, कक्ष, पुलिस, समिति आदि समूहवाचक संज्ञा शब्द है |

भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) –जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, अवस्था भाव आदि का बोध कराए उन्हेंभाववाचक संज्ञाकहते है | जैसे-सुन्दरता, लंबाई, भूख, प्यास, थकावट, चोरी, क्रोध, ममता आदि | भाववाचक संज्ञा शब्दों का संबंध हमारे भावों से होता है | इनका स्पर्श भी नहीं किया जा सकता | ये अमूर्त (केवल अनुभव किये जाने वाले) शब्द होते है |

व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाव वाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-

कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाए एसे व्यक्ति की और संकेत करती है जो समाज में दुर्लभ गुणों के कारण अलग पहचाने जाते है | जैसे- हरिश्चन्द्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (महात्मा), जयचंद (विस्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी) आदि | कभी-कभी इन गुणों की चर्चा ण करके उनके स्थान पर उन व्यक्तियों के नाम लिख दिए जाते है; जैसे – इस देश में जयचंदों की कमी नहीं है, यह जयचंद शब्द देश द्रोही के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है | जातिवाचक संज्ञा में समान प्रयोग होने के कारण व्यक्तिवाचक व्यक्तिवाचक शब्द बहुवचन में प्रयोग किये जाते है |

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –

कभी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ़ हो जाती है | तब केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लग जाती है जैसे-

पंडित जीहमारे देश के प्रथम प्रधान मंत्री थे | यहाँ पंडित जी जातिवाचक संज्ञा शब्द है किन्तु भूतपूर्व प्रधानमंत्री मंडित जवाहरलाल नेहरु अर्थात व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है | इस प्रकार यहाँ जातिवाचक संज्ञा काव्यक्तिवाचक संज्ञाके रूप में प्रयोग किया गया है |

भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग –

जब भाववाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होती है तो वह जातिवाचक रूप धारण कर लेती है | यथा –

बुराई से बुराइयां – बुराइयों से बचो

दुरी से दूरियां – जाने कब हम दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई |

प्रार्थना से प्रार्थनाएं – सच्ची प्रार्थनाएं कभी व्यर्थ नहीं जाती है |

भाववाचक संज्ञाओं की रचना –

भाववाचक संज्ञाए रूढ़ भी होती है तथा निर्मित भी | निर्मित भाववाचक संज्ञाएँ पांच प्रकार के शब्दों से बनती है –

  1. जातिवाचक संज्ञाओं से
  2. सर्वनाओं से
  3. विशेषणों से
  4. अव्ययों से
  5. क्रियाओ से

संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

जैसे-प्राणियों के नाम-मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि।

वस्तुओ के नाम-अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि।

स्थानों के नाम-कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि

भावों के नाम-वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि

यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है।
साधारण अर्थ में ‘वस्तु’ का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।

संज्ञा के भेद

संज्ञा के पाँच भेद होते है-
(1)व्यक्तिवाचक (Proper noun )
(2)जातिवाचक (Common noun)
(3)भाववाचक (Abstract noun)
(4)समूहवाचक (Collective noun)
(5)द्रव्यवाचक (Material noun)

(1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे-
व्यक्ति का नाम-रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि।

वस्तु का नाम-कार, टाटा चाय, कुरान, गीता रामायण आदि।

स्थान का नाम-ताजमहल, कुतुबमीनार, जयपुर आदि।

दिशाओं के नाम-उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व।

देशों के नाम-भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा।

राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमेरिकी।

समुद्रों के नाम-काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।

नदियों के नाम-गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।

पर्वतों के नाम-हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।

नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।

पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।

ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।

दिनों, महीनों के नाम-मई, अक्तूबर, जुलाई, सोमवार, मंगलवार।

त्योहारों, उत्सवों के नाम-होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।

(2) जातिवाचक संज्ञा:-जिस शब्द से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

बच्चा, जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘जातिवाचक संज्ञा’ हैं।

जैसे- लड़का, पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।

‘लड़का’से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।

‘पशु-पक्षयों’से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।

‘वस्तु’से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।

‘नदी’से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।

‘मनुष्य’कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।

‘पहाड़’कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।

(3)भाववाचक संज्ञा:-थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये ‘भाववाचक संज्ञाएँ’ हैं।

इस प्रकार-

जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में‘उत्साह’से मन का भाव है।‘ईमानदारी’से गुण का बोध होता है।‘बचपन’जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।

हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। ‘धर्म, गुण, अर्थ’ और ‘भाव’ प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता।

भाववाचक संज्ञाएँ बनाना

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय शब्दों से बनती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञााजातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाा
स्त्री-स्त्रीत्वभाई-भाईचारा
मनुष्य-मनुष्यतापुरुष-पुरुषत्व, पौरुष
शास्त्र-शास्त्रीयताजाति-जातीयता
पशु-पशुताबच्चा-बचपन
दनुज-दनुजतानारी-नारीत्व
पात्र-पात्रताबूढा-बुढ़ापा
लड़का-लड़कपनमित्र-मित्रता
दास-दासत्वपण्डित-पण्डिताई
अध्यापक-अध्यापनसेवक-सेवा

(2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना

विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा
लघु-लघुता, लघुत्व, लाघववीर-वीरता, वीरत्व
एक-एकता, एकत्वचालाक-चालाकी
खट्टा-खटाईगरीब-गरीबी
गँवार-गँवारपनपागल-पागलपन
बूढा-बुढ़ापामोटा-मोटापा
नवाब-नवाबीदीन-दीनता, दैन्य
बड़ा-बड़ाईसुंदर-सौंदर्य, सुंदरता
भला-भलाईबुरा-बुराई
ढीठ-ढिठाईचौड़ा-चौड़ाई
लाल-लाली, लालिमाबेईमान-बेईमानी
सरल-सरलता, सारल्यआवश्यकता-आवश्यकता
परिश्रमी-परिश्रमअच्छा-अच्छाई
गंभीर-गंभीरता, गांभीर्यसभ्य-सभ्यता
स्पष्ट-स्पष्टताभावुक-भावुकता
अधिक-अधिकता, आधिक्यगर्म-गर्मी
सर्द-सर्दीकठोर-कठोरता
मीठा-मिठासचतुर-चतुराई
सफेद-सफेदीश्रेष्ठ-श्रेष्ठता
मूर्ख-मूर्खताराष्ट्रीयराष्ट्रीयता

(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना

क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा
खोजना-खोजसीना-सिलाई
जीतना-जीतरोना-रुलाई
लड़ना-लड़ाईपढ़ना-पढ़ाई
चलना-चाल, चलनपीटना-पिटाई
देखना-दिखावा, दिखावटसमझना-समझ
सींचना-सिंचाईपड़ना-पड़ाव
पहनना-पहनावाचमकना-चमक
लूटना-लूटजोड़ना-जोड़
घटना-घटावनाचना-नाच
बोलना-बोलपूजना-पूजन
झूलना-झूलाजोतना-जुताई
कमाना-कमाईबचना-बचाव
रुकना-रुकावटबनना-बनावट
मिलना-मिलावटबुलाना-बुलावा
भूलना-भूलछापना-छापा, छपाई
बैठना-बैठक, बैठकीबढ़ना-बाढ़
घेरना-घेराछींकना-छींक
फिसलना-फिसलनखपना-खपत
रँगना-रँगाई, रंगतमुसकाना-मुसकान
उड़ना-उड़ानघबराना-घबराहट
मुड़ना-मोड़सजाना-सजावट
चढ़ना-चढाईबहना-बहाव
मारना-मारदौड़ना-दौड़
गिरना-गिरावटकूदना-कूद

(4) संज्ञा से विशेषण बनाना

संज्ञाविशेषणसंज्ञाविशेषण
अंत-अंतिम, अंत्यअर्थ-आर्थिक
अवश्य-आवश्यकअंश-आंशिक
अभिमान-अभिमानीअनुभव-अनुभवी
इच्छा-ऐच्छिकइतिहास-ऐतिहासिक
ईश्र्वर-ईश्र्वरीयउपज-उपजाऊ
उन्नति-उन्नतकृपा-कृपालु
काम-कामी, कामुककाल-कालीन
कुल-कुलीनकेंद्र-केंद्रीय
क्रम-क्रमिककागज-कागजी
किताब-किताबीकाँटा-कँटीला
कंकड़-कंकड़ीलाकमाई-कमाऊ
क्रोध-क्रोधीआवास-आवासीय
आसमान-आसमानीआयु-आयुष्मान
आदि-आदिमअज्ञान-अज्ञानी
अपराध-अपराधीचाचा-चचेरा
जवाब-जवाबीजहर-जहरीला
जाति-जातीयजंगल-जंगली
झगड़ा-झगड़ालूतालु-तालव्य
तेल-तेलहादेश-देशी
दान-दानीदिन-दैनिक
दया-दयालुदर्द-दर्दनाक
दूध-दुधिया, दुधारधन-धनी, धनवान
धर्म-धार्मिकनीति-नैतिक
खपड़ा-खपड़ैलखेल-खेलाड़ी
खर्च-खर्चीलाखून-खूनी
गाँव-गँवारू, गँवारगठन-गठीला
गुण-गुणी, गुणवानघर-घरेलू
घमंड-घमंडीघाव-घायल
चुनाव-चुनिंदा, चुनावीचार-चौथा
पश्र्चिम-पश्र्चिमीपूर्व-पूर्वी
पेट-पेटूप्यार-प्यारा
प्यास-प्यासापशु-पाशविक
पुस्तक-पुस्तकीयपुराण-पौराणिक
प्रमाण-प्रमाणिकप्रकृति-प्राकृतिक
पिता-पैतृकप्रांत-प्रांतीय
बालक-बालकीयबर्फ-बर्फीला
भ्रम-भ्रामक, भ्रांतभोजन-भोज्य
भूगोल-भौगोलिकभारत-भारतीय
मन-मानसिकमास-मासिक
माह-माहवारीमाता-मातृक
मुख-मौखिकनगर-नागरिक
नियम-नियमितनाम-नामी, नामक
निश्र्चय-निश्र्चितन्याय-न्यायी
नौ-नाविकनमक-नमकीन
पाठ-पाठ्यपूजा-पूज्य, पूजित
पीड़ा-पीड़ितपत्थर-पथरीला
पहाड़-पहाड़ीरोग-रोगी
राष्ट्र-राष्ट्रीयरस-रसिक
लोक-लौकिकलोभ-लोभी
वेद-वैदिकवर्ष-वार्षिक
व्यापर-व्यापारिकविष-विषैला
विस्तार-विस्तृतविवाह-वैवाहिक
विज्ञान-वैज्ञानिकविलास-विलासी
विष्णु-वैष्णवशरीर-शारीरिक
शास्त्र-शास्त्रीयसाहित्य-साहित्यिक
समय-सामयिकस्वभाव-स्वाभाविक
सिद्धांत-सैद्धांतिकस्वार्थ-स्वार्थी
स्वास्थ्य-स्वस्थस्वर्ण-स्वर्णिम
मामा-ममेरामर्द-मर्दाना
मैल-मैलामधु-मधुर
रंग-रंगीन, रँगीलारोज-रोजाना
साल-सालानासुख-सुखी
समाज-सामाजिकसंसार-सांसारिक
स्वर्ग-स्वर्गीय, स्वर्गिकसप्ताह-सप्ताहिक
समुद्र-सामुद्रिक, समुद्रीसंक्षेप-संक्षिप्त
सुर-सुरीलासोना-सुनहरा
क्षण-क्षणिकहवा-हवाई

(5) क्रिया से विशेषण बनाना

क्रियाविशेषणक्रियाविशेषण
लड़ना-लड़ाकूभागना-भगोड़ा
अड़ना-अड़ियलदेखना-दिखाऊ
लूटना-लुटेराभूलना-भुलक्कड़
पीना-पियक्कड़तैरना-तैराक
जड़ना-जड़ाऊगाना-गवैया
पालना-पालतूझगड़ना-झगड़ालू
टिकना-टिकाऊचाटना-चटोर
बिकना-बिकाऊपकना-पका

(6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना

सर्वनामभाववाचक संज्ञासर्वनामभाववाचक संज्ञा
अपना-अपनापन /अपनावमम-ममता/ ममत्व
निज-निजत्व, निजतापराया-परायापन
स्व-स्वत्वसर्व-सर्वस्व
अहं-अहंकारआप-आपा

(7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा

मन्द- मन्दी;
दूर- दूरी;
तीव्र- तीव्रता;
शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।

(8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा

परस्पर- पारस्पर्य;
समीप- सामीप्य;
निकट- नैकट्य;
शाबाश- शाबाशी;
वाहवाह- वाहवाही
धिक्- धिक्कार
शीघ्र- शीघ्रता

(4)समूहवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।

(5)द्रव्यवाचक संज्ञा:-जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।

संज्ञाओं का प्रयोग

संज्ञाओं के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-

(क) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक-कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में होता है। जैसे- ‘पुरी’ से जगत्राथपुरी का ‘देवी’ से दुर्गा का, ‘दाऊ’ से कृष्ण के भाई बलदेव का, ‘संवत्’ से विक्रमी संवत् का, ‘भारतेन्दु’ से बाबू हरिश्र्चन्द्र का और ‘गोस्वामी’ से तुलसीदासजी का बोध होता है। इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।

(ख) व्यक्तिवाचक : जातिवाचक-कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे- गाँधी अपने समय के कृष्ण थे; यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है; तुम कलियुग के भीम हो इत्यादि।

(ग) भाववाचक : जातिवाचक-कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है। उदाहरणार्थ- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है। यहाँ ‘पहरावा’ भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ। ‘पहरावे’ से ‘पहनने के वस्त्र’ का बोध होता है।

संज्ञा के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक में सम्बन्ध)

संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।

लिंग के अनुसार

नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।

इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।

वचन के अनुसार

लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।

इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।

कारक- चिह्नों के अनुसार

लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।

इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-

बिना कारक-चिह्न के-लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)

कारक-चिह्नों के साथ-लड़कों ने खाना खाया।
लड़कियों ने खाना खाया।
लड़कों से पूछो।
लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।

सर्वनाम

सर्वनाम (Pronoun)की परिभाषा

जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।

सरल शब्दों में-सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं।

सर्वनाम यानी सबके लिए नाम। इसका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है। आइए देखें, कैसे? राधा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ाई में बहुत तेज है। उसके सभी मित्र उससे प्रसन्न रहते हैं। वह कभी-भी स्वयं पर घमंड नहीं करती। वह अपने माता-पिता का आदर करती है।
आपने देखा कि ऊपर लिखे अनुच्छेद में राधा के स्थान पर वह, उसके, उससे, स्वयं, अपने आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। अतः ये सभी शब्द सर्वनाम हैं।

इस प्रकार,
संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।

मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि सर्वनाम शब्द हैं। अन्य सर्वनाम शब्द भी इन्हीं शब्दों से बने हैं, जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से अपना रूप बदलते हैं; जैसे-

राधा नृत्य करती है। राधा का गाना भी अच्छा होता है। राधा गरीबों की मदद करती है।
राधा नृत्य करती है। उसका गाना भी अच्छा होता है। वह गरीबों की मदद करती है।
आप- अपना, यह- इस, इसका, वह- उस, उसका।

अन्य उदाहरण
(1)’सुभाष’ एक विद्यार्थी है।
(2)वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।

उपयुक्त वाक्यों में‘सुभाष’शब्द संज्ञा है तथा इसके स्थान परवह, उसके, उसेशब्द संज्ञा (सुभाष) के स्थान पर प्रयोग किये गए है। इसलिए ये सर्वनाम है।

संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। ‘लड़का’ कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु ‘वह’ कहने से पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।

सर्वनाम के भेद

सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम(Personal pronoun)
(2)निश्चयवाचक सर्वनाम(Demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम(Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम(Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम(Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम(Reflexive Pronoun)

(1) पुरुषवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिसके विषय में बात होती है, उनके लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मैं, तुम, वह’ पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।

पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रकार

पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
(i)उत्तम पुरुषवाचक(ii)मध्यम पुरुषवाचक(iii)अन्य पुरुषवाचक

(i)उत्तम पुरुषवाचक(First Person):-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।

उदाहरण-मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
यह कविता मैंने लिखी है।
बारिश में हमारी पुस्तकें भीग गई।
मैंने उसे धोखा नहीं दिया।

(ii) मध्यम पुरुषवाचक(Second Person) :-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।

उदाहरण-तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
तुम सो जाओ।
तुम्हारे पिता जी क्या काम करते हैं ?
तू घर देर से क्यों पहुँचा ?
तुमसे कुछ काम है।

(iii)अन्य पुरुषवाचक (Third Person):-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।

उदाहरण-वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।
वह कल विद्यालय नहीं आया था।
उसे कुछ मत कहना।
उन्हें रोको मत, जाने दो।
इनसे कहिए, अपने घर जाएँ।

(2) निश्चयवाचक सर्वनाम:-सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्र्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।

सरल शब्दों में-जो सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
तनुज का छोटा भाई आया है। यह बहुत समझदार है।
किशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ किसी व्यक्ति का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं, अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम:-जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
मोहन! आज कोई तुमसे मिलने आया था।
पानी में कुछ गिर गया है।
यहाँ ‘कोई’ और ‘कुछ’ व्यक्ति और वस्तु का अनिश्चित बोध कराने वाले अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

(4)संबंधवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-जो सर्वनाम वाक्य में प्रयुक्त किसी अन्य सर्वनाम से सम्बंधित हों, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘वैसा’ का सम्बंध ‘जैसा’ के साथ तथा ‘उसकी’ का सम्बन्ध ‘जिसकी’ के साथ सदैव रहता है। अतः ये संबंधवाचक सर्वनाम है।

(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम:-जो सर्वनाम शब्द सवाल पूछने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में-प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्रवाचक सर्वनाम’ कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।

वाक्यों में इनका प्रयोग देखिए-
टोकरी में क्या रखा है।
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो?
उपर्युक्त वाक्यों में ‘क्या’ और ‘कौन’ का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए हुआ है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम है।

(6) निजवाचक सर्वनाम:-‘निज’ का अर्थ होता है- अपना और ‘वाचक’ का अर्थ होता है- बोध (ज्ञान) कराने वाला अर्थात ‘निजवाचक’ का अर्थ हुआ- अपनेपन का बोध कराना।
इस प्रकार,
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।

‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम-दोनों में होता है।
उदाहरण-
आप कल दफ्तर नहीं गए थे। (मध्यम पुरुष- आदरसूचक)
आप मेरे पिता श्री बसंत सिंह हैं। (अन्य पुरुष-आदरसूचक-परिचय देते समय)
ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (निजवाचक सर्वनाम)

‘निजवाचक सर्वनाम’ का रूप ‘आप’ है। लेकिन पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले ‘आप’ से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ‘आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- आप मेरे सिर-आखों पर है; आप क्या राय देते है ? किन्तु, निजवाचक ‘आप’ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

निजवाचक सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थो में होता है-

(क) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्र्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं ‘आप’ वहीं से आया हूँ; मैं ‘आप’ वही कार्य कर रहा हूँ।

(ख) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और ‘आप’ चलते बने; वह औरों को नहीं, ‘अपने’ को सुधार रहा है।

(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आप’ भला तो जग भला; ‘अपने’ से बड़ों का आदर करना उचित है।

(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे- मैं ‘आप ही’ चला आता था; यह काम ‘आप ही’; मैं यह काम ‘आप ही’ कर लूँगा।

संयुक्त सर्वनाम

रूस के हिन्दी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे ‘संयुक्त सर्वनाम’ कहा है। उन्हीं के शब्दों में, ‘संयुक्त सर्वनाम’ पृथक श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भित्रता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतन्त्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।

इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।

सर्वनाम के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक)

सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपान्तर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।

संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।

सर्वनाम में केवल सात कारक होते है। सम्बोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-

मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा;तुम-तुम्हें, तुम्हारा;हम-हमें, हमारा;वह-उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको;यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे;कौन-किसने, किसको, किसे।

सर्वनाम की कारक-रचना (रूप-रचना)

संज्ञा शब्दों की भाँति ही सर्वनाम शब्दों की भी रूप-रचना होती। सर्वनाम शब्दों के प्रयोग के समय जब इनमें कारक चिह्नों का प्रयोग करते हैं, तो इनके रूप में परिवर्तन आ जाता है।

(‘मैं’ उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तामैं, मैंनेहम, हमने
कर्ममुझे, मुझकोहमें, हमको
करणमुझसेहमसे
सम्प्रदानमुझे, मेरे लिएहमें, हमारे लिए
अपादानमुझसेहमसे
सम्बन्धमेरा, मेरे, मेरीहमारा, हमारे, हमारी
अधिकरणमुझमें, मुझपरहममें, हमपर

(‘तू’, ‘तुम’ मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तातू, तूनेतुम, तुमने, तुमलोगों ने
कर्मतुझको, तुझेतुम्हें, तुमलोगों को
करणतुझसे, तेरे द्वारातुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से
सम्प्रदानतुझको, तेरे लिए, तुझेतुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए
अपादानतुझसेतुमसे, तुमलोगों से
सम्बन्धतेरा, तेरी, तेरेतुम्हारा-री, तुमलोगों का-की
अधिकरणतुझमें, तुझपर

तुममें, तुमलोगों में-पर

(‘वह’ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तावह, उसनेवे, उन्होंने
कर्मउसे, उसकोउन्हें, उनको
करणउससे, उसके द्वाराउनसे, उनके द्वारा
सम्प्रदानउसको, उसे, उसके लिएउनको, उन्हें, उनके लिए
अपादानउससेउनसे
सम्बन्धउसका, उसकी, उसकेउनका, उनकी, उनके
अधिकरणउसमें, उसपरउनमें, उनपर

(‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तायह, इसनेये, इन्होंने
कर्मइसको, इसेये, इनको, इन्हें
करणइससेइनसे
सम्प्रदानइसे, इसकोइन्हें, इनको
अपादानइससेइनसे
सम्बन्धइसका, की, केइनका, की, के
अधिकरणइसमें, इसपरइनमें, इनपर

(‘आप’ आदरसूचक)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताआपनेआपलोगों ने
कर्मआपकोआपलोगों को
करणआपसेआपलोगों से
सम्प्रदानआपको, के लिएआपलोगों को, के लिए
अपादानआपसेआपलोगों से
सम्बन्धआपका, की, केआपलोगों का, की, के
अधिकरणआप में, परआपलोगों में, पर

(‘कोई’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताकोई, किसनेकिन्हीं ने
कर्मकिसी कोकिन्हीं को
करणकिसी सेकिन्हीं से
सम्प्रदानकिसी को, किसी के लिएकिन्हीं को, किन्हीं के लिए
अपादानकिसी सेकिन्हीं से
सम्बन्धकिसी का, किसी की, किसी केकिन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के
अधिकरणकिसी में, किसी परकिन्हीं में, किन्हीं पर

(‘जो’ संबंधवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताजो, जिसनेजो, जिन्होंने
कर्मजिसे, जिसकोजिन्हें, जिनको
करणजिससे, जिसके द्वाराजिनसे, जिनके द्वारा
सम्प्रदानजिसको, जिसके लिएजिनको, जिनके लिए
अपादानजिससे (अलग होने)जिनसे (अलग होने)
संबंधजिसका, जिसकी, जिसकेजिनका, जिनकी, जिनके
अधिकरणजिसपर, जिसमेंजिनपर, जिनमें

(‘कौन’ प्रश्नवाचक सर्वनाम)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्ताकौन, किसनेकौन, किन्होंने
कर्मकिसे, किसको, किसकेकिन्हें, किनको, किनके
करणकिससे, किसके द्वाराकिनसे, किनके द्वारा
सम्प्रदानकिसके लिए, किसकोकिनके लिए, किनको
अपादानकिससे (अलग होने)किनसे (अलग होने)
संबंधकिसका, किसकी, किसकेकिनका, किनकी, किनके
अधिकरणकिसपर, किसमेंकिनपर, किनमें

सर्वनाम का पद-परिचय

सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका सम्बन्ध बताना पड़ता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।

इस वाक्य में, ‘वह’ और ‘अपना’ सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-

वह-पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘करता है’ क्रिया का कर्ता।

अपना-निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुंलिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, ‘काम’ संज्ञा का विशेषण।

विशेषण – परिभाषा ,भेद , उदाहरण

विशेषण किसे कहते है – Visheshan Kise Kahate Hain

परिभाषा :-सरल शब्दों मे समझें कि किसी भी व्यक्ति,वस्तु क़ो उसकीविशेष बात से दर्शानाया उसकी विशेषता बतानाविशेषण(Adjective)कहलाता है।

जैसे :-काला घोड़ा, हरा पैन,ईमानदार आदमी ,दो लीटर दूध

  • यहां काला, हरा, ईमानदार, दो लीटरविशेषणहै जोसंज्ञाशब्दों की विशेषता बता रहे है।

नोट :-विशेषणसंज्ञाकी व्याप्तिमर्यादितकरता है जैसेसफ़ेद कुत्ता

  • यहां कुत्ता कहने पर सब प्राणीयों का बोध होता है। कुत्ता कहने पर सभी रंगो के कुत्ते जुड़ जाते है । जिसकी संख्या ज़्यादा है औरसफ़ेद कुत्ताकहने से उससे कम प्राणियों का बोध होता है। सिर्फ सफ़ेद रंग का कुत्ता। इस प्रकारविशेषण से सीमित मात्रामे किसी वस्तु का बोध होता है ।

हम कुछउदाहरणसे विशेषण क़ो अच्छे से समझेंगे ।

(1) उसका मकान बहुत ऊँचा है।
व्याख्या :-यहां मकान की विशेषताऊँचाहोना है

(2) सुरेश की कमीज बहुत सुंदर है।
व्याख्या :-कमीज कीसुंदरताके बारे मे बता रहे है

(3) तीनों बालक आ रहे है।
व्याख्या :-यहातीनो बालककी विशेषता बता रहे है।

(4) सीता दो मीटर पैदल चली।
व्याख्या :-दो मीटरपैदल चलने की विशेषता बता रहे है

(5) ताजमहल बहुत सुंदर इमारत है।

व्याख्या :-यहां ताजमहल कीसुंदरताबता रहे है

विशेषण के भेद : विशेषण मूलतःचारप्रकार के होते है-

गुणवाचक विशेषण किसे कहते है – Gunvachak Visheshan Kise Kahate Hain

जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए,गुणवाचक विशेषणकहलाते हैं।

गुणवाचक विशेषण के उदाहरण– Gunvachak Visheshan ke Udaharan

  • गुणबोधक: अच्छा, भला, शिष्ट, सभ्य, नम्र, सुशील, कर्मठ आदि।
  • दोषबोधक: बुरा, अशिष्ट, असभ्य, उद्दंड, दुश्शील, आलसी आदि।
  • रंगबोधक: काला, लाल, हरा, पीला, मटमैला, सफेद, चितकबरा आदि।
  • कालबोधक: नया, पुराना, ताजा, प्राचीन, नवीन, क्षणिक, क्षणभंगुर आदि।
  • स्थानबोधक: भारतीय, चीनी, राजस्थानी, जयपुरी, बिहारी, मद्रासी आदि।
  • गंधबोधक: खुश्बूदार, सुगंधित, बदबूदार आदि।
  • दिशाबोधक: पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी, भीतरी, बाहरी, ऊपरी आदि।
  • अवस्थाबेाधक: गीला, सूखा, जला हुआ, पिघला हुआ आदि।
  • दशाबोधक: रोगी, स्वस्थ, अस्वस्थ, अमीर, बीमार, सुखी, दुःखी, गरीब आदि।
  • आकारबोधक: मोटा, छोटा, लम्बा, पतला, गोल, चपटा, अण्डाकार आदि।
  • स्पर्शबोधक: कठोर, कोमल, मखमली, मुलायम, चिकना, खुरदरा आदि।
  • स्वादबोधक: खट्टा, मीठा, कसैला, नमकीन, चरपरा, कङवा, तीखा आदि।

संख्यावाचक विशेषण किसे कहते है – Sankhya Vachak Visheshan kise kahate hain

जिन शब्दों द्वारासंज्ञायासर्वनामकी संख्या संबंधी विशेषता बताई जाये, उन्हेंसंख्यावाचक विशेषण(Sankhya Vachak Visheshan)कहते है।

जैसे :

  • मैदान में पाँच लङके खेल रहे है।
  • कक्षा में कुछ छात्र बैठे है।

उक्त उदाहरणों में’पाँच’निश्चित संख्या तथा’कुछ’अनिश्चित संख्या का बोध कराते है।

संख्यावाचक विशेषण के भेद

अतः संख्यावाचक विशेषण केदोभेद होते है :

  • निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  • अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
निश्चित संख्यावाचक विशेषण क्या है ?

जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो।

जैसे : दसआदमी,पन्द्रहलङके,पचासरूपये आदि।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भेद

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भीचारप्रभेद होते हैं :

  1. गणनावाचक :एक, दो, तीन, चार………
  2. क्रमवाचक :पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा……..
  3. आवृतिवाचक :दुगुना, तिगुना, चौगुना……………
  4. समुदायवाचक :दोनों, तीनों, चारों…………
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण क्या है ?

जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो।

जैसे :कुछ आदमी, बहुत लङके, थोङे से रूपये आदि।

अन्य उदाहरण :

  • आज भी देश मेंलाखोंलोग भूखमरी के शिकार है।
  • रेल दुर्घटना मेंसैकङोंयात्री घायल हो गए।
  • मुझेहजार-दो हजाररूपये दे दो।
  • कल सभा मेंलगभग एक हजारव्यक्ति थे।

अर्थातसंख्यावाचक विशेषणमें संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है

परिणामवाचक विशेषण किसे कहते है – Pariman vachak visheshan kise kahate hain

वे शब्द जो विशेष्यों की मात्रा (नाप, माप, तौल) का बोध कराते हैं,परिमाणवाचक विशेषणकहलाते है। ध्यान रखें किपरिमाणवाचक विशेषणमें माप तौल की इकाई जरुर दी होगी l इस विशेषण का एकमात्र विशेष्यद्रव्यवाचक संज्ञाहै।

जैसे :

  • थोङा दूध दीजिए, बच्चा भूखा है।
  • रामू के खेत में दस क्विंटल गेहूँ पैदा हुए।

उक्त वाक्यों मेंथोङा दूधअनिश्चयवाचक परिमाण तथादस क्विंटलनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं। इसी आधार पर परिमाणवाचक विशेषण के भीदोभेद होते हैं l जो निम्न है :

परिमाणवाचक विशेषण के भेद

  • निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
  • अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण क्या है ?

जो निश्चित मात्रा का बोध कराये।

जैसे :

  • दो मीटर कपङा
  • पाँच लीटर तेल
  • एक क्विंटल चावल आदि।
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण क्या है ?

जो निश्चित मात्रा का बोधकराये।

जैसे :सारा कपङा, ज्यादा लीटर तेल, अधिक चावल आदि।

संख्यावाचक एवं परिमाणवाचक विशेषण में अंतर

  • ⇒ संख्यावाचक मेंगणनाहोती है जबकि परिमाणवाचक मेंनापा या तौलाजाता है।
  • ⇒संख्यावाचक में संख्या के बाद कोई संज्ञा या सर्वनाम शब्द होता है जबकि परिमाणवाचक में संख्या के बाद नाप, माप, तौल की इकाई होती है और उसके बाद पदार्थ (जातिवाचक संज्ञा) होता है।

सार्वनामिक/संकेतवाचक विशेषण क्या है – Sarvanamik vachak visheshan Kya Hain

वे विशेषण शब्द जो संज्ञा शब्द की ओर संकेत के माध्यम से विशेषता प्रकट करते है,संकेतवाचक विशेषणकहलाता है। चूँकि ये सर्वनाम शब्द होते हैं जो विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं अतः इन्हेंसार्वनामिक विशेषणभी कहते है।

सार्वनामिक विशेषण और सर्वनाम में अंतर

यदि इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यहसार्वनामिक विशेषणकहलाते हैं और यदि ये अकेले अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हेा तोसर्वनामकहलाते हैं।

जैसे :

  • यह लङकी बहुत बुद्धिमती है।(सार्वनामिक विशेषण)
  • यह बहुत बुद्धिमती है।(निश्चयवाचक विशेषण)
  • उस देवी को मैं आज भी याद करता हूँ।(सार्वनामिक विशेषण)
  • उसको मैं आज भी याद करता हूँ।(निश्चयवाचक विशेषण)

नोट :कुछ विद्वान विशेषण का एक भेद और स्वीकार करते हैं।

व्यक्तिवाचक विशेषण – Vyakti vachak visheshan

वे विशेषण, जोव्यक्तिवाचक संज्ञाओंसे बनकर अन्यसंज्ञायासर्वनामकी विशेषता बतलाते है उन्हेंव्यक्तिवाचक विशेषणकहते है।

जैसे :भारतीय सैनिक, जापानी खिलौने, जयपुरी रजाइयाँ, जोधपुरी जूती, बनारसी साङी, कश्मीरी सेब, बीकानेरी भुजिया आदि।

गुणवाचक विशेषण की तुलना

जिन विशेषणों के द्वारा दो या अधिक विशेष्यों के गुण-अवगुण की तुलना की जाती है, उन्हें‘तुलनाबोधक विशेषण’कहते हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बताने वाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अंतर होता है।

तुलना के विचार से विशेषणों कीतीनविशेषताएँ होती है।

  1. मूलावस्था
  2. उत्तरावस्था
  3. उत्तमावस्था

1.मूलावस्था:इसके अंतर्गत विशेषणों कामूल रूपआता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है।
जैसे -राम सुन्दर है।

2.उत्तरावस्थाःजब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण कीउत्तरावस्थाकहते हैं।
जैसे – राम श्याम से सुन्दर है।

3.उत्तमावस्था:यह विशेषण की सर्वाेत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तिओं या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण कीउत्तमावस्थाकहलाती है।

जैसे-राम सबसे सुन्दर है।

ऊपर बताये गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था मेंतरऔरतमलगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं-

गुणवाचक विशेषण की अवस्थाएँ

मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
प्रियप्रियतरप्रियतम
लघुलघुतरलघुतम
कोमलकोमलतरकोमलतम
निम्ननिम्नतरनिम्नतम
सुन्दरसुन्दरतरसुन्दरतम
उच्चउच्चतरउच्चतम
अधिकअधिकतरअधिकतम
महत्महत्तरमहत्तम
योग्ययोग्यतरयोग्यतम
सरलसरलतरसरलतम
कठोरकठोरतरकठोरतम
मधुरमधुरतरमधुरतम
न्यूनन्यूनतरन्यूनतम
निकटनिकटतरनिकटतम
कटुकटुतरकटुतम
महानमहानतरमहानतम
विशालविशालतरविशालतम
दृढ़दृढ़तरदृढ़तम
मृदुमृदुतरमृदुतम
तीव्रतीव्रतरतीव्रतम
तीक्ष्णतीक्ष्णतरतीक्ष्णतम
निर्बलनिर्बलतरनिर्बलतम
बलिष्ठबलिष्ठतरबलिष्ठतम
गुरुगुरुतरगुरुतम

विशेषण शब्द लिस्ट – Visheshan in Hindi Examples

संज्ञा से विशेषण शब्द – Sangya se Visheshan banana

स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है। आवश्यकतानुसारसंज्ञा से ही विशेषणोंको बनाया जाता है।

संज्ञाविशेषण
अंकअंकित
अलंकारअलंकारिक
अर्थआर्थिक
अग्निआग्नेय
अंचलआंचलिक
अपेक्षाअपेक्षित
अनुशासनअनुशासित
अपमानअपमानित
अंशआंशिक
अधिकारअधिकारी
अभ्यासअभ्यस्त
आदरआदरणीय
आदिआदिम
आधारआधारित, आधृत
आत्माआत्मिक
इच्छाऐच्छिक
इतिहासऐतिहासिक
ईश्वरईश्वरीय/ऐश्वर्य
उपेक्षाउपेक्षित
उत्कर्षउत्कृष्ट
उद्योगऔद्योगिक
उपनिषद्औपनिषदिक
उपन्यासऔपन्यासिक
उपार्जनउपार्जित
उपदेशउपदेशात्मक, उपदिष्ट
उपनिवेशऔपनिवेशिक
उन्नतिउन्नतिशील
ऋणऋणी
कल्पनाकल्पित
कामकाम्य
केन्द्रकेन्द्रीय
कृपाकृपालु
कपटकपटी
कुलकुलीन
कुसुमकुसुमि
गंगागांगेय
गुणगुणवान
ग्रामग्रामीण/ग्राम्य
घरघरेलू
घृणाघृणित
चर्चाचर्चित
चरित्रचारित्रिक
चक्षुचाक्षुष
चाचाचचेरा
चमकचमकीला
चायचायवाला
छलछलिया
जातिजातीय
तर्कतार्किक
तत्वतात्विक
तंत्रतांत्रिक
तिरस्कारतिरस्कृत
तरंगतरंगिनी
दर्शनदर्शनीय
दानदानी
देशदेशीय/देशी
देवदिव्य/दैविक
देहदैहिक
दयादयालु
धर्मधार्मिक
धनधनी
ध्वनिध्वनित
नगरनागरिक
निशानैश
निषेधनिषिद्ध
नरकनारकीय
न्यायन्यायिक
नमकनमकीन
नीलनीला
पशुपाश्विक
परीक्षापरीक्षित
प्रमाणप्रामाणिक
पापपापी
पितापैतृक
परिचयपरिचित
पल्लवपल्लवित
प्राचीप्राच्य
प्रणामप्रणम्य

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
पुष्टिपौष्टिक
पुराणपौराणिक
पक्षपाक्षिक
पुष्पपुष्पित
पूजापूज्य
पुत्रपुत्रवती
प्यासप्यासा
फेनफेनिल
बुद्धबौद्ध
बलबली
भारतभारतीय
भावभावुक
भोगभोगी
मनमनस्वी
भूगोलभौगोलिक
भोजनभोज्य
मानसमानसिक
मातामातृक
मंगलमांगलिक
मामाममेरा
मेधामेधावी
मर्ममार्मिक
मासमासिक
यशयशस्वी
योगयौगिक
राजराजकीय
रंगरंगीन/रंगीला
राष्ट्रराष्ट्रीय
रसरसीला/रसिक
रोमरोमिल
रूपरूपवान/रूपवती
रोगरोगी
लक्षणलाक्षणिक
लेखलिखित
वेदवैदिक
विशेषविशिष्ट
विकल्पवैकल्पिक
विवाहवैवाहिक
विज्ञानवैज्ञानिक
विश्वासविश्वसनीय,विश्वस्त
वर्गवर्गीय
व्यक्तिवैयक्तिक
व्यापारव्यापारिक
विपतिविपन्न
वादवादी
समयसामयिक
साहित्यसाहित्यिक
स्तुतिस्तुत्य
समुदायसामुदायिक
सिद्धान्तसैद्धान्तिक
स्त्रीस्त्रैण
सुखसुखी
श्रीश्रीमान्
संस्कृतसांस्कृतिक
सभासभ्य
स्वर्णस्वर्णिम
शक्तिशाक्त
शिक्षाशैक्षिक
शास्त्रशास्त्रीय
शंकाशंकित
शिवशैव
शोषणशोषित
शासनशासित
हृदयहार्दिक
हवाहवाई
हँसीहँसोङा
हिंसाहिंसक
श्रद्धाश्रद्धालु
ज्ञानज्ञानी
विरोधविरोधी
क्षेत्रक्षेत्रीय
क्षणक्षणिक
प्यारप्यारा
समाजसामाजिक
जयपुरजयपुरी
विषविषैला
बुद्धिबुद्धिमान
गुणगुणवान
दूरदूरस्थ
शहरशहरी
क्रोधक्रोधी
शरीरशारीरिक
शक्तिशक्तिमान
रूपरूपवान
सृजनसृजनहार
पालनपालनहार
रथरथवाला
दूधदूधवाला
भूखभूखा
स्वर्गस्वर्गीय
चमकचमकीला
नोकनुकीला

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
धनधनहीन
तेजतेजहीन
दयादयाहीन
मनमानसिक
अभिषेकअभिषिक्त
अनुरागअनुरागी
अन्यायअन्यायी
आश्रयआश्रित
अनुमोदनअनुमोदित
ईसाईस्वी
उन्नतिउन्नत
अनुभवअनुभवी
अन्तरआन्तरिक
अंकनअंकित
आसक्तिआसक्त
अणुआणविक
अपराधअपराधी
ईर्ष्याईर्ष्यालु
उपयोगउपयुक्त
ऋषिआर्ष
ओष्ठओष्ठ्य
कांटाकंटीला
कागजकागजी
क्रमक्रमिक
कमाईकमाऊ
क्रयक्रीत
कलंककलंकित
खूनखूनी
खेलखिलाङी
खानखनिज
गर्वगर्वीला
घनिष्ठताघनिष्ठ
गुलाबगुलाबी
गर्मीगर्म
घावघायल
जटाजटिल
चाचाचचेरा
जहरजहरीला
जागरणजाग्रत
जंगलजंगली
त्यागत्याज्य
तन्त्रतान्त्रिक
देशदेशी
दम्पतिदाम्पत्य
नाटकनाटकीय
निन्दानिन्द्य/निन्दनीय
दगादगाबाज
धर्मधार्मिक
नावनाविक
निषेधनिषिद्ध
पुस्तकपुस्तकीय
पराजयपराजित
परिचयपरिचित
पृथ्वीपार्थिक
कुटुम्बकौटुम्बिक
किताबकिताबी
कालकालीन
क्लेशकिलष्ट
करुणाकरुण
खर्चखर्चीला
खानाखाऊ
ख्यातिख्यात
गृहस्थगार्हस्थ्य
गांवगंवार

विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञाविशेषण
गेरुगेरुआ
घमण्डघमण्डी
घातघातक
चर्चाचर्चित
चिन्ताचिन्त्य
चरित्रचारित्रिक
जवाबजवाबी
जातिजातीय
तापतप्त
दन्तदन्त्य
दिनदैनिक
नियमनियमित
पत्थरपथरीला
पुरुषपौरुषेय
प्रान्तप्रान्तीय
प्रदेशप्रादेशिक
पाठकपाठकीय
पश्चिमपाश्चात्य
प्रशंसाप्रशंसनीय
परिवारपारिवारिक
फलफलित
भूतभौतिक
भाषाभाषिक
भयभयानक
मोहमोहक/मोहित
मिथिलामैथिल
मथुरामाथुर
मुखमौखिक
मूलमौलिक
यज्ञयाज्ञिक
यदुयादव
रसीदरसीदी
राष्ट्रराष्ट्रीय
राहराही
लज्जालज्जित
लोभलोभी
विकारविकृत
वन्दनावन्द्य/वन्दनीय
वियोगवियोगी
संसारसांसारिक
स्वभावस्वाभाविक
पानीपानीय/पेय
पुष्टिपौष्टिक
प्रसंगप्रासंगिक
बलबलिष्ठ
भ्रमभ्रामक/भ्रमित
भूषणभूषित
भूखभूखा
माधुर्यमधुर
मूर्च्छामूर्छित
मनुमानव
मर्ममार्मिक
मांसमांसल
मृत्युमत्र्य
योगयोगी
यशयशपाल
रुद्ररौद्र
राक्षसराक्षसी
रोमांचरोमांचित
लाठीलठैत
लोहालौह
विस्मयविस्मित
विपतिविपन्न
व्यवसायव्यावसायिक
विजयविजयी
विवेकविवेकी
विधानवैधानिक
वेतनवैतनिक
विषयविषयी
वास्तववास्तविक
समाजसामाजिक
स्वप्नस्वप्निल
स्मृतिस्मार्त
संकेतसांकेतिक
शिवशैव
शास्त्रशास्त्रीय
हिंसाहिसंक
सम्बन्धसम्बन्धी
विदेशविदेशी/वैदेशिक
शरद्शारदीय
देहलीदेहलवी
बरेलीबरेलवी
मुरादाबादमुरादाबादी
सूर्यसौर
समाससामासिक
सन्देहसंदिग्ध
सिन्धुसैन्धव
सोनासुनहरा
शौकशौकीन
शास्त्रशास्त्रीय
श्यामश्यामल
शृंगारशृंगारिक
क्षमाक्षम्य
विष्णुवैष्णव
स्तुतिस्तुत्य
स्वदेशस्वदेशी
नीतिनैतिक
संयोगसंयुक्त
लखनऊलखनवी
पहाङपहाङी

विशेषण अभ्यास प्रश्न – Visheshan ke Abhyas prashn

1. विशेषण के भेदों का सही समूह है –

(अ) व्यक्तिवाचक, गुणवाचक, संबंधवाचक, सार्वनामिक
(ब) गुणवाचक, परिणामवाचक, संख्यावाचक, भाववाचक
(स) व्यक्तिवाचक, संबंधवाचक, निश्चयवाचक, निजवाचक
(द) गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक, सार्वनामिक✔️

2. ’उत्कर्ष’ से विशेषण क्या बनेगा ?

(अ) अपकर्ष (ब) अवकर्ष
(स) उत्कृष्ट ✔️ (द) अधोकृष्ट

3. अर्थ की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद माने गए हैं –

(अ) चार ✔️ (ब) तीन
(स) पाँच (द) छह

4. निम्नलिखित वाक्यों में से एक वाक्य में विशेषण सम्बन्धी अशुद्धि नहीं है, वह कौन-सा है?
(अ) उसमें एक गोपनीय रहस्य है।
(ब) आप जैसा अच्छा सज्जन कौन होगा।
(स) कहीं से खूब ठण्डा बर्फ लाओ।
(द) वहाँ ज्वर की सर्वोत्कृष्ट चिकित्सा होती है। ✔️

5. विशेष्य किसे कहते हैं –
(अ) जो विशेषता बताई जाए
(ब) जिसकी विशेषता बताई जाए ✔️
(स) जो विशेषता बताए
(द) इनमें से कोई नहीं

6. ’आलस्य’ संज्ञा का विशेषण रूप क्या है?
(अ) आलस (ब) अलसता
(स) आलसी ✔️ (द) आलसीपन

7. संज्ञा या सर्वनाम के गुण, आकार, रंग, दशा, काल और स्थान का बोध करानेवाले विशेषण हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक

8. ’शक्ति’ शब्द से बननेवाला विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) शक्तिशाली (ब) शाक्त
(स) शक्तिमान (द) शक्तियाँ ✔️

9. ’दानवीर कर्ण का सभी स्मरण करते हैं।’ वाक्य का ’दानवीर’ शब्द कौनसा विशेषण है?
(अ) परिमाण वाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) संख्यावाचक (द) सार्वनामिक

10. निम्नलिखित शब्दों में कौनसा शब्द विशेषण है?
(अ) सच्चा ✔️ (ब) शीतलता
(स) नम्रता (द) देवत्व

11. अच्छा-बुरा, सुगंधित, उत्तरी-पूर्वी, प्राचीन आदि विशेषण किस प्रकार के हैं –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) स्थानवाचक

12. निम्नलिखित में से प्रविशेषण शब्द है –
(अ) गहरा कुआँ (ब) बहुत खर्च
(स) निपट अनाङी ✔️ (द) शांत लङका

13. ’संस्कृति’ संज्ञा किस विशेषण शब्द से बना है?
(अ) संस्कृत ✔️ (ब) सुकृति
(स) सांस्कृतिक (द) संस्कार

14. निम्नांकित में विशेषण है?
(अ) सुलेख (ब) आकर्षक ✔️
(स) हव्य (द) पौरुष

15. निम्नलिखित में से विशेषण शब्द है –
(अ) नारी (ब) सुबह
(स) पिता (द) पैतृक ✔️

16. ’मानव’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) मनुष्य (ब) मानवीकरण
(स) मानवता (द) मानवीय ✔️

17. ’आदर’ शब्द से विशेषण बनेगा –
(अ) आदरकारी (ब) आदरपूर्वक
(स) आदरणीय ✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

18. ’पाणिनि’ का विशेषण क्या होगा?
(अ) पाणनीय (ब) पाणिनीय ✔️
(स) पाणीनी (द) पाणिनी

19. ’आतंकवाद से पीङित मानवता की पुकार अनसुनी नहीं की जा सकती है।’ वाक्य में ’पीङित’ शब्द है –
(अ) भाववाचक संज्ञा (ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण ✔️ (द) संख्यावाचक विशेषण

20. इनमें से गुणवाचक विशेषण कौन-सा है ?
(अ) चौगुना (ब) नया ✔️
(स) तीन (द) कुछ

विशेषण के वस्तुनिष्ठ प्रश्न – Visheshan ke Objective Question

21. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(ब) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️
(स) अच्छा, तुम घर जाओ।
(द) अच्छा है, वह अभी आ जाए।

22. विशेषण किस शब्द की विशेषता बताते हैं ?
(अ) कारक की (ब) संज्ञा की
(स) सर्वनाम की (द) संज्ञा और सर्वनाम की ✔️

23. निम्नलिखित में से गुणवाचक विशेषण समूह है –
(अ) थोङा, कुछ, पाश्चात्य, गंभीर, ढेर सारा
(ब) एक दर्जन, वह, पतली, प्रत्येक, थोङा
(स) कठोर, खुरदरा, जापानी, स्वस्थ, कसैला ✔️
(द) थोङा, कुछ, खुरदरा, प्रत्येक, वह

24. विशेषण का प्रयोग होता है –
(अ) विशेष्य के पहले (ब) विशेष्य के बाद
(स) उपर्युक्त दोनों ✔️ (द) उपर्युक्त कोई नहीं

25. जयपुरी रजाइयाँ जयपुर का महत्त्वपूर्ण उत्पादन है। इस वाक्य में विशेषण है –
(अ) जयपुरी-उत्पादन (ब) महत्त्वपूर्ण-भारत
(स) महत्त्वपूर्ण-रजाइयाँ (द) जयपुरी-महत्त्वपूर्ण ✔️

26. निम्न में से कौनसा संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) समूहवाचक (ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक (द) उपर्युक्त सभी ✔️

27. ’आँखों की ज्योति के लिए हरा रंग अच्छा माना गया है’ वाक्य में विशेषण है –
(अ) रंग (ब) ज्योति
(स) हरा ✔️ (द) अच्छा

28. ’बहुत-कुछ’ शब्द किस संख्यावाचक विशेषण का प्रकार है?
(अ) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) गणनावाचक
(स) क्रमवाचक
(द) प्रत्येक बोधक

29. संज्ञा या सर्वनाम की माप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) परिमाणवाचक विशेषण ✔️
(ब) परिणामवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) संख्यावाचक विशेषण

30. प्रविशेषण किसे कहते हैं?
(अ) विधेय की विशेषता बतानेवाला शब्द
(ब) विशेष्य की विशेषता बतानेवाला शब्द
(स) विशेषण की विशेषता बतानेवाला शब्द ✔️
(द) विशेषण के पूर्व लगनेवाला विशेषण

31. परिमाणवाचक विशेषण कितने प्रकार के माने गए हैं-
(अ) दो ✔️ (ब) तीन
(स) चार (द) इनमें से कोई नहीं

32. सार्वनामिक विशेषण कहाँ आते हैं?
(अ) सर्वनाम के बाद (ब) संज्ञा के पहले ✔️
(स) संज्ञा के बाद (द) उपर्युक्त कोई नहीं

33. ’यह गाय प्रतिदिन पाँच लीटर दूध देती है।’ रेखांकित शब्द में विशेषण है –
(अ) अनिश्चित परिमाणवाचक
(ब) निश्चित परिमाणवाचक ✔️
(स) गुणवाचक
(द) संख्यावाचक

34. इन शब्दों में से कौनसा विशेषण अविकारी है?
(अ) बुरा (ब) पतला
(स) मधुर ✔️ (द) सीधा

35. जिन विशेषणों के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता, कहलाते हैं –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक
(ब) संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) सार्वनामिक

36. निम्न में से कौनसा तुलनात्मक विशेषण नहीं है?
(अ) सुन्दरतम (ब) सुन्दरतर
(स) सुन्दर ✔️ (द) से सुन्दर

37. ’वह ढेर सारे खिलौने लाया है।’ वाक्य में रेखांकित शब्द है –
(अ) निश्चित परिमाणवाचक सर्वनाम
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(द) निश्चित संख्यावाचक सर्वनाम ✔️

38. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण की दृष्टि से अशुद्ध कौनसा है?
(अ) मधु बहुत चंचला है।
(ब) कमरा खाली नहीं है।
(स) गुङिया कुरूप है।
(द) गुङिया बारीक नाचती है। ✔️

39. निम्नलिखित में से विशेषण है –
(अ) चिकना ✔️ (ब) आम
(स) ममता (द) हरियाली

40. ’यह’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) ऐसा ✔️ (ब) इसका
(स) ये (द) वैसा

विशेषण के प्रश्न – Visheshan ke prashn

41. विशेषण परिमाणवाचक है या संख्यावाचक इसकी पहचान होगी –
(अ) वस्तु गिनने योग्य है या मापने-तौलने योग्य ✔️
(ब) वस्तु की मात्रा के आधार पर
(स) वस्तु के वजन के आधार पर
(द) वस्तु की माप के आधार पर

42. विशेषण-विशेष्य का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) श्रेष्ठ व्यक्ति (ब) सुंदरी लङकी
(स) गोल प्रश्न ✔️ (द) दो किलो घी

43. ’वह पुस्तक अच्छी है’ में ’वह’ शब्द है –
(अ) सर्वनाम
(ब) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(स) निश्चित गुणवाचक विशेषण
(द) निश्चयवाचक सर्वनाम

44. संज्ञा से बने विशेषण का कौनसा युग्म अशुद्ध है?
(अ) दिन-दैनिक (ब) सुख-सुखी
(स) धन-धनिक (द) कंगाल-कंगाली ✔️

45. विशेष्य से पूर्व प्रयुक्त होने वाले विशेषणों को कहते हैं –
(अ) उद्देश्य विशेषण ✔️ (ब) विधेय विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण (द) प्रविशेषण

46. विशेषण की अवस्थाओं को कहा जाता है –
(अ) मूल अवस्था (ब) उत्तरावस्था
(स) उत्तम अवस्था (द) उपर्युक्त तीनों ✔️

47. ’यदि व्यक्ति ईमानदार हो तो उसका सर्वत्र सम्मान होता है।’ वाक्य में ईमानदार शब्द के विशेषण रूप का चुनाव कीजिए –
(अ) उद्देश्य विशेषण
(ब) विधेय-विशेषण
(स) गुणवाचक विधेय विशेषण ✔️
(द) गुणवाचक उद्देश्य विशेषण

48. विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं?
(अ) तीन ✔️ (ब) चार
(स) पाँच (द) छह

49. विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्दों को कहते हैं –
(अ) विकारी विशेषण (ब) अविकारी विशेषण
(स) प्रविशेषण ✔️ (द) क्रिया विशेषण

50. प्रयोग के आधार पर संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) छह (ब) सात ✔️
(स) आठ (द) पाँच

51. निम्नलिखित में से कौन-से अपूर्णांकबोधक संख्यावाचक विशेषण के उदाहरण हैं?
(अ) एक, दो, तीन, दस, पचास, सौ
(ब) आधा, पाव, तिहाई, डेढ़, पौन ✔️
(स) पहला, दूसरा, पाँचवा, दसवाँ
(द) दुगुना, इकहरा, दसगुना

52. ’गीता सबसे कुरूप है’ वाक्य में विशेषण के कितने भेद हैं?
(अ) प्रथमावस्था (ब) उत्तमावस्था ✔️
(स) उत्तरावस्था (द) मूलावस्था

53. निम्नलिखित में से विशेषण चुनिए।
(अ) भलाई (ब) मिठास
(स) थोङा ✔️ (द) लालच

54. निम्नलिखित में कौन सी अवस्था विशेषण की नहीं है?
(अ) मूलावस्था (ब) उत्तमावस्था
(स) उत्तरावस्था (द) मध्यावस्था ✔️

55. निम्नलिखित वाक्य में ’कुछ’ शब्द विशेषण है, उसका भेद छाँटिए –
कुछ बच्चे कक्षा में शोर मचा रहे थे।
(अ) गुणवाचक विशेषण
(ब) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(स) सार्वनामिक विशेषण
(द) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ✔️

56. ’मुझे थोङा घी चाहिए’ वाक्य में ’थोङा’ शब्द में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक
(ब) अनिश्चित संख्यावाचक
(स) अनिश्चित परिमाणवाचक ✔️
(द) निश्चित परिमाणवाचक

57. ’’बहुत तेज बारिश हो रही थी’’ वाक्य में प्रविशेषण क्या है?
(अ) बहुत ✔️ (ब) तेज
(स) बारिश (द) हो रही

58. ’’यह दृश्य अति सुन्दर है’’ वाक्य में ’अति’ क्या है?
(अ) क्रिया (ब) विशेषण
(स) संज्ञा (द) प्रविशेषण ✔️

59. ’’सब चूहे पकङ में आ गए’’ वाक्य में विशेषण कौनसा है?
(अ) गुणवाचक (ब) परिमाणबोधक
(स) स्थानवाचक (द) अनिश्चित संख्यावाचक ✔️

60. ’’बगीचे में सुंदर फूल खिले हैं’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक

61. ’’वह दसवीं कक्षा में पढ़ता है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक ✔️
(ब) अनिश्चित संख्यावाचसक
(स) गुणवाचक
(द) परिमाणवाचक

62. ’’प्रधानमंत्री का आवास पाँचवें रास्ते पर है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) निश्चित संख्यावाचक (ब) क्रमवाचक ✔️
(स) कालवाचक (द) स्थानवाचक

63. विशेष्य से पहले आनेवाले विशेष्य को क्या कहते हैं?
(अ) क्रिया विशेषण (ब) प्रविशेषण
(स) उद्देश्य विशेषण ✔️ (द) विधेय विशेषण

64. ’’कुछ लङकियाँ आ रहीं हैं’’ वाक्य में प्रयुक्त विशेषण है?
(अ) संख्यावाचक (ब) परिणामवाचक
(स) गुणवाचक (द) अनिश्चय संख्यावाचक ✔️

65. किसी व्यक्ति के रूप-गुण आदि को व्यक्त करने वाले विशेषण को क्या कहा जाता है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण
(ब) परिमाणवाचक विशेषण
(स) व्यक्तिवाचक विशेषण
(द) गुणवाचक विशेषण ✔️

66. ’’गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधि है’’ वाक्य में कौनसा विशेषण प्रयुक्त हुआ है?
(अ) सार्वनामिक (ब) गुणवाचक ✔️
(स) परिमाणवाचक (द) संख्यावाचक

67. संज्ञा-सर्वनाम की विशेषता सर्वनाम से प्रकट करने वाले विशेषण का क्या कहते हैं?
(अ) गुणवाचक (ब) सार्वनामिक ✔️
(स) व्यक्तिवाचक (द) परिमाणवाचक

68. ’’परिश्रमी छात्र सदा सफल होते हैं’’ वाक्य मंें प्रयुक्त विशेषण है –
(अ) परिमाणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) गुणवाचक ✔️ (द) सार्वनामिक

69. ’’मै’ शब्द से कौनसा विशेषण बनता है?
(अ) मुझे (ब) मेरा ✔️
(स) मुझमें (द) मुझसे

70. ’’उस घर में कौन रहता है?’’ वाक्य में ’उस’ कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक विशेषण ✔️

71. ’शिक्षा’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) शिक्षक (ब) शिक्षित ✔️
(स) शिक्षिका (द) शिक्षालय

72. निम्न में से गुणवाचक विशेषण कौनसा नहीं है?
(अ) युवा (ब) पचास ✔️
(स) लम्बा (द) काला

73. ’विज्ञान’ शब्द का बना विशेषण क्या है?
(अ) वैज्ञानिक ✔️ (ब) विज्ञानी
(स) विज्ञानशाला (द) विज्ञानीय

74. निम्न में से कालबोधक विशेषण कौन सा है?
(अ) भला (ब) बुरा
(स) पुराना ✔️ (द) गीला

75. ’’वे पुस्तकें तुम्हारी हैं और ये मेरी।’’ इस वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) वे (ब) तुम्हारी
(स) मेरी (द) ये तीनों ✔️

76. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
(अ) अच्छा, तुम घर आओ।
(ब) अच्छा है, वह अभी घर आ जाए।
(स) तुमने अच्छा किया जो आ गए।
(द) यह स्थान बहुत अच्छा है। ✔️

77. ’मुझे’ हरा रंग पसन्द है? वाक्य में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) गुणवाचक

78. ’पशु’ शब्द का विशेषण क्या है?
(अ) पशुता (ब) पशुपति
(स) पशुत्व (द) पाशविक ✔️

79. ’बुरा लङका’ शब्दों में कौनसा विशेषण है?
(अ) गुणवाचक ✔️ (ब) संख्यावाचक
(स) परिमाणवाचक (द) सार्वनामिक

80. ’’लक्ष्मण एक कुशल कार्यकर्ता है’’ वाक्य में विशेषण क्या है?
(अ) कार्यकर्ता (ब) कुशल ✔️
(स) लक्ष्मण (द) एक

81. ’अर्थ’ शब्द से बना विशेषण क्या है?
(अ) अनर्थ (ब) आर्थिक ✔️
(स) अर्थशास्त्र (द) अर्थवत्ता

82. ’’यही लङका गवैया है, वाक्य में यही कौनसा विशेषण है?
(अ) सार्वनामिक विशेषण ✔️
(ब) संख्यावाचक विशेषण
(स) गुणवाचक विशेषण
(द) परिमाणवाचक विशेषण

क्रिया -भेद ,अकर्मक ,सकर्मक ,प्रेरणार्थक,सहायक क्रिया ||

क्रिया किसे कहते है – kriya kise kahate hai

जिस शब्द से किसी काम काकरना या होनासमझा जाए, उसे’क्रिया’(Kriya)कहते है;

जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूपलिंग,वचनऔर पुरुष के अनुसार बदलते है। यह हिंदी की अपनी विशेषता है।

रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते है?

क्रिया के कितने भेद होते है – Kriya ke kitne bhed hote hain

रचना की दृष्टिसे क्रिया के सामान्यतःदो भेदहै(Kriya ke Prakar in Hindi)-

  • सकर्मक(Sakrmak kriya)
  • अकर्मक(Akarmak Kriya)

सकर्मक क्रिया – Sakrmak Kriya

’सकर्मक क्रिया’उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथकर्म की संभावनाहो, अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो, पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थातकर्मपर पङे।

उदाहरणार्थ-श्याम आम खाता है। इस वाक्य में’श्याम’ कर्ता है, ’खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से संबंध है।

प्रश्न होता है, क्या खाता है ? उत्तर है,’आम’।

इस तरह ’आम’ का सीधा ’खाने’ से संबंध है। अतः ,’आम’कर्मकारक है। यहाँ श्याम के खाने का फल ’आम’ पर, अर्थात कर्म पर पङता है। इसलिए, ’खाना’ क्रिया सकर्मक है।

कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है; जैसे- वह गाता है, वह पढ़ता है। यहाँ ’गीत’ और ’पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।

Akarmak kriya

अकर्मक क्रिया – Akarmak Kriya

जिनक्रियाओंका व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे’अकर्मक क्रिया’कहलाती हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पङकर कर्ता पर पङता है ।

उदाहरण के लिए-श्याम सोता है। इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पङता है। इसलिए, ’सोना’ क्रिया अकर्मक है।

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान कैसे करें

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान वाक्य में ’क्या’ किसे या ’किसको’ शब्द जोड़कर कर प्रश्न करने से होती है। यदि ऐसा करने से कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।

उदारहणार्थ, मारना, पढ़ना, खाना- इन क्रियाओं में ’क्या’ ’किसे’ लगाकर प्रश्न किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-

  • प्रश्न- किसे मारा ?
  • उत्तर- किशोर को मारा।
  • प्रश्न- क्या खाया ?
  • उत्तर- खाना खाया।
  • प्रश्न- क्या पढ़ता है ?
  • उत्तर – किताब पढ़ता है।

(इन सब उदाहरणों में क्रियाएँसकर्मकहै।)

कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं औरप्रसंग अथवा अर्थ के अनुसारइनके भेद का निर्णय किया जाता है।

जैसे-

अकर्मकसकर्मक
उसका सिर खुजलाता है।वह अपना सिर खुजलाता है।
बूँद-बूँद से घङा भरता है।मैं घङा भरता हूँ।
तुम्हारा जी ललचाता है।ये चीजें तुम्हारा जी ललचाती है।
जी घबराता है।विपदा मुझे घबराती है।
वह लजा रही है।वह तुम्हें लजा रही है।

ध्यान देवें –जिन धातुओं का प्रयोग अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है, उन्हेंउभयविध धातुकहते हैं।

क्रिया के अन्य भेद इस प्रकार है-

द्विकर्मक क्रिया – Dvikrmak kriya

कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली और दो कर्मवाली होती है। जैसे-राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्म एक ही है- ’रोटी’ । किंतु , ’मैं लङके को वेद पढ़ाता हूँ’, में दो कर्म हैं- ’लङके को’ और ’वेद’।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं –Sanyukt Kriya kise kahte hai

संयुक्त क्रिया – Sanyukt Kriya

जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसेसंयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)कहते हैं।जैसे-घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया।इन वाक्यों में ’रो चुका’, ’रोने लगा’ और ’पहुँच गया’संयुक्त क्रियाएँहैं। विधि और आज्ञा को छोङकर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं , किंतु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ’हो’, ’रो’, ’सो’, ’खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ’होना’, ’आना’, ’जाना’, ’रहना’, ’रखना’, ’उठाना’, ’लेना’, ’पाना’,’पङना’, ’डालना’, ’सकना’, ’चुकना’, ’लगना’, ’करना’, ’भेजना’, ’चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती है।

इसके अतिरिक्त, सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

जैसे-

  • अकर्मक क्रिया से –लेट जाना, गिर पङना
  • सकर्मक क्रिया से-बेच लेना, काम करना, बुला लेना, मार देना।

संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है।

जैसे- मैं पढ़ सकता हूँ। इसमें ’सकना’ क्रिया ’पढ़ना’ क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। हिंदी में संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग अधिक होता है।

संयुक्त क्रिया के भेद – Sanyukt kriya ke Bhed

अर्थ के अनुसार संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भेद हैं

1. आरंभबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से क्रिया के आरंभ होने का बोध होता है, उसे ’आरंभबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह पढ़ने लगा, पानी बरसने लगा, राम खेलने लगा।

2. समाप्तिबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया की पूर्णता, व्यापार की समाप्ति का बोध हो, वह ’समाप्तिबोधक संयुुक्त क्रिया’ है। जैसे- वह खा चुका है, वह पढ़ चुका है। धातु के आगे ’चुकना’ जोङने से समाप्तिबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

3. अवकाशबोधक-जिस क्रिया को निष्पन्न करने के लिए अवकाश का बोध हो, वह ’अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह मुश्किल से सो पाया, जाने न पाया।

4. अनुमतिबोधक-जिससे कार्य करने की अनुमति दिए जाने का बोध हो, वह ’अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- मुझे जाने दो; मुझे बोलने दो। यह क्रिया ’देना’ धातु के योग से बनती है।

5. नित्यताबोधक-जिससे कार्य की नित्यता, उसके बंद न होने का भाव प्रकट हो, वह ’नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- हवा चल रही है; पेङ बढ़ता गया, तोता पढ़ता रहा। मुख्य क्रिया के आगे ’जाना’ या ’रहना’ जोङने से नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है।

6. आवश्यकताबोधक-जिससे कार्य की आवश्यकता या कर्तव्य का बोध हो, वह ’आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- यह काम मुझे करना पङता है; तुम्हें यह काम करना चाहिए। साधारण क्रिया के साथ ’पङना’, ’होना’ या ’चाहिए’ क्रियाओं को जोङने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

7. निश्चयबोधक –जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया के व्यापार की निश्चयता का बोध हो, उसे ’निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह बीच ही में बोल उठा, उसने कहा – मैं मार बैठूँगा, वह गिर पङा, अब दे ही डालो। इस प्रकार की क्रियाओं में पूर्णता और नित्यता का भाव वर्तमान है।
8. इच्छाबोधक –इससे क्रिया के करने की इच्छा प्रकट होती है। जैसे – वह घर आना चाहता है, मैं खाना चाहता हूँ। क्रिया के साधारण रूप में ’चाहना’ क्रिया जोङने से ’इच्छाबोधक संयुक्त क्रियाएँ’ बनती हैं।

9. अभ्यासबोधक –इससे क्रिया के करने के अभ्यास का बोध होता है। सामान्य भूतकाल की क्रिया में ’करना’ क्रिया लगाने से अभ्यासबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती है। जैसे – यह पढ़ा करता है, तुम लिखा करते हो, मैं खेला करता हूँ।

10. शक्तिबोधक –इससे कार्य करने की शक्ति का बोध होता है। जैसे – मैं चल सकता हूँ, वह बोल सकता है। इसमें ’सकना’ क्रिया जोङी जाती है।

11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया –जब दो समानार्थक अथवा समान ध्वनि वाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें ’पुनरुक्त संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह पढ़ा-लिखा करता है, वह यहाँ प्रायः आया-जाया करता है, पङोसियों से बराबर मिलते-जुलते रहो।

सहायक क्रिया(Sahayak Kriya) क्या होती है ?

सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती हैं। कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं।

हिंदी में इन क्रियाओं का व्यापक प्रयोग होता है। इसके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है।

जैसे –

  • वह खाता है।
  • मैंने पढ़ा था।
  • तुम जगे हुए थे।
  • वे सुन रहे थे।

इनमें खाना, पढ़ना, जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ है, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है। शेष क्रियाएँ, जैसे- है, था, हुए थे, रहे थे – सहायक क्रियाएँ है। ये मुख्य क्रियाओं के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती है।

नामबोधक क्रिया(Nambodhak kriya) क्या होती है

संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जोङने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे’नामबोधक क्रिया’कहते हैं।

जैसे –
संज्ञा+क्रिया – भस्म करना, विशेषण+क्रिया – दुखी होना, निराश होना

नामबोधक क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ नहीं हैं। संयुक्त क्रियाएँ दो क्रियाओं के योग से बनती है और नामबोधक क्रियाएँ संज्ञा अथवा विशेषण के मेल से बनती हैं। दोनों में यही अंतर है।

पूर्वकालिक क्रिया(purvkalik kriya) क्या होती है ?

परिभाषा –जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया’पूर्वकालिक’कहलाती है।

उदाहरण– उसने नहाकर भोजन किया।

इसमें ’नहाकर’’पूर्वकालिक’ क्रियाहै, क्योंकि इससे ’नहाने’ की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध होता है।

क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak kriya) क्या होती है ?

जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आए, तब वह’क्रियार्थक संज्ञा’कहलाती है।

उदाहरण– टहलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, देश के लिए मरना कहीं अच्छा है।

प्रेरणार्थक क्रिया (prernarthak kriya) क्या होती है?

जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे’प्रेरणार्थक क्रियाएँ’कहलाती है; जैसे-काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- मोहन मुझसे किताब लिखाता है। इस वाक्य में मोहन (कर्ता) स्वयं किताब न लिखकर ’मुझे’ दूसरे व्यक्ति को लिखने की प्रेरणा देता है।

Prernarthak kriya examples

प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप हैं

जैसे- ’गिरना’ से ’गिराना’ और ’गिरवाना’।

दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में है। याद रखें, अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है

जैसे-

  • राम लजाता है।
  • वह राम को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती है। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती है।

जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैने उससे किताब लिखवाई। पहले में कर्ता अन्य को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है।

इस प्रकार हिंदी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते है। प्रथम में ’ना’ का और द्वितीय में ’वाना’ का प्रयोग होता है-हँसना- हँसवाना।

मूलद्वितीयतृतीय (प्रेरणा)
उठनाउठानाउठवाना
उङनाउङानाउङवाना
चलनाचलानाचलवाना
देनादिलानादिलवाना
जीनाजिलानाजिलवाना
लिखनालिखानालिखवाना
जगनाजगानाजगवाना
सोनासुलानासुलवाना
पीनापिलानापिलवाना

यौगिक क्रिया(yogik kriya)

दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से जो क्रिया बनती है, उसे’यौगिक क्रिया’कहा जाता है। जैसे- चलना-चलाना, हँसना-हँसाना, चलना-चल देना।

नामधातु (Nam Dhatu Kriya)-जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे’नामधातु’क्रियाकहते हैं।

संज्ञा से –

  • हाथ -हथियाना
  • बात – बतियाना

विशेषण से –

  • चिकना – चिकनाना
  • गरम – गरमाना

अनुकरणात्मक क्रियाएँ –किसी वास्तविक या कल्पित ध्वनि के अनुकरण में हम क्रियाएं बना लेते हैं, जैसे – खटपट से खटखटाना, भनभन से भनभनाना, थरथर से थरथराना, सनसन से सनसनाना, थपथप से थपथपान, इत्यादि।

रंजक क्रियाएँ –रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेष रंगत लाती है, अर्थात् विशिष्ट अर्थ छवि देती है। ये आठ हैं-

1. आनारो आना, कर आना, बन आनाअनायापता का भाव
2. जानापी जाना, आ जाना, खा जानाक्रिया पूर्णता का भाव
3. उठनारो उठना, गा उठना, चिल्ला उठनाआकस्मिकता का भाव
4. बैठनामार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठनाआकस्मिकता का भाव
5. लेनापी लेना, सो लेना, ले लेनाक्रियापूर्णता/विवशता
6. देनाचल देना, रो देना, फेंक देनाक्रियापूर्णता/विवशता
7. पङनारो पङना, हँस पङना, चैंक पङनास्वतः/शीघ्रता का भाव
8. डालनामार डालना, तोङ डालना, काट डालनाबलात् भाव

धातु क्या है ?(Dhatu kya hai)

क्रिया का मूल’धातु’है।’धातु’क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें’धातु’कहते है।

उदाहरणार्थ,’पढ़ना’क्रिया को लें। इसमें’ना’प्रत्यय है, जो मूल धातु’पढ़’में लगा है। इस प्रकार ’पढ़ना’ क्रिया की धातु’पढ़’है। इसी प्रकार, ’खाना’ क्रिया ’खा’ धातु में ’ना’ प्रत्यय लगाने से बनी है।

हिंदी में क्रिया का सामान्य रूप मूलधातु में ’ना’ जोङकर बनाया जाता है जैसे- चल+ना = चलना, देख+ना = देखना।

इन सामान्य रूपों में ’ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है। धातु की यह एक बड़ी पहचान है। हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावासंज्ञाऔरविशेषणसे भी बनती है

जैसे- काम+आना = कमाना, चिकना+आना= चिकनाना, दुहरा+ आना = दुहराना।

धातु के भेद कितने होते है ? – Dhatu ke bhed kitne hote hai

व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निर्माण की दृष्टि से धातु दो प्रकार की होती है-

1. मूल धातु

2. यौगिक धातु।

मूल धातु स्वतंत्र होती है। यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती; जैसे- खा, देख, पी इत्यादि।

जबकि यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है

जैसे- ’खाना’ से खिला, ’पढ़ना’ से पढ़ा। इस प्रकार धातुएँ अनंत हैं-कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती है।

यौगिक धातु की रचना(Yogik Dhatu ki Rachna) कैसे होती है?

यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-

(1) धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है

(2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है

(3) संज्ञा या विशेषण से नामधातु बनती है।

क्रिया के महत्त्वपूर्ण प्रश्न (kriya ke question)

1. निम्न में से विकारी शब्द है –
(अ) क्रिया ® (ब) क्रिया विशेषण
(स) निपात (द) समुच्चय बोधक शब्द

2. निम्न में से अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है –
(अ) बनाना (ब) तैरना ®
(स) धोना (द) लेना

3. उसने रामू की पिटाई कर दी। इस वाक्य में क्रिया का कौनसा रूप है-
(अ) अकर्मक (ब) संयुक्त ®
(स) प्रेरणार्थक (द) पूर्वकालिक

4. मुझे उससे अपने मकान का नक्शा बनवाना हैै। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का कौनसा रूप है-
(अ) स्थित्यर्थक (ब) गत्यर्थक
(स) अपूर्ण अकर्मक ® (द) इनमें से कोई नही

5. निम्न में से किस वाक्य में क्रिया सकर्मक रूप में है-
(अ) वह नहाकर आया। (ब) मछली तैरती है।
(स) वह खाना खाता है। ® (द) वे डूब गए।

6. निम्न में से किस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है-
(अ) वह मार खाकर चुपचाप चला गया।
(ब) संसद ने खाद्य सुरक्षा कानून पर चर्चा की।(स) प्रधानमंत्री ने चौधरी अजित सिंह को मंत्री बनाया। ®
(द) सवेरा हो गया।

7. क्रिया वाक्य रचना में किस कथन में शामिल रहती है-
(अ) उद्देश्य कथन (ब) विधेय कथन ®
(स) किसी से भी (द) किसी में नहीं

8. ’’द्विकर्मक क्रिया में…………….रिक्त स्थान भरिए-
(अ) प्रथम कर्म अप्राणीवाचक होता है और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होता है।
(ब)प्रथम (गौण) कर्म प्राणीवाचक होता है और द्वितीय (मुख्य) कर्म अप्राणीवाचक होता है। ®
(स) प्रथम व द्वितीय कर्म अप्राणीवाचक होते है।
(द) प्रथम और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होते हैं।

hindi grammar kriya with examples

10. ’’रमेश कल दिल्ली जाएगा’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) संज्ञा (ब) क्रिया विशेषण ®
(स) संज्ञा विशेषण (द) कर्म

11. नाम धातु नहीं बनती है-
(अ) संज्ञा से (ब) सर्वनाम से
(स) विशेषण से (द) क्रिया से ®

12. अकर्मक क्रिया है-
(अ) खाना (ब) उठना ®
(स) पीना (द) लिखना

13. ’’चिङिया आकाश में उङ रही है।’’ इस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) समापिका (द) असमापिका

14. द्विकर्मक क्रिया में कौनसा कर्म प्रधान होता है-
(अ) प्राणीवाचक (ब) पदार्थवाचक ®
(स) दोनों (द) कोई भी

15. उसने अपनी जेब टटोली, पैसे निकाले और टिकट लेकर बस में बैठ गया। इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया है-
(अ) टटोलना (ब) निकालना
(स) लेना ® (द) बैठना

16. मैं अभी सोकर उठा हूँ। इस वाक्य में सोकर है-
(अ) सकर्मक क्रिया (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) पूर्वकालिक क्रिया ® (द) नाम-धातु क्रिया

16. रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं?
(अ) 2®(ब) 3
(स) 4 (द) 5

17. निम्नलिखित क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया अनुकरणात्मक नहीं है?
(अ) फङफङाना (ब) मिमियाना
(स) झुठलाना ® (द) हिनहिनाना

18. काम का होना बताने वाले शब्द को क्या कहते हैं?
(अ) संज्ञा (ब) सर्वनाम
(स) क्रिया ® (द) क्रिया-विशेषण

19. ’वह जाता है’ वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) प्ररेणार्थक (द) द्विकर्मक

20. ’राम पुस्तक पढता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक ®
(स) द्विकर्मक (द) प्रेरणार्थक

hindi grammar kriya with examples

21.प्ररेणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह खाता है (ब) मोहन घर गया
(स) गाय चरती है (द) अध्यापक छात्र से पाठ पढवाता है ®

22. ’सदा जागते रहना’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक
(स) संयुक्त क्रिया ® (द) प्ररेणार्थक

23. ’मनोरमा बहुत बतियाती है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) सकर्मक क्रिया (द) अकर्मक क्रिया

24. पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) का उदाहरण है-
(अ) वह खाना खाकर सो गया ® (ब) मैंने लेख लिखवाया
(स) दीपक पाठ पढता है (द) दीपा घर गई

25. ’अध्यापक ने छात्र से चाॅक मँगवाई’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) प्ररेणार्थक क्रिया ® (ब) अकर्मक
(स) द्विकर्मक (द) सकर्मक

26. रात में तारों का टिमटिमाना अच्छा लगता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) प्ररेणार्थक
(स) सकर्मक (द) पूर्वकालिक

27. सोनू गया और सोनू घर गया दोनों वाक्यों में क्रिया के प्रकार का युग्म है-
(अ) प्ररेणार्थक और सकर्मक (ब) अकर्मक और सकर्मक ®
(स) पूर्पकालिक और तात्कालिक (द) अकर्मक और द्विकर्मक

28. मोहन खाती से पेङ कटवाता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक ® (द) सकर्मक

29. वह गीत सुनता है-वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) सकर्मक ® (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक (द) अकर्मक

क्रिया के प्रश्न उत्तर

30. तूने मुझे पुस्तक दी और तूने पुस्तक दी वाक्यों में क्रियाओं का युग्म है-
(अ) द्विकर्मक और सकर्मक ® (ब) सकर्मक और प्रेरणार्थक
(स) प्रेरणार्थक और अकर्मक (द) अकर्मक और सकर्मक

31. प्रेरणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह सो गया (ब) अध्यापक ने पाठ पढाया
(स) परिश्रमी आगे बढा करते हैं ® (द) सरस्वती बहुत शर्मीली है

32. ’भोजन करते ही वह सो गया’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) पूर्वकालिक क्रिया (ब) तात्कालिक क्रिया ®
(स) अकर्मक (द) सकर्मक

33. ’बेटा पाठ पढकर खेलो’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक क्रिया (ब) सकर्मक क्रिया
(स) द्विकर्मक क्रिया (द) पूर्वकालिक क्रिया ®

34. नाम धातु क्रिया (Nam Dhatu Kriya)’ का वाक्य है-
(अ) गीता गीत गाती है (ब) अनुसूइया बहुत शर्माती है ®
(स) वह गया (द) उसने पानी पिया

35. मालिक नौकर से गड्ढ़ा खुदवाता है, वाक्य में क्रिया है-
(अ) संयुक्त क्रिया का (ब) प्रेरणार्थक क्रिया का ®
(स) अकर्मक क्रिया का (द) सकर्मक क्रिया का

verb in hindi

36. संयुक्त क्रिया युक्त वाक्य है-
(अ) राम पाठ पढकर सो गया ® (ब) सोनू खेलता है
(स) छात्र पुस्तक पढता है (द) वह गीत गाती है

37. अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है-
(अ) महरी पानी भरती है (ब) सीता गाती है ®
(स) राम ने सीता को पुष्प दिए (द) यशोदा मोहन को सुलाती है

38. ’सुरेश सोता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) द्विकर्मक (ब) सकर्मक
(स) अकर्मक ® (द) पूर्वकालिक

39. किस वाक्य में क्रिया वर्तमान काल में है-
(अ) उसने फल खा लिए थे। (ब) मैं तुम्हारा पत्र पढ रहा हूँ। ®
(स) अचानक बिजली कौंध उठी। (द) कल वे आने वाले थे।

40. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा ऐसा वाक्य है, जिसकी क्रिया, कर्ता के लिंग के अनुसार ठीक नहीं है
(अ) राम आता है। (ब) घोङा दौङता है।
(स) हाथी सोती है। ® (द) लङकी जाती है।

अव्यय

अव्यय क्या होता है – Avyay kya hota hai

⇒ अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है –जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसेअव्यय(Avyay)शब्द कहते हैं।अव्यय शब्दहर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों कोअविकारी शब्दभी कहा जाता है।

अव्यय के उदाहरण – Avyay ke udaharan

जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।

अव्यय के भेद – Avyay ke bhed

  1. क्रिया-विशेषण अव्यय(Kriya Visheshan)
  2. संबंधबोधक अव्यय
  3. समुच्चयबोधक अव्यय
  4. विस्मयादिबोधक अव्यय
  5. निपात अव्यय

1. क्रिया विशेषण अव्यय (Kriya Visheshan)

जिन शब्दों सेक्रियाकी विशेषता का पता चलता है उसेक्रिया -विशेषण(Kriya visheshan)कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ परक्रियाविशेषण अव्ययहोता है।

क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण

  • वह यहाँ से चला गया।
  • घोडा तेज दौड़ता है।
  • अब पढना बंद करो।
  • बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।
  • वे लोग रात को पहुँचे।
  • सुधा प्रतिदिन पढती है।
  • वह यहाँ आता है।
  • रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।
  • सुमन सुंदर लिखती है।
  • मैं बहुत थक गया हूं।

क्रिया विशेषण अव्यय के भेद – Kriya Visheshan avyay ke bhed

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Kaal vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचकक्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण

आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है।
(ii) वे कब गए।
(iii) सीता कल जाएगी।
(iv) वह प्रतिदिन पढ़ता है।
(v) दिन भर वर्षा होती है।
(vi) कृष्ण कल जायेगा।

2. स्थान क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Sthan vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने के स्थान का पता चले उन्हेंस्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
(iii) सुनील नीचे बैठा है।
(iv) इधर -उधर मत देखो।
(v) वह आगे चला गया।
(vi) उधर मत जाओ।

3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकिसे कहतें है – Pariman vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसेपरिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।

जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय – Riti vachak kriya visheshan avyay kise kahate Hain

जिनअव्ययशब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हेंरीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण

ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पररीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्ययकहते हैं।

जैसे :-

  • जरा , सहज एवं धीरे चलिए।
  • हमारे सामने शेर अचानक आ गया।
  • कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया।
  • मोहन शीघ्रता से चला गया।
  • वह पैदल चलता है।

2. संबंधबोधक अव्यय– Sambandh bodhak avyay

जिन अव्यय शब्दों के कारणसंज्ञाके बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों कोसंबंधबोधक शब्दकहते हैं। येशब्दसंज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।

जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ परसंबंधबोधक अव्ययहोता है।

संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण

  • मैं विद्यालय तक गया।
  • स्कूल के समीप मैदान है।
  • धन के बिना व्यवसाय चलाना कठिन है।
  • सुशील के भरोसे यह काम बिगड़ गया।
  • मैं पूजा से पहले स्नान करता हूँ।
  • मैंने घर के सामने कुछ पेड़ लगाये हैं।
  • उसका साथ छोड़ दीजिये।
  • छत पर कबूतर बैठा है।
  • राम भोजन के बाद जायेगा।
  • मोहन दिन भर खेलता है।
  • छत के ऊपर राम खड़ा है।
  • रमेश घर के बाहर पुस्तक रख रहा था।
  • पाठशाला के पास मेरा घर है।
  • विद्या के बिना मनुष्य पशु है।

प्रयोग की पुष्टि सेसंबंधबोधक अव्यय के भेद :-

  1. सविभक्तिक
  2. निर्विभक्तिक
  3. उभय विभक्ति
1. सविभक्तिक :-

जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा यासर्वनामके बाद लगते हैं उन्हेंसविभक्तिककहते हैं। जहाँ पर आगे , पीछे , समीप , दूर , ओर , पहले आते हैं वहाँ पर सविभक्तिक होता है।

जैसे :- (i) घर के आगे स्कूल है।
(ii) उत्तर की ओर पर्वत हैं।
(iii) लक्ष्मण ने पहले किसी से युद्ध नहीं किया था।

2. निर्विभक्तिक :-

जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं उन्हेंनिर्विभक्तिककहते हैं। जहाँ पर भर , तक , समेत , पर्यन्त आते हैं वहाँ पर निर्विभक्तिक होता है।

जैसे :- (i) वह रात तक लौट आया।
(ii) वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा।
(iii) वह बाल बच्चों समेत यहाँ आया।

3. उभय विभक्ति :-

जो अव्यय शब्दविभक्तिरहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं उन्हेंउभय विभक्तिकहते हैं। जहाँ पर द्वारा , रहित , बिना , अनुसार आते हैं वहाँ पर उभय विभक्ति होता है।

जैसे :- (i) पत्रों के द्वारा संदेश भेजे जाते हैं।
(ii) रीति के अनुसार काम होना है।

3. समुच्चयबोधक अव्यय– Samuchaya bodhak avyay

जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हेंसमुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं। इन्हेंयोजकभी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।

जैसे :

और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ परसमुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण

  • सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे।
  • छुट्टी हुई और बच्चे भागने लगे।
  • किरन और मधु पढने चली गईं।
  • मंजुला पढने में तो तेज है परन्तु शरीर से कमजोर है।
  • तुम जाओगे कि मैं जाऊं।
  • माता जी और पिताजी।
  • मैं पटना आना चाहता था लेकिन आ न सका।
  • तुम जाओगे या वह आयेगा।
  • सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घर्णा करते हैं।
  • गीता गाती है और मीरा नाचती है।
  • यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे।

समुच्चयबोधक अव्यय के भेद – Samuchaya bodhak avyay ke bhed

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :-

जिन शब्दों से समान अधिकार के अंशों के जुड़ने का पता चलता है उन्हेंसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययकहते हैं।

जहाँ पर किन्तु , और , या , अथवा , तथा , परन्तु , व , लेकिन , इसलिए , अत: , एवं आते है वहाँ परसमानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

जैसे :- (i) कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ते हैं।
(ii) मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे साथी सभी साथ थे।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :-

जिन अव्यय शब्दों में एक शब्द को मुख्य माना जाता है और एक को गौण। गौण वाक्य मुख्य वाक्य को एक या अधिक उपवाक्यों को जोड़ने का काम करता है। जहाँ पर चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि , जिससे कि , ताकि , यदि , तो , यानि आते हैं वहाँ परव्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययहोता है।

जैसे :- (i) मोहन बीमार है इसलिए वह आज नहीं आएगा।
(ii) यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ।
(iii) मैंने दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय – Vismayadi bodhak avyay

जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हेंविस्मयादिबोधक अव्यय(Vismayadi bodhak avyay)कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।

विस्मयादिबोधक अव्यय के उदाहरण – Vismayadi bodhak avyay ke udaharan

  • वाह! क्या बात है।
  • हाय! वह चल बसा।
  • आह! क्या स्वाद है।
  • अरे! तुम यहाँ कैसे।
  • छि:छि:! यह गंदगी।
  • वाह! वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
  • अहो! क्या बात है।
  • अहा! क्या मौसम हैं।
  • अरे! आप आ गये।
  • हाय! अब मैं क्या करूँ।
  • अरे! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे।
  • हाय! राम यह क्या हो गया।

भाव के आधारपरविस्मयादिबोधक अव्यय के भेद:-

  1. हर्षबोधक
  2. शोकबोधक
  3. विस्मयादिबोधक
  4. तिरस्कारबोधक
  5. स्वीकृतिबोधक
  6. संबोधनबोधक
  7. आशिर्वादबोधक

(1) हर्षबोधक :-जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ परहर्षबोधकहोता है।

(2) शोकबोधक :-जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ परशोकबोधकआता है।

(3) विस्मयादिबोधक :-जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ परविस्मयादिबोधकहोता है।

(4) तिरस्कारबोधक :-जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ परतिरस्कारबोधकहोता है।

(5) स्वीकृतिबोधक :-जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ परस्वीकृतिबोधकहोता है।

(6) संबोधनबोधक :-जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ परसंबोधनबोधकहोता है।

(7) आशीर्वादबोधक :-जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ परआशिर्वादबोधकहोता है।

5. निपात अव्यय किसे कहते हैं – Nipat avyay kise kahate hain

जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हेंनिपात अव्ययकहते हैं। इसेअवधारक शब्दभी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ परनिपात अव्ययहोता है।

निपात अव्यय के उदाहरण – Nipat avyay ke udaharan

  • प्रशांत को ही करना होगा यह काम।
  • सुहाना भी जाएगी।
  • तुम तो सनम डूबोगे ही , सब को डुबाओगे।
  • वह तुमसे बोली तक नहीं।
  • पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।
  • तुम उसे जानता भर हो।
  • राम ने ही रावण को मारा था।
  • रमेश भी दिल्ली जाएगा।
  • तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे।
  • राम ही लिख रहा है।

क्रिया -विशेषण और संबंधबोधक अव्यय में अंतर :-

जब अव्यय शब्दों का प्रयोगसंज्ञायासर्वनामके साथ किया जाता है तब येसंबंधबोधकहोते हैं और जब अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब येक्रिया -विशेषणहोते हैं।

जैसे :- (i) बाहर जाओ।
(ii) घर से बाहर जाओ।
(iii) उनके सामने बैठो।
(iv) मोहन भीतर है।
(v) घर के भीतर सुरेश है।
(vi) बाहर चले जाओ।

अव्यय के प्रश्न- Avyay ke Prashn


1. ’वह चुपके से चला’ पंक्ति में ’चुपके से’ है?

(अ) रीतिवाचक अव्यय (ब) दिशावाचक अव्यय
(स) स्थानवाचक अव्यय (द) परिमाणवाचक अव्यय

सही उत्तर-(अ)


2. किस वाक्य में क्रियाविशेषण का प्रयोग हुआ है?

(अ) उस पेङ पर पक्षी बैठा है।
(ब) सङक पर धीरे-धीरे चलना चाहिए।
(स) गिरधारी पुस्तक पढ़ता है।
(द) इधर कोई व्यक्ति नहीं है।

सही उत्तर-(ब)


3. व्याकरणिक कोटियों से अप्रभावित रहता है?

(अ) अव्यय (ब) संज्ञा
(स) सर्वनाम (द) क्रिया

सही उत्तर-(अ)


4. किस वाक्य में ’अच्छा’ शब्द क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है-

(अ) कपिल अच्छा खेलता है।
(ब) अच्छा कपिल खेलता है।
(स) खेलता है कपिल अच्छा
(द) उपर्युक्त सभी

सही उत्तर-(अ)


5. इन शब्दों में अव्यय शब्द है-

(अ) परन्तु (ब) दुधारू
(स) पंजाबी (द) चल

सही उत्तर-(अ)


6. अव्यय में रूपान्तरण नहीं होता-

(अ) लिंग का (ब) वचन का
(स) कारक का (द) उपर्युक्त सभी का

सही उत्तर-(द)


7. एक पद, वाक्यांश या उपवाक्य का सम्बन्ध दूसरे पद, वाक्यांश या उपवाक्य से जोङने वाले अव्यय को कहते हैं?

(अ) समुच्चयबोधक अव्यय
(ब) विस्मयादिबोधक अव्यय
(स) क्रिया विशेषण
(द) अप्रकट अव्यय

सही उत्तर-(अ)


8. ’जो अव्ययक्रियाकी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कहते हैं-

(अ) सम्बन्धबोधक (ब) समुच्चयबोधक
(स) भावादिबोधक (द) क्रियाविशेषण

सही उत्तर-(द)


9. ’हमें सफलता मिलने तक प्रयास करना चाहिए’ इस वाक्य में ’तक’ है?

(अ) समुच्चबोधक अव्यय
(ब) क्रिया विशेषण
(स) सम्बन्ध बोधक अव्यय
(द) विस्मयादिबोधक अव्यय

सही उत्तर-(स)


10. ’अनिल कल आएगा।’ वाक्य में क्रियाविशेषणका रूप है-

(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) रीतिवाचक (द) परिमाणवाचक

सही उत्तर-(ब)


11. ’वहाँ मोहन के…………….कोई नहीं था’ वाक्य में रिक्त स्थान पर प्रयुक्त होगा?

(अ) या (ब) और
(स) अलावा (द) अथवा

सही उत्तर-(स)


12. स्थानवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-

(अ) नमन नीचे खङा है।
(ब) महावीर आज आएगा।
(स) मैं अचानक आ गया हूँ।
(द) कोई गा रहा है।

सही उत्तर-(अ)


13. ’……………बोलो, कोई सुन लेगा’ वाक्य में रिक्त स्थान पर आएगा?

(अ) जो से (ब) गाकर
(स) चीखकर (द) धीरे

सही उत्तर-(द)


14. रीतिवाचक क्रियाविशेषण शब्द नहीं है-

(अ) अचानक (ब) अवश्य
(स) सचमुच (द) किंचित्

सही उत्तर-(द)


15. निम्नलिखित में कौन अविकारी है?

(अ) अव्यय (ब) क्रिया विशेषण
(स) विशेषण (द) अ व ब दोनों

सही उत्तर-(द)


16. ’उसने खूब मेहनत की है।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-

(अ) स्वीकारवाचक (ब) परिमाणवाचक
(स) रीतिवाचक (द) निषेधवाचक

सही उत्तर-(ब)


17. ’कछुआ धीरे-धीरे चलता है’ इस वाक्य में क्रिया विशेषण छाँटे?

(अ) धीरे-धीरे (ब) कछुआ
(स) चलता (द) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर-(अ)


18. ’स्वीकारवाचक क्रियाविशेषण’ का सही प्रयोग हुआ है-

(अ) वह निस्संदेह आएगा।
(ब) वह शायद ही आएगा।
(स) वह नहीं आएगा।
(द) वह नहीं आ सकता है।

सही उत्तर-(अ)


19. ’उसने आँख फाङकर देखा।’ इस वाक्य में ’फाङकर’ निम्नांकित में से क्या है?

(अ) विशेषण (ब) क्रिया विशेषण
(स) पूर्वकालिक क्रिया (द) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर-(ब)


20. ’आग के निकट मत जाओ।’ वाक्य में क्रियाविशेषण का रूप है-

(अ) परिमाणवाचक (ब) रीतिवाचक
(स) निषेधवाचक (द) स्वीकारवाचक

सही उत्तर-(स)


21. इनमें से किसमें एक क्रिया-विशेषण है?

(अ) वह धीरे चलता है (ब) वह कहता कुत्ता है
(स) रमेश तेज धावक है (द) सत्यावाणी सुन्दर होती है

सही उत्तर-(अ)


22. ’मेरी पुस्तक आकांक्षा के पास है।’ वाक्य में अव्यय है-

(अ) क्रियाविशेषण (ब) सम्बन्धबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(ब)


23. ’निश्चित’ शब्द क्रिया विशेषण के किस भेद के अन्तर्गत आता है?

(अ) परिमाण वाचक (ब) प्रश्नवाचक
(स) हेतु बोधक (द) रीतिवाचक

सही उत्तर-(द)


24. संबंधबोधक अव्यय है-

(अ) सामने (ब) अरे!
(स) मत (द) धीरे-धीरे!

सही उत्तर-(अ)


25. ’ध्यानपूर्वक’ शब्द है?

(अ) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
(ब) कालवाचक क्रिया विशेषण
(स) स्थानवाचक क्रिया विशेषण
(द) रीतिवाचक क्रिया विशेषण

सही उत्तर-(द)


26. ’राम और लक्ष्मण भाई थे।’ वाक्य में अव्यय का रूप है-

(अ) संबंधबोधक (ब) विस्मयादिबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) क्रियाविशेषण

सही उत्तर-(स)


27. राम घर गया और श्याम बाजार गया। इस वाक्य में रेखांकित शब्द है?

(अ) विकल्प सूचक (ब) परिणाम दृर्शक
(स) संयोजक (द) कारणबोधक

सही उत्तर-(स)


28. समुच्चयबोधक सूचक अव्यय है-

(अ) किन्तु, परन्तु, तथा (ब) न, नहीं
(स) आगे, पीछे, मध्य (द) हे, ओ अरे!

सही उत्तर-(अ)


29. ’तिरस्कार सूचक’ अव्यय है?

(अ) आह! (ब) अरे!
(स) छिः! (द) उफ!

सही उत्तर-(स)


30. संबंधबोधक अव्यय का उदाहरण है-

(अ) अरे! यह क्या हो गया।
(ब) मेरा मकान पेङ के सामने हैं।
(स) सीता तथा रीता सगी बहने हैं।
(द) क्रिकेट मत खेलो।

सही उत्तर-(ब)


31. किस वाक्य में निपात का प्रयोग नहीं हुआ है?

(अ) बात अपने तक ही रखना
(ब) शीला तो बीमार है
(स) तुम भी चले जाओ
(द) मैं कल जयपुर गया था

सही उत्तर-(द)


32. विस्मयादिबोधक अव्यय है-

(अ) वाह (ब) परन्तु
(स) निकट (द) तेज

सही उत्तर-(अ)


33. विस्मय के भाव के लिए विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द है?

(अ) आह (ब) अरे
(स) उफ (द) हाय

सही उत्तर-(ब)


34. जिन अव्यय शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति होती है, वह है-

(अ) संबंधबोधक (ब) क्रियाविशेषण
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(द)


35. ’छिः धिक्कार है तुम्हे! इस वाक्य में ’छि’ है?

(अ) संबोधन (ब) संज्ञा
(स) अव्यय (द) क्रिया

सही उत्तर-(स)


36. रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है-

(अ) उदयपुर लगभग 100 कि.मी. दूर है।
(ब) वह परसों आ जाएगा।
(स) हम सचमुच बच गए।
(द) मैं अवश्य जाऊँगा

सही उत्तर-(स)


37. निम्न में से अव्यय शब्द नहीं है-

(अ) अचानक (ब) प्रतिदिन
(स) चलना (द) जी हाँ।

सही उत्तर-(स)


38. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय है-

(अ) थोङा (ब) मानो
(स) अवश्य (द) हे!

सही उत्तर-(अ)


39. ’इधर आओ।’ वाक्य में अव्यय-रूप है-

(अ) क्रियाविशेषण (ब) संबंधबोधक
(स) समुच्चयबोधक (द) विस्मयादिबोधक

सही उत्तर-(अ)


40. क्रिया के होने का समय-बोध किस क्रिया विशेषण में होता है?

(अ) स्थानवाचक (ब) कालवाचक
(स) परिमाणवाचक (द) निषेधवाचक

सही उत्तर-(ब)


41. क्रियाविशेषण का उदाहरण नहीं है-

(अ) अनिल आज आएगा।
(ब) घोङा तेज दौङ रहा है।
(स) हम अवश्य आएँगे।
(द) सुख और दुःख शाश्वत है।

सही उत्तर-(द)


42. ’घोङा तेज दौङता है।’ वाक्य में अव्यय है-

(अ) घोङा (ब) तेज
(स) दौङता (द) है।

सही उत्तर-(ब)


43. अव्यय शब्द है-

(अ) विकारी (ब) अविकारी
(स) पदबंध (द) वाक्यांश

सही उत्तर-(ब)

पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द की परिभाषा

’पर्याय’शब्द का अर्थ है-’समान’तथा’वाची’का अर्थ है- ’बोले जाने वाले’ अर्थात् जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, उन्हें हम’पर्यायवाची शब्द’(Paryayvachi shabd)कहते है।

  • अनेकार्थी शब्द-एक से अधिक अर्थ देने वाला।
  • पर्यायवाची शब्द –जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो।

पर्यायवाची शब्द का अर्थ – Paryayvachi shabd meaning in hindi

पर्यायवाची शब्द अपने समान अर्थ के कारण दूसरे शब्द का स्थान ग्रहण कर लेते है अर्थात् एक समान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd) कहते है। हिन्दी ऐसी भाषा है कि जिसमें एक शब्द के अनेक समानार्थी शब्द होते है जो भिन्न अंचल विशेषों में प्रचलित होते है। यही कारण है कि अर्थ की लगभग समानता को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक समूह में डाल दिया जाता है जिन्हें समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द (Synonyms in Hindi) कह दिया जाता है।

पर्याय का अर्थ है-समकक्ष या समान अतःपर्यायवाची शब्दका आशय है समान अर्थ वाला शब्द। पर्यायवाची शब्द का यह तात्पर्य नहीं है कि वह पूर्णतः समान अर्थ वाला हो, कभी-कभी रूढ़ अर्थ में प्रयोग होने के कारण वाक्य में प्रयोग करते समय एक ही पर्यायवाची शब्द युग्म के अलग-अलग अर्थ भी हो जाते है।

उदाहरण के लिए स्वर्ग शब्द को लें। स्वर्ग का एक पर्यायवाची ’नाक’ है। किन्तु वाक्य प्रयोग के कारण स्वर्ग के पर्यायवाची नाक के अर्थ में परिवर्तन के कारण समानता भंग हो जाती है।

पर्यायवाची क्या होते है – Paryayvachi shabd kya hai

“एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले ,अर्थ में समानता हो उन्हेंपर्यायवाचीशब्द ((paryayvachi shabd)ही कहते है”जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है,उन्हेंसमानार्थक, समानार्थी या पर्यायवाची शब्दकहते हैं .जैसे :आँख– लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि |

तोआँखके पर्यायवाचीलोचन ,नयन ,नेत्र ,चक्षु हुए ,जिनका सबका एक ही अर्थ होता है

Paryayvachi Shabd

अ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • अग्नि का पर्यायवाची– आग, अनल, पावक.
  • अपमान का पर्यायवाची –अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, तिरस्कार.
  • अलंकार का पर्यायवाची –आभूषण, गहना, जेवर.
  • अहंकार का पर्यायवाची–दंभ, अभिमान, दर्प, मद, घमंड.
  • अमृत का पर्यायवाची–सुधा, अमिय, पीयूष, सोम.
  • असुर का पर्यायवाची –दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर, तमचर.
  • अतिथि का पर्यायवाची –मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक.
  • अनुपम का पर्यायवाची –अपूर्भ, अतुल्य, अनोखा, अद्भुत, अनन्य.
  • अर्थ का पर्यायवाची –धन, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा.
  • अश्व का पर्यायवाची –हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, बाजि, सैन्धव.
  • अंधकार का पर्यायवाची –तम, तिमिर, अँधेरा, तमस, अंधियारा.


आ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • आम का पर्यायवाची–रसाल, आम्र, सौरभ, अमृतफल
  • आग का पर्यायवाची–अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि.
  • आँख का पर्यायवाची–लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि.
  • आकाश का पर्यायवाची–नभ, गगन, अम्बर, व्योम, आसमान, अर्श.
  • आनंद का पर्यायवाची–हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास.
  • आश्रम का पर्यायवाची –कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाड़ा.
  • आंसू का पर्यायवाची–नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु.
  • आत्मा का पर्यायवाची–जीव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण.

इ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • इच्छा का पर्यायवाची–अभिलाषा, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट.
  • इन्द्र का पर्यायवाची–सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज, महेन्द्र, शचीपति.
  • इन्द्राणि का पर्यायवाची–इन्द्रवधू, मधवानी, शची, शतावरी, पोलोमी.

ई से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ईश्वर का पर्यायवाची–परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता.


उ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • उपवन का पर्यायवाची–बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन.
  • उक्ति का पर्यायवाची–कथन, वचन, सूक्ति.
  • उग्र का पर्यायवाची–प्रचण्ड, उत्कट, तेज, तीव्र, विकट.
  • उचित का पर्यायवाची–ठीक, मुनासिब, वाज़िब, समुचित, युक्तिसंगत, न्यायसंगत, तर्कसंगत.
  • उच्छृंखल का पर्यायवाची–उद्दंड, अक्खड़, आवारा, निरकुंश, मनमर्जी, स्वेच्छाचारी.
  • उज्जड़ का पर्यायवाची–अशिष्ट, असभ्य, गँवार, जंगली, देहाती, उद्दंड, निरकुंश.
  • उजला का पर्यायवाची–उज्ज्वल, श्वेत, सफ़ेद, धवल.
  • उजाड़ का पर्यायवाची–जंगल, बियावान, वन.
  • उजाला का पर्यायवाची–प्रकाश, रोशनी, चाँदनी.
  • उत्कर्ष का पर्यायवाची–समृद्धि, उन्नति, प्रगति, उठान.
  • उत्कृष्ट का पर्यायवाची–उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा.
  • उत्कोच का पर्यायवाची–घूस, रिश्वत.
  • उत्पत्ति का पर्यायवाची–उद्गम, पैदाइश, जन्म, उद्भव, सृष्टि, आविर्भाव, उदय.
  • उद्धार का पर्यायवाची–मुक्ति, छुटकारा, निस्तार.
  • उपाय का पर्यायवाची–युक्ति, साधन, तरकीब, तदबीर, यत्न, प्रयत्न.


ऊ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

ऊधम का पर्यायवाची–उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.


ऐ शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ऐक्य का पर्यायवाची–एकत्व, एका, एकता, मेल.
  • ऐश्वर्य का पर्यायवाची–समृद्धि, विभूति.

ओ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • ओज का पर्यायवाची–तेज, शक्ति, बल, वीर्य.
  • ओंठ का पर्यायवाची-ओष्ठ, अधर, होंठ.

औ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • औचक का पर्यायवाची –अचानक, यकायक, सहसा

औरत का पर्यायवाची–स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.


ऋ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • ऋषि का पर्यायवाची –मुनि, साधु, यति, संन्यासी, तत्वज्ञ, तपस्वी.


क से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द (paryayvachi shabd)

  • कच का पर्यायवाची–बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह.
  • कमल का पर्यायवाची-नलिन, अरविंद, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर.
  • कबूतर का पर्यायवाची–कपोत, रक्तलोचन, पारावत.
  • कामदेव का पर्यायवाची–मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ.
  • कण्ठ का पर्यायवाची–ग्रीवा, गर्दन, गला.
  • कृपा का पर्यायवाची–प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह.
  • किताब का पर्यायवाची–पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक.
  • किनारा का पर्यायवाची–तीर, कूल, कगार, तट.
  • कपड़ा का पर्यायवाची–चीर, वसन, पट, वस्त्र, परिधान.
  • किरण का पर्यायवाची–ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति.
  • किसान का पर्यायवाची–कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता.
  • कृष्ण का पर्यायवाची–राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी.
  • कान का पर्यायवाची–कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण श्रोत, श्रुतिपुट.
  • कोयल का पर्यायवाची–कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया.
  • क्रोध का पर्यायवाची–रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात.
  • कीर्ति का पर्यायवाची–यश, प्रसिद्धि.

Paryayvachi shabd in hindi

ख से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • खग का पर्यायवाची–पक्षी, विहग, नभचर, अण्डज, पखेरू.
  • खंभा का पर्यायवाची–स्तूप, स्तम्भ, खंभ.
  • खल का पर्यायवाची–दुर्जन, दुष्ट, घूर्त, कुटिल.
  • खून का पर्यायवाची–रक्त, लहू, शोणित, रुधिर.


ग से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(paryayvachi shabd)

  • गज का पर्यायवाची–हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल .
  • गाय का पर्यायवाची–गौ, धेनु, भद्रा.
  • गंगा का पर्यायवाची–देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा.
  • गणेश का पर्यायवाची–विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, एकदन्त.
  • गृह का पर्यायवाची–घर, सदन, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास.
  • गर्मी का पर्यायवाची–ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी.
  • गुरु का पर्यायवाची–शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय.


घ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(prayayvachi shabd)

  • घट का पर्यायवाची–घड़ा, कलश, कुम्भ, निप.
  • घर का पर्यायवाची–आलय, आवास, गृह, निकेतन, निवास, भवन, वास, वास-स्थान, शाला, सदन.
  • घृत का पर्यायवाची–घी, अमृत, नवनीत.
  • घास का पर्यायवाची–तृण, दूर्वा, दूब, कुश.

च से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • चरण का पर्यायवाची–पद, पग, पाँव, पैर, पाद.
  • चतुर का पर्यायवाची–विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य.
  • चंद्रमा का पर्यायवाची–चाँद, चन्द्र, शशि, रजनीश, निशानाथ, सोम, कलानिधि.
  • चाँदनी का पर्यायवाची–चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्सना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई.
  • चाँदी का पर्यायवाची–रजत, सौध, रूपा, रूपक, रौप्य, चन्द्रहास.
  • चोटी का पर्यायवाची–मूर्धा, सानु, शृंग.


छ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • छतरी का पर्यायवाची–छत्र, छाता.
  • छली का पर्यायवाची–छलिया, कपटी, धोखेबाज.
  • छवि का पर्यायवाची–शोभा, सौंदर्य, कान्ति, प्रभा.
  • छानबीन का पर्यायवाची–जाँच, पूछताछ, खोज, अन्वेषण, शोध.
  • छैला का पर्यायवाची–सजीला, बाँका, शौकीन.
  • छोर का पर्यायवाची–नोक, कोर, किनारा, सिरा.


ज से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(paryayvachi shabd)

  • जल का पर्यायवाची –सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, पानी, पय, पेय.
  • जगत का पर्यायवाची–संसार, विश्व, जग, भव, दुनिया, लोक.
  • जीभ का पर्यायवाची–रसज्ञा, जिह्वा, वाणी, वाचा, जबान.
  • जंगल का पर्यायवाची–कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप.
  • जेवर का पर्यायवाची–गहना, अलंकार, भूषण.
  • ज्योति का पर्यायवाची–आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा.


झ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • झूठ का पर्यायवाची–असत्य, मिथ्या.
  • झण्डा का पर्यायवाची-ध्वजा, परचम, पताका,

त से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • तरुवर का पर्यायवाची–वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, पादप.
  • तलवार का पर्यायवाची–असि, कृपाण, करवाल, चन्द्रहास
  • तालाब का पर्यायवाची–सरोवर, जलाशय, पुष्कर, पोखरा
  • तीर का पर्यायवाची–शर, बाण, अनी, सायक

paryayvachi shabd


द से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :(prayayvachi shabd)

  • दास का पर्यायवाची–सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, भृत्य.
  • दधि का पर्यायवाची–दही, गोरस, मट्ठा.
  • दरिद्र का पर्यायवाची–निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन.
  • दिन का पर्यायवाची–दिवस, याम, दिवा, वार.
  • दीन का पर्यायवाची–ग़रीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंगाल.
  • दीपक का पर्यायवाची–दीप, दीया, प्रदीप.
  • दुःख का पर्यायवाची–पीड़ा,कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर.
  • दूध का पर्यायवाची–दुग्ध, क्षीर, पय, गौरस, स्तन्य.
  • दुष्ट का पर्यायवाची–पापी, नीच, दुर्जन, अधम, खल, पामर.
  • दाँत का पर्यायवाची–दन्त.
  • दर्पण –शीशा, आरसी, आईना.
  • दुर्गा का पर्यायवाची–चंडिका, भवानी, कल्याणी, महागौरी, कालिका, शिवा, चण्डी, चामुण्डा.
  • देवता का पर्यायवाची–सुर, देव.
  • देह का पर्यायवाची–काया, तन, शरीर.


ध से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • धन का पर्यायवाची–दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त.
  • धरती का पर्यायवाची–धरा, धरती, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नगर्भा.
  • धनुष का पर्यायवाची–चाप, शरासन, कमान, कोदंड, धनु.

न से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • नदी का पर्यायवाची–सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी.
  • नया का पर्यायवाची–नूतन, नव, नवीन, नव्य.
  • नाव का पर्यायवाची–नौका, तरणी, तरी.

प से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द – Synonyms in Hindi

  • पवन का पर्यायवाची–वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल.
  • पहाड़ का पर्यायवाची–पर्वत, गिरि, अचल, शैल, भूधर, महीधर.
  • पक्षी का पर्यायवाची–खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिड़िया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर.
  • पति का पर्यायवाची–स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश.
  • पत्नी का पर्यायवाची–भार्या, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, दारा, जोरू, वामांगिनी.
  • पुत्र का पर्यायवाची–बेटा, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन.
  • पुत्री का पर्यायवाची–बेटी, आत्मजा, तनूजा, सुता, तनया.
  • पुष्प का पर्यायवाची–फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून.


से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • फूल का पर्यायवाची–पुष्प, सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून.

ब से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • बादल का पर्यायवाची–मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, पयोधर.
  • बालू का पर्यायवाची–रेत, बालुका, सैकत.
  • बन्दर का पर्यायवाची–वानर, कपि, हरि.
  • बिजली का पर्यायवाची–घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, दामिनी, तड़ित, विद्युत.
  • बगीचा का पर्यायवाची–बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया.
  • बाण का पर्यायवाची–सर, तीर, सायक, विशिख.
  • बाल का पर्यायवाची–कच, केश, चिकुर, चूल.
  • ब्रह्मा का पर्यायवाची–विधाता, स्वयंभू, प्रजापति, पितामह, चतुरानन, विरंचि, अज.
  • बलदेव का पर्यायवाची–बलराम, बलभद्र, हलायुध, रोहिणेय.
  • बहुत का पर्यायवाची–अनेक, अतीव, अति, बहुल, प्रचुर, अपरिमित, प्रभूत, अपार, अमित, अत्यन्त, असंख्य.
  • ब्राह्मण का पर्यायवाची–द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव.


भ से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : (paryayvachi shabd in hindi)

  • भय का पर्यायवाची–भीति, डर, विभीषिका.
  • भाई का पर्यायवाची–तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ.
  • भूषण का पर्यायवाची–जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार.
  • भौंरा का पर्यायवाची–मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर.

म से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • मनुष्य का पर्यायवाची–आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज.
  • मदिरा का पर्यायवाची–शराब, हाला, आसव, मद.
  • मोर का पर्यायवाची–कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय.
  • मधु का पर्यायवाची–शहद, रसा, शहद.
  • मृग का पर्यायवाची–हिरण, सारंग, कृष्णसार.
  • मछली का पर्यायवाची–मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर.
  • माता का पर्यायवाची–जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा.
  • मित्र का पर्यायवाची–सखा, सहचर, साथी, दोस्त.


य से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • यम –सूर्यपुत्र, जीवितेश, कृतांत, अन्तक, दण्डधर, कीनाश, यमराज.
  • यमुना –कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा.
  • युवति –युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना.

र से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • रमा का पर्यायवाची–इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया.
  • रात का पर्यायवाची–रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, निशि, यामा, विभावरी.
  • राजा का पर्यायवाची–नृप, नृपति, भूपति, नरपति, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति.
  • रात्रि का पर्यायवाची–निशा, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी.
  • रामचन्द्र का पर्यायवाची–सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर, जानकीवल्लभ, कौशल्यानन्दन.
  • रावण का पर्यायवाची–दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध.
  • राधिका का पर्यायवाची–राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा.

Paryayvachi shabd hindi

ल से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • लड़का का पर्यायवाची–बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार.
  • लड़की का पर्यायवाची–बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या.
  • लक्ष्मी का पर्यायवाची–कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्मजा, सिन्धुसुता, कमलासना.
  • लक्ष्मण का पर्यायवाची–लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष.
  • लौह का पर्यायवाची–अयस, लोहा, सार.
  • लता का पर्यायवाची–बल्लरी, बल्ली, बेली.
  • paryayvachi shabd

व से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Synonyms in Hindi

  • वायु का पर्यायवाची–हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत.
  • वसन का पर्यायवाची–अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर.
  • विधवा का पर्यायवाची–अनाथा, पतिहीना.
  • विष का पर्यायवाची–ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट.
  • वृक्ष का पर्यायवाची–पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम.
  • विष्णु का पर्यायवाची– नारायण, चक्रपाणी.
  • विश्व का पर्यायवाची–जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया.
  • विद्युत का पर्यायवाची –चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका.
  • बारिश का पर्यायवाची–वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात.
  • वीर्य का पर्यायवाची–जीवन, सार, तेज, शुक्र, बीज.
  • वज्र का पर्यायवाची–कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि.
  • विशाल का पर्यायवाची–विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महान.
  • वृक्ष का पर्यायवाची–गाछ, तरु, पेड़, द्रुम, पादप, विटप, शाखी.

श से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • शिव का पर्यायवाची–भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर.
  • शरीर का पर्यायवाची–देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात.
  • शत्रु का पर्यायवाची–रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी.
  • शिक्षक का पर्यायवाची–गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय.
  • शेर का पर्यायवाची–केहरि, केशरी, वनराज, सिंह.
  • शेषनाग का पर्यायवाची–अहि, नाग, भुजंग, व्याल, उरग, पन्नग, फणीश, सारंग.
  • शुभ्र का पर्यायवाची–गौर, श्वेत, अमल, वलक्ष, शुक्ल, अवदात.
  • शहद का पर्यायवाची–पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द.

ष से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • षंड का पर्यायवाची–हीजड़ा, नपुंसक, नामर्द.
  • षडानन का पर्यायवाची–षटमुख, कार्तिकेय, षाण्मातुर.

स से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द : Samanarthi Shabd

  • सीता का पर्यायवाची–वैदेही, जानकी, भूमिजा, जनकतनया, जनकनन्दिनी, रामप्रिया.
  • साँप का पर्यायवाची–अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन.
  • सूर्य का पर्यायवाची–रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, दिवाकर, भानु, आदित्य.
  • संसार का पर्यायवाची–जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया.
  • सोना का पर्यायवाची–स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन.
  • सिंह का पर्यायवाची–केसरी, शेर, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज.
  • समुद्र का पर्यायवाची–सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि.
  • सम का पर्यायवाची–सर्व, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, समग्र, अखिल, निखिल.
  • समीप का पर्यायवाची–सन्निकट, आसन्न, निकट, पास.
  • समूह का पर्यायवाची–दल, झुंड, समुदाय, टोली, जत्था, मण्डली, वृंद, गण, पुंज, संघ, समुच्चय.

विराम चिन्ह क्या है ?

  • सभा का पर्यायवाची–अधिवेशन, संगीति, परिषद, बैठक, महासभा.
  • सुन्दर का पर्यायवाची–कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य.
  • सन्ध्या का पर्यायवाची–सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि.
  • स्त्री का पर्यायवाची–सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी.
  • सुगंधि का पर्यायवाची–सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू.
  • स्वर्ग का पर्यायवाची–सुरलोक, देवलोक, दिव्यधाम, ब्रह्मधाम, द्यौ, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक.
  • स्वर्ण का पर्यायवाची–सुवर्ण, कंचन, हेन, हारक, जातरूप, सोना, तामरस, हिरण्य.
  • सरस्वती का पर्यायवाची–गिरा, शारदा, भारती, वीणापाणि, विमला, वागीश, वागेश्वरी.
  • सहेली का पर्यायवाची–आली, सखी, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री.
  • संसार का पर्यायवाची–लोक, जग, जहान, जगत, विश्व.

ह से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द :

  • हस्त का पर्यायवाची–हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा.
  • हिमालय का पर्यायवाची–हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश.
  • हिरण का पर्यायवाची–सुरभी, कुरग, मृग, सारंग, हिरन.
  • होंठ का पर्यायवाची–अक्षर, ओष्ठ, ओंठ.
  • हनुमान का पर्यायवाची–पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति.
  • हिमांशु का पर्यायवाची –हिमकर, निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा, चन्द्र, निशिपति.
  • हंस का पर्यायवाची–कलकंठ, मराल, सिपपक्ष,मानसौक.
  • हृदय का पर्यायवाची –छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर.
  • हाथ का पर्यायवाची–हस्त, कर, पाणि.
  • हाथी का पर्यायवाची–हस्ती, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी

    अन्य पर्यायवाची शब्द

    • अग्नि का पर्यायवाची−आग, अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु।
    • अतिथि का पर्यायवाची−अभ्यागत, पाहुन, मेहमान, आगन्तुक।
    • अमृत का पर्यायवाची−सुधा, सोम, पीयूष, अमी, अमिय, सुरभोग, देवभोग।
    • अपमान का पर्यायवाची−अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, अवमान, तिरस्कार।
    • अलंकार का पर्यायवाची−आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर।
    • अश्व का पर्यायवाची−घोङा, हय, हरि, घोटक, बाजि, सैन्धव, तुरंग।
    • असुर का पर्यायवाची−दनुज, दैत्य, दानव, राक्षस, तमचर, निशाचर, रजनीचर
    • अहंकार का पर्यायवाची−गर्व, दर्प, दंभ, घमण्ड, मद, मान।
    • अंधकार का पर्यायवाची−तम, तमस, तिमिर, तमिस्र, अंधेरा, अंधियारा।
    • आकाश का पर्यायवाची−नभ, गगन, अम्बर, अन्तरिक्ष, अनन्त, व्योम, शून्य।
    • आँख का पर्यायवाची−नेत्र, नयन, चक्षु, लोचन, दृग, अक्षि।
    • इच्छा का पर्यायवाची −आकांक्षा, अभिलाषा, कामना, चाह, लिप्सा, लालसा।
    • इन्द्र का पर्यायवाची−सुरेश, सुरपति, देवराज, मेघराज, शक्र, शचीपति, देवेन्द्र।
    • उपवन का पर्यायवाची −बाग, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन।

    परीक्षा में आने वाले मुहावरे

    • कच का पर्यायवाची−बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह।
    • कण्ठ का पर्यायवाची−ग्रीवा, गर्दन, गला, शिरोधरा।
    • कपङा का पर्यायवाची−पट, चीर, वसन, अम्बर, वस्त्र, दुकूल, परिधान।
    • कबूतर का पर्यायवाची−कपोत, रक्तलोचन, पारावत, कलरव, हारिल।
    • कमल का पर्यायवाची−जलज, पंकज, सरोज, अरविन्द, राजीव, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर।
    • कान का पर्यायवाची−कर्ण, श्रवण, श्रोत, श्रुतिपुट।
    • कामदेव का पर्यायवाची− मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ।
    • किनारा का पर्यायवाची−तीर, कूल, कगार, तट।
    • किरण का पर्यायवाची−कर, अंशु, रश्मि, मरीचि, मयूख, प्रभा।
    • कीर्ति का पर्यायवाची −यश, प्रसिद्धि।
    • खग का पर्यायवाची−पक्षी, द्विज, विहग, नभचर, अण्डज, शकुनि, पखेरू।
    • गणेश का पर्यायवाची−विनायक, गजानन, लम्बोदर, गणपति, एकदन्त।

    महत्वपूर्ण विलोम शब्द देखें

    • गुरु का पर्यायवाची−शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय।
    • गृह का पर्यायवाची−घर, गेह, सदन, निकेतन, भवन, आलय, मंदिर।
    • चन्द्रमा का पर्यायवाची−इन्दु, सोम, शशि, विधु, सुधांशु, हिमांशु।
    • चरण का पर्यायवाची−पैर, पाद, पग, पद, पाँव।
    • चाँदनी का पर्यायवाची−चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्स्ना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई।
    • जगत् का पर्यायवाची−संसार, विश्व, जग, जगती, भव, दुनिया, लोक, भुवन।
    • जल का पर्यायवाची−वारि, अम्बु, तोय, नीर, सलिल, जीवन, पय।
    • जीभ का पर्यायवाची−रसना, रसज्ञा, जिह्वा, रसिका, वाणी, वाचा, जबान।
    • ज्योति का पर्यायवाची−आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा, भा, रुचि, रोचि।
    • तरुवर का पर्यायवाची−वृक्ष, पेङ, द्रुम, तरु, विटप, रूंख, पादप।
    • तलवार का पर्यायवाची−असि, कृपाण, करवाल, खड्ग, चन्द्रहास।
    • तालाब का पर्यायवाची−जलाशय, सर, तङाग, सरोवर, पुष्कर।
    • तीर का पर्यायवाची−शर, बाण, विशिख, शिलीमुख, अनी, सायक।

    विराम चिन्ह क्या है ?

    • दधि का पर्यायवाची−दही, गोरस, मट्ठा, तक।
    • दाँत का पर्यायवाची−दशन, रदन, रद, द्विज, दन्त, मुखखुर।
    • दास का पर्यायवाची−सेवक, अनुचर, चाकर, भृत्य, किंकर, परिचारक।
    • दिन का पर्यायवाची−दिवस, वार, वासर, अह्न , दिवा।
    • दीन का पर्यायवाची−गरीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंकाल।
    • दीपक का पर्यायवाची−दीप, दीया, प्रदीप।
    • दुर्गा का पर्यायवाची−चण्डी, चामुण्डा, कल्याणी, कालिका, भवानी।
    • दूध का पर्यायवाची−दुग्ध, पय, क्षीर, गौरस, स्तन्य।
    • देवता का पर्यायवाची− देव, अजर, अमर, सुर, विबुर्ध
    • शरीर का पर्यायवाची−काया, तन, शरीर, वपु, गात।
    • धन का पर्यायवाची−द्रव्य, वित्त, अर्थ, सम्पत्ति, पूँजी , कमान, कोदण्ड, सरासन, पिनाक, सारंग।
    • नदी का पर्यायवाची−सरिता, तटिनी, तरंगिणी, आपगा, शैलजा, निर्झरिणी।
    • नाव का पर्यायवाची−नौका, तरणी, वनवाहन, जलयान, पोत, नैया, तरी।
    • पत्थर का पर्यायवाची−पाषाण, प्रस्तर, उपल, पाहन, शिलाखण्ड।
    • पत्ता का पर्यायवाची−दल, पल्लव, पर्ण, द्रुमदल, किसलय, पान, पत्र।
    • पति का पर्यायवाची−कांत, ईश, स्वामी, भरतार, वल्लभ, प्राणेश, नाथ।
    • पथ का पर्यायवाची−बाट, मार्ग, राह, पंथ, रास्ता, मग।

    विराम चिन्ह क्या है ?

    • पर्वत का पर्यायवाची−पहाङ, अचल, गिरि, भूधर, नग, महीधर, शैल, मेरू।
    • पशु का पर्यायवाची−चतुष्पद, जानवर, चैपाया, मृग।
    • पाताल का पर्यायवाची−रसातल, नागलोक, अधोभुवन, उरगस्थान।
    • पार्वती का पर्यायवाची−शिवा, गौरी, उमा, भवानी, गिरिजा, शैलसुता, अम्बिका।
    • पास का पर्यायवाची−आसन्न, निकट, समीप, सामीप्य, सन्निकट, उपकण्ठ, सानिध्य।
    • पुत्र का पर्यायवाची−सुत, तनय, आत्मज, पूत, बेटा, तनुज, तात, नन्दन, लाल।
    • पुत्री का पर्यायवाची−सुता, तनया, आत्मजा, तनुजा, नन्दिनी, दुहिता, बेटी।
    • पुष्प का पर्यायवाची−कुसुम, सुमन, प्रसून, फूल, पुहुप, गुल।
    • प्रातः का पर्यायवाची−प्रभात उषा, अरुणोदय, सुबह, अहर्मुख, सवेरा।
    • प्रवाल का पर्यायवाची−विद्रुम, रक्तांग, लतामणि, रक्तमणि।
    • पृथ्वी का पर्यायवाची−भू, भूमि, अवनि, अचला, धरा, मही, इला, मेदिनी।
    • फल का पर्यायवाची−परिणाम, नतीजा, लाभ, प्रभाव।

    परीक्षा में आने वाले मुहावरे

    • बन्दर का पर्यायवाची−कपि, हरि, मर्कट, वानर, शाखामृग।
    • बसन्त का पर्यायवाची−ऋतुराज, मधु, पिकानन्द, मधुमास, कुसुमाकर, मदनमीत।
    • ब्रह्म का पर्यायवाची−विधि, विधाता, विरंचि, चतुरानन, स्वयंभू, प्रजापति।
    • बादल का पर्यायवाची−मेघ, घन, जलद, पयोधर, धाराधर, नीरद।
    • बालक का पर्यायवाची−शिशु, बच्चा, बाल, कुमार, किशोर, लङका, शावक।
    • ब्राह्मण का पर्यायवाची−द्विज, विप्र, भूसुर, भूदेव, महीदेव, अग्रजन्मा।
    • बिजली का पर्यायवाची−विद्युत, चपला, चंचला, तडित, सौदामिनी, दामिनी।
    • बुद्धि का पर्यायवाची−धी, मेधा, मति, प्रज्ञा, मनीषा।
    • भाई का पर्यायवाची−बन्धु, सहोदर, भ्राता, भैया, तात, सगर्भा, सजाता।
    • भौंरा का पर्यायवाची−भ्रमर, मधुकर, मधुप, अलि, षट्पद, भृंग।
    • मक्खन का पर्यायवाची−नवनीत, माखन, दधिसार, लौनी।
    • मनुष्य का पर्यायवाची−नर, मानव, जन, मनुज, मानुष, मत्र्य, आदमी।
    • महादेव का पर्यायवाची−शिव, शंभु, शंकर, पशुपति, त्रिनेत्र, हर, नीलकंठ।

    परीक्षा में आने वाले ही शब्द युग्म ही पढ़ें

    • माता का पर्यायवाची−माँ, अम्बा, जननी, प्रसू, मात, जन्मदायिनी, अम्ब।
    • मुख का पर्यायवाची− आनन, वदन, वक्र, मुँह, चेहरा।
    • मूर्ख का पर्यायवाची−अज्ञ, मूढ़, जङ, अज्ञानी, निर्बुद्धि।
    • मेंढ़क का पर्यायवाची−मण्डूक, दादुर, हरि, भेक, शालूर, वर्षाभू।
    • मृग का पर्यायवाची−कुरंग, सारंग, कस्तूरी, चमरी, कृष्णसार, हरिण।
    • मृत्यु का पर्यायवाची−निधन, मरण, देहावसान, देहान्त, मौत, स्वर्गवास।
    • युद्ध का पर्यायवाची−रण, समर, संग्राम, जंग, विग्रह, लङाई।
    • युवक का पर्यायवाची−युवा, तरुण, जवान, नवयुवक, नौजवान।
    • युवती का पर्यायवाची−तरुणी, श्यामा, किशोरी, नवयौवना, नवांगना।
    • रमा का पर्यायवाची−लक्ष्मी, कमला, पद्मा, इन्दिरा, श्री, सिन्धुजा, विष्णुप्रिया।
    • रवि का पर्यायवाची−भानु, सूर्य, आदित्य, दिनकर, दिनेश, मार्तण्ड।
    • राजा का पर्यायवाची−नृप, भूप, नृपति, नरेश, महीप, नरेन्द्र, महीन्द्र, महीपाल।
    • रात का पर्यायवाची−रात्रि, निशा, शर्वरी, रजनी, यामिनी, राका, विभावरी।
    • रानी का पर्यायवाची−राजवधू, राज्ञी, महारानी, महाराज्ञी, राजपत्नी।
    • लहर का पर्यायवाची−तरंग, हिलोर, ऊर्मि, वीचि, लहरी।
    • वज्र का पर्यायवाची−कुलिश, पवि, अशनि, भेदी, भिदुर, दंभोलि।
    • विद्वान् का पर्यायवाची−कोविद, पण्डित, प्राज्ञ, विदुष।
    • विष का पर्यायवाची−जहर, गरल, हलाहल, कालकूट, गर।

    सर्वनाम व उसके भेद

    • विवाह का पर्यायवाची−पाणिग्रहण, ब्याह, शादी, परिणय, प्रणय, सूत्रबन्धन।
    • विष्णु का पर्यायवाची−जनार्दन, चक्रपाणि, रमेश, चतुर्भुज, गदाधर, दामोदर।
    • शत्रु का पर्यायवाची−अरि, दुश्मन, बैरी, विपक्षी, अमित्र, द्वेषी।
    • शुक का पर्यायवाची−तोता, कीर, सुग्गा, दाङिम-प्रिय, रक्ततुण्ड, सुआ।
    • सखी का पर्यायवाची−सहचरी, आली, सजनी, सहेली, सैरंध्री।
    • सन्धया का पर्यायवाची−साँझ, शाम, सांय, दिनांत, गोधूलि, प्रदोषकाल।
    • सर्प का पर्यायवाची−अहि, भुजंग, विषधर, व्याल, फणी, नाग, उरग।

    परीक्षा में आने वाले ही शब्द युग्म ही पढ़ें

    • समुद्र का पर्यायवाची−सागर, सिंधु, रत्नाकर, उदधि, पयोधि, पारावार।
    • सरस्वती का पर्यायवाची−भारती, गिरा, शारदा, वीणापाणि, हंसवाहिनी।
    • सिंह का पर्यायवाची−शार्दूल, केसरी, हरि, मृगेन्द्र, वनराज, मृगराज।
    • सेना का पर्यायवाची−कटक, अनी, चमू, दल, वाहिनी, सैन्य, फौज।
    • स्वर्ग का पर्यायवाची−सुरलोक, देवलोक, नाग, इन्द्रपुरी, द्यौ, परमधाम।
    • स्त्री का पर्यायवाची−नारी, कामिनी, महिला, अबला, ललना, रमणी, तिय।
    • हृदय का पर्यायवाची−उर, हिय, वक्ष, वक्षस्थल, हृद।
    • हनुमान का पर्यायवाची−पवनसुत, महावीर, वज्रांग, मारुति, अंजनिसुत, मारुतनन्दन।
    • हाथ का पर्यायवाची−हस्त, कर, पाणि, बाहु, भुजा।
    • हाथी का पर्यायवाची−गज, हस्ती, कुंजर, मातंग, द्विरद, द्विप, नाग, करि।
    • हंस का पर्यायवाची−मराल, चक्रांग, कलहंस, कारंडव, सरस्वतीवाहन।

    पेड़ का पर्यायवाची शब्द क्या है – Ped ka Paryayvachi Shabd

    Ped –Taru, Drum,Vitap, Vriksh, Paadap, Ruksh, gaach, darkhat, shaakhi

    पेड़ –वृक्ष, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम

    ped ka paryayvachi shabd
    Ped Ka Paryayvachi Shabd

    पर्यायवाची शब्द के महत्त्वपूर्ण प्रश्न- Paryayvachi Shabd ke Question

    1. ’कमल’ का पर्यायवाची शब्द बताइये ?
    (अ) अरविन्द ✔️ (ब) मदन
    (स) मयंक (द) अचल

    2. निम्न में से कौन सा विकल्प- ’किरण’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
    (अ) अंशु (ब) प्रकाश
    (स) रश्मि (द) मयूर ✔️

    3.”Allotment”का पारिभाषिक शब्द है:
    (अ) देना (ब) आबंटन ✔️
    (स) पाना (द) हिस्सा

    4. निम्न में ’स्वर्ण’ का ’अपर्यायवाची’ इंगित करें-
    (अ) कंचन (ब) कनक
    (स) हेम (द) किंकिन ✔️

    5. ’केदार’ निम्न में किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) ब्रह्मा (ब) विष्णु
    (स) महेश ✔️ (द) इन्द्र

    6. निम्न में ’मेघ’ का पर्यायवाची इंगित करे ?
    (अ) जलज (ब) कोकनद
    (स) पयोद ✔️ (द) उपर्युक्त सभी

    7. निम्न में कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय है ?
    (अ) नीरद (ब) कोकनद
    (स) नीलनद (द) प्रमद

    8. निम्न में से कौन-सा नाम ’कृष्ण’ का पर्याय नहींहै ?
    (अ) जगन्नाथ (ब) केशव
    (स) केटव ✔️ (द) माधव

    9. निम्न में से कौन-सा शब्द ’कमल’ का पर्याय नहीं है ?
    (अ) सरसिज (ब) अम्बुज
    (स) पंकज (द) वारिद ✔️

    10. निरंकुशता किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) स्वेच्छाचारिता ✔️ (ब) स्वतंत्रता
    (स) आत्मनिर्भरता (द) वीरता

    निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः

    11. दामिनी
    (अ) नवनीत (ब) चमक
    (स) आत्मनिर्भर (द) बिजली ✔️

    12. अरि
    (अ) मित्र (ब) शत्रु ✔️
    (स) अभद्र (द) कठोर

    13. स्तन्य
    (अ) खीर (ब) पेय
    (स) कौंध (द) दूध ✔️

    14. दर्प
    (अ) तिरस्कार (ब) अहंकार ✔️
    (स) स्वाभिमान (द) गर्व

    15. ’घनश्याम’ का अर्थ है काला बादल, इसका दूसरा अर्थ है ?
    (अ) विष्णु (ब) घने बादल
    (स) कृष्ण ✔️ (द) घने बाल

    16. ’अनिल’ का पर्याय है:
    (अ) अनल (ब) पवन ✔️
    (स) पावस (द) चक्रवात

    17. ’मृगेन्द्र’ का पर्याय हैः
    (अ) कुरंग (ब) अहि
    (स) कुंजर (द) शार्दूल ✔️

    18. ’प्रसून’ पर्यायवाची है:
    (अ) वृक्ष का (ब) पुष्प का ✔️
    (स) चन्द्रमा का (द) इनमें से कोई नहीं

    19. निम्नलिखित में ’कबतूर’ का पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) पारावात ✔️ (ब) हारिल
    (स) कोर (द) कुक्कुट

    20. वर्तनी की शुद्धता को ध्यान रखते हुए ’आग’ शब्द के लिए प्रयुक्त शुद्ध हिन्दी शब्द कौन-सा है ?
    (अ) अनिल (ब) अनल ✔️
    (स) आनल (द) आनिल

    21. रात्रि का पर्याय नहीं है:
    (अ) यामिनी (ब) रजनी
    (स) सजनी ✔️ (द) निशा

    22. फूल का पर्याय नहीं है:
    (अ) सुमन (ब) कुसुम
    (स) पुष्प (द) तनुजा ✔️

    23. सही पर्यायवाची शब्द चुनिए:
    (अ) इन्दिरा ✔️ (ब) कामाक्षी
    (स) दामिनी (द) कामिनी

    24. ’केसरी’ शब्द के पर्यायवाची शब्द का चयन कीजिएः
    (अ) सुन्दर (ब) हाथी
    (स) सिंह (द) पक्षी

    25. ’तुरंग’ का पर्यायवाची शब्द चुनिएः
    (अ) गदहा (ब) घोङा ✔️
    (स) सर्प (द) सिंह

    26. ’सेना’ का पर्यायवाची है:
    (अ) अनीक ✔️ (ब) सैनिक
    (स) अरि (द) अतनु

    27. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’होंठ’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है ?
    (अ) ओष्ठ (ब) रद-पट
    (स) अष्ट ✔️ (द) अधर

    28. उस विकल्प का चयन कीजिए जो ’अनुचर’ शब्द का पर्यायवाची नही है ?
    (अ) भृत्य (ब) चाकर
    (स) सेवक (द) निर्झर ✔️

    पर्यायवाची शब्द के बहुविकल्पीय प्रश्न

    29. ’वीणापाणि’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) रंभा (ब) सरस्वती ✔️
    (स) लक्ष्मी (द) कमल

    30. ’कंचन’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) हीरा (ब) कनक ✔️
    (स) ताँबा (द) चाँदी

    31. ’निशाचर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) नभचर (ब) रात्रिचर ✔️
    (स) चंद्रमा (द) निरहंकार

    32. ’कामदेव’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) केशव (ब) अनंग ✔️
    (स) कौमुदी (द) भवानी

    33. निम्नांकित में कौन-सा शब्द ’पृथ्वी’ का पर्यायवाची है ?
    (अ) दामिनी (ब) मेदिनी ✔️
    (स) यामिनी (द) तटिनी

    34. निम्नांकित शब्दा में ’अग्नि’ शब्द का पर्यायवाची कौन-सा है ?
    (अ) हुताशन (ब) पावक
    (स) अनल (द) अनिल ✔️

    35. ’सर’, जो कि सरोवर का पर्यायवाची है, यदि ’सर’ के प्रथम वर्ण ’स’ के स्थान पर ’श’ का प्रयोग किया जाए तो उसका क्या अर्थ होगा ?
    (अ) सरोवण (ब) सत्त्व
    (स) वाण ✔️ (द) शाखा

    36. निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ’हवा’ का पर्यायवाची नहीं है ?
    (अ) समीर (ब) अनिल
    (स) अनल ✔️ (द) पवन

    37. नीचे दिए गए विकल्पों में से ’नग’ शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द चुनिए।
    (अ) पवर्त ✔️ (ब) तरी
    (स) किंकर (द) स्तर

    38. किस वर्ग में सभी शब्द अनेकार्थक है ?
    (अ) अंक, मधु, वीचि
    (ब) वर्ण, पद, करका
    (स) अर्थ, हस्त, यूथप
    (द) इनमें से कोई नहीं ✔️

    निर्देशः निम्नलिखित शब्दों के आगे चार-चार शब्द दिए गए है। इनमें से उचित पर्याय चुनकर चिह्नित करेंः

    39. चन्द्रमा
    (अ) दिवाकर (ब) निशि
    (स) मार्तण्ड (द) शशि ✔️

    40. शतदल
    (अ) समूह (ब) सेना
    (स) दस्यु (द) सरसिज ✔️

    41. अंजन
    (अ) गुलाब (ब) पद्य
    (स) ब्रह्मा (द) काजल ✔️

    42. मृगांक
    (अ) लोचन (ब) मृग
    (स) सुधाकर ✔️ (द) कलोल

    43. हरिण
    (अ) विहग (ब) खग
    (स) हंस (द) मृग ✔️

    44. वायु
    (अ) अनल (ब) अनिल ✔️
    (स) अलिन्द (द) अलिनी

    45. सेना
    (अ) अनीक✔️ (ब) सैनिक
    (स) अरि (द) अतनु

    46. विनायक
    (अ) सुर (ब) शत्रु
    (स) पुत्र (द) गणेश ✔️

    47. मछली
    (अ) जलचर✔️ (ब) जलज
    (स) मेष (द) पंकज

    48. पृथ्वी
    (अ) रत्नगर्भा ✔️ (ब) हिरण्यगर्भा
    (स) वसुमती (द) स्वर्णमयी

    49. धाता
    (अ) विष्णु ✔️ (ब) धाय
    (स) पक्ष (द) हार

    50. रात्रि
    (अ) क्षपा (ब) तमीचर
    (स) अम्मा (द) विभावरी ✔️
    51. तरणि
    (अ) सूर्य (ब) नाव ✔️
    (स) युवती (द) नदी

    52. अम्ब
    (अ) देवी (ब) जल
    (स) माता ✔️ (द) द्वार

    53. स्तन्य
    (अ) खीर (ब) पेय
    (स) कौंध (द) दूध ✔️

    54. पावक
    (अ) अंगरा (ब) हुताशन ✔️
    (स) लपट (द) ज्वाला

    55. धरती
    (अ) चंचला (ब) विपुल ✔️
    (स) सरसी (द) अचला

    56. इन्द्र
    (अ) राजीव (ब) कन्दर्प
    (स) वक्र ✔️ (द) वल्लभ

    57. अनन्त
    (अ) निस्सीम✔️ (ब) भगवान
    (स) शेषनाग (द) बन्धन

    58. सारंग
    (अ) नमक (ब) सारथी
    (स) मोर ✔️ (द) घोङा

    59. अतनु
    (अ) ईश्वर (ब) कृष्ण
    (स) कामदेव ✔️ (द) बसंत

    60. घर
    (अ) विहार (ब) इला
    (स) निकेतन ✔️ (द) नग

    निर्देशः निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में पर्यायवाची स्वरूप के आधार के चार/पाँच शब्द दिए गए है। इनमें से एक शब्द पर्याय नहीं है। उसको चिह्निन करें।

    61. दाँत
    (अ) दाङिम ✔️ (ब) दन्त
    (स) दशन (द) रदन

    62. चाँदी
    (अ) रजत (ब) रूप्य
    (स) जातम (द) हेम

    63. सेना
    (अ) अनि (ब) कटक
    (स) चमू (द) हाटक ✔️

    64. कुबेर
    (अ) किन्नरेश (ब) कोविद ✔️
    (स) धनाधिप (द) राजराज

    65. कलाधर
    (अ) सुधांशु (ब) कलाकार ✔️
    (स) चन्द्रमा (द) निशापति

    66. हाथी
    (अ) द्विप (ब) द्विरद
    (स) तरणि ✔️ (द) सिंधुर

    67. कमल
    (अ) नलिन (ब) रसाल ✔️
    (स) उत्पल्ल (द) राजीव

    68. ’असंदिग्ध’ शब्द के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पर्यायवाची शब्द कौन सा है ?
    (अ) असंदेहास्पद (ब) निर्विवाद ✔️
    (स) निष्पक्ष (द) निः सन्देह

    69. ’शिव’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) पिनाकी ✔️ (ब) लम्बोदर
    (स) पियासु (द) पिनाक

    70. ’यति’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) ब्राह्मण (ब) सन्यासी ✔️
    (स) सती (द) भिखारी

    71. ’विभावरी’ का पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) रात्रि ✔️ (ब) तपसा
    (स) क्षणदा (द) तरणी

    72. ’कृष्ण’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) हषीकेश ✔️ (ब) महीपति
    (स) किन्नर (द) चन्द्रशेखर

    73. ’कौवा’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वयस् (ब) वारण
    (स) मराल (द) वायस ✔️

    74. ’उद्यान’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) उपवन✔️ (ब) निकेतन
    (स) कानन (द) अरण्य

    75. ’दूत’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) पायक (ब) अनुचर
    (स) हरकारा✔️ (द) पदाति

    76. ’तूणीर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) असंग (ब) उत्संग
    (स) निषंग ✔️ (द) निःसंग

    77. ’बाज’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) बाजि (ब) हय
    (स) आशु (द) श्येन

    78. ’मोती’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) मुकुर (ब) मुक्ता ✔️
    (स) मरकत (द) मणि

    79. ’सरस्वती’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वाग्देवी ✔️ (ब) वाचिका
    (स) बदरिका (द) वाग्भिता

    80. ’मोर’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कपोत (ब) पिक
    (स) केकी ✔️ (द) अम्बर

    81. ’दामिनि’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वपा (ब) नीरद
    (स) बादल (द) विद्युत ✔️

    82. ’हंस’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कपोल (ब) सारंग
    (स) विवेकी (द) मराल ✔️

    83. ’पर्वत’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) आर्द्र (ब) अद्रि ✔️
    (स) आद्र्रा (द) शंृग

    84. ’निराकरण’ का पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) स्पष्टीकरण (ब) समाधान ✔️
    (स) विवेचन (द) संहार

    85. ’हवा’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) वायु-द्विज (ब) मारुत-शकुनत
    (स) अनल-पवन (द) समीर-अनिल ✔️

    86. ’घर’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) धाम-आलय ✔️ (ब) पंकज-भवन
    (स) गृह-वाटिका (द) शान्ति-निकेतन

    87. ’प्रकाश’ के पर्यायवाची शब्द हैः
    (अ) प्रस्तर-अचला (ब) ज्याति-दीप्ति ✔️
    (स) छवि-प्रभाकर (द) दिनकर-ज्योति

    88. ’मछली’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) भामा-मत्स्य (ब) जलनिमग्नि-मकर
    (स) सफरी-धात्री (द) मीन-मत्स्य ✔️

    89. ’नारी’ के पर्यायवाची शब्द है:
    (अ) कान्ता-निशा (ब) रमणी-कालिन्दी
    (स) कामिनी-दामिनी (द) त्रिया-भामिनी ✔️

    90. ’मोर’ का पर्यायवाची इनमें से क्या है ?
    (अ) कलापी ✔️ (ब) मङित
    (स) विचिख (द) विचक्षण

    91. ’दुहिता’ किस शब्द का पर्यायवाची है ?
    (अ) पुत्र (ब) पुत्री ✔️
    (स) स्त्री (द) पत्नी

    92. ’निर्वाण’ का पर्यायवाची शब्द क्या है ?
    (अ) निर्माण (ब) भवन
    (स) मोक्ष ✔️ (द) मोती

    93. इनमें से कौन सा शब्द विष्णु का पर्याय है ?
    (अ) मुकुन्द ✔️ (ब) गिरिधर
    (स) रघुनन्दन (द) विधि

    94. इनमें से मछली का पर्यायवाची क्या है ?
    (अ) झष ✔️ (ब) वारिद
    (स) तङित (द) चचल

    95. इनमें से कौन सा शब्द बिजली का पर्यायवाची है ?
    (अ) सौदामिनी ✔️ (ब) कान्ति
    (स) प्रभा (द) मेघ

    96. महाश्वेता किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) लक्ष्मी (ब) सरस्वती ✔️
    (स) पार्वती (द) सीता

    97. केशरी किसका पर्यायवाची है ?
    (अ) घोङा (ब) हाथी
    (स) सियार (द) सिंह ✔️

    98. कामदेव का पर्यायवाची शब्द होगा:
    (अ) पुण्डरीक (ब) अतनु
    (स) अंशु (द) राजराज

    99. पृथ्वी का पर्यायवाची शब्द होगाः
    (अ) अश्म (ब) अचल ✔️
    (स) बीजप्रस (द) महिधर

    100. इनमें से कौनसा शब्द गंगा का पर्यायवाची है ?
    (अ) देवापगा (ब) हंसला ✔️
    (स) सुरसरिता (द) विष्णुपदी

विलोम शब्द

हिंदी भाषा में भी दो विरोधी अर्थों और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए अलग -अलग शब्दों का अस्तित्व होता है।विपरीत भावोंकी अभिव्यक्ति के लिए विलोम शब्दों का ज्ञान होना आवश्यक है। इसलिए आज के आर्टिकल में हमविलोम शब्दोंको पढेंगे ।

विलोम का अर्थ होता है – उल्टा। निम्नलिखित शब्दविपरीतार्थकहै, क्योंकि ये अपने सामने वाले शब्द के सर्वदाविपरीत अर्थप्रकट करते हैं। तो सीधी सी बात है कि किसी भीशब्दका विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दविलोम शब्द (Vilom Shabd)कहलाते है। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विलोम शब्दों को अंग्रेजी मेंAntonymsकहते है। विलोम शब्द कई प्रकार से बनते है जैसे – उपसर्ग के द्वारा ,लिंग परिवर्तन के द्वारा।

उपसर्ग से– ज्ञान -अज्ञान ,अल्पायु – दीर्घायु , अंतरंग – बहिरंग, अवनत – उन्नत, लभ्य -अलभ्य।

लिंग परिवर्तन से– शेर – शेरनी, राजा-रानी, माता – पिता , लड़का-लड़का, नाना – नानी।

यहाँ ध्यान देने की बात यह हैकिसंज्ञा शब्द काविपरीतार्थकसंज्ञा होऔरविशेषण काविपरीतार्थकविशेषण

शब्दविपरीतार्थक शब्द
अनाथसनाथ
अवनतिउन्नति
अंतरंग (अंत:+अंग )बहिरंग
अल्पज्ञबहुज्ञ
अल्पायुदीर्घायु
अवनतउन्नत
अंतद्वंद्वबहिद्वंद्व
अंतर्मुखीबहिर्मुखी
अल्पबहु
अपेक्षाउपेक्षा
अग्रजअनुज
अधमउत्तम
अज्ञविज्ञ, प्रज्ञ
अगमसुगम
अमृतविष
अलभ्यलभ्य
अरुचिरुचि
अथइति
अनुग्रहविग्रह
अंतआदि
अमावस्यापूर्णिमा
अस्तउदय
अनुलोमप्रतिलोम
अनुरक्तिविरक्ति
अमरमर्त्य
अग्निजल
अपमानसम्मान
अतिअल्प
अंधकारप्रकाश
अल्पसंख्यकबहुसंख्यक
आधुनिकप्राचीन
आविर्भाव (उदय होना)तिरोभाव (लुप्त हो जाना)
आगामीविगत
आचारअनाचार
आत्मापरमात्मा
आदानप्रदान
आयातनिर्यात
आकाशपाताल
अतिवृष्टिअनावृष्टि

Vilom Shabd

शब्दविपरीतार्थक शब्द
अवनि(धरती)अंबर(आकाश)
अनुराग(प्रेम)विराग
अनुकूलप्रतिकूल
आर्द्रशुष्क
आशानिराशा
आस्तिकनास्तिक
आलोकअंधकार
आयव्यय
आग्रहअनाग्रह
आकीर्ण(विस्तार होना)विकीर्ण
आधारआधेय, लंब
आकर्षणविकर्षण
आद्यअंत्य
आसक्तअनासक्त
आजादीगुलामी
आभ्यंतरबाह्य
इहलोकपरलोक
इष्टअनिष्ट
ईश्वरअनीश्वर
उपसर्गप्रत्यय
उन्मूलन(जड़ से समाप्त करना)रोपण
उदारकृपण
उत्कृष्टनिकृष्ट
उपयोगदुरुपयोग
उपयुक्तअनुपयुक्त
उच्चनिम्न
उत्तीर्णअनुत्तीर्ण
उदयाचलअस्ताचल
उत्तरायणदक्षिणायन
एकतंत्रबहुतंत्र
एङीचोटी
ऐतिहासिकअनैतिहासिक
इच्छाअनिच्छा
ईदमुहर्रम
उपकारअपकार
उत्कर्षअपकर्ष
उदात्त(महान)अनुदात्त
उत्साहनिरुत्साह, अनुत्साह
उत्तमअधम
उद्यमीनिरुद्यम
उत्थानपतन
उधारनकद
उपरिअधः
उपयुक्तअनुपयुक्त
उग्रसौम्य
एकताअनेकता
एकत्रविकीर्ण
ऐश्वर्यअनैश्वर्य
एकेश्वरवादबहुदेववाद
कीर्तिअपकीर्ति
कुरूपसुरूप
करुणनिष्ठुर
क्रयविक्रय
कायरनिडर
कटुमधु
क्रूरअक्रूर
कृत्रिमप्रकृत
कठोर, कर्कशकोमल
कृष्णश्वेत, शुक्ल
कृतज्ञकृतघ्न
कनिष्ठज्येष्ठ
कर्मनिष्कर्म, अकर्म
कपटीनिष्कपट
कुटिलसरल
क्रोधक्षमा
कर्मण्यअकर्मण्य
कोपकृपा
कृपण(कंजूस)दाता
कर्मठअकर्मण्य
खेदप्रसन्नता
गणतंत्रराजतंत्र
गुरुलघु
गुप्तप्रकट
ग्रस्तमुक्त
ग्राह्यत्याज्य
गगनपृथ्वी
गरलसुधा
गीलासूखा
गौरवलाघव
गृहस्थसंन्यासी
गतआगत
गुणदोष
गमनआगमन
घातप्रतिघात
घरेलूबाहरी, वन्य
चाहअनचाह
चिरंतननश्वर
छाँहधूप
चोरसाधु
छलीनिश्छल
छूतअछूत
जन्ममृत्यु, मरण
ज्येष्ठकनिष्ठ
जागरणनिद्रा
जलस्थल
जीवितमृत
जातीयविजातीय
जटिलसरल
जयपराजय
जङचेतन
ज्योतितम
जीवनमरण
जंगमस्थावर
ज्वारभाटा
जल्ददेर
तापशीत
तमआलोक, ज्योति
तीव्रमंद
तुच्छमहान
देवदानव
दृष्ट, दुर्जनसज्जन
देयअदेय
दीर्घकायकृशकाय
धनीनिर्धन
तिमिरप्रकाश
तामसिकसात्त्विक
तुकांतअतुकांत
तरलठोस
दिवारात्रि
दूषितस्वच्छ
दुर्बल, निर्बलसबल
दक्षिणवाम, उत्तर
ध्वंसनिर्माण
नूतनपुरातन
न्यूनअधिक
नश्वरशाश्वत, अनश्वर
निंदास्तुति
नागरिकग्रामीण
निर्मलमलिन
निरामिषसामिष
निर्लज्जसलज्ज
निर्दोषसदोष
निर्माणविनाश, ध्वंस
नगरग्राम
निर्दयसदय
नैसर्गिककृत्रिम, अनैसर्गिक
निष्कामसकाम
निंद्यवंद्य
निरक्षरसाक्षर
पंडितमूर्ख
पक्षविपक्ष
प्रमुखसामान्य, गौण
प्रलयसृष्टि
प्रारंभिकअंतिम
पाश्चात्यपौवार्त्य, पौरस्त्य
प्रशंसानिंदा

विलोम शब्द -vilom shabd in hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
पापपुण्य
परार्थस्वार्थ
पुरस्कारदंड, तिरस्कार
पूर्ववर्तीपरवर्ती, उत्तरवर्ती
परतंत्रस्वतंत्र
परमार्थस्वार्थ
परुषकोमल
प्रधानगौण
प्रवृत्तिनिवृत्ति
प्राचीननवीन, अर्वाचीन
प्रत्यक्षपरोक्ष
प्राकृतिककृत्रिम, विकृत, अप्राकृतिक
पुष्टक्षीण, अपुष्ट
परिश्रमविश्राम
पूर्वउत्तर, अपर, पश्चिम
पूर्णताअपूर्णता
प्रयोगअप्रयोग
बंधनमुक्ति, मोक्ष
बाह्यअभ्यंतर
बाढ़सूखा
भूतभविष्य
भोगीयोगी
बहिरंगअंतरंग
बलवानबलहीन
बर्बरसभ्य
भौतिकआध्यात्मिक
भद्रअभद्र
मानवदानव
मूकवाचाल, मुखर
मृदुलकठोर

विलोम शब्द – Opposite words In Hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
मुखपृष्ठ, प्रतिमुख
महात्मादुरात्मा
मिलनविरह
मृतजीवित
मुनाफानुकसान
योगवियोग
योगीभोगी
रक्षकभक्षक
राजतंत्रजनतंत्र
रतविरत
रागीविरागी
रचनाध्वंस
रूपवानकुरूप
रिक्त, अपूर्णपूर्ण
लघुगुरु, दीर्घ, महत्
लौकिकअलौकिक
लिप्तनिर्लिप्त, अलिप्त
लुप्तव्यक्त
विवादनिर्विवाद
विशिष्टसाधारण
विजयपराजय
विस्तृतसंक्षिप्त
विशेषसामान्य
वसंतपतझङ
बहिष्कारस्वीकार, अंगीकार
वृद्धिह्रास
विधवासधवा
विमुखसम्मुख, उन्मुख
वैतनिकअवैतनिक
विशालकायक्षीणकाय, लघुकाय
वीरकायर
वृहत्, महत्लघु, क्षुद्र
व्यस्तअकर्मण्य, अव्यस्त
व्यावहारिकअव्यावहारिक
विपत्तिसंपत्ति
वृष्टिअनावृष्टि
विपद्संपद्
वक्रसरल, ऋजु
विशिष्टसामान्य
वियोग, विरहमिलन
समविषम
सजीवनिर्जीव, अजीव
सफलविफल, असफल, निष्फल
सरलकुटिल, वक्र, कठिन
सजलनिर्जल
स्वजातिविजाति
सम्मुखविमुख
सार्थकनिरर्थक
सकर्मनिष्कर्म
सुकर्मकुकर्म, दुष्कर्म
सुलभदुर्लभ
सुपथकुपथ
स्तुतिनिंदा
स्मरणविस्मरण
सशंकनिश्शंक
सगुणनिर्गुण
सबलदुर्बल, अबल
सनाथअनाथ
सहयोगीप्रतियोगी
स्वतंत्रतापरतंत्रता
संयोगवियोग
सम्मानअपमान
सकामनिष्काम
साकारनिराकार
सुगंधदुर्गंध
सुगमदुर्गम
सुशीलदु:शील
स्थूलसूक्ष्म
संपद्विपद्
सुनामदुर्नाम
संतोषअसंतोष
सुधागरल, विष, हलाहल
संकल्पविकल्प
संन्यासीगृही, गृहस्थ
स्वधर्मविधर्म, परधर्म
समष्टिव्यष्टि
संघटनविघटन
साक्षरनिरक्षर
सद्वृत्तदुर्वृत्त
समूलनिर्मूल
सत्कर्मदुष्कर्म

विलोम शब्द – Vilom Shabd in Hindi

शब्दविपरीतार्थक शब्द
सुमतिकुमति
संकीर्णविस्तीर्ण
सदाशयदुराशय
सुकृतिकुकृति, दुष्कृति
समासव्यास
स्वल्पायुचिरायु
सुसंगतिकुसंगति
सुपरिणामदुष्परिणाम
सौभाग्यदुर्भाग्य
सखाशत्रु
सौम्यउग्र, असौम्य
स्वामीसेवक
सृष्टिप्रलय, संहार
संधिविग्रह
स्थिरचंचल, अस्थिर
सबाधनिर्बाध
स्वार्थनिः स्वार्थ, परमार्थ
सत्कारतिरस्कार
सापेक्षनिरपेक्ष
सक्षमअक्षम
सादरनिरादर
सलज्जनिर्लज्ज
सदयनिर्दय
सुलभदुर्लभ
स्वप्नजागरण
संकोचअसंकोच, प्रसार
सभ्यअसभ्य, बर्बर
सुदूरसन्निकट, अदूर
सभयनिर्भय, अभय
सामान्यविशिष्ट
स्तुत्यनिंद्य
सुकालअकाल, दुष्काल
शकुनअपशकुन
शीतउष्ण
शुक्लकृष्ण
श्वेतश्याम
शासकशासित
शयनजागरण
शृंखलाविशृंखला
श्रव्यदृश्य
शोषकपोषक
श्लीलअश्लील
शांतिक्रांति, अशांति
शुष्कसिक्त (सींचा हुआ)
शत्रुमित्र
श्रीगणेशइतिश्री
श्रद्धाघृणा, अश्रद्धा
श्यामागौरी
हासरूदन
ह्रस्वदीर्घ
हर्षविषाद, शोक
हिंसाअहिंसा
क्षरअक्षर
क्षणिकशाश्वत
क्षम्यअक्षम्य
क्षुद्रविराट्, विशाल, महान

विलोम शब्द के प्रश्न (Vilom Shabd ke Question)-

1. ’देव’ शब्द का विलोम है-
(अ) दुर्देव (ब) दुर्जन
(स) दुर्भाग्य (द) दानव✔️

2. ’कृत्रिम’ के लिए उचित विलोम शब्द लिखिए-
(अ) नकली (ब) नैसर्गिक✔️
(स) कठोर (द) बनावटी

3. ’जंगल’ का विलोम है-
(अ) अस्थिर✔️ (ब) अचर
(स) अस्थायी (द) स्थावर

4. निम्नलिखित में विलोम-युग्म नहीं है-
(अ) ग्राह्य-अग्राह्य (ब) क्षम्य-अक्षम्य
(स) श्रान्त-अश्रान्त (द) शुचि-पवित्र✔️

5. ’दुर्गम’ का विलोम है-
(अ) अगम (ब) सुगम✔️
(स) आगम (द) अलक्ष्य

6. ’अवतल’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द छाँटिए-
(अ) पाताल (ब) त्रिताल
(स) उत्तल✔️ (द) उत्ताल

7. ’उत्थान’ शब्द का विलोम है-
(अ) उन्नति (ब) अवनति
(स) पतन✔️ (द) उठना

8. निम्न में अशुद्ध विपरीतार्थी समूह है-
(अ) पक्ष-प्रतिपक्ष (ब) आस्तिक-नास्तिक
(स) स्वर्ग-नरक (द) सामिष-शाकाहारी✔️

9. ’निर्गुण’ शब्द का विलोम क्या है?
(अ) सगुण✔️ (ब) अवगुण
(स) गुण (द) दुर्गुण

10. कौनसा विकल्प विलोम शब्दों को नहीं दर्शाता है-
(अ) सम्मुख-विमुख (ब) गरिमा-लघिमा
(स) संयोग-सुयोग✔️ (द) राग-विराग

11. ’निराकार’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) प्रकार (ब) आकार
(स) उपकार (द) साकार✔️

12. निम्नलिखित में से सही विलोम शब्द-युग्म गलत है?
(अ) पाठ्य – सुपाठ्य (ब) नत – अवनत
(स) शिष्ट – विशिष्ट (द) संश्लिष्ट – विश्लिष्ट✔️

13. ’वियोग’ का विलोम शब्द क्या होगा-
(अ) अयोग (ब) संयोग✔️
(स) सुयोग (द) उपयोग

14. विपरीत युग्म शब्द कौन-सा है?
(अ) पतले-पतले (ब) दीन-दुःखी
(स) चाय-वाय (द) जङ-चेतन✔️

15. ’उन्मुख’ का विलोम है-
(अ) प्रमुख (ब) विमुख✔️
(स) सन्मुख (द) अधोमुख

16. ’गमन’ का विलोम शब्द क्या है?
(अ) गम (ब) अगम
(स) आगमन✔️ (द) नागम

17. ’उग्र’ का विलोम है-
(अ) सौम्य ✔️ (ब) विनीत
(स) मधुर (द) विनत

18. ’अल्पज्ञ’ का विलोम का क्रम है-
(अ) अवज्ञ (ब) सर्वज्ञ✔️
(स) अभिज्ञ (द) कृतज्ञ

19. ’उद्यम’ का विलोम है-
(अ) पश्चिम (ब) आलस्य ✔️
(स) अकर्मण्य (द) आजीवन

20. ’जरा’ का विलोम शब्द है-
(अ) थोङा (ब) यौवन✔️
(स) जला (द) अल्प

21. ’क्रान्ति’ का विलोम है-
(अ) उत्तेजना (ब) आन्दोलन
(स) शान्ति✔️ (द) हलचल

22. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) परोपकारी (ब) दानी✔️
(स) भिखारी (द) स्वार्थी

23. ’कृपण’ का विलोम है-
(अ) दाता✔️ (ब) याचक
(स) निर्दयी (द) उदार

24. ’उत्कर्ष’ का विलोम क्या होता है?
(अ) आकर्ष (ब) निष्कर्ष
(स) अपकर्ष✔️ (द) महथाकर्ष

25. ’गौरव’ का विलोम है-
(अ) निच्छता (ब) हीनता
(स) अपभाव (द) लघुता✔️

26. वह अपने विषय का पूर्ण अभिज्ञ है, रेखांकित शब्द का विलोम है-
(अ) सर्वज्ञ (ब) अल्पज्ञ
(स) अनभिज्ञ✔️ (द) विज्ञ

27. ’गणतन्त्र’ का विलोम है-
(अ) साम्यवाद (ब) प्रजातन्त्र
(स) राजतन्त्र✔️ (द) समाजवाद

28. ’तिमिर’ का विलोम शब्द है-
(अ) प्रकाश (ब) ज्योतिर्मय
(स) अलास (द) आलोक✔️

29. ’दुर्गति’ का विलोम है-
(अ) सुगति✔️ (ब) कुगति
(स) प्रगति (द) वीरगति

30. ’मूक’ का विलोम होगा-
(अ) हास (ब) शाप
(स) लोह (द) वाचाल✔️

31. ’दुर्लभ’ का विलोम है-
(अ) सुलभ✔️ (ब) दुष्कर
(स) प्राप्य (द) उपलब्ध

32. ’सूक्ष्म’ शब्द का विलोम शब्द है-
(अ) असूक्ष्म (ब) विशाल
(स) स्थूल✔️ (द) सुशीत

33. ’सार्थक’ का विलोम है-
(अ) आवश्यक (ब) अनिवार्य
(स) निरर्थक✔️ (द) व्यर्थ

34. ’निरपेक्ष’ का सही विलोम है-
(अ) प्रत्यक्ष (ब) परोक्ष
(स) सापेक्ष✔️ (द) प्रतिपक्ष

35. ’वियोग’ का विलोम है-
(अ) दुर्योग (ब) संयोग✔️
(स) विरह (द) मिलन

36. ’निराहार’ का सही विलोम है-
(अ) अनुहार (ब) आहार✔️
(स) विहार (द) संथार

37. ’विकास’ का विलोम है-
(अ) परिवर्तन (ब) ह्रास✔️
(स) न्यूनता (द) अधिकता

38. ’उपेक्षा’ का सही विलोम है-
(अ) सम्मान (ब) अपेक्षा✔️
(स) अपमान (द) तिरस्कार

39. ’अल्प संख्यक’ का विलोम है-
(अ) अतिसंख्यक (ब) बहुसंख्य✔️
(स) महासंख्यक (द) बाहुल्य

40. किस क्रम में ’आमिष’ का विलोम है?
(अ) सामिष (ब) निरामिष✔️
(स) अनामिष (द) परामिष

41. ’विस्तार’ का विलोम है-
(अ) लघु (ब) छोटा
(स) सूक्ष्म (द) संक्षेप✔️

42. ’पुरोगामी’ का विलोम है-
(अ) पश्चगामी✔️ (ब) उध्र्वगामी
(स) पतनगामी (द) अपूर्ण

43. ’अभिशाप’ का विलोम है-
(अ) प्रतिवाद (ब) प्रवाद
(स) आशीर्वाद (द) वरदान✔️

44. ’बर्बर’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) सभ्य✔️ (ब) बुरा
(स) दुष्ट (द) अत्याचारी

45. ’आकर्षण’ का विलोम है-
(अ) आकृष्ट (ब) विकर्षण
(स) अनाकर्षण✔️ (द) पराकर्षण

46. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) निंद्य – स्तुत्य (ब) पतिव्रता-कुलटा
(स) परितोष – संतोष✔️ (द) नत – उन्नत

47. ’मंद’ का विलोम है-
(अ) सुस्त (ब) द्रुत✔️
(स) शीघ्र (द) त्वरित

48. ’सृष्टि’ का विलोम है-
(अ) विनाश (ब) विध्वंस
(स) प्रलय✔️ (द) सृजन

49. ’हर्ष’ का विलोम है-
(अ) विषाद✔️ (ब) दुःख
(स) पीङा (द) कष्ट

50. ’अनुरक्त’ का विलोम शब्द है?
(अ) निरक्त (ब) आरक्त
(स) आसक्त (द) विरक्त✔️

51. ’सत्कार’ का विलोम है-
(अ) निरादर (ब) अपमान
(स) उपेक्षा (द) तिरस्कार✔️

52. ’प्रतिघात’ शब्द किसका विलोम शब्द है?
(अ) घात का (ब) आघात का✔️
(स) प्रत्याघात का (द) घातक का

53. ’साधारण’ का विलोम है-
(अ) अनोखा (ब) दुर्लभ
(स) विशेष✔️ (द) दुष्प्राय

54. ’सन्न्यासी’ का विलोम शब्द है-
(अ) राजा (ब) भोगी
(स) गृहस्थ✔️ (द) ब्रह्माचर्य

55. ’गौण’ का विलोम है-
(अ) महान् (ब) मुख्य✔️
(स) निष्कृष्ट (द) उत्कृष्ट

56. ’ध्वंस’ शब्द का विलोम बताइये-
(अ) विनाश (ब) निर्माण✔️
(स) विध्वंस (द) उत्कर्ष

57. ’सहयोगी’ का विलोम है-
(अ) वियोगी (ब) विरोधी✔️
(स) प्रतिद्वन्द्वी (द) प्रतियोगी

58. ’अज्ञ’ का विलोम है-
(अ) अल्पज्ञ (ब) बहुज्ञ
(स) सर्वज्ञ (द) भिज्ञ✔️

59. ’योगदान’ का विलोम है-
(अ) बाधा✔️ (ब) असहयोग
(स) निरुपाय (द) विरोध

60. कौन-सा शब्द ’आलोक’ का विलोम शब्द है?
(अ) अमा (ब) श्रेप्ती
(स) ज्योत्स्ना (द) तम✔️

61. ’संयोजित’ का विलोम है-
(अ) विस्थापति (ब) विभाजित✔️
(स) पराजित (द) एकत्रित

62. ’नीरूजता’ का विलोम शब्द है-
(अ) रूग्णता✔️ (ब) आतुरता
(स) स्वस्थता (द) स्वच्छता

63. ’अत्यधिक’ का विलोम है-
(अ) किंचित् (ब) तनिक
(स) न्यून (द) स्वल्प✔️

64. ’अनुज’ का सही विलोम है-
(अ) भ्राता (ब) ज्येष्ठ
(स) कनिष्ठ (द) अग्रज✔️

65. ’शोषक’ का विलोम है-
(अ) शोषित (ब) पोषक✔️
(स) शोषणीय (द) पालक

66. ’संकीर्ण’ का सही विलोम है-
(अ) संकुचित (ब) गहरा
(स) संकुचन (द) विस्तीर्ण✔️

67. ’अधिकार’ का विलोम है-
(अ) अनधिकार✔️ (ब) उद्यम
(स) कर्म (द) प्रयत्न

68. ’वक्र’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) ऋजु✔️ (ब) टेढ़ा
(स) तिरछा (द) क्षुद्र

69. ’आपत्ति’ का विलोम है-
(अ) समृद्धि (ब) सुख
(स) विपत्ति✔️ (द) सम्पत्ति

70. ’उत्तम’ का सही विलोम है-
(अ) अधम✔️ (ब) निकृष्ट
(स) उदार (द) उद्यमी

71. ’ओजस्वी’ का विलोम है-
(अ) यशस्वी (ब) निडर
(स) निरभिमानी (द) निस्तेज✔️

72. ’साकार’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) आकार (ब) विकार
(स) प्रकार (द) निराकार✔️

73. ’हास्य’ का विलोम है-
(अ) विषाद (ब) शोक
(स) परिहास (द) रुदन✔️

74. ’सबल’ का विलोम निम्न में से है-
(अ) बलवान (ब) बलशाली
(स) निर्बल✔️ (द) बल

75. ’दाता’ का विलोम शब्द है-
(अ) उदार (ब) त्राता
(स) प्रज्ञ (द) सूम✔️

76. ’आस्था’ का विलोम शब्द है-
(अ) निराशा (ब) अविश्वास
(स) अनास्था✔️ (द) निरास्था

77. ’अति’ का विलोम शब्द है-
(अ) न्यून (ब) कम
(स) अल्प✔️ (द) नगण्य

78. ’क्षणिक’ का विलोम शब्द है-
(अ) शाश्वत✔️ (ब) स्थिर
(स) स्थावर (द) दीर्घ

79. ’नीरस’ का विलोम शब्द है-
(अ) रसीला (ब) सरस✔️
(स) विरस (द) अरान

80. ’स्थावर’ का विलोम शब्द है-
(अ) सचल (ब) चंचल
(स) चेतन (द) जंगम✔️

81. निम्नलिखित में से किस उपसर्ग के जुङने से ’जय’ शब्द का अर्थ-विपर्यय हो जाता है?
(अ) परा ✔️ (ब) वि
(स) सम् (द) अभि

82. ’सम्मुख’ का विलोम शब्द है-
(अ) उन्मुख (ब) विमुख✔️
(स) प्रमुख (द) अधिमुख

83. ’सरुजता’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) नीरुजता✔️ (ब) रुग्णता
(स) स्वच्छता (द) विमलता

84. ’चिरंतन’ का विलोम शब्द है-
(अ) अलौकिक (ब) लौकिक
(स) नश्वर✔️ (द) नैसर्गिक

85. ’अनुलोम’ शब्द का सही विलोम है-
(अ) लोम (ब) अवलोम
(स) प्रतिलोम✔️ (द) अविलोम

86. ’ऋत’ का विलोम शब्द है-
(अ) अनृत✔️ (ब) ऋण
(स) एक (द) उष्ण

87. ’ईप्सित’ शब्द का विलोम क्या होगा?
(अ) कुत्सित (ब) अभीप्सित
(स) अधीप्सित (द) अनीप्सित✔️

88. ’तीक्ष्ण’ का विलोम शब्द है-
(अ) तीव्र (ब) तृष्णा
(स) त्यागी (द) कुंठित✔️

89. ’सत्कार’ का विलोम शब्द है-
(अ) अपमान (ब) तिरस्कार✔️
(स) निरादर (द) अनादर

90. ’मूक’ का विलोम शब्द है-
(अ) सबल (ब) गंभीर
(स) निर्बल (द) वाचाल✔️

91. इनमें से कौनसा विलोम-युग्म सही नहीं है-
(अ) सम्पत्ति-विपत्ति (ब) इष्ट-अनिष्ट
(स) उर्वर-ऊसर (द) अचल-अविचल✔️

92. ’कुटिल’ का विलोम शब्द है-
(अ) गरल (ब) सरल✔️
(स) विरल (द) विमल

93. इनमें से कौनसा विलोम युग्म सही है-
(अ) आशा-हताशा (ब) जय-अजय ✔️
(स) अंतरंग-बहिरंग (द) अज्ञ-अल्पज्ञ

94. ’वैमनस्य’ का विलोम शब्द है-
(अ) मनस्विता (ब) दौर्मनस्य
(स) सहृदयता (द) सौमनस्य ✔️

95. ’सदाचारी’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) दुराचारी✔️ (ब) पाखंडी
(स) दुष्ट (द) भ्रष्टाचारी

96. ’जागरण’ का विलोम शब्द है-
(अ) भ्रांति (ब) विश्रांति
(स) विलुप्ति (द) सुषुप्ति✔️

97. ’गणतंत्र’ का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) लोकतंत्र (ब) स्वतंत्र
(स) निजतंत्र (द) राजतंत्र✔️

98. ’उपकार’ का विलोम शब्द है-
(अ) विकार (ब) प्रकार
(स) अपकार✔️ (द) तिरस्कार

100. ’मूच्र्छा’ का विलोम शब्द है-
(अ) जङता (ब) चेतना✔️
(स) अवचेतना (द) अचेतना

101. ’विज्ञ’ का विलोम शब्द है-
(अ) अक्ष (ब) अग
(स) प्राज्ञ (द) अज्ञ✔️

102. ’स्तुति’ का विलोम शब्द है-
(अ) संस्तुति (ब) बुराई
(स) निन्दा✔️ (द) आलोचना

103. वह परीक्षा में पूर्ण सक्रिय रहता है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निष्क्रिय✔️ (ब) शांत
(स) स्थिर (द) जङ

104. यह आपकी समस्या है मुझे इससे क्या लेना देना? वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) निदान (ब) उत्तर
(स) हल (द) समाधान✔️

105. वर्तमान में समष्टि की भावना से ही प्रगति संभव है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) व्यष्टि✔️ (ब) श्रेष्ठी
(स) सृष्टि (द) श्रेष्ठ

106. विवेक और सुमित अंतरंग मित्र है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) द्विरंग (ब) बहिरंग✔️
(स) अतिरंग (द) विरंग

107. अहंकार के कारण लोग अपनी गरिमा भूल जाते हैं। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) घृणा (ब) नीचता
(स) लघिमा✔️ (द) इज्जत

108. ’प्रवृति’ शब्द का विलोम है। वाक्य में रेखांकित शब्द का विलोम शब्द बताइये-
(अ) प्रवृत (ब) आवृति
(स) निवृति✔️ (द) विवृति

109. निम्न में से’पाश्चात्य’का सही विलोम कौनसा है?
(अ) उदीच्य (ब) पौर्वात्य ✔️
(स) उतरायण (द) पौर्वायण

110. किस युग्म में विलोम शब्द सही नहीं है-
(अ) शयन-जागरण (ब) विख्यात-कुख्यात
(स) लोभी-निर्लोभ (द) परवर्ती-अग्रवर्ती✔️

111. किस क्रम में विलोम उचित नहीं है?
(अ) दुर्लभ-अलभ✔️ (ब) आवास-प्रवास
(स) अनुरक्त-विरक्त (द) अल्पप्राण-महाप्राण

112. निम्न में असंगत विलोम शब्द के युग्म का चयन कीजिए-
(अ) नख-शिख (ब) ज्योति-प्रकाश✔️
(स) दुर्लभ-सुलभ (द) तुच्छ-महान्

युग्म-शब्द

हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे ‘युग्म शब्द’ कहते हैं।

दूसरे शब्दों में-हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग

गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें ‘युग्म शब्द’ या ‘समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द’ कहते हैं।

हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।

अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।

इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
‘पार्वती’ शिव का ही दूसरा नाम है।

इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि ‘श्वजन’ का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में ‘श्वजन’ के स्थान पर ‘स्वजन’ होना चाहिए।

हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

यहाँ ऐसे युग्म शब्दों की सूची उनके अर्थो के साथ दी जा रही है-

( अ, अं, अँ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
अंसकंधाअंशहिस्सा
अँगनाघर का आँगनअंगनास्त्री
अन्नअनाजअन्यदूसरा
अनिलहवाअनलआग
अम्बुजलअम्बमाता, आम
अथकबिना थके हुएअकथजो कहा न जाय
अध्ययनपढ़नाअध्यापनपढ़ाना
अधमनीचअधर्मपाप
अलीसखीअलिभौंरा
अन्तसमाप्तिअन्त्यनीच, अन्तिम
अम्बुजकमलअम्बुधिसागर
असनभोजनआसनबैठने की वस्तु
अणुकणअनुएक उपसर्ग, पीछे
अभिरामसुन्दरअविरामलगातार, निरन्तर
अपेक्षाइच्छा, आवश्यकता, तुलना मेंउपेक्षानिरादर
अवलम्बसहाराअविलम्बशीघ्र
अतुलजिसकी तुलना न हो सकेअतलतलहीन
अचरन चलनेवालाअनुचरदास, नौकर
अशक्तअसमर्थ, शक्तिहीनअसक्तविरक्त
अगमदुर्लभ, अगम्यआगमप्राप्ति, शास्त्र
अभयनिर्भयउभयदोनों
अब्जकमलअब्दबादल, वर्ष
अरिशत्रुअरीसम्बोधन (स्त्री के लिए)
अभिज्ञजाननेवालाअनभिज्ञअनजान
अक्षधुरीयक्षएक देवयोनि
अवधिकाल, समयअवधीअवध देश की भाषा
अभिहितकहा हुआअविहितअनुचित
अयशअपकीर्त्तिअयसलोहा
असितकालाअशितभोथा
आकरखानआकाररूप
आस्तिकईश्वरवादीआस्तीकएक मुनि
आर्तिदुःखआर्त्तचीख
अन्यान्यदूसरा-दूसराअन्योन्यपरस्पर
अभ्याशपासअभ्यासरियाज/आदत

(आ)

शब्दअर्थशब्दअर्थ
आवासरहने का स्थानआभासझलक, संकेत
आकरखानआकाररूप, सूरत
आदिआरम्भ, इत्यादिआदीअभ्यस्त, अदरक
आरतिविरक्ति, दुःखआरतीधूप-दीप दिखाना
आभरणगहनाआमरणमरण तक
आयतसमकोण चतुर्भुजआयातबाहर से आना
आर्तदुःखीआर्द्रगीला

( इ, ई, उ, ऋ, ए )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
इत्रसुगंधइतरदूसरा
इतिसमाप्तिईतिफसल की बाधा
इन्दुचन्द्रमाइन्दुरचूहा
इड़ापृथ्वी/नाड़ीईड़ास्तुति
उपकारभलाईअपकारबुराई
उद्धतउद्दण्डउद्दततैयार
उपरक्तभोग विलास में लीनउपरतविरक्त
उपाधिपद/ख़िताबउपाधीउपद्रव
उपयुक्तठीकउपर्युक्तऊपर कहा हुआ
ऋतसत्यऋतुमौसम
एतवाररविवारऐतवारविश्वास

( क )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
कुलवंश, सबकूलकिनारा
कंगालभिखारीकंकालठठरी
कर्मकामक्रमसिलसिला
कृपणकंजूसकृपाणकटार
करहाथकाराजेल
कपिबंदरकपीघिरनी
किलागढ़कीलाखूँटा, गड़ा हुआ
कृतिरचनाकृतीनिपुण, पुण्यात्मा
कृत्तिमृगचर्मकीर्तियश
कृतकिया हुआक्रीतखरीदा हुआ
क्रान्तिउलटफेरक्लान्तिथकावट
कान्तिचमक, चाँदनी
कलीअधखिला फूलकलिकलियुग
करणएक कारक, इन्द्रियाँकर्णकान, एक नाम
कुण्डलकान का एक आभूषणकुन्तलसिर के बाल
कपीशहनुमान, सुग्रीवकपिशमटमैला
कूटपहाड़ की चोटी, दफ्तीकुटकिला, घर
करकटकूड़ाकर्कटकेंकड़ा
कटिबद्धतैयार, कमर बाँधेकटिबन्धकमरबन्द, करधनी
कृशानुआगकृषाणकिसान
कटीलीतीक्ष्ण, धारदारकँटीलीकाँटेदार
कोषखजानाकोशशब्द-संग्रह (डिक्शनरी)
कदनहिंसाकदन्नखराब अन्न
कुचस्तनकूचप्रस्थान
काशशायद/एक घासकासखाँसी
कलिलमिश्रितक़लीलथोड़ा
कीशबन्दरकीसगर्भ का थैला
कुटीझोपड़ीकूटीदुती, जालसाज
कोरकिनाराकौरग्रास
खड़ाबैठा का विलोमखराशुद्ध
खादिखाद्य, कवचखादीख़द्दर, कटीला
कांतपति/चन्द्रमाकांतिचमक
करीशगजराजकरीषसूखा गोबर
कृत्तिकाएक नक्षत्रकृत्यकाभयंकर कार्य करनेवाली देवी
कुजनबुरा आदमीकूजनकलरव
कुनबापरिवारकुनवाखरीदनेवाला
कोड़ाचाबुककोरानया
केशरकुंकुमकेसरसिंह की गर्दन के बाल

( ख, ग )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
खोआदूध का बना ठोस पदार्थखोयाभूल गया, खो गया
खलदुष्टखलुही तो, निश्चय ही
गणसमूहगण्यगिनने योग्य
गुड़शक्करगुड़गम्भीर
ग्रहसूर्य, चन्द्र आदिगृहघर
गिरीगिरनागिरिपर्वत
गजहाथीगजमापक
गिरीशहिमालयगिरिशशिव
ग्रंथपुस्तकग्रंथिगाँठ

( च, छ, ज, झ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
चिरपुरानाचीरकपड़ा
चितालाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेरचीताबाघ की एक जाति
चूरकण, चूर्णचूड़चोटी, सिर
चतुष्पदचौपाया, जानवरचतुष्पथचौराहा
चारचार संख्या, जासूसचारुसुन्दर
चरनौकर, दूत, जासूस
चूतआम का पेड़च्युतगिरा हुआ, पतित
चक्रवातबवण्डरचक्रवाकचकवा पक्षी
चाषनीलकंठचासखेत की जुताई
चरिपशुचरीचरागाह
चसकचस्का/लतचषकप्याला
चुकनासमाप्त होनाचूकनासमय पर न करना
जिलामंडलजीलाचमक
जवानयुवाजववेग/जौ
छत्रछाताक्षत्रक्षत्रिय
छात्रविद्यार्थीक्षात्रक्षत्रिय-संबंधी
छिपनाअप्रकट होनाछीपनामछली फँसाकर निकालना
जलजकमलजलदबादल
जघन्यगर्हित, शूद्रजघननितम्ब
जगतकुएँ का चौतराजगत्संसार
जानुघुटनाजानूजाँघ
जूतिवेगजूतीछोटा जूता
जायाव्यर्थजायापत्नी
जोशआवेशजोषआराम
झलजलन/आँचझल्लसनक

( ट, ड, ढ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
टुकथोड़ाटूकटुकड़ा
टोटाघाटाटोंटाबन्दूक का कारतूस
डीठदृष्टिढीठनिडर
डोरसूतढोरमवेशी

( त )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
तड़ाकजल्दीतड़ागतालाब
तरणिसूर्यतरणीनाव
तरुणीयुवती
तक्रमटठातर्कबहस
तरीगीलापनतरिनाव
तरंगलहरतुरंगघोड़ा
तनीथोड़ातनिबंधन
तबउसके बादतवतुम्हारा
तुलातराजूतूलाकपास
तप्तगर्मतृप्तसंतुष्ट
तारधातु तंतु/टेलिग्रामताड़एक पेड़
तोशहिंसातोषसंतोष

( द, ध )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
दूतसन्देशवाहकद्यूतजुआ
दारुलकड़ीदारूशराब
द्विपहाथीद्वीपटापू
दमनदबानादामनआँचल, छोर
दाँतदशनदातदान, दाता
दशनदाँतदंशनदाँत से काटना
दिवादिनदीवादीया, दीपक
दंशडंक, काटदशदश अंक
दारपत्नी, भार्याद्वारदरवाजा
दिनदिवसदीनगरीब
दायीदेनेवाला, जबाबदेहदाईनौकरानी
देवदेवतादैवभाग्य
द्रवरस, पिघला हुआद्रव्यपदार्थ
दरद्पर्वत/किनारादरदपीड़ा/दर्द
दीवादीपकदिवादिन
दौरचक्करदौड़दौड़ना
दाईधात्री/दासीदायीदेनेवाला
दहकुंड/तालाबदाहशोक/ज्वाला
धराधरशेषनागधड़ाधड़जल्दी से
धारिझुण्डधारीधारण करनेवाला
धूराधूलधुराअक्ष
धतलतधत्दुत्कारना

( न )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
निहतमरा हुआनिहितछिपा हुआ, संलग्न
नियतनिश्र्चितनीयतमंशा, इरादा
निश्छलछलरहितनिश्र्चलअटल
नान्दीमंगलाचरण (नाटक का)नंदीशिव का बैल
निमित्तहेतुनमितझुका हुआ
नीरजकमलनीरदबादल
निर्झरझरनानिर्जरदेवता
निशाकरचन्द्रमानिशाचरराक्षस
नाईतरह, समाननाईहजाम
नीड़घोंसला, खोंतानीरपानी
नगरशहरनागरचतुर व्यक्ति, शहरी
नशाबेहोशी, मदनिशारात
नाहरसिंहनहरसिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी
नारीस्त्रीनाड़ीनब्ज
निसानझंडानिशानचिह्न
निवृत्तिलौटनानिवृतिमुक्ति/शांति
नितप्रतिदिननीतलाया हुआ
नियुतलाख दस लाखनियुक्तबहाल किया गया
निहारदेखकरनीहारओस-कण
नन्दीशिव का बैलनान्दीमंगलाचरण
निर्विवादविवाद-रहितनिर्वादनिन्दा
निष्कृष्टसारांशनिकृष्टनिम्न स्तरीय
नीवारजंगली धाननिवाररोकना
नेतीमथानी की रस्सीनेतिअनन्त
नमितझुका हुआनिमित्तहेतु

( प )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
परुषकठोरपुरुषमर्द, नर
प्रदीपदीपकप्रतीपउलटा, विशेष, काव्यालंकार
प्रसादकृपा, भोगप्रासादमहल
प्रणयप्रेमपरिणयविवाह
प्रबलशक्तिशालीप्रवरश्रेष्ठ, गोत्र
परिणामनतीजा, फलपरिमाणमात्रा
पासनजदीकपाशबन्धन
पीकपान आदि का थूकपिककोयल
प्राकारघेरा, चहारदीवारीप्रकारकिस्म, तरह
परितापदुःख, सन्तापप्रतापऐश्र्वर्य, पराक्रम
पतिस्वामीपतसम्मान, सतीत्व
पांशुधूलि, बालपशुजानवर
परीक्षाइम्तहानपरिक्षाकीचड़
प्रतिषेधनिषेध, मनाहीप्रतिशोधबदला
पूरबाढ़, आधिक्यपुरनगर
पार्श्र्वबगलपाशबन्धन
प्रहरपहर (समय)प्रहारचोट, आघात
परवाहचिन्ताप्रवाहबहाव (नदी का)
पट्टतख्ता, उल्टापटकपड़ा
पानीजलपाणिहाथ
प्रणामनमस्कारप्रमाणसबूत, नाप
पवनहवापावनपवित्र
पथरास्तापथ्यआहार (रोगी के लिए)
पौत्रपोतापोतजहाज
प्रणप्रतिज्ञाप्राणजान
पनसंकल्पपन्नपड़ा हुआ
पर्यन्ततकपर्यंकपलंग
परागपुष्पराजपारगपूरा जानकार
प्रकोटपरकोंटाप्रकोष्ठकोठरी
परभृत्कौआपरभृतकोयल
परिषद्सभापार्षदपरिषद् के सदस्य
प्रदेशप्रान्तप्रद्वेषशत्रुता
प्रस्तरपत्थरप्रस्तारफैलाव
प्रवृद्धपरा बढ़ा हुआप्रबुद्धसचेत/बुद्धिमान्
पत्तिपैदल सिपाहीपत्तीपत्ता
परमितचरमसीमापरिमितमान/मर्यादा/तौल
प्रकृतयथार्थप्राकृतस्वाभाविक एक भाषा
प्रवालमूँगाप्रवारवस्त्र

( फ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
फुटअकेला, इकहराफूटखरबूजा-जाति का फल
फणसाँप का फणफनकला, कारीगर

( ब )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
बलिबलिदानबलीवीर
बासमहक, गन्धवासनिवास
बहनबहिनवहनढोना
बलताकतवलमेघ
बन्दीकैदीवन्दीभाट, चारण
बातवचनवातहवा
बुराखराबबूराशक्कर
बनबनना, मजदूरीवनजंगल
बहुबहुतबहूपुत्रवधू, ब्याही स्त्री
बारदफावारचोट, दिन
बानआदत, चमकबाणतीर
व्रणघाववर्णरंग, अक्षर
ब्राह्यबाहरीवाहृयवहन के योग्य
बगुलाएक पक्षीबगूलाबवंडर
बाटरास्ता/बटखरावाटहिस्सा
बाजुबिनाबाजूबाँह
बिनाअभावबीनाएक बाजा
बसनकपड़ाव्यसनलत/बुरी आदत
बाईवेश्याबायींबायाँ का स्त्री रूप
बालालड़कीवालाएक प्रत्यय
बदनशरीरवदनमुख/चेहरा

( भ )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
भंगिलहर, टेढ़ापनभंगीमेहतर, भंग करनेवाला
भिड़बरेंभीड़जनसमूह
भित्तिदीवार, आधारभीतडरा हुआ
भवनमहलभुवनसंसार
भारतीयभारत काभारतीसरस्वती
भोरसबेराविभोरमग्न

( म )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
मनुजमनुष्यमनोजकामदेव
मलगन्दगीमल्लपहलवान, योद्धा
मेघबादलमेधयज्ञ
मांसगोश्तमासमहीना
मूलजड़मूल्यकीमत
मदआनंदमद्यशराब
मणिएक रत्नमणीसाँप
मरीचिकिरणमरीचीसूर्य, चन्द्र
मनुजातमानव-उत्पन्नमनुजादमानव-भक्षी
मौलिचोटी/मस्तकमौलीजिसके सिर पर मुकुट हो
मतनहींमत्तमस्त/धुत्त

( र, ल )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
रंकगरीबरंगवर्ण
रगनसरागलय
रतलीनरतिकामदेव की पत्नी, प्रेम
रोचकरुचनेवालारेचकदस्तावर
रददाँतरद्दखराब
राजराजा/प्रान्तराजरहस्य
रारझगड़ाराँड़विधवा
राइसरदारराईएक तिलहन
रोशनप्रकट/प्रदीप्तरोषणकसौटी/पारा
लवणनमकलवनखेती की कटाई
लुटनालूटा जाना, बरबाद होनालूटनालूट लेना
लक्ष्यउद्देश्यलक्षलाख
लाशशवलास्यप्रेमभाव सूचक

( व )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
वित्तधनवृत्तगोलाकार, छन्द
वादतर्क, विचारवाद्यबाजा
वस्तुचीजवास्तुमकान, इमारत
व्यंगविकलांगव्यंग्यताना, उपालम्भ
वसनकपड़ाव्यसनबुरी आदत
वासनाकामनाबासनासुगंधित करना
व्यंगविकलांगव्यंग्यकटाक्ष/ताना
वरदवर देनेवालाविरदयश
विधायकरचनेवालाविधेयकविधान/कानून
विभातप्रभातविभातिशोभा/सुन्दरता
विराट्बहुत बड़ाविराटमत्स्य जनपद/एक छंद
विस्मृतभूला हुआविस्मितआश्चर्य में पड़ा
बिपिनजंगलविपन्नविपत्तिग्रस्त
विभीतडरा हुआविभीतिडर
विस्तरविस्तृतबिस्तरबिछावन
वरणचुननावरन्बल्कि

( श )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
शुल्कफीस, टैक्सशुक्लउजला
शूरवीरसुरदेवता, लय
शमसंयम, इन्द्रियनिग्रहसमसमान
शर्वशिवसर्वसब
शप्तशाप पाया हुआसप्तसात
शहरनगरसहरसबेरा
शालाघर, मकानसालापति का भाई
शीशाकाँचसीसाएक धातु
श्यामश्रीकृष्ण, कालास्यामएशिया का एक देश
शतीसैकड़ासतीपतिव्रता स्त्री
शय्याबिछावनसज्जासजावट
शानइज्जत, तड़क-भड़कशाणधार तेज करने का पत्थर
शरावमिट्टी का प्यालाशराबमदिरा
शबरातशवलाश
शूकजौशुकसुग्गा
शिखरचोटीशेखरसिर
शास्त्रसैद्धान्तिक विषयशस्त्रहथियार
शरबाणसरतालाब/महाशय
शकलटुकड़ाशक्लचेहरा
शकृतमलसकृतएकबार
शर्मलाजश्रममेहनत
शान्तशन्तियुक्तसान्तअन्तवाला
शप्तिशापसप्तिघोड़ा
श्वकुत्तास्वअपना
शासअनुशासन/स्तुतिसासपति/पत्नी की माँ
शंकरशिवसंकरदोगला/मिश्रित
शारदासरस्वतीसारदासार देनेवाली
शवलचितकबरासबलबलवान्
श्वजनकुत्तास्वजनअपने लोग
शशधरचाँदशशिधरशिव
शिवापार्वती/गीदड़ीसिबाअलावा
शकटबैलगाड़ीशकठमचान
श्वपचचाण्डालस्वपचस्वयं भोजन बनानेवाला
शालीएक प्रकार का धानसालीपत्नी की बहन
शिततेज किया गयाशीतठंडा
शुक्तिसीपसूक्तिअच्छी उक्ति
शूकरसूअरसुकरसहज

( स )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
सरतालाबशरतीर
सूरअंधा, सूर्यशूरवीर
सूतधागासुतबेटा
सन्सालसनपटुआ
समानतरह, बराबरसामानसामग्री
स्वरआवाजस्वर्णसोना
संकरमिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकारशंकरमहादेव
सूचिशूचीसूचीविषयक्रम
सुमनफूलसुअनपुत्र
स्वर्गतीसरा लोकसर्गअध्याय
सुखीआनन्दितसखीसहेली
सागरशराब का प्यालासागरसमुद्र
सुधीविद्वान, बुद्धिमानसुधिस्मरण
सिताचीनीसीताजानकी
सापशाप का अपभ्रंशसाँपएक विषैला जन्तु
सासपति या पत्नी की माँसाँसनाक या मुँह से हवा लेना
श्र्वेतउजलास्वेदपसीना
संगसाथसंघसमिति
सन्देहशकसदेहदेह के साथ
स्वक्षसुन्दर आँखस्वच्छसाफ
श्र्वजनकुत्तेस्वजनअपना आदमी
शूकरसूअरसुकरसहज
सखीसहेलीसाखीसाक्षी
सत्रवर्षशत्रुदुश्मन
स्यामएक देशश्यामकृष्ण/काला
सीकरजलकणसीकड़जंजीर
सँवारसजानासंवारआच्छादन
सपत्नीसौतसपत्नीकपत्नी सहित
सवाचौथाईसबासुबह की हवा
सास्त्रअस्त्र के साथसास्रआँसू के साथ
समवेदनासाथ-साथ दुखी होनासंवेदनाअनुभूति
समबलतुल्य बलवालासम्बलपाथेय
सिरमस्तकसीरहल
स्वेदपसीनाश्वेतउजला
सेवबेसन का पकवानसेबएक फल
संततिसंतानसततसदा
स्रवणटपकनाश्रवणसुनना/कान
सुकृतिपुण्यसुकृतिपुण्यवान
संभावनासंदेह/आशासमभावनातुल्यता की भावना
सन्मतिअच्छी बुद्धिसंमतिपरामर्श

( ह )

शब्दअर्थशब्दअर्थ
हुंकारललकार, गर्जनहुंकारपुकार
हल्शुद्ध व्यंजनहलखेत जोतने का औजार
हरिविष्णुहरीहरे रंग की
हँसीहँसनाहंसीहंसनी
हुतिहवनहूतिबुलावा
हूणएक मंगल जातिहुनमोहर
हुकपीठ का दर्दहूकह्रदय की पीड़ा
हूठाअँगूठाहूँठासाढ़े तीन का पहाड़ा
हाड़हड्डीहारपराजय

वाक्यांश के लिए एक शब्द

वाक्यांश के लिए एक शब्दसे सम्बंधित सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसीलिए, आज के इस लेख में हम आपको वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में बता रहे हैं। यहाँ इस लेख में हम400से भी अधिक वाक्यांश के लिए एक शब्दों के बारे में बता रहे हैं।

वाक्यांश के लिए एक शब्द, मुहावरे तथा लोकोक्तियां किसी भी भाषा को समृद्ध और प्रभावशाली बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। संस्कृत भाषा इस दृष्टि से बहुत समृद्ध है। हिंदी के अधिकांश वाक्यांश के लिए एक शब्द संस्कृत भाषा से ही आए हैं लेकिन समय के साथ बहुत से वाक्यांश के लिए एक शब्द हिंदी भाषा ने स्वयं भी विकसित किए हैं। इससे पहले की आप वाक्यांश के लिए एक शब्द के बारे में जाने, हम आपको वाक्यांश के बारे में बता रहे हैं.

वाक्यांश की परिभाषा | Vakyansh

वाक्यांश की परिभाषा– शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसेवाक्यांशकहते हैं। वाक्यांश का अर्थ वाक्य का अंश होता है.

वाक्यांश के उदाहरण

  • घर का घर
  • सच बोलना
  • दूर से आया हुआ
  • काम करना
  • सवेरे जल्दी उठना
  • नदी के किनारे

वाक्य और वाक्यांश में अंतर?

वाक्यऔर वाक्यांश में अर्थ के आधार पर तथा रूप के आधार पर बहुत अंतर होता है। यहाँ हम वाक्य और वाक्यांश में अंतर बता रहे हैं।

वाक्यवाक्यांश
शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्य कहते हैं।शब्द समूह का वह सार्थक रूप जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्यांश कहते हैं।
वाक्य शब्दों का सार्थक समूह होता है।वाक्यांश शब्दों का समूह होता है।
वाक्य एक पूर्ण विचार को व्यक्त करता है।वाक्यांश एक या एक से अधिक भावनाओं को व्यक्त करता है।
वाक्य मेंक्रियाहोती है।वाक्यांश में क्रिया नहीं होती बल्कि ज़्यादातर वाक्यांश कृदन्त यासम्बन्धबोधक अव्ययहोते हैं।
वाक्य और वाक्यांश में अंतर?

वाक्यांश के लिए एक शब्द किसे कहते हैं? | Vakyansh ke liye ek shabd Kise Kahate Hain

जब किसी वाक्य में प्रयुक्त या स्वतन्त्र किसी वाक्यांश के लिए किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो उस वाक्यांश के अर्थ को पूरी तरह सिद्ध करता हो तो उसे वाक्यांश के लिए एक शब्द (Vakyansh ke liye ek shabd)कहते हैं, अर्थात अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है.

Vakyansh ke liye ek shabd के उदाहरण

  1. विधायिका द्वारा स्वीकृत नियम – अधिनियम
  2. सर्वाधिक अधिकार प्राप्त शासक – अधिनायक
  3. वह स्त्री जिसके पति ने दूसरा विवाह कर लिया हो – अध्यूढ़ा
  4. पहाड़ के ऊपर की सपाट जमीन – अधित्यका
  5. जिसे अधिकार में ले लिया गया हो – अधिकृत
  6. वास्तविक मूल्य से अधिक लिया जाने वाला मूल्य – अधिशुल्क
  7. धर्म के विरुद्ध कार्य – अधर्म
  8. जिसका कोई आरंभ ना हो – अनादि
  9. एक भाषा के विचारों को दूसरी भाषा में व्यक्त करना – अनुवाद
  10. किसी संप्रदाय या सिद्धांत का समर्थन करने वाला – अनुयायी
  11. किसी प्रस्ताव का समर्थन करने की क्रिया – अनुमोदन
  12. जिसका अनुभव किया गया हो – अनुभूत
  13. जो परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुआ हो – अनुत्तीर्ण
  14. किसी एक में ही आस्था रखने वाला – अनन्य
  15. जिसका कोई घर नहीं हो – अनिकेत
  16. जिसके माता-पिता नहीं हो – अनाथ
  17. जिस भाई ने बाद में जन्म लिया हो – अनुज
  18. जिसकी उपमा नहीं दी जा सके – अनुपम
  19. जिसका जन्म निम्न वर्ण में हुआ हो – अन्त्यज
  20. वह विद्यार्थी जो आचार्य के पास ही निवास करता हो – अंतेवासी
  21. मूल कथा में आने वाला प्रसंग – अन्तर्कथा
  22. जिसका निवारण नहीं किया जा सके – अनिवार्य
  23. परंपरा से चली आ रही कथा – अनुश्रुति
  24. जिसका कोई दूसरा उपाय नहीं हो – अनन्योपाय
  25. जिसका भाषा द्वारा वर्णन नहीं किया जा सके – अवर्णनीय
  1. जो नियम के अनुसार नहीं हो – अनियमित
  2. जिसका विरोध नहीं हुआ हो – अनिरुद्ध
  3. जिसके विषय में कोई ज्ञान नहीं हो – अज्ञात
  4. वह भाई जो अन्य माता से उत्पन्न हुआ हो – अन्योदर
  5. जो नियंत्रण में नहीं हो – अनियंत्रित
  6. पलक को झपकाए बिना – अनिमेष
  7. जो दोहराया गया नहीं हो – अनावृत्त
  8. जिसका किसी में लगाओ या प्रेम हो – अनुरक्त
  9. जो बात पहले सुनी ही नहीं गई हो – अनसुनी
  10. जिस महिला का विवाह नहीं हुआ हो – अनूढ़ा
  11. जो अनुग्रह से युक्त हो – अनुगृहीत
  12. जिस पर आक्रमण नहीं किया गया हो – अनाक्रान्त
  13. जिसका उत्तर नहीं दिया गया हो – अनुत्तरित
  14. पहले लिखे गए पत्र का स्मरण करते हुए लिखा गया पत्र – अनुस्मारक
  15. पीछे-पीछे चलने वाला – अनुगामी
  16. अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  17. अनुसरण करने योग्य – अनुसरणीय
  18. वह सिद्धांत जो हर वस्तु को नश्वर मानता हो – अनित्यवादी
  19. जो कभी नहीं आया हो – अनागत
  20. जो श्रेष्ठ गुणों से युक्त नहीं हो – अनार्य
  21. जो सबके मन की बात जानता हो – अन्तर्यामी
  22. जिसे किसी बात का पता नहीं हो – अनभिज्ञ
  23. जो बिना सोचे समझे विश्वास करें – अन्धविश्वासी
  24. जो बिना सोचे समझे अनुगमन करें – अन्धानुगामी
  25. जिसकी अपेक्षा नहीं हो – अपेक्षित

  1. जिसकी आवश्यकता नहीं हो – अनावश्यक
  2. जिस का आदर नहीं किया गया हो – अनादृत
  3. जो पूर्ण नहीं हो – अपूर्ण
  4. जो मापा नहीं जा सके – अपरिमेय
  5. जो पहले पढ़ा नहीं गया हो – अपठित
  6. नीचे की ओर लाना या खींचना – अपकर्ष
  7. जो धन को व्यर्थ ही खर्च करता हो – अपव्ययी
  8. जो सामने नहीं हो – परोक्ष
  9. जो पहले कभी नहीं हुआ हो – अपूर्व
  10. जिसका विवाह नहीं हुआ हो – अविवाहित
  11. जो पीने योग्य नहीं हो – अपेय
  12. जिसका कोई पार नहीं हो – अपार
  13. जिसका त्याग नहीं हो सके – अत्याज्य
  14. जिसके आर पार नहीं देखा जा सके – अपारदर्शी
  15. वह समय जो दोपहर के बाद आता है – अपराहन
  16. जिस वस्तु को पहना नहीं गया हो – अप्रहत
  17. जिस खेत को जोता नहीं गया हो – अप्रहत
  18. जिसकी आशा नहीं की गई हो – अप्रत्याशित
  19. किसी काम को बाहर बाहर करने का अनुभव रखने वाला – अभ्यस्त
  20. किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा – अभीप्सा
  21. जिस पर अभियोग लगाया गया हो – अभियुक्त
  22. जिसको पैदा नहीं जा सके – अभेद्य
  23. जो पहले नहीं हुआ हो – अभूतपूर्व
  24. जिसकी मृत्यु नहीं होती हो – अमर
  25. जिस वस्तु का मूल्य नहीं आंका जा सके – अमूल्य
  1. जो बिना मांगे मिल जाए – अयाचित
  2. जिसकी कोई रक्षा नहीं कर रहा हो – अरक्षित
  3. जो साहित्य कला आदि में रस नहीं लेता हो – अरसिक
  4. जिसको प्राप्त नहीं किया जा सके – अलभ्य
  5. जिसको देखा नहीं जा सके – अलक्ष्य
  6. जिसको लाँघा नहीं जा सके – अलघ्य
  7. जो कम जानता हो – अल्पज्ञ
  8. जो कम बोलता हो – अल्पभाषी
  9. जो इस लोक का नहीं हो – अलौकिक
  10. जो वध करने योग्य नहीं हो – अवध्य
  11. आदेश की अवहेलना – अवज्ञा
  12. जो भला बुरा नहीं समझता हो – अविवेकी
  13. जिसका विभाजन नहीं किया जा सके – अविभाज्य
  14. जिसका विभाजन नहीं किया गया हो – अविभक्त
  15. जिस पर विचार नहीं किया गया हो – अविचारित
  16. जो बिना वेतन के काम करता हो – अवैतनिक
  17. जो कार्य अवश्य होने वाला हो – अवश्यम्भावी
  18. जिसको व्यवहार में नहीं लाया गया हो – अव्यवहृत
  19. जिसका विश्वास नहीं किया जा सके – अविश्वसनीय
  20. जो विधान के अनुसार नहीं हो – अवैधानिक
  21. नहीं हो सकने वाला – अशक्य
  22. जो शोक करने योग्य नहीं हो – अशोक्य
  23. जो कहने सुनने देखने में घिनौना हो – अश्लील
  24. फेंककर चलाया जाने वाला हथियार – अस्त्र
  25. जिसको सहन नहीं किया जा सके – असह्य

  1. जो सहनशील नहीं हो – असहिष्णु
  2. जो सामान नहीं हो – असमान
  3. जो साधा नहीं जा सके – असाध्य
  4. जिस रोग का इलाज नहीं किया जा सके – लाइलाज
  5. किसी बात पर बार-बार जोर देना – आग्रह
  6. वह स्त्री जिसका पति प्रदेश से लौटा हो – आगतपतिका
  7. जो जन्म लेते ही गिर या मर गया हो – आजन्मपात
  8. मृत्यु पर्यंत – आमरण
  9. जो गुण दोष का विवेचन करता हो – आलोचक
  10. जो ईश्वर में विश्वास रखता हो – आस्तिक
  11. वह कवि जो तत्काल कविता कर सके – आशुकवि
  12. जिसे आश्वासन पर विश्वास हो – आश्वस्त
  13. विदेश से देश में सामान मंगवाना – आयात
  14. सिर से पांव तक – आपादमस्तक
  15. प्रारंभ से लेकर अंत तक – आधोपान्त
  16. अपने आप को खुद ही समाप्त कर लेने वाला – आत्मघाती
  17. पवित्र आचरण करने वाला – आचारपूत
  18. दूसरे के हित में अपना जीवन त्याग कर देना – आत्मोत्सर्ग
  19. जो बहुत क्रूर व्यवहार करता हो – आततायी
  20. जिसका संबंध आत्मा से हो – आध्यात्मिक
  21. जिस पर हमला किया गया हो – आक्रान्त
  22. जिस ने हमला किया हो – आक्रान्ता
  23. जिसे सूँघा जा सके – आघ्रेय
  24. किसी स्थान के सर्वाधिक पुराने निवासी – आदिवासी
  25. वह चीज जिसकी चाहत हो – इच्छित
इस लोक से संबंधित – इहलौकिक
  1. जो इंद्र पर विजय प्राप्त कर चुका हो – इन्द्रजीत
  2. जो इन्द्रियों से परे हो – इन्द्रियातीत
  3. उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा – ईशान
  4. जो दूसरे की उन्नति देखकर जलता हो – ईर्ष्यालु
  5. वह पर्वत जहां से सूर्य और चंद्रमा उदित होते माने जाते हैं – उदयाचल
  6. पर्वत के नीचे तलहटी की भूमि – उपत्यका
  7. किसी के संबंध में कुछ लिखने योग्य – उल्लेखनीय
  8. जिसके ऊपर किसी का उपकार हो – उपकृत
  9. ऐसी जमीन जो अच्छी उत्पादक हो – उर्वरा
  10. जो छाती के बल चलता हो – उरग
  11. जिसने अपना ऋण पूरा चुका दिया हो – उऋण
  12. जिसका ऊपर कथन किया गया हो – उपर्युक्त
  13. जिसका मन जगत से उचट गया हो – उदासीन
  14. भोजन करने के बाद बचा हुआ अन्न – उच्छिष्ट
  15. जिस भूमि में कुछ भी पैदा नहीं होता हो – ऊसर
  16. विचारों का ऐसा प्रवाह जिससे कोई निष्कर्ष नहीं निकले – ऊहापोह
  17. जो केवल एक आंख वाला हो – एकाक्ष
  18. जो इन्द्रियों से संबंधित हो – ऐन्द्रिय
  19. सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा – एषणा
  20. जिस पर किसी एक का ही अधिकार हो – एकाधिकार
  21. वह स्थिति जो अंतिम निर्णायक हो – एकान्तिक
  22. कई जगह से मिलकर इकट्ठा किया गया हो – एकीकृत
  23. जो व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता हो – ऐच्छिक
  24. इन्द्रियों को भ्रमित करने वाला – ऐन्द्रजालिक

  1. जो इस लोक से संबंधित हो – ऐहिक
  2. सांप-बिच्छू के जहर या भूत प्रेत के भय को मंत्रों से झड़ने वाला – ओझा
  3. जो उपनिषदों से संबंधित हो – औपनिषदिक
  4. जो मात्र शिष्टाचार व्यवहार के लिए हो – औपचारिक
  5. दो व्यक्तियों की परस्पर होने वाली बातचीत – कथोपकथन
  6. ऐसी लड़की जिसका विवाह नहीं हुआ हो – कुमारी
  7. कर्म करने में तत्पर व्यक्ति – कर्मठ
  8. बर्तन बेचने वाला – कसेरा
  9. जो काम से जी चुराता है – कमचोर
  10. सबसे आगे रहने वाला – अग्रणी
  11. जिसका खण्डन नहीं किया जा सके – अखण्डनीय
  12. जो पहले गिना जाता हो – अग्रगण्य
  13. जो पहले जन्मा हो – अग्रज
  14. जिसे जाना न जा सके – अज्ञेय
  15. जिसका पता न हो – अज्ञात
  16. जो इंद्रियों द्वारा ना जाना जा सके – अगोचर
  17. जो बहुत गहरा हो – अगाध
  18. जिसने अभी तक जन्म नहीं लिया हो – अजन्मा
  19. जिसकी गिनती न की जा सके – अगणित
  20. आगे आने वाला – आगामी
  21. जिसको जीता न जा सके – अजेय
  22. जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  23. जिसका कोई शत्रु ना हो – अजातशत्रु
  24. जो खाने योग्य न हो – अखाद्य
  25. जिसका चिंतन नहीं किया जा सके – अचिन्त्य
  1. जो क्षमा नहीं किया जा सके – अक्षम्य
  2. जिसको कहा ना जा सके – अकथनीय
  3. जिसको काटा न जा सके – अकाट्य
  4. नहीं टूटने वाला – अटूट
  5. अंडे से जन्म लेने वाला – अण्डज
  6. जो अपनी बात से नहीं डिगे – अडिग
  7. जो छुआ न गया हो – अछूता
  8. जो छूने योग्य न हो – अछूत
  9. जो खाली न जाए – अचूक
  10. जिसके बारे में कोई निश्चिय नहीं हो – अनिश्चित
  11. जो अपने स्थान से अलग नहीं किया जा सके – अच्युत
  12. जो अपनी बात से टले नहीं – अटल
  13. पदार्थ का अत्यंत सूक्ष्म भाग – परमाणु
  14. जिसके आगमन की तिथि निश्चित नहीं हो – अतिथि
  15. आवश्यकता से अधिक बरसात – अतिवृष्टि
  16. बरसात बिल्कुल नहीं होना – अनावृष्टि
  17. बहुत कम बरसात होना – अल्पवृष्टि
  18. इंद्रियों की पहुंच से बाहर – अतीन्द्रिय
  19. सीमा का अनुचित उल्लंघन – अतिक्रमण
  20. जो तर्क से परे हो – तर्कातीत
  21. किसी बात को अत्यधिक बढ़ा कर कहना – अतिशयोक्ति
  22. जो व्यतीत हो गया हो – अतीत
  23. जिसको त्यागा न जा सके – अत्याज्य
  24. जिसकी तुलना नहीं की जा सके – अतुलनीय
  25. जिसकी गहराई का पता न लग सके – अथाह

  1. जिसका दमन नहीं किया जा सके – अदम्य
  2. जिसे देखा न जा सके – अदृश्य
  3. जो पहले नहीं देखा गया हो – अदृष्टपूर्व
  4. आगे का विचार नहीं कर सकने वाला – अदूरदर्शी
  5. जो देखने योग्य न हो – अदर्शनीय
  6. जिसके बराबर दूसरा नहीं हो – अद्वितीय
  7. जो एक निश्चित अवधि तक ही लागू हो – अध्यादेश
  8. जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो – अधिकृत
  9. वह सूचना जो सरकार के प्रयास से जारी हो – अधिसूचना
  10. अपने काम के बारे में कुछ भी निश्चय नहीं करने वाला – किंकर्तव्यविमूढ़
  11. जो बात पूर्व काल से लोगों में कह सुनकर प्रचलित हो – किवदन्ती
  12. बुरे मार्ग पर जाने वाला व्यक्ति – कुमार्गगामी
  13. जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ हो – कुलीन
  14. जिसकी बुद्धि बहुत तेज हो – कुशाग्र
  15. बुद्धि बुरी संगत में रहने वाला – कुसंगी
  16. अपने लिए किए हुए उपकार को याद रखने वाला – कृतज्ञ
  17. अपने लिए किए हुए उपकार को भुला देने वाला – कृतघ्न
  18. जो पैसों को अत्यधिक कंजूसी से खर्च करता हो – कंजूस
  19. जिसे खरीद लिया गया हो – क्रीत
  20. श्रृंगारिक वासनाओं के प्रति आकर्षित – कामुक
  21. जो दुख या भय से पीड़ित हो – कातर
  22. दूसरे की हत्या करने वाला – हत्यारा
  23. अपनी गलती स्वीकार करने वाला – कायल
  24. ईश्वर का सामूहिक रूप से किया जाने वाला गुणगान – कीर्तन
  25. भूख से पीड़ित – क्षुधार्त
  1. वृक्ष लता फूलों से घिरा हुआ कोई सुंदर स्थान – कुंज
  2. पूर्व में हुई हानि की भरपाई – क्षतिपूर्ति
  3. जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध है – सिद्धार्थ
  4. पहले से चली आ रही परंपरा का अनुपालन करने वाला – गतानुगतिक
  5. आकाश को स्पर्श करने वाला – गगनचुम्बी
  6. जिस नाटक के संवाद गीतों के रूप में लिखे हो – गीतिनाट्य
  7. गुप्त रूप से घूम कर सूचना देने वाला – गुप्तचर
  8. हर पदार्थ को अपनी ओर आकृष्ट करने वाली गुरुत्व शक्ति – गुरुत्वाकर्षण
  9. जो बोल नहीं सकता हो – गूँगा
  10. ज़िम्मेदारी पूरी नहीं करने वाला – ग़ैर-ज़िम्मेदार
  11. दिन और रात के बीच का समय – गोधूलि वेला
  12. जो ग्रहण करने योग्य हो – ग्राह्म
  13. जो छिपाने योग्य हो – गोपनीय
  14. जहां से गंगा नदी का उद्गम होता है – गंगोत्री
  15. घास खोदकर जीवन निर्वाह करने वाला – घसियारा
  16. शरीर की हानि करने वाला – घातक
  17. जो पदार्थ घूमने योग्य हो – घुलनशील
  18. घोड़े के रखे जाने की जगह – घुड़साल
  19. जो घृणा का पात्र हो – घृणित
  20. कोई कार्य करने के लिए नाजायज रूप में धन लेने वाला – घूसखोर
  21. जहां धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं – क्षितिज
  22. साँप के शरीर से निकली हुई खोली – केंचुली
  23. जो क्षमा किया जा सके – क्षम्य
  24. जिसका कुछ ही समय में नाश हो जाए – क्षणभंगुर
  25. जो क्षमा करने वाला हो – क्षमाशील

  1. आकाश के पिंडों का विवेचन करने वाला शास्त्र – खगोलशास्त्र
  2. जिस ग्रहण में सूर्य या चंद्र का पूर्ण बिंब ग्रसित हो जाता है – खग्रास
  3. जो व्यक्ति अपने हाथ में तलवार लिए रहता है – खड्गहस्त
  4. दूसरों के मत का विरोध करना – खण्डन
  5. वह स्त्री जिसका पति अन्य स्त्री के साथ रात को रहकर प्रातः लौटे – खण्डिता
  6. खाने के योग्य वस्तु – खाद्य
  7. आकाश में विचरण करने वाले जंतु – नभचर
  8. शरीर का व्यापार करने वाली स्त्री – गणिका
  9. जो अशिष्ट व्यवहार करता हो – गँवार
  10. जो बहुत समय तक ठहर सके – चिरस्थायी
  11. चौथे दिन आने वाला बुखार – चौथिया
  12. चक्र के रूप में घूमती हुई चलने वाली हवा – चक्रवात
  13. आश्चर्य में डाल देने वाला कार्य – चमत्कार
  14. वह कृति जिसमें गद्य एवं पद्य दोनों मिश्रित हो – चम्पू
  15. जिसके सिर पर चन्द्रकला हो – चन्द्रचूड़
  16. लंबे समय तक जीवित रहने वाला – चिरञ्जीवी
  17. बहुत समय से परिचित – चिरपरिचित
  18. चिर निद्रा को प्राप्त हुआ – चिरनिद्रित
  19. चिंता करने योग्य बात – चिन्तनी
  20. सावधान करने के लिए दिया गया संकेत – चेतावनी
  21. सभी प्रकार की चिंताओं को दूर करने वाली एक मणि – चिन्तामणि
  22. जो गुप्त रूप से निवास कर रहा हो – छद्मवासी
  23. जहां सैनिक निवास करते हो – छावनी
  24. जो दूसरों में केवल दोषों को ही खोजता हो – छिद्रान्वेषी
  25. छिपकर आक्रमण करने वाला – छापामार दल
  1. पत्थर को गढ़ने वाला औज़ार – छैनी
  2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला – जंगम
  3. जो जल बरसाता हो – जलद
  4. जो जल से उत्पन्न होता हो – जलज
  5. जो जीव जंतु जल में रहते हो – जलचर
  6. जो चमत्कारी क्रियाओं का प्रदर्शन करता है – जादूगर
  7. जो अकारण ज़ुल्म ढाका हो – ज़ालिम
  8. जिंदा रहने की इच्छा – जिजीविषा
  9. जिसने इन्द्रियों को वश में कर लिया हो – जितेन्द्रिय
  10. जिसने आत्मा को जीत लिया हो – जितात्मा
  11. जो जीतने के योग्य हो जेय जेठ का पुत्र – जेठोत
  12. अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए किया गया अग्नि प्रवेश – जौहर
  13. वह पहाड़ जिसके मुंह से आग निकले – ज्वालामुखी
  14. लंबे और बिखरे बालों वाला – झबरा
  15. बहुत गहरा तथा बहुत बड़ा प्राकृतिक जलाशय – झील
  16. जहां सिक्कों की ढलाई होती है – टकसाल
  17. अधिक देर तक रहने वाला या चलने वाला – टिकाऊ
  18. विवाह का संबंध तय करने के लिए वर को वस्त्र आदि वस्तुएं प्रदान करने की रस्म – टीका
  19. बर्तन बनाने वाला – ठठेरा
  20. जो छोटे कद का हो – ठिगना
  21. जनता को सूचना देने हेतु बजाया जाने वाला वाद्य – ढिंढ़ोरा
  22. जो किसी भी गुट में नहीं हो – तटस्थ
  23. जो किनारे से सटे हुए हो – तटवर्ती
  24. जो किसी कार्य या चिंतन में डूबा हुआ हो – तल्लीन
  25. जो चोरी-छिपे माल लाता और ले जाता हो – तस्कर

  1. ऋषियों के तप करने की भूमि तपोभूमि उसी समय का – तत्कालीन
  2. वह राजकीय धन जो किसानों की सहायता हेतु दिया जाता है – तक़ाबी
  3. दैहिक, दैविक और भौतिक दुख – तापत्रय
  4. तर्क करने वाला व्यक्ति – तार्किक
  5. तांबे के रंग के समान लाल रंग – ताम्रपर्णी
  6. तैरने की इच्छा – तितीर्षा
  7. ज्ञान में प्रवेश का मार्गदर्शक – तीर्थङ्कर
  8. बाणों को रखने का पात्र – तुणीर
  9. किसी पद को छोड़ने के लिए लिखा गया पत्र – त्यागपत्र
  10. वह व्यक्ति जो छुटकारा दिलाता है – त्राता
  11. सत्व, रज और तम का समूह – त्रिगुण
  12. गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम – त्रिवेणी
  13. भूत, वर्तमान और भविष्य को जानने वाला – त्रिकालज्ञ
  14. जिसके तीन आंखें हैं त्रिनेत्र तीन महीने में एक बार – त्रैमासिक
  15. वह स्थान जो दोनों भृकुटियों के बीच होता है – त्रिकुटी
  16. जो त्याग देने योग्य हो – त्याज्य
  17. संकुचित विचार रखने वाला – दक़ियानूस
  18. पति और पत्नी का जोड़ा दम्पति दस वर्षों का समय – दशक
  19. वह व्यक्ति जिसे गोद लिया जाए – दत्तक
  20. रानियों के साथ दहेज के रूप में भेजी गई सेविकाआएँ – दासी
  21. जंगल में फैलने वाली आग – दावाग्नि
  22. दो बार जन्म लेने वाला – द्विज
  23. जिसे कठिनाई से जाना जा सके – दुर्ज्ञेय
  24. जिस ने दीक्षा ली हो – दीक्षित
  25. पति के स्नेह से वंचित स्त्री – दुर्भगा
  1. जिसे कठिनाई से लाँघा जा सके – दुर्लंघ्य
  2. जिसे कठिनता से साधा जा सके – दु:साध्य
  3. जो कठिनाई से समझ में आता है – दूर्बोध
  4. जिसको कठिनाई से वहन किया जा सके – दुर्वह
  5. जो बुरा आचरण करता हो – दुराचारी
  6. बुरे भाव से की गई सन्धि – दुरभिसन्धि
  7. वह मार्ग जो चलने में कठिनाई पैदा करता हो – दुर्गम
  8. जिसमें ख़राब आदतें हो – दुर्व्यसनी
  9. जिस को जीतना बहुत कठिन हो – दुर्जेय
  10. दैव या ज्योतिष शास्त्र को जानने वाला – दैवज्ञ
  11. आगे की बात को भी सोच लेने वाला व्यक्ति – दूरदर्शी
  12. जिसे देवता भी पूछते हो – देवाराध्य
  13. दीक्षा की समाप्ति पर दिया जाने वाला उपदेश – दीक्षान्त भाषण
  14. पुत्री का पुत्र – दौहित्र
  15. पुत्री की पुत्री – दौहित्री
  16. वह कार्य जिसको करना कठिन हो – दुष्कर
  17. वह बच्चा जो अभी मां के दूध पर निर्भर है – दुधमुँहा
  18. जो दो अलग-अलग भाषियों के बीच अनुवाद करके बात करवाता हो – दुभाषिया
  19. जो शीघ्रता से चलता हो – द्रुतगामी
  20. जो धनुष को धारण करता हो – धनुर्धारी
  21. धन की इच्छा रखने वाला – धनेच्छु
  22. सभी को धारण करने वाली – धरणी
  23. यात्रियों के लिए निशुल्क सार्वजनिक आवास गृह – धर्मशाला
  24. गरीबों के लिए दान के रूप में दिया जाने वाला धन-अन्न आदि – धार्मादा
  25. किसी के पास रखी हुई दूसरे की वस्तु – धरोहर
  1. मछली मार कर आजीविका चलाने वाला – धीवर
  2. श्रेष्ठ गुणों से संपन्न शूरवीर नायक – धीरोध्दत्त
  3. शूरवीर किंतु क्रीड़ाप्रिय नायक – धीरललित
  4. धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाला – धर्मात्मा
  5. जिसकी धर्म में निष्ठा हो – धर्मनिष्ठ
  6. आधारभूत कार्यों में प्रवीण – धुरन्धर
  7. जो धीरज रखता हो – धीर
  8. अपने स्थान पर अचल रहने वाला – ध्रुव
  9. ध्यान करने योग्य – ध्येय
  10. ध्यान करने वाला – ध्याता
  11. तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव – नटराज
  12. नाक से अपने आप निकलने वाला ख़ून – नकसीर
  13. सम्मान में दी जाने वाली भेंट – नज़राना
  14. नाखून से चोटी तक का वर्णन – नखशिख वर्णन
  15. जिसका जन्म अभी-अभी हुआ हो – नवजात
  16. जिस स्त्री का विवाह अभी हुआ हो – नवोढ़ा
  17. जिसका उदय हाल में हुआ हो – नवोदित
  18. जो वस्तु नाशवान हो – नश्वर
  19. जिसका सिर झुका हुआ हो – नतमस्तक
  20. जो आकाश में विचरण करता है – नभचर
  21. जो नया नया आया है – नवागत
  22. जिसे ईश्वर पर विश्वास नहीं हो – नास्तिक
  23. जो पढ़ना-लिखना नहीं जानता हो – निरक्षर
  24. जिसको डर नहीं हो – निडर
  25. जिसका कोई अर्थ नहीं हो – निरर्थक
  1. जिसका कोई आकार नहीं हो – निराकार
  2. जिसका कोई आधार नहीं हो – निराधार
  3. जिससे किसी प्रकार की हानि नहीं हो – निरापद
  4. जो मांस नहीं खाता हो – निरामिष
  5. जिसकी कोई इच्छा नहीं हो – नि:स्पृह
  6. बिना भोजन के – निराहार
  7. जो उत्तर नहीं दे सके – निरुत्तर
  8. जिसमें दया नहीं हो – निर्दय
  9. जिसके पास धन नहीं हो – निर्धन
  10. जिसको भय नहीं हो – निर्भय
  11. जिसके कोई कलंक नहीं हो – निष्कलंक
  12. जिस काम के लिए धन नहीं दिया जाए – नि:शुल्क
  13. जिसका अपना कोई स्वार्थ नहीं हो – नि:स्वार्थ
  14. जिसके कोई संतान नहीं हो – निस्संतान
  15. जिसको किसी में भी आसक्ति नहीं हो – असंग
  16. व्यापारिक वस्तुओं को किसी दूसरे देश में भेजने का कार्य – निर्यात
  17. जिसको देश से निकाल दिया गया हो – निर्वासित
  18. रात में विचरण करने वाला – निशाचर
  19. बिना किसी बाधा के – निर्बाध
  20. जो ममत्व से रहित हो – निर्मम
  21. जिसकी किसी से तुलना नहीं की जा सके – निरुपम
  22. जो निर्णय करने वाला हो – निर्णायक
  23. जिसका कोई उद्देश्य नहीं हो – निरुद्देश
  24. जो पाप से रहित हो – निष्पाप
  25. जो सब प्रकार की चिंताओं से रहित हो – निश्चिंत

  1. जो नीति के अनुकूल हो – नैतिक
  2. आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वाला – नैष्ठिक
  3. जिसमें दया का भाव नहीं हो – निष्ठुर
  4. महीने के दो पक्षों में से एक पक्ष – पखवाड़ा
  5. अपनी किसी गलती के लिए हुआ दुख – पश्चाताप
  6. केवल अपने पति में अनुराग रखने वाले स्त्री – पतिव्रता
  7. पति को चुनने की इच्छा रखने वाली कन्या – पतिम्वरा
  8. उपाय बताने वाला – मार्गदर्शक
  9. अपने मार्ग से भटका हुआ – पथभ्रष्ट
  10. अपने पद से हटाया हुआ – पदच्युत
  11. केवल दूध पर जीवित रहने वाला – पयोहारी
  12. जो प्रत्यक्ष नहीं हो – परोक्ष
  13. दूसरों पर निर्भर रहने वाला पर – पराश्रित
  14. घूमने फिरने वाला साधु – परिव्राजक
  15. महीने के प्रत्येक पक्ष से संबंधित – पाक्षिक
  16. हाथ से लिखी हुई पुस्तक – पाण्डुलिपि
  17. जिसमें से आर-पार देखा जा सके – पारदर्शी
  18. जिसका स्वभाव पशु के समान हो – पाशविक
  19. जनप्रतिनिधियों द्वारा परिचालित शासन-व्यवस्था – जनतन्त्र
  20. किसी प्रश्न का तत्काल उत्तर दे सकने वाली बुद्धि – प्रत्युत्पन्न मति
  21. पर्दे के अंदर रहने वाली – पर्दानशीन
  22. किसी वाद का विरोध करने वाला – प्रतिवादी
  23. शरणागत की रक्षा करने वाला – प्रणतपाल
  24. वह ध्वनि जो कहीं से टकराकर आए – प्रतिध्वनि
  25. जो किसी मत को सर्वप्रथम चलाता है – प्रवर्तक

Vakyansh Ke Liye Ek Shabd के बारे में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण MCQ

  • दिए गए वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए जिसकी गहराई का पता न मिल सके – अथाह
  • बिना पलक झपकाए Vakyansh Ke Liye Ek Shabd– अनिमेष
  • Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए हिंसा करने वाला– हिंसक
  • निम्नलिखित Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए प्राचीन काल से संबंधित– पुरातन
  • Vakyansh Ke Liye Ek Shabd लिखिए जो बहुत बोलता हो– वाचाल
  • इतिहास से संबंधित Vakyansh Ke Liye Ek Shabd चुने– ऐतिहासिक
  • जिसका कोई अंग ठीक ना हो Vakyansh Ke Liye Ek Shabd क्या होगा– अपंग
  • वाक्यांश के लिए एक शब्द जो कभी ना मरे– अमर
  • वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखो जिसमें दया हो– दयावान
  • अपने हित के लिए किया गया कार्य वाक्यांश के लिए एक शब्द है – स्वार्थ
  • जिसे कहा न जा सके वाक्यांश के लिए एक शब्द – अकथनीय

श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द

श्रुतिसम’ का अर्थ है ‘सुनने में एक समान’ और ‘भिन्नार्थक’ का अर्थ है ‘अर्थ में भिन्नता’ । अतः वे शब्द जो पढने और सुनने में एक समान प्रतीत होते हैं, परन्तु उनके अर्थो में भिन्नता होती है, उन्हें श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहते हैं।

क्र.सं

शब्द

अर्थ

1

अवधि

समय

अवधी

भाषा

2

अनिल

हवा

अनल

आग

3

अभय

निर्भय

उभय

दोनों

4

अवलंब

सहारा

अविलंब

शीघ्र / बिना देर किए

5

अचार

एक खाद्य पदार्थ

आचार

आचरण

6

अंक

संख्या, गोद

अंग

हिस्सा, भाग

7

उपकार

भलाई

अपकार

बुराई

8

ओर

तरफ़

और

तथा

9

नीर

जल

नीड़

घोंसला

10

शूर

वीर

सूर

अंधा

11

प्रसाद

भगवान का भोग

प्रासाद

महल

12

परिणाम

नतीजा , फल

परिमाण

माप, तोल

13

इतर

दूसरा

इत्र

सुगंधित द्रव्य

14

कृति

रचना

कृती

निपुण

15

चालक

वाहन चलाने वाला

चालाक

चतुर

16

अणु

कण

अनु

बाद

17

आदि

आरंभ , इत्यादि

आदी

अभ्यस्त

18

चरम

अन्तिम

चर्म

चमड़ा

19

अलि

भँवरा

अली

सखी, सहेली

20

कुल

वंश

कूल

किनारा

21

कर्म

काम

क्रम

सिलसिला

22

देव

देवता

दैव

भाग्य

23

चिर

पुराना

चीर

वस्त्र

24

धनु

धनुष

धेनु

गाय

25

अंस

कन्धा

अंश

हिस्सा

26

अन्न

अनाज

अन्य

दूसरा

27

निधन

मृत्यु

निर्धन

गरीब

28

दिन

दिवस

दीन

गरीब

29

नियत

निश्चित

नियति

भाग्य

30

ग्रह

नक्षत्र

गृह

घर

31

तरंग

लहर

तुरंग

घोड़ा

32

मूल

जड़

मूल्य

कीमत

33

सर

तालाब

शर

वाण

34

मात्र

केवल

मातृ

माता

35

कोश

शब्द – भंडार

कोष

खज़ाना

36

किला

गढ़

कीला

खूँटा

37

सुत

बेटा

सूत

धागा

38

अश्व

घोड़ा

अश्म

पत्थर

39

समान

बराबर

सामान

वस्तु

40

पर्ण

पत्ता

प्रण

प्रतिज्ञा

41

सिल

मसाला पीसने वाला पत्थर

शील

शालीनता

42

मेल

मिलाप

मैल

गंदगी

43

वदन

मुख

बदन

शरीर

44

दार

स्त्री

द्वार

दरवाजा

समानार्थी शब्दों का विवेक परिभाषा ,प्रकार और उदहारण

समानार्थी शब्दों की परिभाषा ( Samanarthi Sabdo Ki pribhasha )

समान अर्थ रखने वाले शब्द पर्यायवाची शब्द कहते हैं. चूँकि इनके अर्थ में समानता अवश्य रहती हैं. परंतु इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार से हो सकता है.

जो शब्द समान अर्थ के करण दुसरे शब्द का स्थान गृहण कर लेते है , वे पर्यायवाची शब्द कहलाते है … इसी कारण से इन्हें समानार्थी शब्दों के नाम से भी जाना जाता है।

पर्यायवाची शब्द को समानार्थी शब्द भी कहते हैं। समानार्थी अर्थात वह शब्द जो समान अर्थ देने वाला हो। हिंदी साहित्य में समानार्थी शब्दों का विशेष प्रयोग किया जाता है। शब्दों को सुसज्जित अलंकृत करने के लिए समानार्थी शब्दों का जगह-जगह प्रयोग देखने को मिल जाता है। जिस प्रकार आंख शब्द साधारण लगता है , वही नयन शब्द अलंकृत लगता है। ठीक इसी प्रकार अनेकों – अनेक शब्द हिंदी साहित्य में प्रयोग किए जाते हैं।

समानार्थी शब्दों के प्रकार ( samanarthi Sabdo ke Prakar )

  • पूर्ण– वाक्य में यदि एक शब्द के स्थान पर दूसरे शब्द को रखा जाए उसके अर्थ में कोई अंतर न पड़ता हो, तो वह शब्द उसका पूर्ण पर्याय कहलाता है.
  • पूर्णापूर्ण– दूसरे शब्दों में जब एक प्रसंग का समानार्थी शब्द दूसरे प्रसंग में असमानता अर्थ का बोध स्पष्ट करता हो तो उस शब्द को पूर्णापूर्ण पर्याय कहते हैं.
  • अपूर्ण– कोई भी व्यक्ति शब्दों के अर्थ की छाया बदल-बदल कर अपने-अपने ढंग से प्रयोग करता है और उसके विषय की व्यापकता के परिपेक्ष्य में उसी शब्दों का प्रयोग नये में अर्थ में होने लगता हो, उस शब्द को अपूर्ण पर्याय कहते हैं.

समानार्थी शब्दों के उदहारण ( Samanarthi Sabdo Ke Example )

  • अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड।
  • अमृत- सुधा, अमिय, पीयूष, सोम, मधु, अमी।
  • असुर- दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर।
  • अतिथि- मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना।
  • अनुपम- अपूर्व, अतुल, अनोखा, अदभुत, अनन्य।
  • अर्थ- धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा।
  • अश्व- हय, तुरंग, बाजी, घोड़ा, घोटक।
  • अंधकार- तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा।
  • आम- रसाल, आम्र, सौरभ, मादक, अमृतफल, सहुकार।
  • आग- अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, दहन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि।
  • आँख- लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृग, विलोचन, दृष्टि, अक्षि।
  • आकाश- नभ, गगन, अम्बर, व्योम, अनन्त, आसमान, अंतरिक्ष, शून्य, अर्श।
  • आनंद- हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास।
  • आश्रम- कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाडा।
  • आंसू- नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु।
  • आत्मा- जीव, देव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण।
  • इच्छा- अभिलाषा, अभिप्राय, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट।
  • इन्द्र- सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज।
  • ईश्वर- परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता।
  • ओंठ- ओष्ठ, अधर, होठ।
  • कमल- नलिन, अरविन्द, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात।
  • कृपा- प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह।
  • किताब- पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक।
  • कपड़ा- चीर, वसन, पट, अंशु, कर, मयुख, वस्त्र, अम्बर, परिधान।
  • किरण- ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति, मरीचि।
  • किसान- कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता।
  • कृष्ण- राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी।
  • कान- कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल।
  • कोयल- कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया।
  • क्रोध- रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात।
  • गज- हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल ।
  • गाय- गौ, धेनु, सुरभि, भद्रा, रोहिणी।
  • गंगा- देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, ध्रुवनंदा, सुरसरिता, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा।
  • गणेश- विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, महाकाय।
  • गृह- घर, सदन, गेह, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास, निलय, मंदिर।
  • गर्मी- ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी, निदाघ।
  • घड़ा – कलश, घट, कुम्भ, गागर, निप, गगरी, कुट।
  • घी – घृत, हवि, अमृतसार।
  • घाटा – हानि, नुकसान, टोटा।
  • घन – जलधर, वारिद, अंबुधर, बादल, मेघ, अम्बुद, पयोद, नीरद।।
  • घृणा – जुगुप्सा, अरुचि, घिन, बीभत्स।
  • घुमक्कड़ – रमता, सैलानी, पर्यटक, घुमन्तू, विचरण शील, यायावर।
  • घिनौना – घृण्य, घृणास्पद, बीभत्स, गंदा, घृणित।
  • घुमंतू – बंजारा, घुमक्कड़
  • चंदन – मंगल्य, मलयज, श्रीखण्ड।
  • चाँदी – रजत, रूपा, रौप्य, रूपक
  • चरित्र – आचार, सदाचार, शील, आचरण।
  • चिन्ता – फ़िक्र, सोच, ऊहापोह।
  • चौकीदार – आरक्षी, पहरेदार, प्रहरी, गारद, गश्तकार।
  • चोटी – शृंग, तुंग, शिखर, परकोटि।
  • चक्र – पहिया, चाक, चक्का।
  • चिकित्सा – उपचार, इलाज, दवादारू।
  • चतुर – कुशल, नागर, प्रवीण, दक्ष, निपुण, योग्य, होशियार, चालाक, सयाना, विज्ञा
  • चन्द्र – सोम, राकेश, रजनीश, राकापति, चाँद, निशाकर, हिमांशु, मयंक, सुधांशु, मृगांक, चन्द्रमा, कला –निधि, ओषधीश।
  • चाँदनी – चन्द्रिका, ज्योत्स्ना, कौमुदी, कुमुदकला, जुन्हाई, अमृतवर्षिणी, चन्द्रातप, चन्द्रमरीचि।
  • चपला – विद्युत्, बिजली, चंचला, दामिनी, तड़िता
  • चश्मा – ऐनक, उपनेत्र, सहनेत्र, उपनयन।
  • चाटुकारी – खुशामद, चापलूसी, मिथ्या प्रशंसा, चिरौरी, चमचागीरी।
  • चिह्न – प्रतीक, निशान, लक्षण, पहचान, संकेत।
  • चोर – रजनीचर, दस्यु, साहसिक, कभिज, खनक, मोषक, तस्कर।
  • छात्र – विद्यार्थी, शिक्षार्थी, शिष्य।
  • छाया – साया, प्रतिबिम्ब, परछाई, छाँव।
  • छल – प्रपंच, झाँसा, फ़रेब, कपट।
  • छटा – आभा, कांति, चमक, सौन्दर्य, सुन्दरता।
  • छानबीन – जाँच –पड़ताल, पूछताछ, जाँच, तहकीकात।
  • छेद – छिद्र, सूराख, रंध्रा
  • छली – ठग, छद्मी, कपटी, कैतव, धूर्त, मायावी।
  • छाती – उर, वक्ष, वक्षःस्थल, हृदय, मन, सीना।
  • जननी – माँ, माता, माई. मइया. अम्बा, अम्मा।
  • जीव – प्राणी, देहधारी, जीवधारी।
  • जिज्ञासा – उत्सुकता, उत्कंठा, कुतूहल।
  • जंग – युद्ध, रण, समर, लड़ाई, संग्राम।
  • जग – दुनिया, संसार, विश्व, भुवन, मृत्युलोक।
  • जल – सलिल, उदक, तोय, अम्बु, पानी, नीर, वारि, पय, अमृत, जीवक, रस, अप।
  • जहाज़ – जलयान, वायुयान, विमान, पोत, जलवाहन।
  • जानकी – जनकसुता, वैदेही, मैथिली, सीता, रामप्रिया, जनकदुलारी, जनकनन्दिनी।
  • जुटाना – बटोरना, संग्रह करना, जुगाड़ करना, एकत्र करना, जमा करना, संचय करना।
  • जोश – आवेश, साहस, उत्साह, उमंग, हौसला।
  • जीभ – जिह्वा, रसना, रसज्ञा, चंचला।
  • जमुना – सूर्यतनया, सूर्यसुता, कालिंदी, अर्कजा, कृष्णा।
  • ज्योति – प्रभा, प्रकाश, लौ, अग्निशिखा, आलोक
  • झंडा – ध्वजा, केतु, पताका, निसान।
  • झरना – सोता, स्रोत, उत्स, निर्झर, जलप्रपात, प्रस्रवण, प्रपात।
  • झुकाव – रुझान, प्रवृत्ति, प्रवणता, उन्मुखता।
  • झकोर – हवा का झोंका, झटका, झोंक, बयार।
  • झुठ – मिथ्या, मृषा, अनृत, असत, असत्य।
  • टीका – भाष्य, वृत्ति, विवृति, व्याख्या, भाषांतरण।
  • टक्कर – भिडंत, संघट्ट, समाघात, ठोकर।
  • टोल – समूह, मण्डली, जत्था, झुण्ड, चटसाल, पाठशाला।
  • टीस – साल, कसक, शूल, शूक्त, चसक, दर्द, पीड़ा।
  • टेढा – (i) बंक, कुटिल, तिरछा, वक्रा (ii) कठिन, पेचीदा, मुश्किल, दुर्गम।
  • टंच – सूम, कृपण, कंजूस, निष्ठुर।
  • ठंड – शीत, ठिठुरन, सर्दी, जाड़ा, ठंडक
  • ठेस – आघात, चोट, ठोकर, धक्का।
  • ठौर – ठिकाना, स्थल, जगह।
  • ठग – जालसाज, प्रवंचक, वंचक, प्रतारक।
  • ठाठ –आडम्बर, सजावट, वैभवा
  • ठिठोली – मज़ाक, उपहास, फ़बती, व्यंग्य, व्यंग्योक्ति।
  • ठगी – प्रतारणा, वंचना, मायाजाल, फ़रेब, जालसाज़।
  • डगर – बाट, मार्ग; राह, रास्ता, पथ, पंथा
  • डर – त्रास, भीति, दहशत, आतंक, भय, खौफ़
  • डेरा – पड़ाव, खेमा, शिविर
  • डोर – डोरी, रज्जु, तांत, रस्सी, पगहा, तन्तु।
  • डकैत – डाकू, लुटेरा, बटमार।
  • डायरी – दैनिकी, दैनन्दिनी, रोज़नामचा।
  • ढीठ – धृष्ट, प्रगल्भ, अविनीत, गुस्ताख।
  • ढोंग – स्वाँग, पाखण्ड, कपट, छल।
  • ढंग – पद्धति, विधि, तरीका, रीति, प्रणाली, करीना।
  • ढाढ़स – आश्वासन, तसल्ली, दिलासा, धीरज, सांत्वना।
  • ढोंगी – पाखण्डी, बगुला भगत, रंगासियार, कपटी, छली।
  • तन – शरीर, काया, जिस्म, देह, वपु।
  • तपस्या – साधना, तप, योग, अनुष्ठान।
  • तरंग – हिलोर, लहर, ऊर्मि, मौज, वीचि।
  • तरु – वृक्ष, पेड़, विटप, पादप, द्रुम, दरख्त।
  • तलवार – असि, खडग, सिरोही, चन्द्रहास, कृपाण, शमशीर, करवाल, करौली, तेग।
  • तम – अंधकार, ध्वान्त, तिमिर, अँधेरा, तमसा।
  • तरुणी – युवती, मनोज्ञा, सुंदरी, यौवनवक्षी, प्रमदा, रमणी।
  • तारा – नखत, उड्डगण, नक्षत्र, तारका
  • तम्बू – डेरा, खेमा, शिविर।
  • तस्वीर – चित्र, फोटो, प्रतिबिम्ब, प्रतिकृति, आकृति।
  • तालाब – जलाशय, सरोवर, ताल, सर, तड़ाग, जलधर, सरसी, पद्माकर, पुष्कर
  • तारीफ़ – बड़ाई, प्रशंसा, सराहना, प्रशस्ति, गुणगाना
  • तीर – नाराच, बाण, शिलीमुख, शर, सायक।
  • तोता – सुवा, शुक, दाडिमप्रिय, कीर, सुग्गा, रक्ततुंड।
  • तत्पर – तैयार, कटिबद्ध, उद्यत, सन्नद्ध।
  • तन्मय – मग्न, तल्लीन, लीन, ध्यानमग्न।
  • तालमेल – समन्वय, संगति, सामंजस्य।
  • तरकारी – शाक, सब्जी, भाजी।
  • तूफान – झंझावात, अंधड़, आँधी, प्रभंजना
  • त्रुटि – अशुद्धि, भूल-चूक, गलती।
  • थकान – क्लान्ति, श्रान्ति, थकावट, थकन।
  • थोड़ा – कम, ज़रा, अल्प, स्वल्प, न्यून।
  • थाह – अन्त, छोर, सिरा, सीना।
  • थोथा – पोला, खाली, खोखला, रिक्त, छूछा।
  • थल – धरती, ज़मीन, पृथ्वी, भूतल, भूमि।
  • दर्पण – शीशा, आइना, मुकुर, आरसी।
  • दास – चाकर, नौकर, सेवक, परिचारक, परिचर, किंकर, गुलाम, अनुचर।
  • दुःख – क्लेश, खेद, पीड़ा, यातना, विषाद, यन्त्रणा, क्षोभ, कष्ट
  • दूध – पय, दुग्ध, स्तन्य, क्षीर, अमृत।
  • देवता – सुर, आदित्य, अमर, देव, वसु।
  • दोस्त – सखा, मित्र, स्नेही, अन्तरंग, हितैषी, सहचर।
  • द्रोपदी – श्यामा, पाँचाली, कृष्णा, सैरन्ध्री, याज्ञसेनी, द्रुपदसुता, नित्ययौवना।
  • दासी – बाँदी, सेविका, किंकरी, परिचारिका।
  • दीपक – आदित्य, दीप, प्रदीप, दीया।
  • दुर्गा – सिंहवाहिनी, कालिका, अजा, भवानी, चण्डिका, कल्याणी, सुभद्रा, चामुण्डा।
  • दिव्य – अलौकिक, स्वर्गिक, लोकातीत, लोकोत्तर।
  • दीपावली – दीवाली, दीपमाला, दीपोत्सव, दीपमालिका।
  • दामिनी – बिजली, चपला, तड़ित, पीत –प्रभा, चंचला, विजय, विद्युत्, सौदामिनी।
  • देह – तन, रपु, शरीर, घट, काया, गात, कलेवर, तनु, मूर्ति।
  • दुर्लभ – अलम्भ, नायाब, विरल, दुष्प्राप्य।
  • दर्शन – भेंट, साक्षात्कार, मुलाकाता
  • दंगा – उपद्रव, फ़साद, उत्पात, उधम।।
  • द्वेष – बैर, शत्रुता, दुश्मनी, खार, ईर्ष्या, जलन, डाह, मात्सर्य।
  • दरवाज़ा – किवाड़, पल्ला, कपाट, द्वार।
  • दाई – धाया, धात्री, अम्मा, सेविका।
  • देवालय – देवमन्दिर, देवस्थान, मन्दिर।
  • दृढ़ – पुष्ट, मज़बूत, पक्का, तगड़ा।
  • दुर्गम – अगम्य, विकट, कठिन, दुस्तर।
  • द्विज – ब्राह्मण, ब्रह्मज्ञानी, वेदविद्, पण्डित, विप्रा
  • दिनांक – तारीख, तिथि, मिति।
  • धनुष – चाप, धनु, शरासन, पिनाक, कोदण्ड, कमान, विशिखासन।
  • धीरज – धीरता, धीरत्व, धैर्य, धारण, धृति।
  • धरती – धरा, धरणी, पृथ्वी, क्षिति, वसुधा, अवनी, मेदिनी।
  • धवल – श्वेत, सफ़ेद, उजला।
  • धुंध – कुहरा, नीहार, कुहासा।
  • ध्वस्त – नष्ट, भ्रष्ट, भग्न, खण्डित।
  • धूल – रज, खेहट, मिट्टी, गर्द, धूलिा
  • धंधा – दृढ़, अटल, स्थिर, निश्चित।
  • धनुर्धर – रोज़गार, व्यापार, कारोबार, व्यवसाय
  • धाक – धन्वी, तीरंदाज़, धनुषधारी, निषंगी।
  • धक्का – रोब, दबदबा, धौंस। टक्कर, रेला, झोंका।
  • नदी – सरिता, दरिया, अपगा, तटिनी, सलिला, स्रोतस्विनी, कल्लोलिनी, प्रवाहिणी।
  • नमक – लवण, लोन, रामरस, नोन।
  • नया – ‘नवीन, नव्य, नूतन, आधुनिक, अभिनव, अर्वाचीन, नव, ताज़ा।
  • नाश – (i) समाप्ति, अवसान (i) विनाश, संहार, ध्वंस, नष्ट –भ्रष्ट।
  • नित्य – हमेशा, रोज़, सनातन, सर्वदा, सदा, सदैव, चिरंतन, शाश्वत।
  • नियम – विधि, तरीका, विधान, ढंग, कानून, रीति।
  • नीलकमल – इंदीवर, नीलाम्बुज, नीलसरोज, उत्पल, असितकमल, कुवलय, सौगन्धित।
  • नौका – तरिणी, डोंगी, नाव, जलयान, नैया, तरी।
  • नारी – स्त्री, महिला, रमणी, वनिता, वामा, अबला, औरत।
  • पति- भर्ता, वल्लभ, स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश, आर्यपुत्र।
  • पत्नी- भार्या, दारा, बेगम, कलत्र, प्राणप्रिया, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, जोरू, वामांगिनी।
  • पक्षी- खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, विहग, परिन्दा, शकुन्त, अण्डज, चिडिया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर।
  • पर्वत- पहाड़, गिरि, अचल, भूमिधर, तुंग आद्रि, शैल, धरणीधर, धराधर, नग, भूधर, महीधर।
  • पण्डित- सुधी, विद्वान, कोविद, बुध, धीर, मनीषी, प्राज्ञ, विचक्षण।
  • पुत्र- बेटा, लड़का, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन।
  • पुत्री- बेटी, आत्मजा, तनूजा, दुहिता, नन्दिनी, लड़की, सुता, तनया।
  • पृथ्वी- धरा, धरती, भू, इला, उर्वी, धरित्री, धरणी, अवनि, मेदिनी, क्षिति, मही, वसुंधरा, वसुधा, जमीन, भूमि।
  • पुष्प- फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून, पुहुप।
  • पानी- जल, नीर, सलिल, अंबु, अंभ, उदक, तोय, जीवन, वारि, पय, अमृत, मेघपुष्प, सारंग।
  • पार्वती- अपर्णा, अंबिका, आर्या, उमा, गौरी, गिरिजा, भवानी, रुद्राणी, शिवा।
  • परिवार- कुटुंब, कुनबा, खानदान, घराना।
  • परिवर्तन- बदलाव, हेरफेर, तबदीली, फेरबदल।
  • पथ- मग, मार्ग, राह, पंथ, रास्ता।
  • पिता- जनक, जनपिता, बाप, बापू, बाबू, जन्मदाता, पितृ, पापा, अब्बा।
  • प्रकाश- ज्योति, चमक, प्रभा, छवि, द्युति।
  • पेड़- तरु, द्रुम, वृक्ष, पादप, रुक्ष।

संश्रुत भिन्नार्थक शब्द

  • पैर- पाँव, पद, चरण, पाद, पग।
  • पंक- कीचड़, कीच, कर्दम, चहला।
  • पंकज- कमल, राजीव, पद्म, सरोज, नलिन, जलज।
  • पंख- डैना, पक्ष, पर, पखौटा, पाँख।
  • पंगु- अपाहिज, लंगड़ा, विकलांग, अपंग।
  • पत्ता- पत्र, किसलय, दल, पत्रक, पल्ल्व, पत्ती, कोंपल।
  • पथिक- राही, राहगीर, यात्री, बटोही, मुसाफिर, पंथी।
  • परवाना- फतिंगा, पतंगा, शलभ, फुनगा, भुनगा।
  • परिणति- नतीजा, अंजाम, फल, परिणाम।
  • परिणय- शादी, विवाह, ब्याह, पाणिग्रहण।
  • फल- फलम, बीजकोश।
  • फ़ख- गौरव, नाज, गर्व, अभिमान।
  • फजर- भोर, सवेरा, प्रभात, सहर, सकार।
  • फतह- सफलता, विजय, जीत, जफर।
  • फरमान- हुक्म, राजादेश, राजाज्ञा।
  • फलक- आसमान, आकाश, गगन, नभ, व्योम।
  • फसल- शस्य, पैदावार, उपज, खिरमन, कृषि- उत्पाद।
  • फालिज- पक्षाघात, अर्धांग, अधरंग, अंगघात।
  • फितरत- स्वभाव, प्रकृति, प्रवृत्ति, मनोवृत्ति, मिजाज।
  • फूट- मतभेद, मनमुटाव, अनबन, परस्पर, कलह।
  • फूल- पुष्प, सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून।फंदा- फाँस, जाल, छल, कपट, धोखा।
  • फकत- केवल, सिर्फ।
  • फक्कड़- मस्त, अलमस्त, मौजी, लापरवाह, उद्दंड।
  • फणधर- साँप, नाग, सर्प, व्याल, विषधर।
  • फणींद्र- शेषनाग, नागराज, सर्पराज, फणिपति, वासुकी।
  • फणी- साँप, सर्प, नाग, फणधर।
  • फबती- चुटकी, उपहास, परिहास, चुटकला।
  • फरेब- छल, कपट, धोखा, प्रवंचना।
  • फलतः- इसलिए, फ़लस्वरुप, परिणामतः, अंततः, आख़िरकार।
  • बाण- सर, तीर, सायक, विशिख, आशुग, इषु, शिलीमुख, नाराच।
  • बिजली- घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, बीजुरी, क्षणप्रभा, घनवल्ली, शया, ऐरावती, दामिनी, ताडित, विद्युत।
  • बख़ील- कंजूस, मक्खीचूस, कृपण, खसीस, सूम, मत्सर।
  • बजरंगबली- हनुमान, वायुपुत्र, केसरीनंदन, पवनपुत्र, बज्रांगी, महावीर।
  • बटोही- मुसाफिर, राही, राहगीर, पथिक, पंथी, यात्री।
  • बहेलिया- आखेटक, अहेरी, शिकारी, आखेटी।
  • बाँसुरी- वेणु, बंशी, मुरली, बंसुरी।
  • बाजि- घोड़ा, अश्व, घोटक, तुरंग, तुरग, हय।
  • बायस- कौआ, कागा, काक, एकाक्ष।
  • बारिश- चौमासा, बरसात, वर्षा, वर्षाऋतु।
  • बुड्ढा- बूढ़ा, बुजुर्ग, वृद्ध, जईफ, वयोवृद्ध।
  • बेगम- महारानी, रानी, राज्ञी, राजमहिषी।
  • मिसाल- बेजोड़, लाजवाब, अनोखा, लासानी, अतुलनीय।
  • बैल- वृष, वृषभ, ऋषभ, वलीवर्द।
  • बलदेव- बलराम, बलभद्र, हलायुध, राम, मूसली, रोहिणेय, संकर्षण।
  • बँटवारा- विभाजन, वितरण, बँटाई, आबंटित करना।
  • बंधुता- भाईचारा, दोस्ती, मैत्री, मित्रता, यारी।
  • बखान- वर्णन, कथनं, व्याख्या, तारीफ, प्रशंसा, बड़ाई।
  • बखूबी- अच्छी तरह से, भली-भाँति, खूबी के साथ, पूरी तरह से, पूर्णरूप से।
  • बखेड़ा- झंझट, झगड़ा, लड़ाई, विवाद, हंगामा, फ़साद।
  • बगावत- विद्रोह, अराजकता, गदर, क्रांति, राजद्रोह।
  • बगुला- बगला, बक, बलाका।
  • बचपन- बाल्यावस्था, लड़कपन, बालपन, बचपना, शैशवकाल।
  • बचाव- रक्षा, प्रतिरक्षण, हिफाजत।
  • बहिरंग- बाहरी, बाह्य, बाहर वाला, बाहर का।
  • बहुतायत- अधिकता, आधिक्य, प्रचुरता, बहुलता।
  • बहुधा- प्रायः, अकसर।
  • बहुल- अधिक, बहुत, ज्यादा, प्रचुर, पर्याप्त, प्रभूत।
  • बहुलता- बाहुल्य, प्राचुर्य, प्रचुरता, अधिकता, प्रभूतता।
  • बाँदी- दासी, सेविका, परिचारिका, नौकरानी, अनुचरी।
  • बागी- राजद्रोही, देशद्रोही, अराजभक्त, गद्दार, राजभक्तिहीन।
  • बाजीगर- जादूगर, ऐंद्रजालिक।
  • बाट जोहना- प्रतीक्षा करना, इंतजार करना, रास्ता देखना, राह देखना आसरा लगाना।
  • बातचीत- वार्तालाप, संवाद, कथोपथन, बोलचाल, गपशप, गप्पी।
  • बाधा- विघ्न, अड़चन, संकट, कष्ट, मुसीबत, परेशानी, दुःख।
  • बानगी- उदाहरण, नमूना, मिसाल।
  • बाना- पोशाक, वेश, वेशभूषा, भेष, बुनावट, बुनाई।
  • बाबत- विषय में, सम्बन्ध में, बारे में।
  • बार-बार- लगातार, पुनः-पुनः, प्रायः, फिर-फिर।
  • बारीक़- महीन, पतला, सूक्ष्म, झीना।
  • बालिका- कन्या, लड़की, किशोरी, युवती।
  • बालू- रेत, बालुका, रेणुका, रेणु, रेती, शिलाकण।
  • बाहुबल- बहादुरी, शारीरिक, बल, जिस्मानी ताकत।
  • बिकाऊ- विक्रेय, विक्रयशील, बेचने लायक।
    बिगाड़- विकार, भ्रष्टता, दोष, मनमुटाव, अनबन, हानि, नुकसान।
  • बिछोह- वियोग, जुदाई, बिछौड़ा, अलगाव।
  • बिजली- विद्युत, चंचला, दामिनी, सूर्यपुत्री, घनज्वाला, तड़ित, वज्र।
  • बिनती- विनय, निवेदन, प्रार्थना, अनुरोध, अर्ज।
  • बिना- बगैर, अतिरिक्त, सिवा, सिवाय, अलावा।
  • बियाबान- जंगल, वन, सुनसान, वीरान, निर्जन।
  • बिस्मिल्लाह- श्रीगणेश, आरम्भ, शुरुआत, शुरू आदि।
  • बिसरना- विस्मृत होना, भूलना, याद न रहना, भुला देना, याद न करना।
  • बीमारी- रोग, व्याधि, रुग्णता 2. बुरी आदत, बुरी लत।
  • बीवी- पत्नी, भार्या, अर्द्धांगिनी, लुगाई, मेहरारू, घरवाली।
  • बुखार- ज्वर, ताप, तापवृद्धि।
  • बुजुर्ग- वृद्ध, बूढ़ा, प्रौढ़, बड़ा।
  • बुढ़ापा- वृद्धावस्था, वृद्धत्व, जश, जीर्णावस्था।
  • बुद्ध- ज्ञानी, ज्ञानवान, विद्वान, बुद्धिमान, ज्ञान, गौतम, सिद्धार्थ।
  • बुद्धि- अक्ल, समझ, दिमाग, विवेक, सूझबूझ, ज्ञान, प्रतिभा।
  • बुद्धिमान- अक्लमंद, समझदार, मनस्वी, प्रतिभावान, ज्ञानी, विवेकी, तीक्ष्णबुद्धि, कुशाग्रबुद्धि।
  • बुहारी- झाड़ू, सोहनी, बुहारनी, बटोरनी।
  • बूँद- जलकण, बिंदु, जलबिंदु, कण।
  • भौंरा- अलि, मधुव्रत, शिलीमुख, मधुप, मधुकर, द्विरेप, षट्पद, भृंग, भ्रमर।
  • भोजन- खाना, भोज्य सामग्री, खाद्यय वस्तु, आहार।
  • भय- भीति, डर, विभीषिका।
  • भाई- तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ।भंगुर- नाशवान, नश्वर, अनित्य, क्षर, मर्त्य, विनश्वर।
  • भंडारी- रसोइया, खानसामा, महाराज, रसोईदार।
  • भंवरा- भौंरा, भ्रमर, मधुकर, मधुप, मिलिंद, अलि, अलिंद, भृंग।
  • भक्त- आराधक, अर्चक, पुजारी, उपासक, पूजक।
  • भगिनी- बहन, बहना, स्वसा, अग्रजा।
  • भद्र- शिष्ट, शालीन, कुलीन, सभ्य, सलीकेदार, बासलीक़ा।
  • भरतखंड- भारतवर्ष, आर्यावर्त, भारत, हिंदुस्तान, हिंदोस्ताँ।
  • भरोसा- यकीन, विश्वास, ऐतबार, अक़ीदा, आश्वास।
  • भव- संसार, दुनिया, जग, जहाँ, विश्व, खलक, खल्क।
  • भविष्य- भावी, अनागत, भविष्यतकाल, मुस्तकबिल, भविष्यद।
  • भारती- शारदा, सरस्वती, वाग्देवी, वीणावादिनी, विद्या, वागेश्वरी, वागीशा।
  • भाल- मस्तक, पेशानी, माथा, ललाट।
  • भाला- बर्छा, बरछा, नेजा, कुंत, शलाका।
  • भीष्म- गंगापुत्र, शांतनुसुत, भीष्मपितामह, देवव्रत।
  • भुजा- भुज, बाहु, बाँह, बाजू।
  • भेद- फर्क, अंतर, भिन्नता, विषमता।
  • भ्रष्ट- पथभ्रष्ट, पतित, बदचलन, दुश्चरित्र, आचरणहीन।
  • भ्रू- भौंह, भौं, भृकुटि, भँव, त्यौरी।
  • भूषण- जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार।
  • भंग- ध्वंस, विध्वंस, नाश, विनाश, टुकड़ा, खंड।
  • भंगिमा- अंगसंचालन, अंदाज, अदा, भावप्रवणता, अभिनयप्रवणता, बांकपन।
  • भंगुर- नश्वर, अस्थायी, नाशवान, क्षणिक, त्रुटिशील, नाजुक।
  • भंडा- भेद, रहस्य, गुप्त बात।
  • भंडार- आगार, भंडारगार, गोदाम, मालखाना।
  • भगवान- ईश्वर, परमेश्वर, जगतपालक, सृष्टिकर्ता।
  • भगिनी- बहन, बहिन, दीदी, जीजी, सहोदर।
  • भगोड़ा- फरार, भागा हुआ, डरपोक।
  • भट- योद्धा, सैनिक, सिपाही, वीर, लड़ाका, बहादुर।
  • भड़कीला- भड़कदार, चमकीला, अलंकृत, चटकदार, चटकीला।
  • भद्दा- कुरूप, बेडौल, भोंडा, बदसूरत, बदशक्ल, अभद्र, घृणित।
  • भद्रता- शिष्टता, सभ्यता, विनय, नम्रता।
  • मछली- मीन, मत्स्य, झख, झष, जलजीवन, शफरी, मकर।
  • महादेव- शम्भु, ईश, पशुपति, शिव, महेश्र्वर, शंकर, चन्द्रशेखर, भव, भूतेश, गिरीश, हर, त्रिलोचन।
  • मेघ- घन, जलधर, वारिद, बादल, नीरद, वारिधर, पयोद, अम्बुद, पयोधर।
  • मुनि- यती, अवधूत, संन्यासी, वैरागी, तापस, सन्त, भिक्षु, महात्मा, साधु, मुक्तपुरुष।
  • मित्र- सखा, सहचर, स्नेही, स्वजन, सुहृदय, साथी, दोस्त।
  • मोर- केक, कलापी, नीलकंठ, शिखावल, सारंग, ध्वजी, शिखी, मयूर, नर्तकप्रिय।
  • मनुष्य- आदमी, नर, मानव, मानुष, जन, मनुज।
  • मदिरा- शराब, हाला, आसव, मधु, मद्य, वारुणी, सुरा, मद।
  • मधु- शहद, रसा, शहद, कुसुमासव।
  • मृग- हिरण, सारंग, कृष्णसार।
  • माता- जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा।
  • मूर्ख- गँवार, अल्पमति, अज्ञानी, अपढ़, जड़।
  • मृत्यु- देहांत, मौत, अंत, स्वर्गवास, निधन, देहावसान, पंचत्व, इंतकाल, काशीवास, गंगालाभ, निर्वाण, मरण।
  • माँ- अंबा, अम्बिका, अम्मा, जननी, धात्री, प्रसू।
  • मुर्गा- तमचूक, अरुणशिखा, ताम्रचूड़, कुक्कुट।
  • मग- पन्थ, मार्ग, बाट, पथ, राह।
  • मूढ़- मूर्ख, अज्ञानी, निर्बुद्धि, जड़, गंवार।
  • मैना- सारी, सारिका, त्रिलोचना, मधुरालाषा, कलहप्रिया।
  • मूँगा- प्रवाल, रक्तांग, विद्रुम, रक्तमणि।
  • मंजुल- मोहक, मनोहर, आकर्षक, शोभनीय, सुंदर।
  • मंजूषा- संदूक, बक्स, पिटारी, पिटक, पेटी, झाँपी।
  • मंतव्य- अभिमत, सम्मति, राय, सलाह, विचार।
  • मंसूख- रद्द, निरस्त, ख़ारिज, निरसित।
  • मकड़ी- मकरी, लूता, लूतिका, लूत।
  • मकतब- स्कूल, पाठशाला, विद्यालय, विद्यापीठ।
  • मकर- मगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, नक्र, ग्राह, झषराज।
  • मजार- मकबरा, समाधि, कब्र, इमामबाड़ा।
  • मटका- कुंभ, झट, घड़ा, कलश।
  • मत्सर- द्वेष, ईर्ष्या, कुढ़न, जलन, डाह।
  • मनीषा- मति, बुद्धि, मेधा, प्रज्ञा, विचार।
  • मयूख- किरन, किरण, रश्मि, अंशु, मरीचि।
  • मरघट- मसान, मुर्दघाट, श्मशान, श्मशानघाट।
  • मरहूम- स्वर्गवासी, मृत, गोलोकवासी, दिवंगत।
  • मराल- हंस, राजहंस, सितपक्ष, धवलपक्ष।
  • मरुत- पवन, वायु, हवा, वात, समीर, मारुत।
  • यम- सूर्यपुत्र, जीवितेश, श्राद्धदेव, कृतांत, अन्तक, धर्मराज, दण्डधर, कीनाश, यमराज।
  • यमुना- कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा।
  • यंत्रणा- व्यथा, तकलीफ, वेदना, यातना, पीड़ा।
  • यकीन- भरोसा, ऐतबार, आस्था, विश्वास।
  • यकृत- जिगर, कलेजा, जिगरा, पित्ताशय।
  • क्ष्मा- टी.बी., तपेदिक, राजरोग, क्षय।
  • यज्ञोपवीत- जनेऊ, उपवीत, ब्रह्मसूत्र।
  • यतीम- बेसहारा, अनाथ, माँ-बापविहीन।
  • यशस्वी- मशहूर, विख्यात, नामवर, कीर्तिवान, ख्यातिवान।
  • यशोदा- यशोमति, जसोदा, नंदरानी।
  • यशोधरा- गौतम-पत्नी, गौतमी, गोपा।
  • याज्ञसेनी- पांचाली, द्रौपदी, सैरंध्री, द्रुपदसुता, कृष्णा।
  • याद- स्मृति, स्मरण, स्मरण-शक्ति, सुध, याद्दाश्त।
  • याम- पहर, प्रहर, बेला, वेला, जून।
  • यामिनी- रजनी, रात, रात्रि, रैन, राका, निशा।
  • युग- जुग, दौर, मन्वंतर, काल, कल्प, जमाना।
  • युद्ध- संग्राम, संघर्ष, समर, लड़ाई, रण, द्वंद्व।
  • युद्धभूमि- रणक्षेत्र, रणभूमि, समरभूमि, संग्रामभूमि, युद्धस्थल।
  • युधिष्ठिर- कौन्तेय, धर्मराज, धर्मपुत्र, अजातशत्रु।
  • योषा- योषिता, नारी, स्त्री, औरत, वनिता, महिला, तिरिया।
  • योम- दिवस, दिनमान, दिन, अह, सूर्यकाल।
  • यंत्र- मशीन, कलम संयंत्र, उपकरण, औजार।
  • यकायक- अचानक, एकाएक, सहसा।
  • यकीनन- निश्चित, निःसंदेह, अवश्य, बेशक, जरूर।
  • यज्ञ- याग, हव, हवन, होम, ज्योतिष्टोम, अनुष्ठान।
  • यत्र- तत्र- इधर-उधर, जहाँ-तहाँ, सर्वत्र, जगह-जगह।
  • यथेष्ट- अभीष्ट, इच्छानुसार, इच्छित, मनमाना।
  • यश- ख्याति, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रशंसा, बड़ाई, नाम।
  • याचना- विनती, विनय, निवेदन, प्रार्थना।
  • रात्रि- निशा, क्षया, रैन, रात, यामिनी, रजनी, त्रियामा, क्षणदा, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी।
  • रात- रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी।
  • राजा- नृपति, भूपति, नरपति, नृप, महीप, राव, सम्राट, भूप, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति।
  • रवि- सूरज, दिनकर, प्रभाकर, दिवाकर, सविता, भानु, दिनेश, अंशुमाली, सूर्य।
  • रमा- इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया।
  • रामचन्द्र- अवधेश, सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर, रावणारि, जानकीवल्लभ, कमलेन्द्र, कौशल्यानन्दन।
  • रावण- दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध, दैत्येन्द्र।
  • राधिका- राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा।
  • रक्त- खून, लहू, रुधिर, शोणित, लोहित।
  • राक्षस- दैत्य, असुर, निशाचर।
  • रंक- गरीब, दरिद्र, कंगाल, निर्धन, धनहीन।
  • रंग-रूप- रूप, मुखाकृति, सूरत, शक्ल, गुण।
  • रंघ्र- छेद, सूराख, छिद्र, बिल।
  • रक्त- लहू, रक्तिम, खून।
  • रक्तपात- खून-खराबा, मार-काट, नरसंहार, लड़ाई-झगड़ा।
  • रक्षा- संरक्षण, सुरक्षा, प्रतिरक्षा, हिफाजत, बचाव, रखवाली।
  • रखवाली- रक्षा, देखभाल, देखरेख, निगरानी, पहरेदारी, बचाव।
  • रजनी- रात, रात्रि, निशा, यामिनी।
  • रण- लड़ाई, युद्ध, संग्राम, जंग, संघर्ष।
  • रणभूमि- संग्रामभूमि, युद्धस्थल, युद्ध क्षेत्र, वीरभूमि, मैदान-ए-जंग।
  • रत- अनुरक्त, आसक्त, लिप्त, निमग्न।
  • रत्ती- जरा सा, थोड़ा सा, रत्तीभर।
  • रत्नाकर- समुद्र, सागर, अर्णव, वारिध।
  • रब्त- मेलजोल, मेल-मिलाप, सम्पर्क, सम्बन्ध।
  • रमण- स्त्री, मैथुन, संभोग, रतिविलास, कामक्रीड़ा।
  • रम्य- सुन्दर, मनोहर, मनभावन, मनमोहक, आकर्षक, ह्रदयस्पर्शी।
  • रवैया- चलन, तौर-तरीका, रंग-ढंग।
  • रश्क- ईर्ष्या, डहन, जलन, द्वेष।
  • रसीला- रसयुक्त, रसवान, मधुर, मीठा, मृदु, मृदुल।
  • राका- पूर्णमासी, पूर्णिमा, पूनम।
  • राग- प्रेम, अनुराग, आसाक्ति, लगाव।
  • राज- शासन, हुकूमत।
  • राज्यपाल- गर्वनर।
  • राधा- राधिका, वृषभानुजा, वृषभानुनंदिनी, कीर्ति-किशोरी, ब्रजरानी।
  • रानी-मालकिन, बेगम, राजपत्नी, महरानी, राज्ञी, महिषी।
  • राय- मत, सलाह, विचार, विश्वास, सिद्धान्त, परामर्श।
  • राशि- ढेर, समूह, भंडार।
  • रासभ- गधा, गदहा, रजकवाहन, खर, खच्चर।
  • राहगीर- राही, मुसाफिर, पथिक, बटोही, यात्री।
  • रिक्त- खाली, शून्य, खोखला, खोखा।
  • रिपु- शत्रु, दुश्मन, वैरी, विरोधी, द्वेषी।
  • रिश्ता- सम्बन्ध, सम्पर्क, नाता, नातेदारी, रिश्तेदारी, मेल।
  • रिश्वत- घूस, नजराना, कमीशन, बख्शीश।
  • रिहाई- छुटकारा, मुक्ति, छुट्टी, विमुक्ति, विमोचन।
  • रुकावट- बाधा, अड़चन, विघ्न, रुकाव, अटकाव, अडंगा, विराम, ठहराव।
  • रुग्ण- रोगग्रस्त, रोगी, बीमार, अस्वस्थ।
  • रुचि- चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, प्रेम, दिलचस्पी।
  • रूढ़ि- रीति, रस्म, रिवाज, प्रथा, परम्परा।
  • रूप- शक्ल, सूरत, आकार, बनावट, चेहरा-मोहरा, नैन-नक्शा, रूपरंग।
  • रेत- बालु, रेणु, रेणुका, बालुका।
  • रोक- रुकावट, रुकाव, अटकाव, अटक, विराम।
  • रोकथाम- संयम, नियंत्रण, रोक, प्रतिबंध, रुकावट।
  • रोग- व्याधि, बीमारी, रुग्णता, अस्वस्थता।
  • रोगी- व्याधिग्रस्त, रुग्ण, बीमार, अस्वस्थ, रोगग्रस्त।
  • रोचक- रुचिकर, प्रिय, दिलचस्प, मनोरंजक, मनमोहक, मनोहर, सुहावना।
  • रोना- आँसू बहाना, विलाप करना, बिलखना, रोदन करना।
  • रोब- प्रभाव, आतंक, दबदबा।
  • – गति, चाल, वेग, धुन, सनक।
  • रौबदार- गौरवशाली, प्रभावशाली, तेजस्वी, प्रशसनीय।
  • लक्ष्मी- चंचला, कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्ममा, सिन्धुसुता, कमलासना।
  • लड़का- बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार।
  • लड़की- बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या।
  • लक्ष्मण- लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष।
  • लौह- अयस, लोहा, सार।
  • लता- बल्लरी, बल्ली, लतिका, बेली।
  • लंघन- उपवास, व्रत, रोजा, निराहार।
  • लक्ष्य- निशान, उद्देश्य, निर्दिष्ट स्थान, ठिकाना, मंजिल।
  • लगातार- निरंतर, अविराम, बराबर, सर्वदा, नित्य, क्रमिक।
  • लगाव- लगावट, सम्बन्ध, प्रेम, प्रीति, वास्ता।
  • लड़ाई- भिडंत, टकराव, हाथापाई, युद्ध, जंग, संग्राम।
  • ललित- सुन्दर, मनोहर, मनभावन, रमणीय।
  • लाचार- विवश, मजबूर, असमर्थ, बेबस, बाध्य।
  • लाभ- प्राप्ति, मुनाफा, फायदा, नफा।
  • लाल- पुत्र, बेटा, नंदन, तनय, आत्मज।
  • लालच- लोभ, लिप्सा, तृष्ण, प्रलोभन, लालसा।
  • लाली- अरुणता, ललाई, लालिमा, राग, लालपन।
  • लिप्त- लीन, तल्लीन, मग्न, निमग्न, अनुरक्त, आसक्त।
  • लुच्चा – दुराचारी, बदमाश, कमीना, कुकर्मी।
  • लुटेरा- अपहर्ता, अपहरणकर्ता, डाकू, डकैत।
  • लुत्फ- आनंद, सुख, मजा, मस्ती, हर्ष, रोचकता।
  • लुप्त- गुप्त, अप्रकट, अदृश्य, गायब, अंतर्धान, गुम।
  • लेखक- ग्रंथकर्ता, ग्रंथकार, रचयिता, रचनाकर, साहित्यकार।
  • कतंत्र- जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही।
  • लोचन- आँख, नयन, नेत्र, चक्षु।
  • लोभ- लालच, तृषा, तृष्णा, लिप्सा, स्पृहा।
  • लोभी- लालची, स्पृह, इच्छुक, पिपासु, उत्सुक, तृष्णालु।
  • लोलुप- लोभी, लालची, आकांक्षी, उत्सुक।
  • टना- फिरना, घूमना, वापस आना, मुड़ना।
  • वृक्ष- तरू, अगम, पेड़, पादप, विटप, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम।
  • विवाह- शादी, गठबंधन, परिणय, व्याह, पाणिग्रहण।
  • वायु- हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत।
  • सन- अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर।
  • विधवा- अनाथा, पतिहीना।
  • विष- ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट।
  • विष्णु- नारायण, दामोदर, पीताम्बर, माधव, केशव, गोविन्द, चतुर्भज, उपेन्द्र, जनार्दन, चक्रपाणि, विश्वम्भर, लक्ष्मीपति, मधुरिपु।
  • विश्व- जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया।
  • विद्युत- चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका।
  • वारिश- वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात।
  • वीर्य- शुक्र, धातु, बीज, बल, शक्ति, ताकत, वीरता, मर्दानगी, मुख-आभा।
  • वज्र- कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि।
  • विशाल- विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महा, महान।
  • वर्षा- पावस, बरसात, वर्षाकाल, चौमासा, वर्षाऋतु।
  • वसन्त- मधुमास, माधव, कुसुमाकर, ऋतुराज।
  • वन- कानन, विपिन, अरण्य, कांतार।
  • वंचक- धूर्त, धोखेबाज, ठग, खल, फ़रेबी, दगाबाज।
  • विदित- विमुख, रहित, हीन, शून्य।
  • वंदना- स्तुति, प्रणाम, अभिवादन, नमस्कार।
  • वंश- वंश परम्परा, कुल, खानदान, गोत्र, जाति, नस्ल।
  • वक्ता- वाचक, व्याख्याता, भाषणकर्त्ता, तकरीर करने वाला।
  • क्ष- छाती, सीना, वक्षस्थल, उरस्थल।
  • वचन- 1. शब्द, वाक्य, वाणी, बोली 2. आश्वासन, वादा, प्रण, प्रतिज्ञा।
  • वणिक- व्यापारी, व्यवसायी, रोजगारी, बनिया।
  • वध- घात, हिंसा, प्रतिघातन, हत्या, कत्ल।
  • वनिता- स्त्री, औरत, नारी, महिला, अबला।
  • वन्य- जंगली, वनचर, आरण्यक, काननसेवी।
  • वपु- शरीर, देह, काया, बदन, तन।
  • वय- वयस, उम्र, अवस्था, आयु।
  • वर- दुल्हा, वरदान, उत्तम, श्रेष्ठ।
  • वरण- चुनाव, चयन, छँटाई।
  • वरदान- आशीष, आशीर्वाद, मनोरथसिद्धि, उपहार, भेंट।
  • वर्ग- कोटि, समूह, समुदाय, कक्षा, दर्जा।
  • वर्जित- निषिद्धि, निषेधित, प्रतिषेधित, बाधित।
  • वर्णन- चित्रण, कथन, व्याख्या, विवरण, उल्लेख, जिक्र, चर्चा।
  • वर्तमान- उपस्थित, प्रस्तुत, विद्यमान, मौजूद।
  • वर्ष- संवत्, सन्, ईसवी, साल, बरस।
  • शपथ – कसम, प्रतिज्ञा, सौगन्ध, हलफ़, सौं।
  • शहद – मधु, मकरंद, पुष्परस, पुष्पासव।
  • शब्द – ध्वनि, नाद, आश्व, घोष, रव, मुखर।
  • शरण – संश्रय, आश्रय, त्राण, रक्षा।
  • शिष्ट – शालीन, भद्र, संभ्रान्त, सौम्य, सज्जन, सभ्य।
  • शेर – सिंह, नाहर, केहरि, वनराज, केशरी, मृगेन्द, शार्दूल, व्याघ्र।
  • शिरा – नाड़ी, धमनी, नस।
  • शुभ – मंगल, कल्याणकारी, शुभंकर।
  • शिक्षा – नसीहत, सीख, तालीम, प्रशिक्षण, उपदेश, शिक्षण, ज्ञान।
  • श्वेत – सफ़ेद, धवल, शुक्ल, उजला, सिता
  • शंकर – शिव, उमापति, शम्भू, भोलेनाथ, त्रिपुरारि, महेश, देवाधिदेव, कैलाशपति, आशुतोष
  • शाश्वत – सर्वकालिक, अक्षय, सनातन, नित्य।
  • शिकारी – आखेटक, लुब्धक, बहेलिया, अहेरी, व्याध
  • श्मशान – मरघट, मसान, दाहस्थल।
  • षड्यंत्र – साज़िश, दुरभिसंधि, अभिसंधि, कुचक्र
  • सब – अखिल, सम्पूर्ण, सकल, सर्व, समस्त, समग्र, निखिल।
  • संकल्प – वृत, दृढ़ निश्चय, प्रतिज्ञा, प्रण।
  • संग्रह – संकलन, संचय, जमावा
  • संन्यासी – बैरागी, दंडी, विरत, परिव्राजका
  • सजग – सतर्क, चौकस, चौकन्ना, सावधान।
  • संहार – अन्त, नाश, समाप्ति, ध्वंसा
  • समसामयिक – समकालिक, समकालीन, समवयस्क, वर्तमान।
  • समीक्षा – विवेचना, मीमांसा, आलोचना, निरूपण।
  • समुद्र – नदीश, वारीश, रत्नाकर, उदधि, पारावार।
  • सखी – सहेली, सहचरी, सैरंध्री।
  • सज्जन – भद्र, साधु, पुंगव, सभ्य, कुलीन।
  • संसार – विश्व, दुनिया, जग, जगत्, इहलोक।
  • समाप्ति – इतिश्री, इति, अंत, समापन।
  • सार – रस, सत्त, निचोड़, सत्त्व।
  • स्तन – पयोधर, छाती, कुच, उरस, उरोज।
  • सुन्दरी – ललिता, सुनेत्रा, सुनयना, विलासिनी, कामिनी।
  • सूची – अनुक्रम, अनुक्रमणिका, तालिका, फेहरिस्त, सारणी।
  • स्वर्ण – सुवर्ण, सोना, कनक, हिरण्य, हेम।
  • स्वर्ग – सुरलोक, धुलोक, बैकुंठ, परलोक, दिव।
  • स्वच्छन्द – निरंकुश, स्वतन्त्र, निबंध।
  • स्वावलम्बन – आत्माश्रय, आत्मनिर्भरता, स्वाश्रय।
  • स्नेह – प्रेम, प्रीति, अनुराग, प्यार, मोहब्बत, इश्क।
  • समुद्र – सागर, रत्नाकर, पयोधि, नदीश, सिन्धु, जलधि, पारावार, वारीश, अर्णव, अब्धि।
  • सरस्वती – भारती, शारदा, वीणापाणि, गिरा, वाणी, महाश्वेता, श्री, भाष, वाक्, हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी।
  • सूर्य – सूरज, दिनकर, दिवाकर, भास्कर, रवि, नारायण, सविता, कमलबन्धु, आदित्य, प्रभाकर, मार्तण्ड।
  • सम्पूर्ण – पूर्ण, समग्र, सारा, पूरा, मुकम्मल।
  • सर्प – भुजंग, अहि, विषधर, व्याल, फणी, उरग, साँप, नाग, अहि।
  • सुरपुर – सुलोक, स्वर्गलोक, हरिधाम, अमरपुर, देवराज्य, स्वर्ग।
  • सेठ – महाजन, सूदखोर, साहूकार, ब्याजजीवी, पूँजीपति, मालदार, धनवान, धनी, ताल्लुकदार।
  • संध्या – निशारंभ, दिनावसान, दिनांत, सायंकाल, गोधूलि, साँझ।
  • स्तुति – प्रार्थना, पूजा, आराधना, अर्चना।
  • हंस – मुक्तमुक, मराल, सरस्वतीवाहन।
  • हाँसी – स्मिति, मुस्कान, हास्य।
  • हित – कल्याण, भलाई, भला, उपकार।
  • हक – अधिकार, स्वत्व, दावा, फर्ज़, उचित पक्ष।
  • हिमालय – हिमगिरि, हिमाद्रि, गिरिराज, शैलेन्द्र।
  • हनुमान् – पवनसुत, महावीर, आंजनेय, कपीश, बजरंगी, मारुतिनन्दन, बजरंग।
  • हाथ – कर, हस्त, पाणि, भुजा, बाहु, भुजाना
  • हाथी – गज, कुंजर, वितुण्ड, मतंग, नाग, द्विरद।
  • हार – (i) पराजय, पराभव, शिकस्त, मात। (ii) माला, कंठहार, मोहनमाला, अंकमालिका।
  • हिम – तुषार, तुहिन, नीहार, बर्फी
  • हिरन – मृग, हरिण, कुरंग, सारंग।
  • होशियार – समझदार, पटु, चतुर, बुद्धिमान, विवेकशील।
  • हेम – स्वर्ण, सोना, कंचन।
  • हरि – बंदर, इन्द्र, विष्णु, चंद्र, सिंह।
  • क्षेत्र – प्रदेश, इलाका, भू –भाग, भूखण्ड।
  • क्षणभंगुर – अस्थिर, अनित्य, नश्वर, क्षणिका
  • क्षय – तपेदिक, यक्ष्मा, राजरोग।
  • क्षुब्ध – व्याकुल, विकल, उद्विग्न।
  • क्षमता – शक्ति, सामर्थ्य, बल, ताकत।
  • क्षीण – दुर्बल, कमज़ोर, बलहीन, कृश

उपयुक्त शब्द चयन

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